जंगल में चार आदिवासी औरतों की चुदाई करी Outdoor Sex Story In Hindi : मेरा नाम समीर है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मैं रेगुलर जिम करता हूँ इसीलिए दिखने में मैं काफी आकर्षक हूँ. चार विधवा आदिवासी औरतों के साथ जंगल में मंगल करने की यह घटना एक दम सच्ची घटना है. बात आज से करीब एक साल पहले की है जब मैं अपने दोस्तों के साथ उत्तरप्रदेश के जंगलों में कैम्पिंग के लिए गया हुआ था. हम सभी दोस्त जंगलों में घूम रहे थे की तभी मुझे बहुत तेज का पेशाब लगा और मैं रुककर मुतने लग गया मैंने सुनसान जंगल का फायदा उठाने की सोचा और पेशाब करने के बाद हस्तमैथुन करने लगा और फिर हस्तमैथुन करके अपने दोस्तों को तलाशने निकल पड़ा.
दोस्तों जंगल में मुठ मारने के चक्कर में मैं अपने दोस्तों से बिछड़ गया था मैंने उन्हें बहुत ढूंढा पर उन्हें तलाश नहीं पाया. जंगल में इधर उधर भटकते हुए मैं जा ही रहा था की मुझे एक नदी दिखी. मुझे पानी की प्यास लगी थी तो मैं नदी में पानी पिने के लिए उस नदी के पास जाने लगा. वैसे भी मेरा सारा खाने पीने का सामान मेरे ग्रुप के साथ मुझसे बिछड़ चूका था. मैं पानी पीने के लिए झुका ही था की अचानक नदी के पानी में से एक मगरमच्छ मेरी तरफ झपटा. इससे पहले की मैं खुद को संभल पाता, मुझे एक धक्का लगा और मैं बाजु में गिर पड़ा.
जंगल में चार आदिवासी औरतों की चुदाई करी Outdoor Sex Story In Hindi
अचानक से मेरी दिशा बदलने की वजह से मैं मगरमच्छ के मुंह का निवाला बनने से बच गया और फिर मगरमच्छ वापस पानी में चला गया. मैंने उठ कर देखा तो एक बहुत ही खुबसूरत आदिवासी लड़की थी जिसने मुझे उस मगरमच्छ के मुह का निवाला बनने से बचाया था. वो करीब अठारह साल की पतली सी थी. उस महिला के छोटे छोटे बोबे पेड़ के पत्तों से ढके हुए थे उसके और नीचे का हिस्सा भी पत्तों के कपड़ों से ही ढाका हुआ था. फिगर मस्त था उसका और वो नैचुरली खुबसूरत लग रही थी. मैंने उसको थैंक यू बोला लेकिन शायद उसे मेरी भाषा समझ नहीं आई. फिर मैंने उसे इशारों में समझाने की कोशिश की.
इस बार शायद उसे समझ में आ गया और वो बदले में मुस्कुरा पड़ी. उस सेक्सी जंगली लड़की की वो मुस्कान इतनी प्यारी थी की शब्दों में बयां नही सकता दोस्तों उसकी मुस्कार ने सीधा मेरे दिल पर वार करा था और मुझे उससे मोहब्बत हो गई. फिर मैंने उस खुबसूरत आदिवासी लड़की को इशारों में बताया की मैं इस घने जंगल में अपने दोस्तों से बिछड़ चूका हूँ और भूका और प्यासा हूँ. उस सेक्सी आदिवासी लड़की ने मुझे अपने साथ आने को कहा. मैं उसके पीछे पीछे चलने लगा. फिर वो मुझे एक तालाब पर ले गयी. वहां का पानी बहुत साफ़ और ठंडा था. मैंने जी भर कर पानी पिया.
फिर उस आदिवासी लड़की ने पास में ही लगे जंगली फल मुझे खाने को दिए. फिर हम दोनों वहीँ बैठ गये. धीरे धीरे शाम हो गयी. बैठे बैठे मेरी आँख लग गयी थी. जब अचानक से मेरी आँख खुली तो मैंने देखा की वो खुबसूरत आदिवासी लड़की अपने तन से सरे कपड़े उतार कर उस तालाब में नंगी नहा रही है. वो तराशा हुआ बदन तालाब के साफ़ पानी में काफी हद तक दिखाई दे रहा था मुझे. क्या मस्त शरीर था उस जंगली लड़की का. चढ़ती हुई जवानी देख कर किसी भी मर्द का सोया हुआ लंड खड़ा हो जाये.
