मैं रोती रहती हूँ वो चोदते रहते हैं – जीजू को रहम नहीं आया एक झटके में पूरा लण्ड घुसा दिया

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मेरा नाम मेघना है, उम्र 19 साल, शादी को कुछ महीने हो चुके हैं। मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं, मैं भी उन्हें बहुत प्यार करती हूँ। मैं अपने पति से कई बार चुद चुकी हूँ। मेरी चुदाई मुझे बहुत तकलीफ देती है। मेरे पति मुझे चोदते समय मुझ पर बिल्कुल भी दया नहीं दिखाते, बेरहम हो जाते हैं। मैं रोती रहती हूँ, वो चोदते रहते हैं।
ऐसा नहीं कि मैं शादी से पहले नहीं चुदी हूँ। मैं शादी से पहले अपने जीजू से कई बार चुद चुकी हूँ। जीजू भी मुझे चोदते समय बेरहम हो जाते थे। शायद सारे पुरुष एक जैसे ही होते हैं। पहले मैं जीजू से अपनी चुदाई के बारे मैं बताती हूँ।
बात उस समय की है जब दीदी की शादी हुई थी। जो मुझसे दो साल बड़ी थी। हम दोनों बहनें कम सहेलियाँ ज्यादा थी। हमने एक दूसरे को पूरा नंगा करके देखा था एक दूसरे की चूत भी देखी थी। लेकिन चुदाई क्या होती है यह पता नहीं था। दीदी ने ही ससुराल से लौटकर बताया था कि जीजू ने उन्हें कैसे और कितनी बेरहमी से चोदा था।
मैंने एक बार पापा मम्मी को चुदाई करते चुपके से देख लिया था। तब मैं 14 साल की थी। यह तो पता था कि औरतों के चूत होती है। लेकिन यह नहीं पता था कि लण्ड इतना मोटा और लम्बा होता है और चूत में घुस जाता है।
मम्मी बड़े आराम से चुद रहीं थीं। मम्मी बैड पर लेटी थीं। उनकी टांगें नंगी थीं और ऊपर को मोड़ी हुई थीं। पापा नीचे खड़े थे। वो अपने लण्ड को मम्मी की चूत में अन्दर-बाहर कर रहे थे।
मुझे डर लगा और दीदी को भी दिखाया। तब दीदी ने बताया था कि पापा मम्मी को चोद रहे हैं
मैंने पूछा- क्यों?
तो उन्होंने बताया- हर औरत को चुदना पड़ता है
दीदी साइंस पढ़ती थी, उन्होंने बताया- एक दिन तुझे भी चुदना पड़ेगा, मुझे भी चुदना पड़ेगा।
मैने पूछा- तकलीफ़ नहीं होती है क्या?
उन्होंने कहा- पता नहीं, जब तू खुद चुदेगी तो पता चल जायेगा।
कुछ सालों में दीदी की शादी हो गई। वहाँ से लौट कर दीदी ने अपनी चुदाई के बारे में बताया था। उन्होंने बताया कि जीजू उन्हें पूरी नंगी करके चोदा। चुदाई में लगती भी है और मजा भी बहुत आता है।
अब मेरी भी चुदने की इच्छा होने लगी थी। अगली बार मैं भी उनके साथ उनके घर गई। वो दोनों ही नौकरी करते थे। फ्लैट में दो कमरे थे। एक में वो दोनों और एक में मैं अकेली सोती थी। मैं रात को बिस्तर में लेटने के बाद उन दोनों की चुदाई के बारे में सोचा करती थी। मुझे देखना था कि ज़ीजू दीदी को कैसे चोदते हैं।
एक रात को मुझे मौका मिल ही गया। उनके कमरे की लाइट जली थी। दरवाजे में एक छेद था। मैंने देखा कि जीजू दीदी के कपड़े उतारने की कोशिश कर रहे थे।
दीदी विरोध कर रही थी, कह रही थी- मेघना जाग जायेगी।
जीजू कह रहे थे- अब मेरे से और इंतजार नहीं होता। आज तो मैं तुम्हें चोदकर ही मानूँगा।
जीजू जबरदस्ती दीदी को नंगी करने लगे तो दीदी गिड़ड़ाने लगी- मान जाओ ……… मान जाओ……… बहुत लगती है। मेरी चीख निकल जाती है। मेघना सुन लेगी।
जीजू नहीं माने, बोले- कि तुम चीखती हो तो और मजा आता तुम्हें चोदने में !
