दोस्तों मेरा नाम गुलाब पारीख है और मेरी उम्र 23 साल है। आज की इस कामुकता से भरी अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी में आप पढ़ेंगे की कैसे ठंड के मौसम में अपनी गैंग बैंग चुदाई करवा कर मेरी बदचलन दीदी की गर्म चूत ने हम सबको ठंड में मरने से बचाया : मेरी दीदी का नाम दीपिका है और उनकी उम्र 25 साल है और उसका फिगर 34-30-34 है. रंग गोरा है और देखने में बहुत सुंदर है. उसके पीछे हमेशा ही बहुत लड़के पड़े रहते थे और वो भी बहुत खुले मिज़ाज की लड़की थी. पहले से ही उस बदचलन रंडी के कई प्रेमी रह चुके हैं तो जाहिर सी बात है कि कई सारे मर्दों के लंड से वो अपनी गर्म चूत चुदवा चुकी है और गांड भी मरवा चुकी है.
वो साली बदचलन रंडी अक्सर घर से बाहर ही रहती थी मौज मस्ती करने के लिए. घर में भी उसे ज्यादा रोका-टोका नहीं जाता था घर की इकलौती बेटी जो थी. वो अपने समय पर घर आती और अपने समय पर चली जाती. मैं भी ऐसा ही था. पर हम दोनों एक दूसरे से सारी बातें साझा करते थे. तो एक बार हमने सोचा कि आजतक हम दोनों भाई बहन साथ में कहीं घूमने नहीं गए हैं तो हम सभी ने मिलकर शिमला घुमने जाने का प्लान बनाया. फिर दिनों बाद हम शिमला चले गए और वहां बहुत सी जगहें घूमी. वो मौसम सर्दियों का था और उधर कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी. हमने सोचा कि क्यूँ न अब लद्दाख भी घुमा जाये.
अपनी गैंग बैंग चुदाई करवा कर दीदी ने ठंड में मरने से बचाया अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी
पर उस समय ठंड बहुत ही ज्यादा बढ़ जाने के कारण वहां जाने की सड़कें बन्द कर दी गयी थी. पर हमें किसी भी हालात में वहां जाना ही था. जिस होटल में हम रुके थे वहां हमारी मुलाकात दो लोगों से हुई. एक का नाम सतीश था जो कि गोवा का रहने वाला था और दूसरा सुरेश जो कि मनाली का ही स्थानीय निवासी था. वो लोग भी लद्दाख जाने की योजना बना रहे थे. तो हम भाई बहन ने भी उनके साथ जाने का निर्णय लिया. सुरेश ने हमें बताया कि वहाँ इस मौसम में जाना खतरे से खाली नहीं है क्योंकि बहुत तेज ठंड पड़ती है और बर्फीला तूफान चलता है. पर हम सब किसी भी हालत में जाना चाहते थे. तो सुरेश ने हमें बाइक मुहैया करवाई और इसके साथ जो भी सामान जरूरी होता है वो सब मुहैया करवाया. इस प्रक्रिया में 2 दिन लग गए. इन 2 दिनों में हम सबमें बहुत अच्छी दोस्ती हो गयी.
दो दिन बाद हम मनाली से निकले. कुछ किलोमीटर चलने के बाद हमने देखा कि रास्ता बर्फ पड़ने की वजह से बंद हो गया है. ये देख कर सबको बहुत दुःख हुआ. पर सुरेश ने कहा कि यहाँ से कुछ दूरी पर एक दूसरा रास्ता है, वहां से हम जा सकते हैं. वो वहाँ से कई बार जाता रहता था तो हमने उसका यकीन कर लिया. सब इसके पीछे पीछे चलते गये. काफी देर चलते-चलते रात होने लगी थी तो हमने वहां ही रुकने का सोचा. तो हम लोगों ने वहां टेन्ट लगाये. कुछ ही देर में सूरज डूबने वाला था और ठंड बढ़ने लगी थी. तभी दीदी ने कहा:-“उस सामने वाली पहाड़ी के ऊपर से सूर्यास्त कितना सुन्दर लगेगा”
बहन का लंड सतीश बोला की “हाँ! तुम सही कह रही हो दीपिका. चलो वहाँ चल कर सूर्यास्त दखते हैं.” मैं बहनचोद बोला की “हाँ! चलते हैं. वहाँ से मैं बहुत अच्छे फ़ोटो भी ले सकता हूँ.” पर तब सुरेश ने कहा:-“जा तो सकते हैं पर वो पहाड़ी लगभग 3 किलोमीटर दूर है. वहां हमारी मोटर बाइकें भी नहीं जा सकती. हम वहाँ पहुँच तो जायेंगे, पर आते समय बहुत अंधेरा हो जायेगा.” दीदी:-“कोई बात नहीं. हम पैदल ही वहाँ जायेंगे और रात हो भी गयी तो क्या हमारे पास टोर्च तो है, उसके सहारे हम आ जायेंगे.” सब वहां जाना ही चाहते थे. तो सुरेश मान गया. तो हम तेज़ी से उस पहाड़ी की तरफ जाने लगे.
