HomeAntarvasna Hindi Sex Storiesपड़ोसी बच्चे से चुदवाया बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन दिखाकर

पड़ोसी बच्चे से चुदवाया बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन दिखाकर

पड़ोसी बच्चे के लंड से चुदवाया अपने बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन दिखाकर नए साल पर गाजर का हलवा खिलाने के बाद कामुकता से भरी नयी अन्तर्वासना हिंदी सेक्स कहानी फ्री में ऑनलाइन पढ़ें :- मेरा नाम राधिका गुलाटी है और मैं 35 वर्षीय विधवा महिला हूँ. मेरे पति अपने पीछे 2 छोटे बच्चे छोड़ गये है. मेरे दोनों बच्चे स्कूल में थे और सुबह सात बजे स्कूल चले जाते थे और फिर वो दिन में दो बजे घर वापस आते थे. मेरे पति को मरे 12 साल हो गये है तबसे एक भी बार मुझे मेरी विधवा चूत और गांड के अंदर किसी पराये मर्द का लंड लेकर अपनी चुदाई करवाने का मौका नही मिला.

कई बार तो मुझ विधवा रांड का ऐसा मन करता था की मेरे बच्चे ही मेरी चुदाई करके मुझे खुश कर दे मगर हर रिश्तों की एक मरियादा होती है मैं एक माँ होते हुए अपने छोटे बच्चों के साथ कैसे सेक्स कर सकती थी. दिन रात मैं विधवा महिला अपनी चूत चुदने के लिए और घोड़ी बनकर अपनी गांड मरवाने के लिए तड़पती रहती थी. मेरी उम्र बहुत कम है इस कारण विधवा होने के बावजूद मेरा जिस्म आज भी बहुत ही ज्यादा सेक्सी है. मेरे जवान और सेक्सी जिस्म में जो चीज सबसे ज्यादा सेक्सी थी वो थे मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन और मेरी काफी चौड़ी गांड. मैं एक बिधवा थी मगर मुझे फिर भी सजधज कर रहना बहुत पसंद था.

पड़ोसी बच्चे से चुदवाया बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन दिखाकर अन्तर्वासना हिंदी सेक्स कहानी

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मैं सेक्सी दिखने के लिए अपने जवान और सेक्सी जिस्म पर साड़ी के साथ स्लीवलेस ब्लाउज पहनती हूँ जो पीछे से भी पूरी की पूरी खुली होती है जिसमे से मेरी पीठ बिलकुल साफ साफ दिखाई देती है. इस स्लीवलेस ब्लाउस में मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन बहुत ही ज्यादा आकर्षक दीखते हैं. आगे से स्लीवलेस ब्लाउज का गला गहरा होता है जिससे मर्दों को मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन दिखाकर आकर्षित करती हूँ. दोस्तों, मेरी बदकिस्मती ये थी की काफी सालों से जवान और सेक्सी औरत होने की बाजजूद भी मुझे कोई मर्द नही मिल रहा था इस लिए चुदाई का जुगाड़ नही हो पा रहा था.

हमारी कॉलोनी में रोज शाम को बहुत सारे बच्चे खेला करते थे और बार बार उनकी गेंद हमारी छत पर आ जाया करती थी और वो बच्चे बार बार मेरे घर अपनी गेंद लेने के लिए आते थे और मैंने भी उन बच्चों को कभी मना नहीं करती थी. फिर धीरे धरी वो बच्चे भी मुझसे बहुत घुल मिल गए थे. फिर धीरे धीरे मेरी दोस्ती हमारे घर के पड़ोस में रहने वाले एक जवान बच्चे से हो गयी. उस बच्चे की उम्र यही कोई बीस इक्कीस साल के करीब होगी. वो छोटा बछा मुझे आंटी कहकर बुलाता था. उस सुन्दर और शुशील बच्चे का नाम संदीप था और वो अभी उसी स्कूल में था जिस स्कूल में मेरे दोनों छोटे बच्चे पढाई करा करते थे.

