माँ की मौत के बाद पिताजी के लम्बे मोटे लंड से अपनी नाजुक बुर और गांड चुदवाकर उनकी सेक्स करने की भूख शांत करी और बड़ी बेटी होने का फर्ज निभाया अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी :- मेरा नाम चंचल है. आज मै आपको अपनी आत्मकथा बताऊंगी की किस तरह अपने सगे पिताजी के साथ अवैध सेक्स संबंध बनाकर घर की बड़ी बेटी और बड़ी बहन होने का फर्ज निभाया. मैं मेरी माँ से बहुत प्यारी करती थी और घर की बड़ी बेटी होने के नाते मेरी माँ भी मुझसे बहुत प्यार करती थी मगर मेरे जीवन का सबसे दुःख भरा दिन वो था जब मेरी माँ का का स्वर्गवास हुआ था.
जब मेरी माँ की मौत हुई थी उन दिनों मैं स्कूल में थी. मेरे अलावा मेरे घर में मेरे पिताजी और मेरी दो छोटी बहने थी. मेरी उम्र उस समय यही कोई 18 साल थी. घर की बड़ी बेटी होने का फर्ज निभाने के लिए मैंने घर की सभी जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठा लिया था. घर की जिम्मेदारियों की वजह से मेरे लिए आगे की पढाई कर पाना नामुमकिन था. लेकिन मैंने ठान लिया की मेरे होते हुए मैं कभी भी मेरे पिताजी और अपनी दोनों छोटी बहनों को कभी भी माँ कमी महसूस नहीं होने दूंगी.
पिताजी से चुदवाकर उनकी भूख शांत करी माँ की मौत के बाद अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी
मेरी माँ की मौत के बाद से मेरे पिताजी काफी दुखी रहने लगे थे और उन्होंने शराब भी पीनी शुरू कर दी थी. वैसे तो वो पहले हम तीनो बेटियों को काफी प्यार करते थे लेकिन माँ की मौत के बाद सब कुछ बदल चुका था वो अब घर पर काफी कम समय बिताते थे. मेरे पिताजी एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करते थे और उनकी सेलेरी भी कोई ज्यादा नहीं थी बस खिंच तान कर घर का खर्च चल रहा था. हमारे हिवन में हर चीज का बहुत अभाव था मगर फिर भी हम लोग इसमें खुश रहने की पूरी पूरी कोशिश करा करते थे.
मेरी माँ की मौत के करीब एक महीने बाद एक दिन पापा की दूर की बहन हमारे घर आई. वो बगल वाली सिंधी कॉलोनी में ही रहती थी. उस दिन उनके 8 साल के बेटे का जन्मदिन था. वो तीनो बहनों को अपने बेटे के जन्मदिन में ले जाने के लिए आई थी. लेकिन घर पर बहूत काम था और पापा को भी अकेला नहीं छोड़ सकती थी तो वो मेरी दोनों छोटी बहनो को अपने साथ उनके घर ले जाने की जिद करने लगी. मैंने कहा कि आप पिताजी से फोन पर बात कर लें. मेरे पापा की दूर की बहन ने पिताजी से फोन पर बात की और जिद कर के मेरी दोनों छोटी बहनों सुहानी और कंचन को अपने घर ले जाने की अनुमती ले ली.
जब मैंने अपनी बहनों को बर्थडे पार्टी में भेजने के लिए तैयार होने के लिए उनके कमरे में भेज दिया तो मेरे पापा की दूर की बहन ने धीरे से मुझसे कहा की बेटी तुम्हारे पिताजी इस उम्र में दुबारा से शादी करना चाहते हैं. पिताजी की दूसरी शादी की बात सुनकर मेरे तो पैरों तले जमीन खिसक रही. पिताजी की उम्र करीब 50 साल थी अब बला इस उम्र में वो दूसरी शादी क्यों करेंगे? शादी करने के बाद परिवार में और भी खर्च बढ़ जाएगा. सौतेली माँ आने के बाद मेरा और मेरी दो छोटी बहनों का क्या होगा. उन्हें तो स्कूल भी नहीं जाने दिया जाएगा. ये सभी बातें सोच कर मै परेशान हो गयी.
मैंने मेरी दूर की बुआ जी से पूछा की घर का सारा काम और अपनी दोनों छोटी बहनों की देख भाल तो मैं अच्छी तरह से कर रही हूँ फिर पिताजी इस उम्र में दूसरी शादी क्यों कर रहे हैं ? मेरे पापा की दूर की बहन ने कहा बेटी तू तो बहुत भोली है तुझे इतना भी नहीं पता क्या की एक मर्द को सिर्फ खाना पीना ही नहीं चाहिए होता है उसे अपनी सेक्स की भूख शांत करने के लिए बुर भी चाहिये होती है और सेक्स करने की भूख तो पत्नी के सहत ही सेक्स करने शांत करी जा सकती है ना. मैंने कहा – हाँ सेक्स करने की भूख तो पत्नी के की चुदाई करके ही शांत करी जा सकती है.
मेरे पापा की दूर की बहन ने कहा की बेटी अपनी सेक्स करने की भूख शांत करने के लिए ही तुम्हारे पिताजी किसी कम उम्र की लड़की से दूसरी शादी कर रहे हैं और जिस लड़की से वो दूसरी शादी कर रहे हैं वो तुम्हारी सी उम्र की है वो गरीब हैं इस लिए वो शादी के लिए राजी हो गयी है. आगे हम और बातें करते उससे पहले मेरी दोनों छोटी बहन तैयार होकर आ गयीं और फिर बुआ जी मेरी दोनों बहनों को ले कर अपने घर चली गयी. जाते जाते बोली – कल शाम तक दोनों को वापस छोड़ आऊँगी. वैसे भी कल रविवार है. कल स्कूल भी बंद है. मेरे दिमाग में बुआ जी के द्वारा मेरे पिताजी की दूसरी शादी की बातों से काफी चिंता उमड़ पड़ी थी मेरे मन में ख्याल आया की क्यों ना मैं खुद ही अपने पिताजी से चुदवाकर उन्हें वो सुख दे दूँ जिसकी वो तलाश कर रहे हैं.
