आज की इस गन्दी हिंदी सेक्स कहानी में आप पढेंगे की कैसे एक शराबी ससुर ने अपनी कामवासना की भूख कामुकता से भरी नयी नवेली बहू के कामुक जिस्म से शांत करी अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी फ्री में ऑनलाइन पढ़ें और ज्यादा से ज्यादा शेयर भी करें : दोस्तो कामवासना इंसान के शरीर में एक भूख की तरह होती है. कामवासना को दबाना मर्दों के लिए एक बहुत ही ज्यादा कठिन काम होता है. महिलाए तो एक बार अपनी कामवासना पर लगाम लगा लेती है मगर ठरकी किस्म के मर्द अपनी कामवासना आसानी से वश में नहीं कर सकते है. मेरी आज की ये अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी “नयी नवेली बहू के जिस्म से कामवासना शांत करी ससुर ने” पढ़कर आपको मेरी बात बड़ी अच्छी तरह से समझ आ जायगी…
यह अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी एक सामान्य परिवार की है जिसमें एक दम्पति और उनका एक जवान बेटा था. पति का नाम प्रेमचंद था और वो एक सेवानिवृत्त कर्मचारी था. उम्र उसकी 65 साल हो चुकी थी मगर अभी भी वो बहुत ज्यादा रंगीला था. बुजुर्ग प्रेमचंद की पत्नी का नाम जानकी देवी था. वो 52 साल की हो चुकी थी और एक धार्मिक किस्म की महिला थी इस कारण से उसका सेक्स और चुदाई से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं था. बुजुर्ग प्रेमचंद एक रंगीले स्वभाव का आदमी था और उसको शराब पीने का भी बहुत शौक था. उसका बेटा भी नशा करता था और एक जगह टिककर काम नहीं कर सकता था.
नयी नवेली बहू के जिस्म से कामवासना शांत करी ससुर ने अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी
इन दोनों बाप बेटों का इस बात को लेकर अक्सर झगड़ा हो जाता था. क्योंकि गुलाब कमाता भी कम था और जो कमाता था उसको जल्दी ही उड़ा भी देता था. गुलाब की मां जानकी देवी इन दोनों के झगड़े से तंग रहती थी. दूसरे उसको गुलाब की चिंता भी सता रही थी कि अगर ये ऐसे ही पैसे को बर्बाद करता रहा तो घर की जिम्मेदारी कभी नहीं समझ पायेगा. जानकी देवी ने गुलाब की शादी कर देने का विचार किया और सोचा कि घर में बहू आयेगी तो इस पर कुछ जिम्मेदारी पड़ेगी और ये सही रास्ते पर आ जायेगा और सुधर जायेगा. गुलाब की शादी कंचन नाम की एक लड़की से हुई. देखने में कंचन बहुत ही ज्यादा सुन्दर और सेक्सी थी.
कंचन दिखने में इतनी कड़क माल थी की उसे देखकर तो किसी भी मर्द का लंड खड़ा हो सकता था. वो 24 साल की पढ़ी लिखी समझदार लड़की थी. कंचन के माता पिता ने उसकी शादी गुलाब के साथ इसलिए कर दी कि वो देखने में भी ठीक था और घर में पैसे या सुख सुविधा की कोई कमी नहीं थी. गुलाब के आवारा होने की बात कंचन के घरवालों से छुपा दी गयी थी. जब वो गुलाब की बीवी बनकर आ गयी तो बुजुर्ग प्रेमचंद की नजर भी अपने बेटे की बीवी पर रहने लगी. वो उसके बदन को ताड़ता रहता था. कंचन को इस बात का पता लग गया कि उसका बुजुर्ग ससुर उसको गंदी नजर से देखता है. मगर उसने कभी इस बात पर गौर नहीं किया और नजरअन्दाज करती रही.
जब धीरे धीरे कंचन को गुलाब की आदतों और उसके बर्ताव के बारे में पता लगने लगा तो वो परेशान रहने लगी. गुलाब उसकी ओर ज्यादा ध्यान नहीं देता था. कंचन को पति से अच्छे से शारीरिक सुख भी नहीं मिल पा रहा था. मगर जानकी देवी अपनी बहू का बहुत ध्यान रखती थी. जानकी देवी के अच्छे बर्ताव के कारण ही कंचन अब तक इस घर में टिकी हुई थी. और जानकी देवी भी जानती थी कि अगर उसकी नयी नवेली बहू कंचन को कहीं से सहारा नहीं मिला तो वह ज्यादा दिन नहीं रह पायेगी उसके शराबी बेटे गुलाब के साथ. उधर बुजुर्ग प्रेमचंद अपनी नयी नवेली बहू का बलात्कार करने की फिराक में रहता था. जानकी देवी तो पूजा-पाठ में व्यस्त रहती थी और वो बुजुर्ग प्रेमचंद को अपने आस पास नहीं फटकने देती थी. मगर बुजुर्ग प्रेमचंद की जवानी अभी तक ढली नहीं थी.
