मम्मी की चुदाई पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात – Hindi Sex Story

मम्मी की चुदाई पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात – Hindi Sex Story

माँ की चुदाई पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात - Hindi Sex Story
मम्मी की चुदाई पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात – Hindi Sex Story

मम्मी की चुदाई पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात – Hindi Sex Story : नमस्कार! मेरी पहली कहानी ” मम्मी पापा इतनी रात में करते क्या हैं? Click here to read >> ” कई भागों में प्रकाशित हुई जिसे आप सब पाठकों ने पढ़ा और खूब पसंद किया इसलिए आप सभी सम्मानित पाठकों का धन्यवाद।
आप सभी के बहुत से मेल मिले, मैं उन सबसे केवल यह कहना चाहता हूँ कि मैंने केवल अपनी बचपन की यादों को आप सबके साथ शेयर किया।आपके विचारों और मेल्स का स्वागत है पर मेरे माता पिता के बारे में आप लोग कुछ भी गलत सलत न लिखे नहीं तो मैं अपने अनुभव शेयर नहीं करूँगा। अच्छा अब मैं उसी कहानी के अगले चरण पर आता हूँ।
जैसा कि मैंने अपनी पिछली कहानी में बताया था कि चुदाई करते समय पापा ने मम्मी से कहा था कि कल सुहागरात और फिर हनीमून मनायेंगे, जिस पर मम्मी ने कहा था कि अब एक हफ्ते तक हाथ नहीं लगाने दूँगी और पापा की फरमाइश पर यह भी कहा कि इस बार अकेले में करेंगे।
मम्मी ने पापा को 7 दिन की समय सीमा दी थी पर मुझे नहीं लगता था की पापा 7 दिनों तक माँ की चुदाई करे बिना रह सकते थे।

जब से मैंने पापा मम्मी को चुदाई करते देखा, तब से मुझे जैसे उनकी चुदाई देखने का चस्का लग गया। माँ की चुदाई धका धक हो रही थी
मैं अब रोज रात में जल्दी सो जाने का नाटक करता, इस उम्मीद से कि पापा मम्मी पता नहीं कब अपनी चुदाई का कार्यक्रम शुरू कर दे। इसी इंतज़ार में मेरी पूरी दो रात काली हो गई, मैं रात में 3:00 बजे सोया लेकिन सब बेकार, पिछली रात तो बात बनते बनते रह गई।
उस समय रात के लगभग 2:00 बजे होंगे, मैं भी बस सोने ही जा रहा था, तभी पापा रोज़ रात के तरह एक नींद मार कर उठे और मुझे मम्मी के बगल से उठाकर अलग लिटाया और खुद उनके बगल आ लेट गए।

मैं समझ गया कि अब कुछ होने वाला है। पापा, मम्मी के ब्लाउज के ऊपर अपने हाथ धीरे धीरे चलाने लगे।
मम्मी जो कि मज़े से सो रही थी, पापा की इस हरकत से उनकी नींद हल्की टूट गई।
मम्मी हल्की नींद में थी, उन्होंने पापा का हाथ अपने ब्लाउज से हटाया।
मम्मी थोड़ा गुस्से से बोली- अरे जाओ अंकित के पापा ! तुम तो कुछ समझते ही नहीं, बस जब तुम्हारी आँख खुल जाये तब तुम्हारी बन्दूक खड़ी हो जाती है फायर करने के लिए ! जैसे जैसे तुम्हारी उम्र बढ़ रही है तुम्हारी भूख और बढ़ती जा रही है। अभी परसों ही तुमने मुझे 3:30 बजे तक सोने नहीं दिया। पूरे दिन सारा बदन दर्द हुआ मेरा और दिन में नींद की झपकियाँ आती रही वो अलग!
बच्चा जवान हो रहा है, और तुम बस जब भी उठ जाओ तुम्हे अपना शिकार करना है। अब मुझे ये सब करने बहुत शर्म आती है अगर तुम्हे इतना ही शौक है तो अलग चल कर करो न ! मैं अब इतने बड़े लड़के के बगल में लेटकर नहीं करूंगी

