जवान और सेक्सी बहू रानी ने ससुर जी को हस्तमैथुन करते देखा फिर पति की गैरमौजूदगी में उनसे अपनी प्यासी चुत की शानदार चुदाई करवाई ससुर ने बहू की चुत सुजा डाली सेक्स करने के दौरान चुदाई की भूखी बहू ने ससुर जी का लण्ड बच्चेदानी तक लिया Alone Daughter In Law Fucked By Father In Law Free New Hindi XXX Sex Story :
हेल्लो दोस्तों आज जो हिंदी सेक्स कहानी मैं आप लोगों के साथ शेयर करने जा रही हूँ वो मेरे ससुर जी और मेरे बिच बने अवैध शारीरिक सम्बन्ध (Extra Marital Affair) की हैं और ये सब मेरे पति की गैरमौजूदगी में और उनकी जानकारी के बिना हुआ था. ससुर जी और मेरी चुदाई की हिंदी XXX सेक्स कहानी शुरू करने से पहले मैं मेरा और मेरे परिवार का परिचय दे देती हूँ उसके बाद मेरी XXX Story पर आती हूँ.
दोस्तों मेरा नाम अनीता जोशी है और मेरी उम्र 22 साल है. मैं दिखने में बहुत सेक्सी और सुंदर शादी शुदा महिला हूँ. मेरा जिस्म बिल्कुल बॉलीवुड की फिल्म एक्ट्रेस आलिया भट्ट की तरह है. मेरा फिगर 36-24-36 है और मेरी चूचियाँ एकदम सुडौल और सख्त हैं. यहाँ भी देखें>> माँ और कुंवारी बेटी के लेस्बियन सेक्स वाली गन्दी XXX लव स्टोरी मेरे सुडौल और सख्त बूब्स के निप्पल एक दम नुकीले हैं. मेरी शादी हुए दो साल हो गए हैं और मेरा एक बेटा है, जो कि मेरी शादी के एक साल बाद ही हो गया था. मेरे पति एक बहुत बड़ी प्राइवेट कम्पनी में जॉब करते हैं.
बहू ने ससुर को हस्तमैथुन करते देखा फिर उनसे चुदाई करवाई Hindi XXX Sex Story
जब मेरा बेटा चार माह का था तब मेरे पति का तबादला अमरीका हो गया था. हर साल एक माह के लिए मेरे पति भारत आया करते थे और उसी बिच हम पति पत्नी के बिच सेक्स हो पता था. मेरे पति मेरी गरम मुलायम चुत रानी को छोड़कर विदेश जाना तो नहीं चाहते थे मगर विदेश जाना उनकी मजबूरी थी क्यों की उनकी जॉब से ही हमारा घर खर्च चलता हैं. मेरे पति मुझे और मेरे चार माह के बेटे को अपने 48 वर्ष के पिता अर्थात मेरे ससुर जी के भरोसे अकेला छोड़ कर गए थे.
मेरे ससुर जी पहले हमसे अलग गांव में मेरी सास के साथ रहते थे मगर मेरी सास की मृत्यु के बाद मेरे पति उन्हें हमारे साथ रहने को ले आये थे. मेरे ससुर जी आर्मी के रिटायर्ड मेजर थे मगर आज भी वह बहुत फुर्तीले और तंदरुस्त थे. मेरे ससुर जी का शरीर बहुत गठीला था और इस आयु में भी वह एकदम 28-30 साल के जवान यूवक लगते थे. पहले जब भी कभी वह सासू माँ के साथ हमारे पास आकर रहते थे तो मेरी पड़ोसनें उन्हें मेरे पति के बड़े भाई ही समझती थी.
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मेरे पति के विदेश जाने के बाद पिछले सात माह से वह हमारे साथ ही रह रहे हैं. मेरे ससुर जी घर के काम के साथ साथ मेरे बेटे की देखभाल में भी मेरा पूरा हाथ बटा देते थे. मुझे और मेरे पति को चुदाई करना बहुत पसंद था और शादी के बाद ऐसा कोई दिन नहीं था जब हम पति पत्नी ने चुदाई के मजे नहीं लिए हों. अब मेरे पति को अमरीका गए लगभग सात माह हो चुके हैं और इन सात माह में से पहले दो माह तो मेरी चुदाई की प्यासी चुत को एक बार भी सेक्स करने को नहीं मिला था इसलिए मैं चुदवाने के लिए इतनी बेचैन रहने लगी थी की मेरी गरम मुलायम चुत रानी में फल और सभी डाल डालकर हस्तमैथुन करने लगी थी.