नये साल में संदीप मेरे घर आया और “हैपी न्यू ईअर आंटी जी!!” कहने लगा “हैपी न्यू ईअर बेटा जी!! कैसे हो तुम?? आओ अंदर चलो. गाजर का हलवा बनाया है तुम्हारे लिए मैंने मेरे पड़ोसी बच्चे संदीप को लाइन देने लगी और पड़ोसी बच्चे को अपने बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन उसे दिखने के लिए अपनी साड़ी का पल्लू पूरा का पूरा निचे गिरा दिया. फिर पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के लिए गाजर का हलवा सेक्स पवार बढ़ाने वाली दवा डालकर ले आई और उससे बड़े प्यार से बोला केइ लो बच्चे खाओ और शर्माना मत गाजर का हलवा और चाहिये तो बोल देना.

उस छोटे बच्चे की गन्दी नजर मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन पर थी और वो बूब्स घूरते घूरते गाजर का हलवा चखने लगा. मैं तो आज मेरे पड़ोसी बच्चे संदीप के लंड से चुदने के फुल मूड में थी और नए साल की शुरुवात पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के साथ सेक्स करके ही करना चाहती थी. फिर मैं पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के सामने रोने का नाटक करने लगी की काश मेरे पति आज जिन्दा होते तो आज हम नया साल साथ में मिलकर बनाते मगर मैं ही मनहूस हूँ जो अपने पति को खा गयी. संदीप मेरे करीब आ गया और कन्धो पर हाथ रखकर मुझे दिलासा देने लगा. मैं नाटक बनाकर और जादा रोने लगी और संदीप मेरे से बिलकुल चिपक गया.

“आंटी जी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ आप बहुत अच्छी हो इस लिए अपने आपको मनहूस मत समझो आप” वो बोला मैंने नाटक बनाते बनाते उसे सीने से चिपका लिया. फ्रेंड्स, उस दिन मैंने पिंक कलर की बड़ी खूबसूरत सी साड़ी पहन रखी थी और साड़ी का पल्लू तो पहले ही ब्लाउज पर से निचे गिरा दिया था ताकि मेरे पड़ोसी बच्चे को मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन का दीदार करने में किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो. मैंने बहुत अच्छे से मेकअप कर रखा था. मैंने पार्लर जाकर थ्रेडिंग करवाई थी और फेसिअल भी. इस वजह से कुछ जादा ही मस्त माल दिख रही थी.

मैंने अपने ओंठो पर हल्की पिंक कलर की लिपस्टिक लगाई थी और डार्क पिंक कलर का लिप लाइनर लगाया हुआ था. मैंने सोफे पर बैठे बैठे ही संदीप को खुद से चिपका लिया. 2 मिनट तक संदीप मुझसे चिपका रहा जिस वजह से मेरे परफ्यूम की सुगन्धित खुशबू से वो नहा गया. फिर अलग हुआ. मैंने संदीप की जांघ पर जींस के उपर हाथ रख दिया. “बेटा कैसी लग रही हूँ मैं???” मैंने पूछा वो हँसने लगा. “बिलकुल आइटम लग रही हो आंटी!! कोई भी मर्द आपको देखकर सेंटी हो जाए” वो बोला “अरे बेटा!! विधवाओ को कौन लाइन देता है. आजकल तो सबको कुवारी चूत चाहिए” मैं मुँह फुलाकर अफ़सोस दिखाने लगी “नही ऐसा मत बोलो आंटी!!” संदीप बोला.

वो मेरी तरफ देखे जा रहा था और बार बार अपनी गर्दन निचे करके मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन को भी देखे जा रहा था. शायद मैं आज उस पड़ोस में रहने वाले बच्चे को कुछ जादा ही पसंद आ गयी थी. फिर मैंने पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के सामने ही सोफे पर झुककर उसे अपने दूध के दर्शन ब्लाउस से करवा दिए. मेरी मस्त मस्त 36” की दूधिया गेंदों को देखकर उसका लंड जींस में ही खड़ा हो गया. वो खामोश था. शायद कुछ कस्मकश में था. उसी वक्त मेरी जिस्म की चुदास की आग जाग गयी और उसकी जींस के अंदर खड़े हो चुके पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के लंड को मैंने उपर से पकड़ लिया और फेटने लगी.