मम्मी की चुदाई पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात – Hindi Sex Story

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पापा बोले- ए जी, तुम इतनी खूबसूरत हो कि जब भी तुम्हारे शरीर का कोई भी अंग खुला दिख जाता है तब बस मेरी नियत ख़राब हो जाती है।
पापा बोले- आज यहीं कर लेते हैं, सुहागरात तो अकेले ही मनायेंगे कल !
मम्मी बोली- कंडोम लाये हो?
पापा बोले- नहीं!
मम्मी बोली- तो आज कुछ भी नहीं।
पापा बोले- करने दो न!
मम्मी बोली- आज कोई बहाना नहीं। मुझे पिल्स से अलरजी है मेरा जी मतलाता है, नहीं तो मैं पिल्स ही ले लूं, और तुम कंडोम लगाते नहीं, तुम्हें मज़ा नहीं आता, अगर झड़ते वक़्त निकालने को कहती हूँ, तो तुम निकालते नहीं, कहते हो कि अगर झड़ते वक़्त निकाला तो इतनी देर जो सेक्स किया उसका सारा मज़ा किरकिरा हो जायेगा और तुम्हारे मज़े के चक्कर में मैं फंस जाती हूँ। अभी दो महीने पहले बच्चा ठहर गया था तो एबॉर्शन कराना पड़ा।
अभी जब पिछले महीने मासिक होने में देरी हुई तो मैं तो डर ही गई, मैंने सोचा कहीं फिर तो पेट से नहीं हो गई, पर भला हो भगवान का जो मासिक दो दिन बाद आ ही गया और मेरा डर खत्म हुआ।

पापा बोले- तो क्या हुआ अगर प्रेग्नेंट हो गई थी? अंकित का एक और भाई या बहन आ जाते और अंकित का भी मन लग जाता।
मम्मी बोली- हाँ ! अब इतने बड़े बच्चे के सामने मैं माँ बनूँगी। उसके सामने पेट फूला कर घूमूँगी इधर उधर! क्या सोचेगा वो अपनी माँ के बारे में!
पापा बोले- अभी अंकित बच्चा है। क्या बारह तेरह साल के बच्चों की माँ कभी दुबारा माँ नहीं बन सकती।
पापा बोले- करने दो न ऐसे ही, चलो अंकित की एक बहन ले आयें अबकी बार!
मम्मी बोली- न बाबा ! अब इस उम्र में दुबारा माँ बनूंगी! मुझे शर्म आती है।

पापा बोले- करने दो न!
मम्मी बोली- नहीं, अब जब कंडोम लाओगे, तभी कुछ करने की सोचना।
मम्मी ने करवट ली, पापा उन्हें मनाते रहे पर वो पापा को तड़पता छोड़ चुपचाप सो गई।
पापा भी उनसे नाराज हो गये और सो गए।
अब मैं जाग कर क्या करता, मैं भी मायूस होकर सो गया।
papa mumy ki dusri suhag raat
सुबह हुई तो मैंने ध्यान दिया कि पापा मम्मी से बात नहीं कर रहे थे, उनकी बोल चाल बंद थी। मम्मी कुछ बोलती भी तो केवल हाँ या नहीं में उत्तर देते बस! आप सभी मेरी माँ की चुदाई की कहानी पड़ रहे है |
मुझे मम्मी पापा की उस रात की बात याद थी कि वो दोनों इस बार अकेले और सुहागरात वाली रात की तरह सेक्स करना चाहते हैं।
मैं पापा मम्मी को उनकी दूसरी सुहागरात मानाने और उन लोगो को उसका पूरा आनंन्द लेने का मौका देना चाहता था और उन्हें सुहागरात मनाते देखना चाहता था।
पर अब सुहागरात तो क्या, रोज़ की चुदाई के आसार नहीं दिख रहे थे, पापा मम्मी से बेहद नाराज़ थे।
सुबह हुई तो मैंने ध्यान दिया कि पापा मम्मी से बात नहीं कर रहे थे, उनकी बोल चाल बंद थी। मम्मी कुछ बोलती भी तो केवल हाँ या नहीं में उत्तर देते बस!
मुझे मम्मी पापा की उस रात की बात याद थी कि वो दोनों इस बार अकेले और सुहागरात वाली रात की तरह सेक्स करना चाहते हैं।
मैं पापा मम्मी को उनकी दूसरी सुहागरात मनाने और उन लोगो को उसका पूरा आनंन्द लेने का मौका देना चाहता था और उन्हें सुहागरात मनाते देखना चाहता था।
पर अब सुहागरात तो क्या, रोज़ की चुदाई के आसार नहीं दिख रहे थे, पापा मम्मी से बेहद नाराज़ थे क्यों की वाह माँ की चुदाई नहीं कर पा रहे थे। पापा को रोज सोने से पहले माँ की चुदाई की आदत पड़ चकी थी शादी के बाद शायद पापा रोज माँ की चुदाई कीया करते होंगे

