बहन की गाण्ड पेलाई – मेरा लंड उस वक्त पूरा खड़ा था और कड़क डंडा सा हो गया था

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पिछली गर्मियों की बात है। अपने एक दोस्त से मिलकर कई दिनों बाद लौटने पर जब मैं घर में दाखिल हुआ तो एक बार तो सामने कोई नज़र नहीं आया। काफी खामोशी थी। मुझे अज़ीब सा महसूस हुआ।
फिर मुझे रसोई से कुछ आवाज़ आई। जब मैं रसोई में घुसा तो वहाँ मेरी छोटी सौतेली बहन खड़ी होकर खाना बना रही थी। गर्मी के मारे पसीने से वह लथपथ हो रही थी। उसके कपड़े गीले हो गए थे और उसके मादक जिस्म के साथ चिपक रहे थे।
मैंने पीछे से जाकर अचानक उसको अपनी बाँहों में ले लिया। मेरे दोनों बाजू उसके चूचियों को दबाने लगे थे। मेरा लंड उसके सेक्सी और नरम-नरम गाण्ड के बीच में फँस कर दब गया।
‘ऊ ओह, भाई जान! क्या करते हो? तुमने तो मुझे डरा ही दिया।’ वो मेरी तरफ मुड़ कर बोली।
मगर मैं उससे यूँ ही लिपटा रहा और वो दुबारा खाना पकाने लगी। मेरे हाथ उसके सीने की ऊँची-नीची जगहों पर रेंगने लगे और मैंने उसकी चूचियों को अपनी हथेलियों में भींचते हुए उसकी गर्दन पर हल्का सा चुम्बन किया और पूछा- ‘बानू, घर के और सब लोग कहाँ हैं? इतनी खामोशी क्यों है?’
बानू ने खाना पकाते हुए कहा- वो तो कानपुर गए हैं। नानू के पास; खाला की तबियत बहुत खराब हो गई है। कल रात को वापिस आयेंगे। आपके आने की खबर थी तो वे तसल्ली से रहेंगे।
यह सुनते ही मेरे हरामी दिमाग में कोई सेक्सी फिल्म सी चलने लगी। मैं और बानू, मेरी प्यारी बहन! अकेले घर में पूरा दिन, पूरी रात। उफ्फ़! मेरे मुँह से निकला- ‘हाय, आज बनेगी तेरी मेरी रियल लव स्टोरी!’
उसने मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखा।
‘बानू जान, तेरी मेरी लव स्टोरी का मतलब है- मैं और तू आज पूरी रात अकेले रहेंगे। पूरे घर में और कोई नहीं होगा और हम जो मर्ज़ी सो करेंगे!’
मैंने उसके होंठों पर एक लंबी चुम्मी ली और उसको अपनी तरफ घुमाते हुए उसे अपनी बाँहों में ले लिया।अब उसके नरम-नरम मम्मे मेरे सीने के साथ दबने लगे और मेरा ठरकी लंड सीधा उसके पेट पर टिक गया। आखिर वह वो कद में भी मुझसे छोटी थी।
‘भाई जान, क्या है? अभी खाना तो बनाने दो ना। तुम तो बस हर वक्त ही तैयार रहते हो। मैं तो अब तुम्हारी ही हूँ। सारा दिन, सारी रात; जो मर्जी सो कर लेना। जितना खेलना हो, मेरे साथ खेल लेना! खूब चोद लेना।’ वो पीछे हटने की कोशिश करने लगी।
मैं बोला- नहीं जानू, ऐसे तो नहीं! अब तो मैं अपने सारे अरमान अभी पूरे करूँगा; अभी इसी जगह। आज तो रसोई में ही लव स्टोरी बनेगी। हम दोनों नंगे होकर मिलकर खाना बनायेंगें! फ़िलहाल, यहीं गर्मी में तेरे इस पसीने में तर कपड़ों में ही मैं तेरे साथ खेलूँगा।
मैंने दोबारा उसको अपनी मज़बूत बाँहों में ले लिया। एक हाथ से उसकी नरम-नरम गाण्ड दबाने लगा और दूसरे से उसकी एक बूब दबाने लगा। उसको दुबारा चुम्बन किया मगर वो फिर खुद को छुड़ाने लगी।
‘भाई जान, अच्छा है! लेकिन चूल्हा तो बंद कर लूँ। वरना आज भूखा ही सोना पड़ेगा।’
उसके यह कहते ही मैंने एक हाथ से चूल्हा बंद कर दिया और बोला- मेरी प्यारी बहना, आज तो मैं तुझे खाऊंगा। मन भर के खाऊंगा।
मेरे इतना कहते ही बानू खुद ही मुझसे लिपट गई। वो मेरे होंठों पर किस करने लगी। मेरा एक हाथ उसकी गाण्ड दबा रहा था और दूसरा हाथ अब उसकी कमीज़ के अन्दर घुस गया। उसके छोटे-छोटे नरम-नरम मम्मों से खेलने लगा।
बानू के मुँह से अब आवाजें निकलने लगी- उम्म्म्म… ऊउउन्! फिर हमारी चूमा-चाटी खत्म हुई
‘भाई जान, इतनी गर्मी है। यह शर्ट तो उतार दो अपनी!’ यह कहते हुए बानू ने मेरी शर्ट उतार दी।
‘बानू जान, खुद भी इतनी गर्मी में खड़ी हो! तू भी अपनी यह कमीज़ को उतार के फेंक दे ना! अब तो घर पर कोई नहीं है। अब हम नंगे ही रहेंगे सारा दिन, सारी रात!’