पर हमें ये पता नहीं चला कि पीछे से काले बादल भी छा रहे हैं. जैसे ही हम उस पहाड़ी की चोटी पर पहुंचे तो बहुत तेज़ बर्फीली हवायें चलने लगी. पहले तो हमें बहुत अच्छा लगने लगा. पर सुरेश ने हमें वापिस चलने की सलाह दी. पर कोई भी मानने को तैयार नहीं था. इसलिए उसे भी वहीं रुकना पड़ा. मैं अपने कैमरे से फोटो खींचने लगा और सब लोग सूरज को बर्फीली पहाड़ी के पीछे डूबते हुए देखने लगे. पर इसके पहले कि सूरज डूबता, उन काले बादलों ने सूरज के साथ-साथ पूरे आसमान को ढक लिया. तभी अचानक से अँधेरा हो गया और तेज़ हवायों के साथ बहुत सारी बर्फ भी पड़ने लगी.
ये सब इतनी तेज़ी से हुआ कि हमें कुछ सोचने समझने का मौका ही नहीं मिला. पर तभी सुरेश ने सब को एक दूसरे का हाथ पकड़ने को कहा और हमने ऐसा ही किया. फ़िर हम सब लाइट जला कर वापिस जाने लगे. पर अँधेरा और ठण्ड इतनी थी कि हमें कुछ पता नहीं चल रहा था और इसी चक्कर में हम रास्ता खो गए. दिशा का कोई अनुमान नहीं हो रहा था. हम सब लोग बहुत डर गये थे. ठंड इतनी थी कि हमारे मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा था. अब हमें चलते चलते बहुत समय हो गया था. सबको पता चल गया था कि हम खो गए हैं. पर भाग्य से हम सब एक साथ थे और एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए थे.
कुछ देर चलते चलते हम एक छोटी सी गुफ़ा में जा पहुंचे. वो गुफ़ा लगभग 6 फुट लंबी और इतनी ही चौड़ी रही होगी. हमने कुछ देर वहीं रुकने का निर्णय किया. हम सब उस गुफ़ा में चले गए और अपने हाथ पैर रगड़ने लगे. माँ का लौड़ा सुरेश बोला की “मैंने तो पहले ही वापिस आने को कह दिया था. तब तुम लोग नहीं माने. अब भुगतो.” ये सुन कर किसी ने कुछ नहीं कहा. बहन का लंड सतीश बोला की “कोई बात नहीं जब तक ये बर्फीला तूफान थम नहीं जाता, हम यहीं सुरक्षित हैं.” माँ का लौड़ा सुरेश बोला की “ये बर्फीला तूफान सुबह तक नहीं थमने वाला. ये ऐसा-वैसा तूफ़ान नहीं है.”
मैं बहनचोद बोला की “कोई बात नहीं, सुबह तक हम इंतजार कर सेकते हैं.” माँ का लौड़ा सुरेश बोला की “कोई नहीं बचेगा. देख नहीं रहे हो इतनी ठंड है और इतना बर्फ गिर रहा है? मुझसे लिख के ले लो कोई भी जिंदा नहीं बचेगा.” ये सब सुनकर दीदी रोने लगी और कहने लगी कि मुझे मरना नहीं है, मुझे किसी भी हालत में घर जाना है. दीदी बहुत डर गई थी. सबने मेरी बदचलन दीदी को समझाने की बहुत कोशिश की, पर दीदी चुप ही नहीं हो रही थी. ये देख कर सुरेश को गुस्सा आ गया और इसने कहा:-“देखो दीपिका! रोने से कुछ नहीं होगा. जितना तुम रोओगी, उतनी जल्दी ही तुम मरोगी.”