पड़ोस ने रहने वाला बच्चा संदीप “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….” करने लगा. मैं और तेज तेज लौड़ा फेटने लगी. “उ उ उ……अअअअअ…क्या इरादा है आंटी आज आपका??” संदीप आहे निकालकर कहने लगा “बेटा!! कितने साल से लंड खाने को नही मिला. अब नया साल आया है. तू चोदेगा मुझे??” मैं किसी होशियार छिनाल की तरह बोली. फिर से उसका लौड़ा उपर से ही पकड़कर हिलाने लगी “ओके ओके आंटी!! डन!!” संदीप बोला मैं उठी और जल्दी से घर का मुख्य दरवाजा बंद कर आई. फिर नीचे बैठ गयी. संदीप को सोफे पर ही रहने दिया. उसकी जींस की बटन मैंने अपने हाथ से खोली.

जींस अंडरवियर के साथ नीचे करी और उसका बड़ा सा लंड लप्प से बाहर निकल आया. पूरे 8” का कितना शानदार लंड था दोस्तों. मैं तो हैरान होकर देख रही थी. फिर हाथ में लेकर जल्दी जल्दी फेटने लगी. संदीप बेटा “ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह…अह्हह्हह…अई..अई. .अई… उ उ उ उ उ…” करने लगा. “ओह्ह आंटी!! you are such a great women!!” संदीप कहने लगा मैं अपने सीधे हाथ से पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के मोटे से लंड को पकड़ कर जल्दी जल्दी मुठ देने लगी. पड़ोसी बच्चे ने अपने पैर खोल दिए. दोस्तों संदीप की तरह उसका लंड भी काफी गोरा था और कितना क्यूट दिख रहा था.

मैं जल्दी जल्दी पकड़कर उसे हिलाये जा रही थी. फिर मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. संदीप की तो हालत ही खराब कर दी मैंने. उसका लंड का टोपा काफी बड़ा था और कितना सेक्सी दिख रहा था. टोपे का छल्ला तो कितना गोल गोल उठा उभरा हुआ था. मैं हाथ से मुठ दे देकर फेटने लगी और अपने लिपस्टिक लगे खूबसूरत होठो से जब चूसने लगी तो संदीप की हालत खराब होने लगी. वो कहने लगा आप मेरी रंडी बनकर मेरा लंड चुसो ना आंटी जी… मैं और मेहनत से चूसने लगी और लंड को लोहे जैसा सख्त बना दिया. संदीप तो बस मुँह खोलकर आहे पर आहे निकाले जा रहा था.

मेरे खूबसूरत ओंठ पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के लंड की मखमली खाल पर दौड़ लगाकर उसे जन्नत का मजा दे रहे थे. मैंने उसकी गोलियों को भी मुँह में लेकर चूस रही थी. “आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….आंटी आप तो मस्त औरत हो!! ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” वो कहने लगा मैंने हाथ से जल्दी जल्दी लंड को मुठ देना चालू रखा. अंत में संदीप मेरी रंगीन अदाओं को सह न पाया और मेरे चेहरे पर पड़ोसी बच्चे ने माल झाड़ दिया. मैं भी कुछ ऐसा ही चाह रही थी. मैंने पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के 8” हस्ट पुष्ट लंड को अपने चेहरे के सामने रखा और फेटती चली गई. मेरे गाल, नाक, आँखों पर ही संदीप ने पिचकारी छोड़ दी. “आंटी!! आप तो मेरी जान ही निकाल दोगी” वो बोला “ऐसा ही कुछ इरादा है मेरा बेटे!!” मैं विधवा रांड बोली.