उस जंगली लड़की की कमसिन जवानी देख कर मुझसे कंट्रोल नही हुआ और मैंने भी अपने कपडे उतारे और पीछे से तालब में घुस गया और जा कर उस नंगी आदिवासी लड़की को पीछे से पकड़ लिया. वो मेरी तरफ मुड़ी और गुस्सा होने लगी. फिर मेरी सेक्सी बॉडी देख कर शायद उसका भी मन ललचा गया इसीलिए उसका गुस्सा मुस्कान में बदल गया. मैंने उसके हाथ पकड़े और उसके करीब आ गया. अब मैंने अपने होठ धीरे से उसके होठों पर रख दिए और किस करने लगा. उसने भी अपनी आँखे बदन कर लीं और मुझे चूमने लगी. उसके गुलाबी गुलाबी होठ बहुत सॉफ्ट थे.
मैंने उसे चूमना जरी रखा और फिर धीरे धीरे उसकी सूराई जैसी गर्दन पर चुम्मा चाटी करने लगा. वो जंगली लड़की भी अपने कोमल से हाथ मेरे शरीर पर फिराने लगी. मैंने उसकी पतली कमर को पकड़ा और उसके कन्धों को चुमते हुए उसकी छाती पर लटके दो प्यारे छोटे छोटे बोबों पर आ गया. बड़े सलीके से मैंने उसके छोटे छोटे बोबों के नुकीले नुकीले निप्पल को अपने मुंह में लिया और चूसने लगा.
उसने एक ठंडी सी आह भरी और आंखें बंद कर लीं. अब मैं उस आदिवासी औरत के एक बोबे के निप्पल को चूस रहा था और दुसरे बोबे की निप्पल को अपने हाथ से धीरे धीरे सहला रहा था. वो आदिवासी लड़की लगातार अपने हाथ मेरे शरीर पर फेर रही थी और मेरा साथ दे रही थी. अब मैं उसका दूसरा दूध चूसने लगा. धीरे धीरे उसके दूध को चूसते हुए अपना हाथ नीचे ले जाने लगा. उस आदिवासी लड़की की चिकनी चूत पर हलके हलके बाल थे जो इस और इशारा कर रहे थे की ये लड़की अभी ज्यादा उम्र की नहीं है.
हम दोनों अभी भी पानी में ही थे . मैंने उसकी चूत पर हाथ फिराना शुरू कर दिया. वो आदिवासी लड़की मदहोश हो गयी. उस आदिवासी लड़की की चूत पर जो झांट के बाल थे वो बहुत सॉफ्ट थे इसीलिए मुझे कोई खास दिक्कत नही हो रही थी. अब मैं उसको वापस उसके होठों पर किस करने लगा और धीरे से अपनी एक ऊँगली उसकी चूत के खड्डे में घुसा दी. अपनी चूत के अंदर मेरी ऊँगली की ठेस लगते ही वो चिहुंक पड़ी. मैंने किस करना जरी रखा और उसकी चूत में घुसी ऊँगली को अन्दर बाहर करने लगा और अपनी ऊँगली की मदद से उसकी चूत की चुदाई करने लगा.
अब वो मेरी ऊँगली से अपनी चूत की चुदाई करवाते हुए अपने मुह से धीरे धीरे आआअ आह ह्ह्ह्ह… उमह… आह… आह… करने लगी और अपनी जंगली भाषा में कुछ शब्द बोलने लगी जो मुझे समझ नही आये. मैंने उसकी चूत में ऊँगली करना जारी रखा और उसको किस करता रहा. थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद हम दोनों तालाब से बाहर आ गये | वहां की घाँस बड़ी कोमल थी इसीलिए मैंने उस आदिवासी लड़की की चूत चुदाई करने के लिए उसको घाँस पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसको किस करने लगा.
काफी देर तक किस करने के बाद मैंने चूत चोदने के लिए उस नंगी आदिवासी लड़की के दोनों पैर फैलाये और अपना लंड उसकी चूत के मुह पर टिका दिया. वो 18 साल की खुबसूरत लड़की मेरा तगड़ा लंड देखकर चौकन्नी हो गयी शायद उसने इतना लम्बा और मोटा लंड अपनी जिन्दगी में पहली बार देखा था. मैंने अपने लंड पर थोडा सा थूक लगाकर हल्का सा धक्का दिया और अपने लंड का टोपा उसकी चूत के अन्दर कर दिया. वो ये झटका झेल नही पायी और दर्द के मरे बहुत जोर से चिल्ला कर रो पड़ी.