ये सुनकर मुझे भी गुस्सा आ गया और मैंने कहा:-“क्या बोल रहा है सुरेश! तुझे इस समय मेरी डरी सहमी बहन को संभालना चाहिए और तू ऐसी अशुभ बातें कर रहा है?” सुरेश(गुस्से में):-“मैं सही कह रहा हूँ भाई! हमारे पास अपने शरीर को गर्म रखने के लिए कुछ भी नहीं है. इतनी ठंड में कैसे ज़िंदा रहेंगे? अब तेरी बहन को चोद कर हम ज़िंदा तो रह नहीं सकते.” ये सुन कर मुझे बहुत गुस्सा आ गया और मैं सुरेश का मुंह तोड़ने ही वाला था कि सतीश ने मुझे रोक दिया. सतीश ने कहा:-“रुक जाओ गुलाब भाई.
सुरेश सही कह रहा है तुम्हारी बहन दीपिका की गैंग बैंग चुदाई करके ही हम सब अपनी जान बचा सकते हैं एक लड़की की चूत और गांड बहुत गर्म होती है अब वो ही हमें गर्म रख सकती है” सतीश एक बहुत समझदार मर्द था. मैं उन्हें भैया कह कर बुलाता था. इसलिए मुझे उसकी बात पर इतना गुस्सा नहीं आया. मैंने कहा:-” ये आप क्या कह रहे हो सतीश भैया मैं मेरी बहन के साथ गैंग बैंग चुदाई करके करने दे सकता हूँ?” सतीश(मुझे और मेरी बदचलन दीदी को):-“देखो, ये गैंग बैंग चुदाई की बातें कहने में बहुत अजीब लग रही है पर मैं इतनी देर से यही सोच रहा था.
उसने बोला की तुम्हारी बहन दीपिका के साथ गैंग बैंग चुदाई करके ही हम अपने शरीर को गर्म रख सकते हैं. इसके अलावा हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है.” ये सुन कर मेरी बदचलन दीदी को और मुझे बहुत धक्का पहुंचा कि जिस सतीश को हम बहुत समझदार समझ रहे थे वो भी ऐसी अश्लील बातें कर रहा है. पर कुछ देर तक बहस करने और सोचने के बाद मैं मेरी कुंवारी बहन की गैंग बैंग चुदाई करवाने के लिए मान गया और कुछ देर बाद दीदी भी गैंग बैंग चुदाई करवा कर सभी को गर्म रखने के लिए राज़ी हो गयी. मेरी कुंवारी बहन के हाँ करने के बाद सब एक दम चुप हो गए.
किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब जान बचाने के लिए क्या करा जाये. मुझे भी बहुत अजीब लग रहा था आज मेरी आँखों के सामने मेरी कुंवारी बहन की गैंग बैंग चुदाई हो होने वाली थी. बहन का लंड सतीश बोला की “हमें तुम्हारी बहन की गैंग बैंग चुदाई करने में देर नहीं करनी चाहिए ठंड लगातार बढ़ती जा रही है. गुलाब भाई! तुम ही शुरुआत करो गैंग बैंग चुदाई करने की क्यूंकि वो तुम्हारी बहन है, इस कारण से तुम्हारे मन में शंका हो रही है तो उसे दूर कर दो क्यूंकि बचने के लिए हम सब को तुम्हारी कुंवारी बहन के साथ अवैध सेक्स संबंध बनाने की पड़ेंगे” मैं सतीश भैया की बातों पर गौर करने लगा और कुछ देर बाद मैं दीदी के पास चला गया.
