चार फौजी और चूत का मैदान- इससे अच्छा है मैं चूत में केला डाल कर सो जाती हूँ Hindi sex stories

(मेरे बड़ेबड़े चूचे अपने हाथों में लेकर मसल कर रख दि‌ए। मैं भी उनका लौड़ा अपनी चूत से टकराता हु‌आ महसूस कर रही थी और फिर मैंने भी उनका लौड़ा पैंट के ऊपर से हाथ में पकड़ लिया।)

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भाग ५. चार फौजी और चूत का मैदान(Hindi Sex Stories)
लेखिका : कोमलप्रीत कौर

भाग-४ से आगे….

सर्दियों के दिन थे, मैं अपने मायके ग‌ई हु‌ई थी, मेरे भैया भाभी के साथ ससुराल गये थे और घर में मैं, मम्मी और पापा ही थे। उस दिन ठण्ड बहुत थी, मेरा दिल कर रहा था कि आज को‌ई मेरी गरमागरम चुदा‌ई कर दे। कईं बार चूत में केला और बीयर की बोतल डाल कर मुठ मार चुकी थी लेकिन चूत में चैन नहीं पड़ रहा था। मैं दिल ही दिल में सोच रही थी कि को‌ई आये और मेरी चुदा‌ई करे.. कि अचानक दरवाजे की घण्टी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने चार आदमी खड़े थे। एकदम तंदरुस्त और चौड़ी छातियाँ!

फिर पीछे से पापा की आवाज आ‌ई-ओये मेरे जिगरी यारो, आज कैसे रास्ता भूल गये?” वो भी हंसते हु‌ए अन्दर आ गये और पापा को मिलने लगे…

पापा ने बताया किहम सब आर्मी में इकट्ठे ही थे.. एक राठौड़ अंकल, दूसरे शर्मा अंकल, तीसरे सिंह अंकल और चौथे राणा अंकल ! सभी एक्स आर्मी मैन हैं।

वो सभी मुझे मिले और सभी ने मुझे गले से लगाया। गले से क्या लगाया, सबने अपनी छाती से मेरे चूचों को दबाया।

मैं समझ ग‌ई कि ये सभी ठरकी हैं। अगर किसी को भी ला‌इन दूँगी तो झट से मुझे चोद देगा। मैं खुश हो ग‌ई कि कहाँ एक लौड़ा मांग रही थी और कहाँ चार-चार लौड़े आ गये। पापा उनके साथ अन्दर बैठे थे और मैं चाय लेकर ग‌ई। जैसे ही मैं चाय रखने के लि‌ए झुकी तो साथ ही बैठे राठौड़ अंकल ने मेरी पीठ पर हाथ फेरते हु‌ए कहा-कोमल बेटी.. तुम बता‌ओ क्या करती हो…?”

मैं चाय रख कर राठौड़ अंकल के पास ही सोफे के हत्थे पर बैठ ग‌ई और अपने बारे में बताने लगी। साथ ही राठौड़ अंकल मेरी पीठ पर हाथ चलाते रहे और फिर बातोंबातों में उनका हाथ मेरी कमर से होता हु‌आ मेरे कूल्हों तक पहुँच गया।

यह बात बाकी फौजियों ने भी नोट कर ली सिवा‌ए मेरे पापा के। फिर मम्मी की आवाज आ‌ई तो मैं बाहर चली ग‌ई और फिर कुछ खाने के लि‌ए लेकर आ ग‌ई। जब मैं झुक कर नाश्ता परोस रही थी तो उन चारों का ध्यान मेरे मम्मों की तरफ ही था और मैं भी उनकी पैंट में हलचल होती देख रही थी।

अब फिर मैं राठौड़ अंकल के पास ही बैठ ग‌ई ताकि वो भी मेरे दिल की बात समझ सकें। मगर वो ही क्या उनके सारे दोस्त मेरे दिल की बात समझ गये। वो सारे मेरे गहरे गले में से दिख रहे मेरे कबूतर, मेरी गाण्ड और मेरी मदमस्त जवानी को बेचैन निगाहों से देख रहे थे और राठौड़ अंकल तो मेरी पीठ से हाथ ही नहीं हटा रहे थे।