बुजुर्ग प्रेमचंद अपने शरीर का बहुत ध्यान रखता था और इस उम्र में भी खुद को फिट रखे हुए था. एक दिन की बात है कामुकता से भरी जवान बहू कंचन अपने घर में आराम से सो रही थी. वो बाहर हॉल में लेटी हुई थी और उसकी सास सत्संग में गयी हुई थी. उसने चादर डाली हुई थी. उस नयी नवेली बहू की साड़ी भी उसकी सास के जैसे ही थी. बुजुर्ग प्रेमचंद ने जब अपनी नयी नवेली बहू को सोफे पर सोते देखा तो उस ठरकी मर्द को लगा कि उसकी पत्नी जानकी देवी सो रही है उस वक्त वो वैसे भी शराब के नशे में था तो उसका दिमाग भी ज्यादा नहीं चला. वो उसके पास गया और उसकी साड़ी को ऊपर कर दिया. कामुकता से भरी जवान बहू कंचन की चिकनी गोरी जांघें देख वो अचंभे में पड़ गया.
फिर उसको अहसास हुआ कि ये जानकी देवी नहीं बल्कि उसकी नयी नवेली बहू कंचन है मगर अब बहुत देर हो चुकी थी क्योकि अब उसके अंदर की कामवासना जाग चुकी थी. उसके हाथ अब रुकने वाले नहीं थे वो कंचन की चिकनी पिंडलियों पर हाथ फिराने लगा. एकदम से कंचन की नींद खुल गयी और वो झटके से उठ बैठी. नयी नवेली बहू अपने ससुर से बोली की पापा, आप ये क्या कर रहे हो? बुजुर्ग ससुर नाटक करके बोला- ओह्ह, बेटी कंचन! मुझे लगा तेरी सास सो रही है. ये कहते हुए भी उसके हाथ रुक नहीं रह थे. वो अपनी नयी नवेली बहू की टांगों को सहला रहा था. फिर वो नयी नवेली बहू अपने बुजुर्ग ससुर प्रेमचंद को रोकने लगी और हटने लगी. मगर बुजुर्ग प्रेमचंद ने उसको पकड़ लिया. वो उसको चूमने की कोशिश करने लगा. कंचन ने विरोध किया लेकिन बुजुर्ग प्रेमचंद तगड़ा आदमी था. उसने एकदम से कंचन की साड़ी में हाथ डाला और उसकी पैंटी खींच ली और पैंटी को उसने बाहर निकाल दिया.
उसने फिर से उसको पकड़ा और कंचन की टाइट गुलाबी बुर पर हाथ फेरने लगा. जवानी से भरपूर कंचन को भी मर्दाने हाथों के स्पर्श से मजा आया. लेकिन लाजवश वो खुल नहीं पा रही थी. नयी नवेली दुल्हन की टाइट गुलाबी बुर पर हाथ फेरकर बुजुर्ग प्रेमचंद बेकाबू हो गया और उसने जोर जबरजस्ती अपनी नयी नवेली बहू का बलात्कार करने के लिए अपना पजामा भी खोल लिया. उसने अपना कच्छा निकाला और लंड को हाथ में लेकर कंचन पर लेट गया. कामुकता से भरी जवान बहू उसके बोझ तले दब गयी और बुजुर्ग प्रेमचंद ने लंड को कंचन की टाइट गुलाबी बुर पर रख दिया. मगर बुजुर्ग प्रेमचंद के लंड को टाइट गुलाबी बुर का स्पर्श मिल चुका था और अब उसको रोक पाना नामुमकिन था.
