मुखमैथुन के दौरान वो मेरे मुंह पर पादी, बड़ी बुरी तरह से पादी
मुखमैथुन के दौरान वो मेरे मुंह पर पादी, बड़ी बुरी तरह से पादी
फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे!
मुझे ये किताब पढने का मौका कभी नहीं मिला.
जिन्हों ने ये किताब पढ़ी थी वो सब का कहना था कि ये एक सस्ती सेक्स कहानी के सिवा और कुछ भी नहीं है,
और इस “सस्ती सेक्स कहानी” ने ही मेरी दिलचस्पी बढ़ा दी.
इमानदारी से कहूँ तो मेरे अन्दर जो एक मैं हूँ उसने कहा: – “शर्म आनी चाहिए, साले चूतिये चोदु ! चोदने की इंटरनेशनल बेस्ट सेलर तुमने अभी तक नहीं पढ़ी?
मोल में टहल रहा था. एक बुक स्टोर के दरवाज़े के करीब ये किताब सजी हुई थी. मैंने ये मौका नहीं गँवाया और खरीद ली.
रविवार था – शनिवार रात काफी देर तक गोरी को चोदता रहा था – आज खाना बनाने का मूड नहीं था – कुछ हल्का सा खाने की इच्छा थी.
इस एरिया में एक ही रेस्टोरंट था – ओलिव गार्डन…
रेस्टोरेंट के अन्दर…
किताब को हथेली में दबाये – दरवाजे के पास खड़े रहकर – मैंने चारों तरफ नज़र दौड़ते हुए रेस्टोरंट का जायजा लिया. रविवार होने की वजह से काफी भीड़ थी, बैठने की जगह पाना मुश्किल सा लग रहा था. हालाकि दूर बायें कौने में दो कुर्सीवाला एक टेबल नज़र आया जहाँ एक कुर्सी पर एक जवान-काली लड़की खाना खा रही थी और दूसरी कुर्सी खाली थी.
पता नहीं क्यों कल रात की चोदने की थकान के बाद भी जवान-काली को चोदने के ख्याल आते आते आ ही गया. वैसे जब भी मैंने किसी भी काली लड़कियों को चोदने की कोशिश की है, कालियों के रवैयों से कुछ न कुछ पंगा हुआ है. हालाकि ये जरूरी नहीं कि ऐसा पंगा हर वक़्त हो ही… वैसे, वो काली लड़की दूर से तो मेरी पसंद की नहीं लग रही थी – करीब जाकर देखूंगा तब पता चलेगा कि कुआं कितने पानी में है – फिरभी – जैसे मैंने हमेशा कहा है – पानी चाहे कितना भी गन्दा हो, आग बुझाने के काम तो जरूर आता है.
मैं आगे बढ़ा – टेबल के करीब पहुंचा – उसका अभिवादन करते हुए पूछा: – “हाय… आप कैसी है?”
अपने हाथ में थामे बर्गर का एक बाईट लेकर चबाते हुए मुझे ऊपर से नीचे तक ऐसे देखा जैसे वो किसी काम के लिए मुझे किराये पर लेना चाहती हो और मेरा मुआयना कर रही हो.
उसके जवाब का इंतज़ार किये बिना मैंने आगे पूछा: – “क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ?”
अब शायद उसने मेरा मुआयना कर लिया था – अपने खाने को गाय की तरह चबाते हुए उसने सपाट स्वर में कहा: – “जरूर…”
वैसे उसकी प्रतिक्रिया से मैं ये समझ नहीं पाया कि मेरा आना उसे पसंद आया कि नहीं!
वैसे क्या जरूरत है ये जानने की कि मेरा आना उसे पसंद आया कि नहीं? – वैसे ये लड़की नामकी चीज़ किसीकी समझ में आई है क्या?
फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे को टेबल पर रखते हुए मैं उसके सामने की कुर्सी पर बैठा.
आधे से ज्यादा टेबल बर्गर, फ्राइज, चिकन लेग्स, औरे कोक के गिलास जैसे जंक फ़ूड से भरा हुआ था.