फिर मैं रसो‌ई में उनके लि‌ए खाना बनाने में मम्मी की मदद करने लगी। बीच में ही मम्मी ने मुझे कहा-पुत्तर! घर में
महमान आये हैं… तू भी खाने के पहले मुँह हाथ धो कर कुछ अच्छे कपड़े पहन कर तैयार हो जा।

मम्मी ना भी कहती तो मै तो उन चारों को लट्टू करने के लिये तैयार होने ही वाली थि। मैंने चुन कर झीनी सी सबसे गहरे गले वाली कमीज़ और कसी हुई चुड़ीदार सलवार पहन ली। अपने मम्मों को मैंने चुन्नी से ढक लिया जिससे मम्मी को शक ना हो।हमने उनके पीने का इंतजाम ऊपर के कमरे में कर दिया। शराब के एक दौर के बाद सबने खाना खा लिया।

फिर मैंने और मम्मी ने भी खाना खाया और फिर मम्मी तो जाकर लेट ग‌ई। मम्मी ने तो नींद की गोली खा‌ई और सो ग‌ई पर मुझे कहाँ नींद आने वाली थी… घर में चार लौड़े हों और मैं बिना चुदे सो जा‌ऊँ! ऐसा कैसे हो सकता है….?

मैं ऊपर के कमरे में चली ग‌ई, वहाँ पर फ़िर शराब का दौर चल रहा था। मुझे देख कर पापा ने तो मुझे जा कर सो जाने के लि‌ए बोला, मगर सिंह अंकल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ सटा कर बिठा लिया और बोले-अरे
यार
, बच्ची को हमारे पास बैठने दे, हम इसके अंकल ही तो हैं!तो पापा मान गये और फिर

सिंह अंकल मुझे बोले
आओ हमारे साथ भी एक पैग लगाओ!मैंने मुस्कुरा कर हामी भरी तो उन्होंने खुद शराब का एक बड़ा पैग बना कर मुझे पकड़ा दिया और उसके बद सारे अंकल मुझे फ़ौज की बातें सुनाने लगे। फिर हम सभी शराब पीते रहे। मैं तो पहला ही पैग बहुत धीरे-धीरे पी रही थी, मगर वो सभी पापा को बड़ेबड़े पैग दे रहे थे और खुद छोटेछोटे पैग ले रहे थे। मैं समझ ग‌ई कि वो चारों पापा को जल्दी लुढ़काने के चक्कर में हैं।

फिर सिंह अंकल ने भी अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया। वो मेरी पीठ पर बिखरे मेरे बालों में हाथ घुमाने लगे। जब मेरी तरफ से को‌ई विरोध नहीं देखा तो वो मेरी गाण्ड पर भी हाथ घुमाने लगे। पापा का चेहरा हमारी तरफ सीधा नहीं था मगर फिर भी अंकल सावधानी से अपना काम कर रहे थे।

फिर वो मेरी बगल में से हाथ घुसा कर मेरी चूची को टटोलने लगे मगर अपना हाथ मेरी चूची पर नहीं ला सकते थे क्योंकि पापा देख लेते तो सारा काम बिगड़ सकता था। उधर मेरा भी बुरा हाल हो रहा था। मेरा भी मन कर रहा था कि अंकल मेरे चूचों को कस कर दबा दें। फिर मैंने अपनी पीठ पर बिखड़े बाल कंधे के ऊपर से आगे को लटका दि‌ए जिससे मेरा एक मम्मा मेरे बालों से ढक गया।

सिंह अंकल तो मेरे इस कारनामे से खुश हो गये। उन्होंने अपना हाथ मेरी बगल में से आगे निकाला और बालों के नीचे से मेरी चूची को मसल दिया। मेरी आह निकल ग‌ई… मगर मेरे होंठों में ही दब ग‌ई।

मैं भी टाँग पर टाँग रख कर बैठी थी और बीच-बीच में सिंह अंकल की टाँग पर घुटने के नीचे प्यार से अपने सैंडल से सहला रही थी। हमारी हरकतें पापा के दूसरे दोस्त भी देख रहे थे मगर उनको पता था कि आज रात उनका नंबर भी आ‌एगा। अब मेरा मन दोनों मम्मे एक साथ मसलवाने का कर रहा था। मैं बेचैन हो रही थी मगर पापा तो इतनी शराब पी कर भी नहीं लुढ़क रहे थे। मेरा भी दूसरा पैग चल रहा था और नशा छाने लगा था।

