मंगेतर की भरी हुई जवानी की लुट – अपनी उंगली उसकी चूत में डालते हुए अंदर बाहर करने लगा

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मेरा नाम नामचरण है और मैं आज आपको अपनी मंगेतर भरी हुई जवानी की चुत मारे जाने की कहानी बड़ी फुरसत के साथ बता रहा हूँ | दोस्तों जैसे की आप जानते हो की मैं एक दिन भी चुत मारे बिना नहीं रह? सकता | उसी दौरान अब मेरे माँ बाप भी मेरी शादी के पीछे पड़ गया | मैं कहता भी तो क्या अब बस जो रहा था वो उप्पर वाले के भरोसे हो रहा था | इतने में ही उन्होंने मेरे लिए एक लड़की को पक्का कर लिया और मुझसे उसके शादी करने के लिए ज़बरदस्ती बोल दिया गया | उन्होंने फ़ौरन से मेरी उस पूर्णिमा नाम की लड़की साथ मंगनी भी कर दी | अब हमारी शादी के होने में केवल एक सप्ताह ही बचा था जिससे अब मुझे यह शादी को रोकने के लिए अजब – गज़ब खराफूती विचार चलने लगे तभी मेरे एक यार ने मुझे बताया की अगर औरतों से पीछा चुदना है तो उन्हें एक चीज़ दिखा वो है हवसी धोका |

मैंने उसके लिए एक दिन होटल का कमरा बुक कर लिया और पूर्णिमा को भी अच्छी – खासी मुलाकात करने के लिए वहीँ बुला लिया पर बेचारी वो क्या जानती थी की आज वो अपनी चुत का सौदा करने आई थी | हुआ यूँ की पहले तो हमने एक दोसरे खूब बात की और मैंने उसके हमारी शादी को लेकर चल रहे विचार को परख लिया | मैंने चुपके से अब उसे पानी देने से पहले उसमें वायिग्रा नाम की दवाई मिला दी जिससे कोई भी इंसान अपनी सारी शर्म – लज्जा भूल के कामुकता का शिकार हो जाता है और अपने सामने के कैसे भी बंदे के साथ नशे में काम – क्रीडा करने के लिए तैयार हो जाता है | आम तौर पर उससे हमारे अंदर सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है बस हमारे शरीर में एंठन और नयी तरंगें बनने लगती हैं | मैंने अब पूर्णिमा की शकल पर नए – नए बनते भाव को पहचानना शुरू कर दिया था |

मैंने अब उसका हाथ पकड़ लिया जिसपर पूर्णिमा ने मेरा विरोध करने के बझाये मुझे हाथ को कसके पकड़ते हुए लिपट गयी और मैं उसके चेहरे को उप्पर उठाते हुए चूमने लगा | मैं उसके कपड़े उतारने लग गया | उसे भी खूब मेरी नंगा करने की कामुक हरकतों पर खूब मज़ा आ रहा था और वो बिलकुल अनजानो की तरह मेरी बाहों में चिपकी हुई थी | कुछ देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया उसकी नीचे के पैंट को उतार पूरी नंगी धड़ंग कर दिया | मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डालते हुए अंदर बाहर करने लगा जिससे वो मदहोश होती चली गयी | जैसे ही उसकी चुत से पानी निकल गया तो मैंने अपने लंड के सुपाडे पर लगाते हुए उसकी चूत के मुहाने पर रखा और मस्त वाला धक्का लगाया जिसे वो अब अहह्हहोऊयू आअय्यूऊओ करते हुए चींखें भरने लगी पर सारी चींखें हमारे कमरे तक ही सिमित रह गयीं | अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था मैने फिर ज़ोरों के धक्का लगाया जिसपर अब पूर्णिमा शान्ति में अपने कामुकता के नशे में डूबी हुए पूरे मज़े ले रही थी |

मैंने उसे चुचों के बल नीचे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चर्बी से भरी हुई गांड को हल्का से बहार की तरफ निकलते हुए उसके गांड चाटने लगा | मुझे नहीं पता था की मेरे बेफकूफ माँ – बाप मेरे लिए इतनी मसालेदार गांड की बन्दो – बश्त कर सकते है | मैंने मस्त में उसकी चुत पर लंड को रगड़ते हुए पीछे से झटके देने लगा | जिसका पूर्णिमा झिलमिलाती हुई मज़ा ले रही थी | करीब एक घंटे की चुदाई के बाद मैं उसकी गांड पर ही मुठ झड गया | आखिर मैं उसी के बाजु में नंगा सो गया पर जब आधे घंटे के बाद पूर्णिमा को होश आया तो वो मुझपर पागलों की तरह टूट पड़ी | अब मैंने उसके नंगे चुदते हुए फोटो की धमकी देते हुए मुंह बंद कर दिया और उससे डरकर उसने इस शादी से ना करने को भी तैयार हो गयी | मेरे सही खराफूती विचार के कारण आज मेरा पास मेरी मन पसंद की बीवी है जिसकी मैं रोज चुत मारता हूँ साथ ही दिल में पूर्णिमा की हल्की धुंधली यादें भी है |