जब उसने बर्गर का दूसरा बाईट लिया तब पीला मस्टर्ड सॉस उसके होंठों के किनारों से रिसने लगा.
इतना भयानक जंक फ़ूड खाने के बाद भी वो अपने आपको इतना पतला कैसे रख पाती होगी?
उसने पेपर नैपकिन से पीला सॉस साफ़ किया. जिस बेतरतीबी से वो खा रही उससे तो ऐसा लग रहा था की वो कोई जाहिल किस्म की लड़की है और उसका उटपटांग सा पहनावा भी इस बात की पूर्ती कर रहा था…
इतने में वेटर आया.
मैंने ओलिव आयल, हनी, निम्बू के रस के ड्रेसिंग के साथ ग्रिल चिकन सलाद और पानी की बोतल का आर्डर दिया.
मेरा आर्डर लेकर वेटर चला गया.
आप जानते है – मैं ऐसा आदमी नहीं हूँ जो एक चोदने लायक लड़की के सामने चुपचाप बैठा रहूँ.
“अगर आपको ऐतराज़ ना हो…” वह विचित्र किरदार लगी, इसलिए मैंने इजाज़त मांगी: -“मुझे एक सवाल पूछना है आपको…”
उसने कोक इसतरह से पिया जैसे खाने को मुंह में से पेट में धक्का मार रही हो: -“ पूछो…”
“इस तरह का फैटी खाना खाने के बाद आप अपने आपको इतना पतला कैसे रख पाती है? ”
“मुझे अच्छा लगा आपने ये ध्यान दिया…” उसने बटाटा की कत्रियाँ चबाते हुए कहा: -“मैं सिर्फ रविवार को ही इस तरह के खाने का आनंद उठाती हूँ…बाकी के दिनों में वो खाती हूँ जो अभी अभी आपने आर्डर किया…”
“अच्छा…?” मैं कुछ ज्यादा ही उत्सुक था: – “वो क्यों?”
“मुझे जंक फ़ूड अच्छा लगता है… मगर हररोज़ जंक फ़ूड खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है… इसलिए मेरी जीभ के स्वाद को तृप्त करने के लिए मैं सिर्फ रविवार को ही इस तरह का खाना खाती हूँ…” उसने कहा और वो मुश्कुराई, आखिर में!
“क्या बात है… बहुत अच्छा…” मुझे आश्चर्य हुआ, जिस तरह से वो अपने खाने को, स्वाद को, और स्वास्थ्य को मैनेज कर रही थी.
जिस लापरवाही से वो खाना खा रही थी – मैं जरा भी प्रभावित नहीं हुआ मगर उसके ड्रेस के आगे के कुछ ज्यादा ही खुले हिस्से से झांकते हुए उसके नर्म बूब्स से काफी प्रभावित हुआ.
सच बताऊँ उसके छोटे छोटे नर्म बूब्स देखके कल की थकान के बाद भी उसको चोदने का बड़ा ही मन हो गया. उसकी एक ही वजह थी – उसकी कामुकता में एक कच्चापन सा था – कुदरती जंगलीपन सा!
उसने टेबल पर पड़ी किताब की ओर देखा.
मैंने पूछ लिया: -“तुमने ये किताब पढ़ी है?”
“हाँ, तीन बार …”
“तीन बार? किताबें पढने का काफी शौक लगता है. वैसे कैसी लगी किताब ?” मैं रिव्यु जानने इसलिए उत्सुक हो गया क्योंकि इसके रिव्यु में जरूर कोई अतरंगी बात जानने को मिलेगी.
“किताब अच्छी है…” उसने इतनी सहजता से कहा जैसे कि वो किताबों की बहुत बड़ी और कुशल आलोचक है: – “लेखक ने ये जरूर बताया की एक औरत को किस तरह से चोदना चाहिए ताकि वो बिस्तर में संतुष्ट हो जाए… मगर ये कहीं भी नहीं बताया कि किताब के हीरो क्रिस्चियन ग्रे का लौड़ा कितना बड़ा था?”