मैं दूसरा पैग खतम करके उठी और बाहर आ ग‌ई और साथ ही सिंह अंकल को बाहर आने का इशारा कर दिया और पापा को बोल दिया-मैं सोने जा रही हूँ।मैं बाहर आ‌ई और अँधेरे की तरफ खड़ी हो ग‌ई। थोड़ी देर में ही सिंह अंकल भी फ़ोन पर बात करने के बहाने बाहर आ गये। मैंने उनको धीमी सी आवाज दी। वो मेरी तरफ आ गये और आते ही मुझको अपनी बाँहों में भर लिया और मेरे होंठ अपने मुँह में लेकर जोरजोर से चूसने लगे। फिर मेरे बड़ेबड़े चूचे अपने हाथों में लेकर मसल कर रख दि‌ए। मैं भी उनका लौड़ा अपनी चूत से टकराता हु‌आ महसूस कर रही थी और फिर मैंने भी उनका लौड़ा पैंट के ऊपर से हाथ में पकड़ लिया।

अभी पांच मिनट ही हु‌ए थे कि पापा बाहर आ गये और सिंह अंकल को आवाज दी-ओये सिंह! यार कहाँ बात कर रहा है इतनी लम्बी.. जल्दी अन्दर आ….!तो सिंह अंकल जल्दी से पापा की ओर चले गये। अँधेरा होने की वजह से पापा मुझे नहीं देख सके। मैं वहीं खड़ी रही कि शायद अंकल फिर आयेंगे मगर थोड़ी देर में ही राणा अंकल बाहर आ गये और सीधे अँधेरे की तरफ आ गये जैसे उनको पता हो कि मैं कहाँ खड़ी हूँ। शायद सिंह अंकल नेउनको बता दिया होगा।

आते ही वो भी मुझ पर टूट पड़े और मेरी गाण्ड, चूचियाँ, जांघों को जोरजोर से मसलने लगे और मेरे होंठों का रसपान करने लगे। वो मेरी कमीज़ को ऊपर उठा कर मेरे दोनों निप्पल को मुँह में डाल कर चूसने लगे। मैं भी उनके सर के बालों को सहलाने लगी।

तभी शर्मा अंकल की आवाज आ‌ई-अरे राणा तू चल अब अन्दर, मेरी बारी आ ग‌ई!” अचानक आ‌ई आवाज से हम
लोग डर गये। हमें पता ही नहीं चला था कि को‌ई आ रहा है।

फिर राणा अंकल चले गये और शर्मा अंकल मेरे होंठ चूसने लगे। मेरे मम्मे, गाण्ड, चूत और मेरे सारे बदन को मसलते हु‌ए
वो भी मुझे पूरा मजा देने लगे। शर्मा अंकल ने पजामा पहना था। मैंने पजामे में हाथ डाल कर उनके लण्ड को पकड़ लिया। खूब कड़क और लम्बा लण्ड हाथ में आते ही मैंने उसको बाहर निकाल लिया और नीचे बैठ कर मुँह में ले लिया।

शर्मा अंकल भी मेरे बालों को पकड़ कर मेरा सर अपने लण्ड पर दबाने लगे। मैं उनका लण्ड अपने होंठों और जीभ से खूब चूस रही थी। वो भी मेरे मुँह में अपने लण्ड के धक्के लगा रहे थे। फिर अंकल ने अपना पूरा लावा मेरे मुँह में छोड़ दिया और मेरा सर कस के अपने लण्ड पर दबा दिया। मैंने भी उनका सारा माल पी लिया। उनका लण्ड ढीला हो गया तो उन्होंने
अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया और फिर मेरे होंठों को चूसने लगे और फिर बोले-
मैं राठौड़ को भेजता हूँ…!और अन्दर चले गये।

फिर राठौड़ अंकल आ गये। वो भी आते ही मुझे बेतहाशा चूमने लगे। मगर मैंने कहा-अंकल ऐसा कब तक करोगे?” वो रुक गयेऔर बोले-क्या मतलब?” मैंने कहा-अंकल, मैं सारी रात यहाँ पर खड़ी रहूँगी क्या? इससे अच्छा है कि मैं चूत में केला डाल कर सो जाती हूँ।

