पति की मृत्यु के बाद अपनी बुर गैर मर्द से चुदवाने लगी हिंदी सेक्स कहानी : हेल्लो दोस्तों मेरी हिन्दी सेक्स कहानी में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है आज में आप सभी को मेरी मेरे ऑफिस में साथ काम करने वाले एक गैर मर्द से चुदवाने की हिन्दी सेक्स कहानी बताने जा रही हूँ. दोस्तों में एक 20 वर्ष की विधवा लड़की हूँ मेरी शादी को अभी सिर्फ 1 वर्ष ही हुए थे की मेरे पति रमेश एक दुर्घटना में चल बसे थे. जब मेरे पति रमेश की मृत्यु हो गई तो मैं बहुत ही अकेली हो गई थी मेरी बुर की प्यास बढती ही जा रही थी पर मेरे पास हस्तमैथुन करने के आलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था. मेरे सास ससुर और ससुराल के सभी लोग मुझे कलमुही समझते थे उनका मानना था की में उनके लिये दुर्भाग्य लेकर आई थी और मेरी वजह से ही उनके बेटे की मौत हुई थी। मुझे इस बात का बहुत ही दुख था कि मेरे ससुराल वाले मुझे कलमुही समझते थे.
शायद उप्पर वाले ने मेरी किस्मत में यही लिखा था और मैंने भी अपने भाग्य में लिखे हुए को स्वीकार कर लिया। मेरे पति की मृत्यु के बाद मनो जैसे मेरी जिंदगी थम सी गई थी मेरे पास कोई ऐसा था जिससे मैं ओपने दिल की बात कर पाती और जिससे में मेरे दुःख दर्द बाटती. मैं बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी थी। मेरा स्वास्थ्य भी ठीक नहीं था मेरे पास किसी भी बात का जवाब नहीं था। कुछ दिनों के लिए मैं अपने मम्मी पापा के पास चली गई थी लेकिन मम्मी पापा के पास जाने से भी मुझे मेरी बातों का जवाब नहीं मिला और मैं अंदर ही अंदर इस बात से परेशान थी कि कहीं मेरी वजह से ही तो रमेश की मृत्यु नहीं हुई है। मैंने अपने पति रमेश की मृत्यु का जिम्मेदार अपने आप को ही ठहराना शुरू कर दिया था.
पति की मृत्यु के बाद अपनी बुर गैर मर्द से चुदवाने लगी हिंदी सेक्स कहानी
जिस स्कूल में मेरे पति जॉब करते थी उसी स्कूल से मुझे मेरे पति की जगह नौकरी का लेटर आ गया और उसके बाद मैंने मेरे पति की जगह स्कूल में नौकरी करनी शुरू कर दी। मेरे आस-पास अब नए लोग मुझे नजर आने लगे थे और माहौल थोड़ा सा बदलने लगा था माहौल के बदलने से मैं थोड़ा बहुत खुश होने लगी थी। मुझे लग रहा था कि अब मैं शायद अपनी जिंदगी को पहले की तरह ही जी पाऊं लेकिन मैं इस बात से बहुत ही ज्यादा परेशान थी कि मेरा जीवन कितना अकेला है। मैं जब अपने ससुराल लौटती तो अपने सास-ससुर का चेहरा देख कर मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था क्योंकि वह लोग अब तक मुझे रमेश की मृत्यु का जिम्मेदार ठहरा रहे थे और मुझे भी इस बात का दुख था कि रमेश की मृत्यु हो चुकी है लेकिन कोई मुझे समझने को ही तैयार नहीं था।
मेरा जीवन जैसे थम सा गया था मेरी जिंदगी अब स्कूल और घर के बीच तक ही सिमट कर रह गई थी मेरे पास और कोई भी दूसरा रास्ता नहीं था कि मैं किसी के साथ बात कर सकूँ या फिर किसी से मैं अपने दिल की बात कह पाऊं। मैं बहुत ही ज्यादा तन्हा और अकेली हो गई थी हमारे ऑफिस में ही संदीप जी काम करते हैं और उनके हंसमुख स्वभाव की वजह से वह सब लोगों को हंसा दिया करते हैं लेकिन मैं उनकी बातों में ज्यादा ध्यान नहीं दिया करती थी और अभी तक मैं अपने आप को पूरी तरीके से उन लोगों के साथ एडजस्ट भी नहीं कर पाई थी।