उन्होंने दीदी की साड़ी खींचनी शुरू की। दीदी उनको रोक रही थी। लेकिन जीजू ने दीदी को एक हाथ से पकड़ लिया और दूसरे हाथ से दीदी की साड़ी उतार दी। अब जीजू ने दीदी को पीछे से बाँहों में भर लिया और दीदी का ब्लाउज खोलने लगे। दीदी जीजू से छूटने की कोशिश कर रही थी। उन्हें अपने ब्लाउज के हुक खोलने से रोक रही थी। लेकिन जीजू ने ब्लाउज के हुक भी खोल दिये। मेरी साँसें रुकी हुई थीं। जीजू ने दीदी का ब्लाउज भी उतार कर फेंक दिया। दीदी की ब्रा उतारने के लिये जीजू को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। उन्होंने दीदी की ब्रा की पट्टियों को कधों से नीचे उतार दिया। फिर दीदी को घुमाकर बाँहों में कस लिया और पीछे से ब्रा की हुक खोल दी। अब दीदी का पेटीकोट रह गया था। ब्रा उतारकर दीदी को छोड़ दिया। दीदी इधर उधर भागने लगी। जीजू दीदी के पेटीकोट का नाड़ा खोलने को लपके।
दीदी ने नाड़ा पकड़ लिया ताकि खुले नहीं, वह कह रही थी- मान जाओ…… रहने दो, इसे मत उतारो।
जीजू बोले- अच्छा ठीक है।
वो रुक गये। अब दीदी ने नाड़ा छोड़ दिया और अपने स्तनों को पकड़ लिया। जीजू ने लपक कर दीदी को बाँहों में भर लिया। जबरदस्ती दीदी के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। दीदी छटपटाने लगी। जीजू ने उनका पेटीकोट उतार कर दीदी को नंगी धड़ंग कर दिया और गोद में उठाकर बिस्तर पर पटक दिया।
उन्होंने दीदी के होंथों पर होंठ रख दिए। फिर ऊपर से नीचे तक चाटा। जब उन्होंने दीदी की चूत चाटी तो दीदी सिसकारी भरने लगी। वो बल खाने लगी।
जब जीजू ने अपने कपड़े उतारे तो मैं जीजू का लण्ड देखकर दंग रह गई। पापा के लण्ड की तरह बड़ा था।
वो जब दीदी के ऊपर झुके तो दीदी हाथ जोड़कर कहने लगी- मान जाओ…… बहुत तकलीफ़ होती है।
जीजू नहीं माने। जीजू ने अपना लंड दीदी की चूत पर रख दिया। दीदी ने अपने हाथ उनके पेट पर रखे ताकि उन्हें रोक सके। जीजू के बार बार कहने पर हथियार डाल दिये। दीदी ने अब अपने हाथ ऊपर करके सिरहाने रख लिये। अब दीदी रुआंसी हो चली थी।
जीजू ने लण्ड चूत में घुसाना शुरू किया। दीदी ने अपने होंठ भींच लिये। ताकि आवाज न निकले। लेकिन जैसे ही जीजू ने धक्का मारा, दीदी की चीख निकल गई…आ…आ…आ…आ… ।
जीजू का आधा लण्ड दीदी की चूत में फँसा था। दीदी रो रही थी। थोड़ी देर दीदी को रुलाने के बाद जीजू ने एक और धक्का मारा और पूरा लण्ड दीदी की चूत में होकर उनके पेट में घुस गया। दीदी की फिर से चीख निकल गई…आ…आह…आ…आई…।
दीदी की हालत देखकर मेरे पैर काँपने लगे, मेरी चूत भी गीली हो गई थी।
कुछ रुककर जीजू ने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर खींचा और थोड़ा सा खींचकर रुक गये। दीदी की फिर से चीख निकल गई…आ…ओ…आह…आ…।
