भाभी की छोटी बहन निशी को चोदा – मैं ‘ऊफ़्फ़फ़.. ऊफ़्फ़फ़्फ़.. आआआ..’ करता हुआ झड़ गया

भाभी की छोटी बहन निशी को चोदा – मैं ‘ऊफ़्फ़फ़.. ऊफ़्फ़फ़्फ़.. आआआ..’ करता हुआ झड़ गया

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दोस्तो, मैं एक जवान हट्टा-कट्टा युवक हूँ और अपने परिवार के साथ रहता हूँ। मैं बहुत दिनों से अपनी भाभी की छोटी बहन निशी को चोदने की ताक में था। निशी एमबीए की पढ़ाई के लिए शहर आई हुई थी और हमारे साथ ही रहती थी। मैं जानता था कि अपनी ही भाभी की छोटी कुंवारी बहन को चोदने की इच्छा करना ठीक नहीं है.. पर लौड़े की जिद के आगे मज़बूर था।

निशी के मादकपन ने मुझे उसका दीवाना बना दिया था। धीरे-धीरे मैं उसकी जवानी का रस लेने को बेताब हो गया.. पर मौका न मिलने से परेशान था। मुझे लगने लगा था कि मैं अपने आप पर ज्यादा दिन काबू नहीं रख पाऊँगा। चाहे जोर जबरदस्ती करनी पड़े.. पर निशी को चोदने का मैं निश्चय कर चुका था।
मुझको डर था कि रेखा भाभी को यह बात पता चल गई तो न जाने वह गुस्से में क्या कर बैठें।

निशी को जब मैंने पहली बार देखा तो इतनी पसंद नहीं आई.. पर फिर बाद में पसंद आने लगी थी। निशी बड़ी सेक्सी थी.. उसका फिगर 30-24-32 था। उसके स्तन बड़े मस्त थे और उसकी गाण्ड भी मस्त थी। उसकी शार्ट ड्रेस के नीचे दिखतीं गोरी-गोरी चिकनी टांगें मुझे दीवाना बना देती थीं। निशी थी भी बड़ी शोख और चंचल.. उसकी हर अदा पर मैं मर मिटता था। उसकी ठोड़ी के तिल ने उसके सौन्दर्य को और भी निखार दिया था।

शुरु मैं तो वो मुझे भाव ही नहीं देती थी। वो हमारे घर वालों से घुलमिल गई थी.. और अब मुझसे भी कभी-कभार बात कर लेती थी। फिर हमारी दोस्ती हो गई।

एक दिन मैंने अकेले में उसे रोते पाया.. मुझे अपने कमरे में घुसता देख उसने अपने आंसू पोंछ लिए। मैंने उससे कई बार जानना चाहा कि वो क्यों रो रही है.. पर उसने नहीं बताया।

इस बात को एक हफ्ता बीत गया था.. एक दिन मैंने उसे मोबाइल पर किसी से ये कहते सुना कि मैं गरीब घर की हूँ.. मैं तुम्हें इतना पैसा कहाँ से लाकर दूँगी.. प्लीज मुझे मेरा एमएमएस लौटा दो.. या डिलीट कर दो.. वर्ना मैं जान दे दूँगी।

अब माजरा मेरी समझ में आ गया था। निशी को कोई ब्लैकमेल कर रहा था।

दोपहर मैं जब कारखाने से घर लौटा तो घर में कोई नहीं था। तभी निशी उधर आ गई। वो अपने कमरे में चली गई। मैं उसके पीछे अन्दर चला गया.. वो कपड़े बदल रही थी। आहट पा कर टी-शर्ट पहनते हुए वो पलटी तो मुझे देख कर शर्मा गई।

मैंने उसको दोनों हाथों से पकड़ा.. तो वो एकदम से घबरा गई, मैंने कहा- प्लीज डरो मत.. मुझे एमएमएस का क्या माजरा है.. वो बता दो।