मैंने घबराकर अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकल लिया और उसको नार्मल करने के लिए उसको किस करने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने फिर से अपना लंड उस आदिवासी लड़की की चूत पर टिकाया और इस बार आधा लंड अन्दर कर दिया. वो लड़की फिर से दर्द के मारे जोर जोर से चीखने लगी और रोने लगी. मैंने सोचा की इस घने जंगल में इसकी चिंखें सुनने वाला कौन है इस लिए अबकी बार मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर नहीं निकाला बस ऐसे ही अपना लंड उसकी चूत में फसाकर पड़ा रहा और फिर थोड़ी देर के बाद मैंने अपना पूरा लंड एक झटके के साथ उसकी चूत में घुसेड दिया.
वो आदिवासी लड़की दर्द के मारे बिलख पड़ी. फिर मैंने अपना लंड निकाल लिया तो देखा की मेरे लंड पर खून लगा हुआ है. मैं समझ गया की यह 18 साल की जवान लड़की आज तक वर्जिन थी उसकी सील नही टूटी थी और आज मेरे लंड से ये शुभ काम हुआ है. मैंने लड़कियां बहुत चोदी थीं लेकिन कभी किसी वर्जिन लड़की की सील नही तोड़ी थी मैंने. मैंने थोडा नोर्मल किआ और थोड़ी देर बाद फिर से धीरे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया. अब धीरे धीरे मैंने उसकी कसी चूत को चोदना शुरू कर दिया |
वो 18 साल की जवान लड़की मुझसे चुदवाते चुदवाते रो भी रही थी और आह… आह… उमह… आई… आह… आउच… आह… आह कर रही थी. वो काफी शब्द ऐसे बोल रही थी जो मुझे समझ नही आ रहे थे | जब मैंने देखा की वो नार्मल हो गयी है और अब उसे भी मजा आ रहा है तो मैंने उस 18 साल की जवान लड़की की चूत को चोदने की स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से चोदने लगा. अबी उसने जोर जोर से आआ ऊऊ ऊ उ ऊ ऊ ऊ… उईई ईई ई इ करना शुरू कर दिया.
उसकी ये मादक चीख सुनकर मुझे और जोश आ गया और मैंने और तेज से उसकी चूत को चोदने लगा. वो आआ आः ऊऊ ईई उईई इ ओह्ह्ह ह हह ह ह्ह्ह्ह हह ह ह हह ह इ उ ऊ उ ऊऊ उ ऊऊउ ईईइ इ ईईइ ई इ ओह्ह ह हह ह ह हह हह ह्ह्ह हह ह्ह्ह्ह ह किये जा रही थी. थोड़ी देर तक अपनी वर्जिन चूत चुदवाने के बाद बाद वो 18 साल की जवान लड़की झड गयी. अभी मेरा झड़ना बाकि था तो मैंने उसकी फटी हुई खून से संदी चूत को जोर जोर से चोदना जारी रखा और उसने दर्द के मारे चिल्लाना भी चालू रखा.
मै उस 18 साल की जवान आदिवासी लड़की के साथ जंगल में मंगल कर ही रहा था की तभी मेरी नजर एक रौशनी पर पड़ी. वो रौशनी हमारे करीब आ रही थी. थोड़ी देर बाद वो रौशनी और पास आ गयी तो मैंने देखा की 5 आदिवासी मशाल लिए आ चुके थे और उन्होंने मुझे उस औरत की चुदाई करते देख लिया था. मेरा लौड़ा अभी भी उस आदिवासी औरत की चूत में ही था इसीलिए मैं अपनी सफाई में कुछ कह नही सकता था | वैसे भी मेरी और उन आदिवासीयों की भाषा आलग आलग होने की वजह से मैं कुछ बोल नही पाया. इशारों इशारों में उन लोगों ने मुझे उनके साथ चलने को बोला. मेरे पास और कोई चारा नही था इसीलिए मैंने कपडे पहने और उनके साथ चल दिया.
