दादी चुपचाप चूत चुदवाती रहीं मेरे लंड से रात में हिंदी सेक्स स्टोरी : दोस्तों में इतना हरामी किस्म का लड़का हूँ के मैंने अपनी सगी दादी माँ को भी चोद डाला मैंने उनकी बुड्डी चूत को खूब मजे ले लेकर चोदा. गर्मी की वजह से एक दिन दादी मेरे साथ छत पर सोने चली गईं. रात को वो गहरी नींद में थीं और इसका फायदा उठाकर मैंने अपना लन्ड साफ कर लिया…

हेलो दोस्तों, मेरा नाम प्रदीप है. मैं अपने परिवार के साथ रहता हूँ. हमारे साथ ही मेरे बड़े पापा भी रहते हैं. उनके दो लड़कियां हैं, जिनका नाम रेखा और सुषमा है और वो भी हमारे साथ ही घर पर रहती हैं. रेखा और सुषमा दोनों जुड़वा हैं और भगवान ने दोनों को बिलकुल रंडी जैसा ही बनाया है. उनका साइज भी एक जैसा ही 34 28 30 का है. वैसे मेरी बड़ी मम्मी भी कोई कम नहीं हैं. दिखने में वो भी गजब की खूबसूरत हैं. उनका फिगर 36 30 32 का है.

जब मैंने अपनी बुड्डी दादी की चूत को चोदा था तब मैं 12 वीं में था गर्मियों के दिन थे और मैं छुट्टियां काट रहा था. मेरे बड़े पापा की दोनों बेटियां उन दिनों सबके साथ नीचे सोती थीं और मैं ऊपर.

एक दिन रात में करीब 12 बजे मेरी नींद खुली तो मुझे बहुत तेज प्यास लग रही थी. जिसकी वजह से मैं पानी पीने के लिए नीचे गया. तभी मैंने देखा कि बड़ी मम्मी (दादी) भी जाग रही हैं और इधर – उधर करवट ले रही हैं. लाइट थी नहीं, इसलिए शायद मच्छर काटने की वजह से जाग रही थीं.

मुझे नीचे देख कर रंडी दादी बोलीं – प्रदीप मैं भी छत पर चलती हूँ और वहीं सो जाती हूँ. शायद आज लाइट कहीं से बिगड़ गई है, काफी देर से आई नहीं. फिर मैंने पानी पिया और दादी के साथ छत पर चला गया.

ऊपर मस्त हवा चल रही थी. इसलिए छत पर लेटते ही मुझे नींद आ गई. रात में करीब 1:30 बजे मेरी नींद फिर खुली तो मेरी नज़र दादी पर पड़ी. दादी ने सिल्क मैक्सी पहन रखा था और चांद की रोशनी में बहुत मस्त लग रही थीं. वो नींद में थीं. उन्होंने अपना एक पैर समेट रखा था और दूसरा पैर मेरे ऊपर रखा हुआ था. पैर बेतरतीब होने के कारण उनकी मैक्सी घुटने तक उठी हुई थी.

वो पूर्णिमा की रात थी. इस वजह से उनकी सिल्की मैक्सी में उनके उरोज झलक रहे थे. उनके उरोजों को देख कर एक बार तो मेरा मन हुआ कि उन्हें पकड़ के मसल दूं लेकिन अगले ही पल मुझे लगा कि ऐसा करने पर अगर दादी जाग गईं तो मेरी मां – बहन एक हो जाएगी.

अब मुझे नींद नहीं आ रही थी. फिर मैं बिस्तर से उठा और थोड़ी देर इधर – उधर टहलता रहा. करीब 20 मिनट बाद मैं दादी के पास गया और उन्हें हिलाया लेकिन वो नहीं जगीं. शायद वो गहरी नींद में थीं. यह देख फिर मैं उनके बगल में लेट गया और उन्हें देखने लगा. मेरी अभी भी हिम्मत कुछ करने की नहीं हो रही थी.