अपनी गैंग बैंग चुदाई करवा कर दीदी ने ठंड में मरने से बचाया : मैंने दीदी की तरफ़ हाथ बढ़ाना चाहा पर मैं फिर रुक गया. मुझे बहुत डर लग रहा था. पर उतने में दीदी ने ही मुझे पकड़ लिया और मेरे होंठों पर ज़ोर से पप्पी कर दी. ठंड बहुत ही ज्यादा तेज पड़ रही थी जिस कारण दीदी के होंठ बहुत ठंडे थे पर उस चुम्बन से मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ गया. दीदी:-“घबरा मत भाई. मैं तुझे मना थोड़ी कर रही हूँ मेरी चुदाई करने से. तू बिलकुल भी शरमा मत और ये समझ तू अपनी बहन की नहीं बल्कि किसी रंडी की चुदाई कर रहा है अब चुदाई ही इस ठंड से हम सभी को बचा सकती है. भाई मुझे यहाँ से जिंदा निकलना है भले मुझे उसके लिए रंडी बनकर तुम सभी के साथ गैंग बैंग चुदाई ही क्यों ना करनी पड़े” मेरी बहन की बातें सुनकर मुझमें एक हौसला आ गया और मैंने भी दीदी का मुंह पकड़ के दीदी के लाल लाल होंठों चूसने लगा.
अपनी कुंवारी बहन के लाल लाल शरबती होंठ पीते पीते मैंने चुदाई करने के लिए दीदी की जैकेट की ज़िप खोल दी और उसकी कमीज़ के अंदर हाथ डाल कर पेट पर रख दिया. मेरा हाथ बहुत ठंडा था जिससे दीदी की “आह…” निकल गयी. दीदी की ये आवाज़ सुनकर मैं और उत्तेजित हो गया. मैंने अपना हाथ ऊपर की ओर बढ़ाया और दीदी की ब्रा को हाथों से ऊपर कर दिया और दीदी के मम्मे मेरे हाथ में आ गए. उनको छू कर मुझमें और उत्तेजना जाग गयी और अब मैं दीदी के स्तन ज़ोर-ज़ोर से बढ़ाने लगा और दीदी भी इसके मज़े उठाने लगी.
बाद में मैंने अपनी जैकेट उतारी और नीचे बिछा दी जिसके ऊपर मैंने मेरी जवान और सेक्सी बहन को चोदने के लिए लिटा दिया. जमीन बहुत ज्यादा ठंडी थी मगर मेरी जैकेट बहुत ज्यादा मोटी थी इस वजह से उसके उप्पर लेटने पर ठंड नहीं लगने वाली थी. अब मैंने दीदी की कमीज़ को ऊपर किया और उसके स्तनों को अपने मुँह में भर दिया. ऐसा करने में हम दोनों को बहुत मजा आने लगा. कुछ देर बाद मैं झट से नीचे गया और दीदी कि पैंट नीचे सरका दी और साथ में उसकी पैंटी भी खोल दी. अँधेरे के कारण मुझे दीदी के अंग साफ़ दिख नहीं रहे थे पर ध्यान से देखने पर पता चल गया कि दीदी की गर्म चूत पर एक भी बाल नहीं था. ये देखकर मैं बहुत खुश हो गया और मैंने तेज़ी से दीदी की गर्म चूत पर अपनी उँगलियाँ घुमाना शुरू कर दी.
अपनी सगी बहन की चूत से खेलते खेलते मैं उनके स्तनों को भी चूसता रहा. दीदी इससे इतनी उत्तेजित जो गयी थी कि वो “आह… आह…” की आवाजें निकालने लगी और अपनी टांगो को सिकोड़ने की कोशिश करने लगी. ये आवाजें सुनकर पास में बैठे सुरेश और सतीश भी हमारी ओर देखने लगे और दीदी की मस्त आवाज़ सुन कर मदहोश होने लगे. हमारे शरीर में अभी से ही गर्मी आने लग गयी थी. उसके बाद मैंने अपनी पैंट भी नीचे सरका दी और अपना 7 इंच का लौड़ा बाहर निकाल दिया. ठंड इतनी ज्यादा थी जिसके कारण हम अपने पूरे कपड़े नहीं खोल सकते थे.
