ट्रेन में लंड चूसा और गांड मरवाई – hindi sex stories

ट्रेन में लंड चूसा और गांड मरवाई – hindi sex stories

ट्रेन में लंड चूसा और गांड मरवाई - hindi sex stories
ट्रेन में लंड चूसा और गांड मरवाई – hindi sex stories

ट्रेन में लंड चूसा और गांड मरवाई – hindi sex stories : दोस्तो! सनी का आप सब को फ़िर से खुली गांड से प्रणाम! दोस्तो, अब तक मैं अपनी चुदाई के दो किस्से लिख चुका हूँ, यह भी देखे लंड खड़ा हो जायगा >>> कुत्ते और लडकी की चुदाई का गन्दा अश्लील विडियो – kutta aur ladki ka sex – कुत्ते के साथ सेक्सपहली बार गांड किस तरह सुनसान बाग़ में एक बिहार से पंजाब में काम करने आए हुए एक मोची से करवाई, फ़िर दूसरा लंड भी मोची के साथ में ही कमरे में रहने वाले उसके ही एक दोस्त से उसकी गैर मौजूदगी में लिया।

और फ़िर एक बार आपके सामने अपनी एक और चुदाई पेश करने जा रहा हूँ, तो वैसे भी मैं लड़की ही बन गया हूँ मुझे अलग अलग लंड लेने का चस्का पड़ गया है।

मेरे पापा का दिल्ली से कपड़े ला कर पंजाब में बेचने का है, अब उनके ठीक न होने की वजह से मुझे जाना पड़ता है

दिल्ली से वापिस आने के लिए इस बार भी मुझे रात को ट्रेन लेनी थी मैंने छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस पकड़ ली। मैं खिड़की के पास अपना बैग रख बैठ गया।

गाजियाबाद स्टेशन से सहारनपुर तक के काफी लोग चढ़ आए। डिब्बा दिल्ली से पीछे से ही भर के आया था।
लगता है बिहार के मर्दों के लंड मेरी गांड की किस्मत में ज्यादा हैं, मेरठ केंट से दो हट्टे-कट्टे फौजी डिब्बे में घुसे।

पैर पे पैर पहले से चढ़ रहे थे, मैं उनके आगे खड़ा था, पहले ही गांड घिसा के मजे ले रहा था, दोनों ने शॉल औढ़ रखे थे।
मेरी गांड उनमें से एक के लंड पे पूरी तरा दबाव डाल रही थी उसका लंड सॉलिड लगा।

उसने पहले ध्यान नहीं दिया पर मुझे कुछ होने लगा, गांड में खुजली मचने लगी।
मैंने गांड को पीछे धकेला और उसके लंड पे घिसा दिया।

उसको अब लगा कि यह माल ही है, उसका अकड़ने लगा।

मैंने फ़िर से गोल गोल गांड को गोल गोल तरीके से घिसाया अभ उसको विश्वास होने लगा कि मैं ख़ुद गांड घिसा रहा हूँ।

उसने मेरी लोई में हाथ डाल अपनी ऊँगली मेरे लोअर के ऊपर से ही मेरी गाण्ड में डाल दी।
मैंने कुछ कहने की बजाये ख़ुद गांड को उसकी ऊँगली की तरफ़ धकेला जिससे ऊँगली अच्छी तरह घुस जाए।

उसने पीछे खड़े दूसरे फौजी को सब बता दिया, दूसरा वाला भी मेरे पीछे ही खड़ा हो गया।
पहले वाले ने ऊँगली देनी चालू रखी दूसरा पास आ बोला- बहुत भीड़ है!

मैंने कहा- हाँ!
‘कहाँ से हो?’
मैंने कहा- पंजाब!

‘ओह हमें भी अमृतसर जाना है, फ़िर तो पूरे सफर के साथी हो।’
पीछे वाला कान के पास आकर बोला- अच्छा लग रहा है?
बहुत अच्छा!

इतनी भीड़ में नीचे किसी का ध्यान न था। दूसरे वाला मेरे सामने खड़ा हो गया।
उसके और मेरे चेहरे में बहुत कम फासला था।
हवा में चुम्बन देकर आंख मारते हुए मेरा हाथ पकड़ अपनी लोई में ले गया उसने जिप खोल मेरा हाथ अपनी पैंट में घुसा दिया, मैं उसका लण्ड सहलाने लगा।

पीछे वाला अन्दर हाथ डालना चाहता था लेकिन मैंने आगे से इलास्टिक की गांठ खोल दी। उसने इलास्टिक खींच ली और मेरा लोअर नीचे खिसका मेरी गांड पे हाथ फेरने लगा, थूक लगा ऊँगली डाल दी।
आगे वाले के लंड को मैं प्यार से सहला रहा था।

तभी सहारनपुर आने वाला था, आधे से ज्यादा डिब्बा यहीं खाली होने वाला था।
लोग सीट से उठ खिड़की की तरफ़ बढ़े, हम तीनों कपड़े ठीक कर साइड पे खड़े हो गए
काफी सीट खाली हुई लेकिन कोई तीन लोगों का एक साथ बैठने वाली नहीं।

ट्रेन चली, हम तीनों बैठ गए अलग अलग! मायूस!