फिर हम दोनों अवैध सेक्स संबंध बनाने के लिए मेरे बेडरूम में चले गये. मैंने फ्रिज से 2 बोतले हार्ड बियर निकाली. दोनों ने बियर पी. धीरे धीरे हम दोनों बिस्तर पर आ गये. शुरुवात संदीप बेटा ने की. मेरे खूबसूरत बदन को और चूचो को ब्लाउस के उपर से खूब मसला. धीरे धीरे ब्लाउस की बटन खोल दी और मुझे नंगा कर दिया. फिर ब्रा भी उसी ने निकाल दी. संदीप मेरे नंगे दूध को देखकर चक्कर में पड़ गया. मैं पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के सामने नंगी थी. मेरी दोनों चूचियां पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के सामने आम की तरह खुली हुई थी. हालाकि मेरे बदन पर अभी भी साड़ी लिपटी हुई थी.

पड़ोस में रहने वाला छोटा बछा संदीप बिना कुछ बोलो मेरे यौवन के रस को अपनी मोटी मोटी आँखों से पी रहा था. मैं फिर से मुस्कुरा दी. “ऐसे क्या देख रहे हो बेटा जी??” मैं विधवा रांड बोली “यही की उपर वाले से आपको जरुर फुरसत में बनाया होगा. आह!! क्या फिगर है आपका??” संदीप बोला और अंगड़ाईयाँ लेने लगा “तो फिर आओ मेरे दूध मुँह में लेकर चूसो बेटा जी!” मैं किसी रंडी की तरह बोली संदीप ने एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिए. फिर मेरे उपर आकर लेट गया. मेरी 36” की चूचियां बड़ी बेताब थी. संदीप हाथ लगा लगाकर मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन दबाने लगा.

मैं विधवा रंडी “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” करने लगी. फिर पड़ोसी बच्चे ने खूब मसला मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तनों को. मेरे बूब्स को जोर जोर से दबाकर उस हरामी बच्चे ने तो मेरा हाल बेहाल कर डाला था. फिर मुँह में लगाकर मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन किसी छोटे गोदी के बच्चे की तरह से चूसने लगा. मुझे तब के दिन याद आ गये जब मेरे पति मेरे दूध मुँह में लेकर चूस चूसकर पीते थे. मुझे कितना मजा देते थे. कितनी मस्त ठुकाई करते थे मेरी. आज वो सब यादे फिर से ताजा हो गयी. “चूस संदीप बेटा!! अपनी आंटी के मस्त मस्त बूब्स को चूस!!” मैं बोली.

वो छोटा बच्चा भी भावुक होकर दूध चुसाई करने लगा. उस पड़ोसी बच्चे के दोनों हाथ के पंजे मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन को बहुत ही ज्यादा जोर जोर से मसल रहे थे जिस कारण मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन के निप्पलों में से दूध की पिचकारी चलने लगी. मेरी विधवा चूत गीली होकर पानी छोड़ने लगी. संदीप ने तो मेरी वासना की भूख को जगा दिया. फिर साड़ी, पेटीकोट और पेंटी उतारकर मुझे नंगा किया. फिर मेरे शबाब से भरे बदन को घूर घूर कर आँखे फाड़कर देखने लगा. फिर मुझसे प्यार करने लगा. मेरे उपर ही आ गया और मेरे पैरो और जांघो पर हाथ लगा लगाकर किस करने लगा.“हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ …. करो बेटा!! अपनी आंटी को ऐसे ही प्यार करो!! ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी… हा हा.. ओ हो हो… मैं कहने लगी.

दोस्तों सिर से पाँव तक मेरा बदन बहुत खूबसूरत दिख रहा था. मेरा दूधिया बदन बहुत ही मांसल और गुदाज था. संदीप बेटा के हाथ मेरी जांघो पर यहाँ वहां फिसल रहे थे. होठ से किस पर किस दे रहा था. फिर मेरे सपाट, सेक्सी पेट पर चुम्बन खूब किया पड़ोसी बच्चे ने. अंत में मेरे पैर खुलवा दिए. नए साल पर मुझ विधवा रांड की फूली चूत उसका लंड का स्वागत करने को बेकरार थी. फिर संदीप फटी हुई नजरो से मेरी विधवा चूत को देखने लगा. साफ सुथरी बाल सफा चिकनी चमेली बुर थी मेरी. देखने में सुंदर और चोदने में सुविधाजनक. “चाट बेटा संदीप! देख क्या रहा है??” मैं बोली ये बोलते ही वो भी तडप गया.