उसके बाद हम कामसूत्र की 69 सेक्स पोजीशन बना दी और दीदी समझ गयी कि इस ते ठंड में गर्मी पैदा करने के लिए अब उसके काम करने की बारी है. दीदी पहले तो कुछ संकोच कर रही थी पर तभी मैंने दीदी की गर्म चूत को अपनी जीभ से ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगा और तेज ठंड के मौसम में उन्हें गर्मी देने की कोशिश करने लगा. तो दीदी ने भी मेरा लौड़ा पकड़ा और पहले कुछ देर अपने हाथ से आगे-पीछे किया और बाद में अपने मुंह में डाल दिया. दीदी के मुंह में जाते ही मुंह की गर्मी ने मेरे लौड़े को और पागल कर दिया और मैंने दीदी की टाइट चूत के साथ और तेज़ी से खेलना शुरू कर दिया. जितना तेज़ मैं होता रहा उतनी ही तेज़ी से दीदी भी मेरा लिंग चूसती रही. कुछ देर बाद मैं इतना मदहोश हो गया कि मैं दीदी के मुँह में ही झड़ गया और मेरी बदचलन दीदी को मैंने बताया ही नहीं.
जब मुझे भी इस बात का अहसास हुआ तो मैं झट से मुड़ा और दीदी का मुँह बन्द कर दिया और मेरी बहन को मेरा सारा का सारा वीर्य पीना पड़ा. मुझे मजबूरन मेरी दीदी के साथ ऐसा करना पड़ा क्योकि इस तेज ठंड के मौसम में उनके जिस्म में गर्मी बनाये रखने के लिए यह बहुत जरुरी था. मैंने ऐसा इस लिए किया क्यूंकि सुरेश और सतीश को इस बात का पता चल जाता कि मैं झड़ गया हूँ तो वो दीदी की गर्म चूत मारने आ जाते और मैं नहीं चाहता था कि उनमें से कोई भी मुझसे पहले मेरी बहन की टाइट चूत के मज़े ले और यही बात मैंने मेरी दीदी को भी धीरे से उसके कान में बता दी, तो दीदी भी समझ गयी. मगर मेरे लंड को दुबारा से खड़े होने में थोड़ा समय लग रहा था तो तब तक मैंने दीदी के स्तनों और गर्म चूत को चूस-चूस मेरी बदचलन दीदी को मज़े देते रहा.
कुछ देर बाद मेरा लौड़ा फिर सलामी देने लगा. दीदी की गर्म चूत भी एकदम गीली हो गयी थी, तो मैंने देर नहीं की और अपना लिंग दीदी की टाइट चूत के दरवाज़े पर रखा और ज़ोर का झटका मार दिया. जिससे एक ही बार में मेरा आधा लौड़ा अंदर चला गया और मेरी बदचलन दीदी को इससे बहुत दर्द हुआ जिससे दीदी की ज़ोर से चीख निकल गयी. सुरेश और सतीश दोनों हमारी तरफ़ देखने लगे. तभी मैंने दूसरा झटका मारा और मेरा पूरा लिंग दीदी की गुफ़ा में चला गया. दीदी दर्द से चीखें मारने लगी. पर मैंने रफ़्तार बढ़ा दी और पूरी रफ़्तार से दीदी की गर्म चूत की चुदाई करने लगा.
कुछ देर बाद मेरी नंगी दीदी की चीखें, कराहटों में बदल गयी, जिसका मतलब था कि अब दीदी मेरे लिंग के मज़े ले रही थी. हम एक दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे थे. मैं तो ये भी भूल गया था कि मैं दीदी की चुदाई अपनी जान बचाने के लिए कर रहा हूँ. करीब 20 मिनट तक चुदाई करने के बाद में झड़ गया और गरमा गर्म वीर्य दीदी की गर्म चूत में ही गिरा दिया ताकि उन्हें इस तेज ठंड में गर्मी का अहसास हो सके. जैसे ही सतीश और सुरेश को पता चला कि मैं झड़ गया हूँ तो वो जल्दी से दीदी के पास आ गए. मैंने देखा कि वो लोग पहले से ही अपने लौड़ों को खड़ा कर के बैठे हैं. मैं अभी दीदी के ऊपर ही लेता हुआ था तो उन्होंने मुझे वहाँ से हटा दिया और मैं उनके पास ही बैठ गया.
