रखेल की बेटी को भी लंड दे दिया – उसकी चूत अभी इतने बड़े लंड के लिए तैयार नही थी

रखेल की बेटी को भी लंड दे दिया – उसकी चूत अभी इतने बड़े लंड के लिए तैयार नही थी

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ये कहानी लाल बहादुर, उसकी रखैल और रखैल की बेटी स्वीटी की है। लाल बहादुर जी अपने गांव में रहते हैं और मस्ती करना उनका काम है अच्छी खासी खेती बारी होती है। उनके गांव में काफ़ी खेती बाड़ी है और शाम सुबह दारु पीके मस्त रहते हैं। उनकी एक रखैल है गीता। वह अपने पति को छोड़ आई क्योंकि उसका लंड छोटा था। वह है भी हथिनी जैसी और उसका पति  है खरगोश जैसा। ऐसे में हथिनी और शशक की जोड़ी को हमारे काम के महान गुरु वात्सयायन ने भी मना किया है और कहा है कि ऐसे रिश्ते टिकाउ नही होते। सच तो यह है कि गीता छीनाल है और उसे अपने गांड की खुजली अकेले लंड से मिटाये नही मिटती। आजकल इस रखैल की बेटी स्वीटी की चूंचिया भी उठने लगी हैं

तो गीता ने अपने पति को छोड़ दिया और अपने पापा के घर आके रहने लगी। यहां उसकी इठलाती गांड और दलदलाती चूंचियों के बहुत दीवाने थे। उसकी चाल देखने के लिए हम जैसे नए लड़के भी गली में खड़े रहते थे। जब वो चलती तो आगे से उसकी हिलती चूंचिया हमारे लंड को हिला देती और जब वो मुड़ जाती तो उसकी गांड की गोलाईयां हमारे लंड को तड़पा देतीं। इस हाल में मैं भी बेहाल था और देख रहा था कि इस रंडी का कुछ और जलवा देखने को मिलता है कि नहीं। मैं जासूसी करने लगा। एक दिन चांदनी रात थी और मैं खुले में सोया हुआ था। मेरी नींद खुली तो मुझे लगा सुबह हो गई है। मैं उठ गया और टहलने के लिए निकला। आगे गली में मुझे लालबहादुर के बैठक से कुछ खुसपुसाहट सुनाई दे रही थी। मैं दबे पांव आगे बढ गया।

जैसे ही मैंने खिड़की पर आंख गड़ाई मुझे अंदर चूत का संगीत सूनाई दिया। खचर फ़चर गचर गचर!! वाह लगता है दूबे जी पूरे शबाब पर थे। अभी वे मेरी आंखो के दायरे में नही थे। मैं बस गेस कर रहा था कि क्या हो रहा होगा। तभी लाईट जल गई और जो मेरी आंखो ने देखा उसपे मुझे यकीन नहीं हुआ। आपको क्या लगता है ? जी हां तो ऐसा ही है कोई भी विश्वास नही कर सकता था।

वो खचर फ़चर गचर की आवाज गीता की गांड या चूत से नहीं, बल्कि खुद लालबहादुर की गांड से आ रही थी। और पेल रही थी गीता। उसने अपने कमर में एक बेल्ट पहना था जिससे लगभग 7 इन्च का लंड बंधा हुआ था। काला डिल्डो गांठ्दार था और एक दम क्रिस्टल जैसा कठोर लग रहा था। लाल बहादुर अपना मुंह फ़ाड़ फ़ाड़ कर और चोदो और चोदो कह रहा था और गीता किसी रांड की तरह उसकी गांड फ़ाड़े जा रही थी। लालबहादुर जी का यह शौक मुझे कुछ समझ में नहीं आया। तभी गीता ने धक्के देने बंद कर दिए और अब लाल बहादुर अपनी गांड बकरी की स्टाईल में आगे पीछे कर के खुद डिल्डो का मजा ले रहे थे। मतलब कि वो गांडू हो चुके थे या लिंग के दायरे से बाहर द्विलिंगी। फ़िर लाल बहादुर लेट गए और चौकी के नीचे खड़ी होकर गीता ने अपना डिल्डो उसकी गांड में डाल दिया। एक हाथ से लाल बहादुर अपना लंड सहला रहे थे।  लाल बहादुर का लंड गीता के धक्कों से तेज होता जा रहा था।

