बड़ी बहन के साथ गांड संभोग (सेक्स) – दीदी को जोर जोर से चोदना चालू कर दिया

12193610_1098542566864617_3318844543410998734_n

विनीता दीदी की चूत के ऊपर लंड घूमाते ही मुझे पता चल चूका था की दीदी की चूत गीली हो चुकी है. और अभी उसे कहो की कुत्ते का लंड अपनी चूत और गांड में ले लो तो भी वो मना करने वाली नहीं थी. मैंने अपने लौड़े को जरा सा धक्का दिया और मेरा लंड बहन की चूत में घुस गया. विनीता दीदी के मुहं से आह निकल पड़ा और उसने मुझे अपने गले से चिपका लिया. दीदी की मस्त बड़ी चुंचिया मेरे बदन से लड़ रही थी जो मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी.

दीदी ने अपने होंठो को मेरे कंधे के ऊपर लगाया और वो वहाँ पे प्यारभरे चुम्मे देने लगी. मैंने विनीता दीदी को जोर से अपने हाथो में दबोचा और लंड को दीदी की चूत के अंदर बहार करने लगा. दीदी की चूत से पानी निकल के मेरे लंड के ऊपर आ रहा था. मैंने भी उसकी गांड के ऊपर अपना हाथ रखे हुए उसकी चूत में अपने लंड को अंदर बहार करना चालू कर दिया था. विनीता दीदी अपनी गांड को जोर जोर से हिला रही थी जिसकी वजह से मेरा लंड और भी मस्ती से चूत के अंदर बहार हो रहा था. विनीता दीदी की चूत जैसे किसी अप्सरा का भोसड़ा था क्यूंकि जितने बड़े उसके चुंचे थे उतनी ही टाईट उसकी चूत थी. पहली नजर में उसके भरे हुए बदन को देख के कोई यही सोचेंगा की उसकी चूत फैली हुई और खुली होंगी लेकिन उसमे लंड डालने के बाद मुझे कुछ और ही अनुभव मिल रहा था. मैंने ऐसे मस्ती से उसकी चूत को 5 मिनिट बजाया और फिर दीदी के कहने पे मैंने चुदाई को रोक के लंड को बहार कर दिया.

कुतिया बन के चूत में लिया

अब दीदी निचे फर्श में उलटी हो के लेट गई और उसने अपनी गांड को ऊपर उठा लिया. मुझे लगा की दीदी मुझे कह रही हैं की मेरी गांड में दो लेकिन उसका मतलब वो नहीं था. उसने अपने एक हाथ से अपनी चूत को खोला जो अभी मस्त लाल हो चूकी थी. मैं उसके पीछे आ के खड़ा हो गया. मैंने दीदी की चूत में अपना लंड रख दिया और धीरे से झटका दे दिया. एक ही झटके में अब की मेरा लंड अंदर घुस गया. मैंने आह आह कर के दीदी को जोर जोर से चोदना चालू कर दिया. विनीता दीदी भी अपने कूल्हों को हवा में उछाल उछाल के मुझे मजे दे रही थी. मैं अपने पुरे लौड़े को चूत से बहार निकाल रहा था और फिर एक ही झटके में उसे अंदर डाल रहा था. यह सब कुछ एक हसीन सपने के जैसे हो रहा था जिसकी मैंने जिन्दगी में आजतक कभी उम्मीद नहीं की थी.

तभी दीदी जरा रुकी और उसने अपना मुहं मेरी और किया. और उसके बाद वो जो बोली उसे सुनके तो मुझे और भी मजा आ गया. दीदी ने कहा, “पीछे गांड में लंड डालना चाहोंगे मेरी?”

अब यह तो वही बात हुई की नेकी और पूछ पूछ. मैंने एक ही झटके में अपने लंड को चूत से बहार कर लिया. दीदी ने अपने कूल्हों को एक हाथ से फैला दिया. दीदी का पिछवाडा बहुत ही काला था और दिखने में वो किसी गुफा के बंध छेद के जैसा ही लग रहा था. मैंने हिम्मत कर के उस छेद के ऊपर ढेर सारा थूंक निकाल दिया. दीदी कुछ नहीं बोली यह देख के मैंने थोडा और थूंक भी निकाल दिया. दीदी ने अब मेरे थूंक को छेद के ऊपर मलना चालू कर दिया. मैंने भी दीदी को ऐसा करने में मदद की. फिर मैंने धीरे से अपने कांपते हुए लंड को दीदी की गांड के ऊपर सेट किया. ऊपर से देखने में तो लग रहा था की इस सख्त छेद में लौड़ा जाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन हैं. लेकिन फिर दीदी ने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और मुझे लगा की वही मेरी मदद करेंगी.

गांड में देने की मजा ही कुछ और हैं

दीदी ने थूंक से भीगे छेद के ऊपर लंड को दबाया और मैंने भी ऊपर से थोडा प्रेशर डाला. गांड की गुफा में मुहं में लंड का सुपाड़ा मुझे अंदर जाता हुआ दिखा. और इस गुदा प्रवेश के साथ ही दीदी के मुहं से आह निकल गई. मैंने दीदी के कूल्हों को दोनों साइड से पकड लिया ताकि लौड़ा बहार ना आ सके. दीदी ने लंड को थोडा और दबाया और इस बार आधा लंड अंदर गया और दीदी की सिसकियाँ निकल पड़ी. चूत के छेद के मुकाबले यह छेद बहुत टाईट और गरम था; लेकिन उसमे लंड देने का अपना मजा था.

मैंने एक झटका दिया और दीदी की सांसे ही बंध हो गई जैसे.उसने अपने हाथ को हटा दिया और दोनों हाथो से उसने फर्श को दबा दिया. मैंने एक दो झटका और दिया और दीदी की हलकी हलकी सिसकियाँ रूम में फ़ैल गई. लेकिन इतने दर्द के बाद भी दीदी गांड मरवाने को मना नहीं कर रही थी. वो अपनी गांड को ऊपर से हिला हिला के मुझे उत्तेजना दे रही थी. और भला क्या चाहियें मुझे, मैंने भी गांड को दबा के अपने झटके देना चालू कर दिया. विनीता दीदी की आह आह आह अब दर्द की जगह पे मजे वाली बन गई. मैं अपने झटको को और भी तेज कर रहा था और दीदी भी उतने ही जोर से अपने कूल्हों को मार रही थी. मैंने दीदी के कूल्हों पे एक चमाट लगाई और तभी मुझे लगा की लंड रोने वाला हैं.

अभी यह सोच ही रहा था की मेरे लंड से सफ़ेद मलाई निकल के गांड में गिरने लगी. दीदी ने अपने कूल्हों को दबा के सभी वीर्य को पिछ्वाडे में भर लिया. मैंने गांड से जैसे लंड को निकाला उसके ऊपर वीर्य की बुँदे देखी जा सकती थी. तभी विनीता दीदी ने पाद छोड़ी जिसके साथ कुछ बुँदे वीर्य उसके छेद से बहार आया. मैं वही निचे लेट गया. दीदी भी मेरे पास लेट गई. उसने मुझे कहा की मैं रात में उसके कमरे में ही सो जाऊं. साथ में उसने यह भी कहा की जब अंकल आंटी आयें तो मैं सोने का नाटक करूँ ताकि वो मुझे दुसरे कमरे में ना ले जाएँ. वो पूरी रात मेरे लंड के मजे अपनी चूत और गांड में ले सकें.