फिर जीजू ने पूरा लण्ड बाहर खींचकर एक झटके में पूरा लण्ड दीदी की चूत में घुसा दिया। दीदी की फिर से चीख निकल गई…आह…आ…आ…आ…।
जीजू अब लगातार लण्ड को अन्दर बाहर करने लगे। दीदी भी पहले तो हर धक्के पर चीखती रही …आ…आ…आ…आ…। फिर लगातार रोने लगी। बाद में उनका रोना सिसकारियों में बदल गया।
अब वह आहें भरने लगी। थोड़ी देर के बाद जीजू से लिपटने लगी। और फिर अचानक जाने क्या हुआ। दीदी जीजू से लिपट गई। जीजू को कसकर जकड़ लिया। जीजू को भी जाने क्या हुआ ऐसा लगा मानो वो पूरे ही चूत में समा जायेंगे और आह …… आह …… करने लगे।
उस समय तक मुझे उसका मतलब पता नहीं था। बाद में जब जीजू ने मुझे चोदा तब समझ में आया।
मैं जाकर अपने कमरे में सो गई। नींद तो नहीं आई, आँखों में दीदी की चुदाई घूम रही थी। मुझे लग रहा था जैसे मुझे किसी ने चोद डाला हो।
अगले दिन दीदी काम पर नही गई।
जीजू चले गये तब मैंने दीदी से पूछा- क्या जीजू तुम्हें ऐसे ही चोदते हैं?
दीदी बोली- तो क्या तूने सब देख लिया?
मैंने कहा- हाँ।
दीदी बोली- वो तो तेरी वजह से जल्दी जल्दी चोद लिया वरना एक घन्टे तक रुलाते रहते हैं। मेरी पूरी जान निकाल लेते हैं।
वो कैसे? मैंने पूछा।
दीदी बोली- पहले तो आधा ही घुसाकर रुक जाते हैं। उस जगह पर लण्ड सबसे मोटा होता है। ऐसा लगता है जैसे चूत फट जायेगी। जब पूरा लण्ड अन्दर चला जाता है तो आराम मिलता है। फिर दो-चार धक्के मार कर रुला देते हैं और पूरा लण्ड बाहर निकाल लेते हैं। जब मैं शान्त हो जाती हूँ, फिर से दो-चार धक्के मार कर रुला देते हैं और पूरा लण्ड बाहर निकाल लेते है। बड़ी बेरहमी से चोदते हैं।
दिन भर मैं घर पर अकेली रहती थी। मैं स्कर्ट पहनती थी। जब अकेली हो जाती थी तो चड्डी उतार देती थी। अपनी चूत को उँगली से छेड़ती रहती थी।
एक दिन मैं पता नहीं कैसे दरवाजा बंद करना भूल गई। मेरी आँख लग गई।
शायद जीजू अन्दर आये होंगे। पता नहीं मेरी स्कर्ट अपने आप ऊपर हो गई थी या जीजू ने ऊपर की थी। उन्होंने मोबाइल से मेरी कई नंगी तस्वीरें खीच लीं।
एक दिन वो जल्दी ही घर लौट आये, दोपहर में मुझसे बोले- आओ, तुम्हें बढ़िया फोटो दिखाऊँ।
मैंने कहा- दिखाओ।
उन्होंने अपने मोबाइल में मेरी नंगी फोटो दिखाईं।
मैं वहाँ से भागी तो उन्होंने मुझे पकड़कर अपनी टाँगों पर बिठा लिया।
मैं बोली- छोड़ो जीजू आप तो बहुत बेशर्म हो।
जीजू बोले- अच्छा जी……? नंगी तुम सोती हो, और बेशर्म मैं हो गया? मैंने तो नहीं कहा था नंगी सोने के लिये।
मैंने अपना चेहरा हाथों से छिपा लिया।
वो बोले- वैसे तुम्हारी चूत है बहुत सुन्दर। तुम्हारी चूत देखकर तो किसी बु्ढ्ढे का लण्ड भी खड़ा हो जायेगा।
उन्होंने शब्दों में मेरी चूत का नक्शा खींच दिया।
मैंने कहा- जीजू चुप रहो !