कुछ देर इसी तरह पड़े रहने के बाद मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उनकी दाहिनी चूची पर रख दिया. दोस्तों, अब मेरी हालात एक दम खराब हो चुकी थी. मुझसे बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हो रहा था. उनके बूब्स का आकर हैंडबॉल के जैसा था और वह मेरे हाथ में आ ही नहीं रहा था.

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खैर, फिर जितना पकड़ में आया मैंने पकड़ा और दबाना शुरू कर दिया. उनके बूब्स दबाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने देखा कि उनकी तरफ से कोई रिएक्शन नहीं हो रहा है तो मैं उन पर टूट पड़ा और फिर शुरू हो गई मेरी जीवन की पहली सेक्स यात्रा.

फिर मैंने धीरे से उनके मैक्सी की चेन खोल दी और उसे साइड में कर के नीचे कर दिया. अब वो मेरे सामने पिंक ब्रा और पैंटी में थीं. इन छोटे कपड़ों में वो बहुत ही आकर्षक नज़र आ रही थीं. ऊपर से पूर्णिमा का चांद और उसकी चांदनी उनकी खूबसूरती को और निखार रहा था.

उनकी अंडर गारमेंट्स बिल्कुल ट्रांसपैरेंट थे. इन कपड़ों में से उनके बूब्स के निप्पल झलक रहे थे. चांदनी रोशनी में उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे वो कह रहे हों आओ और आकर मुझे चूस लो, मेरा सारा रस निकाल लो.

फिर मैंने जल्दी से उनकी ब्रा को भी नीचे कर दिया. अब उनके बड़े – बड़े मम्मे बिल्कुल नंगे हो गए थे और मेरे सामने थे. उनके गोरे – गोरे मम्मों पर गुलाबी निप्पल चांद की चांदनी में अद्भुत छटा बिखेर रहे थे. फिर मैंने उनके एक निप्पल को हाथों में लिया और दूसरे पर मुंह लगा कर उसका रस पान करने लगा.

मेरे ऐसा करने पर दादी थोड़ी हिलीं. इस पर मेरी फट के हाथ में आ गई और मैं झट से नीचे आ गया. लेकिन वे उठी नहीं. फिर कुछ देर मैं पड़ा रहा. लेकिन खड़ा लन्ड कब तक शांत रहता और वो भी जब उसके सामने सामने उसकी भूख मिटाने वाला आइटम रखा हो.

फिर मैं दादी की स्तनों पर झपटा और मस्ती में चूसने लगा. ये मेरा पहला अनुभव था, इसलिए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं मस्त होकर करीब 10 मिनट तक दादी के मम्मों को एक – एक करके चूसता रहा.

अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था. मुझे लगने लगा कि ऐसे ही करता रहा तो मेरा लन्ड अपना पानी छोड़ देगा और मैं दादी की चूत नहीं मार पाऊंगा. इतना ख्याल आते ही मैंने उनके मम्मों को चूसना छोड़ दिया और हाथ नीचे करके उनकी पैंटी खींच कर नीचे कर दी.

दादी की पैंटी नीचे करने के बाद मैं अपना 6 इंच का लम्बा लन्ड उनकी चूत पर रगड़ने लगा. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसे उनकी चूत के अंदर सरका दिया. उनकी चूत काफी गर्म थी और पानी छोड़ रही थी. लन्ड अंदर जाने के बाद मुझे असीम आनंद आया और ऐसा लगने लगा जैसे मैं जन्नत में पहुंच गया हूँ.