मेरे पति के विदेश जाने के बाद से ही मैं सारा दिन सेक्स के लिए तड़पती रहती थी. किसी रंडी महिला की तरह अपनी प्यासी गांड और चुत की चुदाई करवाने की लालसा लिए किसी पराए मर्द को ढूंढती रहती थी. अचानक मेरी किस्मत में एक नया मोड़ आया और पांच माह पहले मुझे अचानक ही एक ऐसा अवसर मिला जिससे मुझे जिंदगी में अत्यंत शांति मिली और वह अभी भी ज़ारी है. यह घटना उस दिन की है जब मैं घर की साफ सफाई करते हुए ससुर जी जी के कमरे में गई. मेरे ससुर जी के पलंगरूम में मैंने पाया कि वह कमरे में नहीं हैं.
मुझे समझ में नहीं आया कि वह कहाँ गए होंगे, इसलिए मैं इधर उधर देखने लगी और तभी मुझे उनके बाथरूम की लाइट जलती हुई नज़र आई, मैं जिज्ञासा वश उस तरफ चली गई. वहाँ मैंने देखा कि बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला हुआ है और अंदर से उहं… ऊँह… आह… आह… जैसी सेक्सी सेक्सी आवाजें आ रही थी. मैं जिज्ञासा वश बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर अंदर झांक कर देखने लगी. बाथरूम के अंदर का नज़ारा देख के मेरे तो होश उड़ गए, बाथरूम के अंदर मेरे ससुर जी जी नंगे होकर अपने नौ इंच लंबे और ढाई इंच मोटे लण्ड राजा को हाथ में पकड़कर हस्तमैथुन कर रहे थे.
इससे पहले मैं अपने आप को संभालती तभी मैंने देखा कि ससुर जी जी ने हस्तमैथुन करते करते एक जोर की आह्ह्ह….. की आवाज़ निकाल कर अपने नौ इंच लंबे और ढाई इंच मोटे लण्ड राजा से मक्खन रूपी वीर्य की बहुत तेज पिचकारी छोड़ी जो कि दो फुट दूर जाकर बाथरूम की दीवार पर जा पड़ी. मेरे ससुर जी जी का ढेर सारा गाढ़ा वीर्य इतना ज्यादा और इतनी जोर से, निकलते हुए देख कर मेरी जोर से एक लंबी साँस निकल गई जिसे सुन कर ससुर जी ने पलट कर देखा और मुझे देखते ही गुस्से में पूछा की बहू रानी तुम यहाँ मेरे बाथरूम में क्या कर रही हो? मेरे ससुर जी की गुस्से से भरी आवाज़ सुन कर मैं डर गई और बिना जवाब दिए वहाँ से भाग गई.
इस घटना के दो घंटे बाद तक तो मैं मेरे ससुर जी के सामने भी नहीं गई. लेकिन दोपहर को खाना बनाने के समय बेटा तंग कर रहा था तो मुझे मजबूर होकर उसे मेरे ससुर जी को देने के लिए जाना पड़ा और तब वह मेरे साथ बिल्कुल सामान्य तरीके से पेश आए उनका घुस्सा गायब हो चूका था. इससे मेरी जान में जान आई और मैं भी उनके सामने आने जाने लगी तथा सामान्य तरीके से व्यहवार करने लगी. लेकिन मेरे ससुर जी को हस्तमैथुन करते देखने वाली घटना के बाद अगले दिन भी मैं उस शानदार नज़ारे के बारे में मन ही मन सोचती रही.
मेरे पति का लण्ड राजा तो केवल चार इंच लंबा और दो इंच मोटा है इतना छोटा और पतला होने के बाद भी वो चुदाई के दौरान बहुत ज्यादा आनन्द देता है, लेकिन ससुर जी का यह नौ इंच लम्बा और चार इंच मोटा लण्ड राजा कैसे मज़े देगा मैं इसके बारे में सोचने लगी थी. मेरे ससुर जी का नौ इंच लम्बा और चार इंच मोटा लण्ड राजा देखकर मैं चुदास से भर चुकी थी और अपनी चुदाई की प्यासी गांड और चुत में मेरे ससुर जी का लम्बा और मोटा लण्ड राजा डलवाने की योजना बनाती रही.
