मेरी अम्मी कुत्ते से चुदवाती है – Images and Hindi Sex Story

मेरी अम्मी कुत्ते से चुदवाती है – Images and Hindi Sex Story

मेरी अम्मी कुत्ते से चुदवाती है – Images and Hindi Sex Story : हेलो दोस्तों, आज जो जानवर के साथ सेक्स कहानियों बताने जा रही हु वो मेरी अम्मी की कुत्ते से चुदाई की कहानी हैं।आज मैं बताउंगी कैसे अम्मी ने कुत्ते से चुदवाया, कैसे कुत्ते ने अम्मी को चोदा, कैसे अम्मी ने कुत्ता के लण्ड से चुदवाई , कुत्ते ने अम्मी की चूत चाट चाटकर चोदा, कुत्ते ने अम्मी की गांड मारा ।मेरा नाम शाज़िया मिर्ज़ा है और मैं सैंतीस साल की मॉडर्न ख्यालों वाली तालीम-याफता तलाकशुदा औरत हूँ। एक प्राइवेट बैंक में जनरल मैनेजर हूँ। अच्छी-खासी तनख्वाह है जिसकी वजह से मेरा लाइफ-स्टाइल भी काफी हाई-क्लास है।

मैं नासिक में ही एम-कॉम कर रही थी और फाइनल ईयर शुरू होने के पहले दो महीने ट्रेनिंग के लिये मुम्बई आयी थी। मेरी अम्मी का नाम सईदा है और वो करीब 47 साल की बहुत ही खूबसूरत और खुशदिल औरत है। मैं उन्हें ‘सईदा अम्मी’ कह कर बुलाती थी। उनके पास एक बड़ा सा काले रंग का डोबरमैन कुत्ता भी था जिसे वो ‘जानू’ कह कर बुलाती थीं। ट्रेनिंग के लिये मुझे नारीमन पॉइन्ट के करीब जाना पड़ता था इसलिये मैं सुबह ही निकल जाती थी और शाम को लौटती थी। शाम को मैं खाना बनाने में सईदा अम्मी की मदद करती और उनके कुत्ते जानू के साथ खेलती और टीवी देखती थी।

उनके शानदार फ्लैट में तीन बेडरूम थे इसलिये मैं और सईदा अम्मी अलग-अलग कमरे में सोती थीं। एक-दो हफ्तों में मैं सईदा अम्मी से काफी वाकिफ हो गयी। सईदा अम्मी काफी खुले और आज़ाद ख्यालों वाली थीं। हर रोज़ रात को खाने से पहले टीवी देखते हुए शराब के एक-दो पैग पीती थीं। मुझसे भी बॉय-फ्रेंड्स वगैरह के बारे में पूछती और अपने कॉलेज के दिनों में इश्कबाज़ी के किस्से और शादी से पहले गैर-मर्दों से अपनी चुदाई के किस्से भी मुझे सुनाती। लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा

एक दिन शाम को मैं घर आयी तो सईदा अम्मी ने मुझे बताया कि उन्हें एक पार्टी में जाना है और उन्हें लौटने में रात को काफी देर हो जायेगी। उन्होंने मुझे हिदायत दी कि मैं दरवाजा ठीक से अंदर से लॉक कर लूँ और खाना खा कर सो जाऊँ और उनके लौटने का इंतज़ार ना करूँ। उनके पास बाहर से दरवाजा खोलने के लिये दूसरी चाबी थी। मैं खाना खा कर टीवी देखने लगी और टीवी देखते-देखते वहीं सोफे पर ही सो गयी। करीब आधी रात के वक्त सईदा अम्मी वापस लौटीं तो मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि सईदा अम्मी काफी नशे में थीं।

इससे पहले मैंने उन्हें कभी इतने नशे में नहीं देखा था। उन्होंने ऊँची हील के सैन्डल पहने हुए थे और नशे में उनके कदम ज़रा से लड़खड़ा भी रहे थे। “काफी मज़ा आया पार्टी में… आज थोड़ी ज्यादा ही पी ली”, सईदा अम्मी मुस्कुराते हुए बोलीं। “तू फिक्र ना कर और अंदर जा कर सो जा…. सुबह जाना भी है तुझे…. मैं थोड़ी देर टीवी देखुँगी… मेरी सहेली ने एक इंगलिश मूवी की कैसेट दी है!” (उस ज़माने में सी-डी या डी-वी-डी प्लेयर नहीं थे) लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा उन्हें ड्राइंग रूम में छोड़ कर मैं अपने बेडरूम में जा कर सो गयी।

