मेरे चाचा ने चूत का भोसड़ा बनाया – मैं उसके लन्ड को दूध निकालने जैसे खींच कर दुहने लगी

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होली का दिन मेरे लिये शुभ दिन बन कर आया। उस दिन मेरे चाचा ने चूत का भोसड़ा बनाया मेरे मन की एक बड़ी इच्छा पूरी हो गयी। अनिल मेरे दूर के रिश्ते में मेरा चाचा ही लगता था उन दिनों वो भी आया हुआ था। मुझे अनिल बहुत अच्छा लगता था। मुझे ऐसा लगता था कि हाय ! कभी मैं उसके साथ चुदाई करूं। पर ऐसा मौका कभी नही मिला। मै उस पर दिल से मरती थी। होली उसे हमारे साथ ही खेलना था। चाचा और चाची उसके आने से बहुत खुश थे। अनिल उम्र में मुझसे दो साल छोटा था। अनिल १९ साल का रहा होगा। शाम को होली जलने वाली थी…. चाचा ने होली के बाद की रस्में पूरी की और अपनी रात की शिफ़्ट में काम करने को चले गये….
रात को अचानक मेरी नींद खुल गयी। मैने करवट ली और फिर से आंखे बन्द कर ली। मुझे लगा कि कोई बात कर रहा है। चाची के कमरे से आवाज आ रही थी। चाचा तो थे नहीं….फिर किस से बात हो रही थी। मेरी उत्सुकता बढ गयी। मै बिस्तर से उतरी और चाचा के कमरे के दरवाजे के छेद पर आंख लगा दी। सामने अनिल खड़ा था। मैने समय देखा रात के लगभग १२ बज रहे थे। इतनी रात को ….? अभी तक सोये नहीं थे। मैं स्टूल धीरे से दरवाजे के पास रख कर आराम से बैठ गई…. मुझे लगा कि आज तक तो चाचा चाची की चुदाई देखती थी …. शायद आज कुछ और नजारा दिख जाये….
मैने बड़े आराम से छेद पर आंख लगा दी। अनिल पहले तो चाची से बात करता रहा…. फिर उसने चाची के ब्लाऊज़ पर ऊपर से ही हाथ फ़ेरा। चाची ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी चूंचियों पर दबा दिया। मेरे शरीर पर चींटियां रेंगने लगी…. तो अनिल भी चाची के साथ मजे करता है…. चाची का नाम नीता है….। नीता ने अपना एक हाथ बढा कर उसका लन्ड पकड़ लिया …. उनका कार्यक्रम शुरु हो चुका था…. मेरी चूत भी गरम होने लगी…. मैने अपनी चूंचियां दबा ली…. और देखती रही…. न जाने कब मेरी उंगली मेरे चूत में घुस गयी…. और अन्दर बाहर होने लगी…. अनिल चाची को खूब मजे से चोद रहा था। चाची अपना होली का त्योहार बड़े आनन्द से मना रही थी…. कभी में अपने बोबे भींचती कभी चूत को उंगली से चोदती…….. मेरे मुख से भी कभी कभी आह निकल जाती…. सिसकारियां फ़ूट पड़ती…. अचानक में झड़ गयी…. मैने अपनी चूत दबा ली…. और आकर बिस्तर पर लेट गयी …. पर नींद कहां थी…. आवाज़ें अभी भी आ रही थी…. मैने फिर से उठ कर देखा तो अब गान्ड चुदाई हो रही थी…. मैं फिर तरावट में आने लगी …. मेरी फ़ुद्दी फिर फ़ुदक उठी…. हाय।…. मैने अपनी चूत को दबाया और मन कड़ा करके बिस्तर पर आ गई।
कुछ ही देर में चाची के कमरे से आवाजें आनी बन्द हो गयी …. मैं सोने की कोशिश करने लगी…. सवेरे उठते ही देखा कि सभी सो रहे थे। अनिल भी अपने कमरे में सो रहा था। मैने जल्दी से चाय बनाई…. पहले अनिल को उठा कर चाय दी फिर चाची यानी नीता को चाय दी। नीता ने सुस्ताते हुये कहा,” नेहा इधर बैठ ……..तुझसे कुछ पूछना है….”