गीता के तेज होते धक्कों से लालबहादुर के लंड में सनसनी बढ़ती जा रही थी और उसका लंड एक दम गदहे के लंड की तरह खड़ा होता जा रहा था। इस उल्टी चुदाई का मजा लेते लेते उसका लंड अब एक दम फ़ौलाद हो चुका था। इसका मतलब उसका लंड बिना गांड मराए खड़ा नही होता था। अब मैंने देखा कि लाल बहादुर खड़ा हुआ और उसका लंड भी खड़ा हो गया। उसने खड़ा होते ही एक लात मारी गीता को और वह बिस्तर पर गिर गई। उसका डिल्डो निकाल कर लाल बहादुर ने उसकी टाईट गांड में घुसाना शुरु किया और वह चिल्लाने लगी जैसे ही डिल्डो गांड में घुसा, लाल बहादुर ने उसका मुंह अपने हाथ से बंद करके उसकी चूत में अपना 7 इंच का लंड डाला उसकी टांगो को हवा में उठा के 45 डिग्री का कोण बनाकर पेलने लगा। गीता की चूत की दीवारों में जबरदस्त रगड़ मच रही थी और लाल अपना लंड आधा ही पेला हुआ था क्योंकि एंगल बना के पेल रहा था। गीता की चूत बलबलाने लगी। तिरक्षी चुदाई से हुई रगड़ से गर्मी हुई और चूत की दीवारों ने पानी छोड़ना शुरु कर दिया था। अभी भी वह डिल्डो गीता की गांड में फ़ंसा हुआ था। इसके बाद जो हुआ वह? बस कयामत और कयामत!!

और गीता की बेटी स्वीटी जग कर सीधे यहां चूत और लंड के अखाड़े में घुस गई। उसकी उम्र साढे अठारह साल की है और उसकी चूचिया उठान पर हैं। जमाने की नजरों से बचा के रखा है उसे गीता ने। स्वीटी आंख मलते हुए आई और चिल्लाई- मम्मी ये तुम्हारे अंदर क्या घुसा हुआ है? और सीधा गीता की गांड से डिल्डो खीच लिया गीता की गांड से फ़टाक की आवाज निकली जैसे किसी ऐयर गन के छूटने से निकलती है, क्योंकि उसकी गांड में एक दम यह डिल्डो एयर टाईट घुसा हुआ था। गीता और लाल बहादुर दोनों ही अवाक रह गए उसके अचानक आ जाने से लेकिन लाल बहादुर के आंखों में अपनी रखैल की बेटी को देखते ही एक हवशी चमक आ गई। तभी गीता उसे अंदर ले गई और फ़िर से सुला कर वापस आ गई। तब तक लाल बहादुर अपना लंड सहलाता रहा और उसे जगाए रखा।

गीता अंदर आते ही लाल बहादुर के लंड को चूसने लगी और कहने लगी आज तो स्वीटी ने मजा ही खराब कर दिया तुम्हारी एंगल वाली चुदाई से बहुत मजा आ रहा था। लाल बहादुर ने कहा मेरी जान मजा तो मैं तुझे फ़िर से दूंगा और उसे अपनी गोद में उठा लिया। गीता के बड़े चूचे अब उसके सीने पर रगड मार रहे थे और लाल बहादुर ने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और झूला झूलाते हुए चोदने लगा। गीता एक बार फ़िर जन्नत की सैर करने लगी। उसके धक्के तेज होते जा रहे थे और गीता कह रही थी और चोदो और चोदो और तेज और तेज!! लगता है कि उसके झड़ने का वक्त आ चुका था और तभी लाल बहादुर ने अपना लंड बाहर खींच लिया और उसे बिस्तर पर पटक दिया। वह कह रही थी मेरी प्यास बुझा दो लेकिन लाल बहादुर की नजर अब अपनी रखैल की बेटी पर थी। उसने कहा मुझे स्वीटी की चूत मारनी है। गीता गुस्सा हो गई कहने लगी वो तेरी ही बेटी है ऐसा नही होता है। लेकिन लाल बहादुर ने गुस्सा होकर अपना लंड उसके मुंह में ठूंस दिया और उसकी बोलती बंद हो गई। हलक तक पेल दिया और गीता गू गो गे करने लगी। वो गाली देके बोला- चोदूंगा तो जरुर तेरी बेटी को लेकिन तेरी नजरों के सामने उसे तेरी सौत बना दूंगा!!!!

और उस रात को गीता ने अपनी बेटी को दुल्हन की तरह तैयार किया और कहा कि हम आज रात को पार्टी करेंगे। लाल बहादुर बाजार जा कर छोटे बड़े कई डिल्डो, फ़र्स्ट ऐड बाक्स, लोशन, रुई और जरुरी दवाई ले आया। वह थोड़ी व्हिस्की और बीयर भी ले आया था। इस बार वह कुआरी चूत मारने और अपनी बेटी की नथ उतारने जा रहा था। उसने वियाग्रा भी खरीद के खाली क्योंकि वह जानता था कि टाईट चूत मारनी है और लंड को कड़ा और नुकीला करना पड़ेगा।

शाम होते ही गीता, स्वीटी और लाल बहादुर कमरे में आ गए। स्वीटी एक दम चिड़िया की तरह फ़ुदक रही थी। सबने हल्का हल्का रिफ़्रेशमेंट लिया और लाल बहादुर ने इसी समय अपनी द्वाईयां खा लीं। स्वीटी को एक बड़ा सा टेडी ला दिया था जिसे उठाकर वह अपनी छोटी छोटी नादान चूचियों से चिपकाई हुई थी। फ़िर टीबी चलने लगा और वह लालबहादुर और गीता के बीच में बैठ गई। लाल बहादुर ने आज स्पेशल एनीमेशन वाली ब्लू फ़िल्म लाई थी। थोड़ी देर तक चैनल बदलने के दौरान वह स्वीटी के माथे पर हाथ रखा रहा और फ़िर पीठ पर दुलार से सहलाने लगा। ऐसे करके उसने देखा की स्वीटी आराम से थी।

अब उसने अचानक से कार्टून वाली ब्लू फ़िल्म लगा दी। फ़िल्म में लड़कियां फ़ुदकते हुए इधर उधर घूम रहे थे। तभी एक लड़की आई और उसकी स्कर्ट गिर गई। उसकी चूत दिखने लगी। उसने हैरानी से अपनी चूत को देखा और उसको फ़ाड़ कर देखने लगी। स्वीटी के चेहरे की रंगत बदल रही थी। उस लड़की के मजे ले लेके अपनी चूत के छूने से वह शायद परेशान हो गई और अपनी चूत टटोलने लगी। लाल बहादुर को यह मौका सही लगा उसने गीता के पेटीकोट में हाथ डाल दिया और उसकी चूत सामने कर के देखने लगा। स्वीटी बोली मेरा भी ऐसा है लेकिन छोटा है। फ़िल्म में कार्टून वाली लड़की अब अपनी बुर में एक डिल्डो घुसा घुसा के ऊह्ह आह्ह्ह कर रही थी।

तभी स्वीटी की नजर लाल बहादुर के पास पड़े छोटे बड़े डिल्डो पर पड़ी। उसने एक छोटा सा डिल्डो उठा लिया और अपनी स्कर्ट उठा कर पैंटी में डिल्डो को रगड़ने लगी। उसे मजा आने लगा। उसने अपनी पैंटी उतार दी और लाल बहादुर की आंखे खुल गईं उसकी 19 साल की बिना बाल वाली बुर देखकर वह बेचैन हो गया। उसका लंड एक दम हीरा काटने वाले औजार से भी ज्यादा सख्त हो चुका था। अब उसे इस नायाब चूत के हीरे को चोद देना था। वह उठा और……………