सोते हुए मुझे करीब एक घंटा हुआ होगा जब सिसकरियों की आवाज़ से मेरी नींद खुल गयी। हालाँकि मुझे चुदाई का कोई तजुर्बा नहीं था लेकिन मैं बा‍ईस साल की थी और सैक्सी किताबों और ब्लू-फिल्मों की बदौलत उन सिसकरियों का मतलब बखूबी समझती थी।

लेकिन मुझे ताज्जुब इस बात का था कि सईदा अम्मी के साथ आखिर था कौन। मैं बिस्तर से उठी और दरवाजे के पास जाकर बिना आवाज़ किये धीरे से थोड़ा दरवाजा खोला। जब मैंने ड्राइंग रूम में झाँक कर देखा तो मुझे अपनी नज़रों पर यकीन नहीं हुआ।सईदा अम्मी ने जो सलवार-कमीज़ पहले पहन रखी थी वो अब सोफे पर एक तरफ पड़ी थी और उनके जिस्म पर इस वक्त सिर्फ एक छोटी सी ब्रा और उनके पैरों में वही ऊँची पेंसिल हील वाले सैन्डल मौजूद थे।

सबसे हैरत की बात ये थी कि सईदा अम्मी फर्श पर अपने हाथ और घुटनों के बल झुकी हुई थीं और उनका कुत्ता जानू पीछे से उनकी कमर के दोनों तरफ अपनी अगली टाँगें जकड़े हुए उनके चूतड़ों पर चढ़ा हुआ था और आहिस्ता-आहिस्ता झटके मार रहा था। सईदा अम्मी की पीठ पर पुरी तरह से झुका हुआ वो कुत्ता सामने देख रहा था और उसके कुल्हे एक लय में सईदा अम्मी के चूतड़ों पर आगे-पीछे ठुमक रहे थे। सईदा अम्मी अपनी आँखें मूंदे सिसक रही थी करीब दो मिनट तक मैं हैरत-अंगेज़ आँखें फाड़े देखती रही और उसके बाद मेरे होशो हवास बहाल हुए।

साफ ज़ाहिर था कि उस डोबरमैन कुत्ते के लन्ड से अपनी चूत चुदवाते हुए सईदा अम्मी दुनिया जहान से बिल्कुल बेखबर थीं। फिर अचानक जानू ज़ोर से झटका मारते हुए सईदा अम्मी की कमर पर और आगे झुक गया और उसके कुल्हे हैरत-अंगेज़ रफ्तार से आगे-पीछे चोदने लगे।

जानू के पिछले पैर ज़मीन पर फिसलने लगे थे लेकिन उसने चोदने की रफ्तार ज़रा भी कम नहीं की। “आऊ…! आआऊ…! ऊऊऊहहह…! ऊँआआऊ!” सईदा अम्मी ज़ोर से कराहने लगीं और अपना एक हाथ नीचे से अपनी टाँगों के करीब ले गयीं। “ओहह नहींऽऽ! आआऊऊऽऽऽ! ऊँऽऽ…! मर गयीऽऽऽ!” कुत्ता जो भी कर रहा था उसकी हरकत से सईदा अम्मी को तकलीफ हो रही थी। उनकी मुठ्ठियाँ फर्श के मुकाबिल जकड़ कर बंद और खुल रही थीं। उनका खुला हुआ मुँह दर्द से बिगड़ा हुआ था। “ऊँहहऽऽ आआईईऽऽऽ! मादरचोद…. जानू! आज फिर तूने अपनी ज़ालिम गाँठ अंदर ठूँस दी!” कराहते हुए सईदा अम्मी फर्श पर ज़रा सा आगे की ओर खिसकीं तो कुत्ता भी उनके साथ चिपका हुआ खिंच गया लेकिन उनसे अलग नहीं हुआ।

