पेशंट को हिप्नोटाइज कर के चोदा

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मित्रो यह एक फिक्शनल कहानी हैं जिसमे एक डॉक्टर पेशंट की चूत का दर्द बेहोशी में चोद के मिटाता हैं. लेकिन कहानी को जीवंत बनाने के लिए लेखक ने उसे जीवंत रूप दिया हैं. तो आप का ज्यादा समय ना लेते हुए पेश हैं यह कहानी

हाई फ्रेंड्स, मैं हूँ डॉक्टर के यादव (नाम बदला हुआ हैं). मैं दिल्ली से हूँ जहाँ की चूतें बड़ी फेमस हैं. पेशे से मैं एक साइकेट्रिस्ट हूँ और अपनी छोटी सी क्लिनिक मैंने साउथ दिल्ली में ही खोल राखी हैं. डॉक्टरों के बिच में घिरे होने की वजह से मुझे एवरेज पेशंट मिल जाते हैं. यह कहानी हैं एक भाभी की जिसे मैंने क्लिनिक के अंदर चोदा था. दुखी भाभी का चूत का दर्द दूर करने का सौभाग्य मुझे कैसे मिला वो मैं आप को बताता हूँ.

यह बात हैं सन 2012 की जब पहली बार सुमित्रा भाभी मेरे क्लिनिक पर आई थी. तब वो अपनी बड़ी बहन के साथ आई थी. उन्हें अनिंद्रा और एन्जाईटी थी जिसके लिए मैंने उन्हें कुछ सेडेटिव वगेरह दिया था. सुमित्रा की उम्र कुछ 26 की थी तब और दिखने में वो किसी टिपिकल भाभी के जैसे ही दिखती हैं. साफ़ रंग, ब्लाउज और चोली का पहेरवेश, साडी के पल्लू को पकड के चलना और बात बड़े आराम से करना यह कुछ उसकी अदाएं थी. एक दो विजिट के बाद उसकी बहन ने साथ आना बंध कर दिया. मेरी दवाई से सुमित्रा को आराम नहीं मिल रहा था. मुझे पहली बार लगा की उसकी समस्या कुछ और हैं जिसे वो छिपा रही हैं. लेकिन मैं यह भी देख रहा था की वो मुझे बड़े गौर से देखती थी; भाभियाँ होती ही ऐसी क्या! अब मेरी नजर भी चोली के पीछे क्या हैं वो देखने की ट्राय करने लगी थी. उसके बड़े मादक चुंचे अब मुझे भी लुभाने लगे थे. लेकिन फिर मैं अपनी ओथ के बारें में सोचता था और भाभी की चूत का दर्द देने की ख्वाहिश दूर हो जाती थी. सुमित्रा मेरे केबिन में कभी कभी 10-15 मिनिट बैठी रहती थी जैसे की उसे भी मेरी कंपनी अच्छी लगती थी. कभी कभी मैं उसकी आँखों में उसकी चूत का दर्द देख लेता था लेकिन मेरे आगे बढ़ने की कोई हिम्मत नहीं हो रही थी.

कहते हैं ना की किस्मत में हो तो कही नहीं जाता हैं और उसे पाने का कोई न कोई रास्ता जरुर निकल आता हैं. उस दिन मैं अख़बार पढ़ रहा था और मैंने एक खबर पड़ी जिसमे हिप्नोटिज्म के बारे में एक न्यूज़ आई थी. और तभी मेरे दिमाग में एक गन्दा विचार आया. ऐसा विचार जिस के जरिये मैं सुमित्रा को चोद भी सकता था और उसे पता भी नहीं चलना था. मुझे भी हिप्नोटिज्म की जानकारी हैं और मैंने सिखा हैं की कैसे किसी को हिप्नोटाइज किया जा सकता हैं. सुमित्रा की चूत का दर्द दूर करने की एक आशा की किरण तो नजर आ ही रही थी मुझे अब. लेकिन अभी तक मैं स्योर नहीं था की सुमित्रा को चूत का दर्द हैं या उसे कुछ और समस्या हैं.

अब मुझे केवल उसके क्लिनिक पे आने की राह देखनी थी. और यह मौका आया पुरे एक हफ्ते के बाद. सुबह ही मुझे अपोइन्टमेंट के लिए कॉल आई और मैंने उसे शाम को क्लिनिक बंध होने के ठीक 15 मिनिट पहले आने को कहा. मैं मनोमन प्रार्थना कर रहा था की वो अकेली आयें. शाम को मैंने जो लड़का रिसेप्शन पे बैठता हैं उसे जल्दी जाने को कहा. उसे मैंने का की डॉक्टर दुबे आयेंगे इसलिए मैं लेट जाऊँगा लेकिन वो जल्दी जा सकता हैं. सभी पेशंट्स को मैंने फट से निपटा दिया और आखिर मैं सुमित्रा को बुलाया. रिसेप्शन वाले लड़के को मैंने जाने को कह दिया. उस लड़के को लगा की आज भी शायद मैं और डॉक्टर दुबे शराब का सेवन करेंगे क्लिनिक पर इसलिए उसे कोई डाउट होना नहीं था. सुमित्रा हर बार की तरह आज भी ब्लाउज और पल्लू में सज्ज थी. मेरी नजर के सामने उसके काल्पनिक बूब्स उभर रहे थे. मैंने उसे देखा और उसके मेडिकल हिस्ट्री के कागजों को जूठमुठ का चेक करने लगा.