मै नहीं चाहती थी की पिताजी शारीरिक सुख के लिए दूसरी शादी करें क्योकि यदि उन्होंने ऐसा करा तो हम तीन बहनों की जिंदगी खराब हो जायगी. लेकिन एक मर्द को शारीरिक सुख भी तो चाहिए. यदि मैं जोर जबरदस्ती कर के अपने पिताजी को शादी से रुकवा भी दूँ तो क्या गर्म मर्द का भरोसा ? हो सकता है कि पिताजी किसी जवान और एक्सी लड़की के चक्कर में पड़ जाएँ. तब तो और भी खराबी होगी. इसलिए मैंने एक कठोर फैसला लिया कि अगर पिताजी को शारीरिक सुख चाहिए तो वो मै उन्हें दूंगी लेकिन उन्हें शादी नहीं करने दूँगी. मैंने ठान लिया कि मै आज की ही रात अपनी सील पैक वर्जिन चूत की कुर्बानी दूंगी और अपनी पिताजी से चुदवाकर उन्हें खुश कर दूंगी ताकि ये घर और मेरी बहनों की जिंदगी तबाह होने से बच जाए.
रात को पिताजी शराब पीकर घर पर आये. सभी का हाल चाल पूछ कर खाना पीना खा कर वो अपने कमरे में सोने चले गए. रोज़ रात को सोने से पहले उन्हें एक गिलास दूध पीने की आदत थी. पहले माँ रोज़ एक गिलास दूध दिया करती थी. माँ की मौत के बाद दूध देने की ज़िम्मेदारी मेरी थी. मुझे आज अपनी कुर्बानी देनी थी. इसकी पूरी तयारी मैंने कर ली थी. जब पिताजी घर में नहीं थे तो मैंने शाम में ही उनके कमरे में से वियाग्रा की गोली चुरा कर अपने पास रख ली थी. शायद वो इस गोली का इस्तेमाल मेरी माँ के साथ सम्भोग करने के लिए किया करते थे.
मै वर्जिन लड़की इतनी भी छोटी बच्ची नहीं थी कि इस वियाग्रा का मतलब ना समझूं. लड़कियों को दसवीं पास करते करते सेक्स संबंधी सभी छोटी बड़ी बातों का भी ज्ञान हो जाता है. खैर ! मैंने उस वियाग्रा की गोली पीस कर दूध में मिला दिया और चम्मच से अच्छी तरह से मिला दिया. घर के सभी बत्ती बंद कर के मैंने अपने कपडे बदले और पतली सी नाईटी पहन कर दूध का गिलास ले कर पिताजी के पास पहुची. पिताजी भी अपने कपडे बदल चुके थे और वो सिर्फ लुंगी पहने हुए थे. वो गर्मियों में सिर्फ लुंगी पहन कर ही सोते थे. मैंने मेरे पापा को दूध दिया. उन्होंने बिना कुछ पूछे वो दूध पी लिया और बोले -बेटी, अब तुम जा कर सो जाओ.
मैंने बोला की पिताजी आज कंचन और सुहानी भी घर पर नहीं हैं और मुझे अकेले सोने में डर लगता है तो क्या मै आपके साथ सो जाऊं? पिताजी ने हँसते हुए बोला की अरे , इतनी बड़ी हो गयी हो बेटी और तुम घर के सारे काम भी कर लेती हो लेकिन अब भी तुम डरती हो ? चलो कोई बात नहीं , मेरे साथ ही सो जाओ. ज़रा ये लाईट बंद कर देना. मैंने रूम की लाईट बंद कर दी. अब रूम में पूरी तरह अन्धेरा हो चुका था. एक बार तो मेरी रूह कांप उठी लेकिन जैसे ही मेरे सामने मेरी दोनों छोटी बहनों का चेहरा आया तो मैंने आज अपने पापा के साथ अवैध सेक्स संबंध बनाने के लिए अपने दिल को कड़ा किया.
मै जानती थी कि वियाग्रा 1 घंटे के बाद अपना असर शुरू करेगा. मैंने 1 घंटे तक इंतज़ार किया. और सोने का नाटक करती रही. 1 घंटे बाद मैंने महसूस किया कि पिताजी मेरे कमर पर हाथ फेर रहे थे. मैंने भी धीरे धीरे मैंने अपनी नाईटी को अपने कमर तक उठा लिया. धीरे धीरे मै पिताजी के शरीर से सट गयी. मेरे पिताजी पर अब धीरे धीरे वियाग्रा का असर शुरू हो रहा था. लेकिन वो इस से अनजान थे. मैंने जान बुझ कर अपनी एक टांग अपने पिताजी के शरीर पर रख दिया. पिताजी ने किसी तरह का प्रतिरोध नहीं किया. वो मेरी चिकनी टांग पर अपने हाथ रख कर धीरे धीरे सहलाने लगे. मेरी हिम्मत थोड़ी और जागी.
मै पिताजी के शरीर से पूरी तरह चिपक गई. पिताजी ने अपनी बांह में मुझे लपेट लिया. मैंने अपने चूची का दवाब उनके बदन पर बढ़ाना शुरू किया.पिताजी मेरी जाँघों को सहला रहे थे. कुछ देर तक इसी हालत में रहने के बाद मैंने अपनी चूची को उनके शरीर पर रगड़ना शुरू किया. और अपने बुर को उनके जांघ पर घसने लगी. उन्हें भी अब मेरा स्पर्श अच्छा लग रहा था. अब मैंने अपनी टांगों को इस तरह से उनके कमर पर रखा कि मेरी कुंवारी चूत उनके लंड से सट सके. या, अल्लाह ! उनका लंड पूरी तरह से खड़ा था और मेरी चूत के ऊपर चुभ रहा था. मैं अपने चूची को पिताजी के सीने में जोर से सटा रही थी.