“हाऽ…. आन्टी…. कहो….”
“एक बहुत पर्सनल सवाल है …. अनिल के बारे में….” नीता ने कहा। मैं एकदम से सहम कर नीता को देखने लगी।
“अनिल के बारे में…. हां …….. क्या ?”
“अनिल तुम्हारे बारे में कल पूछ रहा था …. क्या तुम्हें वो अच्छा लगता है….” मैं एकदम से झेंप गई।
“आन्टी …. हां अच्छा है …. पर ऐसा क्यू पूछा….”
“कल तुम रात को हमें उस छेद से देख रही थी ना….।” नीता ने तिरछी नजर से मुझे मुसकरा कर पूछा….
“ना….नहीं तो…. वो….तो….” एकदम से सीधा वार हुआ।
“हम दोनों को पता है……..तुम देख रही थी…. पर हमने तुम्हें देखने दिया ….” नीता ने मतलबी निगाहों से मुझे मुस्करा कर देखा।
“आन्टी …. सोरी…. अब नहीं होगा….”
“अनिल तुम्हारे साथ रात वाला काम करना चाहता है …. बोलो है इच्छा….”
“आन्टी …. सच …. ” मैने शरमा कर नीता की गोदी में अपना मुहं छुपा लिया “पर आन्टी मुझे शरम आयेगी ना….”
“जब दो दिल राज़ी तो वहां शरम का क्या काम…. फिर मैं हू ना….”
सुबह सुबह होली खेलने के दिन मेरे लिये अनिल क पैगाम ले कर आया…. मैने नीता के गाल पर एक प्यार का चुम्मा ले लिया। नीता मुसकरा उठी…. ” नेहा…. बेस्ट ओफ़ लक ….”
“हटो आन्टी…. आप बड़ी वो है….यानी अच्छी हैं….।” मैं खुशी से फ़ूली नहीं समा रही थी…. मैने तुरन्त कपड़े बदले और होली के लिये सफ़ेद ड्रेस पहन लिया। हल्का सा मेक अप किया और इठला कर अनिल के कमरे में गई….
“चाय का कप?…. ” मैने अनिल से बड़ी अदा से कहा…. अनिल मुझे देखता ही रह गया ….उसने मुझे चाय का कप थमा दिया।
मैने कहा,”आज तो होली है …. 8 बजे से हम तो होली खेलेंगे…. तैयार रहना….”
मेरी सहेलियां और नीता के मिलने वाले आने लगे थे। मिठाईयां खाई और खिलाई जा रही थी। सभी रंग में रंगे थे। मैं आज कुछ ज्यादा ही खुश थी…. क्योंकि सुबह ही मुझे चुदाई का न्योता मिल गया था…. रह रह कर मैं अनिल के पास जा कर उसे रंग लगा रही थी। अनिल भी अब शरारत करने लगा था …. वो कभी मेरा हाथ पकड़ लेता…. कभी मेरी पीठ पर धीरे से हाथ मारता। मुझे सिरहन होने लगती थी।
“नेहा…. एक काम करा दे…. ये सामान ऊपर वाले कमरे में ले चल….” नीता ने आवाज लगाई। मैं भाग कर अन्दर गई…. और सामान ले कर नीता के साथ ऊपर कमरे में आ गई।
नीता ने पूछा,”अनिल के क्या हाल है……..?”
“आन्टी…. बड़ी मस्ती कर रहा है….”
“तेरी ऐसे करके…. चूंचियां दबाई कि नहीं….” नीता ने मेरी चूंची दबाते हुये कहा
इतने में अनिल वहां आ गया…. नीता ने अनिल को देखते ही कहा,”ले नेहा…. अनिल आ गया…. अब तू चुदेगी….” फिर मेरे कान में बोली “तबियत से चुदवा लेना …. इसका लन्ड सोलिड है….”