ओह माय गॉड, ये तो बड़ा लौड़ा ढूंढ रही है… वाकई, इसको तो चोदना ही पड़ेगा…
मेरे पतलून में कुछ हलचल होने लगी. कल रात कुछ ज्यादा चोदने के बाद भी मेरे थके हुए लौड़े में एक जान-सी आ गई.
और उसके बाद उसने मुझे किताब का ऐसा सेक्सी रिव्यु दिया जो मैंने पूछा ही नहीं था. वो रिव्यु देती गई और पतलून में मेरा लौड़ा टाइट होता चला गया.
“क्या लौड़े की साइज़ से तुम्हे फर्क पड़ता है?” मैंने सिर्फ उसे चोदने के उद्देश्य से पूछा .
“कुछ ख़ास नहीं…”उसने लापरवाही से कहा: – “वैसे मेरी चूत को फर्क नहीं पड़ता, मगर मेरे मुंह को फर्क पड़ता है…”
अच्छा… मुखमैथुन की दीवानी… चूत चुदवाने से ज्यादा मुंह चुदवाने में मज़ा आती है इसको……
“अच्छा तो तुम्हे ओरल सेक्स ज्यादा पसंद है…”
“मैं ओरल के लिए पागल हूँ…” उसने अपने होंठों से ओर्गाझम का O बनाया.
“मुझे भी चूत खाना बहुत अच्छा लगता है…”
“क्या बात है…” उसने खुश होते हुए कहा फिर उत्सुकता से पूछा: – “वैसे तुम्हारा लौड़ा कितना बड़ा है?”
मेरी गोली निशाने पर लगी थी. बस, मुझे यही चाहिए था.
उसकी आँखों में झांकते हुए, एक बड़ी मुश्कुराहट के साथ मैंने कहा: -“मैं अपने बारे में बड़ी बातें नहीं करता… मेरा लौड़ा कितना बड़ा है, ये जानने के लिए तुम्हें मेरा लौड़ा देखना पड़ेगा…“
मेरी आँखों में झांकते हुए उसने शरारती ढंग से कहा: – “तेरी बन्दुक देखने के लिए में बेताब हूँ…”
आधे घंटे के बाद….
जैसे ही होटल के कमरे में प्रवेश किया, हम दोनों ने एक दुसरे के कपडे बड़ी ही बेतरतीब से उतारे.
मैं नंगा उसके सामने था – मेरा लौड़ा उसकी आँखों के सामने टाइट होकर खड़ा था, जो थोडा टेडा था, शायद हस्तमैथुन से हुआ था!
वो जब अपने बालों का जुड़ा बांधते हुए भूखी नज़रों से मेरे लौड़े को देख रही थी, तब मैंने उसके नंगे जिस्म को सर से लेकर पाँव तक देखा. उसका पतला जिस्म इतना सेक्सी था कि मेरा लोखंड की तरह कड़क लौड़ा दिल की तरह धड़कने लगा.
आश्चर्यचकित होते हुए, अपने मुंह को अपने हथेलियों से ढकते हुए, वो मेरे धड़कते हुए लौड़े को आँखे फाड़ फाड़ के देख रही थी.
“माय गॉड…” मंत्रमुग्ध होकर वो मेरे करीब आई, थोडा सा झुकी, ज़मीन पर अपने घुटनों के बल बैठी, मेरे लौड़े को हाथ में लिया, पागल की तरह चारों तरफ देखा – खिलोने की तरह खेला, और अफ्रीकन लहजे में कहा: – “मा गॉड… ये वाकई में असली हॉट डॉग है… टेस्टी होगा… मेरी तो भूख बढ़ गई है… ”
ये इंसान भी बड़ा अजीब है… इन्सानों की फितरतें भी बड़ी अजीब है… खुश होने की वजहें भी अजीब है… एक मैं हूँ जो ख़ूबसूरत लड़की को बिस्तर में लाकर खुश होता हूँ और एक ये ख़ूबसूरत लड़की है जो मेरे बड़े लौड़े को देखकर खुश हो रही है…
फिर…
उसने मेरे लौड़े को चूमा, अपनी जीभ ऊपर के हिस्से पर गोल गोल घुमाई, अपने मुंह में डाला, लोलीपोप की तरह चूसा, और फिर अपने सर को आगे पीछे करती हुई पागल की तरह मुंह के अन्दर बहार – अन्दर बाहर करने लगी… जैसे कि मेरा लौड़ा कोई स्वादिष्ट कुल्फी हो…
कुछ देर बाद – लौड़े को अपने मुंह के अन्दर पकडे हुए और मेरे कूल्हों को अपनी बाहों में भरते हुए – उसने मुझे धकेलते हुए बिस्तर पर लेटा दिया. मेरे लौड़े को मुंह में ही रखे हुए वो भी मेरे करीब लेट गयी. मेरा लौड़ा अब भी उसके मुंह में था और वो उसे चूस रही थी. कुछ पलों के बाद, उसने अपने आपको पलटते हुए अपनी चूत को मेरे मुंह के सामने धर दिया. मैंने उसके कूल्हों को अपनी बाहों में भरते हुए अपने चेहरे को उसकी दो टांगों के बीच में छुपा दिया.
थोड़े से बालों के साथ, उसकी चूत ना ही खुशबूदार थी और ना ही बदबूदार! मैंने अपने मुंह से उसकी पूरी चूत को ढक दिया, जीभ को चूत के अन्दर गहराई तक डाल दिया, और गोल गोल घुमाने लगा.
मेरी दो टांगो के बीच में…
मैं अपने लौड़े पर उसके मुंह की गरमाहट महसूस कर रहा था. उसकी जीभ सही वक़्त पर, सही तरह से, और सही जगह घूम रही थी. उसे बहुत अच्छी तरह पता था कि लौड़े को कब कितनी गहराई तक ले जाना चाहिए और कैसे दबाना चाहिए. ऐसा लगा कि वो ब्लोजोब के कार्य में काफी एक्सपर्ट थी.
मेरी जीभ उसकी CLIT पर काम कर रही थी – छूना, घुमाना, थपथपाना, और रगड़ना. उत्तेजना में वो कांपने लगती थी. मैं उसके जिस्म का कंपकंपाना महसूस कर रहा था और उत्तेजना की कराहें उसके नाक से सुन रहा था क्योंकि उसका मुंह में मेरा लौड़ा भरा हुआ था.
ऐसा लग रहा था – बड़ी मौज के साथ मेरे लौड़े का आनंद उठा रही थी.
बिस्तर पर – युद्ध कुछ तूफानी सा होते जा रहा था और उत्तेजना राकेट की तरह तेज़ होती जा रही थी.
और उस वक़्त…
बूम..
एक धमाका हुआ…
एक धमाकेदार धमाका हुआ…
एक बदबूदार धमाकेदार धमाका हुआ…
वो पादी…
वो मेरे मुंह पर पादी…
वो बराबर मेरे मुंह पर पादी…
मुझे कुछ समझ में आये उससे पहले गन्दी बदबू के झोंके मेरे नथुनों में घुसे, उबकाई आ गई, और मेरा हाथ मेरे मुंह पर आ गया. बड़ी मुश्किल से मैंने उल्टी को रोका.
उसने अपने आप को जैसे खींच लिया. मेरे लौड़े को अपने मुंह से निकालकर वो बिस्तर पर उठ बैठी.
हाथ से अपने नाक को और मुंह को ढंकते हुए, अपनी उल्टी रोकते हुए, मैं भी बिस्तर पर उठ बैठा, और उसकी तरफ देखा.
उसकी नज़रें शर्म से झुकी हुई थी. नज़रें मिलाना उसके लिए मुश्किल सा लग रहा था.
“सोरी… मैं संभाल नहीं पाई…” उसने नज़रें मिलाये बिना ही शर्मिंदगी भरे स्वर में कहा.