मैं फिर भागने को उठी।जीजू ने फिर पकड़कर अपनी टाँगों पर बिठा लिया, वो मेरी जाँघों पर हाथ फिराने लगे और कहने लगे- मेघना, सच बताना….. अभी तक किसी से चुदी हो या नहीं?
मैं सीधे प्रश्न का कोई सीधा उत्तर न दे सकी।
जीजू ने फिर पूछा- बताओ न मेघना, अभी तक किसी से चुदी हो या नहीं?
मैने ना में सिर हिला दिया।
जीजू बड़ी बेशर्मी के साथ बोले- फिर तो तुम्हें चोदने में बहुत मजा आएगा ! बोलो चुदोगी? अभी तो तुम्हारी चूत की सील भी नहीं टूटी होगी।
मैं चौंक गई- क्या मतलब? कैसी सील?
जीजू बोले- हर कुँआरी लड़की की चूत एक झिल्ली से बन्द होती है, जिसे हाइमन कहते हैं। जब लण्ड पहली बार चूत में घुसता है तो वह फट जाती है। उसी को चूत फाड़ना कहते हैं। चूत फटने के ख्याल से मेरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई, दीदी को रोते देख चुकी थी।
मेरी बेखुदी में जीजू का हाथ कब स्कर्ट के अन्दर पहुँच गया? मुझे पता ही नहीं चला। जब होश आया तो मैंने उनका हाथ हटना चाहा तो जीजू ने मुझे गोद में लिटाकर मेरी स्कर्ट ऊपर उठा दी और मेरी चड्डी उतारने लगे।
मैं गिड़गिड़ाने लगी- जीजू नहीं… जीजू नहीं….।
जीजू नहीं माने। उन्होंने मेरी चड्डी उतार दी।
अब मेरी चूत उनके सामने थी। मेरी झाँटें छोटी-छोटी थीं। जीजू मेरी चूत को सहला रहे थे।
फिर जाने क्यूँ उन्होंने मुझे छोड़ दिया।
मैं खड़ी हो गई।
फिर जीजू बोले- अब बाकी कपड़े तुम खुद उतारोगी या मैं उतारूँ?
मैं कुछ न बोली।
फिर जीजू उठे और मुझे पीछे से बाँहों में भर लिया और मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए। बटन खोलते हुए उन्होंने पूछा- जानती हो लण्ड कितना लम्बा होता है?
मैंने पापा का लण्ड भी मम्मी को चोदते समय देखा था और खुद जीजू का लण्ड भी दीदी को चोदते समय देखा था। फिर भी मैंने ना में सिर हिला दिया।
वो उँगली से इशारा करते हुए बोले इत्ता सा होता है, लेकिन चूत सामने हो तो या लड़की बाँहों में हो तो छ: से आठ इंच तक लम्बा हो जाता है।
जीजू का लण्ड खड़ा हो चुका था जो मुझे अपने पीछे गाण्ड पर महसूस हो रहा था।
मुझे जाने क्या हो गया था। मैं जीजू को रोक नहीं पा रही थी। जीजू मेरी शर्ट के सारे बटन खोल चुके थे। उन्होंने मेरी शर्ट को पीछे को उतार दिया।
अब जीजू बोले- तुम्हें अपनी चूत के बारे में पता है?