मुँह लगाकर जल्दी जल्दी मेरी गुलाबी फुद्दी चाटने लगा. फ्रेंड्स, मैं विधवा जरूर थी पर काफी सेहतमंद थी. इस वजह से मेरी विधवा चूत भी काफी सेहतमंद थी. संदीप बेटा अपने काम पर लग गया. मुँह लगा लगाकर ऐसे चूत चाटने लगा जैसे रबड़ी इमरती पा गया हो. मैंने अपनी दोनों टांग अच्छे से खोल दी और उससे मजा लेकर चूत चटवाने लगी. संदीप चूत के दाने को दांत से काटकर और खींच कर चूस रहा था इस वजह से मुझे बहुत कामपिपासा मिल रही थी. मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ…ऊँ…ऊँ….” की आवाजे लगातार मुँह खोलकर निकाल रही थी.

पड़ोस में रहने वाला छोटा बच्चा संदीप जी जान से मेरी विधवा चूत से निकलता रस पी रहा था. चूत को खोलकर पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के भीतर जीभ घुसा रहा था. “करो बेटा जी!! और चूसो मेरी चुद्दी को…. सी सी सी सी—मैं बोल रही थी कुछ देर बाद संदीप ने अपना 8”लंड का टोपा मेरे चूत के गेट पर रख दिया और अंदर को धक्का दे दिया. लंड फक्क की आवाज करके भीतर घुस गया. संदीप बेटा ने मेरा चोदन कार्यकम शुरू कर दिया. मैं लम्बी लम्बी साँसे निकाल रही थी. फिर से 10 साल पुरानी यादे ताजा हो गयी जब मेरे पति अपने 10” लंड से रात रात पर मेरी विधवा चूत की कुटाई करते थे. वैसे संदीप भी कुछ कम नही था.

जल्दी जल्दी गहरे धक्के मेरी मखमली जवान चूत में दे रहा था. मेरा बुरा हाल बना रहा था. “चोद बेटा!! और कसके पेल अपनी आंटी को!! उ उ उ उ उ……किसी रंडी की तरह चोद बेटा!!” मैं कहने लगी संदीप भी हूँ हूँ हूँ आ आ आ बोलकर चूत में गदर मचाने लगा. वो लड़का काफी सेक्सी निकला. मेरी आँखों में आँखों डालकर मेरे चिकने गालो पर हाथ रखकर चूत में लम्बे लम्बे धक्के दे रहा था. मैं तो बादलो में उड़ रही थी. अपने पंजो से अपनी 36” की रसीली चूचियां दबाये जा रही थी जिस वजह से मेरे नाख़ून मेरे ही दूध में चुभ रहे थे. ““….उंह उंह उंह हूँ—आंटी!! तू मस्त माल है रे!! जवाब नही तेरा! हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह” संदीप बेटा कहने लगा.

मेरी विधवा चूत में बेशुमार धक्के मार मारके चोदता रहा. मेरी हालत बिगाड़ दी और अंत में झड़ने वाला हो गया. मेरी आँखे सेक्स की हवस से लाल लाल हो गयी. फिर संदीप ने झड़ते हुए लंड को चूत में अंदर की ओर दबा दिया. और फिर जोर जोर से आहे लेते हुए झड़ गया. “जुग जुग जियो बेटा जी!! ऐसे ही मुझे चोदते रहना” मैं किसी चुदक्कड लंड की प्यासी रांड की तरह बोली संदीप हाफ्ता हुआ मेरे पैर के पास ही ढेर हो गया. लेटकर लम्बी लम्बी सांसे लेने लगा. मैंने अपनी बुर देखी. उसमे उपर तक संदीप का माल भरा हुआ था. ये सब देखकर मुझे बड़ा सुख अहसास हुआ.

पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के माल को ऊँगली से लेकर मुँह में लेकर चाटने लगी. मैंने एक भी बूंद बर्बाद नही जाने दी. 15 मिनट बाद संदीप बेटा फिर से चोदन कार्यक्रम करने के लिए तैयार था. “बोलो आंटी दूसरे राउंड की चुदाई कैसे चाहती हो??” संदीप बोला “मुझे अपने लंड पर बिठाकर चुदाई कर बेटा !!” मैं बोली फिर संदीप मुझे अपने लंड की सवारी करवाने के लिए सीधा लेट गया. पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के लंड को कुछ देर हाथ से मुठ देकर खड़ा करती रही. फिर 5 मिनट मुँह में लेकर चूसती रही. फिर संदीप के लंड को पकड़कर चूत में लगाकर बैठने लगी.

मेरे 70 किलो का वजन पड़ते ही उसका लंड किसी चाक़ू की तरह मेरी भोसड़ी में घुस गया. मैं संदीप बेटे का लंड चूत में लेकर बैठ गयी और उठ बैठ कर चुदवाने लगी. पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के चहरे पर बहुत ही संतोष का भाव था क्यूंकि मैं ही उचक उचक कर सेक्स कर रही थी. संदीप मेरी विधवा चूत को बड़े ध्यान से देख रहा था. उसका लंड किसी तेज धार चाक़ू की तरह मेरी विधवा चूत फाड़ रहा था. पड़ोसी बच्चे ने मेरे दोनों चूतड़ को पकड़ लिया और नीचे से फिर धक्के पर धक्के देने लगा.

मेरी गुद्दीदार चूत में उसका लंड कस कसके ठोकर मार कर मुझे बड़ा सुख दे रहा था. पड़ोसी बच्चे ने करीब एक घंटे तक मुझ विधवा के साथ अवैध सेक्स संबंध बनाये थे और जब उसका वीर्य निकलने वाला था तब उसने मुझसे पूछा की आंटी जी माल किधर गिराना है तो मैंने बोला की बेटा अंदर ही अपना माल गिरा दे मेरी विधवा चूत बहुत प्यासी है आज तेरे माल से इसकी प्यास भुजा दे. फिर करीब दस पंद्रह धक्कों के बाद उसने अपना सारा का सारा वीर्य मेरी विधवा चूत के अंदर ही झाड़ दिया और फिर मुझसे चिपक कर नंगा ही लेटा रहा. दोस्तों आज मेरा नया साल वाकई मेरे लिए शुभ संकेत लेकर आया था.

मैंने मेरे पड़ोसी बच्चे के लंड से घोड़ी बनकर अपनी गांड भी मरवाई थी खैर वो वाली हिंदी सेक्स स्टोरी कल इसी पोर्न वेबसाइट पर प्रकाशित करुँगी…को चूसने लगा. मुझे तब के दिन याद आ गये जब मेरे पति मेरे दूध मुँह में लेकर चूस चूसकर पीते थे. मुझे कितना मजा देते थे. कितनी मस्त ठुकाई करते थे मेरी. आज वो सब यादे फिर से ताजा हो गयी. “चूस संदीप बेटा!! अपनी आंटी के मस्त मस्त कबूतर को चूस!!” मैं विधवा रांड बोली पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के बाद वो भी सेंटी होकर दूध चुसाई करने लगा. उस पड़ोसी बच्चे के दोनों हाथ के पंजे मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन को बहुत ही ज्यादा जोर जोर से मसल रहे थे जिस कारण मेरे बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन के निप्पलों में से दूध की पिचकारी चलने लगी.