मैं: देखिएं मेडम आप की मेडिकल हिस्ट्री का अध्ययन कर के मैं इस नतीजें पर पहुंचा हूँ की आप का मानसिक संतुलन बिलकुल सही हैं, और आप को नींद ना आने का कारण वो बिलकुल ही नहीं हैं. आप को कुछ समस्या हैं जो अंदर से खा रही हैं. क्या आप उसके बारें में कुछ बताना चाहेंगी?

सुमित्रा: डॉक्टर साहब समस्या किसे नहीं होती हैं, मेरी सब से बड़ी समस्या हैं पति की बेरुखी जैसे मेरी बहन ने आप को कहा था. मैं अंदर से टूट चुकी हूँ बस.

मैं उठा और अपनी हथेली को उसकी आँखों के सामने रख के हिप्नोटाईज करने की तैयारी करने लगा. मैंने कहा, “आप अपनी आँखे बंध करें और आराम से अपने शरीर को हल्का करें. फिर आप लम्बी साँसे ले और जैसे मैं कहूँ वैसे करें.”

सुमित्रा ने आँखे बंध की और मैंने हिप्नोटाईज करने की बाकी की फोर्मलिटी भी पूरी कर दी. सुमित्रा अब भान खो चुकी थी; उसका मगज सक्रिय था लेकिन अभी होने वाली घटनाएं उसे जिन्दगी में कभी याद नहीं रहनी थी सिवाय के मैं उसे ऐसा करने को कहूँ. मैंने सवालों का लिस्ट चालू किया ताकि उसका चूत का दर्द किस डिग्री का हैं यह जान सकूँ.

मैं: सुमित्रा मुझे यह बताओ की तुम्हे क्या प्रॉब्लम हैं?

सुमित्रा: मेरा पति मुझे नहीं चाहता हैं और मैं सेक्स के मामले में अंदर से टूट चुकी हूँ.

मैं: तुम्हारा पति ऐसे क्यूँ करता हैं? क्या उसका किसी और के साथ सबंध हैं?

सुमित्रा: मेरी बुआ सासु मेरे पति की रखेल हैं. क्यूंकि वो बहुत कम उम्र में विधवा हो चुकी थी इसलिए उसने अपने भतीजे यानी की मेरे पति को फंसा रखा हैं, मेरे पति कहते हैं की रश्मि बुआ की चूत जैसा मजा दुनिया की किसी चूत में नहीं आ सकता हैं.

मैं सोच में पड़ गया की क्या सुमित्रा की चूत का दर्द इतना गहरा हैं, क्या उसे कभी भी पति से सुख नहीं मिला हैं. कन्फर्म करने के लिए मैंने पूछा, “आखरी बार आप के पति ने आप के साथ कब सेक्स किया था?”

सुमित्रा: कभी नहीं, वो तो शादी की रात से ही अलग सोते हैं, खेतीबाड़ी के काम का बहाना निकाल के वो अभी भी हफ्ते में 4-5 रातें चुडेल रश्मि के घर ही बिताते हैं. मैं इज्जतदार घर की बेटी हूँ इसलिए कुछ नहीं कर सकती लेकिन अब इस दर्द को ले के जी भी तो नहीं सकती.

मैं: तो फिर अपनी चूत का दर्द मिटाने के लिए तुम क्या करती हो?

सुमित्रा: कभी ऊँगली से तो कभी मोमबत्ती से मजे लेती हूँ. मेरी बड़ी बहन के साथ कभी कभी लेस्बियन भी कर लेती हूँ. हालांकि मैं लेस्बियन औरत नहीं हूँ लेकिन कुछ मजे के लिए करना पड़ता है.

मैं: क्या तुम्हे डॉक्टर यादव का लंड मिल जाएँ तो ले लोगी?

सुमित्रा: जी हाँ.

मैंने कहा, “ये लो फिर.”