वो रो पड़ी.. उसे लगा उसका एमएमएस कहीं मेरे मोबाइल पर किसी ने भेज तो नहीं दिया।

वो अब मेरे सीने से लगी हुई थी.. फिर उसने रोते हुए बताया- एक दिन कॉलेज की लायब्रेरी में मुझे अकेला देख एक लड़के ने मुझे बाँहों में भर लिया और मेरे होंठों पर ‘किस’ कर दिया, दूर खड़े उसके दूसरे साथी ने इसे मोबाइल पर एमएमएस के रूप में रिकार्ड कर लिया था। अब वो मुझे ब्लैकमेल कर रहा है और मुझसे दो लाख रुपए देने या उनके आधा दर्जन दोस्तों के साथ एक दिन के टूर पर चल कर उन्हें चोदने का मौका देने की माँग कर रहा है। वे लोग पिछले 15 दिन से मुझे धमका रहे हैं कि उसका एमएमएस पूरे कॉलेज में भेज देंगे।

मैंने कहा- बस इतनी सी बात है.. पगली मैं तो कब से पूछ रहा हूँ.. तुम्हारी मुश्किल में अभी दूर करवा देता हूँ.. पर समय आने पर इसकी फीस जरूर वसूलूँगा।

उसने कहा- तुम जो माँगोगे.. दे दूँगी.. पर इन कुत्तों से मेरा पीछा छुड़ाओ.. वर्ना मैं बदनाम हो जाऊँगी।

मैंने तत्काल पुलिस की ‘केयर फॉर यू’ की हेल्प लाइन पर उससे फ़ोन लगवाया।

अगले दिन पुलिस ने उन दोनों लड़कों को उठा लिया। उनके मोबाइल को अपने कब्जे में ले लिया।

पुलिस ने उनकी काफी पिटाई कर दी थी.. निशी के फोन पर मैसेज आया तो बिना किसी को घर में बताए मैं उसे लेकर थाने में पहुँच गया।

उन दोनों के माता पिता भी वहाँ मौजूद थे.. उन दोनों के माता-पिता के कहने पर दोनों ने निशी से पैर छू कर माफ़ी माँगी। बाद में पुलिस ने अपनी जेब गरम करके उन्हें छोड़ दिया।

चुदाई का मौका मिल गया

निशी अब तनाव मुक्त थी.. इस घटना के बाद मेरा नसीब जाग गया था.. दो दिन बाद ही बड़ी मामी के अचानक निधन की खबर आ गई।

मामा जी की घर में काफी इज्जत थी, उन्होंने पापा को नौकरी छोड़ कर अपना कारोबार शुरू करने में काफी मदद की थी, पूरे परिवार घर को जाना पड़ा।

घर मैं और निशी रह गए थे.. मैं लंच करने घर आया तो वो कॉलेज से आ चुकी थी। वो बाथरूम से नह़ा कर वो बाहर निकली और मैं उसके कमरे में था।
मुझे देखकर वो हड़बड़ा गई… उसके बदन पर लपेटा हुआ तौलिया नीचे सरक गया।

मैंने उसे गोदी में उठा लिया सीधे कमरे में बिस्तर पर ले गया और जाते ही उसके जलते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

उसने मेरा हल्का सा विरोध किया.. पर उसके बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।

मैं उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगा। करीब दस मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद वो पूरी गर्म हो गई और मेरे कपड़े उतारने लगी।

मेरा लण्ड अन्दर ही पैंट फाड़ने लगा। मैंने भी देर ना करते हुए उसके कपड़े उतार दिए।

उसने केवल पैन्टी ही पहनी थी। उसका नंगा बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूचियाँ इस तरह मेरे सामने थीं कि मानो मुझे अपनी वासना बुझाने के लिए आमन्त्रित कर रही हों।

थोड़े ही समय में दोनों पूरे नंगे हो गए। थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो वह घुटने के बल बैठ गई और मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उसके चूचियाँ दबा रहा था। फिर मैंने उसे लिटा दिया और उसकी संगमरमारी चूत अपनी ऊँगलियों से चोदने लगा। उसकी अनचुदी चूत एकदम कसी थी। वह सिसकारियाँ भर रही थी और वह झड़ चुकी थी।

अब मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा.. पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी।
मैंने कर थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें।

मेरे लवड़े का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। अब मैंने लण्ड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया।