मैं शरमा गयी….
नीता ने अनिल को कहा,”आ गये तुम …. अब ये रही नेहा …….. अब होली के मजे करो …. मैं जा रही हूं…. दरवाजा अन्दर से बन्द कर लेना……..”
“चाची……..मत जाओ ना …. मुझे शरम आयेगी……..”
अनिल मुस्कराया…. और बोला -“अब चाची? …. मेरे साथ होली तो खेलो…. और नेहा….तुम बच कर कहां जाओगी”
कहते हुये अनिल ने मेरे चेहरे पर गुलाल लगा दी …. उसके हाथ अचानक मेरी चूंचियों पर आ गये और मेरे कुरते में अन्दर हाथ डाल कर मेरे उभारों पर गुलाल मल दिया साथ में मेरे उभारों को भी मसल डाला…. नीता ने देखा अनिल शुरु हो चुका है तो वो बाहर जाने लगी। इस हमले से मैं एकदम मस्त हो गयी। अनिल के मेरे उभारों को दबाने से मै उसे देखती रह गयी…. मुझे शरम आने लगी पर साथ ही मैने अपने उभारों को और आगे उभार दिया…. उसे चूंचियां मसलने का पूरा मौका दिया। अनिल ने मेरे बोबे हाथों में भर लिये। मैं सिसक उठी।
“सिर्फ़ तेरे बोबे ही तो मचका रहा है….अभी तो देखती जा….” नीता ने कमरे को बन्द कर दिया। अनिल ने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया। मैं सिमट कर खड़ी हो गयी। अनिल ने मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया और अपनी बाहों में भर लिया । उसके लन्ड का कड़ापन मुझे चूत के आसपास चुभने लगा था।
मैने जानकर कहा,”मेरे पीछे मत दबाना…. गुदगुदी होती है….”
“अच्छा …. कहां पर …. यहां चूतड़ों पर ….” और उसने मेरे दोनो गोल गोल चूतड़ मसल डाले। मै और शरमा कर सिमटने लगी।
“जानती हो …. शरमाने वाली लड़की को चोदने से बड़ा आता है….”
“हाय….ऐसे नहीं बोलो ना ….”
इधर अनिल ने अब मेरे कुर्ते को उतार दिया। मेरे दोनो उरोज तन कर सामने आ गये। फिर उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर उसे उतार दिया और मुझे बिल्कुल नंगी धड़ंग कर दिया। नंगी होने से मुझे शरम आने लगी मैं नीचे बैठ गयी।
अनिल ने प्यार से मुझे उठाया और कहा,”नेहा…….. तुम्हारी जगह बिस्तर पर है…. उठो….”
मैने जैसे ही नजर उठाई…. अनिल सामने नंगा खड़ा था। उसने कब खुद के कपड़े कब उतार लिये थे ये पता ही नहीं चला। मैने अपनी आंखे बन्द कर ली और अब मुझे होने वाली चुदाई नजर आने लग गयी थी। उसका लन्ड खड़ा हुआ था। मैने धीरे से उसका लन्ड पकड़ लिया। और उसकी चमड़ी ऊपर सरका दी…. उसका फूला हुआ लाल सुपाड़ा मेरे सामने था। मैने जीभ से उसे चाट लिया। अनिल कराह उठा। उसका लन्ड कड़क होता जा रहा था। मैने अब सुपाड़ा मुँह में भर लिया। और उसका लन्ड नीचे से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करने लगी। अनिल ने मेरे बोबे पकड़ लिये और उन्हे धीरे मसलने लगा। बोबे पर से लाल गुलाल अब हटने लगा था।
उसने लन्ड मेरे मुंह से निकालते हुए अनिल ने कहा,” झुक जाओ…. घोड़ी बन जाओ…. देखो नेहा …. अब तुम चुदने वाली हो…. तैयार हो ना….”
“हाय रे…. नंगी तो हूं ना….अनिल…. ” मैने कहा और शरमा गयी….