सुरेश ने सीधा दीदी के मुँह के अंदर अपना लंड पेल दिया और दीदी के मोटे मोटे स्तनों को जोर जोर से दबाने और चूसने लगा. सतीश भैया ने दीदी की गंदी हो चुकी चूत पर से मेरा वीर्य अपने रुमाल से साफ़ किया और मेरी नंगी बहन की गर्म चूत को चाटने लग गए. उन्हें ये सब करने में कुछ भी बुरा नहीं लग रहा था, बल्कि ऐसा लग रहा था कि ये लोग मेरी कुंवारी दीदी की गैंग बैंग चुदाई करने का ही इंतज़ार कर रहे थे. नंगे सतीश भैया ने थोड़ी देर मेरी नंगी दीदी की गर्म चूत चाटने के बाद अपना 6 इंच का लौड़ा अपने हाथ में पकड़ा और उसे मेरी नंगी दीदी की टाइट चूत पर रख दिया. उन्होंने अपना लिंग गर्म चूत पर थोड़ा रगड़ा और धेरे से अंदर डाल दिया.
नंगे भैया ने बहुत आराम से अपना खड़ा लंड मेरी कुंवारी बहन की टाइट चूत के अंदर डाला जिससे मेरी बदचलन दीदी को ज्यादा दर्द नहीं हुआ. कुछ देर धीरे-धीरे मेरी कुंवारी दीदी की गैंग बैंग चुदाई करने के बाद सतीश भैया ने चुदाई करने की रफ्तार बढ़ा दी. अब मेरी नंगी दीदी भी चुदाई का पूरा मजा लेने लगी. वहीं सुरेश अभी भी दीदी के मुंह को चोद रहा था. दोस्तों मेरी आँखों के सामने मेरी कुंवारी दीदी की गैंग बैंग चुदाई चल रही थी और मैं मेरी नंगी दीदी की गैंग बैंग चुदाई होते देखकर मुठ मार रहा था. कुछ देर बाद सतीश भैया भी झड़ गये मगर उन्होंने अपना वीर्य मेरी बहन की बुर के बाहर ही छोड़ा.
तेज ठंड में गरमी पाने के लिए सतीश भैया भी मेरी कुंवारी बहन की चुदाई करके बहुत ज्यादा थक चुके थे तो वो भी आराम करने के लिए वहीं पास में बैठ गए. तभी सुरेश दीदी की गर्म चूत मारने आ गया. दीदी की लगातार चुदाई हो रही थी. अब तक मेरी बदचलन दीदी को थोड़ा सा आराम भी नहीं मिला था. सुरेश का लंड हम सबसे लम्बा और मोटा था. उसका लंड लगभग 8 इंच का होगा. वो तो मेरी बहन के साथ सेक्स करने के लिए बिलकुल पागल सा हो गया था. पहले तो उसने आराम से दीदी की गर्म चूत में अपना लौड़ा डाला क्यूंकि वो इतना बड़ा था कि दीदी की गर्म चूत में आसानी से नहीं जा रहा था. जब उसे लगा कि उसका लौड़ा आक्रमण करने के लिए तैयार है तो उसने चुदाई करने की रफ़्तार अचानक ही बढ़ा ली. चुदाई करते करते तेज ठंड के मौसम में भी अब उसे गर्मी का अहसास होने लगा था.
मेरी कुंवारी दीदी की गैंग बैंग चुदाई करने के दौरान हम सभी में से किसी ने उनकी इतनी खतरनाक चुदाई नहीं करी थी. उस साले बहन के लौड़े की चुदाई करने की रफ़्तार देख कर हम सब हैरान रह गए. मेरी बदचलन दीदी को बहुत दर्द हो रहा था. मेरी नंगी बहन चुदते चुदते जोर जोर से चिल्लाने लगी पर वो रुकने को तैयार नहीं था. दीदी उसके चंगुल से छूटने की कोशिश कर रही थी. वो उसके लौड़े को अपने हाथों से रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी. पर सुरेश ने दीदी के हाथों को पकड़ लिया और हाथों का सहारा ले कर मेरी बदचलन दीदी को और ज़ोर से चोदने लगा. थोड़ी देर बाद दीदी की चीखें कम हो गयी.
अब दीदी का दर्द मज़े में बदल गया था. दीदी भी अब सुरेश के बड़े लौड़े का साथ दे रही थी. इसने मेरी बदचलन दीदी को बहुत देर तक चोदा और वो भी दीदी की गर्म चूत में ही झड़ गया. वो कुछ देर दीदी के ऊपर ही लेटा रहा और उतनी देर उसका लौड़ा दीदी की गर्म चूत में ही रहा. कुछ देर बाद दीदी ने उसे हटाया. तब मैंने टॉर्च ऑन कर के दीदी की गर्म चूत की तरफ़ की तो देखा कि सुरेश ने मेरी बदचलन दीदी को इतना चोदा था कि उसकी गर्म चूत से खून निकल गया था. हमने दीदी के चूचे भी लाल कर दिए थे. पर दीदी अभी भी एकदम ठीक लग रही थी.