अगले दिन रात को सोने के समय मेरा बेटा बहुत रोने लगा. जब वह चुप नहीं हुआ तो मैं उसे मेरे ससुर जी के कमरे में ले गई और उन्हें देकर उनसे उसे चुप कराने के लिए बोला. मेरे ससुर जी ने उसे गोद में लिया और मुझे तेल लाने को कहा. मैंने उन्हें तेल ला कर दिया तो उन्होंने मेरे बेटे के पेट पर तेल मलना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में बेटा चुप होकर उनकी गोद में खेलने लगा. पोते को दादा के पास छोड़ कर मैं अपने कपड़े बदलने चली गई.
तभी मेरे दिमाग में योजना आई कि अगर मैं ससुर जी को अपने यौवन की झलक दिखाऊँ तो शायद कुछ बात बन जाए और मेरी लण्ड राजा से चुदने की इच्छा भी पूरी हो जाए. मैंने झट से ब्रा और पेंटी सहित अपने सारे कपड़े उतारे और अपना गुलाबी रंग का पारदर्शी सा नाईट गाउन पहना. मैंने गाउन के ऊपर के दो और नीचे के तीन बटन खुले छोड़ दिए और बेटे को लेने ससुर जी के कमरे में गई. जब मैं चलती थी तो जांघों तक मेरी टाँगे नंगी हो रहीं थी और मेरी डोलती हुई चूचियों और उस पर खड़ी चूरे रंग की डोडियाँ गाउन में से झलक रहीं थी. ससुर जी ने मुझे उन कपड़ों में देखा और एकटक देखते ही रहे.
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उनकी आँखों की चमक बता रही थी कि वह बड़े आराम से मेरे बिछाये जाल में फँस जायेंगे, मुझे सिर्फ कुछ इंतज़ार करना पड़ेगा. जब मैंने ससुर जी से बेटे को लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो उनका ध्यान मेरी चूचियों की तरफ गया और वह उन्हें देखते हुए एकदम स्थिर हो गए. मैंने कहा- ससुर जी, यह सो गया है, लाइए मैं इस इसके बिस्तर पर सुला दूँ. तब हड़बड़ा कर उन्होंने कहा- यह अभी-अभी सोया है, कच्ची नींद में है इसलिए इसे अभी यहीं सोने दे. मैं ‘हाँ जी’ कहती हुई अपने कमरे में चली गई. मुझे नींद नहीं आ रही थी इसलिए मैं बहुत देर तक ऐसे ही लेटी करवटें बदलती रही. तभी मुझे याद आया कि मैंने मेरे बच्चे को दूध तो पिलाया ही नहीं.
मैं उठी और ससुर जी के कमरे में गई तो पाया कि वह भी सो गए हैं. तब मेरे मन में आया कि मैं भी इसी कमरे में सो जाती हूँ और मैं उनके साथ वाले पलंग पर लेट गई. बेटे को अपने पास खींचा और गाउन में से चूचियाँ निकाल कर उसे मेरे मोटे मोटे बूब्स का दूध पिलाने लगी. इतने में ससुर जी ने नींद में ही करवट बदली और सीधे हो कर सोने लगे, तब मेरी नज़र उनकी लुंगी पर गई जो खुल कर अलग हो गई थी और वह बिल्कुल नग्न लेटे हुए थे, उनका लण्ड राजा बड़े आराम से उनकी जांघों पर सोया हुआ था.
मेरा ध्यान बच्चे को दूध पिलाने में कम और मेरे ससुर जी के लण्ड राजा की ओर ज्यादा आकर्षित हो गया. मैं बहुत ध्यान से उसे और उसकी बनावट को देखती रही. ससुर जी का लण्ड राजा तो बहुत ही आकर्षक था. उसका आकार तो मैं ऊपर बता चुकी हूँ, पर उनके लंड के निचे लटके अंड पोपले अर्थात टट्टे भी तो कमाल के थे, लगभग तीन इंच साइज़ के गेंदों के बराबर होंगे. उनका लण्ड राजा सोये होने के बाबजूद भी पांच इंच लंबा लग रहा था. ऊपर का सुपाड़ा तो ढका हुआ था लेकिन उसके आगे के आधा इंच भाग के ऊपर मांस नहीं था और उनका पेशाब करने और वीर्य निकलने का छिद्र बिल्कुल साफ नज़र आ रहा था.
