अनीता दीदी की चूत के प्रथम दर्शन – Hindi Sex Story

अनीता दीदी की चूत के प्रथम दर्शन – Hindi Sex Story

अनीता दीदी की चूत के प्रथम दर्शन - Hindi Sex Story

अनीता दीदी की चूत के प्रथम दर्शन – Hindi Sex Story : ठीक तरह याद नहीं, पर मैं शायद दसवीं कक्षा में रहा होऊंगा ! गर्मियों की छुटियाँ चल रही थी ! दिन भर घर पर ही रहना होता था ! और दुसरे कोई काम नहीं ! कहते हैं ना “खाली मन शैतान का घर” ठीक वैसा ही था ! इधर उधर घुमा करता था ! एक रोज ऐसे ही घूमते घूमते अपने मिटटी वाले घर के छत पर था ! छत तो चारो तरफ से बंद था लेकिन उसमे जगह जगह पर झरोखे थे जो कि आँगन में खुलते थे ! उन झरोखों से अपने आँगन का नजारा तो साफ़ दीखता ही था साथ ही साथ पड़ोस वाले आँगन का भी भरपूर नजारा मिलता था ! खूबसूरती की बात यह थी कि इस पड़ोस के घर में कोई अनजान लोग नहीं बल्कि अपने ही गोतिया के लोग रहते थे ! लाइक मेरे पापा के चचेरे भाई और उनका परिवार !

उनके परिवार में चार बेटियां और तिन बेटे थे ! हालाकिं वो काफी गरीब थे फिर भी दो बड़ी बेटियों की शादी कर चुके थे और तीसरी अनीता दीदी के लिए लड़के ढूंढने में लगे थे ! उस वक्त अनीता दीदी की जवानी उफ़ान पर थी ! उनके जवानी के दर्शन मैंने कई बार अपने दरवाजे पर खड़े हो कर किया था, तब जब वो अपने दरवाजे पर झाड़ू मारने आती थी ! झुक कर जब झाड़ू लगा रही होती थी तो क्या नजारा होता था यार ! मैं वर्णन नहीं कर सकता ! सूट के ऊपर के हिस्से से दोनों चुचियाँ मनो निकल के गिर पड़ेंगे !

दरअसल गरीबी की वजह से वो जैसी तैसी (काफी खुले गले वाली या पतले कपडे वाली या उनके साइज़ से छोटी) सूट पहन लेती थी ! खैर वो चाहे जो भी पहने थी बड़ी सेक्सी यार ! मैं इसी ताक में कि उनको नहाते हुए देखूं कई बार अपने छत से उनके आँगन में झांक लिया करता था ! और मुझे अब तक विश्वास नहीं होता कि पहले ही दिन मुझे उनके चूत दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो गया ! हुआ यूँ कि एक दिन ऐसे ही झाकते हुए मुझे लगा कि वो नहाने की तयारी में हैं ! उस वक्त वो अपने घर में शायद अकेली थी सो पूरी स्वछंदता से जो भी मन आ रहा था कर रही थी !

मैंने देखा कि उन्होंने पैजामा उतार रखी है और ऐसे ही सारा काम निपटाया (लाइक बर्तन धोना, झाड़ू मरना, कपडे धोना आदि) ! फिर जब नहाने बैठी तो पैंटी उतारा और बैठ कर अपने चूत को देखा ! बालों के जंगल से भरी चूत मेरे आँखों के बिलकुल सामने ही खुली थी ! न जाने क्यूँ मैं थर्र थर्र काँप रहा था, शायद किसी के आ जाने की डर की वजह से या फिर अनीता दीदी खुद ही मुझे ना देख लें, इस डर से ! जो भी हो मैं कुछ मिनट और रुक नहीं सका ! लेकिन चूत और चूची देखने का लालच किसे नहीं होता और यही लालच मुझे हर रोज उनके नहाने के टाइम पर छत पर खीच ले आती थी ! ये सिलसिला महीनों चला और हुश्न के कई रंग देखने को मिले !