मैं सिर्फ अपने आप तक ही सीमित रह कर रह गई थी और जब भी कोई मुझसे बात करता तो मैं सिर्फ उसके बातों का ही जवाब दिया करती थी इस बात से मैं बहुत ज्यादा परेशान भी थी। एक दिन संदीप जी ने लंच टाइम में मुझसे पूछा कि सुलेखा मैडम आपकी आंखों में मुझे देख कर लगता है कि आप बहुत ज्यादा परेशान है तो मैंने उस दिन संदीप जी को अपने दिल की बात कह दी जैसे मैं उनके मुंह से यह बात सुनने के लिए बेताब थी की वह मेरे बारे में कुछ तो पूछे। मैंने उन्हें अपने बारे में सब कुछ बता दिया उन्हें यह बात तो मालूम थी कि मेरे पति की मृत्यु हो चुकी है लेकिन उन्हें मेरे अंदर की पीड़ा मालूम नहीं थी मैंने जब उन्हें अपनी तकलीफ़ को बताना शुरू किया तो उन्होंने मेरा बहुत साथ दिया।
एक गैर मर्द जिसका नाम संदीप है उसने मेरा इतना साथ दिया कि शायद उनकी जगह कोई और होता तो मुझे कभी समझ नहीं पाता संदीप जी मुझे हमेशा ही समझाते रहते और उनकी बातें जैसे मेरे दिमाग पर सीधा असर करती थी। मुझे संदीप जी से बात करके बहुत अच्छा लगता था उन्होंने ही कहीं ना कहीं मुझे इस सदमे से बाहर करने में मेरी मदद की। मैं अब इस सदमे से तो बाहर आ चुकी थी लेकिन शायद मेरे पास अभी तक कोई भी ऐसा नहीं था जो कि मुझे समझ पाता या फिर मेरी भावनाओं को वह समझ कर मुझे कुछ कह पाता लेकिन संदीप जी जो की एक गैर मर्द थे उनके मेरे जीवन में आने से मेरे जीवन में बहुत परिवर्तन होने लगा।
उन्होंने मुझे बताया कि कैसे मुझे अपने सास-ससुर का ध्यान रखना चाहिए मैं बिल्कुल उन्हीं की बातों का आचरण करने लगी और सब कुछ मेरे जीवन में जैसे ठीक होने लगा था। मेरे सास ससुर भी मुझे अब प्यार करने लगे थे मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वह लोग मुझे प्यार करेंगे सब कुछ इतनी जल्दी में हो रहा था कि मेरे लिए तो यह किसी सपने से कम नहीं था। संदीप जी का मैं दिल से शुक्रगुजार थी कि उनकी वजह से ही तो मैं अब पूरी तरीके से ठीक हो पाई हूं इसलिए संदीप जी के साथ मैं ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करती थी। (पति की मृत्यु के बाद अपनी बुर गैर मर्द से चुदवाने लगी हिंदी सेक्स कहानी)
जब भी वह गैर मर्द ऑफिस में होता तो हमेशा ही वह मजाकिया अंदाज में नजर आता था. उनके मजाक करने का तरीका सब लोगों को अच्छा लगता था और सब लोग उनसे बहुत खुश रहते थे। मेरे जीवन में सिर्फ संदीप की ही अहम भूमिका थी संदीप एक गैर मर्द था किन्तु उनके अलावा मैं किसी से भी ज्यादा बात नहीं करती थी क्योंकि मुझे लगता था कि शायद संदीप के अलावा मुझे कोई भी समझ नहीं पाता है। मैंने संदीप को अपना सब कुछ बना लिया था वह मेरी हर एक जरूरतों को समझते भी थे।
एक दिन मैंने उस गैर मर्द को अपने घर पर बुलाया उस दिन संदीप मेरी तरफ ही देख रहे थे मेरे सास-ससुर उस दिन कहीं बाहर गए हुए थे मै ही घर पर नहीं थी। मैं संदीप को उनसे पहले भी मिलवा चुकी थी जब संदीप मेरी तरफ देख रहे थे तो मैंने उनसे पूछा आप मुझे ऐसे क्या देख रहे हैं तो वह कहने लगे कि आपकी सुंदरता को मैं निहार रहा था। उन्होंने मेरी सुंदरता की बहुत ज्यादा तारीफ कर दी थी जिससे कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना पाई जब संदीप ने अपने हाथ को मेरी जांघ पर रखा तो मैं चुदवाने के लिये मचलने लगी थी।
काफी समय बाद मैंने किसी के बारे में अपने मन में ऐसे ख्याल पैदा किए थे. चुदवाने के जो ख्याल मेरे मन में पैदा हो चुके थे वही संदीप के मन में भी चल रहे थे। संदीप ने मेरे मोटे मोटे बोबों को दबाना शुरू किया तो मैं उठकर संदीप की गोद में चली गई। संदीप का लंड खड़ा होने लगा था संदीप का लंड मेरी बुरडो से टकराने लगा था मैं समझ गई थी संदीप बिल्कुल भी नहीं रह पाएंगे और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रही थी। मैंने संदीप के काले मोटे लौड़े को बाहर निकाला उसे जब मैं अपने हाथों से हिलाने लगी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था संदीप और मैंने कभी भी एक दूसरे के बारे में ऐसा सोचा नहीं था लेकिन उस वक्त ऐसी स्थिति पैदा हो चुकी थी कि हम दोनों ही कुछ सोच नहीं पा रहे थे।