बानू ने देर नहीं की। तुरंत अपनी समीज उतार कर अलग रखते हुए अपने हसीन मम्मों को आजाद कर दिया।
बानू को पेलने के ख़याल से मेरा लंड डंडे की तरह अकड़ गया था। यह ख्याल ही पूरे जिस्म में आग लगा रहा था कि अब पूरी रात-दिन मेरी छोटी बहन बानू मेरी आँखों के सामने नंगी फिरेगी। उसकी नंगी उठी हुई गाण्ड, तने हुए मम्मे- मेरी आँखों के सामने हर वक्त रहेंगे।
मैंने बानू की सलवार उतारी तो वो बोली- भाई जान, मेरा तो खुद बड़ा दिल करता था कि घर में बगैर कपड़ों के ही फिरूँ। शुक्र है अम्मी-अब्बा बाहर गए हैं। अब तो मैं अपनी यह तमन्ना भी पूरी कर लूँगी।
जल्दी ही बानू मेरे सामने मादरजाद नंगी खड़ी थी। मैंने फ़ौरन उसके मम्मों पर हाथ डाला और दोनों हाथों से उसके मम्मे दबाने लगा। नींबू की तरह निचोड़ने लगा। बानू की तो जैसे जान ही निकल गई और उसने मुँह ऊपर को कर लिया और कामुक आवाजें निकालने लगी।
‘आअहह, भाई जान! आ उफफ्फ़!आराम से खेलो! ओहह, तुम्हारी ही हैं यह! आअहह!’
वो तो मज़े से सराबोर हो गई थी।अब मैंने उसकी दुबारा चुम्मी की। एक हाथ से उसके मम्मे दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी जांघों के बीच टटोलना शुरू कर दिया। उसकी चूत को सहलाने लगा।
जब मेरा हाथ उस की टाँगों के बीच में गया तो मेरी खुशी की इन्तेहा नहीं रही। बानू की फुद्दी पर थोड़े-थोड़े बाल आ चुके थे। मैं ज़रा पीछे हटा- ताकि उसकी चिकनी और टाइट फुद्दी का नज़ारा कर सकूँ।
वाह, क्या छोटी सी फुद्दी थी मेरी प्यारी बहना की!
बानू ने भी अपनी टांगें खोल लीं और फ़्रीज़र के साथ सट कर खड़ी होते हुए बोली- भाई जान आज जितना खेलना है खेल लो। ‘तेरी मेरी लव स्टोरी’ के साथ। आज की रात तो यह सिर्फ़ तुम्हारी है। जो करना है कर लो! जितना चाहो, जैसे चाहो चोद लो! मुझे इतना प्यार करो कि ये वक्त कभी भुला ना सकूँ अपने प्यारे भाई जान को!