कुत्ते ने उसी तेज़ रफ्तार से चोदना ज़ारी रखा। मुझे साफ ज़ाहिर था कि सईदा अम्मी तकलीफ में थीं। उनके खिसकने से अब वो दोनों साइड से मेरी नज़रों के सामने थे और मैं उनकी तकलीफदेह हालत साफ-साफ देख पा रही थी। कुत्ते के लन्ड की जड़ में गेंड जैसी फूली हुई गाँठ अम्मी की चूत में पैंठ कर फंस गयी थी और दोनों एक दूसरे से वैसे ही जुड़ गये थे जैसे कुत्ता और कुत्तिया अक्सर आपस में चिपक कर जुड़ जाते हैं।“ऊँऊँऽऽ जानू…!” सईदा अम्मी कराही पर फिर उन्होंने जूझना बंद कर दिया और अपनी गाँड हवा में कुत्ते के मुकाबिल और ऊपर ठेल कर अपना सिर फर्श पर टिका दिया।

जानू अभी भी ज़ोर-ज़ोर से आगे पीछे चोदना ज़ारी रखे हुए था। सईदा अम्मी अब पुर-सकून हो गयी थीं तो कुत्ता बहुत तेज़ रफ्तार से छोटे-छोटे झटके मार कर चोद रहा था। जानू के कुल्हे लरजते और काँपते नामुदार हो रहे थे। मुझे फिर से सईदा अम्मी की सिसकियाँ और कराहें सुनाई दीं लेकिन अब ऐसा लग रहा था कि एक बार फिर हालात उनके काबू में थे और अब उन्हें मज़ा आ रहा था। लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा मुझे भी एहसास नहीं हुआ कि मैंने कब अपनी नाइटी उठा कर पैंटी में हाथ डाल कर अपनी चूत सहलाना शुरू कर दिया था।

मैंने देखा कि सईदा अम्मी के ऊपर झुके हुए जानू ने अचानक अपने कुल्हे चलाना बंद कर दिये और उसी तरह बे-हरकत खड़ा हो गया। सईदा अम्मी से कस कर चिपका हुआ कुत्ता ऐंठ कर काँप रहा था। उसकी आँखें भी शीशे की तरह जम गयी थीं। फिर उसने आहिस्ता-आहिस्ता अपने कुल्हे चला कर चोदना शुरू किया लेकिन एक-दो मिनट में ही फिर से बिल्कुल रुक गया। उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि कुत्ते ने सईदा अम्मी की चूत में अपना रस छोड़ दिया है। जानू तो निबट गया था लेकिन जब उसने सईदा अम्मी से अलग होने की कोशिश की तो ज़ाहिर हो गया कि वो और सईदा अम्मी अभी भी एक दूसरे से चिपक कर जुड़े हुए थे। “नहीं… जानू…! प्लीज़! रुक! जानु रुक!” सईदा अम्मी ने उसे हुक्म दिया।

जानू भी फरमाबरदार था और सईदा अम्मी की कमर से उतरने की और कोशिश नहीं की और मुँह खोलकर अपनी जीभ बाहर निकाले हाँफता हुआ उनकी कमर पर चढ़ा रहा। सईदा अम्मी भी हाँफ रही थीं और गहरी साँसें ले रही थीं। “मेरा अच्छा बच्चा जानू!” वो प्यार से बोलीं, “नाइस बॉय! बस ऐसे ही रुके रहो!” जानू सईदा अम्मी की पीठ पर निढाल सा हो गया और उनकी गर्दन और बालों को चाटने लगा। लेखिका: शाज़िया मिर्ज़ा सईदा अम्मी बहुत ही एहतियात से आहिस्ता से खिसकीं ताकि उनकी चूत में फंसी कुत्ते के लन्ड की गाँठ पर खिचाव ना पड़े। ऐसे ही कुलबुलाते हुए सईदा अम्मी थोड़ा और इधर उधर खिसकीं और अपना दाहिना हाथ अपनी टाँगों के बीच में ले जा कर अपनी चूत और कुत्ते के लन्ड को टटोला।

फिर सईदा अम्मी अपनी चूत सहलाने लगीं। बहुत ही चोदू नज़ारा था। दो-तीन मिनट में ही सईदा अम्मी पूरे जोश में अपनी चूत अपने हाथ और उंगलियों से ज़ोर-ज़ोर से सहला रही थीं जबकि उनका आशिक-कुत्ता जानू उनकी कमर पर सवार था और उसका लन्ड उनकी चूत में फंसा हुआ था।इधर मैं भी अपनी चूत ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी। मुझे ये देख कर हैरत हुई कि कुत्ते ने फिर आहिस्ता-आहिस्ता अपने कुल्हे चलाने शुरू कर दिये। सईदा अम्मी के हिलने डुलने और लन्ड से भरी चूत सहलाने से शायद जानू का लन्ड फिर से उकसा गया था। “नहीं जानू! फिर से नहीं! रुक..!”

सईदा अम्मी कराहते हुए चींखी लेकिन वो खुद उस वक्त बहुत मस्ती में थीं और झड़ने के करीब थीं। कुत्ते ने ज़ोर-ज़ोर से अपने लण्ड अम्मी की चूत में आगे-पीछे चलाने लगा था और सईदा अम्मी भी अपने चूतड़ हिलाती हुई पूरे जोश में अपनी चूत रगड़ने लगीं। “आआआईईईऽऽ! आआऽऽऽ ऊँआआआईईईऽऽऽ!” सईदा अम्मी की चूत में झड़ने की आगाज़ी लहरें फूटने लगीं तो वो मस्ती में कराहने लगीं। कुत्ते का लन्ड अम्मी की चूत में वैसे ही कायम था और दोनों ने अपनी-अपनी मस्ती में डूबे हुए अपनी अलग-अलग ताल पकड़ ली। “ऊँहह आँहह ऊँऽऽ आँईईऽऽ!” सईदा अम्मी ज़ोर-ज़ोर से कराह रही थीं। उनका चमकीला जिस्म ऐंठ गया था। एक हाथ अपनी चूत सहलाने में मसरूफ होने की वजह से वो एक ही हाथ के सहारे झुकी हुई थीं और उनके तने हुए मसल लरज़ते हुए अलग ही नज़र आ रहे थे।

वो रुक-रुक कर लंबी साँसें लेती तो फुफकारने जैसी आवाज़ निकलती। कुत्ते ने बेहद जोश में अम्मी की चूत में लन्ड पेल रहा था और सईदा अम्मी भी वैसे ही डटी रही। सईदा अम्मी की चूत में झड़ने की आखिरी लहरें दौड़ने लगीं तो उनकी ताल अहिस्ता हो गयी और उन्होंने अपना हाथ चूत से हटा लिया। एक बार फिर अपने दोनों हाथों और घुटनों के सहारे झुकी हुई स‍इदा अम्मी अपनी कमर पर कुत्ते को सम्भालने लगीं।

कुत्ता भी वैसे ही झड़ने लगा जैसे कि पिछली बार झड़ा था। बस इतना फर्क था कि इस बार झड़ते हुए वो दो -तीन बार रिरियाया। “ओहह जानू! आँहह जानू!” स‍इदा अम्मी सिसकीं, “ऊँह! आँह! उँहह.. ऊँह!” सईदा अम्मी की सिसकियों और कुत्ते की रिरियाहट से साफ ज़ाहिर था कि कुत्ते के लन्ड से गरम शीरा सईदा अम्मी की चूत में बह रहा था। सईदा अम्मी उस वक्त जानू की कुत्तिया बनी हुई थी। कईं सारे हल्के-हल्के झटके मारते हुए जानू का झड़ना बंद हुआ और फिर से वो सईदा अम्मी की कमर पर निढाल सा हो गया। “मादरचोद जानू! तूने फिर से चोद दिया! मेरी चूत दर्द कर रही है!” सईदा अम्मी सिसकते हुए बोली, “बस अब ऐसे ही रुके रहो!” जानू को तो जैसे पहले से ही स‍इदा अम्मी के इस हुक्म की उम्मीद थी। वो पहले से ही बिना हिले-डुले उनकी पीठ पर झुका हुआ था। दोनों थके हुए और ज़ाहिरन मुतमाइन थे। स‍इदा अम्मी ने अपना सिर फर्श पर टिका दिया लेकिन अपनी गाँड कुत्ते के मुकाबिल उठी रहने दी जिसका लन्ड इस वक्त अपनी कुत्तिया की चूत में कस कर बंधा हुआ था।