मेरे बेटे का पेट भर चुका था इसलिए उसने चूची को छोड़ दिया था और सो गया था, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैंने बच्चे को अलग से सुला दिया और वहीं बैठ कर ससुर जी के उस हथियार को निहारती रही जो वहाँ लेटे लेटे मुझे चिढ़ा रहा था. मैंने महसूस किया कि मैं अपनी तृष्णा को अब और नहीं दबा सकती थी और उस लण्ड राजा को चूसना और उसे अपनी फुद्दी में लेकर जिंदगी का मजा लेना चाहती हूँ, मैं अपना अकेलापन दूर करना चाहती हूँ, अपनी सेक्स की भूख मिटाना चाहती हूँ.
मेरी चुदास शांत करने के लिए अब मुझे मेरे पति कि गैरमौजूदगी में भरोसे का और पूरा संतुष्ट करने वाला हथियार मेरे ससुर जी के रूप में मिल गया था. अब मैं और इंतज़ार नहीं कर सकती थी और इसलिए मैंने अपनी सारी झिझक छोड़ी, अपना गाउन उतारा और सरक कर ससुर जी की जांघों के पास आकर बैठ गई. ससुर जी जाग ना जाएँ इसलिए मैंने उनके लण्ड राजा को हाथ से नहीं छुआ और अपने मुहँ को उसके पास ले जा कर उसे चूमने और जीभ से उसे चाटने लगी.
शायद यह लण्ड राजा चाटने मात्र से खुश होने वाले नहीं थे शायद उसे तो चुसाई चाहिए थी, इसलिए ससुर जी के मुसल जैसे लण्ड हिलना शुरू कर दिया. उसकी इस हरकत से मैं थोड़ा घबराई, लेकिन फिर हिम्मत बांध कर लण्ड राजा को हाथ से पकड़ा, ऊपर का मांस पीछे सरका कर सुपारे को बाहर निकाला और उसे अपने मुँह के अंदर लेकर किसी रांड की तरह चूसना शुरू किया. कुछ ही क्षणों में लण्ड राजा खुश हो कर तन गए. तभी ससुर जी का हाथ मेरे सिर पर पड़ा और वह उसे नीचे दबाने लगा और देखते ही देखते लण्ड राजा मेरे मुँह से होते हुए मेरे गले तक पहुँच गया.
मेरी हालत पतली हो गई थी, मेरी साँस उखड़ रही थी. फिर भी मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी और चुसाई चालू रखी. करीब एक मिनट के बाद ससुर जी का हाथ मेरे सिर से हट कर नीचे आ गया और वे मेरी चूचियों को पकड़ कर उन्हें दबाने लगे. उनकी इस हरकत से मैं बहुत ही प्रसन हुई और मेरी फुद्दी गीली होने लगी. फिर उन्होंने मेरी मेरे बूब्स के भूरे भूरे निप्पल को अपनी ऊँगलियों में दबा कर मसला, जिससे मैं बहुत ज्यादा गर्म होने लगी और मैं चुदास से भरकर मेरे एक हाथ से अपनी गुलाबी मुलायम फुद्दी में उंगली करने लगी. मुझे अभी मजा आना शुरू ही हुआ था कि ससुर जी उठ के बैठ गए.
मेरी चूची से निकले दूध के कारण उनके हाथ गीले होने लगे थे, जिस से उनकी नींद खुल गई थी. उन्होंने मुझे झटके के साथ अपने लण्ड राजा से अलग कर दिया. फिर उन्होंने उठ कर लाईट जलाई और भौचक्के से मेरे नग्न शरीर को देखने लगे. तभी उन्हें अपने नंगे होने का अहसास हुआ और फुर्ती से अपनी लुंगी उठा के पहन ली एवं मेरा गाउन मुझे पकड़ा दिया और बोले- यह क्या कर रही थी? जाओ कपड़े पहनो. ‘ससुर जी मैं तो वही कर रही थी जो आप चाहतें हैं.’ मैंने जवाब दिया.
