लडकिया बोबे क्यों नहीं चुसवा पाती ब्रैस्ट फीडिंग

लडकिया बोबे क्यों नहीं चुसवा पाती ब्रैस्ट फीडिंग

लडकिया बोबे क्यों नहीं चुसवा पाती ब्रैस्ट फीडिंग SICK Breastfeeding :Breastfeeding is the CURE

लडकिया बोबे क्यों नहीं चुसवा पाती ब्रैस्ट फीडिंग

लडकिया बोबे क्यों नहीं चुसवा पाती ब्रैस्ट फीडिंग : बोबे चुस्वाने अर्थात स्तनपान के द्वारा मां अपने बच्चे को एक ऐसा अमृत देती हैं, जो उसे जीवन भर के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत बनाता है। मां का दूध, बच्चे को जीवन पर्यन्त स्वस्थ्य रखता है। मां का दूध नवजात के लिए आदर्श पोषण होता है। इसमें नवजात के लिए आवश्यक सभी विटामिन, प्रोटीन और वसा, उचित मात्रा में होते हैं। मां के दूध में वायरस व बैक्टीरिया आदि से लडने की क्षमता होती है।

बोबे चुस्वाने अर्थात स्तनपान से, नवजात शिशुओं में, अस्थमा व अन्य ऐसी समस्याओं के होने का खतरा भी कम होता है। जो बच्चे जन्म के 6 महीने तक सिर्फ माँ का दूध पीते हैं, उन्हें किसी भी तरह के पोषण की कमी नहीं होती और न ही उन्हें संक्रमण, सांस संबंधी समस्या और दस्त जैसी बीमारियाँ होती हैं।

लेकिन आजकल महिलाओं में बच्चे को बोबो से दूध नहीं पिलाने का चलन चल गया है उन का मानना है के यदि वह अपने बोबे चूसवायंगे तो उनके बोबे ढीले हो जायंगे और उनके बोबो का आकर्षण ख़तम हो जायगा कई माँओं में, दूध उत्पादन न होने जैसी समस्या बढ़ती जा रही है। जिस कारण उन्हें फार्मूला मिल्क जैसे विकल्पों का सहारा लेना पड़ता है। इस तरह की समस्या से बचने का सबसे सही तरीका है कि हर स्त्री को यह पता हो कि वह ऐसा क्या न करें कि उसका बच्चा स्तनपान करने से वंचित रह जाए।

जैसे ही कोई महिला गर्भवती होती है, उसे तभी से ही इस बारें में विचार कर लेना चाहिए कि वह अपने बच्चें को स्तनपान करवाएगी या फिर बोतल फीड। यदि वह अपने बच्चें को स्तनपान करवाना चाहती है तो उसे कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। महिलाओं द्वारा बच्चों को स्तनपान कराए जाने के पीछे सबसे मुख्य कारण उनका अपना स्वास्थ्य होता है। यदि महिला स्वस्थ है और उसके शरीर में सभी पोषक तत्व हैं, तो ऐसा कम ही होता है कि महिला स्तनपान कर करा पाए। इसके अलावा भी कुछ ऐसे कारक होते हैं, जो महिला के स्तनपान न करा पाने के कारण बन सकते हैं।

स्तनपान को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है-

दवाइयाँ- यदि महिला गर्भावस्था के दौरान या पहले भी कभी बिना डॉक्टर के सलाह के कुछ ऐसी दवाइयों का सेवन किया हो, जिससे उनके शरीर के हॉर्मोन डिस्टर्ब हो जाये। कुछ दवाइयों भी दूध उत्पान की प्रक्रिया में बाधा डालती हैं।

थायराइड और पिट्यूटरी ग्रंथि- कभी-कभी बच्चें के जन्म के समय बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव हो जाता है, जिससे थायराइड और पिट्यूटरी ग्रंथि को नुक्सान होता है। दूध बनाने में, ये दोनों हॉर्मोन बहुत महत्वपूर्ण  भूमिका निभाते हैं।

सर्जरी- यदि किसी महिला के स्तन की सर्जरी हुई है तो उसे भी स्तनपान न करा पाने जैसी समस्या हो सकती है। क्योकि संभव है कि सर्जरी के दौरान उसके मिल्कडक्ट क्षतिग्रस्त हो गए हो। ऐसी महिलाएं, जिनका, सर्जरी के द्वारा एक स्तन निकाल दिया गया हो, वह भी बिना किसी समस्या के स्तनपान करा सकती हैं।

एल्कोहॉल- ऐसी महिलाएं जो शराब का सेवन, बहुत ज्यादा करती हैं, उन महिलाओं में भी दूध का उत्पान न होने जैसी समस्या हो सकती है। यहाँ तक कि धूम्रपान करने से भी ऐसी समस्या हो सकती है।

तनाव और स्वस्थ आहार की कमी- महिलाओं में दूध न होने का सबसे बड़ा कारण तनाव और अस्वस्थ आहार भी है। जो महिलायें गर्भावस्था में बहुत ज्यादा तनाव में रहती हैं उन्हें दूध न बन पाने जैसी समस्या हो जाती है। यदि गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ आहार न लिया जाये तो यह समस्या दौगुनी  ज्यादा बढ़ जाती है।

इसी प्रकार यदि पहले से ही कोई महिला इन चीजों का ध्यान रखें, तो उसमें दूध उत्पादन न होने जैसी समस्या नहीं होगी और वह भी अपने बच्चें को स्तनपान करवा सकती है।