इसके बाद मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिया. धीरे – धीरे मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ती गई और मैं राजधानी एक्सप्रेस जैसी स्पीड से उनकी चुदाई करने लगा. मेरे इतना करने के बावजूद इस बार दादी ने कोई हरकत नहीं की. हालांकि, मुझे लग जरूर रहा था कि वो जग रही हैं और मज़ा ले रही हैं. लेकिन उन्होंने ऐसा जाहिर होने नहीं दिया

अब मेरा पानी निकलने वाला था. मेरी आंखें बैंड हो गई और फिर 5-6 धक्कों के बाद मैं मेरी बुड्डी दादी की चूत में झड़ गया. मेरा सारा वीर्य बुड्डी दादी की चूत में भर गया. इसके बाद मैं निढाल होकर उनके बगल में लेट गया और फिर मुझे पता ही नहीं चला कि कब आंख लग गई और मैं नींद के आगोश में चला गया.

सुबह हुई. सूरज मेरे सर के ओर चमकने लगा था. इस कारण जब मेरी नींद खुली तो मुझे याद आया कि मैंने दादी की मैक्सी बन्द ही नहीं की थी और न ही उनकी पैंटी और ब्रा को बन्द किया था. याद आते ही मैंने अपने बगल में देखा तो दादी नहीं थीं, इस पर मेरी फट के हाथ में आ गई. मुझे लगा कि अब तो आज मेरी ठुकाई होनी ही है. डर की वजह से मैं काफी देर तक नीचे नहीं गया.

थोड़ी देर बाद दादी ने मुझे आवाज लगाई और कहा उठ और जल्दी से नीचे आकर नगा ले, मैं नाश्ता लगा देती हूँ. अब मैं डरते हुए नीचे आया तो दादी रसोई में थी और नाश्ता तैयार कर रही थीं. मैं दादी से नज़र नहीं मिला पा रहा था.

फिर मैं जल्दी से बाथरूम में गया और नहाकर बाहर आ गया. तब तक दादी नाश्ता तैयार कर चुकी थीं. फिर उन्होंने मुझे नाश्ता दिया और मेरे पास आकर बैठ गईं. उन्हें अपने पास देख मैंने मन ही मन कहा – बेटा प्रदीप आज तो तेरी खैर नहीं है, तू तो गया.

तभी दादी ने ऐसा कुछ कहा जिसे सुन कर मेरा डर खत्म हो गया. दादी ने कहा – बेटा प्रदीप मुझे माफ कर दे. मैंने कहा कि क्या हुआ? तो उन्होंने कहा – कल रात जो कुछ हुआ, उसमें मेरी कोई गलती नहीं, मैं गहरी नींद में थी और तुझे तेरा बड़े पापा समझ बैठी इस वजह से रात में जो कुछ उल्टा – सीधा हुआ उसे प्लीज किसी से कहना नहीं. नहीं तो बहुत बदनामी होगी.

इस पर मैं मन ही मन मुस्कराया और भगवान को शुक्रिया बोला. इसके बाद मैंने दादी से कहा – अपने मेरे साथ गलत किया है मैं इसके बारे में बड़े पापा से जरूर बताऊंगी. तो वह थोड़ा डर गईं और मुझे मनाने लगीं. फिर उन्होंने मुझे 10000 रुपये दिए और किसी से न बताने पर मन चाही चीज देने का वादा किया.

दोस्तों, अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मेरी मनचाही चीज क्या थी. खैर, मैं बता ही दूं, मैं उनके साथ – साथ उनकी दोंनो बेटियों को भी चोदना चाहता था. फिर मैंने उनके सामने ये शर्त रखी. पहले तो उन्होंने मुझे मना कर दिया लेकिन फिर जब मैंने धमकी दी तो मान गईं और बोलीं जो कुछ कर सकेंगी करेंगी लेकिन अपनी बेटियों की चूत को मेरे लन्ड से जरूर फड़वाएंगी.

यह सुन कर मैंने उन्हें किस किया और उनके मम्मों को दबाने लगा. उनकी बेटियों को कैसे मैंने उनकी मदद से चोदा और उन्हें कली से फूल बनाया ये सब अगली कहानी में. आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी – [email protected]

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