विधवा भाभी को चोद कर गर्भवती किया – Bhabhi ko chod kar pregnant kiya

विधवा भाभी को चोद कर गर्भवती किया – Vidhva Bhabhi ko chod kar pregnant kiya maine

 विधवा भाभी को चोद कर गर्भवती किया – Vidhva Bhabhi ko chod kar pregnant kiya maine : मैं संजय शर्मा फिर हाज़िर हूँ एक नई कहानी लेकर ! हमारे पड़ोस में एक भाभी रहती है, भाईसाहब की मृत्यु कोई चार वर्ष पहले हो गई थी। भाभी की उम्र कोई 45 के आस पास होगी, लेकिन फिगर अच्छा मेंटेन कर रखा था, इस उम्र में भी उन्हें कोई 35-36 से ज्यादा का नहीं कह सकता।

उनका लड़का एक लड़की को लेकर भाग गया, छोटी लड़की की अभी पिछले वर्ष ही शादी कर दी है। लड़की की शादी के बाद भाभी जी हर महीने गोवर्धन परिक्रमा लगाने के लिए जाती थी, उनके साथ मैं भी जाता था। वहीं का किस्सा मैं सुनाने जा रहा हूँ।

हर महीने की तरह जनवरी में हम लोग गोवर्धन के लिए निकले। भाभी को अगले दिन कहीं जाना था, सो उन्होंने कहा- आज जल्दी चलते हैं ताकि शाम के समय ही परिक्रमा पूरी कर लें और सुबह पहली बस पकड़ कर वापिस आ जायेंगे।

मैंने कहा- ठीक है !

विधवा भाभी को चोद कर गर्भवती किया – Vidhva Bhabhi ko chod kar pregnant kiya maineविधवा भाभी को चोद कर गर्भवती किया - Bhabhi ko chod kar pregnant kiya

हम लोग दोपहर की गाड़ी से निकल लिए। मथुरा पहुँच कर द्वारिकाधीश के दर्शन किये और वहाँ से टेंपो पकड़ कर गोवर्धन शाम को 6 बजे पहुँच गए। जिस धर्मशाला में हम रुकते थे, वहां सामान रखकर हम लोग परिक्रमा के लिए निकल गए। वापसी में बहुत तेज बारिश होने लगी। बचते-बचाते हम लोग धर्मशाला पहुंचे तो रात के 11 बज रहे थे और हम लोग पूरी तरह भीग चुके थे।

धर्मशाला पहुँच कर मैंने भाभी से कहा- आप अन्दर चलकर कपड़े बदल लो, फिर मैं बदल लूँगा।

भाभी अन्दर चली गई, कुछ देर बाद वो बोली- कपड़े तो हम एक ही जोड़ी लाये हैं, अगर बदल लिए तो सुबह पूजा के लिए क्या पहना जायेगा?

मैंने भाभी से कहा- आप मेरे कपड़ो में से लुंगी लेकर लपेट लो और रजाई में लेट जाओ। मैं देखता हूँ मेरा क्या होगा।

भाभी ने कहा- अच्छा !

और उन्होंने किवाड़ बंद कर लिए।

मैंने तौलिए से शरीर पोंछा और गरम चादर ओढ़ ली। मैंने दरवाजा खटखटाया और पूछा- मैं अन्दर आ जाऊँ?

तो उन्होंने कहा- हाँ !

एक तो ठण्ड, ऊपर से बारिश ! दांत कटकटा रहे थे। कमरे में देखा एक ही गद्दा रजाई थे। मैंने धर्मशाला वाले से पूछा तो उसने कहा- एक कमरे में एक ही गद्दा-रजाई मिलेगा।

मैं वापस आ गया। मैंने भाभी से कहा- आप सो जाओ ! मैं ऐसे ही सो जाऊंगा।

भाभी तो सो गई, कुछ देर तो मैं लेटा रहा पर ठण्ड थी कि वो हटने का नाम नहीं ले रही थी, मेरे दांत बजने लगे, तभी भाभी बोली- संजू तुम भी इसी रजाई में ही लेट जाओ ! ठण्ड बहुत है, नहीं तो तुम्हारी तबीयत ख़राब हो जायेगी।

पहले तो मैं झिझका क्योंकि मुझे पता था कि भाभी अन्दर नंगी लेटी हैं, पर मरता क्या न करता मैं उसी रजाई में एक साइड से घुस गया।

भाभी और मैं एक दूसरे की तरफ पीठ करके लेट गए। शरीर में थोड़ी सी गर्मी आई, पर ठण्ड अभी लग रही थी। मैंने करवट बदली और भाभी की पीठ की तरफ मुँह करके लेट गया। शायद मेरे ठंडे हाथ उनकी पीठ पर लगे होंगे, बोली- ला अपना हाथ दे !