मैंने पापा मम्मी का प्रेमालाप करने के लिए एक तरकीब सोच ली जिससे मैं मम्मी पापा को उनकी सुहागरात मानते देख लेता और उन्हें मुझ पर शक भी नहीं होता।

पापा नहाने के बाद बैडरूम में जाकर शॉप पर जाने की तैयारी करने लगे, मम्मी पापा की नाराजगी को समझ रही थी इसलिये वो पापा को मनाने में लगी हुई थी।

सुबह नाश्ते की टेबल पर जब मैं, मम्मी और पापा नाश्ता कर रहे थे तब मैंने उनसे कहा– पापा मेरे एग्जाम होने वाले हैं और आप लोग रात मे टीवी ऑन कर देते हो, कुछ पढ़ाई नहीं हो पाती। अब मुझे एग्जाम की तैयारी करनी है इसलिए मैं आज से बगल वाले कमरे में पढाई करूँगा और वही सोऊँगा।
पापा बोले- तुम्हें जो करना हो करो, मैंने क्या रोका है तुम्हे पढ़ाई करने से !

मम्मी पापा को वहीं पर मेरे सामने ही मना रही थी, वो पापा से कह रही थी- अब जाने भी दो न! सॉरी बाबा!
पापा कोई जवाब नहीं दे रहे थे, फिर वो चुपचाप दुकान चले गए।

पापा ने मुझे बगल वाले कमरे में शिफ्ट होने की इज़ाज़त दे दी। मैंने भी अपना बोरिया बिस्तर बाँधा और एग्जाम तक के लिए अपने बेडरूम से बिल्कुल सटे दूसरे कमरे में आ गया।
इस कमरे में एक बेड था, एक कुर्सी और एक मेज थी, बेड जिस दीवार से सटकर लगा था उस दीवार पर ही एक लकड़ी की खिड़की थी जो हमारे बैडरूम की ओर ही खुलती थी पर मैं उसे कहाँ खोल सकता था।

जब मम्मी शाम 3:50 के आस पास सब्ज़ी लेने मॉर्केट गई तभी मैंने जल्दी से पेंचकस लाकर खिड़की में छोटा सा छेद कर दिया। अब मैं कभी भी बेड पर लेटे हुए भी मम्मी पापा की चुदाई देख सकता था। मैंने अपना सारी बुक्स वगैरह दूसरे कमरे में शिफ्ट कर ली। मेरी तैयारी पूरी हो चुकी थी, अब मैं पापा मम्मी को चुदाई करते कभी भी देख सकता था।

आज मैं बहुत रोमांचित था।
करीब 7:30 बजे पापा घर में आये और अपने बेड रूम में कपड़े बदलने चले गए।
मम्मी जो बाथरूम में नहा रही थी, नहा कर बेड रूम में चली गई। मेरा दिल कह रहा था कि कुछ मज़ेदार देखने को मिल सकता है अब!