मैने बिस्तर पर अपने दोनो हाथ रख लिये और गान्ड पीछे उभार कर गान्ड की दोनों गोलाईयां उसके सामने कर दी। उसने अपना लन्ड हाथ से सहला कर मेरी गोलाईयों के बीच दरार में रख दिया। उसका लन्ड जैसे ही मेरी दरारों में लगा मुझे झुरझुरी आ गयी। अब उसका लन्ड सरक कर मेरी गान्ड के छेद पर आ टिका था। उसकी इच्छा गान्ड चोदने की थी ….
मेरी गान्ड उसके लिये पूरी तरह से तैयार थी। उसके दोनों हाथ मेरी चूंचियों पर आ कर जम गये थे। कुछ ही क्षणों में उसने मेरी चूंचियां भींचते हुये लन्ड पर जोर मारा…. फ़क से उसका मोटा सुपाड़ा छेद में घुस पड़ा। मुझे हल्का सा दर्द हुआ। पर मोटे लन्ड का प्यारा सा अहसास हुआ। मेरी गान्ड में फंसा उसका लन्ड मुझे असीम आनन्द दे रहा था….
तभी उसका एक जोरदार धक्का पड़ा…. मेरी चीख निकल गयी,”हायीईईऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ………… ओह्…. सोरी…. “
“नेहा …. देखो ये कब से तुम्हारा दीवाना है….पूरा जाने दो अन्दर इसे ….।”
“हाय अनिल…….. हां जाने दो……..”
मेरी गान्ड पर उसने अपना थूक टपका कर उसे और चिकना बना दिया।
“हाय मेरे राजा….थूक लगा कर चोदोगे….?”
अनिल हंस पड़ा…. और उसका लन्ड मेरी गान्ड में अन्दर बाहर सरकने लगा। मेरे सारे शरीर में उत्तेजना की लहर दौड़ पड़ी। मुझे उसके लन्ड का अन्दर बाहर जाना और रगड़ का अह्सास मस्त किये दे रहा था।
“हाय अनिल…….. ये तुम्हारा लन्ड कितना प्यारा है…. कैसा सरक रहा है….”
अनिल को ये सुनते ही और मस्त हो गया और मुझे अच्छा लग रहा है ये जानकर और भी जोश में आ गया। उसका लन्ड मेरी गान्ड में अब तेजी से उतरने लगा था। मेरी गान्ड चुद कर मस्त हो रही थी । मुझे हालांकि चुदाई जैसा तेज मजा तो नहीं आ रहा था….पर मैं अनिल को यही जता रही थी कि मैं आनन्द से पागल हुई जा रही हूँ।
“हाय मेरे राजा चोद मेरी गान्ड को …….. पेल दे अपना लन्ड …. हाय क्या लन्ड है….”
अनिल मेरे आनन्द को देख कर और ही मस्त हुआ जा रहा था। अब उसने मेरी गान्ड में से अपना लन्ड निकाल लिया…. मुझे लगा कि शायद ये झड़ने वाला होगा …. उसने अपने लन्ड को मेरी चूत पर मारा…. मेरा चिकना पानी चूत में भरा था। उसका गीला लन्ड मेरी चूत के बाहर फ़िसलने लगा फिर सरकता हुआ चूत में अन्दर बढ चला। अब सच में मेरी जान निकलने की बारी थी…. तीखी मिठास के साथ मेरे चूत में उसका लन्ड अन्दर जा रहा था …………ये था असली चुदाई का मजा। मै चिहुंक उठी। मुख से मीठी सी सिसकारी निकल पड़ी।
“हाय रीऽऽऽऽऽ अनिल……..मेरी चुद गई रे…. हाय घुसा दे राम……..”