मैं उन लोगों के साथ चलने लगा. काफी देर चलने के बाद मुझे एक जगह पर ले जाया गया जहाँ पर बीच में आग जल रही थी और काफी आदिवासी लोग जिनमे आदमी और औरते भी थीं वहां मजूद थे. उन लोगों ने भी उस लडकी की तरह पत्ते के कपडे पहन रखे थे. वहां एक बुध आदिवासी भी था जिसे किस्मत से थोड़ी थोड़ी हिंदी आती थी. उसने मुझे बताया की जिस औरत की मैं चुदाई कर रहा था वो इस आदिवासी कबीले के सरदार की कुँवारी बेटी थी. मैं समझ गया की आज मेरी माँ चुदने वाली है. वहां फिर थोड़ी देर बाद एक तगड़ा सा आदमी आया. मैं समझ गया की वो ही इन आदिवासीयों का सरदार है. वो गुस्से में था और अपने लोगों से अपनी भाषा में कुछ बोल रहा था.
मैंने उस बूढ़े आदिवासी से कहा की कुछ भी करके मेरी सजा थोड़ी कम करवा दे और मेरी जान बक्श दे. उस बूढ़े ने अपने सरदार से बात की और उसे समझाने की कोशिश की. काफी देर बाद सरदार बोला कुछ और फिर बूढ़े ने मुझे बताया की मुझे एक अजीब सी सजा मिली है. मेरे पूछने पर उसने बताया की उन पांच आदिवासियों ने सरदार को बता दिया था की मेरा लौड़ा काफी लम्बा और मोटा है. इसिलए जो मुझे सजा मिली है वो ये है की कबीले की चार विधवा औरतों की चूत चोद के उन्हें खुश करना है. तभी मुझे वहां से जाने देंगे वरना मुझे जान से मार देंगे. मेरे पास उन विधवा आदिवासी औरतों की चुदाई करने के अलावा और कोई दूसरा चारा नही था. और हाँ, ये सब भी उन सभी आदिवासी लोगों के सामने करना था.
मुझे सभी के सामने उन चार विधवा औरतों को चोदने में बहुत शर्म आ रही थी और डर भी लग रहा था लेकिन मेरे पास कोई दूसरा रास्ता न होने की वजह से मैं उन विधवा आदिवासी औरतों के साथ सेक्स करने के लिए मान गया | फिर मुझे आजाद करा गया और उन तीनों विधवा औरतों को मेरे लंड से चुदवाने के लिए बुलाया गया. उन सब में से एक की उम्र लगभग तीस होगी और बाकी तीनो बीस से 25 के बीच में होंगी. सरदार के आदमियों ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे उन विधवा आदिवासी औरतों को चोदने के लिए पूरा नंगा कर दिया.
अब वो आदिवासी औरतें भी मुझसे चुदवाने के लिए अपने कपड़े उतार कर नंगी होने लगीं. नंगी हो जाने के बाद वो चरों मुझे लिटा कर मेरे लंड से खेलने लगीं. मैं डर रहा था इसीलिए मेरा लौड़ा उस टाइम सो रहा था लेकिन इन औरतों के मादक स्पर्श से फिर से खड़ा होने लगा था. जैसे ही मेरा लौड़ा पूरा खड़ा हुआ, वो सभी आदिवासी औरतें खुश हो गयी और आपस में कुछ कहने लगीं. अब उनमे से एक जो की सबसे ज्याद उम्र की थी वो लेट गयी और इशारों में मुझे उसके ऊपर उप्पर चड़ाई करके अपनी चूत की चुदाई करने को बोला. मैं उस आदिवासी औरत का इशारा समझ गया. मैं उसके ऊपर गया और उसकी चूत में अपना लंड एक ही झटके में डाल दिया.
मेरा लंड उसकी चूत में घुसते ही वो दर्द के मारे बहुत जोर से चिल्ला पड़ी आह… यूईईई……. मैंने उसकी दर्द भरी चीखों को अनदेखा कर दिया और अपना लौदा उसकी चूत में डाले रखा. फिर मै पूरी ताकत के साथ उसकी विधवा चूत को चोदने लगा. थोड़ी देर दर्द से कराहने के बाद वो मस्ती से चुदवाने लगी और सेक्स करने में मेरा साथ देने लगी. वो बड़ी ही मादक तरीके से आः हह ह हह इह… ओऊ ह हह ह ह हह ह ह्ह्ह्हह ऊ ऊ उ उ उ ऊऊ उई इ ईई इ ईईई ह्ह्ह्हह हू उ ऊ उ ऊऊ ऊऊ उ ऊ उ उ ऊ ई इ इः आह्ह्ह हह ह ह्ह्ह ह ह्ह्ह्ह ह हह ह ह्ह्ह्हह हूउईइ इ ई इ इ इ इ करने लगी.