तो वो बोले- अरे क्या करें, तेरा बाप लुढ़क ही नहीं रहा! हम तो कब से तेरी चूत में लौड़ा घुसाने के लि‌ए हाथ में पकड़
कर बैठे हैं!
मैंने कहा– “तो को‌ई बात नहीं… मैं जाकर सोती हूँ! केले से ही काम चला लुँगी!मैंने आगे बढ़ते हु‌ए कहा। मैं हल्के नशे में थी और चूत की बेचैनी अब सहन नहीं हो रही थी।

अंकल ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले-बस तू पांच मिनट रुक… मैं देखता हूँ वो कैसे नहीं लुढ़कता!और अन्दर चले गये।

फिर पांच मिनट में ही राणा और राठौड़ अंकल बाहर आये और बोले-चल छमकछल्लो! तुझे उठा कर अन्दर लेकर जा‌एँ जा खुद चलेगी?”

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि पापा इतनी जल्दी लुढ़क गये। फिर राणा अंकल ने मुझे गोद में उठा लिया और मुझे अन्दर ले गये। पापा सच में कुर्सी पर ही लुढ़के पड़े थे। मैंने कहा- पहले पापा को दूसरे कमरे में छोड़ कर आ‌ओ।

तो राणा और राठौड़ अंकल ने पापा को पकड़ा और दूसरे कमरे में ले गये। फिर शर्मा और सिंह अंकल ने मुझे आगे पीछे से अपनी बाँहों में ले लिया और मुझे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया। शर्मा अंकल मेरे होंठों को चूसने लगे और सिंह अंकल मेरे ऊपर बैठ गये। तभी राणा और राठौड़ अंकल अन्दर आये और बोले-अरे सालो, रुक जा‌ओ, सारी रात पड़ी है! इतने बेसबरे क्यों होते हो, पहले थोड़ा मज़ा तो कर लें!

वो मेरे ऊपर से उठ गये और मैं भी बिस्तर पर बैठ ग‌ई। मैंने कहा-थैंक्स अंकल, आपने मुझे बचा लिया, नहीं तो ये मुझे को‌ई मजा नहीं लेनेदेते…!फिर राणाअंकल ने पांच पैग बनाये और सब को उठाने के लि‌ए कहा। मैं पहले ही दो बड़े पैग पी चुकी थी और ठीक-ठाक नशे में थी इसलिये मैंने नहीं उठाया तो अंकल बोले-अरे अब नखरे छोड़ो और पैग उठा लो। चार चार फौजी तुमको चोदेंगे। नहीं तो झेल नहीं पा‌ओगी….!

नशे में अगर कोई ज्यादा पीने के लिये ज़ोर दे तो काबू नहीं रहता। मैंने भी पैग उठा लिया और पूरा पी लिया। राणा अंकल ने फिर से मुझे पैग बनाने को कहा तो मैंने सिर्फ चार ही पैग बना‌ए। राणा अंकल बोले-बस एक
ही पैग लेना था
?” तो मैंने कहा-नहीं!… अभी तो चार पैग और लुँगी!

मैं राणा
अंकल के सामने जाकर नीचे बैठ ग‌ई। अंकल की पैंट खोल कर और उतार दी। वो सभी मेरी ओर
देख रहे थे। फिर मैंने अंकल का कच्छा नीचे किया और उनका सात-आठ इंच का लौड़ा मेरे
सामने तन गया।

फिर मैंने
अंकल के हाथ से पैग लिया और उनके लण्ड को पैग में डुबो दिया और फिर लण्ड अपने मुँह
में ले लिया। मैं बार
बार ऐसा
कर रही थी। राणा अंकल तो मेरी इस हरकत से बुरी तरह आहें भर रहे थे। मैं जब भी उनका
लण्ड मुँह में लेती तो वो अपने चूतड़ उठा कर अपना लण्ड मेरे मुँह में धकेलने की
कोशिश करते।

मैंने जोरजोर
से उनके लण्ड को हाथों और होठों से सहलाना जारी रखा और फिर उनके लण्ड से वीर्य निकल
कर मेरे मुँह पर आ गिरा। मैंने अपने हाथ से सारा माल इक्कठा किया और पैग में डाल
दिया और उनका पूरा जाम खुद ही पी लिया। अब मैं काफी उत्तेजना और नशे में थी। इस
हालत में अब शराब पीने पर मेरा कोई बस नहीं था।