मुझ वर्जिन लड़की की सांस बहुत ही ज्यादा तेज़ हो चली थी और दिल जोर जोर से धड़क रहा था. पिताजी ने अपनी बाहों को मेरी पीठ पर रखा और मेरे बदन को कस कर अपनी शरीर की तरफ खीचने लगे और मेरी चूची को अपने सीने से जोर से दबाने लगे. मैंने किसी तरह का प्रतिरोध नही किया. अब हम एक दुसरे से आलिंगन थे लेकिन कपडे पहने हुए ही थे. मैंने अपना बुर से उनके लंड पर दवाब बनाना शुरू किया. मैंने जान बूझ कर पेंटी और ब्रा नहीं पहना था. पिताजी ने मेरी जांघो पर हाथ फेरना चालू किया. और हाथ फेरते फेरते मेरी नंगी गांड पर हाथ फेरने लगे. अब मै समझ गयी कि पिताजी अब मेरे वश में आ सकते हैं.
मैंने जान बुझ कर जागने का नाटक किया और धीरे से बोला की पिताजी मुझे गुदगुदी हो रही है. पिताजी ने बोला की कुछ नहीं होगा. तेरी मालिश कर देता हूँ. जरा अपनी नाइटी ऊपर तो कर मैंने बोला की ठीक है पिताजी. कह कर मैंने अपनी नाईटी को अपनी चूची के ऊपर तक उठा दिया. अब मेरी नंगी चूची सीधे उनके छाती से सट रही थी. पिताजी ने पीठ को इस तरह से दाबना शुरू किया कि वो मुझे अपनी तरफ सटाने लगे. जिस से मेरी चूची उनके छाती में दब रही थी. इधर मेरी बुर उनके कमर पर सट रही थी.
मेरे शराबी पिताजी के उप्पर सेक्स वर्धक वियाग्रा गोली का असर हो चुका था. उन्होंने बोला की सुन, तू अपने ये कपडे पूरी तरह उतार.मै अच्छी तरह से मालिश कर देता हूँ. मैंने वो नाइटी को अपने सर होते हुए निकाल दिया. अब मै पूरी तरह से नंगी थी. पिताजी ने एक हाथ से मुझे लपेटा और अपने शरीर पर मुझे लिटा दिया. उन्होंने मेरी पीठ से ले कर गांड को इतनी जोर से दबाने लगे कि मै उनकी देह में बिलकूल चिपक सी गयी. वो कभी मेरी पीठ दबा रहे थे तो कभी मेरी चुत्तद. मेरी चूची उनके सीने में दब कर पकोड़ा हो रही थी. मै उनके मज़बूत पकड़ में थी. मैंने अपने बुर को उनके खड़े लंड पर टिका रखा था.
तभी उन्होंने मुझे अपने नीचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर जोर जोर से मेरी गालों को चूमने लगे. मैंने सिर्फ उनका साथ दे रही थी. उनका लंड मेरी चूत पर किसी राड कि तरह चुभ रहा था. पता नहीं क्यों मेरे पिताजी ने अभी तक अपनी लुंगी नही खोली थी. शायद उन्हें अभी भी ये अहसास हो रहा था कि वो मेरी बेटी है. वो मेरी गाल से ले कर मेरी कमर तक के हर भाग को मुंह से चूस रहे थे मानो किसी भूखे शेर को कई दिन के बाद ताज़ा गोश्त खाने को मिला हो. मैंने भी उनका साथ देना चालु कर दिया.
थोड़ी देर बाद ही वो मेरे कमर पर हाथ फेरते फेरते मेरी दोनों टांगो को अगल बगल फैला लिया जिस से मेरी कुंवारी चूत उनके सामने आ गया. अब उनका हाथ मेरी कमर के नीचे से होते हुए मेरी बुर को छूने लगा. पिताजी मेरी मेरी बुर के बालों को सहलाने लगे और धीरे से बोले की चंचल बेटी तू तो चोदने लायक माल हो गयी है रे… वो मेरी बुर को हथेली से सहलाने लगे. मेरी बुर से पानी गिर रहा था जो कि उनके हाथ में लग रहा था. उनसे और नहीं रहा जाने लगा तो वो मेरे चूत को चूमने लगे. मै समझ गयी की उनका लौदा गरम हो गया है और यही सही समय है अपने पिताजी से चुदवाकर उनकी हवस शांत करने का. मेरे शराबी पिताजी ने मेरी चूत में जीभ डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगी.
अब मुझसे ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं हुआ और मेरी खून से संदी चूत ने पानी छोड़ दिया. मेरे नंगे पिताजी किसी कुत्ते की तरह बड़े मज़े से मेरी नाजुक बुर के पानी को चाटने लगे. थोडा संभलने के बाद मैंने एक हाथ से उनके लंड को लुंगी के ऊपर से ही पकड़ा. उनका लंड लुंगी के नीचे काफी बड़ा हो गया था. जब मैंने देखा की पिताजी को लंड छुआने में कोई दिक्कत नहीं है तो मैंने लुंगी के अन्दर हाथ डाला और उनके लंड को पकड़ लिया. पिताजी ने एक झटके में अपनी लुंगी खोल दिया. अब वो पूरी तरह नंगे थे. पिताजी का लंड बहूत बड़ा था.