मैंने कुछ नहीं कहा।
अब तक वो मेरी ब्रा के हुक भी खोल चुके थे। ब्रा के स्ट्रेप्स को कंधों से नीचे सरका दिया।
ब्रा भी उतर गई।
मेरे स्तन कड़े थे। जीजू मेरे स्तनों से खेलने लगे।
मुझे उत्तेजना की वजह से पेशाब जाने की इच्छा होने लगी, मैं बोली- जीजू, पेशाब लगा है।
जीजू बोले- अब तुम्हारी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी है। तुम चाहे न मानो, लेकिन तुम्हारी चूत चुदने को तैयार है।
मैं गिड़गिड़ाई- नहीं जीजू ! तकलीफ़ हो जायेगी मुझे !
मैं उनसे छूटने की कोशिश करने लगी।
जीजू बोले- देख मेघना, अब तुम्हें बिना चोदे तो मैं छोड़ूँगा नहीं।
मैं रुआँसी हो गई। अनजाने डर से मेरी आँखों में आँसू आ गये।
मैं बोली- जीजू, पेशाब तो कर आने दो?
जीजू बोले- चल, मैं करवा कर लाता हूँ।
उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और…मुझे उत्तेजना की वजह से पेशाब जाने की इच्छा होने लगी, मैं बोली- जीजू, पेशाब लगा है।
जीजू बोले- अब तुम्हारी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी है। तुम चाहे न मानो, लेकिन तुम्हारी चूत चुदने को तैयार है।
मैं गिड़गिड़ाई- नहीं जीजू ! तकलीफ़ हो जायेगी मुझे !
मैं उनसे छूटने की कोशिश करने लगी।
जीजू बोले- देख मेघना, अब तुम्हें बिना चोदे तो मैं छोड़ूँगा नहीं।
मैं रुआँसी हो गई। अनजाने डर से मेरी आँखों में आँसू आ गये।
मैं बोली- जीजू, पेशाब तो कर आने दो?
जीजू बोले- चल, मैं करवा कर लाता हूँ।
उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और…
टॉयलेट में ले गये।
मैं टॉयलेट में स्कर्ट को टाँगों में दबाये खड़ी जीजू के हटने का इन्तजार कर रही थी।
जीजू बोले- बैठ ! कर पेशाब।
मैं नहीं बैठी। मैं सिर झुकाये खड़ी रही।
जीजू बोले- मेघना बैठ ना ! मैंने अभी तक तुम्हारी दीदी को भी पेशाब करते नहीं देखा है। तुम्हारी चड्डी तो मैंने ही उतारी है। अब तो तुम्हें पेशाब करते हुए देखूँगा।
मैं न चाहते हुए भी बैठ गई।
जीजू दरवाजे पर ही खड़े रहे, बोले- कर पेशाब।
वो मेरी चूत की ओर देख रहे थे और मैंने पेशाब की धार छोड़ दी।
मैं उठी और जीजू मुझे बाँहों में भर कर कमरे में ले आये। कमरे में आते ही उन्होंने मेरी स्कर्ट के हुक खोल दिये और स्कर्ट नीचे गिर गई।
मैं अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी।
जीजू ने मुझे उठाकर बिस्तर पर पटक दिया, मेरी टाँगों को ऊपर उठाकर मेरे सामने बैठ गए।
फिर मुझसे ही मेरी चूत का वर्णन करने लगे।
मेरी चूत के होठों को पकड़कर बताया- ये तुम्हारी चूत के होंठ हैं।
फिर चूत को अपनी उँगली और अँगूठे से फैलाकर बताया- यह तुम्हारी भगनासा है !