पापा को बेड रूम में देख कर मम्मी ने उन्हें छेड़ने के उददेश्य से अपना पेटीकोट नीचे गिरा दिया उनके मोटे मोटे नितम्ब साफ़ देखे जा सकते थे और फिर झट से ऊपर ऊपर उठाया। मानो मम्मी यह दिखाना चाह रही हो कि पेटीकोट उनसे अनजाने में नीचे गिर गया हो।

पापा भी चुदाई के माहिर खिलाड़ी हैं, उन्होंने तपाक से मम्मी से कहा- अब ये सब करने से कुछ नहीं होगा! अब जब कहोगी तब ही करूँगा और वो भी कंडोम के साथ! तुम्हारी दुत्कार ललकार कौन सुनेगा रोज रोज!

मम्मी मुस्कुराते हुए बेड की तरफ आई और पापा के बगल में आकर बैठ गई और पापा के चेहरे पर एक चुम्बन कर दिया और कहा- ऐ जी, तुम कुछ समझते नहीं हो, बस नाराज़ हो जाते हो, मेरी मज़बूरी भी समझा करो।

पापा का गुस्सा सुबह के मुकाबले काफी कम था पर वह इसे मम्मी को शो नहीं करना चाहते थे। पापा अब भी कुछ नहीं बोले और टीवी ऑन कर देखने लगे।
मैं ये सब खिड़की में बने छेद से देख रहा था।

मम्मी भी अब साड़ी पहन कर बाहर आ गई और किचन में जाकर रात के खाने की तैयारी शुरू कर दी।

लगभग 8:30 बजे मम्मी ने खाना बना लिया और कुछ देर बाद हम सब डाइनिंग टेबल पर खाना खाने लगे। पापा अब भी मम्मी से ज्यादा कुछ बोल नहीं रहे थे।
शायद पापा को मनाने के लिए ही मम्मी ने कहा- अंकित, खाना खत्म कर आइसक्रीम लाओ! आज बहुत मन कर रहा है।
मैंने कहा- पैसे कहाँ से लूँ?
मम्मी बोली- पापा की जेब से ले लो!

तभी पापा झट से बोले- अंकित की मम्मी, तुम ही निकाल के दे दो।
मम्मी पापा के वॉलेट से पैसे निकालने लगी, तभी कोई चीज जमीन में गिरी, मैंने देखा कि वो मैनफोर्स कंडोम का पैकेट था जिसे मम्मी ने झट से उठाकर अपने ब्लाउज में रख लिया और फिर मुझे पैसे देने के बाद वो बैडरूम की तरफ चली गई, शायद वो उस कंडोम के पैकेट को रखने के लिए गई थी।
तब मैं समझा की पापा ने मम्मी को पैसे निकलने को क्यों कहा।

मैं बाजार गया और आइसक्रीम लेकर आया और फिर हम सबने उसे मज़े से खाया।
आइसक्रीम खाकर में अपने नए कमरे, जहाँ मैं एग्जाम तक के लिए शिफ्ट हुआ था, में आ गया और उनकी चुदाई शुरू होने का इंतज़ार करने लगा।

क्योंकि मैंने मम्मी को कंडोम छुपाते देख लिया था इसलिए मुझे ये भरोसा हो गया था कि आज मेरे काम का कुछ हो सकता है।
मैंने कुछ देर पढ़ाई की, पर पढ़ाई मे मेरा मन कहा लगने वाला था, मैं बीच बीच खिड़की में बने छेद से यह भी चेक कर लेता कि मम्मी बैडरूम में आई या नहीं।

करीब 10:30 बजे मम्मी सब काम निबटा कर कमरे में आई और बेड पर आकर बैठ गई। मैंने भी अपनी किताबें बंद कर दी और उस छेद से अपने पुराने बैडरूम की तरफ टकटकी बांध कर देखने लगा।
मम्मी फिर उठी और मेरे कमरे की तरफ आई मेरा कमरा अंदर से लॉक था। मेरे कमरे के बाहर आकर मम्मी बोली- अंकित, पढ़ रहे हो क्या?
मैं कुछ नहीं बोला।
मम्मी फिर बोली- अंकित!
और फिर वो अपनी कमरे की तरफ चली गई।
शायद मम्मी यह देखना चाहती थी कि मैं जग रहा हूँ या सो गया, क्योंकि मैंने अपने कमरे की लाइट उनके आने से पहले बुझा दी थी इसलिए उन्हें मुझ पर तनिक भी शक नहीं हुआ।