मैं वर्जिन बेटी अपने पापा के कड़क लंड को हाथ से सहलाने लगी. मेरे नरम नरम हाथों का स्पर्श पाने लौड़े पर पाकर मेरे नंगे पिताजी की साँसे गर्म होने लगी. मैंने सोचा कि यही सही मौक़ा है पिताजी से सौदा करने का. वो मेरी चूची को चूस रहे थे. पिताजी ने बोला की जरीना, तू तो एकदम मस्त हो गयी है. मन करता है तेरी चूत को चोद डालूं. मैंने बोला की पिताजी, ये शरीर आपका ही दिया हुआ है. आपका मेरे बदन पर पूरा हक है. आपका दिया खाती हूँ, आप चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं मेरे साथ. माँ के जाने के बाद मेरा फ़र्ज़ है कि आपके लिए मै कुछ भी करूँ.
मेरे नंगे पिताजी ने बोला की चंचल बेटी आज तू अपने पिताजी से चुदवाकर मेरी पत्नी बनने वाली है जरा लाईट तो जला मैं भी तो देखूं 18 साल की उम्र में तेरा जिस्म कितना कामुक हुआ है ?. मैंने बोला की पिताजी , लाईट जलाने पर बाहर भी रौशनी जायेगी. मोमबत्ती जलाती हूँ. इसमें काम हो जाएगा. वहीँ पर मोमबत्ती और माचिस रखी हुई थी. मैंने मोमबत्ती जलाई. मोमबत्ती जलते ही हम दोनों ने एक दुसरे के शरीर को निहारना शुरू किया. पिताजी मेरी दुबली पतली काया और उस पर बड़े बड़े चुचियों और मेरी नाजुक बुर को एकटक निहार रहे थे. और मै उनके तने हुए लंड को देख कर अंदाज़ लगा रही थी कि इसे अपनी बुर में झेल पाऊँगी या नहीं.
मोमबत्ती को एक जगह रख कर मै पिताजी कि गोद में जा कर उनसे लिपट गयी. पिताजी ने मुझे कुछ उंचा किया और मेरी एक चूची को चूसने लगे. बोले – तेरी चूची तो काफी मीठी है चंचल. मुझे काफी मज़ा आ रहा था. कुछ देर चूची को चूसने के बाद वो लेट गए और बोले – मेरे मुह पर अपनी बुर को रख. मैंने ऐसा ही किया. मै उनके मुह पर बैठ गयी. मैंने अपने बुर को उनको मुंह में घुसा दिया. वो मेरी बुर को खाने कि कोशिश कर रहे थे. मेरी नाजुक बुर से दुबारा रस निकलने लगा. वो रस को ऐसे चाट रहे थे मानो कोई शहद हो. मेरे शराबी पिताजी बोले की एकदम नमकीन रस है तेरे बुर का.
पिताजी से चुदवाकर उनकी भूख शांत करी माँ की मौत के बाद :- उसके बाद उन्होंने मुझे लिटा दिया और मेरी दोनों टांगो को फैला दिया. वो बुर को फिर से चाट रहे थे. और मेरी बुर में अपनी जीभ घुसा दिया. मुझे उत्तेजना से अजीब लग रहा था. मुझे कुछ हो रहा था. मेरी नाजुक बुर से रस के साथ साथ पेशाब भी निकलने लगा. लेकिन पिताजी ने मेरी नाजुक बुर में से अपनी जीभ नहीं निकाली. वो मेरे पेशाब को भी चूसते रहे. थोड़ी देर के बाद मैंने बोला की पिताजी अब मेरी नाजुक बुर को और मत चूसिये. पिताजी ने बुर में से जीभ निकाल दिया.
मेरे जवान और सेक्सी बदन पर लेट गए और बोले – रानी बेटा, तू तो एकदम मस्त माल है. सारा बदन मखमल के तरह है. जहाँ चूसता हूँ वहां रस ही रस है. अब तू मेरे लम्बे और मोटे लंड से अपनी सील पैक वर्जिन चूत की चुदाई करवायेगी तुझे डर तो नहीं लगेगा न मेरी प्यारी बेटी? मैं बीसइ तो तेरी वर्जिन बुर को बहूत आराम से चोदुंगा मगर पहली चुदाई में थोड़ा दर्द होगा और बाद में मज़ा भी बहुत आयेगा तुझे. अब चुदाई के लिए तैयार हो जा. मैंने मेरे पापा के खड़े लंड को अपने हाथ में ले लिया मगर मै डर रही थी कि इतने मोटे लंड से मेरी सील पैक वर्जिन बुर की क्या हालत होगी. मेरी नाजुक बुर में काफी चिकनाई हो रही थी. अभी भी बुर से रस निकल रहा था.
मेरे नंगे पिताजी ने मुझे लिटा दिया और बुर में उंगली डाल कर इसको चौड़ा करने लगे. ऐसा लग रहा था कि मेरी नाजुक बुर में अपना लंड डालने के लिए जगह बना रहे हो. थोड़ी देर ऊँगली को मेरी नाजुक बुर में गोल गोल घुमाते रहे. उधर एक हाथ से वो अपने लंड को सहला रहे थे. इस से उनका से उनका लंड भी रस निकाल रहा था. उस रस को वो अपने लंड पर लगा कर उसे चिकना बना रहे थे. जब उनका लंड एकदम चिकना हो गया तो वो मेरी नाजुक बुर में से ऊँगली निकाल कर अपने लंड को मेरी नाजुक बुर के मुंह पर रखा.
धीरे धीरे इसे अन्दर करने लगे. पहले तो मुझे दर्द हुआ. ज्यों ही मै करहाती थी त्यों ही वो अपना लंड अन्दर डालना रोक देते थे. इस तरह इंच इंच कर के अपने आधे लंड को मेरी नाजुक बुर में डाल दिया. एक बार अन्दर करने में लगभग 2 मिनट लगे. उसके बाद जब और अन्दर डालने कि कोशिश करते तो मुझे जोर से दर्द होता. मै जोर से कराह उठती. मैंने बोला की पिताजी आगे झिल्ली है. मेरे शराबी पिताजी बोले की अच्छा कोई बात नहीं. यहीं तक चोदुंगा. उन्होंने अपने लंड को 2 मिनट के लिए मेरी नाजुक बुर में उसी तरह से छोड़ दिया. धीरे धीरे मेरी कुंवारी चूत उनके लंड के साइज़ इतना चौड़ा हो गया.
अब वो धीरे धीरे अपने लंड को पीछे ले गए फिर आगे लाये. उन्होंने इतने इत्मीनान के साथ धीरे धीरे मुझे चोदना चालु किया कि मुझे दर्द नहीं होने लगा. मैंने अपने टांग को थोडा और फैलाया और बुर को थोडा और ढीला किया. पिताजी के धक्के बढ़ते जा रहे थे. उनका लंड मेरी झिल्ली को बार बार छू रहा था. अभी मै कुछ समझ पाती कि पिताजी ने एक बार कास के अपने लंड से मेरी नाजुक बुर में धक्का दिया. मुझे थोड़ा सा अहसास हुआ कि मेरी सील पैक वर्जिन चूत की झिल्ली फट चुकी है और मेरी फटी हुई चूत में से खून भी निकल रहा है. मेरी फटी हुई कुंवारी चूत में हल्का हल्का दर्द भी होने लगा.
लेकिन पिताजी अब पूरी स्पीड से चालू हो चुके थे. उनके लंड ने मेरी नाजुक बुर में जगह बना ली थी. मुझे भी काफी मज़ा आ रहा था. पिताजी के लंड का मेरी नाजुक बुर के अन्दर आना और बाहर जाना मुझे महसूस हो रहा था. पिताजी के अंडकोष मेरी गांड के छेद से टकरा रहे थे. मुझे ख़ुशी हो रही थी कि माँ की मौत के बाद मैंने पिताजी को काबू में कर लिया है. ख़ुशी और दर्द से मेरी आँखे बंद थी. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मै जन्नत की सैर कर रही हूँ. मुझे यकीन नही हो रहा था की जिस लंड के रस से मेरा शरीर बना ही आज वही लंड मेरे चूत में है. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मै अपने ऊपर से अपने पिताजी का क़र्ज़ मिटा रही हूँ.
मुझे अपने पापा के साथ अवैध सेक्स संबंध बनाने में उनके उप्पर रत्ती भर भी गुस्सा नही आ रहा था. मै तो चाह रही थी कि वो मेरे इस जवान और सेक्सी शरीर को जी भर कर जैसे चाहें वैसे उपयोग करें और अपनी अन्तर्वासना शांत कर लें. आखिर वो मेरे जन्मदाता हैं और मेरे इस जवान और सेक्सी जिस्म के हर अंग पर उनका उतना ही अधिकार है जितना मेरा है. करीब 5 मिनट तक पिताजी मेरी चूत की बहुत ही ज्यादा खतरनाक चुदाई करते रहे. अचानक पिताजी का शरीर अकड़ने लगा और उनके लंड से गरम गरम माल मेरी नाजुक बुर में गिरने लगा. पिताजी मेरे शरीर पर लेट गए. उनके सीने से मेरा चेहरा दब चुका था.
करीब 1 मिनट तक उनके लंड से माल मेरी नाजुक बुर में गिरता रहा. 3- 4 मिनट तक उसी अवस्था में रहने के बाद पिताजी ने मेरी नाजुक बुर से अपना लंड निकाला. मेरी चुदाई करके उनका लंड अब लटक रहा था और अपने पिताजी से चुदवाकर मेरी भी चूत में थोड़ी सुजन आ चुकी थी. मैंने मोमबत्ती की रौशनी में देखा मेरी नाजुक बुर से खून और पिताजी का माल दोनों ही निकल रहा था और ये सब देख कर मुझे काफी आनंद आया. मुझे महसूस हो रहा था मानो माँ की मौत के बाद अपने पिताजी से कोई बहुत बड़ी जंग जीत चुकी हूँ. पिताजी ने मुझे अपनी बेटी से अपनी पत्नी होने का हक़ दे दिया था. मेरी माँ की मौत के बाद अब मै अपने पापा से चुदवाकर एक लड़की से औरत बन चुकी थी.
पिताजी अब पलंग पर नंगे लेटे हुए थे मै उनके लंड की तरफ झुकी और मैंने पिताजी के लंड को पकड़ा और उसे पोछने लगी. जब ये साफ़ हो गया तो मैंने उनके लंड को अपने मुंह में ले ली. इस लंड में मुझे अपने बुर का खून और पिताजी के माल का मिला जुला स्वाद महसूस हो रहा था जिसकी तुलना किसी अन्य चीज से नही की जा सकती. मै रंडी बनकर अपने पिताजी को खुश रखने में कोई कसर नही छोड़ना चाहती थी. कुछ देर तक तो उनका लंड लटकने वाले अवस्था में ही रहा. लेकिन ये फिर से खडा होने लगा. मै उनके लंड को इस तरह से चूस रही थी मानो वो कोई आम हो. मेरे पिताजी को भी ब्लोजॉब के दौरान काफी आनंद आ रहा था.
ब्लोजॉब करवाते करवाते वो मुझसे पूछने लगे की अरे बेटी तुने ये सब कहाँ से सीखा ? मैंने बोला की पापा आज ही मैंने मोबाइल फोने में ब्लू फिल्म देखकर ये सब सिखा है ताकि मैं अच्छी तरह से आपकी अन्तर्वासना शांत कर सकूँ. अब उनका लंड फिर से तन चुका था. वियाग्रा का असर इतनी जल्दी ख़तम होने वाला नहीं था. मैंने पिताजी के लंड को मुंह में चूसने के बाद उनके लंड पर अपनी चूत को रखते हुए और अपनी चूची को उनके सीने पर रहते दिया. और अपनी जुल्फों को को उनके गालों पर ला कर उनके होठ को चुमते हुए से धीरे से बोला की आज बुआ जी आयी थी , वो कह रही थी कि आप दूसरी शादी करने कि सोच रहे हैं.
मेरे शराबी पिताजी बोले की हाँ , बेटी. मैंने बोला की क्यों ? मै हूँ ना काम करने के लिए. शादी करने से घर के खर्च तो बढ़ जायेंगे ना? मेरे शराबी पिताजी बोले की कुछ सुख हासिल करने के लिए शादी करना चाहता हूँ. सिर्फ खाना खा लेने से मेरी भूख नहीं मिट्टी है बेटी. जिस्म का सुख बेटी तो नहीं दे सकती है ना ? मैंने बोला की पिताजी , आज से आपकी रंडी बनकर सेक्स करने की भूख मैं ही शांत करा करुँगी इस लिए आप दूसरी शादी ना करें नहीं तो हमारा ये बसा बसाया घर तबाह हो जाएगा.
मेरे नंगे पिताजी ने मेरे चूतड पर हाथ फेरते हुए बोला की लोग हमरे इस अवैध सेक्स संबंध के बारे में क्या क्या बातें करेंगे? मैंने बोला की लोगों को मै थोड़े ही कहने जाऊंगी कि मेरे और मेरे पिताजी के बीच अवैध सेक्स संबंध हैं और मैं एक बेटी अपने पिता की सेक्स करने की भूख शांत करती हूँ. वैसे भी आपने मुझे जन्म दिया है इसलिए आपका मेरे इस जवान और सेक्सी जिस्म पर पहला अधिकार है. यदि आपकी अन्तर्वासना शांत करने के लिए मैं आपको मेरा ये जवान जिस्म सौंपती हूँ तो मेरी नजरों में ये कोई गुनाह नहीं है.
मेरे शराबी पिताजी बोले की लेकिन बेटी एक दिन तेरी भी शादी हो जायगी और तू अपने पति के साथ अपने ससुराल चली जायेगी फिर मेरी अन्तर्वासना कौन शांत करेगा ? मैंने बोला की शादी के बाद भी आप मुझे जब तक चाहे अपनी रंडी बनाकर चोद सकते हैं. पिताजी ने बोला की यदि मैं मेरी अन्तर्वासना शांत करने के लिए तेरे साथ सेक्स करूँगा तो फिर तेरा घर वाला क्या कहेगा ? मैंने बोला की वो आप मुझ पे छोड़ दीजिये. सोचिये जब मै आपकी अन्तर्वासना शांत करने के लिए तैयार ही हूँ तो फिर आपको मेरे साथ सेक्स करने में क्या दिक्कत है? मेरे शराबी पिताजी बोले की ठीक है बेटी अगर तू मुझसे वादा करती है कि तू मुझे मेरी पत्नी की तरह सुख देगी तो बेटी मैं दूसरी शादी नहीं करूंगा.
मैंने बोला की ये शरीर आपकी अमानत है पिताजी आप अपनी अन्तर्वासना शांत करने के लिए इसे चाहें जैसे इस्तेमाल करें मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है बल्कि मैं ख़ुशी खुसी सेक्स करने में आपका साथ दूंगी और आपको बिलकुल उतना ही मजा दूंगा जितना मजा मेरी माँ दिया करती थी. यह बोलकर मैंने मेरे लाल लाल होठ पिताजी के होठ पर रख दिए ताकि अब वो कुछ और ना बोल सके.. अब पिताजी को यकीन हो गया कि मै उनकी पत्नी की तरह सेवा करने के लिए तैयार हूँ और उनकी अन्तर्वासना बड़ी अच्छी तरह से शांत कर सकती हूँ.
अब हम दोनों बाप बेटी पूरी तरह से नंगे एक दुसरे की बाहों में थे और एक दुसरे के होठों को चूम रहे थे. मैंने पिताजी से बोला की पिताजी एक बार फिर से मुझे चोदिये ना. पिताजी ने कहा- आजा, पलंग पे लेट जा मेरी रानी. मै फिर से पलंग पर लेट गयी और पिताजी मेरे बदन के ऊपर लेट कर कामसूत्र की 69 सेक्स पोजीशन बना ली. यानी पिताजी मेरी नाजुक बुर पर अपना मुंह रख दिया और अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया. अब एक तरफ पिताजी मेरी नाजुक बुर को मुंह से चूस रहे थे तथा दूसरी तरफ मै उनके लंड को अपने मुंह में ले कर चूस रही थी. थोड़ी ही देर में मेरी नाजुक बुर ने पानी छोड़ना चालु कर दिया जिस से मेरी कुंवारी चूत चिकना गया.
जब पिताजी ने देखा की मेरी कुंवारी चूत फिर से तैयार हो चुकी है तो अपने आप को सीधा कर के अपने लंड को अचानक ही मेरी नाजुक बुर में पूरा का पूरा पेल डाला. इस बार ज्यादा दर्द नहीं हुआ. पिताजी ने इस बार मुझे 15 मिनट तक चोदते रहे. मेरी नाजुक बुर से झर झर माल निकल रहा था. मैंने पिताजी से बोला की अब बस कीजिये पिताजी. अब दर्द करने लगा. पिताजी ने बोला की 2 मिनट और रुक जा बेटी. थोड़ी देर में पिताजी के लंड ने फिर से माल छोड़ा. थोड़ी देर बाद पिताजी ने मेरी नाजुक बुर से अपना लंड निकाला और पूछा बेटी तुम्हे अपने इस शराबी पिताजी से चुदवाकर दर्द तो नहीं हुआ ज्यादा ? मैंने बोला की नहीं पिताजी आप से चुदवाकर मुझे बड़ा आनंद आया…
अपने पिताजी से चुदवाकर उस पूरी रात मै नंगी ही उनसे लिपट कर सेक्सी सेक्सी बातें करती रही. वो मेरी बुर में ऊँगली डाले रहे और मै उनके लंड को ऐसे पकडे हुई थी मानो कहीं ये भाग ना जाए. सुबह 2 बजे उन्होंने फिर से मेरी बुर की चुदाई की. फिर से वही चुदाई की बातें और लंड को सहलाने और बुर में उंगली डाले हुए चुदाई के किस्से के बारे में बात करती रही. 3 बजे सुबह पिताजी ने बताया कि किस तरह से वो मेरी माँ की गांड भी मरते थे. मैंने बोला की आज मेरी सील पैक वर्जिन गांड भी मारो ना पिताजी प्लीज़…
मेरे पिताजी पहले तो मेरी सील पैक वर्जिन गांड मारने के लिए राज़ी नहीं हुए लेकिन जब मैंने 3-4 बार उनसे अपनी सील पैक वर्जिन गांड मरवाने की जिद करी तो वो मेरी गांड की चुदाई करने के लिए राज़ी हो गए. सेक्स वर्धक वियाग्रा गोली का असर पूरी रात रहता है. अब गांड चुदाई के लिए पिताजी ने मुझे घोड़ी बनने के लिए बोला. अपनी वर्जिन गांड की चुदाई करवाने के लिए मैं झट से लपक कर घोड़ी बन गयी. घोड़ी बनते ही मेरे नंगे पिताजी ने मेरी गांड के छेद में उंगली डाली और चारो तरफ घुमाया. बगल में नारियल तेल था उसे उठाया और मेरे गांड को उंचा कर के नारियल तेल उसमे डाल दिया.
मेरी सील पैक वर्जिन गांड और टाइट बुर नारियल के तेल से चिपचिपी हो गयी थी. पिताजी ने अपने हाथ से नारियल तेल अपने लंड पर भी लगाया ताकि पहली बार गांड चुदाई करवाने में मुझे ज्यादा दर्द और तकलीफ का सामना नहीं करना पड़े. पिताजी ने मेरी गांड को अपनी जीभ से चाटने के बाद उसमें उंगली डाली और इसके छेद को चौड़ा किया. जब मेरी गांड का छेद खुल गया तो पिताजी ने मेरी वर्जिन गांड के छेद में अपना लम्बा मोटा लंड पेलना शुरू किया. धीरे धीरे पूरा लंड इतनी जल्दी से अन्दर चला गया कि मुझे पता भी नहीं चला.
पिताजी ने मेरी कमर के पीछे से दोनों तरफ को मजबूती से पकड़ा और मेरे गांड में अपने लंड को आगे पीछे कर मेरे गांड की चुदाई करने लगे. गांड मरवाते मरवाते मुझे बहुत तेज दर्द होने लगा था और मेरी आँखों में आंसू थे. लेकिन ये गांड चुदाई का दर्द भी तो मैंने खुद ही जिद कर के लिया था लेकिन अब मै कर ही क्या सकती थी. चुदते चुदते सिर्फ कराहती रही और थोड़ी थोड़ी रोती भी रही. खैर 3-4 मिनट में ही पिताजी के लम्बे मोटे लंड ने पानी छोड़ दिया.
अपने लम्बे मोटे लंड का पानी मेरी गांड में गिराने के बाद पिताजी ने मेरे गांड से लंड निकाला और पूछा – कैसा लगा गांड मरवाने में?. मैंने बोला की पिताजी , आप एक दिन में दस मर्तबा मेरी बुर को चोद लीजिये लेकिन मेरी गांड को दस दिन में एक ही बार चोदियेगा. इसमें दर्द होता है. पिताजी हँसते हुए बोले – धीरे धीरे आदत हो जायेगी. तब दर्द नहीं होगा. सुबह होने को चली थी. मेरे जीवन का भी नया सुबह था. पिताजी और मै रोज़ की तरह तैयार हुए. 9 बजे पिताजी चाय नाश्ता कर के आराम से टीवी देख रहे थे. आज रविवार था. इसलिए उनका आफिस भी बंद था.
11 बजे से 2 दिन तक पिताजी ने फिर से 7 -8 बार मेरी चूत और गांड से अपनी अन्तर्वासना शांत करी. पिताजी चुदाई करने में इतनी माहिर थे कि इतनी बार चुदवाने के बाद भी मेरी हालत ख़राब नहीं हुई थी. 2 बजे दोपहर को हम दोनों नंगे ही एक साथ गहरी नींद में सो गए. शाम को छः बजे मेरी नींद खुली तो देखा पिताजी मेरी कुंवारी चूत पर हाथ फेर रहे हैं. मैंने मुस्कुरा कर अपनी टाइट चूत को चौड़ा कर लिया तो पिताजी ने बेहिचक अपना लंड मेरे चूत में डाल दिया. और धीरे धीरे मज़े ले ले कर चुदाई कर रहे थे. तभी मोबाइल फोने की घंटी बज उठी. मोबाइल फ़ोन में देखा तो बुआ जी का फोन था.
मैंने मेरे पिताजी के लम्बे मोटे लंड से अपनी कुंवारी चूत चुदवाते चुदवाते बात करी. बुआ जी बोल रही थी कि आधे घंटे में वो मेरी दोनों बहनों को ले कर मेरे घर आएगी. मैंने बोला की ठीक है आ जाईये. मैंने मुस्कुरा कर पिताजी से बोला की जल्दी सेक्स ख़त्म कीजिये पिताजी आपकी दोनों छोटी लाड़ली बेटियाँ आने वाली हैं. पिताजी ने थोड़ा गुसा हो कर बोला की ये मेरी साली भी ना, कमबख्त किसी भी समय टपक पड़ती है. मुझे पिताजी की ये बात सुन कर हांसी आ गयी. लेकिन पिताजी ने अपनी चुदाई करने की स्पीड तेज़ की.