एक बार तो गजब हुआ ! उस रोज भी घर पर वो अकेली थी ! हर रोज की तरह मुझे लगा आज फिर वो साया (पेटीकोट) पहन कर नहायेंगी जैसा कि गाँव की औरते नहाया करती हैं या फिर जैसे हर रोज वो नहाया करती थी ! लेकिन उन्होंने पैजामा तो पहले ही उतार रक्खा था, अब शमीज भी उतार दीं और सिर्फ काले रंग की ब्रा पैंटी में थीं ! उनकी उफनती जवानी अपने चरम पर थी, बड़ी बड़ी चूचियां फूली हुई चूत…. माँ कसम गजब दृश्य था यार ! उसी ब्रा पैंटी में उन्होंने नहाने का सारा कर्म किया !

क्या नजारा था यार मानो फिल्मों में कोई हेरोइन झरने के निचे नहा रही हो ! हैण्डपंप से बाल्टी में पानी भर कर फिर खड़े खड़े उसे अपने देह पर उझलना ! पानी से भिगी हुई मदमस्त हसीना यार क्या कहने थे ! ऐसा अनुभव शायद अपनी बीबी भी ना दे ! और जब कपडे बदलने की बारी आई तो उन्होंने ब्रा और पैंटी भी उतार दिया ! अब आप खुद ही सोचो….एक अनछुई नंगी लड़की, भींगी हुई वो भी जवानी के चरम पर ! खैर पुरे नंगी होकर कपडे बदलने की उनकी यह आदत बहुत पुरानी थी ! जब घर में कोई भी नहीं होता था तब तो कोई बात नहीं लेकिन घर में जब और भी लोग होते थे तो पेटीकोट पहनकर नहाने के बाद कपडे बदलने एक कोने में चली जाती थी और बोलती थी इधर कोई मत आना, मैं कपडा बदल रही हूँ ! फिर पूरी तरह नंगी हो कर टॉवल से सारा बदन पोछती थी और फिर पैंटी और ब्रा पहन कर सूट पहनती थी !

खैर काफ़ी दिनों तक मैंने इस चीज को एन्जॉय किया, उस वक्त कैमरा वाले मोबाइल फ़ोन इतने पोपुलर नहीं थे वरना उस हसीं पल का भागिदार मैं आपको भी जरुर बनता ! कुछ दिनों बाद वही हुआ, आखिर चोरी कब तक छिपती ! एक रोज कपडे बदलते वक्त वो ऐसे ही अपने नजरें इधर उधर दौड़ा रहीं थी और अचानक से उनको एक जोड़ी आँखे अपनी ओर तकती दिख गयी ! और वो पूछ बैठी कौन है… कौन है… ! वो जोड़ी आँखें मेरी ही थीं और मैं नजरें चुरा कर भाग गया और डर गया कि बात तो अब फ़ैल जाएगी !

मैं निश्चित तो नहीं लेकिन कह सकता हूँ कि वो उस समय वो मुझे पहचान गयी होंगी !  लेकिन बात किसी भी माध्यम से मेरे तक फिर से नहीं आई शायद वो अपनी इज्जत की वजह से इसे खुद तक ही दबा दीं ! जो भी हो मेरा ताक झांक करना उस दिन के बाद से छुट गया ! कुछ दिनों बाद उनकी शादी भी हो गयी लेकिन गरीब परिवार में शादी होने की वजह से वो अपने आप को मेन्टेन नहीं कर पायीं और पिचक गयी, जैसे किसी ने चूस लिया हो, शायद गरीबी ने ! हालाकिं जब भी दीदी घर आतीं हैं परनाम पाती और हाल चाल होता है ! मैं सोचता हूँ कभी उनसे कह दूंगा “मैं ही छुपकर आपको नहाते हुए देखा करता था, क्या गजब की फिगर थी आपकी उस समय और अब देखो क्या हो गयीं हैं आप ? ” देखें कब वो शुभ दिन आता है !