और हल्का सा सहला दिया।
मुझसे बरदाश्त न हुआ, मैं दोहरी हो गई, मेरी सिसकारी निकल गई।
फिर उन्होंने मेरी चूत का बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया। फिर अपने कपड़े भी उतार दिये।
मुझे अपने लण्ड को दिखाते हुए बोले- देख, यह लण्ड है। यही चूत फाड़ने का औजार है।
फिर उन्होंने लण्ड की खाल को ऊपर खींच दिया, बोले- चूत में घुसने के बाद यह ऐसा हो जाता है। ऐसे भी घुस सकता है चूत में। अब मैं इसे तुम्हारी चूत में घुसाऊँगा।
जीजू मेरे ऊपर ऐसे आ गये कि उनका लण्ड मेरे मुँह पर और उनका सिर मेरी चूत पर था।
उन्होंने जब मेरी चूत चाटना शुरू किया तो मेरी आह निकल गई। जीजू ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और लण्ड को गले तक पहुँचा दिया।
उस समय मुझे पहली बार अहसास हुआ कि लण्ड कितना लंबा और सख्त होता है।
जीजू जल्दी ही असली काम पर आ गये। उन्होंने मेरी टाँगें ऊपर को मोड़ दीं। मेरी चूत के दोंनों होंठ खुल गये।
जीजू ने लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया।
डर के मारे मुझे चूत पर लण्ड टिकते ही दर्द महसूस होने लगा।
मुझे लगा कि जीजू ने ठोक दिया लण्ड मेरी चूत में। मेरे मुँह से निकला- आ…।
जीजू बोले- अभी तो मैंने कुछ भी नहीं किया।
मैं बोली- जीजू, मुझे डर लग रहा है।
दीदी की हालत तो मैं पहले ही देख चुकी थी।
अब जीजू ने लण्ड को मेरी चूत में घुसाना शुरू किया तो मेरी चूत में लगने लगी।
मैं जीजू को रोकते हुए बोली- आ… जीजू, लग रही है। जीजू मर जाऊँगी… आआ… आ… जीजू प्लीज ! मर जाऊँगी…मैं !
अभी तक जीजू लण्ड का चूत पर दबाव बढ़ा रहे थे। मेरी आँखों में आँसू छ्लक आये थे। तभी लण्ड फिसलकर मेरी भगनासा को रगड़ते हुए मेरे पेट की ओर आ गया।
डर के मारे मुझे पता नहीं था कि लण्ड कहाँ गया। मेरी आह निकली।
जीजू बोले- अरे वैसे ही, अभी घुसा ही कहाँ है?
मैं बोली- जीजू मुझे बहुत डर लग रहा है।
जीजू बोले- इसमें डरना काहे का, बस लण्ड तुम्हारी चूत को फाड़ेगा और तुम्हारे पेट में घुस जायेगा।
जीजू ने ऐसे कहा जैसे कुछ भी नहीं होने वाला।
जीजू ने फिर लण्ड को मेरी चूत के छेद पर रखा और लण्ड को मेरी चूत में घुसाना शुरू कर दिया।
मेरी चूत में फिर से लगने लगी।
मैं जीजू को रोकते हुए बोली- आ…आ… जीजू, लग रही है। जीजू, लग रही है, मर जाऊँगी… आआ… आ…
और जीजू ने थोड़ा रुककर एक जोर का धक्का मारा।
मेरी चीख निकली- आआआआ… आआ…।
मेरी चूत की झिल्ली फट गई, खून निकल आया था। लण्ड करीब दो इंच अन्दर मेरी चूत में घुस कर फँस चुका था।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानो कोई मेरी चूत को चाकू से काट रहा हो। मैं रोने लगी थी- आआआ… आ… जीजू… बहुत जोर से लग रही है।
जीजू के लण्ड का बीच का मोटा हिस्सा अभी और घुसना बाकी था।
जीजू ने धीईई…रे से लण्ड को थोओओ…ड़ा-सा बाहर निकालकर बड़ी बेरहमी से एक और धक्का मारा।
मैं मर गई और भी जोर से चीखी- आआआआ… आआ… और रोने लगी।
लण्ड सबसे मोटे हिस्से तक मेरी चूत में घुस गया था।
