वैवाहिक बलात्कार अंग्रेजी के शब्द “Marital Rape” से प्रेरित हैं, जिसका अर्थ होता है शादी शुदा पति पत्नी का सहमति के बिना जोर जबरदस्ती सेक्स करना. मेरिटल रेप एक ऐसा अपराध है जहां पति या पत्नी द्वारा अपने जीवन साथी के साथ उसकी यौन इच्छा के बिना जोर जबरदस्ती सेक्स संबंध बनाये जाते हैं। इसका अर्थ होता है कि जब पत्नी अपने पति को उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति नहीं देती हैं और पति बिना उनकी सहमति के उसके साथ जोर जबरदस्ती सेक्स करता है, तो यह एक वैवाहिक दुष्कर्म के रूप में माना जाता है।
वैवाहिक बलात्कार या वैवाहिक दुष्कर्म का अर्थ होता है वैवाहिक साथी उसके सेक्स पार्टनर अर्थात जीवन साथी के साथ उसकी सहमति के बिना यौन संबंध बनाएं। इसका मतलब है कि यदि कोई पति अपनी पत्नी के साथ बिना उनकी सहमति के यौन संबंध बनाता है, तो वह वैवाहिक दुष्कर्म का दोषी हो सकता है। इसी तरह, यदि कोई पत्नी अपने पति के साथ इस प्रकार के अनुचित संबंध बनाती है, तो भी यह वैवाहिक दुष्कर्म की श्रेणी में आता है। शादी शुदा पति पत्नी का एक दुसरे के साथ जोर जबरदस्ती सेक्स करना मेरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार कहलाता है।
वैवाहिक बलात्कार या मैरिटल रेप (Marital Rape) क्या होता है ?
इस तरह के दुष्कर्म के चलते पत्नी के अधिकार और आत्मसम्मान का उल्लंघना होता है। यह एक सामाजिक, मानसिक और शारीरिक रूप से अत्यंत अयोग्य और अनुचित हरकत है। मेरिटल रेप के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे सामाजिक दबाव, व्यक्तिगत संघर्ष, भारतीय समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का प्रभाव, पति-पत्नी के संबंधों में संघर्ष और भारतीय निकायों के कुछ कानूनी प्रावधान।
यह उल्लेखनीय है कि वैवाहिक बलात्कार (या पति-पत्नी के बीच बलात्कार) के प्रति कानूनी संज्ञान और इसके विधान की व्यवस्था देशों के बीच भिन्न हो सकती है। कुछ देशों में मेरिटल रेप को अपराध मान्य नहीं किया जाता है, जबकि कुछ देशों में इसे अपराध के रूप में मान्यता दी जाती है और कानूनी रूप से दंडित किया जाता है।
मेरिटल रेप के खिलाफ कानूनी कदम उठाने का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और आत्मसम्मान को सुनिश्चित करना है। यह एक महिला के अधिकारों को संरक्षित करने और उन्हें यौन आपराध से बचाने की प्रक्रिया है। कुछ देशों में मेरिटल रेप के खिलाफ संघर्ष किया जा रहा है और कानूनों में संशोधन किए जा रहे हैं ताकि इसे एक अपराध के रूप में मान्यता दिया जा सके और वैवाहिक संबंधों में सहमति की आवश्यकता को सुनिश्चित किया जा सके।
वैवाहिक दुष्कर्म सिर्फ पत्नी के साथ ही होता है या पति के साथ भी होता है ?
अपने जीवन साथी के साथ उनकी मर्ज़ी के बग़ैर संभोग करना वैवाहिक बलात्कार है। वैवाहिक दुष्कर्म यानी मैरिटल रेप किसी भी वैवाहिक साथी के बीच हो सकता है, चाहे वह पति हो या पत्नी। यह अपराध पति द्वारा पत्नी के साथ या पत्नी द्वारा पति के साथ हो सकता है। वैवाहिक रिश्ते में, हर व्यक्ति को यौन संबंध में सहमति की आवश्यकता होती है और इसे बिना सहमति के किया जाना, बिना अनुमति के किया जाना या विवाहित जीवन के रूप में किया जाना, मेरिटल रेप के तहत आता है। महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों की संरक्षा के मामले में, मेरिटल रेप के खिलाफ कानूनी कदम उठाए गए हैं जो सभी पति और पत्नी को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
मैरिटल रेप अर्थात वैवाहिक बलात्कार और भारत देश का कानून:
वैवाहिक बलात्कार (या पति-पत्नी के बीच बलात्कार) के मामले में अगर आरोपी उस शादी शुदा महिला का पति है तो उस पर दुष्कर्म का केस दर्ज नहीं हो सकता है। IPC की धारा 375 में दुष्कर्म को परिभाषित किया गया है। इसमें वैवाहिक बलात्कार को अपवाद बताया गया है। भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा 375 के अपवाद 2 में कहा गया है कि अगर पत्नी की उम्र पंद्रह साल से कम नहीं है तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग या यौन कृत्य दुष्कर्म अर्थात बलात्कार नहीं माना जाएगा। भले इसके लिए पति ने पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर जबरदस्ती उसके साथ सेक्स करा हो।
वैवाहिक दुष्कर्म के प्रभाव और परिणाम:
