मेरे पड़ोस की पर्दानशीं लड़की ने मुझ पर भरोसा किया Part 3 – Antarvasna Hindi Sex Stories
मेरे पड़ोस की पर्दानशीं लड़की ने मुझ पर भरोसा किया Part Three
‘मज़ा आ गया।’ थोड़ी देर बाद उसने करवट ली और मेरी आँखों में देखते हुए बोली- अब मैं इमैजिन कर सकती हूँ कि जब आगे से इस तरह सोहबत करते होंगे तो कितना मज़ा आता होगा।’
‘अभी तुम्हारे मज़े ने दर्द से लड़ कर जीत पाई है। जब दर्द की गुंजाईश नहीं बचेगी और तब करेंगे तो इससे ज्यादा मज़ा आएगा।’
‘तुम्हारा पेस्ट अंदर ही है।’
‘हाँ- धीरे धीरे निकल जायेगा या ऐसा करो बाथरूम जाकर बैठो और थोड़ा जोर लगाओ, सब निकल जायेगा।’
‘अंदर भी रह जाये तो कोई प्रॉब्लम है क्या?’
‘नहीं। क्या प्रॉब्लम होगी… मुझे एच आई वी थोड़े है और वैसे भी रेक्टम ऐसी जगह है जहाँ बैक्टीरिया की भरमार होती है। वहाँ स्पर्म भला क्या नुक्सान पहुंचा पाएंगे।’
‘फिर रहने दो, फाइनली जब तुम जाओगे तो साफ़ कर लूंगी। अभी जहाँ जो भी बहता चूता है उसे बहने चूने दो। चादर चेंज करनी ही है। चलो एनल सेक्स वाली मूवी दिखाओ, कौन कौन से आसन इस्तेमाल होते हैं।’
फिर हम कायदे से लेट कर एनल सेक्स वाली मूवी देखने लगे।
करीब घंटे भर बाद फिर गर्म हुए… पर इस बार हमने खेलने के अंदाज़ में कई आसनों से गुदामैथुन का मज़ा लिया। उसका छेद इतने बार में इतना ढीला हो गया था कि अब आराम से हम हर पोजीशन में सहवास कर सकते थे।
फिर काफी खेल चुके तो मैंने फिर उसकी चटाई शुरू की और उसे उत्तेजना के शिखर तक पहुँचा कर वापस लिंग अंदर घुसाया और जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये।
इतनी देर खेलने का असर पड़ा और दोनों जल्दी ही डिस्चार्ज हो गए।
फिर लेट कर फ़िल्में देखीं, XOSSIP पर ” उमा शर्मा ” कि कुछ कहानियाँ पढ़ीं और फिर एक एक पैग लेके वापस जुटे।
हालाँकि अब मैं स्खलित नहीं होना चाहता था क्योंकि यह एक दिन का नहीं था, अभी लगातार चार रातें झेलना था। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैंने उसे ही चरमोत्कर्ष तक पहुँचा दिया और खुद को बचाए रखा।
बुध की रात का काम तमाम हुआ और मैं थका हारा वापस पहुँच कर सो गया।
अगला दिन
अगले दिन वह सुबह कुछ जल्दी ही यूनिवर्सिटी चली गई, जहाँ से मैंने उसे बारह बजे पिक किया।
वहाँ से निकल कर इंजीनियरिंग कॉलेज के पास पहुँचे जहाँ हमने थोड़ा खाया पिया फिर रिंग रोड पे चलते, खुर्रम नगर चौराहे से मुड़ कर कुकरैल पिकनिक स्पॉट आ गए।
अब उसका रोज़ का मामूल था कि वह घर से वैसे ही बंद गोभी की तरह ढकी मुंदी निकलती, कहीं मौका देख कर अपने लबादे को पर्स में ठूंस लेती, नीचे जीन्स टॉप टाइप का पहनावा होता और वापसी में वह फिर से नक़ाब स्कार्फ मढ़ लेती और जैसी घर से निकलती थी वैसे ही घर पहुँचती।
यह इलाका भी प्रेमी जोड़ों के लिए काफी मुफीद था और यहाँ हर तरह के करम हो जाते थे।
बहरहाल, हमें तो वैसे भी अपने कर्मों के लिए सुविधा उपलब्ध थी इसलिए हमने इधर उधर लेटे बैठे वक़्त गुज़ारा और इधर उधर की बातें करते न सिर्फ चूमाचाटी की, बल्कि मौका देख कर उसने लिंग चूषण भी किया, जबकि मैंने उसके मम्मों का मर्दन चूषण किया और उसके दोनों छेदों में उंगली भी खूब की, जिससे उसका वहाँ भी पानी छूट गया था।
उसे पीछे के छेद में दर्द था और हल्की सूजन भी महसूस हो रही थी इसलिए उसके दर्द और सूजन की दवा हमने इंजीनियरिंग कॉलेज के पास से ही ले ली थी जिसकी वजह से अब उसे दर्द से तो राहत थी।
आज उसे पांच बजे ही रिहा कर दिया, वह घर निकल गई और मैं अपने कुछ दोस्तों साथियों के पास, जहाँ मुझे इतना वक़्त लग गया कि मैं गौसिया के पास दस के बजाय साढ़े दस बजे पहुंचा।
‘कहाँ अटक गए थे?’ उसने थोड़ी नाराज़गी भरे स्वर में कहा।
‘थोड़ा मसाज आयल का जुगाड़ कर रहा था।’
‘मसाज आयल! वह किसलिए?’
‘आज तुम मसाज का मज़ा लोगी। बेड पर कोई साफ़ पुरानी चादर डाल लो।’ मैंने उसे मसाज आयल की शीशी दिखते हुए कहा।
फिर महफ़िल सजी… रात रंगीन हुई।
हमने सिगरेट पी- एक एक पैग लगाया और फिर वह नंगी होकर लेट गई।
कपड़े मैंने भी उतार दिए थे ताकि तेल न लगे।
फिर उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्मी के साथ मैंने उसे औंधा लिटाया और उसकी पीठ से मालिश शुरू की।
अपनी उँगलियों को सख्त नरम करते हुए उसकी रीढ़, कॉलर बोन, शोल्डर और हाथ के पक्खों को मसलता रहा, फिर कमर पर थोड़ी सख्त मालिश की और कमर से नीचे मखमली नितम्बों को तो ऐसे भींच भींच कर मसला कि उसकी योनि गीली हो गई।
दोनों कूल्हों को फैला कर छेद को अच्छे से तेल से भिगाया, मसला और उंगली को अंदर बाहर करते छेद की भी मालिश की।
वहाँ दवा की वजह से अब दर्द तो नहीं था मगर हल्की सूजन अब भी थी लेकिन जिस्म की गर्माहट और उत्तेजना उसे आगे के लिए तैयार कर देने वाली थी।
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