ठंड में गर्मी पाने के लिए अपनी गैंग बैंग चुदाई करवाने के बाद दीदी ने खुद ही उठ कर अपने आपको साफ़ किया और करीब 1 घण्टे बाद दीदी ने फिर सबको उसकी चुदाई करने के लिए कहा. कोई मेरी बहन की गर्म चूत मारने से मना करे ये तो हो नहीं सकता था सबने बारी-बारी मेरी बदचलन दीदी को चोदा और उनकी टाइट चूत के खूब मजे लिए. इस रात हमने 3-3 बार दीदी की गर्म चूत चोदी. 3-3 बार गर्म चूत चुवाने से दीदी की गर्म चूत में दर्द हो गया था तो इसलिए उसके बाद सबके 2-2 बार दीदी की गांड मारी. उस रात हम दीदी की वजह से बच गए. सुबह तक मौसम भी साफ़ हो गया था.
जब हम बाहर निकले तो देखा कि चारों तरफ़ बर्फ़ ही बर्फ़ पड़ी है और अभी भी बहुत तेज ठंड थी. हम सभी यह सोच रहे थे की यदि उस ठंड भरी रात में हम सभी ने मिलकर मेरी सेक्सी दीदी की गैंग बैंग चुदाई नहीं करी होती तो शायद हम जिन्दा नहीं बच पाते. हमें हैरानी तो तब हुई जब हमें पता चला की हमारे टेन्ट उस गुफ़ा से मात्र 500 मीटर की दूरी पर ही थे. ये देख कर हमें बहुत हैरानी हुई. हमने पूरी रात फ़ालतू में ही मेरी बदचलन दीदी को रंडी बनाकर इतनी बुरी तरह चोदा था. ये देख कर सब लोग बहुत हंसने लगे और मुझे बोले की यार कुछ भी बोलो कल रात को हम सभी से अपनी गर्म चूत और मुँह की गैंग बैंग चुदाई करवा कर तेरी बहन बहुत खुश नजर आ रही था.
मेरी दीदी की इतनी खतरनाक गैंग बैंग चुदाई हो गयी थी कि अब उसे चलने में बहुत ज्यादा परेशानी हो रही थी. दोस्तों दीदी का पूरा जिस्म दर्द जरुर कर रहा था मगर मेरी बहन भी ठंड में गर्मी पाने के लिए उस रात अपनी गैंग बैंग चुदाई करवा कर बहुत ही ज्यादा खुश थी. उसके बाद हम वहाँ से जैसे-तैसे निकल गए और वापिस अपाने टेंट में पहुँच गये. वहां होटल में पहुँच कर मैंने सबसे पहले दीदी के लिए गर्भवती न होने वाली दवाई ली और मेरी कुंवारी बहन को खिला दी ताकि दीदी गर्भवती न हो जाये. इसके बाद हम सभी ने एक दिन आराम करा और वहां से सब लोग अलग-अलग हो गए. जाते-जाते उन दोनों ने मेरी बदचलन दीदी को उनके साथ अवैध सेक्स संबंध बनाने के लिए धन्यवाद दिया.
उसके बाद हमने बाकी का शिमला घूमा. इस दौरान दीदी ने मुझे उसके साथ रोज़ चुदाई करने के लिए कहा. ये सुनकर मैं बहुत खुश था. उसके बाद हम शिमला में करीब दस दिन और रहे. इन दस दिनों में हम रात को जिस भी होटल में रुकते वहां एक ही कमरा लेते और रात भर अच्छे से गैंग बैंग चुदाई करते थे मेरी कुंवारी बहन की. आज भी जब मैं और दीदी कहीं अकेले में घूमने जाते हैं तो अवैध सेक्स संबंध जरुर बनाते हैं. तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आप सभी को मेरी ये अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी “अपनी गैंग बैंग चुदाई करवा कर दीदी ने ठंड में मरने से बचाया ” बहुत पसंद आई होगी और आपो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करेंगे…