कहकर मेरा हाथ अपने पेट पर रख लिया। भाभी के शरीर का गरम-गरम स्पर्श पाकर मेरे मन का शैतान जाग उठा। अगर आज भाभी की चुदाई करने का मौका मिल जाये तो मजा आ जाये।

पर मैंने कभी उन्हें इस नज़र से कभी देखा नहीं था इसीलिए शांत लेटा रहा, पर मेरा हथियार तैयार हो गया और उनके पिछवाड़े से टकराने लगा। मैं थोड़ा सा नीचे को सरक गया जिससे कि सही जगह लग सके।

वही हुआ, जैसे ही मैं नीचे को सरका, मेरा लंड उनकी गांड की दरार के बीच में जा टिका। पहले तो वो जरा कसमसाई पर फिर चुपचाप लेट गई। मैं भी बिलकुल चुप लेटा रहा। थोड़ी देर में मैंने महसूस किया कि उन्होंने अपनी टांग उठाई और लंड को बीच में दबाकर लेट गई। अब मेरी हिम्मत थोड़ी सी बढ़ी, मैंने अपना हाथ जो उनके पेट पर था, सरका कर उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा।

यह सब काम बिल्कुल चुपचाप हो रहा था। धीरे धीरे साँसें गरम होने लगी, वो मेरा हाथ पकड़ कर चूचियों को सहलाने में मेरा सहयोग करने लगी। एकाएक वो उठी और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने भी धीरे से उनकी टांगें चौड़ी कर चूत को चाटना शुरू कर दिया। हम लोग 69 के पोज में थे। उन्होंने अपनी चूत को बिलकुल साफ़ कर रखा था।

उनके चूसने में इतनी गर्माहट थी कि मुझे लगा कि मैं अभी झड़ जाऊँगा।

तभी भाभी ने लंड को चूसना छोड़ दिया और बोली- संजू, मुझे आज कसके चोद दो ! बहुत प्यासी हूँ ! जबसे तुम्हारे भैया गए हैं तब से आज लंड का रसपान किया है।

मैं तो तैयार था, झट से उन्हें सीधा लिटाया और अपना लंड उनकी मलाईदार चूत पर टिका दिया। चाटने की वजह से चूत रस से भरी हुई थी। एक ही झटके में मेरा लंड चूत की गहराइयों में जा टिका। उनके मुंह से सिसकारी निकली, मैंने पूछा- दर्द हुआ क्या ?

वो बोली- हाँ, इतने दिनों बाद जो करवा रही हूँ ! पर तू रुक मत, शुरू हो जा ! आज मेरी प्यास बुझा दे !

मैं जोश में आ गया और जोर से धक्के लगाने लगा। वो भी अपनी कमर हिला कर मेरा साथ देने लगी। 8-10 धक्कों के बाद ही उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और बोली- मैं तो गई !

और वो झड़ गई पर मेरा तो अभी हुआ नहीं था। वो समझ गई और बोली- बाहर मत निकलना ! अन्दर डाले हुए ही लेटे रहो !

मैं उनकी चूत में ही लंड डाले लेटा रहा और उनकी चूचियों को चूसने लगा। कुछ ही देर में वो दोबारा तैयार हो गई। इस बार दोनों पूरे जोश में थे।

करीब 20-25 धक्कों के बाद मैं झड़ने लगा तो मैंने कहा- लो भाभी, संभालो ! मैं गया !

तो बोली- अन्दर मत झाड़ना ! मेरे मुंह में झाड़ना !

मैंने लंड चूत में से निकाल कर उनके मुंह में डाल दिया। वो सारा रस पी गई और जीभ से चाट चाट कर मेरे लंड को साफ़ कर दिया। फिर हम ऐसे ही सो गए। सुबह चार बजे उठकर एक दिहाड़ी और लगाई उसके बाद नहा धो कर पूजा करने चले गए। वहाँ से वृन्दावन आए, वहां पर दर्शन करने के बाद मैंने भाभी से कहा- अब बस पकड़कर दिल्ली चलते हैं।

तो भाभी बोली- नहीं, अभी यहीं एक धर्मशाला में किराये पर कमरा ले लेते हैं, शाम को चलेंगे !

दोस्तो, उस दिन मैंने उन्हें तीन-चार बार चोदा। उसके बाद हम रात को दिल्ली आ गए। अब जब कभी हम वहाँ जाते हैं तो एक बार तो जरूर चुदाई का प्रोग्राम बनता है।

ये सिलसिला करीब ४ महीने तक चला पर मुझे आज ही पता चला की वो पेट से है, भाभी ने माँ को बता दी थी ये बच्चा मेरा है, अगर माँ ने ज्यादा कुछ किया तो मैं अपने भाभी को अपना लूंगा

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