मुझे ये समाज में नहीं आया – मुझे क्या करना चाहिए? मुझे क्या प्रतिक्रिया देनी चाहिए? मुझे उसके साथ किस तरह से बात करनी चाहिए? मैं अपना हाथ अपने नाक से हटा नहीं पा रहा था क्योंकि पूरा कमरा सड़ी हुई मछली की बदबू से भरा हुआ था.
कुछ पलों के लिए शांति छाई रही.
अचानक – नंगी – वो बिस्तर से नीचे उतारी – झुककर फ्लोर पर इधर उधर बिखरे अपने कपड़ों को उठाती हुई बाथरूम में चली गई.
ये मेरे साथ क्या हो गया? एक लड़की बड़ी गन्दी तरह से मेरे मुंह पे पादी! मैं जानता हूँ – पादना कुदरती है. लेकिन लोग जब भी पादते है सोच समझकर पादते है… वो रोक सकती थी… कोई बहाना बनाकर बाथरूम में जाकर पाद सकती थी.. मेरे मुंह पर पादना क्या जरूरी था? और वो भी उसकी चूत चाटते वक़्त! मुखमैथुन के दौरान पादना … वाकई उससे ज्यादा मुझे शर्म आ रही थी, और वो भी अपने आप पर!
ये मुखमैथुन के दौरान पादना – आप My name is Johny पर पढ़ रहे है.
कुछ मिनटों के बाद…
बाथरूम का दरवाज़ा खुला.
वो पहले की तरह कपडे पहनकर बाहर आई – एक पल के लिए रुकी – एक पल के लिए नज़रें मिलाके उसने कहा: – “एक बार फिर से सॉरी… मैंने सोचा था उससे कुछ ज्यादा ही बद्तर हो गया…”
मैं तो प्रतिक्रिया देने की समझ जैसे खो चूका था.
वो भी प्रतिक्रिया की अपेक्षा किये बिना ही आगे बढ़ी – दरवाज़ा खोला – और उसके बाद – धडाम – मैंने दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ सुनी.
फिर कुछ पलों का सन्नाटा…
मैंने अपना हाथ अपने नाक से हटाया. कमरे में बदबू काफी कम हो चुकी थी. मैं बिस्तर से नीचे उतरा. मैंने देखा – उसके थूक से लथपथ, मेरा लौड़ा रबर की तरह ढीला ढाला मेरी दो टांगों के बीच में लटक रहा था.
अचानक फिर से मुझे उसकी पाद की याद आई. मेरी हथेली ने मेरे मुंह को ढांक दिया. मैं तेजी से बाथरूम में घुसा और मुंह में उंगलियाँ डालकर तीन चार उल्टियाँ कर ली. पेट में जो चिकन सलाद था वो बाहर निकाल दिया.
उसके बाद मैंने अपने आपको थोडा हल्का महसूस किया.
अपने दिमाग से बदबू को हटाने के लिए फिर शावर के नीचे खड़ा हो गया और उसकी गन्दी पाद की याद को जैसे धोता चला गया.
आधे घंटे के बाद मैं होटल रूम से बाहर था.
अब… मुझे जरूरत थी फ्रेंच रोस्ट और आयरिश क्रीम कॉफ़ी की.
जी हाँ, बचे हुए दिन को ठीक से गुज़ारने के लिए जरूरत थी एक कड़क कोफ़ी की…
और दोस्तों, आपने देखा… आज का दिन अच्छा नहीं था.
ये ज़िन्दगी है… ज़िन्दगी में कभी कभी ऐसा भी होता है कि जैसा सोचते है वैसा नहीं होता है.
और… जैसे मैंने पहले कहा था… कालियों के साथ मेरा पंगा होता ही रहता है.
खैर, वक़्त सबसे बड़ी दवा है. मैं ठीक हो जाऊँगा और वापस एक्शन में आ जाऊँगा.
तब तक आप बाद वोही करते रहिये जो करते आये है. जिसको भी चोदते है, बस चोदते रहिये. जिससे भी चुद्वाते है, चुद्वाते रहिये.
बस, ज़िन्दगी में चाहे कुछ भी हो, चोदना जारी रहना चाहिए, रुकना नहीं चाहिए….