वैवाहिक दुष्कर्म के प्रभाव और परिणाम व्यक्ति और समाज दोनों पर गंभीर असर डालते हैं। इसे नजरअंदाज न करते हुए, इसके प्रभावों को नीचे दिए गए अंशों में विस्तार से समझते हैं:
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: वैवाहिक दुष्कर्म शिकार व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है। शिकार व्यक्ति में दयानीयता, उदासीनता, डर, चिंता, और नींद की बाधा हो सकती है। यह शिकार के लिए आत्मविश्वास का कामयाबियों और संबंधों में विश्वास को भी कम कर सकता है।
- रिश्तों पर प्रभाव: वैवाहिक दुष्कर्म के कारण संबंधों में दूरी पैदा हो सकती है और रिश्तों में बिगड़ आ सकता है। वैवाहिक दुष्कर्म के बाद विश्वास और सम्मान की कमी हो सकती है जो विश्वासघात, द्वेष, और अलगाव के कारण बनती है।
- समाज पर प्रभाव: वैवाहिक दुष्कर्म समाज की सांस्कृतिक और मानसिकता पर भी बुरा असर डालता है। इससे समाज में विश्वास की कमी होती है और व्यक्ति और समाज के बीच विश्वासघात और दूरी पैदा हो सकती है।
- पारिवारिक प्रभाव: वैवाहिक दुष्कर्म के प्रभाव से पारिवारिक संरचना पर भी असर पड़ता है। यह वैवाहिक बंधन के अस्थिर होने का कारण बन सकता है और बच्चों के भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है।
समाधान:
वैवाहिक दुष्कर्म के प्रभाव से बचने के लिए विश्वास को मजबूत करना, संबंधों में सहयोग और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना, समाज में जागरूकता फैलाना, और कानूनी सहायता लेना महत्वपूर्ण है। वैवाहिक दुष्कर्म के प्रति जनता को जागरूक करने के लिए शिक्षा और संसाधन भी प्रदान किया जाना चाहिए। साथ ही, समाज में उचित मानसिकता बढ़ाने के लिए मानवीय दया और सहानुभूति को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
एक सकारात्मक समाज बनाने में, हम सभी को वैवाहिक दुष्कर्म से बचने और इससे प्रभावित व्यक्तियों का साथ देने के लिए सामंजस्यपूर्ण योजना बनाने की जरूरत है। सही मार्गदर्शन, जागरूकता, और सकारात्मक उपायों से, हम समाज को वैवाहिक दुष्कर्म के प्रभाव से बचा सकते हैं और एक सशक्त, समर्थ, और समरस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं।
वैवाहिक दुष्कर्म से जुड़े मानवाधिकार और समाजिक मुद्दे:
पोलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को अपराध माना गया है। साउथ अफ्रीका, आयरलैंड, कनाडा और अमेरिका, न्यूजीलैंड, मलेशिया, घाना और इजराइल में भी यह अपराध की श्रेणी में आता है. भारत देश उन 34 देशों में से एक देश है जिन्होंने वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा है.
मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म पर केरल कोर्ट की टिप्पणी:
2021 में केरल कोर्ट कोर्ट ने कहा था कि मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार भारत में अपराध नहीं है. अगर कोई पति अपनी पत्नी से उसकी सहमति के बगैर सेक्सुअल रिलेशन बनाता है तो ये मैरिटल रेप कहा जाता है लेकिन इसके लिए कोई सजा का प्रावधान नहीं है. इसके आलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पति द्वारा किया जाने वाले दुष्कर्म यानी वैवाहिक दुष्कर्म की दशा में 24 सप्ताह की तय सीमा में पत्नी यदि माँ नहीं बनना चाहती है तो अपना गर्भपात करा सकती है। गर्भपात करवाने का यह अधिकार उन शादी शुदा महिलाओं के लिए राहतकारी होगा, जो ना चाहते हुए भी अनचाहे गर्भ को जारी रखने को विवश हैं।
मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की याचिकाओं की शीघ्र सुनवाई के लिए उल्लेख करने पर सुप्रीम कोर्ट ने भरोसा दिलाया है कि वो मेरिटल रेप की इन सभी याचिकाओं पर जल्दी ही सुनवाई करेगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए कोई समय या तारीख नहीं बतायी है. यह भी पढ़ें : – गैंगरेप के दौरान दलित लड़की ज़्यादा चीखे इसके लिए पुरे शरीर को सिगरेट से जलाया, 17 साल की दलित लड़की के साथ 5 लोगों ने किया गैंगरेप
Conclusion: इस आर्टिकल में, हमने वैवाहिक दुष्कर्म के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करी है और इसे रोकने के लिए उपयुक्त उपायों पर भी विस्तार से चर्चा करी है। वैवाहिक दुष्कर्म के खिलाफ लड़ने के लिए समाज को एकजुट होकर कानूनी और सामाजिक परिवर्तन को सुनिश्चित करना होगा। सही जागरूकता, शिक्षा और सुरक्षा के साथ हम समाज में वैवाहिक दुष्कर्म को रोक सकते हैं और एक सशक्त, सुरक्षित और समर्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं।