भोली-भाली विधवा और पंडितजी-पंडित उसके स्तनों को दबाने लगा शीला ने खुद ही ब्लाउस और ब्रा निकाल दिया

(शीला ब्लाउस और पेटिकोट में थी……उसकी लोवर पीठ तो नंगी थी ही….उसके ब्लाउस के हुक्स भी नहीं थे इसलिए ऊपर की पीठ भी थोड़ी सी एक्सपोज़्ड थी…)

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एक लड़की है शीला, बिल्कुल सीधी साधी , भोली-भाली, अनफॉर्चुनेट्ली, शादी के 1 साल बाद ही उसके पति का स्कूटर एक्सीडेंट हो गया और वो ऊपर चला गया. तब से शीला अपने पापा-मम्मी के साथ रहने लगी. अभी उसका कोई बच्चा नहीं था.उसकी उम्र 24 थी. उसके पापा मम्मी ने उसे दूसरी शादी के लिए कहा, लेकिन शीला ने फिलहाल मना कर दिया था. वो अभी अपने पति को नहीं भुला पायी थी, जिसका देहांत गये हुए आज 6 महीने हो गये थे .
शीला फिज़िकल अपीयरेन्स में कोई बहुत ज़्यादा अट्रॅक्टिव नहीं थी, लेकिन उसकी सूरत बहुत भोली थी, वह खुद भी बहुत भोली थी, ज़्यादा टाइम चुप ही रहती थी. उसकी हाइट लगभग 5 फुट 4 इंच थी, रंग गोरा था, बॉल काफ़ी लंबे थे , फेस गोल था . उसके बूब्स इंडियन औरतों जैसे बड़े थे , कमर लगभग 31-32 इंच थी, हिप्स गोल और बड़े थे , यही कोई 37 इंच.
वो हमेशा वाइट या फिर बहुत लाइट कलर की साडी पहनती थी.
उसके पापा सरकारी दूफ़्तर में काम करते थे . उनका हाल ही में दूसरे शहर में ट्रान्स्फर हुआ था. नये शहर में आकर शीला की मम्मी ने भी एक स्कूल में टीचर की जॉब ले ली. शीला का कोई भाई नहीं था और उसकी बड़ी बहन की शादी 6 साल पहले हो गयी थी.
नये शहर में आकर उनका घर छोटी सी कॉलोनी में था जो के शहर से थोड़ी दूर थी. रोज़ सुबेह शीला के पापा अपने दूफ़्तर और उसकी मम्मी स्कूल चले जाते तह. पापा शाम 6 बजे और मम्मी 4 बजे वापस आती थी.
उनके घर के पास ही एक छोटा सा *** था. वहां एक पंडित था, यह ही कोई 36 साल का. देखने में गोरा और बॉडी भी मस्क्युलर, हाइट 5 फुट 9 इंच. सूरत भी ठीक ठाक थी. बॉल बहुत छोटे छोटे थे . *** में उसके अलावा और कोई ना था. *** में ही बिल्कुल पीछे उसका कमरा था. *** के मुख्य द्वार के अलावा पंडित के कमरे से भी एक दरवाज़ा कॉलोनी की पिछली गली में जाता था. वो गली हमेशा सुनसान ही रहती थी क्यूंकि उस गली में अभी कोई घर नहीं था.
पंडित को किसी ने बताया था एक पास में ही कोई नयी फॅमिली आई है और जिनकी 24 साल की बेटी विधवा है.
शीला पहले दिन *** गयी. सुबेह 5 बजे *** में और कोई ना था…सिर्फ़ पंडित था. शीला ने वाइट साडी ब्लाउस पहन रखा था.
शीला पंडित के पास आई…उसने पंडित के पेर छुए
पंडित: जीती रहो पुत्री…..तुम यहाँ नयी आई हो ना..?
शीला: जी पंडितजी
पंडित: पुत्री..तुम्हारा नाम क्या है?
शीला: जी, शीला
पंडित: तुम्हारे माथे की लकीरों ने मुझे बता दिया है की तुम पर क्या दुख आया है…..लेकिन पुत्री…उसके आगे किसकी चलती है
शीला: पंडितजी..मेरा उसपर अटूट विश्वास है…..लेकिन फिर भी उसने मुझसे मेरा सुहाग छीन लिया…
शीला की आँखों में आंसू आ गये
पंडित: पुत्री….जिसकी जितनी लिखी है..वह उतना ही जीता है..इसमें हम तुम कुछ नहीं कर सकते…उसकी मर्ज़ी के आगे हुमारी नहीं चल सकती..क्यूंकी वो सर्वोच्च है..इसलिए उसके निर्णय को स्वीकार करने में ही समझदारी है.
शीला आंसू पोंछ कर बोली : मुझे हर पल उनकी याद आती है…ऐसा लगता है जैसे वो यहीं कहीं हैं.. पंडितजी…जब मैं अकेली होती हूँ..तो मुझे डर सा लगता है..पता नहीं क्यूँ
पंडित: तुम्हारे घर में और कोई नहीं है?
शीला: हैं..पापा मम्मी….लेकिन सुबेह सुबेह ही पापा अपने दफ्तर और मम्मी स्कूल चली जाती हैं…फिर मम्मी 4 बजे आती हैं……इस दौरान मैं अकेली रहती हूँ और मुझे बहुत डर सा लगता है…ऐसा क्यूँ है पंडितजी?
पंडित: पुत्री…तुम्हारे पति के स्वरगवास के बाद तुमने शुद्धि क्रिया तो करवाई थी ना …?
शीला: नहीं….?
पंडित: तुम्हारे पति की आत्मा की शांति के लिए…यह बहुत आवश्यक होता है..
शीला: हमें किसी ने बताया नहीं पंडितजी….
पंडित: यदि तुम्हारे पति की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी तो वो तुम्हारे आस पास भटकती रहेगी…और इसीलिए तुम्हें अकेले में डर लगता है..
शीला: पंडितजी…कृपया आप कुछ कीजिए जिससे मेरे पति की आत्मा को शांति मिले ..
शीला ने पंडित के पेर पकड़ लिए और अपना सिर उसके पैरो में झुका दिया….इस पोज़िशन में शीला के ब्लाउस के नीचे उसकी नंगी पीठ दिख रही थी…पंडित की नज़र उसकी नंगी पीठ पर पड़ी तो…उसने सोचा यह तो विधवा है…और भोली भी…इसके साथ कुछ करने का स्कोप है……..उसने शीला के सिर पे हाथ रखा..
पंडित: पुत्री….यदि जैसा मैं कहूँ तुम वैसा करो तो तुम्हारे पति की आत्मा को शांति आवश्य मिलेगी..
शीला ने सिर उठाया और हाथ जोड़ते हुए कहा : पंडितजी, आप जैसा भी कहेंगे मैं वैसा करूँगी…आप बताइए क्या करना होगा..
शीला की नज़रों में पंडित भी भगवान का रूप थे
पंडित: पुत्री…शुद्धि क्रिया करनी होगी …शुद्धि क्रिया कुछ दिन तक रोज़ करनी होगी…..लेकिन इस शुद्धि क्रिया में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही भाग ले सकते हैं…और किसी तीसरे को खबर भी नहीं होनी चाहिए…अगर शुद्धि क्रिया शुरू होने के पश्चात किसी को खबर हो गयी तो स्वरगवासी की आत्मा को शांति कभी नहीं मिलेगी..
शीला: पंडितजी..आप ही हमारे गुरु हैं….आप जैसा कहेंगे हम वैसा ही करेंगे…..आज्ञा दीजिए कब से शुरू करना है…और क्या क्या सामग्री चाहिए
पंडित: तुम उसकी चिंता ना करो …सारा इंतजाम मैं कर लूंगा ..
शीला: तो पंडितजी, शुरू कब से करना है..?
पंडित: क्यूंकी इस शुद्धि क्रिया में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही होते हैं…इसलिए यह शुद्धि क्रिया उस समय होगा जब कोई विघ्न (डिस्टर्ब) ना करे…और शुद्धि क्रिया शुद्ध स्थान पर होता है…जैसे की यहाँ …परंतु…यहाँ तो कोई भी विघ्न डाल सकता है…इसलिए हम शुद्धि क्रिया पीछे मेरे कक्ष (रूम) में करेंगे…इस तरह स्थान भी शुद्ध रहेगा और और कोई विघ्न भी नहीं डालेगा..
शीला: पंडितजी…जैसा आप कहें….किस समय करना है?
पंडित: दोपहर 12:30 बजे से लेकर 4 बजे तक यह स्थान बंद रहता है……सो इस समय में ही शुद्धि क्रिया शांति पूर्वक हो सकता है..तुम आज 12:45 बजे आ जाना..नारियल ले के…..लेकिन सामने का द्वार बंद होगा…..आओ मैं तुम्हें एक दूसरा द्वार दिखाता हूँ जो की मैं अपने प्रिय भक्तों को ही दिखाता हूँ..
पंडित उठा और शीला भी उसके पीछे पीछे चल दी..उसने शीला को अपने कमरे में से एक दरवाज़ा दिखाया जो की एक सुनसान गली में निकलता था….उसने गली में ले जाकर शीला को आने का पूरा रास्ता समझा दिया..
पंडित: पुत्री तुम रास्ता तो समझ गयी ना..
शीला: जी पंडितजी..
पंडित: यह याद रखना की यह गुप्त रहना चाहिए…सबसे…वरना तुम्हारे पति की आत्मा को शांति कभी ना मिल पाएगी..
शीला: पंडितजी…आप मेरे गुरु हैं..आप जैसा कहेंगे..मैं वैसा ही करूँगी…मैं ठीक 12:45 बजे आ जाउंगी .
ठीक 12:45 पर शीला पंडित के बताए हुए रास्ते से उसके कमरे के दरवाज़े पे गयी और खट खटाया..
पंडित: आओ पुत्री…
शीला ने पहले पंडित के पेर छुए
पंडित: किसी को खबर तो नहीं हुई..
शीला: नहीं पंडितजी…मेरे पापा मम्मी जा चुके हैं…और जो रास्ता अपने बताया था मैं उसी रास्ते से आई हूँ…किसी ने नहीं देखा..
पंडित ने दरवाज़ा बंद किया
पंडित: चलो फिर शुद्धि क्रिया आरंभ करें
पंडित का कमरा ज़्यादा बड़ा ना था…उसमें एक खाट थी …बड़ा शीशा था…कमरे में सिर्फ़ एक 40 वॉट का बल्ब ही जल रहा था…पंडित ने टिपिकल स्टाइल में आग जलाई…और सामग्री लेके दोनो बैठ गये…
शीला ने वही सुबेह वाला साडी ब्लाउस पहना था
पंडित: यह पत्ता दोनो हाथों में लो…
शीला और पंडित साथ साथ बैठे थे ..दोनो चौकड़ी मार के बैठे थे …दोनो की टाँगें एक दूसरे को टच कर रही थी..
शीला ने दोनो हाथ आगे कर के पता ले लिया……..पंडित ने फिर उस पत्ते में थोड़े चावल डाले…फिर थोड़ी चीनी ….फिर थोडा दूध……………….फिर उसने शीला से कहा..
पंडित: पुत्री….अब तुम अपने हाथ मेरे हाथ में रखों….तुम अपने पति का ध्यान करना..
शीला ने अपने हाथ पंडित के हाथों में रख दिए….यह उनका पहला स्किन तो स्किन कॉंटॅक्ट था..
पंडित: तुम्हे यह कहना होगा के तुम अपने पति से बहुत प्रेम करती हो…..जो मैं कहूँ मेरे पीछे पीछे बोलना
शीला: जी पंडितजी
शीला के हाथ पंडित के हाथ में थे
पंडित: मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ
शीला: मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ
पंडित: मैं उन पर अपना तन और मन न्योछावर करती हूँ
शीला: मैं उन पर अपना तन और मन न्योछावर करती हूँ
पंडित: अब पत्ता मेरे साथ अग्नि में डाल दो
दोनो ने हाथ में हाथ लेके पत्ता आग में डाल दिया
पंडित: .अब मैं तुम्हारे चरण धोऊंगा …अपने चरण यहाँ साइड में करो..
शीला ने अपने पेर साइड में किए…पंडित ने एक गिलास मैं से थोडा पानी हाथ में भरा और शीला के पैरो को अपने हाथों से धोने लगा…..
पंडित: तुम अपने पति का ध्यान करो..
शीला आँखें बंद करके पति का ध्यान करने लगी…..
शीला इस वक़्त टाँगें ऊपर की तरफ मोड़ के बैठी थी..
पंडित ने उसके पेर थोड़े से उठाए और हाथों में लेकर पेर धोने लगा.. …
टाँग उठने से शीला की साडी के अंदर का नज़ारा दिखने लगा….उसकी थाइस दिख रही थी….और साडी के अंदर के अंधेरे में हल्की हल्की उसकी वाइट कच्छी भी दिख रही थी…..लेकिन शीला की आँखें बंद थी….वो तो अपने पति का ध्यान कर रही थी….और पंडित का ध्यान उसकी साडी के अंदर के नज़ारे पे था….पंडित के मूह में पानी आ रहा था..लेकिन वो कुछ करने से डरता था….सो उसने सोचा लड़की को गरम किया जाए…
पंडित: पुत्री….आज इतना ही काफ़ी है…असली शुद्धि-क्रिया कल से शुरू होगी…अब तुम कल आना..
शीला: जो आज्ञा पंडितजी..
अगले दिन..
पंडित: आओ पुत्री…..तुम्हें किसी ने देखा तो नहीं…अगर कोई देख लेगा तो तुम्हारी शुद्धि-क्रिया का कोई लाभ नहीं..
अगले दिन जब शीला आई तो पंडित जी ने पूछा : “किसी ने देखा तो नहीं ??”
शीला: नहीं पंडितजी…किसी ने नहीं देखा…आप मुझे आज्ञा दे..
पंडित: ….पुत्री..तुम्हें पूरी तरह शुद्ध होना होगा….सबसे पहले तुम्हें कच्चे दूध का स्नान करना होगा……शुद्ध वस्त्र पहनने होंगे…और थोडा शृंगार करना होगा..
शीला: लेकिन पंडितजी…क्या एक विधवा का शृंगार करना सही रहेगा….?
पंडित: पुत्री…शुद्धि-क्रिया के लिए कोई भी काम किया जा सकता है….विधवा तो तुम इस समाज के लिए हो…
शीला: जो आज्ञा पंडितजी…
पंडित: अब तुम स्नान-गृह में जा के कच्चे दूध का स्नान करो…मैने वहाँ पर कच्चा दूध रख दिया है क्यूंकी तुम्हारे लिए कच्चा दूध घर से लाना मुश्किल है…….और हाँ …तुम्हारे वस्त्र भी स्नान-गृह में ही रखें हैं..
पंडित ने ऑरेंज कलर का ब्लाउस और पेटिकोट बाथरूम में रखा था…पंडित ने ब्लाउस के हुक निकाल दिए थे ..हुक्स पीठ की साइड पे थे ..
शीला दूध से नहा कर आई…..सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट में उसे पंडित के सामने शरम आ रही थी..
शीला: पंडितजी…..
पंडित: आ गयी..
शीला: पंडितजी….मुझे इन वस्त्रों में शरम आ रही है…
पंडित: नहीं पुत्री…ऐसा ना बोलो…….यह जोगिया वस्त्र शुद्ध हैं….यदि तुम शुद्ध नहीं होगी तो **** प्रसन्न कदापि नहीं होंगे…
शीला: लेकिन पंडितजी..इस ..स….ब..ब्लाउस के हुक्स नहीं हैं…
पंडित: ओह!…मैने देखा ही नहीं…वैसे तो पूजा केवल दो घंटे की ही है…लेकिन यदि तुम ब्लाउस के कारण ** नहीं कर सकती को हम कल से ** कर लेंगे….लेकिन शायद यह विलंभ अच्छा ना लगे..
शीला: नहीं पंडितजी….शुद्धि-क्रिया शुरू कीजिए..
पंडित: पहले तुम उस शीशे पे जाकर शृंगार कर लो…शृंगार की सामग्री वहीं है..
शीला ने लाल लिपस्टिक लगाई….थोडा काजल …और थोडा पर्फ्यूम…
शृंगार करके वो पंडित के पास आई..
पंडित: अति सुंदर…..पुत्री…तुम बहुत सुंदर लग रही हो…
शीला शरमाने लगी….यह फीलिंग्स उसने पहली बार एक्सपीरियेन्स की थी…
पंडित: आओ ** शुरू करें…
वो दोनो बैठ गये….
थोड़ी गर्मी हो गयी थी इसलिए पंडित ने अपना कुर्ता उतार दिया…….उनसे शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपनी चेस्ट पूरी शेव कर ली थी….उसकी बॉडी मस्क्युलर थी…..अब वो केवल लूँगी में था…
शीला थोडा और शरमाने लगी..
दोनो चौकड़ी मार के बैठे थे …
पंडित: पुत्री….यह नारियल अपनी झोली में रखलो…..तुम दोनो हाथ सिर के ऊपर से जोड़ के ध्यान करो….
शीला सिर के ऊपर से हाथ जोड़ के बैठी थी….पंडित उसकी झोली में फल (फ्रूट्स) डालता रहा…
शीला की इस पोज़िशन में उसके बूब्स और नंगा पेट पंडित के लंड को सख्त कर रहे थे …
शीला की नेवेल भी पंडित को सॉफ दिख रही थी….
पंडित: शीला….पुत्री…यह धागा तुम्हें पेट पे बाँधनी है…. इसे पंडित को बाँधना चाहिए….लेकिन यदि तुम्हें इसमें लज्जा की वजह से कोई आपत्ति हो तो तुम खुद बाँध लो…परंतु विधि तो यही है की इसे पंडित बाँधे…क्यूंकी पंडित के हाथ शुद्ध होते हैं..जैसे तुम्हारी इच्छा..
शीला: पंडितजी…….जैसा लिखा है आप वैसा ही कीजिए…
पंडित:बाँधने से पहले वो जगह पानी से सॉफ करनी होती है….
पंडित ने शीला के पेट पे पानी छिड़का…और उसका नंगा पेट पानी से धोने लगा….शीला की पेट की स्किन बहुत स्मूथ थी….पंडित उसके पेट को रगड़ रहा था…फिर उसने तौलिए से शीला का पेट सुखाया…
शीला के हाथ सिर के ऊपर थे …..पंडित शीला के सामने बैठ कर उसके पेट पे धागा बाँधने लगा…पहली बार पंडित ने शीला के नंगे पेट को छुआ….
नाट बाँधते समय पंडित ने अपनी उंगली शीला के नेवेल पे रखी…..
अब पंडित ने उंगली पे टिक्का लगाया…
पंडित: शीला….पुराने जमाने में औरते देह पर चित्रकारी करती थी ….
यह कह कर पंडित शीला के पेट पे टिक्का लगाने लगा…….
शीला की नेवेल पर आ कर पंडित रुक गया…अब अपनी उंगली उसकी नेवेल में घुमाने लगा…वह शीला की नेवेल में टिक्का लगा रहा था..शीला के दोनो हाथ ऊपर थे ….वह भोली थी…….वह इन सब चीज़ों को सामान्य समझ रही थी…..लेकिन यह सब उसे भी कुछ कुछ अच्छा लग रहा था….
फिर पंडित घूम कर शीला के पीछे आया…..उसनेह शीला की पीठ पर जल छिड़का और हाथ से उसकी पीठ पे जल लगाने लगा..
पंडित: जल से तुम्हारी देह और शुद्ध हो जाएगी,
शीला के ब्लाउस के हुक्स नहीं तह….पंडित ने खुले हुए हुक्स को और साइड में कर दिया….शीला की ऑलमोस्ट सारी पीठ नंगी हो गई…पंडित उसकी नंगी पीठ पर जल डाल के रगड़ रहा था..वो उसकी नंगी पीठ अपने हाथों से धो रहा र्था…..शीला की नंगी पीठ को छूकर पंडित का लौड़ा टाइट हो गया था…
पंडित: तुम्हारी राशी क्या है..?
शीला: कुंभ..
पंडित: मैं टिक्के से तुम्हारी पीठ पर तुम्हारी राशी लिख रहा हूँ…जल से शुद्ध हुई तुम्हारी पीठ पे तुम्हारी राशी लिखने से तुम्हारे ग्रेहों की दशा लाभदायक हो जाएगी..
पंडित ने शीला की नंगी पीठ पे टिक्के से कुंभ लिखा…
फिर पंडित शीला के पैरों के पास आया..
पंडित: अब अपने चरण सामने करो..
शीला ने पेर सामने कर दिए…पंडित ने उसका पेटीकोट थोडा ऊपर चड़ाया…..उसकी टाँगों पे जल छिड़का….और उसकी टाँगें हाथों से रगड़ने लगा..
पंडित: हमारे चरण बहुत सी अपवित्र जगाहों पर पड़ते हैं..जल से धोने के पश्चात अपवित्र जगहों का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता….तुम ध्यान करो..
शीला: जी पंडितजी..
पंडित: शीला…यदि तुम्हें यह सब करने में लज्जा आ रही तो….यह तुम स्वयं कर लो…परंतु यह कार्य पंडित को ही करना चाहिए..
शीला: नहीं पंडितजी…कार्य में लज्जा कैसी ..?..
शीला अंधविश्वासी थी..
पंडित ने शीला का पेटिकोट घुटनो के ऊपर चड़ा दिया…अब शीला की टाँगें थाइस तक नंगी थी…
पंडित ने उसकी थाइस पे जल लगाया और उसकी थाइस हाथों से धोने लगा…शीला ने शरम से टाँगें जोड़ रखी थी…
पंडित ने कहा..
पंडित: शीला…अपनी टाँगें खोलो..
शीला ने धीरे धीरे अपनी टाँगें खोल दी…..अब शीला पंडित के सामने टाँगें खोल के बैठी थी…उसकी ब्लॅक कच्छी पंडित को सॉफ दिख रही थी….पंडित ने शीला की इन्नर थाइस को छुआ…और उन्हें जल से रगड़ने लगा…..
इस वक़्त पंडित के हाथ शीला के चूत के नज़दीक थे …..कुछ देर शीला के आउटर और इन्नर थाइस धोने के बाद अब वो उन्हें तौलिए से सुखाने लगा……..फिर उसने उंगली में टिक्का लगाया और शीला के इन्नर थाइस पे लगाने लगा..
शीला: पंडितजी…यहाँ भी टिक्का लगाना होता.है…(शीला शरमाते हुए बोली, वो अनकंफर्टबल फील कर रही थी)
पंडित: हाँ ….जहाँ -2 ये सिन्दूर का टिक्का लगा होगा वो जगह शुद्ध होती चली जायेगी ..
शीला टाँगें खोल के बैठी थी और पंडित उसकी इन्नर जांघों पे उंगलियों से टिक्का लगा रहा था..
पंडित: शीला…लज्जा ना करना..
शीला: नहीं पंडितजी..
जैसे उंगली से पर टिक्का लगाते हैं….पंडित कच्छी के ऊपर से ही शीला की चूत पे भी टिक्का लगाने लगा….शीला शर्म से लाल हो रही थी…लेकिन गरम भी हो रही थी…पंडित टिक्का लगाने के बहाने 5-6 सेकेंड्स तक कच्छी के ऊपर से शीला की चूत रगड़ता रहा…
चूत से हाथ हटाने के बाद पंडित बोला…
पंडित: विधि के अनुसार मुझे भी जल लगाना होगा…अब तुम इस जल को मेरी छाती पे लगाओ..
पंडित लेट गया…
शीला: जी पंडितजी…
पंडित ने चेस्ट शेव कर रखी थी…और पेट भी…उसकी चेस्ट और पेट बिल्कुल हेयरलेस और स्मूथ थे …शीला जल से पंडित की चेस्ट और पेट रगड़ने लगी…..शीला को अंदर ही अंदर पंडित का बदन अट्रॅक्ट कर रहा था…उसके मन में आया की कितना स्मूद और चिकना है पंडित का बदन..ऐसे ख़याल शीला के मन में पहले कभी नहीं आए थे ..
पंडित: अब तुम मेरी छाती पे टिक्के से बिंदु बना दो…..और मेरे निप्पलस के चारों तरफ एक घेरा भी बना दो ..
निपल्स का नाम सुन कर शीला शर्मा गयी…
शीला पंडित के निपल्स पर टिक्का लगाने लगी…
पंडित: मानव की धुन्नी उसकी ऊर्जा का सोत्र (सोर्स) होती है…अतेह यहाँ भी टिक्का लगाओ…
शीला: जो आज्ञा पंडितजी..
शीला ने उंगली में टिक्का लगाया….पंडित की नेवेल में उंगली डाली…और टिका लगाने लगी…..पंडित ने शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपना पेट और चेस्ट शेव करने के साथ साथ अपनी नेवेल में थोड़ी क्रीम लगाई थी…इसलिए उसकी नेवेल चिकनी हो गयी थी…..शीला सोच रही थी की इतनी चिकनी नेवेल तो उसकी खुद की भी नहीं है….शीला पंडित के बदन की तरफ खीची चली जा रही थी….ऐसे थॉट्स उसके मन मैं पहले कभी नहीं आए थे …
शीला ने पंडित की नेवेल में से अपनी उंगली निकाली…पंडित ने अपने थेले से एक लंड की शेप की लकड़ी निकाली…..लकड़ी बिल्कुल वेल पॉलिश्ड थी….5 इंच लंबी और 1 इंच मोटी थी…
लकड़ी के एंड में एक छेद था…पंडित ने उस छेद में डाल कर धागा बाँधा ..
पंडित: यह लो…यह पूजनीय लिंग है…इसे मैंने काफी कड़ी साधना के बाद सिद्ध किया है …
शीला ने लिंग को प्रणाम किया..
पंडित: इस लिंग को अपनी कमर में बाँध लो…..यह हमेशा तुम्हारे सामने आना चाहिए…तुम्हारे पेट के नीचे…
शीला: पंडितजी…इससे क्या होगा..?
पंडित: इस से ऊपर वाले का आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगा….यदि किसी और ने इससे देख लिया तो अनर्थ हो जाएगा…अतेह..यह किसी को दिखाना या बताना नहीं…..और तुम्हें हर समय यह बाँधे रखना है…….सोते समय भी….
शीला: जैसा आप कहें पंडितजी…
पंडित: लाओ…मैं बाँध दू ..
दोनो खड़े हो गये…पंडित ने वो लिंग शीला की कमर में डाला और उसके पीछे आ कर गाँठ बाँधने लगा…उसके हाथ शीला की नंगी कमर को छु रहे थे …गाँठ लगाने के बाद पंडित बोला..
पंडित: अब इस लिंग को अंदर डाल लो..
शीला ने लिंग को अपने पेटिकोट के अंदर कर लिया….लिंग शीला की टाँगों के बीच में आ रहा था…
पंडित: बस…अब तुम वस्त्रा बदल कर घर जेया सकती हो…जो टिका मैने लगाया है उसे ना हटाना…चाहे तो घर जा कर साडी उतार के सलवार कामीज़ पहन लेना…..जिससे की तुम्हारे देह पर लगा टिका किसी को दिखे ना…
शीला: परंतु स्नान करते समय तो टिका हट जाएगा…
पंडित: उसकी कोई बात नहीं….
शीला कपड़े बदल कर अपने घर आ गयी…..उसने टाँगों के बीच लिंग पहन रखा था…पुर दिन वह टाँगों के बीच लिंग लेके चलती फिरती रही….लिंग उसकी टाँगों के बीच हिलता रहा…उसकी स्किन को टच करता रहा….
रात को सोतेः वक़्त शीला कच्छी नहीं पहनती थी…..जब रात को शीला सोने के लिए लेटी हुई थी तो लिंग शीला की चूत के डाइरेक्ट कॉंटॅक्ट में था…शीला लिंग को दोनो टाँगें जोड़ के दबाने लगी…उसे अच्छा लग रहा था…उसे अपने पति के लिंग (पेनिस) की भी याद आ रही थी……उसने सलवार का नाडा खोला…लिंग को हाथ में लिया और लिंग को हल्के हल्के अपनी चूत पे दबाने लगी….फिर लिंग को अपनी चूत पे रगड़ने लगी….वह गरम हो रही थी……तभी उसे ख़याल आया “शीला, यह तू क्या कर रही है…..पूजनीय लिंग के साथ ऐसा करना बहुत पाप है….”…..यह सोच कर शीला ने लिंग से हाथ हटा लिया…..सलवार का नाडा बाँधा और सोने की कोशिश कारने लगी….
तकरीबन आधी रात को शीला की आँख खुली….उसे अपनी हिप्स के बीच में कुछ चुभ रहा था….उसने सलवार का नाडा खोला….हाथ हिप्स के बीच में ले गयी….तो पाया की लिंग उसकी हिप्स के बीच में फंसा हुआ था…लिंग का मूँह शीला के छेद से चिपका हुआ था….शीला को पीछे से यह चुभन अच्छी लग रही थी….उसने लिंग को अपनी गांड पे और प्रेस किया……उसे मज़ा आया…और प्रेस किया….और मज़ा आया…
उसकी गांड मैं आग सी लगी हुई थी…उसका दिल चाह रहा था की पूरा लिंग गांड में दबा दे…..तभी उसे फिर ख़याल आया की लिंग के साथ ऐसा करना पाप है…..डर के कारण उसने लिंग को टाँगों के बीच में कर दिया….नाडा बाँधा….और सो गयी…
अगले दिन शीला वही पिछले रास्ते से पंडित के पास सलवार कमीज़ पहन कर गयी…..
पंडित: आओ शीला….जाओ दूध से स्नान कर आओ….और वस्त्रा बदल लो..
शीला दूध से नहा कर कपड़े पहन रही थी तो उसनेह देखा की आज जोगिया ब्लाउस और पेटिकोट के साथ जोगिया रंग की कच्छी भी पड़ी थी…..उसने अपनी ब्लॅक कच्छी उतार के जोगिया कच्छी पहन ली…नहा के बाहर आई…
पंडित अग्नि जला कर बैठा था….
शीला भी उसके पास आ कर बैठ गयी..
पंडित: शीला…..आज तो तुम्हारे सारे वस्त्र शुद्ध हैं ना..?
शीला थोडा शरमा गयी..
शीला: जी पंडितजी…
वह जानती थी की पंडित का मतलब कच्छी से है…
पंडित: तुम चाहो तो वो लिंग फिलहाल निकाल सकती हो…
शीला खड़ी होकर लिंग खोलने लगी…लेकिन गाँठ काफ़ी टाइट लगी थी….पंडित ने यह देखा..
पंडित: लाओ मैं खोल दू ..
पंडित भी खड़ा हुआ…शीला के पीछे आ कर वो खोलने लगा…
पंडित: लिंग ने तुम्हें परेशान तो नहीं किया….ख़ास कर रात में सोने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई..?
शीला कैसे कहती की रात को लिंग ने उसके साथ क्या किया है…
शीला: नहीं पंडितजी…कोई परेशानी नहीं हुई..
शीला ने लिंग पेटिकोट से निकाला तो पाया की मौलि उसके पेटिकोट के नाडे में उलझ गयी थी…शीला कुछ देर कोशिश कात्री रही लेकिन मौलि नाडे से नहीं निकली…
पंडित: शीला…..विलंभ हो रहा है…लाओ मैं निकालूं
पंडित शीला के सामने आया और उसके पेटिकोट के नाडे से निकालने लगा……..
पंडित: यह ऐसे नहीं निकलेगा…तुम ज़रा लेट जाओ
शीला लेट गयी…पंडित उसके नाडे पे लगा हुआ था…
पंडित: शीला….नाडे की गाँठ खोलनी पड़ेगी…विलंभ हो रहा है…
शीला: जी…
पंडित ने पेटिकोट के नाडे की गाँठ खोल दी….गाँठ खोलने से पेटीकोट लूस हो गया और शीला की कच्छी से थोडा नीचे आ गया….
शीला शर्म से लाल हो रही थी….पंडित ने शीला का पेटिकोट थोडा नीचे सरका दिया….शीला पंडित के सामने लेती हुई थी….उसका पेटिकोट उसकी कच्ची से नीचे था…निकालते वक़्त पंडित की कोनी (एल्बो) शीला की चूत के पास लग रही थी….कुछ देर बाद नाडे से अलग हो गयी..
पंडित: यह लो…निकल गयी…
पंडित पेटिकोट का नाडा बाँधने लगा….उसने नाडे की गाँठ बहुत टाइट बाँधी….शीला बोली..
शीला: आह…पंडितजी….बहुत टाइट है….
पंडित ने फिर नाडा खोला…..और इस बार गाँठ लूस बाँधी….
फिर दोनो चौकड़ी मार के बैठ गये..
जब शीला ने सब कर लिया तो पंडित ने कहा…
पंडित: मैने कल अपनी किताबे फिर से पड़ी .. तो उसमें लिखा था की स्त्री जितनी आकर्षक दिखे उतना ही अच्छा है ….इस के लिए स्त्री जितना चाहेः शृंगार कर सकती है…….लेकिन सच कहूँ….
शीला: कहिए पंडितजी…
पंडित: तुम पहले से ही इतनी आकर्षक दिखती हो की शायद तुम्हे शृंगार की आवश्यकता ही ना पड़े……..
शीला अपनी तारीफ़ सुन कर शरमाने लगी…
पंडित: मैं सोचता हूँ की तुम बिना शृंगार के इतनी सुंदर लगती हो…तो शृंगार के पश्चात तो तुम बिल्कुल अप्सरा लगोगी…
शीला: कैसी बातें करतें हैं पंडितजी….मैं इतनी सुंदर कहाँ हूँ……
पंडित: तुम नहीं जानती तुम कितनी सुंदर हो……तुम्हारा व्यवहार भी बहुत चंचल है…..तुम्हारी चाल भी आकर्षित करती है…
शीला यह सब सुन कर शर्मा रही थी…मुस्कुरा रही थी….उसे अच्छा लग रहा था…
पंडित: तुम्हारा शृंगार पवित्र हाथों से होना चाहिए….इसलिए तुम्हारा शृंगार मैं करूँगा……इसमें तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं….
शीला: नहीं पंडितजी…..
पंडित: शीला…..मुझे याद नहीं रहा था….लेकिन जो लिंग मैने तुम्हें दिया था उस पर पंडित का चित्र होना चाहिए…..इसलिए इस लिंग पे मैं अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका रहा हूँ…..
शीला: ठीक है पंडितजी…
पंडित: और हाँ …रात को दो बार उठ कर इस लिंग को प्रणाम करना…एक बार सोने से पहले…और दूसरी बार बीच रात मैं
शीला: जी पंडितजी…
पंडित ने लिंग पर अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका दी….और शीला को बाँधने के लिए दे दिया…
शीला ने पहले जैसे लिंग को अपनी टाँगों के बीच बाँध लिया…
शीला अपने कपड़े पहन के घर चली आई……पंडित से अपनी तारीफ़ सुन कर वो खुश थी….
सारे दिन लिंग शीला के टाँगों के बीच चुभता रहा….लेकिन अब यह चुभन शीला को अच्छी लग रही थी…
शीला रात को सोने लेटी तो उसे याद आया की लिंग को प्रणाम करना है…
उसने सलवार का नाडा खोल के लिंग निकाला और अपने माथे से लगाया…वो लिंग पे पंडित की फोटो को देखने लगी…
उसे पंडित द्वारा की गयी अपनी तारीफ़ याद आ गयी…..उसे पंडित अच्छा लगने लगा था…
कुछ देर तक पंडित की फोटो को देखने के बाद उसने लिंग को वहीं अपनी टाँगों के बीच में रख दिया और नाडा लगा लिया…
लिंग शीला की चूत को टच कर रहा था….शीला ना चाहते हुए भी एक हाथ सलवार के ऊपर से ही लिंग पे ले गयी…और लिंग को अपनी चूत पे दबाने लगी….साथ साथ उसे पंडित की तारीफ़ याद आ रही थी…
उसका दिल कर रहा था की वो पूरा का पूरा लिंग अपनी चूत में डाल दे….लेकिन इसे ग़लत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने लिंग से हाथ हटा लिया…
आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसे याद आया की लिंग को प्रणाम करना है…
लिंग का सोचते ही शीला को अपनी हिप्स के बीच में कुछ लगा……लिंग कल की तरह शीला की हिप्स में फ़सा हुआ था….
शीला ने सलवार का नाडा खोला और लिंग बाहर निकाला…..उसने लिंग को जय किया….उस पर पंडित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी..”यह क्या पंडित जी…पीछे क्या कर रहे थे ??…”…..शीला लिंग को अपनी हिप्स के बीच में ले गयी और अपने गांड पे दबाने लगी…..उसेह मज़ा आ रहा था लेकिन डर की वजह से वो लिंग को गांड से हटा कर टाँगों के बीच ले आई….उसने लिंग को हल्का सा चूत पे रगड़ा…फिर लिंग को अपने माथे पे रखा और पंडित की फोटो को देख कर दिल मैं कहने लगी “पंडितजी….क्या चाहते हो..?…एक विधवा के साथ यह सब करना अच्छी बात नहीं”……….
फिर उसने वापस लिंग को अपनी जगह बाँध दिया….और गरम चूत ही ले के सो गयी….
अगले दिन……
पंडित: शीला…इंसान की तरह ही **** को भी सुंदर स्त्रिया आकर्षित करती हैं……इसलिए .तुम्हें शृंगार करना होगा….यह शृंगार शुद्ध हाथों से होना चाहिए…….मैने ऐसा पहले इसलिए नहीं कहा की शायद तुम्हें लज्जा आये…
शीला: पंडितजी…मैने तो आपसे पहले ही कहा था की मैं **** के काम में कोई लज्जा नहीं करूँगी…..
पंडित: तो मैं तुम्हारा शृंगार खुद अपने हाथों से करूँगा….
शीला: जी पंडितजी…
पंडित: तो जाओ…पहले दूध से स्नान कर आओ..
शीला दूध से नहा आई….
पंडित ने शृंगार का सारा समान तैयार कर रखा था…लिपस्टिक, रूज़, आई -लाइनर, ग्लिम्मर, बॉडी आयिल…..
शीला ने ब्लाउस और पेटिकोट पहना था….
पंडित: आओ शीला…
पंडित और शीला आमने सामने ज़मीन पर बैठ गये….पंडित शीला के बिल्कुल पास आ गया
पंडित: तो पहले आँखों से शुरू करते हैं….
पंडित शीला के आई -लाइनर लगाने लगा..
पंडित: शीला…एक बात कहूँ..?
शीला: कहिए पंडितजी..
पंडित: तुम्हारी आँखें बहुत सुंदर हैं….तुम्हारी आँखों में बहुत गहराई है…
शीला शर्मा गयी….
पंडित: इतनी चमकीली….जीवन से भारी…प्यार बिखेरती……..कोई भी इन आँखों से मंत्र -मुग्ध हो जाए….
शीला शरमाती रही…कुछ बोली नहीं…थोडा मुस्कुरा रही थी….उससे अच्छा लग रहा था….
आई -लाइनर लगाने के बाद अब गालों पे रूज़ लगाने की बारी आई..
पंडित ने शीला के गालों पे रूज़ लगाते हुए कहा…
पंडित: शीला….एक बात कहूँ…?
शीला: जी…कहिए पंडितजी..
पंडित: तुम्हारे गाल कितने कोमल हैं…..जैसे की मखमल के बने हो….इन पे कुछ लगाती हो क्या…..
शीला: नहीं पंडितजी…..अब शृंगार नहीं करती….केवल नहाते वक़्त साबुन लगती हूँ..
पंडित शीला के गालों पे हाथ फेरने लगा…
शीला शर्मा रही थी..
पंडित: शीला…तुम्हारे गाल छूने में इतने अच्छे हैं की..इन्हें…इन्हें….
शीला: इन्हें क्या पंडितजी..?
पंडित: इन गालों का चुंबन लेने को दिल करे..
शीला शर्मा गयी….थोडा सा मुस्कुराई भी…अंदर से उससे बहुत अच्छा लग रहा था…
पंडित: और एक बार चुंबन ले तो छोड़ने का दिल ना करे…..
गालों पे रूज़ लगाने के बाद अब लिप्स की बारी आई….
पंडित: शीला….होंठ सामने करो…
शीला ने लिप्स सामने करे…
पंडित: मेरे ख़याल से तुम्हारे होंठो पर गाड़ा लाल (डार्क रेड) रंग बहुत अच्छा लगेगा….
पंडित ने शीला के होंठो पे लिपस्टिक लगानी शुरू की….शीला ने शरम से आँखें बंद कर रखी थी…
पंडित: शीला…तुम लिपस्टिक होंठ बंद करके लगाती हो क्या….थोड़े होंठ खोलो…
शीला ने होंठ खोले……पंडित ने एक हाथ से शीला की ठोड़ी पकड़ी और दूसरे हाथ से लिपस्टिक लगाने लगा….
पंडित: ..अति सुंदर…..
शीला: क्या पंडितजी…
पंडित: तुम्हारे होंठ ….कितने आकर्षक हैं तुम्हारे होंठ ….क्या बनावट है……कितने भरे -2….कितने गुलाबी…
शीला: ….आप मज़ाक कर रहे हैं पंडितजी….
पंडित: नहीं…कसम से ….तुम्हारे होंठ किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं…….तुम्हारे होंठ देख कर तो कामदेव भी ललचा जाए……तुम्हारे होंठो का सेवन करे…..तुम्हारे होंठो की मदिरा पीए…………….
शीला अंदर से मरी जा रही थी….उससे बहुत ही अच्छा फील हो रहा था….
पंडित: एक बात पूछूँ?
शीला: पूछिए पंडितजी..
पंडित: क्या तुम्हारे होंठो का सेवन किसी ने किया है आज तक…
शीला यह सुनते ही बहुत शरमा गयी….
शीला: एक दो बार….मेरे पति ने..
पंडित: केवल एक दो बार…..
शीला: वो ज़्यादातर बाहर रहते थे ….
पंडित: तुम्हारे पति के अलावा और किसी ने नहीं…
शीला: कैसी बातें कर रहें हैं पंडितजी….पति के अलावा और कौन कर सकता है…क्या वो पाप नहीं है….
पंडित: यदि विवश हो के किया जाए तो पाप है…..वरना नहीं…………लेकिन तुम्हारे होंठो का सेवन बहुत आनंदमयी होगा……ऐसे होंठो का रस जिसने नहीं पिया..उसका जीवन अधूरा है…
शीला अंदर ही अंदर खुशी से पागल हुई जा रही थी………..अपनी इतनी तारीफ़ उसने पहले बार सुनने को मिल रही थी…
फिर पंडित ने हेयर ड्रायर निकाला..
अब पंडित ड्रायर से शीला के बॉल सुखाने लगा….शीला के बॉल बहुत लंबे थे …
पंडित: शीला झूट नहीं बोल रहा…लेकिन तुम्हारे बॉल इतने लंबे और घने हैं की कोई भी इनमें खो जाएँगे…
उसने शीला का हेर-स्टाइल चेंज कर दिया…उसके बॉल बहुत फ्लफी हो गये…
आई -लाइनर, रूज़, लिपस्टिक और ड्रायर लगाने के बाद पंडित ने शीला को शीशा दिखाया…
शीला को यकीन ही नहीं हुआ की वह भी इतनी सुंदर दिख सकती है…
पंडित ने वाकई शीला का बहुत अच्छा मेक-अप किया था…
ऐसा मेकप देख कर शीला खुद को सेन्सुअस फील करने लगी…
उससे पता ना था की वो भी इतनी एरॉटिक लग सकती है….
पंडित: मैने तुम्हारे लिए ख़ास जड़ीबूटियों का तेल बनाया है….इससे तुम्हारी त्वचा में निखार आएगा…तुम्हारी त्वचा बहुत मुलायम हो जाएगी…..तुम अपने बदन पे कौनसा तेल लगाती हो.?
शीला ‘बदन’ का नाम सुन के थोडा शर्मा गयी…..सेन्सुअल तो वो पहले ही फील कर रही थी…’बदन’ का नाम सुनके वो और ज्यादा फील करने लगी…
शीला: जी…मैं बदन पे कोई तेल नहीं लगाती…
पंडित: चलो कोई नहीं…..अब ज़रा घुटनो के बल खड़ी हो जाओ….
शीला हो गयी …
पंडित: मैं तुम पर तेल लगाऊंगा ….लज्जा ना करना..
शीला: जी पंडितजी…
शीला ब्लाउस-पेटिकोट में घुटनो पे थी……
पंडित भी घुटनो पे हो गया…
शीला के पेट पे तेल लगाने लगा….
अब वो शीला के पीछे आ गया….और शीला की पीठ और कमर पे तेल लगाने लगा…..
पंडित: शीला तुम्हारी कमर कितनी लचीली है….तेल के बिना भी कितनी चिकनी लगती है…
पंडित शीला के बिल्कुल पीछे आ गया….दोनो घुटनो पे थे …
शीला के हिप्स और पंडित के लंड मैं मुश्किल से 1 इंच का फासला था…
पंडित पीछे से ही शीला के पेट पे तेल लगाने लगा….
वो उसके पेट पे लंबे लंबे हाथ फेर रहा था…
पंडित: शीला….तुम्हारा बदन तो रेशमी है…तुम्हारे पेट को हाथ लगाने में कितना आनद आता है….ऐसा लग रहा है की शनील की रज़ाई पे हाथ चला रहा हूँ……….
पंडित पीछे से शीला के और पास आ गया…उसका लंड शीला की हिप्स को जस्ट टच कर रहा था…
पंडित शीला की नेवेल में उंगली घुमाने का लगा….
पंडित: तुम्हारी धुन्नी कितनी चिकनी और गहरी है….जानती हो यदि कामदेव ने ऐसी धुन्नी देख ली तो वह क्या करेगा..?
शीला: क्या पंडितजी.?
पंडित: सीधा तुम्हारी धुन्नी में अपनी जीभ डाले रखेगा…..इसे चूसता और चाटता रहेगा
यह सुन कर शीला मुस्कुराने लगी…..शायद हर लड़की/नारी को अपनी तारीफ़ सुनना अच्छा लगता है….चाहे तारीफ़ झूटी ही क्यूँ ना हो….
पंडित एक हाथ शीला के पेट पे फेर रहा था…और दूसरे हाथ की उंगली शीला की नेवेल में घूमा रहा था…
शीला के पेट पे लंबे लंबे हाथ मारते वक़्त पंडित दो तीन उंगलिया शीला के ब्लाउस के अंदर भी ले जाता…
तीन चार बार उसकी उंगलियाँ शीला के बूब्स के बॉटम को टच कर गयी ….
शीला गरम होती जा रही थी….
पंडित: शीला…अब हमारी ** आखरी चरण मैं है…..कुछ आसन हैं…
शीला: आसन…कैसे आसन पंडितजी..?
पंडित: अपने शरीर को शुद्ध करने के पश्चात जो स्त्री वो आसन लेती है…**** उससे सदा के लिए प्रसन्न हो जाता है……….लेकिन यह आसन तुम्हें एक पंडित के साथ लेने होंगे….परंतु हो सकता है मेरे साथ आसन लेने में तुम्हें लज्जा आए…
शीला: आपके साथ आसन……..मुझे कोई आपत्ति नहीं है…….
पंडित: तो तुम मेरे साथ आसन लोगी ..?
शीला: जी पंडितजी…
पंडित: लेकिन आसन लेने से पहले मुझे भी बदन पे तेल लगाना होगा….और यह तुम्हें लगाना है…
शीला: जी पंडितजी…
यह कह कर पंडित ने तेल की बॉटल शीला को दे दी….और वो दोनो आमने सामने आ गये….दोनो घुटनो पे खड़े थे …
शीला ने पंडित की चेस्ट पे तेल लगाना शुरू किया….
पंडित ने चेस्ट, पेट और अंडरआर्म्स शेव किए थे ……इसलिए उसकी स्किन बिल्कुल स्मूद थी…
शीला पहले भी पंडित के बदन से अट्रॅक्ट हो चुकी थी….आज पंडित के बदन पे तेल लगाने से उसका बदन और चिकना हो गया……………
वो पंडित की चेस्ट, पेट, बाहें और पीठ पर तेल लगाने लगी…..वह अंदर से पंडित के बदन से लिपटना चाह रही थी….शीला भी पंडित के पीछे आ गयी…और उसकी पीठ पे तेल मलने लगी…फिर पीछे से ही उसके पेट और छाती पे तेल मलने लगी….शीला के बूब्स हल्के हल्के पंडित की पीठ से टच हो रहे तह….शीला ने भी पंडित की नेवेल में दो तीन बार उंगली घुमाई……
पंडित: शीला…तुम्हारे हाथों का स्पर्श कितना सुखदायी है….
शीला कहना चाह रही थी की ‘पंडितजी..आपके बदन का स्पर्श भी बहुत सुखदायी है… ‘……..लेकिन शरम की वजह से ना कह पाई…….
पंडित: चलो…अब आसन ले………..पहले आसन में हम दोनो को एक दूसरे से पीठ मिला कर बैठना है…
पंडित और शीला चौकड़ी मार के और एक दूसरे की तरफ पीठ कर के बैठ गये….फिर दोनो पास पास आए जिससे की दोनो की पीठ मिल जाए…..
पंडित की पीठ तो पहले ही नंगी थी क्यूंकी उसने सिर्फ़ लूँगी पहनी थी….शीला ब्लाउस और पेटिकोट में थी……उसकी लोवर पीठ तो नंगी थी ही….उसके ब्लाउस के हुक्स भी नहीं थे इसलिए ऊपर की पीठ भी थोड़ी सी एक्सपोज़्ड थी…
दोनो नंगी पीठ से पीठ मिला कर बैठ गये…
पंडित: शीला…अब हाथ जोड़ लो….
पंडित हल्के हल्के शीला की पीठ को अपनी पीठ से रगड़नेः लगा…दोनो की पीठ पे तेल लगा था…इसलिए दोनो की पीठ चिकनी हो रही थी….
पंडित: शीला……तुम्हारी पीठ का स्पर्श कितना अच्छा है…….क्या तुमनें इससे पहले कभी अपनी नंगी पीठ किसी की पीठ से मिलाई है..?
शीला: नहीं पंडितजी….पहली बार मिला रही हूँ….
शीला भी हल्के हल्के पंडित की पीठ पे अपनी पीठ रगड़ने लगी….
पंडित: चलो…अब घुटनो पे खड़े होकर पीठ से पीठ मिलानी है….
दोनो घुटनो के बाल हो गये….
एक दूसरे की पीठ से चिपक गये…..इस पोज़िशन में सिर्फ़ पीठ ही नहीं..दोनो की हिप्स भी चिपक रहे थे ..
पंडित: अब अपनी बाहें मेरी बाहों में डाल के अपनी तरफ हल्के हल्के खीँचो…
दोनो एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल के खींचने लगे….दोनो की नंगी पीठ और हिप्स एक दूसरे की पीठ और हिप्स से चिपक गयी….
पंडित अपनी हिप्स शीला की हिप्स पे रगड़ने लगा….शीला भी अपनी हिप्स पंडित की हिप्स पे रगड़ने लगी…
शीला की चूत गरम होती जा रही थी..
पंडित: शीला…..क्या तुम्हें मेरी पीठ का स्पर्श सुखदायी लगा रहा है..?
शीला शरमाई….लेकिन कुछ बोल ही पड़ी…
शीला: हाँ पंडितजी……आपकी पीठ का स्पर्श बहुत सुखदायी है…
पंडित: …और नीचे का..?..
शीला समझ गयी पंडित का इशारा हिप्स की तरफ है..
शीला: ..हाँ ..हन पंडितजी…
दोनो एक दूसरे की हिप्स को रगड़ रहे थे …
पंडित: शीला…..तुम्हारे चूतड़ भी कितने कोमल लगते हैं….कितने सुडोल…मेरे चूतड़ तो थोड़े कठोर हैं…
शीला: पंडितजी….आदमियों के थोड़े कठोर ही अच्छे लगते हैं….
पंडित: अब मैं पेट के बल लेटूँगा…और तुम मेरे ऊपर पेट के बल लेट जाना…
शीला: जी पंडितजी…
पंडित ज़मीन पर पेट के बाल लेट गया और शीला पंडित के ऊपर पेट के बल लेट गयी…
शीला के बूब्स पंडित की पीठ पे चिपके हुए थे …
शीला का नंगा पेट पंडित की नंगी पीठ से चिपका हुआ था….
शीला खुद ही अपना पेट पंडित की पीठ पे रगड़ने लगी….
पंडित: शीला…..तुम्हारे पेट का स्पर्श ऐसे लगता है जैसे की मैने रेशम की रज़ाई औड ली हो…..और एक बात कहूँ…
शीला: जी …कहिए पंडितजी..
पंडित: तुम्हारे स्तनों का स्पर्श तो……
शीला अपने बूब्स भी पंडित की पीठ पे रगड़ने लगी…
शीला: तो क्या….
पंडित: मदहोश कर देने वाला है…..तुम्हारे स्तनों को हाथों में लेने के लिए कोई भी ललचा जाए…
शीला: श्ह्ह्ह ……..
पंडित: अब मैं सीधा लेटूँगा और तुम मुझ पर पेट के बल लेट जाओ….लेकिन तुम्हारा मुंह मेरे चरनो की और मेरा मुंह तुम्हारे चरनो की तरफ होना चाहिए…
पंडित पीठ के बल लेट गया और शीला पंडित के ऊपर पेट के बल लेट गयी….
शीला की टाँगें पंडित के फेस की तरफ थी……..शीला की नेवेल पंडित के लंड पे थी….वह उसके सख्त लंड को महसूस कर रही थी…..
पंडित शीला की टाँगों पे हाथ फेरने लगा…
पंडित: शीला……..तुम्हारी टाँगें कितनी अच्छी हैं….
पंडित ने शीला का पेटिकोट ऊपर चड़ा दिया और उसकी थाइस मलने लगा….
उसने शीला की टाँगें और वाइड कर दी…..शीला की पेंटी सॉफ दिख रही थी…
पंडित शीला की चूत के पास हल्के हल्के हाथ फेरने लगा….
पंडित: शीला….तुम्हारी जांघे कितनी गोरी और मुलायम हैं…..
चूत के पास हाथ लगाने से शीला और भी गरम हो रही थी….
पंडित: तुम्हें अब तक सबसे अच्छा आसन कौनसा लगा.?
शीला: व् ….वो…घुटनो के बल….पीठ से पीठ…नीचे से नीचे वाला…..
पंडित: चलो….अब मैं बैठता हूँ…और तुम्हें सामने से मेरे कंधों पे बैठना है…..मेरा सिर तुम्हारी टाँगों के बीच में होना चाहिए…
शीला: जी….
शीला ने पंडित का सिर अपनी टाँगों के बीच लिया और उसके कंधों पे बैठ गयी…
इस पोज़िशन में शीला की नेवेल पंडित के लिप्स पे आ रही थी….
पंडित अपनी जीभ बाहर निकाल के शीला की धुन्नी में घुमाने लगा…
शीला को बहुत मज़ा आ रहा था…
पंडित: शीला….तुमहारी धुन्नी कितनी मीठी और गहरी है…………..क्या तुम्हें यह वाला आसन अच्छा लग रहा है..
शीला: हा…पंडितजी….यह आसन बहुत अच्छा है….बहुत अच्छा…
पंडित: क्या किसी ने तुम्हारी धुन्नी में जीभ डाली है….
शीला: आहह….नहीं पंडितजी…आप पहले हैं…
पंडित: अब तुम मेरे कंधों पे रह के ही पीछे की तरफ लेट जाओ…..हाथों से ज़मीन का सहारा ले लो…
शीला पंडित के कंधों का सहारा लेकर लेट गयी……
अब पंडित के लिप्स के सामने शीला की चूत थी….
पंडित धीरे से अपने हाथ शीला के स्तन पे ले गया…और ब्लाउस के ऊपर से ही दबाने लगा…
शीला यही चाह रही थी…..
पंडित: शीला….तुम्हारे स्तन कितने भरे -2 हैं…….अच्छे अच्छे….
शीला: आहह…….
शीला ने एक हाथ से अपना पेटिकोट ऊपर चड़ा दिया और अपनी चूत को पंडित के लिप्स पे लगा दिया….
पंडित कच्छी के ऊपर से ही शीला की चूत पे जीभ मारने लगा….
पंडित: शीला….अब तुम मेरी झोली मैं आ जाओ…
शीला फ़ौरन पंडित के लंड पे बैठ गयी…..उस-से लिपट गयी….
पंडित: आ….शीला…यह आसन अच्छा है..?..
शीला: स..स..सबसे.अच्छा….ऊऊऊउ पंडितजी…
पंडित: ऊहह…शीला….आज तुम बहुत कामुक लग रही हो…..क्या तुम मेरे साथ काम करना चाहती हो..?
शीला: हाँ पंडितजी…..सस्स…….मेरी काम अग्नि को शांत कीजिए….हह…प्लीज़..पंडितजी…
पंडित शीला के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा….शीला बार बार अपनी चूत पंडित के लंड पे दबाने लगी…
पंडित ने शीला का ब्लाउस उतार के फेंक दिया और उसके निपल्स को अपने मुंह में ले लिया…..
शीला: आअहह…पंडितजी….मेरा उद्धार करो….मेरे साथ काम करो….
पंडित: बहुत नहाई है मेरे दूध से…..सारा दूध पी जाऊंगा तेरी छातियों का….
शीला: आअहह….पी जाओ…..मैं …… अह्ह्ह्ह्ह ..कब माना करती हूँ…पी लो पंडितजी….पी लो….
कुछ देर तक दूध पीने के बाद अब दोनो से और नहीं सहा जा रहा था…
पंडित ने बैठे बैठे ही अपनी लूँगी खोल के अपने कच्छे से अपना लंड निकाला…शीला ने भी बैठे बैठे ही अपनी कच्छी थोड़ी नीचे कर दी….
पंडित: चल जल्दी कर…..
शीला पंडित के सख्त लंड पर बैठ गयी….लंड पूरा उसकी चूत में चला गया….
शीला: आअहह……स्वाहा….कर दो मेरा स्वाहा..आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …
शीला पंडित के लंड पे ऊपर नीचे होने लगी….चुदाई ज़ोरो पे थी….
पंडित: आहह…..मेरी रानी…..मेरी पुजारन…..तेरी योनि कितनी अच्छी है….कितनी सुखदायी…..मेरी बासुरी को बहुत मज़ा आ रहा है….
शीला: पंडितजी…..आपकी बासुरी भी बड़ी सुखदायी है….आपकी बासुरी मेरी योनि में बड़ी मीठी धुन बजा रही है…
पंडित: पूजा वाले लिंग को छोड़ ….पहले मेरे लिंग की जय कर ले…..बहुत मज़ा देगा यह तेरे को..
शीला: ऊऊआा….प्प….पंडितजी….रात को तो आपके दिए लिंग ने कहाँ कहाँ घुसने की कोशिश की……
पंडित: मेरी रानी…एयेए….फिकर मत कर…..स…तुझे जहाँ जहाँ घुस्वाना है….मैं घुसाऊंगा….
शीला: आअहह……पंडितजी….एक विधवा को…दिलासा नहीं….मर्द का बदन चाहिए….असली सुख तो इसी में है….क्यूँ…….आआ….बोलिए ना पंडितजी…आऐईए…
पंडित: हन..आ….
अब शीला लेट गयी और पंडित उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा…
साथ साथ वो शीला के बूब्स भी दबा रहा था…
पंडित: आअहह…ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ….आज के लिया तेरा पति बन जाऊं…बोल…
शीला: आआई…सस्स…….ई…..हाआन्न….बन जाओ…..
पंडित: मेरा बाण आज तेरी योनि को चीर देगा……मेरी प्यारी ..
शीला: आअहह…..चीर दो….आआअहह….चीर दो नाआआआआअ …..आआहह
पंडित: आअहह…ऊऊऊऊ
दोनो एक साथ झड़ गये और पंडित ने सारा माल शीला की चूत के ऊपर झाड़ दिया….
शीला: आहह……
अब शीला पंडित से आँखें नहीं मिला पा रही थी……
पंडित शीला के साथ लेट गया और उसके गालों को चूमने लगा…
शीला: पंडितजी….क्या मैने पाप कर दिया है….?..
पंडित: नहीं शीला…..पंडित के साथ काम करने से तुम्हारी शुधता बढ़ गयी है…..
शीला कपड़े पहन के और मेकप उतार के घर चली आई…..
आज पंडित ने उसे लिंग बाँधने को नहीं दिया था…..
रात को सोतेः वक़्त शीला लिंग को मिस कर रही थी…….
उसे पंडित के साथ हुई चुदाई याद आने लगी………………
वो मन ही मन में सोचने लगी..’पंडितजी…आप बड़े वो हैं….कब मेरे साथ क्या क्या करते चले गये..पता ही नहीं चला…पंडितजी…आपका बदन कितना अच्छा है……..अपने बदन की इतनी तारीफ़ मैने पहली बार सुनी है………आप यहाँ क्यूँ नहीं हैं..’
शीला ने अपना सलवार का नाड़ा खोला और अपनी चूत को रगड़ने लगी….’पंडितजी….मुझे क्या हो रहा है’..यह सोचने लगी…
चूत से हटा के उंगली पे ले गयी…और गांड को रगड़ने लगी….’यह मुझे कैसा रोग लग गया है…टाँगों के बीच में भी चुभन…..हिप्स के बीच में भी चुभन…..ओह..’…
अगले दिन रोज़ की तरह सुबेह 5 बजे शीला *** आई…..इस वक़्त *** में और कोई ना हुआ करता था…
पंडित ने शीला को इशारे से *** के पीछे आने को कहा…..
.आते ही शीला पंडित से लिपट गयी..
शीला: ओह…पंडितजी….
पंडित: श…शीला……..
पंडित शीला को लिप्स पे चूमने लगा….शीला की गांड दबाने लगा…शीला भी कस के पंडित के होंठो को चूम रही थी……तभी *** का घंटा बजा…..और दोनो अलग हो गये…..
…पंडित अपनी चूमा-चाटी छोड़ के *** में आ गया……
जब *** फिर खाली हो गया तो पंडित शीला के पास आया.
पंडित: शीला….इस वक़्त तो कोई ना कोई आता ही रहेगा…..तुम वही अपने टाइम पे आ जाना…
शीला चली आई……….उसका पंडित को छोड़ने का दिल नहीं कर रहा था…खेर….वो 12:45 बजे का इंतज़ार करने लगी…..
12:45 बजे वो पंडित के घर पहुँची……दरवाज़ा खुलते ही वो पंडित से लिपट गयी…
पंडित ने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और शीला को लेकर ज़मीन पे बिछी चादर पे ले आया…..
शीला ने पंडित को कस के बाहों में ले लिया….. पंडित के फेस पर किस पे किस किए जा रही थी….अब दोनो लेट गये थे और पंडित शीला के ऊपर था….
दोनो एक दूसरे के होंठो को कस कस के चूमने लगे…
पंडित शीला के होंठो पे अपनी जीभ चलाने लगा…..शीला ने भी मुंह खोल दिया…अपनी जीभ निकाल के पंडित की जीभ को चाटने लगी………पंडित ने अपनी पूरी जीभ शीला के मुंह में डाल दी……शीला पंडित के दातों पे जीभ चलाने लगी….
पंडित: ओह…शीला…..मेरी रानी…तेरी जीभ…तेरा मुंह तो मिल्क-केक जैसा मीठा है…
शीला: पंडितजी…एयेए……आपके होंठ बड़े रसीलें हैं…..आपकी जीभ शरबत है..आआहह…
पंडित: अह्ह्ह्ह …शीला….
पंडित शीला के गले को चूमने लगा……
आज शीला सफेद सारी-ब्लाउस में आई थी……
पंडित शीला का पल्लू हटा के उसके स्तनों को दबाने लगा….शीला ने खुद ही ब्लाउस और ब्रा निकाल दिया..
पंडित उसके बूब्स पे टूट पड़ा…..उसके निपल्स को कस कस के चूसने लगा….
शीला: आआआअह…पंडितजी…..आराम से…….मेरे स्तन आपको इतने अच्छे लगे हैं…?…आऐईई….
पंडित: हां …..तेरे स्तनों का जवाब नहीं…..तेरा दूध कितनी क्रीम वाला है…..और तेरे गुलाबी निपल्स…इन्हें तो मैं खा जाऊँगा…
शीला: आअहह….ह…ई……तो खा जाओ ना…मना कौन करता है……
पंडित शीला के निपल्स को दातों के बीच में लेके दबाने लगा…
शीला: आऐईए……इतना मत काटो…..आहह….वरना अपनी इस भेंस का दूध नहीं पी पाओगे….
पंडित: ऊओ…मेरी भेंस…..मैं हमेशा तेरा दुदू पीता रहूँगा….
शीला: ई…त..आआ….तो..पी..आ…लो ना…..निकालो ना मेरा दूध……खाली कर दो मेरे स्तनों को…..
पंडित कुछ देर तक शीला के स्तनों को चूस्टा, चबाता, दबाता और काटता रहा…
फिर पंडित नीचे की तरफ आ गया…..उसने शीला की सारी और पेटिकोट उसके पेट तक चड़ा दिए…..उसकी टाँगें खोल दी……
पंडित: शीला….आज कच्छी पहनने की क्या ज़रूरत थी….
शीला: पंडितजी…आगे से नहीं पहेनूगी….
पंडित ने शीला की कच्छी निकाल दी…
पंडित: मेरी रानी….अपनी योनि द्वार का सेवन तो करा दे ….
यह कह कर पंडित शीला की चूत चाटने लगा……….शीला के बदन में करंट सा दौड़ गया….शीला पहली बार चूत चटवा रही थी….
शीला: आआहह……म…एमेम..म…..मेरी योनि का सेवन कर लो पंडितजी…..तुम्हारे लिए सारे द्वार खुले हैं….अपनी शूध जीभ से मेरी योनि का भोग लगा लो….मेरी योनि भी शुद्ध हो जाएगी…….आआहह
पंडित: आअहह…मज़ा आ गया….
शीला: अया….हन..हन…..ले लो मज़ा…..एक विधवा को तुमने गरम तो कर ही दिया है….इसकी योनि चखने का मौका मत गवाओ…….मेरे पंडितजी…आआईई……….प……
पंडित ने शीला को पेट के बल लिटा दिया…उसकी साडी और पेटिकोट उसकी हिप्स के ऊपर चड़ा दिए..और शीला की हिप्स पे किस करने लगा…शीला की हिप्स थोड़ी बड़ी थी…बहुत सॉफ्ट थी….
पंडित: शीला…..मैं तो तेरे चूतड़ पे मर जाऊं……
शीला: पंडितजी….आहह…मरना ही है तो मेरे चूतडो के असली द्वार पे मरो……आपने जो लिंग दिया था वो मेरे चूतडो के द्वार पे आकर ही फंसा था………..
पंडित: तू फिकर मत कर…..तेरे हर एक द्वार का भोग लगाऊँगा….
यह कह कर पंडित ने शीला को घोड़ी बनाया…और उसकी गांड चाटने लगा….
शीला को इसमें बहुत अच्छा लग रहा था………पंडित शीला का एस होल चाटने के साथ साथ उसकी फुददी को रगड़ रहा था…….
शीला: आअहह….चलो…पंडितजी…अब स्वाहा कर दो…..उउस्स्ष्ह
पंडित: चल….अब मेरा प्रसाद लेने के लिए तैय्यर हो जा …
शीला: आहह…पंडितजी…..आज मैं प्रसाद पीछे से लूँगी….
पंडित: चल मेरी रानी….जैसे तेरी मर्ज़ी……
पंडित ने धीरे धीरे शीला की गांड में अपना पूरा लंड डाल दिया……
शीला: आआआहहह……
पंडित: अह्ह्ह्ह …शीला प्यारी….बस कुछ सबर करले….आहह
शीला: आआहह….पंडितजी….मेरे पीछे…आऐईए…. के द्वार में….आपका स्वागत है…..ऊई
पंडित: आअहह….मेरे बाण को तेरा पिछला द्वार बहुत अच्छा लगा है…..कितना टाइट और चिकना है तेरा पीछे का द्वार…..
शीला: आअहह….पंडितजी…..अपनेह स्कूटर की स्पीड बड़ा दो….रेस दो ना….एयेए…
पंडित ने गांड में धक्कों की स्पीड बड़ा दी…
फिर शीला के गांड से निकाल कर लंड उसकी फुददी में डाल दिया….
शीला: आई माआ……..कोई द्वार मत छोड़ना ……..आआ…आपकी बासुरी मेरे बीच के…आहह……द्वार में क्या धुन बजा रही है……….
पंडित: मेरी शीला…..मेरी रानी….तेरे छेदों में मैं ही बासुरी बजाऊंगा ….
शीला: आअहह…पंडितजी….मुझे योनि में बहुत…अया….खुजली हो रही है…..अब अपना चाकू मेरी योनि पे चला दो……मिटा दो मेरी खुजली…..मिटाओ नाआआआआआआअ …..
पंडित ने शीला को लिटा दिया…..और उसके ऊपर आके अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया……साथ साथ उसने अपनी एक उंगली शीला की गांड में डाल दी….
शीला: आअहह….पंडितजी…..प्यार करो इस विधवा लड़की को……अपनी बासुरी से तेज़ तेज़ धुने निकालो……मिटा दो मेरी खुजली…………….आहहहह….आ.आ..ए.ए…..
पंडित: आआहह…मेरी रानी…….
शीला: ऊऊहह……मेरे राज्जाअ…….और तेज़ ………अओउुउउर्र्ररर तेज़्ज़्ज़…..आआहह………अंदर…और अंदर आज्ज्जाआ……आअहह….प्प्प…स.स..स.
पंडित: …..आहह…ऑश……….शीला…प्यारी….मैं छूटने वाला हूँ….
शीला: आअहह……मैं भीइ….आआ…ई…….ऊऊऊ…..अंदर ही ……गिरा….द…दो अपना….प्रसाद…..
पंडित: आअहह………..
शीला: आआहह………………आ..आह…
आह………आह…………..आह….