होने वाली चाची की कुटिया में चुदाई करी हिन्दी XXX सेक्स कहानी : मेरी यह हिन्दी सेक्स कहानी मेरी चाची और मेरे बिच हुए प्रथम सेक्स की है इस हिंदी सेक्स कहानी के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा की कैसे मैंने मेरी होने वाली चाची को उनके सरसों के खेत में चोदा था. मेरे चाचा मेरे घर में ही रहते थे, चाचा की उम्र और मेरी उम्र में कोई ज़्यादा फ़र्क नहीं है. मेरे चाचा की नई-नई सगाई हुई थी, सगाई के बाद एक बार मेरे चाचा के ससुराल वालों ने उनको ससुराल आने का न्यौता दिया. मेरे चाचा बहुत शर्मीले इंसान हैं.. तो उन्होंने अकेले जाने से मना कर दिया. मेरी दादी को जब मालूम हुआ तो उन्होंने मुझे उनके साथ मेरी होने वाली चाची के घर जाने को कहा.. तो मैं तैयार हो गया.
दूसरे दिन हम दोनों चाचा भतीजे मेरे चाचा के ससुराल पहुँच गए. वहाँ चाचा के ससुराल वालों ने हमारा बहुत अच्छी तरह से स्वागत किया. चाचाजी की नज़र चाचीजी को खोज रही थीं, चाची शायद बाहर गई हुई थीं. थोड़ी देर के बाद चाची घर आईं तो चाचाजी उनको देखते ही रह गए. सेक्सी चाची को देख कर मेरी हालत तो चाचाजी से भी ज़्यादा खराब हो गई थी. सच में वो बहुत खूबसूरत लग रही थीं.. जैसे कोई संगमरमर की मूरत हों.. वे एकदम दूध सी गोरी थीं. उनके जिस्म के ऊपर वाले हिस्से में दो खिले हुए फूल.. जो किसी पिंजरे में कैद थे. काश मैं उन्हें आज़ाद कर सकता. चाची ने हम दोनों को पहचाना नहीं था और वे हमारे सामने आकर बैठ गईं.
होने वाली चाची की कुटिया में चुदाई करी हिन्दी XXX सेक्स कहानी
जब उन्हें असलियत का पता चला तो एकदम से दूसरे कमरे में भाग गईं. शाम को हम लोग वापस हमारे घर जाने की तैयारी करने लगे तो मैं चाची की एक बार झलक देखने को बेताब था.. पर चाची जी लज्जा के मारे कमरे से बाहर ही नहीं निकलीं. हम लोग वहाँ से चल दिए. तीन दिन बाद चाचाजी अपनी ट्रेनिंग के लिए एक महीने के लिए चंडीगढ़ चले गए. थोड़े दिन के बाद चाचाजी के ससुर ने मेरे दादाजी को फोन किया. उन्हें फसल के लिए बिज और खाद लाने तीन दिन के लिए राजस्थान जाना था.. तो उनके सरसों के खेतों का ध्यान रखने वाला कोई नहीं था इसलिए उन्होंने चाचाजी को कुछ दिन के लिए अपने घर रहने के लिए फोन किया था. लेकिन चाचाजी के घर पर ना होने के कारण दादाजी ने मुझे जाने का कह दिया.
मेरे तो जैसे नसीब खुल गए. कुँवारी चाची की वर्जिन फुद्दी चोदने की तमन्ना में मैं झट से तैयार हो गया और अगली सुबह ही घर से निकल गया. दोपहर को मैं चाची के घर पहुँच गया, सब लोगों ने मेरा अच्छा स्वागत किया. शाम को चाची के पिताजी ने कहा- अरुण बेटे, तुम एक बार कंचन के साथ खेत जाकर देख आओ और कोई भी सामान की ज़रूरत लगे तो कंचन को बोल देना. मुझे आज रात को राजस्थान जाना पड़ेगा. मैंने कहा- बाबा, आप अपना काम शांति से पूरा करके आइए.. खेत की फ़िक्र ना करें.. मैं सब संभाल लूँगा. शाम को मैं और मेरी चाची कंचन खेत देखने गए, हम बाइक पर थे, चाची हमारे पीछे बैठी थी. जब कच्ची सड़क आई तो मैंने कहा- चाची जी ज़रा कसके पकड़ना.. कहीं गिर ना जाना.
तो मेरी सेक्सी चाची अपना एक हाथ मेरी कमर में और दूसरा हाथ मेरे कंधे पर कस कर पकड़ कर बैठ गईं. हम लोग खेत तक आ गए थे..लेकिन अन्दर जाने का रास्ता खराब होने की वजह से हमारी बाइक स्लिप हो गई और हम दोनों नीचे गिर गए. चाची के दूध के ऊपर मेरा हाथ आ गया था. हम दोनों चिपके हुए थे मेरी सेक्सी चाची की साड़ी उनकी जाँघों तक आ गई थी. चाची ने होश संभाला और झट से खड़ी गईं. उन्होंने अपने कपड़े सही किए और मुझसे कहने लगीं- अरुण, कहीं चोट तो नहीं आई? मैंने कहा- चाची कमर पर थोड़ा दर्द है. चाची मुझे अपने कंधे के सहारे खेत की बनी कुटिया में ले गईं.