थोड़ी देर उसे चोदने के बाद मैंने उसकी चूत से लंड निकाल दिया और दूसरी आदिवासी औरत को लिटाया और उसकी चूत में अपना 9 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा लंड डाल दिया. उसकी चूत थोड़ी कसी थी इसीलिए मुझे उसकी चूत चोदने में मजा आने लगा. चुदते चुदते यह आदिवासी औरत रोने लगी. मैंने इसको चुप करने के लिए किस करना शुरू कर दिया. जैसे ही मैंने इसको किस किया, ये मुझे किस करने लगी और मेरा साथ देने लगी. मैंने अबी इसी भी चोदना चालू कर दिया. बिच बिच में मैं इसके दूध दबाये जा रहा था.
जोरदार चुदाई की वजह से ये बार बार ऊऊउ… ओ ऊऊओ ओऊ ह हह ह ह ह्ह्हह्ह्ह्ह ह हह ह हह ह ह ह्ह्ह्ह ह्हूऊ उ ऊ इ ईई ईई इ ईई ई इ ईई इ ईई ईई ईईई इ ईई इ इ इ आह…. आह…. उई… ह्ह्ह्हईईई… इ इ इ करने लगी. मैंने इसको चोदना जारी रखा. इधर मैं इसको चोद रहा था और उधर बाकी औरतें मेरे शरीर को सहला रही थी. सबके सामने चुदाई का ये मेरा पहला मौका था लेकिन मैं इतना गर्म हो गया था की मेरी सारी झिझक दूर हो चुकी थी और मैं खुल के चुदाई कर रहा था. थोड़ी देर बाद मुझे लगा की मैं झड़ने वाला हूँ. मैंने बूढ़े से पूछा की मैं अपना वीर्य उस महिला की चूत में ही झाड दूं या फिर बाहर.
बूढ़े ने बोला की इन विधवा औरतों को बच्चा भी चाहिए इसीलिए अपना वीर्य इनकी चूत के अन्दर ही टपका दो. मैंने बोला ठीक है और फिर मैंने उस आदिवासी औरत की चूत में ही अपना माल झाड दिया | अब मुझे अपना मुरझाया हुआ लंड फिर से खड़ा करना था और वो भी तुरंत क्यूंकि अभी भी 2 विधवा आदिवासी औरतों की चूत की चुदाई करनी बाकी थीं. मैंने अपना लंड उन आदिवासी औरतों के हाथ में पकड़ा दिया और इशारों में उनसे मेरे लंड के साथ खेलने के लिए कहा. वो आदिवासी औरतें मेरे लंड से खेलने लगीं.
उन विधवा आदिवासी औरतों के हाथों का सेक्सी स्पर्श पाकर थोड़ी देर में ही मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया. अब मैंने चुदाई करने के लिए तीसरी औरत को लिटाया और उसकी झांट के बालों से ढकी चूत में अपना लंड डालने लगा. इसकी चूत पर भी बहुत घने जंगल जैसे बाल थे. मैंने इस आदिवासी औरत को चोदना चालू किआ तो ये बड़े मादक तरीके से आआ आआआह हह हह ह्ह्ह्ह…. ईई ईईइ…. इ ईईइ….. करने लगी. मैं अपने पुरे जोश के साथ और तेज चुदाई में जुट गया और उसके दूध से भरे मोटे मोटे बोबे मसलते हुए उसको चोदने लगा.
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो आदिवासी औरत झड गयी. अब मैंने अपना लंड निकाला और तीसरी वाली विधवा औरत की चूत में डाल दिया. इस आदिवासी औरत की चूत सबसे ज्यादा कसी हुई थी. इसकी चूत पर न के बराबर झांट के बाल थे और लग रहा था की शायद इस आदिवासी औरत की बस 1-2 बार ही चुदाई हुई है. मैंने उस आदिवासी औरत की चूत को चोदना शुरू करा लेकिन दर्द के कारण उसकी आँखों से आंसू आ गये. मैंने थोड़ी देर तक उसे किस किआ ताकि इसे थोडा अच्छा लगे और उसकी चूत का दर्द कम हो जाये. मेरी ये कोशिश कामयाब हुई और थोड़ी देर के बाद उसका दर्द कम हो गया.