तो कार्टून वाली ब्लू फ़िल्म देखकर 19 साल की स्वीटी गरम हो गई थी। उसने पास ही पड़े बड़े से डिल्डो को अपनी चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया था और उसकी आंखे लाल होने लगी थी। जिस्म का तापमान बढता जा रहा था। लाल बहादुर ने ऐसे में मौका जाया नहीं किया और जा कर उसे सहलाने लगा। स्वीटी उससे चिपक गई। लाल बहादुर ने उसकी छोटी सी गांड अपनी मुठ्ठी में भर ली। स्वीटी कराह उठी लेकिन इस कराह में भी एक मजा था। वह लाल बहादुर के गले से झूल गई और अपना चेहरा उसके चेहरे के पास कर दिया। लाल बहादुर जन्नत में था उसने तुरत अपने होठ उसकी कोमल गाल पर चिपका दिए। स्वीटी खुश हो गई, बिल्कुल बच्चों की तरह अपना दूसरा गाल भी उसके आगे कर दिया। लाल बहादुर ने इस गाल पर हल्के दांत गड़ा दिए। वह गुस्सा हो गई और बदले में लाल बहादुर की गाल काट ली।

चुदाई का मैदान तैयार हो चुका था। देर थी खेल स्टार्ट करने की और लालबहादुर ने अपनी लुंगी उतार दी। नीचे उसने कुछ नहीं पहना हुआ था। उसका नाग जैसा काला लंड आधा खड़ा हो चुका था। स्वीटी ने उसे देखते ही पकड़ लिया और बोली, मुझे इससे खेलना है क्यू छुपा के रखते हो आप इसको? लाल बहादुर बोला स्वीटी ये तुम्हारा ही है लेकिन मैं तुम्हारे स्कर्ट के नीचे वाले छेद को देखना चाहता हूं। स्वीटी ने अपनी स्कर्ट खोल दी और अपनी नन्हीं सी चूत दिखा दी। अठारह साल की यह चूत एकदम तप रही थी। अभी तो उसपर झांटें भी बहुत कम आई थी।

लाल बहादुर ने उस क्वारी चूत के उपर अपने होठ रख दिये और चूसने लगा जैसे कि मुर्गे की टांग चूस रहा हो। स्वीटी तड़पड़ाने लगी और सिस्कारियां मारने लगी। लाल बहादुर ने उसकी छोटी गांड भी चूस ली और अंत में अपना लंड उसके मुंह के पास ले गया। स्वीटी ने लंड को पकड़ लिया और ऐंट दिया। लाल बहादुर हड़बड़ा गया। तभी स्वीटी ने उसे मुह मे लगा लिआ और चूसने लगी। लाल बहादुर को जन्नत नसीब हो गई। अब वो बर्दाश्त नही कर सकता था। उसने गीता को कहा कि वह स्वीटी को संभाले और अपना लंड नुकीला करने लगा। ढेर सारा थूक लगा लिआ।

अब उसने स्वीटी को लिटा दिया उसकी टांगे फ़ैला दीं और गीता रखैल की चूत से गीला लिसलिसा निकाल कर स्वीटी की चूत पर मल दिया। अप्ना लंड उसने जैसे ही मुहाने पर रख के धक्का देने की कोशिश की स्वीटी उठ के भागने के अंदाज में आ गई। गीता ने उसकी बांहे पकड़ ली और लाल बहादुर ने अपना लंड पूरा अंदर पेल दिआ। एक चीख गूंजी और स्वीटी बेहोश हो गई। उसकी चूत अभी इतने बड़े लड के लिए तैयार नही थी। लाल बहादुर चोदता रहा उसपर हैवान सवार था और चोद कर उसने सारा वीर्य उसकी छोटी छोटी चूचियो पर छिड़क दिया।