फिर मैं
राठौड़ अंकल के सामने चली ग‌ई। वो लुंगी पहन कर बैठे थे। मैंने उनकी लुंगी खींच कर
उतार दी और फिर उनका लण्ड भी शराब में डाल
डाल
कर चूसने लगी। उनका वीर्य भी मैंने मुँह में ही निगल लिया और उनका पैग भी।

फिर सिंह
अंकल
, जो कब से अपनी बारी का
इंतजार कर रहे थे
, उनका लण्ड
भी मैंने अपने हाथों में ले लिया और उन्होंने मेरी कमीज को उतार दिया। अब मैं सलवार
और ब्रा में थी.. फिर उन्होंने मेरी ब्रा को भी खोल दिया और मेरे दोनों मम्मे आजाद
हो गये। उन्होंने अपना लण्ड दोनों मम्मों के बीच में नीचे से घुसा दिया। उनका लण्ड
शायद सबसे लम्बा लग रहा था मुझे। उनका लण्ड मेरे मम्मों के बीचों
बीच
ऊपर मेरे मुँह के सामने निकल आया था।

मैंने फिर से
अपना मुँह खोला और उनका लण्ड अपने मुँह में ले लिया। वो अपने लण्ड और मेरे मम्मों
के ऊपर शराब गिरा रहे थे जिसको मैं साथ
साथ
ही चाटे जा रही थी। मैं अपने दोनों मम्मों को साथ में जोड़ कर उनके सामने बैठी थी और
वो अपनी गाण्ड को ऊपर नीचे करके मेरे मम्मों को ऐसे चोद रहे थे जैसे चूत में लण्ड
अन्दर-बाहर करते हों।… और जब उनका लण्ड ऊपर निकल आता तो वो मेरे गुलाब जैसे लाल
होंठों घुस जाता और उसके साथ लगी हु‌ई शराब भी मैं चख लेती।

आखिर वो भी
जोर
जोर से धक्के मारने लगे।
मैं समझ ग‌ई कि वो भी झड़ने वाले हैं। मैंने उनके लण्ड को हाथों में लेकर सीधा मुँह
में डाल लिया। अब उनका लण्ड मेरे गले तक पहुँच रहा था और फिर उनका भी लावा मेरे
मुँह में फ़ूट गया। वीर्य गले में से सीधा नीचे उतर गया।

अब शर्मा
अंकल ने मुझे उठा लिया और मुझे बैड पर बिठा कर मेरी सलवार उतार दी। वो मेरी जांघों
को मसलने लगे। फिर राठौड़ अंकल ने मेरी पैंटी उतार दी। अब मैं मादरजात नंगी थी… बस
पैरों में ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे। सिंह अंकल भी मेरे सर की तरफ बैठ गये और
मेरे मुँह में शराब डाल कर पिलाने लगे।

मैंने सभी के
लण्ड देखे
सारे तने हु‌ए थे।

शर्मा अंकल
का नंबर पहला था। मैं उठी और शर्मा अंकल को नीचे लिटा कर उनके लण्ड पर अपनी चूत
टिका दी और धीरे
धीरे उस पर
बैठने लगी। शर्मा अंकल का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मैं उनके लण्ड को अपनी
चूत में चारों ओर घुमाने लगी। फिर मैं ऊपर नीचे होकर शर्मा अंकल को चोदने लगी।
शर्मा अंकल भी मेरी गाण्ड को पकड़ कर मुझे ऊपर नीचे कर रहे थे और अपनी गाण्ड भी नीचे
से उछाल-उछाल कर मुझे चोद रहे थे। मेरे उछलने से मेरे चूचे भी उछल रहे थे जो राणा
अंकल ने पकड़ लि‌ए और उनके साथ खेलने लगे।

फिर राणा
अंकल ने मुझे आगे की तरफ झुका दिया और खुद मेरे पीछे आ गये जिससे मेरी गाण्ड उनके
सामने आ ग‌ई और वो अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसाने लगे। मगर उनका लौड़ा मेरी कसी
सूखी गाण्ड में आसानी से नहीं घुसने वाला था। फिर उन्होंने और जोर से धक्का मारा तो
मुझे बहुत दर्द हु‌आ जैसे मेरी गाण्ड फट ग‌ई हो। मैं उनका लण्ड बाहर निकालना चाहती
थी मगर उन्होंने नहीं निकालने दिया और फिर मुझे भी पता था कि दर्द तो कुछ देर का ही
है।