मेरी विधवा चूत गीली होकर पानी छोड़ने लगी. संदीप ने तो मेरी वासना की भूख को जगा दिया. फिर साड़ी, पेटीकोट और पेंटी उतारकर मुझे नंगा किया. फिर मेरे शबाब से भरे बदन को घूर घूर कर आँखे फाड़कर देखने लगा. फिर मुझसे प्यार करने लगा. मेरे उपर ही आ गया और मेरे पैरो और जांघो पर हाथ लगा लगाकर किस करने लगा.“हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ …. करो बेटा!! अपनी आंटी को ऐसे ही प्यार करो!! ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी… हा हा.. ओ हो हो… मैं कहने लगी. दोस्तों सिर से पाँव तक मेरा बदन बहुत खूबसूरत दिख रहा था. मेरा दूधिया बदन बहुत ही मांसल और गुदाज था. संदीप बेटा के हाथ मेरी जांघो पर यहाँ वहां फिसल रहे थे. होठ से किस पर किस दे रहा था. फिर मेरे सपाट, सेक्सी पेट पर चुम्बन खूब किया पड़ोसी बच्चे ने फिर अंत में मेरे पैर खुलवा दिए.

मेरी उभरी हुई पाव जैसी फूली चूत उसका लंड का स्वागत करने को बेकरार थी. फिर संदीप फटी हुई नजरो से मेरी विधवा चूत को देखने लगा. साफ सुथरी बाल सफा चिकनी चमेली बुर थी मेरी. देखने में सुंदर और चोदने में सुविधाजनक. “चाट बेटा संदीप! देख क्या रहा है??” मैं विधवा रांड बोली ये बोलते ही वो भी तडप गया. मुँह लगाकर जल्दी जल्दी मेरी गुलाबी फुद्दी चाटने लगा. फ्रेंड्स, मैं विधवा जरूर थी पर काफी सेहतमंद थी. इस वजह से मेरी विधवा चूत भी काफी सेहतमंद थी. संदीप बेटा अपने काम पर लग गया. मुँह लगा लगाकर ऐसे चूत चाटने लगा जैसे रबड़ी इमरती पा गया हो.

मैंने अपनी दोनों टांग अच्छे से खोल दी और उससे मजा लेकर चूत चटवाने लगी. संदीप चूत के दाने को दांत से काटकर और खींच कर चूस रहा था इस वजह से मुझे बहुत कामपिपासा मिल रही थी. मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ…ऊँ…ऊँ….” की आवाजे मुँह खोलकर निकाल रही थी. संदीप जी जान से मेरी विधवा चूत से निकलता रस पी रहा था. चूत को खोलकर पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के भीतर जीभ घुसा रहा था. “करो बेटा जी!! और चूसो मेरी चुद्दी को…. सी सी सी सी—मैं बोल रही थी कुछ देर बाद संदीप ने अपना 8”लंड का टोपा मेरे चूत के गेट पर रख दिया और अंदर को धक्का दे दिया. लंड फक्क की आवाज करके भीतर घुस गया. संदीप बेटा ने मेरा चोदन कार्यकम शुरू कर दिया.

चुदवाते चुदवाते मैं विधवा रंडी लम्बी लम्बी साँसे निकाल रही थी. फिर से 10 साल पुरानी यादे ताजा हो गयी जब मेरे पति अपने 10” लंड से रात रात पर मेरी विधवा चूत की कुटाई करते थे. वैसे संदीप भी कुछ कम नही था. जल्दी जल्दी गहरे धक्के मेरी मखमली जवान चूत में दे रहा था. मेरा बुरा हाल बना रहा था. “चोद बेटा!! और कसके पेल अपनी आंटी को!! उ उ उ उ उ……किसी रंडी की तरह चोद बेटा!!” मैं कहने लगी संदीप भी हूँ हूँ हूँ आ आ आ बोलकर चूत में गदर मचाने लगा. वो लड़का काफी सेक्सी निकला. मेरी आँखों में आँखों डालकर मेरे चिकने गालो पर हाथ रखकर चूत में लम्बे लम्बे धक्के दे रहा था.