अब वह सर को इधर-उधर मार रही थी.. पर लण्ड तो अपना काम कर चुका था। मैंने अपनी सांस रोकी और लण्ड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लण्ड पूरा उसकी चूत में घुस गया। उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो। उसकी सील टूट गई। चूत से थोड़ा सा खून बहा।

मैंने कहा- निशी तुम्हारी सील तोड़ने में मज़ा आ गया।

मैंने एक और जोरदार झटका लगाया और लण्ड पूरी तरह निशी की चूत में घुस चुका था। निशी चीखना चाहती थी.. पर चीख नहीं सकती थी। निशी की आँखों से आंसू टपक रहे थे

थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ। अब वह धक्के पर ‘आह.. ह्ह्ह ईई और आआह्ह्ह्ह्ह..’ कर रही थी।

उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी।

उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था। मुझे बहुत आनन्द आ रहा था। उसके ऐसा करने से लण्ड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वह पूरा आनन्द ले रही थी।

अचानक उसकी साँसें तेज हो गई थीं और पूरे कमरे में उसकी ‘आह.. उह्ह..’ की आवाजें गूंजने लगीं और फिर ‘उफ्फ्फ्फ उफ्फ..’ की आवाजें करते-करते वो फिर से झड़ गई।

अब उसकी चूत और चिकनी हो गई थी और मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। उसकी जान निकल रही थी। ऐसे ही दस मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया।

आधा घंटे बाद मैंने देखा बगल में लेटी निशी मेरा लण्ड सहलाने लग गई। उसकी छेड़खानी की वजह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और निशी भी गरमाने लगी थी।

हम फिर से एक-दूसरे को चूमने-चाटने लग गए। निशी बीच-बीच में मेरा सुपाड़ा निकाल कर मुठ भी मार देती थी। जल्दी ही हम 69 की अवस्था में आ गए और अब निशी मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं निशी की चूत को चाट रहा था।

थोड़ी देर बाद निशी बोली- मुझ पर चढ़ जाओ और मुझे एक बार और चोद दो। अब बर्दाश्त नहीं होता है।

यह सुन कर मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया और उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया.. जिससे उसकी फ़ुद्दी थोड़ और ऊपर को उठ गई।

अब मैंने अपने लण्ड चूत के छेद पर रख कर थोड़ी सी ताकत के साथ दबाया तो उसके मुँह से चीख निकल गई।
मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए।

वो बोली- इस बार दर्द कुछ कम हो रहा है।

अब उसको मज़ा सा आने लगा था और अब निशी ने अपनी गाण्ड को उछालना शुरु कर दिया। अचानक वो तेजी के साथ हिलने लगी और झड़ गई।

अब निशी की चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी और लण्ड भी आसानी से अन्दर-बाहर हो रहा था। मैंने भी उसको आहिस्ता-आहिस्ता धक्के मारने शुरू कर दिए।

जब मैं कुछ देर यूँ ही आहिस्ता-आहिस्ता धक्के मारता रहा तो निशी एकदम से उत्तेजित हो कर बोली- अब जोर-जोर से धक्के लगाओ।

यह सुन कर मैंने अपने धक्कों कि’ रफ़्तार बढ़ानी शुरु कर दी और कुछ ही समय में मैं निशी को तेजी के साथ चोदने लगा।

लगभग 20 -25 मिनट तक पूरी रफ्तार से धक्के लगने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूँ.. निशी तेजी के साथ झटके देने लगी और मैं ‘ऊफ़्फ़फ़.. ऊफ़्फ़फ़्फ़.. आआआ..’ करता हुआ झड़ गया

उसके चेहरे पर संतुष्टि और आनन्द झलक रहा था। हम दोनों पूरी तरह थक चुके थे। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने कपड़े पहन सके।

मैंने उसको जल्दी-जल्दी कपड़े पहनाए क्योंकि डर था कहीं मामाजी की खबर सुन कोई रिश्तेदार घर न आ जाए।

उस रात हमने स्प्रे और शिलाजीत की कैपसूल खाकर तीन बार और चुदाई की। उन दो दिनों की चुदाई के बारे में सोचकर आज भी दिल रोमाँचित हो जाता है।

मेरी कहानी अच्छी लगी या बुरी, प्लीज मुझे अपनी प्रतिक्रिया जरूर मेल कीजिएगा।