लड़कियों सेक्स की बात मत करो लड़कों को सिर्फ़ नंगा शरीर चाहिए : लड़कों और मर्दों को सिर्फ़ लड़कियों का नंगा शरीर चाहिए पर लड़की को प्यार.  इस बात पर सभी सहमत होंगे कि नारी की लैंगिकता और कामुकता पर बातचीत करना बहुत गन्दा और गलत है. सेक्स गन्दी बात है और लड़कियों को इसके बारे में बाते नहीं करनी चाहिये. बच्चे पैदा होना ठीक है उनकी बात करो, सेक्स की बात मत करो. यहाँ भी देखे >> लड़कियों की चीखे अनसुनी कर पुरुष नौच-नौचकर दिखाते है सारी हैवानियत

लडको और लड़कियों में एक उम्र के बाद एक दुसरे के प्रति शारीरिक आकर्षण होना प्रकृति की देन है और इसी से यह दुनिया चलती है यदि कोई लड़का किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं करेगा तो संतान कैसे उत्पन होगी, लडको और लड़कियों में एक उम्र के बाद सेक्स करने की प्यार लगने लगती है. सेक्स करने के लिये लड़के को लड़की के साथ विवाह करना होता है यहाँ हमारी सभ्यता की देन है यदि कोई लडकी किसी लड़के से साथ शादी से पहले सेक्स करते हुए पकड़ी जाती है तो उसे बहुत गन्दा मन जाता है.

एक पुरुष और एक स्त्री जीवन भर एक साथ रहें – विवाहेतर कामुकता पाप है. यह विचार सभ्यता की देन है. समलैंगिकता पाप है.. बाई-सेक्सुआलिटी विकृति है.. वैसे ही ग्रुप सेक्स भी.. पैन-सेक्सुआलिटी, पॉली-एमोरी.. तौबा तौबा कितनी घटिया बातें हैं.. यह सब समाज की देन है. यह सब धर्म का दिया हुआ है. यह लेख इस बारे में नहीं है कि क्या सही है क्या ग़लत. मेरा प्रयास मात्र कुछ सवाल खड़े करना है. मेरा मानना है कि नारियों का सेक्स के बारे में पुरुषों की तरह खुल कर बात करना सामाजिक पतन नहीं वरन तरक्कीपसंद सामाजिकता है.

लड़कियों सेक्स की बात मत करो लड़कों को सिर्फ़ नंगा शरीर चाहिए

हमारे समाज में सेक्स बहुत हो रहा है.. उस पर बात करना हमारी ज़रूरत है. बच्चों से सेक्स के बारे में बात करना आवश्यक है – आप नहीं करेंगे तो इंटरनेट उन्हें सब कुछ सिखा देगा और कहीं ऐसा न हो कि अठारह-उन्नीस के होने के पहले ही कोई जीवन भर साथ चलने वाली बीमारी घर ले आयें. जो मानसिक अभिघात उनके मासूम चेतन पर लगें वो अलग हैं.

अपने यहाँ कोई रिसर्च नहीं है लेकिन हमारे आसपास बेशुमारअपवित्रीकरण हो रहे हैं. इन्सेस्ट जैसी चीजों पर बात ही नहीं की जाती – किसी दिन आँकड़े आगे आये तो हाहाकार मच जाएगा. किसी भी मनोवैज्ञानिक और डॉक्टर से पूछ कर देखें कितना ज़्यादा इन्सेस्ट है उसका अंदाज़ा हो जाएगा आपको. सेक्स पर परदा डाल कर रखा जाता है. अनगिनत कुंठाएँ और बाहर किसी से मिलने के अवसरों की कमी की वजह से इन्सेस्ट की घटनाएँ ज़्यादा हैं. उस पर बात नहीं होती तो और भी ज़्यादा हैं.

लड़कियों सेक्स की बात मत करो लड़कों को सिर्फ़ नंगा शरीर चाहिए

फिर एक्स्ट्रा-मेरिटल अफ़ेयर? मुंबई जैसी जगह में विवाह करे बिना सेक्स सम्बन्ध बना लेना अब आम चलन जैसा प्रतीत होता है. बड़ी आसानी से कह दिया जाता है कि क्या करे बेचारा जब पत्नी ही इतनी कमीनी है और अपने पति के साथ सेक्स नहीं करती है तो पति को बाहर मुह मारना पड़ता है. पत्नीयो को और लड़कियों को बदनाम करना आसान है, सदमा तब लगता है जब कहा जाय कि अहमदाबाद में विवाहेतर संबन्ध बहुत होते हैं, पूना में होते हैं, हैदराबाद में होते हैं, नागपुर में होते हैं, लखनऊ.. और छोटे शहरों / कस्बों में.. यूँ ही नहीं है कि वहाँ ‘भाभीजी घर पर हैं’ शिद्दत से देखा जाता है और प्रोफ़ेसर लोग सुबह की सैर पर कल शाम के एपिसोड की चर्चा करते हैं. यूँ ही नहीं है कि वहाँ ‘जीजा को लम्बो है हथियार’ जैसे लोकप्रिय गाने कस्बे-कस्बे मिलेंगे. कोई प्रकाश डालेगा कस्बाई समलैंगिकता पर? कितने लोगों का पहला सेक्स-अनुभव अपने ही जेंडर के साथ होता है. कोई आँकड़े नहीं मिलते इसके.. हाँ, यह सही है कि करीब 56% लड़के अपने बचपन में यौन शोषण का शिकार होते हैं. यहाँ भी देखे >> लड़कियों के बूब्स को टच करने पर उन्हें कैसा लगता है

पति-पत्नी के बीच भी सेक्स होता है, उस पर बात चीत नहीं होती. यहाँ तक कि लोग अपने आप से भी इस विषय पर बात करने से कतराते हैं. यौन कुंठाएँ एक बहुत बड़ी सामाजिक महामारी है. और सेक्स पर बातचीत नहीं करना एक बहुत बड़ा कारण है कुंठाएँ जन्मने का. आज भी भारत में जो लड़कियाँ सेक्स पर आसानी से बात कर लेती हैं और मर्द उन्हें शाबासी देते हैं लेकिन सामने-सामने, पीठ पीछे उन पर विश्वास नहीं कर पाते – या इस चक्कर में रहते हैं कि देखो शायद एक दिन अपना भी नंबर लग जाए इस लड़की के साथ सेक्स करने के लिये. आज की जवान लड़कियो मुझे तुमसे इतना ही कहना है कि शायद तुम सब बहुत कुछ बदल सकती हो अपनी जान-पहचान वालों से, भांजियों-भतीजियों, मौसियों-मामियों-चाचियों से बात करने में न हिचकें.. इसे साझा कर लें (यह कोई बड़ी हिम्मत का काम नहीं कहलाएगा वैसे).