मैं तो बादलो में उड़ रही थी. अपने पंजो से अपनी 36” की रसीली चूचियां दबाये जा रही थी जिस वजह से मेरे नाख़ून मेरे ही दूध में चुभ रहे थे. ““….उंह उंह उंह हूँ—आंटी!! तू मस्त माल है रे!! जवाब नही तेरा! हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह” संदीप बेटा कहने लगा. मेरी विधवा चूत में बेशुमार धक्के मार मारके चोदता रहा. मेरी हालत बिगाड़ दी और अंत में झड़ने वाला हो गया. मेरी आँखे सेक्स की हवस से लाल लाल हो गयी. फिर संदीप ने झड़ते हुए लंड को चूत में अंदर की ओर दबा दिया. और फिर जोर जोर से आहे लेते हुए झड़ गया. “जुग जुग जियो बेटा जी!! ऐसे ही मुझे चोदते रहना अपनी रंडी बनाकर ” मैं किसी चुदक्कड लंड की प्यासी रांड की तरह बोली संदीप हाफ्ता हुआ मेरे पैर के पास ही ढेर हो गया. लेटकर लम्बी लम्बी सांसे लेने लगा.

मैंने अपनी विधवा चूत गौर से देखी उसमे उपर तक संदीप का माल भरा हुआ था. ये सब देखकर मुझे बड़ा सुख अहसास हुआ. पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के माल को ऊँगली से लेकर मुँह में लेकर चाटने लगी. मैंने एक भी बूंद बर्बाद नही जाने दी. 15 मिनट बाद संदीप बेटा फिर से चोदन कार्यक्रम करने के लिए तैयार था. “बोलो आंटी दूसरे राउंड की चुदाई कैसे चाहती हो??” संदीप बोला “मुझे अपने लंड पर बिठाकर चुदाई कर बेटा !!” मैं विधवा रांड बोली फिर संदीप मुझे अपने लंड की सवारी करवाने के लिए सीधा लेट गया. पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के लंड को कुछ देर हाथ से मुठ देकर खड़ा करती रही.

फिर 5 मिनट तक उस छोटे बच्चे का लंड अपने मुँह में लेकर किसी रंडी की तरह चूसती रही और उसे ब्लोजॉब देती रही. फिर संदीप के लंड को पकड़कर चूत में लगाकर बैठने लगी. मेरे 65 किलो का वजन पड़ते ही उसका लंड किसी चाक़ू की तरह मेरी भोसड़ी में घुस गया. मैं संदीप बेटे का लंड चूत में लेकर बैठ गयी और उठ बैठ कर चुदवाने लगी. पड़ोस में रहने वाले उस छोटे बच्चे के चहरे पर बहुत ही संतोष का भाव था क्यूंकि मैं ही उचक उचक कर सेक्स कर रही थी.

संदीप मेरी विधवा चूत को बड़े ध्यान से देख रहा था. उसका लंड किसी तेज धार चाक़ू की तरह मेरी विधवा चूत फाड़ रहा था. पड़ोसी बच्चे ने मेरे दोनों चूतड़ को पकड़ लिया और नीचे से फिर धक्के पर धक्के देने लगा. मेरी गुद्दीदार चूत में उसका लंड कस कसके ठोकर मार कर मुझे बड़ा सुख दे रहा था. पड़ोसी बच्चे ने करीब एक घंटे तक मुझ विधवा के साथ अवैध सेक्स संबंध बनाये थे और जब उसका वीर्य निकलने वाला था तब उसने मुझसे पूछा की आंटी जी माल किधर गिराना है तो मैंने बोला की बेटा अंदर ही अपना माल गिरा दे मेरी विधवा चूत बहुत प्यासी है आज तेरे माल से इसकी प्यास भुजा दे.

फिर करीब दस पंद्रह धक्कों के बाद उसने अपना सारा का सारा वीर्य मेरी विधवा चूत के अंदर ही झाड़ दिया और फिर मुझसे चिपक कर नंगा ही लेटा रहा. दोस्तों आज मेरा नया साल वाकई मेरे लिए शुभ संकेत लेकर आया था. मैंने मेरे पड़ोसी बच्चे के लंड से घोड़ी बनकर अपनी गांड भी मरवाई थी खैर वो वाली हिंदी सेक्स स्टोरी कल इसी पोर्न वेबसाइट पर प्रकाशित करुँगी…

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