वैसा ही हु‌आ,
थोड़ी देर में ही उनका पूरा लण्ड मेरी
सूखी गाण्ड में था। दोनों तरफ से लग रहे धक्कों से मेरे मुँह से
आह
आह
की आवाजें निकल रही थी।
फिर राठौड़ अंकल ने मेरे सामने आकर अपना तना हु‌आ लण्ड मेरे मुँह के सामने कर दिया।
मैंने उनका लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

जब राणा अंकल
मेरी गाण्ड में अपना लण्ड पेलने के लि‌ए धक्का मारते तो सामने खड़े राठौड़ अंकल का
लण्ड मेरे मुँह के अन्दर तक घुस जाता। मेरी
आह
आह
की आवाजें कमरे में गूंजने
लगी। मेरा बुरा हाल हो रहा था। उनका लण्ड मेरी गाण्ड में और भी अन्दर तक चोट कर रहा
था। फिर उनका आखरी धक्का तो मेरे होश उड़ा गया। उनका लण्ड मेरी गाण्ड के सबसे अन्दर
तक पहुँच गया था। मुझ में और घोड़ी बने रहने

की ताकत नहीं बची थी। मैं नीचे गिर
गयी मगर राणा अंकल ने मेरी गाण्ड को तब तक नहीं छोड़ा जब तक उनके वीर्य का एक
एक
कतरा मेरी गाण्ड में ना उतर गया।

मैं बहुत थक
ग‌ई थी। हम सभी ने एक
एक पैग
और लगाया। मेरी गाण्ड अभी भी दर्द कर रही थी मगर मैं इतने सारे पैग ले चुकी थी और
नशे में इतनी धुत्त थी कि सब कुछ अच्छा
अच्छा
ही लग रहा था।

मैं अंकल
राठौड़ के आगे उनकी जांघों पर सर रख के लेट ग‌ई और उनके लण्ड से खेलने लगी। सिंह
अंकल मेरी टांगो की तरफ आकर बैठ गये। मैंने अपनी टांगे सिंह अंकल के आगे खोल दी और
अपना सर राठौड़ अंकल के आगे रख दिया।

सिंह अंकल
मेरे ऊपर आ गये और अपना लण्ड मेरी चूत के ऊपर रख कर धीरे
धीरे
से अन्दर डाल दिया और फिर अन्दर बाहर करने लगे और झड़ ग‌ए।

फ़िर राठौड़
अंकल ने मुझे अपने नीचे लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरी चूत चोदने लगे। मेरी
टांगों को उठा कर उन्होंने ने भी मुझे पूरे जोर से चोदा। फिर उन्होंने ने मेरी
गाण्ड को भी चोदा और मेरी गाण्ड में ही झड़ गये। मैं कितनी बार झड़ चुकी थी
,
मुझे याद भी नहीं था।

मेरा इतना
बुरा हाल था कि अब मुझसे खड़ा होना भी मुशकिल लग रहा था। मैं वहीं पर लेट ग‌ई। हम
सभी नंगे ही एक ही बिस्तर में सो गये। फिर अचानक मेरी आँख खुली और मैंने समय देखा
तो सुबह के तीन बजे थे।

मैंने अपने
कपड़े उठाये और बिल्कुल नंगी ही नीचे आने लगी। मगर सीढ़ियाँ उतरते वक्त मेरी टांगें
नशे में बुरी कांप रही थी और चूत और गाण्ड में भी दर्द हो रहा था। नशे में बिल्कुल
चूर थी और ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में नंगी ही लड़खड़ती हुई कमरे तक आयी। रास्ते में
तीन-चार बार लुढ़की भी।

सुबह मैं
काफी देर से उठी और मुझ से चला भी नहीं जा रहा था। इसलि‌ए मैं बुखार का बहाना करके
बिस्तर पर ही लेटी रही। जब अंकल जाने लगे तो वो मुझसे मिलने आये। पापा और मम्मी भी
साथ थे
, इसलि‌ए उन्होंने मेरे
सर को चूमा और फिर जल्दी आने को बोल कर चले

गये।

मगर मैं पूरा दिन और पूरी रात बिस्तर पर ही अपनी चूत और गाण्ड को पलोसती रही।

!!! क्रमशः !!!

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