वहाँ खेत में बनी कुटिया के अंदर एक खाट पहले से पड़ी थी, उस पर चाची ने मुझे लिटा दिया और कहने लगीं- बताओ कहाँ दर्द हो रहा है? मैं दर्द का नाटक कर रहा था, मैंने चाची से कहा- मुझे बताने में शर्म आ रही है. चाची ने कहा- अपनी चाची से क्या शर्माना? उन्होंने अपने हाथ से मेरी शर्ट को खोल दिया और कमर को देखने लगीं. फिर वो वहाँ पर रखी उनके पिताजी की जोड़ों के दर्द की दवाई लेकर आ गईं. अब वो मेरी कमर की मालिश करने लगीं. जैसे ही उनका हाथ मेरी कमर को टच हुआ.. मेरा छोटा भाई यानि कि मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया. जैसे-जैसे चाची मेरी कमर मालिश करती जा रही थीं वैसे-वैसे मेरा लंड सख़्त होता जा रहा था आज इस कुटिया के अंदर लंड और चूत का घमासान युद्ध छिड़ने वाला था.
जब चाची ने मेरा तगड़ा लंड देखा तो वो मन ही मन मुस्कुराने लगीं. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था, लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा होऊँ. चाची बोलीं- अब अपनी पैन्ट उतारो.. मुझे कमर के नीचे मालिश करने में दिक्कत हो रही है. तो मैंने कहा- आप खुद ही निकाल दो. चाची ने मेरी पैन्ट खोल दी. अब मैं केवल चड्डी में था. चाची ने अपनी मालिश चालू कर दी. मैंने नोट किया कि वो मालिश करते टाइम मेरे काले मोटे लौड़े को टच कर रही थीं. मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने चाची को पकड़कर जोर से उनके गुलाबी गुलाबी होंठों को चूम लिया, वो भी मेरा साथ देने लगीं तो मैं पागलों की तरह उनके ऊपर टूट पड़ा.
चाची मुझसे बोली जो भी करना है.. शांति से करो.. यहाँ कुटिया में हमें किसी का डर नहीं है. यहाँ कोई नहीं आएगा. मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी उनके बदन से अलग कर दी. उनकी नुकीली चूचियों को देखकर तो मैं पागल ही हो गया, अब मैं फटाफट उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा. वो लाल रंग की जालीदार ब्रा में क्या पटाखा माल लग रही थीं. उनके दोनों आमों को मैं बेसब्री से सहलाने लगा. चाची भी मस्ती में आ गई थीं. मैंने उनकी चूचियों को ब्रा से आज़ाद कर दिया और दबाने लगा, वो मस्ती में मेरे काले मोटे लौड़े को अपने हाथों से मसल रही थीं.
कुछ देर की चुदास में ही चाची मेरे काले मोटे लौड़े को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी थीं. वो अब पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं और एक हाथ से अपनी फुद्दी मसल रही थीं. मैंने चाची से कहा- चाची आपने कभी अपनी गांड या फुद्दी की चुदाई करवाई है? चाची पहले तो हिचकिचाईं.. पर मेरे जोर देने पर उन्होंने बता दिया- जब मैं स्कूल में थी उस वक्त मेरे स्कूल के मास्टर ज़ी ने मुझे दो बार चोदा था. मैंने देखा कि मेरी सेक्सी चाची की पैन्टी गीली हो गई है. मैंने चाची का पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे सरका दिया और पैन्टी भी उतार दी.
मेरी खुबसूरत चाची की चिकनी चूत गजब लग रही थी. उसके ऊपर एक भी बाल नहीं था. एकदम मक्खन जैसी मुलायम फुद्दी देख कर मैं तो बौरा सा गया. अब मैंने चाची को खाट के बीच में लेटा दिया और उनकी दोनों टाँगें फैला दीं. उनकी लपलपाती फुद्दी देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपनी जीभ से उनकी फुद्दी को चाटने लगा, फुद्दी के रस का पान करने लगा, क्या टेस्टी फुद्दी थी! चाची भी अब मेरे छोटे भाई को अपनी फुद्दी में लेने के लिए तड़प रही थीं.
आख़िरकार मैंने अपने लंड का ठूंठ चाची की फुद्दी के गुलाबी गुलाबी होठों पर रख कर एक ज़ोर का झटका लगा दिया उम्म्ह… अहह… हय… याह…चाची दर्द के मारे मेरे सिर के बाल पकड़ कर खींचने लगीं. लेकिन मैंने उनकी तकलीफ को कुछ भी ध्यान न देते हुए फिर से एक धमाकेदार धक्का लगा दिया. इस बार मेरा पूरा लंड चाची की फुद्दी में घुस गया. एक पल के लिए चाची की चीख निकल गई और वो रो दीं.. लेकिन फुद्दी चुदी हुई थी.. तो जल्द ही फुद्दी ने लंड को सैट कर लिया. अब मैं लंड को अन्दर-बाहर करने लगा. चाची को भी मज़ा आ रहा था, वो भी अपने फुद्दीड़ों को उछाल कर फुद्दी चुदवा रही थीं.
हमारे इस चुदाई के खेल में खाट में से खिंचड़-पिंचड़ की आवाज़ आ रही थी. आख़िरकार जबरदस्त चुदाई के बाद हम दोनों संतुष्ट हो गए. कुछ देर आराम करके हम दोनों कपड़े पहन कर घर आ गए. उस रात घर पर भी मैंने चाची को दो बार खूब तबयत से ठोका. आज चाचा की उनसे शादी हो गई है और चाची चाचा जी हमारे घर पर ही रहते हैं. अब हम दोनों मौक़ा पाते ही सेक्स करते हैं. तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आप सभी को मेरी और मेरी होने वाली चाची की हिंदी सेक्स कहानी “होने वाली चाची की कुटिया में चुदाई करी हिन्दी XXX सेक्स कहानी” बहुत पसंद आई होगी.