तभी आधे घंटे में जगाधरी आया और डिब्बा लगभग खाली ही हो गया, बैठने क्या लेटने के लिए एक केबिन तो पूरा खाली था।

इसके बाद सीधा अम्बाला में गाड़ी रुकनी थी, हमने बैग सीट पे रख लिए।
उनमें से एक ने अपना बिस्तर-बंद खोल नीचे फ़र्श पर बिस्तर लगा लिया।
दोनों एक तरफ़ मुँह कर लेट गए।
मैं बीच में उनकी पैर की तरफ़ मुँह करके लेट गया। मैं इकट्ठा सा हो अपना मुँह उनकी जांघों तक ले आया।

दोनों ने लंड निकाल रखे थे, मैं आराम से चूसने लगा।
उन दोनों ने मेरी गाण्ड नंगी कर दी और सहलाने लगे।
वो बोला- यार तेरी गांड मारनी है, कैसे मारूँ? यह चूसना वगैरा तो अन्दर छिप के हो जाता है।

तभी हमने फैसला किया कि सामने वाली सिंगल सीट पे उनमें से एक बैठेगा ताकि कोई आए तो वो बोल दे!

मैं उल्टा होकर लेट गया, पूरा घोड़ा नहीं बना। गांड थोडी सी ऊपर कर दी, उसने पीछे से अपना मजबूत लंड को थूक लगा धक्का दे थोड़ा अन्दर किया।
फौजी का लंड था, फाडू तो होगा, मैंने सह लिया।

उसने अहिस्ता से सारा पेल डाला और चोदने लगा।
मैं भी गांड धकेल धकेल के चुदने लगा।

दूसरा उठा और पूरे डिब्बे का मुआयना करके आया, सामने घुटनों के बल बैठ गया। मैंने उसका लंड मुँह में लिया। अब मैं पीछे से गांड आगे से मुँह चुदवा रहा था।

तभी उसने तेज धक्के मारने चालू किए, किसी के आ जाने के डर से उसने जल्दी ही अपना सारा गाढ़ा माल धार से उगल दिया।

तभी दूसरे वाला पीछे आया, पहला फ़िर डिब्बा देखने गया। दूसरे वाले ने मुझे अपने लण्ड पे बिठा लिया और मैं उछल उछल के चुदने लगा। हाय! क्या लण्ड है तेरा! फाड़ डाल आज मेरी गांड! लगा दे फौजी वाला दम!

उसने एक दम से मुझे अपने नीचे डाल लिया, दोनों टांगें कंधों पे रख कर चोदने लगा।

मुझे यह तरीका सबसे अच्छा लगता है क्यूंकि नंगे मर्द के नीचे लेटने से मुझे बहुत सुख मिलता है।

यह ज़बरदस्त खिलाडी था ज़ोर ज़ोर से चोदते चोदते उसने एक ज़बरदस्त धक्का मारा और सारा पानी मेरी गांड में डाल दिया, मेरे ऊपर लुढ़क गया।

हम तीनों ने अपने कपड़े ठीक किए। वैसे भी लुधियाना आते ही डिब्बे में चाय वाले घुस गए। हमने चाय पी, दोनों ने मुझे अपने बीच बिठा रखा था मुझ से लण्ड सहलवा रहे थे।

ट्रेन चलते ही, अब यह जालंधर रुकेगी, दोनों ने मुझे फ़िर से पकड़ लिया और चोदने लगे। दूसरे वाले को ज्यादा मजा आ रहा था तभी उसने लगतार दो शिफ्ट लगाने की सोची। दोनों मुझे एक एक बार फ़िर चोदने के बाद भी नहीं रुके, बोले- अब अमृतसर रुकेगी!

मैंने सोचा- ले सनी! तेरी गांड तो ये दोनों सुजा के घर भेजेंगे। वो थे ही इतने हट्टे-कट्टे!

ब्यास से ट्रेन चली ही थी कि दोनों ने फ़िर लण्ड निकाल लिए। अब कोई कम्बल नहीं था। वो दोनों सीट पे बैठ गए, मैं नीचे घुटनों पे बैठ बारी बारी से दोनों के लंड चूसने लगा। इस बार मैंने दोनों बाहें सीट पे रख गांड उनकी तरफ़ घुमा ली, उसने डाल दिया

अमृतसर आने तक रेल में वो मेरी गांड की रेल बना रहे थे। रात के साढ़े दस बजे से उनके लंड कभी मेरे हाथ में, कभी मुहं में, कभी गांड में!

दोनों ने मुझे बहुत ज़ोर लगाया कि मैं उनके साथ केंट में उनके क्वार्टर में चलने का।

मैंने कहा- अपने मोबाइल नम्बर दे दो, मैं कॉल कर लूँगा, तभी प्रोग्राम बना के में आपके सरकारी क्वार्टर में चुदने आ जाऊँगा।

दोनों ने मिलकर मुझे वो सुख दिया जो एक हफ्ते से मेरी गांड को नहीं मिला था। मेरी गाण्ड की सारी खुजली मिटा डाली।

जाते वक्त बोले- और भी लंड तेरी गांड में घुसवाएँगे!

दोस्तो, यह थी मेरी एक और चुदाई की कहानी!