स्कर्ट के नीचे दिखी चुत की उडाई धंजिया – अपने मुठ को उसके मुंह पर ही छोड़ दिया

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नमस्कार दोस्तों, आज मैं आपको अपनी रलवे स्टशन पर मिली एक लड़की के साथ मुलाकात के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसके बाद मैंने मुलाकातों का सिलसिला कुछ और ही आगे बढ़ा दिया | मैंने जब देखा तो मेरे बाजु वाली सीट पर ही बैठी हुई और उसने एक छोठी सी स्कर्ट पहनी हुई और अपनी अपनी टांगों के दूसरे के ऊपर रखा हुआ था | मैं जब किसी काम से उठा तो मेरी नज़र उसकी स्कर्ट के नीचे दिख रहे हिस्से पर पढ़ी और मैंने देख की उसने अपनी स्कर्ट के अंदर पैंटी नहीं पहनी थी | मेरा तो उससे देखकर ही दोस्तों एक दम से लंड खड़ा हो गया था और जब उसने भी मुझे उसकी खुली चुत की तरफ निहारते हुए देखा तो मुझे तभी उसने कामुक मुस्कान दी जिसपर मुझे लगा की अब मेरा काम आगे बढ़ सकता है |

मैंने तभी उससे वहीँ बैठकर बातें करना शुरू कर दिया च्यूंकि अब वो भी मुझसे प्रभावित हो चुकी थी तो इसीलिए मस्त में स्माइल देती हुई मुझसे बातें करने लगी | जब मेरी रेलगाड़ी के आने का समय हुआ तो मैंने देखा की तजुर्बे से हम दोनों की रेलगाड़ी एक ही थी और हमें एक ही स्टेशन पर भी उरन था | मैं अंदर से बिलकुल फूला न समां रहा था और मैंने सोचा की शायद मुझे रेलगाड़ी में ही इसपर हाथ साफ करने का मौका मिला जाये | सफर के दौरान वो कुछ देर के लिए मुझसे बतलाती हुई मेरी सीट पर ही आकर बैठ गयी थी जिसपर वो कुछ देर के लिए सो भी गयी थी | मैंने उसी समय पर उसके चुचे पर भी हाथ फेरा था जिसपर उसने मेरा कोई विरोध नहीं किया | मेरी अब बदकिस्मती थी या क्या पर मैं उससे आगे न बढ़ सका |

स्टशन से अपने घर को जाने से पहले मैंने उसका नंबर ले लिया था और एक – दो दिन ही उससे बात करके मैंने उसे अपने घर पर चाय के लिए बुला लिया | जब वो ई थी उसने सही उस दिन की तरह ही छोटे – छोटे कपडे पहने हुए थे जिसपर आज फिर मेरा दिल मचल रहा था | मैंने उससे पूरी दोपहर भर बात की और फिर वहीँ उसे सहलाते हुए उसके साथ हाथ को सहलाने की कोशिश करने लगा जिसपर उसने होंठ खुदबखुद आगे बढ़ा दिए और मैं उसके होंठों को चूसते उसके कमीज़ से चुचों को बाहर निकाल कर चूसने लगा | उसकों चुचों को दबाने पर वो भी मुझे मस्त वाला सहयोग दिखाती हुई मेरी मेरे लंड को सहला रही थी जिसपर मैं उसकी स्कर्ट को भी उतार दिया और देखा की उसने आज भी पैंटी नहीं थी | अब मैं उसकी चुत की फांकों में अपनी उँगलियों से उसकी चुत के अंदर देते हुए आगे – पीछे करने लगा और वो भी मेरे लंड को निकालकर अपने हाथ में मसल रही थी |

मैं भी ज़बरदस्त मुद् में आ गया तो मैंने उस वहीँ लिटाते अपने लंड को उसकी चिकनी चुत में अंदर दे दिया जिसपर आहाह निकल रही थी और मैं उसपर भैसे की तरह छड़े हुए उसकी चुत का निवाला निकाले जा रहा था | मैंने पहले तो उसकी चुत में टेढ़ी ऊँगली डाली उसकी चुत के स्वाद को चखा और अपने लंड के सुपाडे पर लगाते हुए उसुकी चुत में अपने लंड के धक्के लगाते हुए अंदर देने लगा | वो भी अपनी गांड को उठाते हुए मेरे लंड की तरफ धकेलने लगा | मैं मज़े में डूब चूका था और अपने मुठ को उसके मुंह पर ही छोड़ दिया |वो मुझे कहने लकी की मेरे साथ चुदाई करके अपनि पहली चुदाई की याद आ गयी और अबसे रोज ही मेरे पास अपनी चुत की धंजिया उड़वाने आय करेगी |