जीजू बोले- मेघना, यह तो शुरूआत है। असली चुदाई तो अब होगी।
उन्होंने फिर से लण्ड को थोड़ा-सा बाहर निकालकर बड़ी बेरहमी से धक्का मारा। अब पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसकर मेरे पेट में समा गया।
जीजू ने भी पूरा जोर लगाकर जितना गहरा घुसा सकते थे उससे भी ज्यादा घुसा दिया। उनका लण्ड मेरे पेट में कहाँ तक घुस गया? पता नहीं। पेट के अन्दर 7 इंच बाप रे।
उसके बाद तो जीजू ने धक्कों की झड़ी लगा दी। चार पाँच धक्के ऐसे मारे कि जीजू पूरे लण्ड को बाहर खींचते और वापस मेरी चूत में ठोक देते।
मैं हर धक्के पर रोती- आआआआ… आआ… आआआआ… आआ… आआआआ… आआ…
फिर उन्होंने लण्ड बाहर निकाल लिया। मेरी टाँगें सीधी कीं।
अब मेरी चूत के दोनों होठ आपस में मिल गये। चूत मात्र एक दरार जैसी दिखने लगी और जीजू आ गये फिर से अपनी औकात पर।
वो मेरे ऊपर बैठ गये। उन्होंने लण्ड को मेरी चूत की दरार पर रखा और बड़ी बेरहमी के साथ एक ही धक्के में घुसाते चले गये।
मेरी तो जान ही निकल गई, मैं बिलबिलाने लगी।
जीजू लण्ड को चूत में पूरी ताकत से तब तक दबाते रहे जब तक पूरा लण्ड मेरे पेट में नहीं समा गया।
मेरी चूत का बुरा हाल था। उन्होंने बिना रुके कई धक्के लगा डाले। मैं रोती रही।
फिर उन्होंने लण्ड बाहर निकाल लिया।
मैं जानती थी कि थोड़ा रुककर फिर से लण्ड मेरी चूत में ठोक देंगे। उनके इस शौक के बारे में दीदी ने बताया था।
वही हुआ।
उन्होंने अपना लण्ड एक ही झटके में पूरा का पूरा चूत के रास्ते मेरे पेट में घुसा दिया। मैं रोने के सिवा कुछ न कर सकी।
मैं हर धक्के पर रोती रही। वो मुझे चोदते रहे।
काफी देर चुदने के बाद मुझे अपने अन्दर से कुछ निकलता महसूस हुआ।
उस क्षण को मैं बर्दाश्त न कर सकी और कसकर जीजू से लिपट गई। आ…ह… जीजू… अब बअ…अ…स।
उस समय जीजू नहीं रुके। वो धक्के मारते रहे।
कुछ सेकण्डों में मैं निढाल हो गई। पता नही मैं सो गई थी या बेहोश हो गई थी? मुझे तो यह भी याद नहीं कि जीजू उसके बाद भी मुझे चोदते रहे या नहीं? इतना याद है कि जब होश आय तो मेरी चूत में दर्द हो रहा था। जीजू पास ही नंगे बैठे थे।
मैं उठने लगी तो जीजू ने मुझे उठने नहीं दिया, बोले- अभी कहाँ जा रही हो? तुम तो झड़ गईं मुझे भी तो झड़ने दो।
यह कहकर जीजू फिर से मेरे ऊपर सवार हो गये।
मैंने विनती की- जीजू अब नहीं, अब मैं मर जाऊँगी।
लेकिन वो नहीं माने, उनके मेरी चूत में लण्ड घुसाने से पहले ही मैं रोने लगी।
जीजू को रहम नहीं आया। उन्होंने मेरी दुखती चूत पर लण्ड रखकर धीरे-धीरे घुसाना शुरू किया और फिर अचानक एक झटके में पूरा लण्ड घुसा दिया।
मैं रो रही थी, वो मुझे चोद रहे थे। और फिर चोदते-चोदते मुझे उनका लण्ड और भी कठोर होता महसूस हुआ। और फिर उनके मुँह से आह निकली एक आखरी धक्के में लण्ड पूरी ताकत से मेरी चूत
में समाता चला गया और उनके लण्ड से कुछ गर्म-गर्म निकलता
महसूस हुआ।
कुछ देर में 7 इंच लम्बा और डेढ़ इंच मोटा लण्ड मुलायम और छोटा सा रह गया। उसके बाद जीजू ने मुझे कई बार चोदा और मैं चुदाई के बारे में सब कुछ जान गई।