पापा करवट लेकर लेते हुए थे, वो आज कोई पहल नहीं करना चाहते थे।
मैंने देखा कि मम्मी भी कमरे में आ गईं और रोज़ की तरह उन्होंने अपनी साड़ी निकाल दी, वो अब केवल पेटीकोट और ब्लाउज में थी। इसी तरह वो पापा के बगल में आकर लेट गई और टीवी ऑन करके देखने लगी। आप सभी मेरी माँ की चुदाई की कहानी पड़ रहे है |

करीब 20 मिनट बाद पापा की तरफ से कोई पहल न होता देख मम्मी ने टीवी बंद कर दी और पाप के बगल में लेट गईं और करवट लेकर उनके ऊपर आ गई और पापा के चेहरे पर दो तीन चुम्मे जड़ दिए।
पापा बोले- हटो ऊपर से ! मुझे नहीं करना है।
पापा के चेहरे से ही पता चल रहा था कि उनका गुस्सा बनावटी है और वो केवल मम्मी को ताने मार रहे थे।

जिस पर मम्मी मुस्कुरा कर बोली- अच्छा जी! रोज़ तुम कहते हो तो मैं करती हूँ, आज मैं कह रही हूँ तो तुम नखरे दिखा रहे हो।
पापा बोले- हाँ! तुम तो रोज़ झट से तैयार हो जाती हो, रोज़ नखरे करती हो ! कभी कहती हो ये मत करो, कभी कहती हो वो मत करो।
मम्मी बोली- अब गुस्सा थूक भी दो, तुम्हें सुबह से मना रही हूँ पर तुम आज बहुत परेशान कर रहे हो।

मम्मी बोली- अब मनाओ न अपनी दूसरी सुहागरात! अभी उस दिन तो बहुत चहक रहे थे, अब क्या हुआ?
पापा बोले- कहाँ मनाने देती हो तुम! कभी कहती हो अब एक हफ्ते छूने नहीं दूँगी। कभी कुछ, कभी कुछ! अभी कल इतना अच्छा मूड बना था पर तुमने करने नहीं दिया।
मम्मी पापा को उकसाते हुए बोली- बस डर गए!

पापा झट से बोले- हाँ जैसे तुम डरी थी अपनी सुहागरात में ! पूरा शरीर काँप रहा था तुम्हारा, जैसे ही मैंने तुम्हें पहला किस किया था चुदाई के वक़्त की बात ही जाने दो।
मम्मी बोली- हाँ तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे बड़े भीम बने बैठे थे। पूरे एक घंटे बाद हाथ पकड़ा था वो भी डर डर के !
मम्मी बोली- अब करो न!

पापा बोले- तुमने कहा था कि अब की बार जब भी करेंगे तो जो कहोगे वो करूँगी।
मम्मी बोली- हाँ बाबा ! जो करना हो कर लो, अभी भी कह रही हूँ, बस गन्दी संदी चीजें न कहना!
पापा बोले- सम्भोग में कुछ भी गन्दा नहीं होता!
मम्मी बोली- अब करो भी!
मम्मी पापा की बात सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी दूसरी दुनिया में पहुँच गया हूँ।
पापा बोले- तुमने कहा था कि अब की बार जब भी करेंगे तो जो कहोगे वो करूँगी।
मम्मी बोली- हाँ बाबा ! जो करना हो कर लो, अभी भी कह रही हूँ, बस गन्दी संदी चीजें न कहना!
पापा बोले- सम्भोग में कुछ भी गन्दा नहीं होता!
मम्मी बोली- अब करो भी!
मम्मी पापा की बात सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी दूसरी दुनिया में पहुँच गया हूँ।

पापा अब मुस्कुराये और बोले- आज बहुत बेसब्र हो रही हो करने के लिए, रोज़ मैं कहता था तो तुम ही नाटक करती थी। अब देखा! जब मूड बन जाये और फिर कुछ करने को न मिले तो कैसा लगता है।
मम्मी बोली- मैं तो अंकित की वजह से मना करती थी कि लड़का बड़ा हो गया है, उसके बगल में रोज़ रोज़ करने में डर लगता है कि कही जाग न जाए।
मम्मी बोली- मैंने तो कहा था कि अकेले में किया करो अब!