इतना कह के मैंने अपनी ज़िप खोल के अपना लंड निकाल के सुमित्रा के सामने धर दिया. उसके हाथ पकड के मैंने अपने लंड को उसके हाथ में थमा दिया. सुमित्रा किसी भूखे कुत्ते की माफिक लंड को पकड के हिलाने लगी. और दूसरी ही मिनिट उसने लंड अपने मुहं में डाल के उसे जोर जोर से चुसना चालू कर दिया. वो गले तक लौड़े को भर के मुझे चुसाई का असीम आनंद दे रही थी. हिप्नोटीजम की असर के चलते उसकी आँखे अभी भी बंध थी. वो मेरा डंडा पकड के हिलाती थी और फिर उसे अपने मुहं में ले लेती थी. मैंने उसके ब्लाउज के बटन को खोल के चोली के पीछे के माल को निकाला. सुमित्रा के बूब्स तारीफ़ के काबिल थे. मैं बूब्स मसलने लगा और सुमित्रा लौड़ा और भी जोर जोर से चूसने लगी. सुमित्रा की साँसे बढ़ गई थी और उसके दांत मेरे लंड के उपर गड़ने लगे थे. मने उसके मुहं को पीछे से पकड़ा और लंड के तीव्र झटके उसके मुहं में मारने लगा. सुमित्रा लंड कस के चूसती रही.

मैंने सोचा की जल्दी सुमित्रा के चोद के दफा करूँ वरना कोई आ गया तो माँ चुद जायेंगी. मैंने सुमित्रा को कहा की चलो अब टेबल के ऊपर लेट जाओ. सुमित्रा टेबल पर लेटें उसके पहले मैंने सभी चीजों को हाथ से साइड में कर दिया. सुमित्रा जैसे लेटी मैंने उसकी सलवार को उठाया. अंदर के पेटीकोट को मैं खिंच के साइड में कर दिया. सुमित्रा की चूत अब मेरे सामने थी, यही चूत का दर्द मुझे मिटाना था. मैंने टेबल के ड्रावर से कंडोम का पेक निकाला और लंड को गुब्बारें में सिल कर दिया. मैंने सुमित्रा को अपनी साइड में खिंचा और उसकी टांगो को मेरे कंधो के ऊपर रख दिया. सुमित्रा की चूत के ऊपर कंडोम वाला लंड रख के अब मैं उसे चोदने लगा. सुमित्रा की चूत टाईट थी लेकिन कंडोम की चिकनाहट की वजह से लंड अंदर आराम से घुस गया. मैंने सुमित्रा की कमर को पकड़ा और उसे अपने लंड से चूत में झटके देने लगा. सुमित्रा जैसे बेजान सी थी लेकिन उसके मुहं पर चुदाई के झटको से दर्द की रेखाएं बन रही थी. मेरा लंड उसकी चूत की गहराइ को छूकर तृप्ति देने और लेने में व्यस्त था. सुमित्रा का बदन हील नहीं रहा था इसलिए मुझे नकली सेक्स की भाँती हो रही थी. मैंने उसे अपनी गांड हिलाने को कहा.

अब सही मज था जब उसकी गांड हिल रही थी मेरे लंड के सामने. मेरी उत्तेजना चरमसीमा पर थी. मेरे लंड में अजब सा खिंचाव आया और लंड की नाली ने पेशाब की धार के जैसे ही मुठ का माल निकाल फेंका. कंडोम की वजह से लंड का माल अंदर ही रह गया. मैंने आहिस्ता से सुमित्रा की चूत से अपना लंड निकाल लिया. कंडोम को अनरोल कर के मैंने निचे बिन में फेंका, कागज में लपेट कर. फिर मैंने सुमित्रा को सीधे हो के अपने कपडे सही कर के नाड़ा बाँधने को कहा. सुमित्रा ने जैसे ही यह किया मैंने टेबल को पहले जैसा कर के अपने कपडे और बाल सही किया. फिर मैंने उसे धीरे से आँखें खोलने को कहा.

सुमित्रा इधर उधर देखने लगी, जैसा की हिप्नोटीज़म के बाद होता हैं. उसने सवाल वाला मुहं बनाया और मैंने कहा.

मैं: अभी आप कैसे फिल कर रही हैं.

सुमित्रा: मन जैसे की हल्का सा हो गया हैं. जैसे की एक बड़ा बोज दूर हो गया हो. क्या किया आप ने?

मैंने हंस के कहा: कुछ नहीं, बस कुछ देर हिप्नोटाईज़ किया और आप के मन को शांत किया.

सुमित्रा: सच में बहुत अच्छा फिल हो रहा हैं. मुझे अब तो हर हफ्ते हिप्नोटाईज होना पड़ेंगा.

मैंने मनोमन हंस रहा था की काश यह हर हफ्ते मुझ से ऐसे ही चुदें…और वो खुश थी क्यूंकि उसकी चूत का दर्द इन्विजिबली चला गया था….!