अब मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. उसके दूध बहुत छोटे से और प्यारे थे. मुझसे रहा नही गया. मैं चोदते हुए उसके दूध से भरे मोटे मोटे बोबे दबाने लगा और उसके निप्पल को चूमने भी लगा | ये इन चार विधवा महिलों में से पहली औरत थी जिसके दूध मैंने चुसे थे. मैंने थोड़ी देर बाद उस आदिवासी औरत की चुदाई की स्पीड बढ़ा दी इस वजह से उसकी चिल्लाने की स्पीड भी तेज हो गयी और वो जोर से आआआ हह हह ह ह उई…. आह…. आह…. आई… आह.. आह…. ईईइआअह्ह ह हह ह ह हह ह ह्ह्ह्हह्ह करने लगी. मैंने चोदना जारी रखा.
चुदाई के बिच बिच में मैं उसके दूध चूम ले रहा था और उसको किस भी कर रहा था. थोड़ी देर बाद वो आआआअह ह ह हह हह ह.. उई… आह… आह… ऊऊऊ इ इ ईईइ इ ई ई ईई इ ई इ इ करते हुए झड गयी. अब मुझे लगा की मेरा भी वीर्य निकलने वाला है. मैंने जिन तिन आदिवासी औरतों की चूत में वीर्य नही झाडा था उन्हें बुलाया और उन्हें एक साथ पास पास लिटा दिया. फिर एक एक करके अपना वीर्य तीनो की चूत में थोडा थोडा झाड दिया. वो तीनो खुश हो गयीं. उन्होंने अपने सरदार से कुछ बोला और फिर सरदार ने कुछ घोषणा करी जिसे सुनकर कबीले के सभी आदिवासी बहुत खुश हुए.
उस बूढ़े ने फिर मुझे इशारे में बताया की वो औरतें मेरी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट हैं और सरदार ने मुझे माफ़ कर दिया है और अब मै भी उनके कबीले का हिस्सा हूँ और वो सभी विधवा औरतें अब मेरी पत्नियाँ हैं और मै उनका पति. साथ ही सरदार ने मुझे यह भी बताया की अब भविष्य में मैं कभी भी इन चार विधवा औरतों के साथ सेक्स कर सकता हूँ. दोस्तों अब मै भी जंगल में उन आदिवासियों के साथ रहता हूँ. मेरे पास अब चोदने के लिए चार चार चूत हैं मै रोज आलग आलग औरत की चुदाई करता हूँ और कभी ग्रुप सेक्स करने का दिल करता है तो अपनी चरों पत्नियों को एक साथ भी चोदता हूँ.
मैंने अपने लंड से निकला ताजा गरमा गर्म माल उनकी चूत में डाला था इस वजह से वो चारों आदिवासी महिलाएं प्रेग्नेंट हो चुकी थे और फिर कुछ नो महीने बाद एक एक करके उन सभी ने मेरे बच्चे को जन्म दिया. अब मेरी चरों पत्नियाँ मेरे बच्चे की माँ भी बन चुकी हैं. उन चरों में से एक विधवा महिला के लड़का हुआ है और बाकि तिन विधवा महिलाओं के लड़की हुई है. उस जंगल के सरदार ने मुझे बताया की उनके कुनबे में यह परंपरा है की एक बाप ही अपनी लड़की के साथ शादी करता है और उसकी वर्जिन चूत की सील तोड़ता हैं.
दोस्तों इसका मतलब ये हुआ की मुझे मेरी बेटियों के बड़े होने का इंतजार करना था और फिर उनके बड़े होते ही उनकी कुँवारी गांड और चूत पर मेरे लौड़े का ही हक़ होगा. दोस्तों मेरी लडकियाँ बड़ी हुई और कैसे मैंने उनकी चुदाई करी यदि आप वो वाला भाग भी पढना चाहते हो तो इस सेक्स स्टोरी को 100 लाइक तक पंहुचा देना निचे लाइक बटन पर क्लीक करके.