वो मेरी बाँहों पर हाथ फेर रही थी। मैं नीचे बैठ गया और एक हाथ से उसकी फुद्दी के होंठों खोले और एक ऊँगली बीच में फेरी तो उसने अपनी टांगें अकड़ा लीं। मानो उसको करेंट लग गया हो। फिर मैं उसकी चूत के ज़रा और करीब हुआ और अपने अंगूठे से उसकी फुद्दी रगड़ने लगा।
बानू के मुँह से ‘सीउए, सीई, आआह’ की आवाजें निकल रही थीं। मैं तो तजुर्बेदार बंदा था। मुझे मालूम था कि यहीं से तो हर लड़की को काबू किया जाता है।
मैंने इस बार उसकी फुद्दी पर एक चुम्मा लिया और फुद्दी की फांक के बीच में हल्का-हल्का चाटने
लगा। मेरी एक ऊँगली उसकी गाण्ड में घुसने की कोशिश कर रही थी। फिर मैं उस की टाँगों के बिल्कुल बीच में बैठ गया और बड़े मज़े से चूत चाटने लगा
बानू कसमसा रही थी। मैंने उसकी टाँगों के इर्द-गिर्द अपने मज़बूत हाथों का घेरा डाला हुआ था जो पीछे से होते हुए उसकी गाण्ड पर कसावट डाल रहे थे। वो बिल्कुल फंसी हुई थी और मज़े से पागल हो रही थी।
‘उफ्फ़, भाई जान अ…बस..बस… भाई जान! आ… आहह! मैं छूटने वाली हूँ। आह मैं मर गई! आआहह!’ और एकदम उसकी चूत छूट गई। वो ठंडी पड़ गई।
वो मेरी तरफ प्यार से देखते हुए मेरा मुँह अपने हाथों में लेते हुए बोली- भाई जान, तुम दुनिया के सब से अच्छे भाई जान हो जो मुझे ज़िंदगी के इतने मज़े देते हो! तेरी मेरी लव स्टोरी के जिसकी तमन्ना दुनिया की आधी लड़कियाँ सिर्फ़ ख्वाब ही देखती हैं।
मैं खड़ा हुआ और बोला- बानू, मेरी प्यारी बहना अब रस निकालने का मेरा नम्बर है? आओ मेरे लंड को अपने मुंह में लो!
मैं मुस्कराते हुए उसको देखने लगा तो वो मुझसे लिपट गई और बोली- भाई जान, मैं तो अब पूरी तरह तुम्हारी हो गई हूँ। पूरी की पूरी तेरी मेरी स्टोरी।
मैं उसको थोड़ा पीछे हटा कर उसकी गाण्ड को दबाता हुआ बोला- बानू, तेरी फुद्दी तो मैं रात को
फ़ाड़ूंगा। अभी तो मुझे तेरी गाण्ड का मज़ा लेना है। आज बड़ा दिल कर रहा है तेरी छोटी सी नरम-नरम गाण्ड में अपना लंबा लंड डालने का।
वो मुझसे अलग होते हुए बोली- नहीं भाई जान, गाण्ड नहीं! मैंने आज तक गाण्ड में कुछ नहीं डाला है। अभी जब तुम अपनी ऊँगली डालने की कोशिश कर रहे थे तभी बहुत दर्द हो रहा था। तुम्हारा इतना मोटा लंबा लौड़ा कैसे जाएगा?
मैंने उसको दुबारा कमर से पकड़ कर अपने करीब करते हुए उसके होंठों पर एक चुम्बन लिया और बोला- बानू, गाण्ड तो मैं तेरी ज़रूर मारूँगा। मगर यकीन कर, एक बार थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेगी अपने भाई जान के लिए तो फिर जिंदगी भर मजा भी आता रहेगा। देख मैंने तेरे लिए क्या नहीं किया। बाकी सब मैं खुद संभाल लूँगा। मैंने फ्रीज़र खोला और उसमें रखा हुआ मक्खन निकाल कर अपने हाथ पर लिया।
बानू नंगी खड़ी मुझे देख रही थी। मेरा लंड उस वक्त पूरा खड़ा था और कड़क डंडा सा हो गया था।
मैंने सारा मक्खन अपने लंड पर मल दिया और बहन को दिखाया कि कितनी चिकनाई पैदा गयी है।
फिर मैंने बानू को चूमा और उसको घुमा दिया। बानू परेशान-परेशान सी दिख रही थी- भाई जान, प्लीज़! देखो मैं तुम्हारी बात मान रही हूँ। मगर आराम से करना। मुझे दर्द नहीं होना चाहिए।
मैंने उसके दोनों हाथ फ़्रीज़र पर रखे और उसे सामने झुका कर कुतिया जैसा बना लिया। उसकी गाण्ड बाहर को निकली हुई थी। जो मक्खन मेरे हाथ में बचा था उसे मैंने उसकी गाण्ड के छेद पर मला और बोला- बानू, बस तू फिकर ना कर। तू मेरी इतनी प्यारी बहना है। मैं तुझे कोई तकलीफ़ कैसे दे सकता हूँ? मैं तो सिर्फ़ तुझे मजे ही देता हूँ ना। आज के बाद देख लेना तू खुद कहेगी कि मेरी गाण्ड ही मारो!
मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी छोटी सी गाण्ड की मोरी पर रखा और ज़ोर लगाया। लंड और बानू की गाण्ड चिकनी होने की वजह से टोपा तो आराम से अन्दर चला गया। अब मैं दोनों हाथ आगे बढ़ा कर बानू के झूलते कबूतर पकड़े और ज़ोर लगा कर अपना लंड बानू की गाण्ड के अन्दर ठेलने लगा।
चिकनाहट की वजह से लंड आराम-आराम से अन्दर जा रहा था। बानू आगे को हो रही थी ताकि लंड उसकी गाण्ड में ना घुसे। मगर मैंने उसके मम्मों से उसको अपने लौड़े की तरफ खींचा और एक तगड़ा झटका दिया।
मेरा पूरा लंड अन्दर घुस गया तब मैं उसके साथ पीछे से लिपट गया। बानू की चीख निकल गई- भाई जान आअ आआहह, बसस्स, बसस्स प्लीज़, रुक जाओ! मेरी गाण्ड फट रही है। प्लीज़ भाई जान!
मैं बानू को चुम्बन करने लगा। गर्दन पर, कमर पर और एक हाथ से उसके मम्मे भी दबा रहा था। दूसरे हाथ को उसकी फुद्दी पर ले गया और रगड़ने लगा। अब मैं अपना लंड आराम-आराम से अन्दर-बाहर करने लगा।
‘बानू बस, अब तो सब खत्म हो गया। अब तो तू मज़े में झूला झूलेगी।’
थोड़ी देर के बाद वही हुआ। बानू अपनी गाण्ड की चुदाई का आनन्द लेने लगी। मैं आराम-आराम से धक्के मार रहा था और बानू मेरे आगे अपनी गाण्ड को बड़े प्यार से घुमा रही थी।
‘उफफफ्फ़, जानू! आआहह!’ अब मैं छूटने लगा था। उसकी गाण्ड बहुत कसी हुई थी।
‘आहह, बानू! उऊ, मेरी बहना, उफफ्फ़! कितनी तेरी मस्त है तेरी गाण्ड! आअहह…’ एकदम से मैं उसकी गाण्ड के अन्दर ही छूट गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया।
बानू फ़ौरन वापिस घूमी और अपने घुटनों पर बैठ कर मेरा लण्ड चूसने लगी और माल की एक-एक बूँद साफ कर ली।
‘भाई जान, वाकइ गाण्ड की मराई को तो बहुत मस्त है। मैं तो ऐसे ही डर रही थी।’
मैं अपनी 18 साल की सौतेली बहन के मासूम चेहरे को देख रहा था जो मेरा लण्ड को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। उफ़, कितनी मादक है मेरी बहन! मैं उसके मम्मे दबाने लगा।
वो खड़ी हुई और मुझसे लिपट गई। मेरा लण्ड उसके पेट के साथ छुआ तो उसको दुबारा ठरक चढ़ गई।
मैंने उसको एक चुम्मी की- उम्म्माआहह, बानू अब तो खाना पका। ज़रा शावर ले कर आता हूँ। बाकी काम खाने के बाद।
मैं बाथरूम में चला गया। फव्वारा खोला और अभी ठंडा पानी मेरे ऊपर गिरना शुरू ही हुआ था कि किसी ने मुझे पीछे से अपनी बाँहों में ले लिया। मैंने देखा तो बानू भी वहाँ नंगी खड़ी थी। मेरी प्यारी चुदक्कड़ बहन। उस के छोटे-छोट अमरुद, उसकी तंग सी फुद्दी। कन्धों तक बाल। उफ़फ्फ़, कितनी कामुक लग रही थी वो!
‘भाई जान, खाना तो बाद में ही बना लूँगी मगर आपके साथ नहाने का मौका रोज़-रोज़ नहीं मिलेगा।’
वो मुस्कराते हुए इतनी क्यूट लग रही थी कि मेरा लंड दुबारा खड़ा होने लगा।