नयी नवेली बहू कंचन भी ये बात जान गयी थी कि लंड टाइट बुर पर आ चुका है और अब इसे अपने जिस्म में समा कर मजा लेने में ही सुख है. फिर बुजुर्ग प्रेमचंद अपनी नयी नवेली बहू की टाइट बुर पर लंड को रगड़ने लगा. फिर उसने एक धक्का मारा तो कंचन तिलमिला गयी. इतने में ही उसने दूसरा धक्का मारा और पूरा लंड कंचन की टाइट टाइट गुलाबी बुर में उतार दिया. वो उस पर लेट गया और उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक कर लिया. कंचन अंदर ही अंदर गूं गूं … करती रही लेकिन बुजुर्ग प्रेमचंद तो जैसे उसकी टाइट गुलाबी बुर के स्वर्ग में था. वो उस पर पड़ा हुआ उसको किसी जंगली जानवर की तरह नोंचने की कोशिश कर रहा था.
बुजुर्ग प्रेमचंद ने अपनी नयी नवेली बहू की बहुत ही बुरी तरह से चुदाई करनी शुरू कर दी और उसकी टाइट गुलाबी बुर में धक्के लगाते हुए चोदने लगा. फिर वो उसके बड़े बड़े स्तनों को भी दबाने लगा. नंगी नयी नवेली बहू कंचन उस सांड के नीचे दबी हुई थी और उसकी ठुकाई को बर्दाश्त कर रही थी और शानदार चुदाई का पहली बार मजा ले रही थी. बुजुर्ग प्रेमचंद ने अब अपनी रफ्तार बढा़ दी. वो तेजी से उसकी टाइट गुलाबी बुर मारने लगा. लंड अब पूरा कंचन की टाइट गुलाबी बुर में अच्छी तरह सेट हो गया था और कंचन को मजा आने लगा था. वो आराम से चुदने लगी.
नयी नवेली बहू कंचन के मुंह से अब धीरे धीरे सिसकारी निकल रही थी. कंचन को गुलाब से ऐसा सुख शायद नहीं मिला था. उसकी सिसकारियां बता रही थीं कि वो सम्भोग के आनंद में डूबती जा रही है. कुछ देर के बाद कंचन ने अपने बुजुर्ग ससुर के गले में बांहें डाल लीं और अच्छी तरह टांगें खोलकर चुदवाने लगी. बुजुर्ग प्रेमचंद तो स्वर्ग की सैर पर था. उसकी बहू की टाइट टाइट गुलाबी बुर में उसका लंड पक-पक की आवाज करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था. लगभग एक घंटे की खतरनाक चुदाई के बाद बुजुर्ग प्रेमचंद ने अपना वीर्य कंचन की टाइट चूत में निकाल दिया. चुदाई खत्म करके के बाद साला ठरकी कुछ देर अपनी जवान और सेक्सी बहू के ऊपर पड़ा रहा और फिर उठ गया.
अपने ससुर जी से चुदवाने के बाद नयी नवेली बहू कंचन ने अपने आप को संभाला और अपनी साड़ी ठीक करते हुए वो रोने लगी और अपने शराबी ससुर जी से बोली की पापा आपने मेरा बलात्कार करके ठीक नहीं किया अब मैं आपके बच्चे की माँ बन गयी तो…. मैं आपकी बहू हूं और मैं आपकी बेटी की उम्र की हूँ. बुजुर्ग प्रेमचंद को भी अब शायद थोड़ा बुरा लगा क्योकि शराब के नशे में वो बहक चूका था और उससे बहुत बड़ी गलती हो चुकी थी. वो साला ठरकी चुपचाप अपना पजामा बांधकर वहां से बाहर निकल गया. उसको डर था कि कहीं कंचन इस घटना के बारे में अपने घरवालों या जानकी देवी को न बता दे.
वो रात के 9-10 बजे डरते हुए घर आया. घर में माहौल शांत था. सब अपने काम में लगे हुए थे. फिर सबने खाना खाया मगर कंचन बुजुर्ग प्रेमचंद के सामने नहीं आयी. शराबी ससुर प्रेमचंद को इतना तो मालूम चल गया कि कंचन ने चुदाई वाली घटना का जिक्र किसी से नहीं किया. नयी नवेली बहू कंचन अपने कमरे में लेटी हुई सोचने लगी कि बुजुर्ग ससुर ने उसको साथ जो किया वो ठीक था या नहीं. उसको कुछ बुरा तो लग रहा था लेकिन उसको बुजुर्ग ससुर से चुदवाते हुए मजा भी आया था.