ना ही मैं कुछ सोच पाई और ना ही संदीप कुछ सोच पा रहे थे। मैंने उनके काले मोटे लौड़े को हिलाना शुरू किया और काफी देर तक मैं संदीप के काले मोटे लौड़े को अपने हाथों से हिलाती रही। संदीप का लंड पूरी तरीके से तन कर खड़ा हो रहा था वह मुझे कहने लगे कि मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। संदीप के मोटे और काले लंड को मैंने अपने मुंह के अंदर समा लिया संदीप का लंड मेरी मुंह के अंदर घुस चुका था अब मैं उसे बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी। मैं अपनी जीभ से संदीप के काले मोटे लौड़े को चाटती तो वह बहुत ज्यादा खुश हो जाते। संदीप ने मुझे उठाते हुए बिस्तर पर लेटा दिया संदीप ने मेरे सूट को उतारकर मेरी ब्रा को उतार दिया। ब्रा खुलते ही मेरे बोबे खुली हवा में मस्ती से झुमने लगे.
उसके बाद उन्होंने कुछ देर मेरे मोटे मोटे बोबों का रसपान किया जब वह अपने लम्बे मोटे लौड़े को मेरे दोनों मोटे मोटे बोबों के बीच में रगड़ने लगे तो मुझे अच्छा लग रहा था मेरी बुर से काम रस बाहर की तरफ को निकलने लगा था मैं अपने आपको बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रही थी मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी। संदीप ने मेरी उत्तेजना को उस वक्त और भी बढ़ा दिया जब वह मेरी बुर को चाटने लगे वह मेरी बुर को बड़े ही अच्छे तरीके से चाट रहे थे और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। संदीप ने मेरी बुर के अंदर अपने लम्बे मोटे लौड़े को घुसाया तो संदीप का लंड मेरी बुर के अंदर आसानी से जा चुका था क्योंकि मेरी बुर पूरी तरीके से गिली हो चुकी थी और गीली हो चुकी चूत के अंदर लंड आसानी से चला गया था।
मुझ विधवा लड़की को एक गैर मर्द से अपनी बुर मरवाने में बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था मैंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा किया तो संदीप मुझे और भी तेजी से धक्के मारने लगे संदीप के धक्के में भी तेजी आने लगी थी और वह मुझे कहने लगे कि मुझे आपकी गरमा गरम चूत को महसूस करने में मजा आ रहा है। उन्होने बहुत देर तक मेरी बुर मारी मेरी बुर का उन्होंने भोसड़ा बना कर रख दिया था लेकिन मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैं अपने मुंह से लगातार सिसकियां ले रही थी और वह भी बहुत खुश नजर आ रहे थे। उस गैर मर्द ने अपने लम्बे मोटे लौड़े पर तेल की मालिश करते हुए मेरी गांड के अंदर अपने लम्बे मोटे लौड़े को धीरे धीरे घुसाना शुरू किया पहले तो मेरी गांड में उनका लंड आसानी से नहीं जा रहा था।
जैसे ही उस गैर मर्द का काला मोटा लंड मेरी गांड के अंदर गया तो मुझे बहुत तेज दर्द होने लगा और दर्द के मारे मै चिल्लाने लगी वह बड़ी अच्छी तरीके से मेरी गांड मार रहे थे। करीब एक घंटे तक मेरी गांड मारने के बाद उन्होंने मेरी गांड के अंद अपने गरमा गरम वीर्य को भर दिया। दोस्तों अब में पति की मृत्यु के बाद गैर मर्द से अपनी बुर चुदवाने लगी थी और वो अब मेरे पति की कमी पूरी कर दिया करता था. शुरू शुरू में उस गैर मर्द से अपनी बुर चुदवाने में मुझे थोड़ी झिजक हुआ करती थी किन्तु अब लगातर कई महीनो तक उनके साथ सेक्स करने के बाद अब मुझे उस गैर मर्द से चुदवाने में बहुत आनंद आता है और मेरे अंदर की सारी झिझक और शरम अब ख़त्म हो चुकी है. दोस्तों आप सभी को मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी ” पति की मृत्यु के बाद अपनी बुर गैर मर्द से चुदवाने लगी हिंदी सेक्स कहानी “ कैसी लगी निचे लाइक बटन पर क्लिक करके जरुर बताना.