पापा बोले- आज कितने दिनों बाद अकेले करेंगे, जैसे अंकित के होने से पहले करते थे।
पापा बोले आज तुम्हारे शरीर के हर अंग से वैसे ही खेलूंगा जैसे हमने अपनी सुहागरात में किया था। क्या तुम अपनी दूसरी सुहागरात मनाने के लिए तैयार हो?
मम्मी बोली- मैं तो कब से तैयार हूँ, तुम ही नखरे कर रहे हो।
इतना कह कर दोनों हँसने लगे। आप सभी मेरी माँ की चुदाई की कहानी पड़ रहे है |

मम्मी की चुदाई पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात – Hindi Sex Story

पापा मम्मी दोनों अब उठकर बिस्तर पर बैठ गए।
पहले मम्मी बाथरूम गई और उनके आने के बाद पापा भी बाथरूम चले गए।
मम्मी बाथरूम से निकल कर श्रृंगारदान के शीशे के सामने अपने बालों को संवारने लगी तभी पापा ने पीछे से आकर बाल संवार रही मम्मी को बाँहो में कस लिया। मम्मी के बाल बहुत लंबे हैं पापा का सिर मम्मी के बालों से होता हुआ उनकी गर्दन के पीछे जाकर रुक गया और उन्होंने मम्मी को चूम लिया। आप सभी मेरी माँ की चुदाई की कहानी पड़ रहे है |

कई बार मेरे सामने भी पापा ने मम्मी को इस तरह पीछे से बाहों में भरा था। जिस पर मम्मी झट से तुनक कर कह देती थी ‘अंकित के पापा छोड़ो न ! हटो परे ! अंकित देख रहा है!’
जिस पर पापा कहते थे ‘अंकित अभी बहुत छोटा है, वो क्या जाने कि हम लोग क्या कर रहे हैं।’

आज मम्मी पापा को कुछ नहीं कह रही थी जैसा अक्सर वो किया करती थी। शायद ऐसा इसलिए था क्योंकि आज मैं उनके साथ रूम शेयर नहीं कर रहा था, आज वो पापा की नाराजगी को पूरी तरह दूर करना चाहती थी।

पापा मम्मी को चूमने लगे कभी गालों पर, कभी गर्दन पर, कभी होंठों पर उन्होंने मम्मी के ऊपर जैसे चुम्बनों की बारिश कर दी, पापा का एक हाथ (पेटीकोट के ऊपर से ही) मम्मी के नितम्बों पर और दूसरा उनकी मुनिया पर चल रहा था।

मेरे पापा जब मूड में होते है तो मम्मी को सुरभि कह कर पुकारते हैं, पर मम्मी पापा का नाम नहीं लेती।
पापा बोले- सुरभि, तुम्हारे चूतड़ तो आज भी लाजवाब हैं, इनसे खेलने का बहुत मन कर करता है। मम्मी की आँखें मदहोशी के कारण बंद थी, वह ज्यादा कुछ नहीं बोल पाई, उनके मुंह से केवल इतना निकला- ए जी क्या सारा कुछ यहीं करोगे।
पापा बोले- सुरभि!
मम्मी- हुम्म?
पापा- बिस्तर पर चलें?
मम्मी- हुम्म!