करीब पांच मिनट के जोरदार धक्कों के बाद मेरे नंगे पिताजी का माल मेरी फटी हुई चूत में था और मेरे नंगे पिताजी मेरी लाल लाल होठों को चूसते हुए गर्म गर्म साँसे ले रहे थे. थोड़ी देर में मैंने पिताजी के लंड को अपने चूत से निकाला और पिताजी को अपने शरीर पर से धकेलते हुए बोला की अब, आप कपडे पहन लीजिये. नहीं तो खाला को पता चल जायेगा. मै बाथरूम जा कर बढ़िया से अपने बदन को धो-पोछ कर इतर लगा कर कपडे पहन कर पहले की ही तरह तैयार हो गयी. पिताजी भी घर वाले कपडे पहन कर गेस्ट रूम में आ कर टेलीविजन का मज़ा लेने लगे. तभी बुआ जी मेरी दोनों बहनों को छोड़ने मेरे घर आ गयी.
वो पिताजी के पास आई और धीरे से उनसे पूछने लगी की भाई कोई जवान लड़की देखूं क्या आपकी दूसरी शादी के लिए ? पिताजी ने धीरे से मुसुकुरा कर बोला की नहीं अब तो मेरी बेटियाँ ही खुद शादी के लायक हो गयी है इस उम्र में मैं दूसरी शादी करके क्या करूँगा. घर का सारा काम कर लेती है. मुझे अब इस उम्र में दूसरी शादी नहीं करनी. मै मुस्कुरा कर अपने आपको विजेता महसूस कर रही थी. उस दिन के बाद से हर रात मै उनके साथ ही सोने लगी उनकी धर्म पत्नी बन कर. मैंने अपने पिताजी से चुदवाकर उन्हें कभी पत्नी की कमी महसूस नहीं होने दी. चुदाई करते करते कई बार तो हम भूल ही जाते की हम बाप- बेटी भी हैं.
दोस्तों मैं मेरे पिताजी से चुदवाकर दिन पर दिन और ज्यादा सेक्सी होती जा रही थी मगर मेरी दोनों बहनों ने भी हम बाप बेटी को कभी संदेह की नजर से नही देखा. उन्हें लगता कि मै पिताजी कि सेवा के लिए उनके कमरे में सोती हूँ. जब मेरी उम्र 24 होने को आयी तो मेरे पिताजी कि उम्र 52 साल की थी. अब वो उतना तो नहीं लेकिन हफ्ते में 1-2 बार मेरी चुदाई कर ही डालते थे और मैं भी मेरे पिताजी से चुदवाकर अपने आप को बड़ी खुश नसीब समझती थी. उन्होंने मेरा निकाह बगल के मोहल्ले के ही एक खाते पीते घर में कर दिया. मैंने पिताजी से वायदा लिया कि वो दो बहनों को कुछ नहीं करेंगे और जब भी चुदाई का मन हो मुझे फोन कर के बुला लेंगे. पिताजी ने मुझसे पक्का वादा करा कि वो दोनों छोटी बहनों को नहीं छोड़ेंगे और जरूरत होने पर मुझे बुला लेंगे.
मेरी शादी होने के कुछ दिनों बाद मै हर 3-4 दिन पर अपने पिताजी और बहनों से मिलने के बहाने पिताजी के यहाँ चली आती और पिताजी की भूख शांत करती. मेरे पति बहूत ही सीधे और सरल इंसान हैं. उन्हें कभी शक नहीं होता था हमारे रिश्ते पर. लेकिन 3-4 दिन पर पिताजी के पास आना काफी मुश्किल जान पड़ने लगा. ससुराल में बहूत लोग थे. इसलिए मैंने अपने पति को बोला की पिताजी का घर काफी बड़ा है और वो खाली भी रहता है. क्यों ना हम लोग वहीँ जा कर रहें. आपका आफिस भी वहां से बगल में है. इस तरह से कई तरह का प्रलोभन दे कर मैंने अपने पति को अपने पिताजी के घर पर ही रहने के लिए राज़ी कर लिया था ताकि बड़े आराम से मेरे पिताजी से चुदवाकर उनकी भूख शांत करी जा सके.
मेरे पति ने अपने घर वालों को ये कह कर राज़ी कर लिया कि अभी से अगर ससुर जी की सेवा नहीं करेंगे तो उनकी मौत के बाद उनकी सारी जायदाद उनकी दो बेटियों को ही मिल जायेगी और हम खाली हाथ मलते रह जायेगे. उसके बाद हम पिताजी के यहाँ चले आये. अब मै आराम से पिताजी के सुख का ख्याल रख सकती थी. रात को भी अक्सर जब मेरे पति मुझे चोद लेते तो मै पिताजी के खराब स्वास्थय की देखभाल करने के नाम पर उनके कमरे में सोने चली आती और पिताजी से भी अपनी चूत चुदवा लेती… मेरे पति को कभी मुझ पर शक नहीं हुआ. उन्हें क्या पता कि पिताजी की कौन सी स्वास्थय की देखभाल की जरूरत है. आराम से पिताजी मुझे चोदते और मैं भी मेरे पिताजी से चुदवाकर मजे करती.
मेरी माँ की मौत के बाद पिताजी ने करीब 7-8 साल तक और मेरे जवान शरीर से अपनी चुदाई करने की भूख शांत करी. फिर धीरे धीरे वो धरम करम में ज्यादा यकीन करने लगे. इस बीच मेरी दोनों बहनों की नौकरी हो गयी और उनकी शादी अच्छे घरानों में हो गयी. जब सभी काम सफल हुए तब लगा कि मेरा बलिदान व्यर्थ नहीं गया. पिताजी से चुदवाकर आज मैंने अपनी छोटी बहनों को तबाह होने से बचाया. आज मै 2 बच्चों की माँ हूँ. अरे भाई , वो मेरे पति से हुए हैं ! दोस्तों उम्मीद करती हूँ की आप सभी को मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी “पिताजी से चुदवाकर उनकी भूख शांत करी माँ की मौत के बाद” बहुत पसंद आई होगी…