“नेहाऽऽऽऽऽऽ…. तुम्हारी चूत मुझे मार डालेगी मुझे……..” अनिल भी कराहता हुआ बोला। उसके हाथ मेरी चूंचियो को मींज रहे थे। वो कभी मेरे चूंचक खींचता कभी जोर से मसक डालता। मै निहाल हो उठी थी। मेरी चूत में गजब की मिठास भरती जा रही थी…. मैं तेजी से सीमाएँ पार करने लगी…. लगभग मेरे मुँह से सीत्कारें निकलने लगी।
“आये हाय रे….मेरे राजा …….. चोद दे रे…. मेरी चूत तो गयी आज…….. हाय मै चुद गयी….”
“मेरी रानी …. तेरी चूत की मैं आज मां चोद दूंगा …. साली को फ़ाड़ दूंगा….”
अनिल का धीरज भी छूटता जा रहा था। वो गालियों पर उतर आया था…. यानी अब सब कुछ उसके आपे से बाहर था….
“साली……..रंडी…. तेरी भोसड़ी मारूं …….. मेर लन्ड हाय रे….”
“मेरे प्यारे अनिल।…….. हां हां ……..मेरी चूत का भोसड़ा बना दे…. लगा ….जोर से चोद्…. हाय राम्….”
“हाय मेरी छिनाल…. तेरी बहन को….तेरी मां को…. रे…. आऽऽऽह्…. सबको चोदा मारू…. मेरी नेहा……..”
उसकी मीठी मीठी गालियां सुन कर मेरी चूत में जोरदार मिठास भरने लगी…. मैं चरमसीमा पर पहुंचने लगी। उसकी नन्गी बातों ने मुझे झड़ने की ओर अग्रसर कर दिया। मैं अपने आप को रोकती रही….पर असफ़ल रही…….. मेरी चूत का पानी आखिर छूट ही पड़ा।
“अनिल….आय राम ….मैं तो गई …. जरा जोर से झटके मार….” उसने मेरी चूंचियां और दबाई और झटके मारने लगा…. पर हाय रे….मै अब झड़ने लगी…. मैं अपनी चूंचियां उससे छुड़ाने लगी….मेरी चूत अब बार बार लहरें मार मार कर अपना रस छोड़ रही थी। मै अब पूरी झड़ चुकी थी। मैं अब बस और नही चुदना चह्ती थी। पर उसने और जोर लगा कर लन्ड मेरी चूत में दबा दिया,”आह नेहा…….. मैं गया…. आया…….. निकला रे….” मैंने अपनी चूत में से उसका लन्ड तुरंत निकाल लिया।
“ओह्….नहीं….रूको….ऽभी नहीं….” पर मैने लन्ड निकाल कर उसे मुठ में ऐसा दबाया कि उसके लन्ड ने मेरे हाथ में अपना वीर्य छोड़ दिया। मैं उसके लन्ड को दूध निकालने जैसे खींच कर दुहने लगी…. उसके लन्ड से पिचकारी निकल कर मेरे हाथों को गीला कर रही थी….उसका सारा वीर्य उसके लन्ड पर मल दिया…. और अपने गीले हाथों में उसका वीर्य अपने होंठो से चाट लिया…. अनिल ने बड़े प्यार से मुझे देखा और अपने नंगे बदन से मेरा नंगा बदन चिपका लिया….हम कुछ पल ऐसे ही लिपटे खड़े रहे और प्यार करते रहे।
फिर अनिल अलग हो गया और अपने कपड़े पहनने लगा। मैने भी जल्दी से कपड़े पहन लिये। अनिल ने ज्योंही दरवाजा खोला तो नीता सामने खड़ी थी ….
“अरे नीता…. यहां कब से खड़ी हो….”
“अरे अनिल जी…. दिन को चुदाई कर रहे हो….बाहर पहरा दे रही थी….” मैं सर झुका कर चुपके से निकलने लगी।
“नेहा…. चुदवा कर शरमा रही हो …. अब इस चुदाई की हमें मिठाई तो खिला दो….” नीता बड़ी बेशरमी से बोली।
“रात को सब मिल कर खायें तो मजा आयेगा ना……..” नीता और अनिल दोनो हंस पड़े…. मैने शरमा कर अपने हाथों से अपना मुँह छुपा लिया…. नीता से प्यार से मुझे चूम लिया।