पापा ने मम्मी को गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ले जा कर पटक दिया।
मम्मी अब बिस्तर पर सीधे लेट गई और पापा, मम्मी के थोड़ा ऊपर आ गए, उन्होंने मम्मी का सिर अपने हाथों में पकड़ लिया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए।

मम्मी ने भी पापा को अपनी बाँहों में कस लिया, पापा मम्मी एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे। इसी बीच पापा ने अपनी जीभ मम्मी के मुँह में डाल दिया।

मम्मी ने पापा की जुबान को अपने मुँह से उगल दिया और बोली- यह किस तरह से किस करने लगे हो आजकल? पूरी जीभ मेरे मुँह में ही डाल देते हो छीः !
पापा बोले- क्यों अच्छा नहीं लगता क्या?
मम्मी बोली- नहीं अच्छा तो लगता है पर कभी इस तरह किया नहीं न पहले, तो गन्दा लगता है।

पापा बोले- तुम भी न, बिल्कुल नासमझ की तरह बात कर रही हो। प्रेम करने में कुछ भी गलत या गन्दा नहीं होता, केवल जो भी करो अपने साथी की ख़ुशी के लिए करो, उसे प्यार और सिर्फ प्यार करो और अपने साथी को पूरी तरह संतुष्ट कर के उसे खुश कर दो
पापा बोले- मैं तुम्हें चूम रहा हूँ और तुम्हें अच्छा लग रहा है तो इसमें गन्दा क्या है?
पापा की बात मम्मी के समझ में आ गई और वो दोनों पुनः अपनी काम क्रीड़ा में लग गए।

आप सभी मेरी माँ की चुदाई की कहानी पड़ रहे है |

अब कभी पापा अपनी जीभ मम्मी के मुँह में डाल देते तो कभी मम्मी अपनी जीभ पापा के मुँह में डाल देती, वो दोनों उसे कुल्फी की तरह चूस रहे थे। शायद पापा ने यह चुम्बन अभी जल्दी इज़ाद किया था इसलिए मम्मी इस तरह से किश करने में थोड़ा झिझक रही थी और शरमा भी रही थी पर थोड़ी देर बाद उनकी झिझक एकदम गायब हो गई।

मम्मी की चुदाई  –  पापा कभी मम्मी के गालो को चूमते, तो कभी गर्दन को

मम्मी भी अब पीछे नहीं होना चाहती थी, उनके हाथ पापा के पीठ पर लगातार चल रहे थे। मम्मी के होंठ आज लगातार खूब मेहनत कर रहे थे, कभी वे पापा के गालों को चूमते और चूसते, तो कभी कंधों और गर्दन के बीच उतर आते, कभी कानों के पीछे, तो कभी ठुड्डी के नीचे।
मम्मी की कामोत्तेजना कितनी प्रखर होती जा रही थी। आप सभी मेरी माँ की चुदाई की कहानी पड़ रहे है |

पापा के होंठ, मम्मी के होंठों की तुलना में कुछ मोठे और कठोर थे इसलिए जब पापा के होंठ, मम्मी के कोमल गुलाबी होंठों को चूम रहे थे तो मुझे ऐसा लग रहता था मानो मम्मी के नाज़ुक नरम होंठ पापा के भारी कठोर होंठो के भार के नीचे दबे हुए हो और पापा के होंठो के नीचे पिस से रहे हों।

मम्मी के होंठ गुलाबी तो हैं ही पर आज पापा के बेतहाशा चूमने के कारण वो और भी लाल प्रतीत हो रहे थे जैसे गुलाब की कोमल लाल पंखुड़ियाँ हों और उन पर बिखरी मुँह की लार को देख कर ऐसा लग रहा था कि वो गुलाब के फूलों से बना शरबत हो जिसे पापा स्वाद ले ले कर पी रहे हों।

मुझे तो ऐसा लगा कि कहीं मम्मी के होंठ छिल न जाये।
सारे कमरे में मम्मी की चुदाई की पुच पुच की आवाज़ गूंज रही थी और रात का सन्नाटा होने के कारण माँ की चुदाई की आवाजें और भी साफ़ सुनाई पड़ रही थी।
जहाँ पापा मम्मी के गुलाबी अधरों का रस पान कर रहे थे, वहीं मम्मी पापा के मुँह का रस पी रही थी और रोमाँच के कारण उनके मुँह से केवल उम्म… उम्ह… उम्ह की सिसकारी रूपी आवाजें निकल रही थी।

अब पापा के हाथ मम्मी के ब्लाउज पर आ गए, पापा अपने हाथ मम्मी के उरोजों पर ब्लाउज के ऊपर से ही फिराने लगे।……………..

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