इसलिए उसका मन सही गलत का फैसला नहीं कर पा रहा था. वो सोचने लगी कि इस बात को अगर वो किसी को बतायेगी तो उसके और उसके ससुर के अवैध सेक्स संबंध की ये बात घर से बाहर भी जा सकती है और यदि ऐसा हुआ तो उसकी समाज में बहुत ज्यादा बदनामी हो जायगी और हो सकता है कि ये बात जानने के बाद उसका पति भी उसको अपनाने से इंकार कर दे. इसलिए उसने चुप रहना ही बेहतर समझा. वो थकी हारी बिस्तर पर लेटी हुई थी कि उसका शराबी पति गुलाब कमरे में आ गया और अपनी पत्नी से पूछने लगा की क्या बात है आज उदास – उदास सी लग रही हो तुम…?
कंचन कहने लगी की नहीं, काम के कारण थकान हो गयी है. फिर गुलाब अपने कपड़े बदल कर आ गया और उसने अपनी कामुक पत्नी कंचन को अपनी बांहों में भर लिया शायद वो अब अपनी जवान और सेक्सी पत्नी के जिस्म से कामवासना की भूख शांत करना चाहता था. जवान और सेक्सी कंचन समझ चुकी थी आज फिर से रोज की तरह ही उसका पति उसके कामुक जिस्म से अपनी कामवासना शांत करना चाहता है तो वो अपने पति से बोली की आज मैं बहुत थक गयी हूं इस लिए आज आपसे चुदवा नहीं पाऊँगी आज मेरा आराम करने का दिल कर रहा है.
गुलाब अपनी कामुक पत्नी से बोला की नहीं जानू आज तो तुम बहुत ही ज्यादा कामुक लग रही हो इस लिए मेरी कामवासना की भूख बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है और आज मेरा तुम्हारी चुदाई करने का बहुत मन है. फिर वो कंचन के बड़े बड़े स्तनों को जोर जोर से दबाने लगा ताकि उसकी पत्नी की भी कामवासना जागृत हो जाये और वो उससे चुदवाने के लिए राजी हो जाये. कंचन मना करती रही लेकिन धीरे धीरे गुलाब चुदाई करके अपनी कामवासना की भूख शांत करने के लिए अपनी कामुक पत्नी के उप्पर चढ़ गया. उसने उसकी साड़ी को हटाकर उसकी पैंटी में उंगली देकर उसकी टाइट गुलाबी बुर में घुसा दी.
शराबी पति गुलाब अपनी जवान और सेक्सी पत्नी के अंदर कामवासना जगाने के लिए उसकी टाइट गुलाबी बुर में उंगली अंदर बाहर करने लगा. अपने पति की इन सब हरकतों से अब कंचन भी धीरे धीरे चुदवाने के लिए गर्म होने लगी. फिर उसने कंचन को नंगी किया और उसके पूरे जिस्म को चूमने लगा. उसके मम्मों को मुंह में लेकर जोर जोर से चूसने लगा. काफी देर तक चूचियां चूसने के बाद उसने अपनी बीवी की टांगें खोलकर फैला दीं और उसकी टाइट गुलाबी बुर में लंड दे दिया. कंचन दिन में ही चुद चुकी थी इसलिए उसकी आह्ह निकल गयी. फिर वो कंचन को चोदने लगा. कंचन की आंखें बंद हो गयीं. चुदवाते चुदवाते वो कामुक महिला पुरे आनंद में आ गयी और गुलाब भी पूरे जोश में उसकी टाइट गुलाबी बुर मारने लगा.
दस मिनट की चुदाई के बाद गुलाब उसकी टाइट गुलाबी बुर में झड़ गया. झड़ने के बाद वो अलग हो गया और एक तरफ लेटकर सो गया. मगर उस नयी नवेली बहू कंचन की आँखों में अभी भी नींद नहीं थी. कामुकता से भरी जवान बहू सोचने लगी कि बुजुर्ग ससुर ने जो चुदाई की वो तो मेरे पति के द्वारा की गयी चुदाई से कहीं ज्यादा बेहतर थी और उन्होंने मेरी कामवासना ज्यादा अच्छे से शांत करी थी. बुजुर्ग ससुर का लंड भी उसके पति से बड़ा था और उसको बुजुर्ग ससुर से चुदने में ज्यादा मजा आया. ऐसे ही सोचते हुए कामुकता से भरी जवान बहू सो गयी और उसे गहरी नींद आ गयी. दोस्तों यदि आप को मेरी ये अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी “नयी नवेली बहू के जिस्म से कामवासना शांत करी ससुर ने” पसंद आई हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करना …