मेरे ससुर जी मुझसे बोले की बहू रानी मैंने ऐसा करने को तुमसे कब कहा? मैंने एकदम से झूठ बोल दिया की ससुर जी मैं तो बेटे को ले जाने के लिए आई थी, आपकी खुली हुई लुंगी देख कर उसे आपके ऊपर औढ़ा रही थी, तब आपने मेरे सिर को पकड़ लिया और उसे अपने लण्ड राजा पर दबा दिया. मैं समझी कि आप इसकी मालिश चाहते हैं. मेरे ससुर जी मुझसे बोले की बहू रानी तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. मैंने उत्तर दिया की ससुर जी मैंने आज तक आपका कोई भी आदेश नहीं टाला तो यह कैसे न मानती…?’ .
ससुर जी ने कहा अरे बहू रानी मैं तो बहुत गहरी नींद में था और सपना देख रहा था जिसमें यह सब तुम्हारी सास कर रही थी, इसलिए मैंने ऐसा इशारा किया होगा.. ‘ससुर जी तो क्या हो गया अगर मैंने इशारे को आपका आदेश समझ कर आपकी यह सेवा भी कर दी. आपका सपना और मेरा कर्तव्य दोनों पूरे हो गए.’ मैंने कहा. ‘अरी, तू मेरी बात क्यों नहीं समझ रही है. मैं तेरे साथ ऐसा कुछ नहीं कर सकता.’ वे बोले. ‘अब तो हम दोनों एक साथ यह कदम उठा चुके हैं, दोनों में से कोई एक भी कदम पीछे ले जाता है तो दूसरे को बुरा लगेगा.
मैं नादान बनते हुए बोली बताइये ससुर जी, अब हम यहाँ से आगे बढ़ने के अलावा और क्या कर सकते हैं? इससे पहले कि वह कुछ कहें और बात ज्यादा बिगड़े, मैं उठ कर खड़ी हो गई और अंगड़ाई लेते हुए, अपने जिस्म की नुमाइश करती हुई उनके पास आकर उनके हाथों को पकड़ा और अपनी दूध से भरी मोटी मोटी चूचियों पर रख दिए.
फिर उनके लण्ड राजा को पकड़ कर हिलाती हुई बोली- ससुर जी, अब तो आपका यह लण्ड राजा भी गर्म है और मेरी गरम मुलायम चुत रानी में भी आग लगी हुई है इसलिए मैं आपके पांव पड़ती हूँ और विनती करती हूँ कि कृपया सब कुछ भूल जाएँ और जो खेल शुरू किया था उसे आगे खेलते रहिए! प्लीज़ इस चुत रानी की जलन को बुझाने के लिए इसमें अपने लण्ड राजा से बौछार करा दीजिए.
मेरे रंडवे ससुर जी को आगे कुछ बोलने का कोई मौका दिए बिना, मैं उनके पैरों को पकड़ कर नीचे बैठ गई और उनका लण्ड राजा मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी. ससुर जी कुछ नहीं बोले और चुपचाप खड़े रहे. मैं समझ गई कि अब लोहा गरम हो रहा है और चोट मारने का समय आ गया है. मैंने झट से उनके हाथों को खींच कर अपनी दूध से भरी मोटी मोटी चूचियों पर रख दिया. बस फिर तो ऐसा लगा कि जंग जीत ली, क्योंकि ससुर जी मेरी दूध से भरी मोटी मोटी चूचियों को बड़े प्यार से मसलने लगे.
मेरे मोटे मोटे बूब्स मसलने के बाद उनका दिल ब्लोजॉब का सुख प्राप्त करने का करने लगा. फिर ब्लोजॉब करवाने के लिए वह पलंग पर बैठ गए और मेरे मुह में अपना लण्ड राजा ठूस दिया और मुझसे उसे चुसने के लिए बोलने लगे. जैसे ही मैंने मेरे ससुर जी का लंड अपने मुह में लेकर चुसना प्रारंभ करा तो उन्होंने अपना हाथ मेरी चुदाई की प्यासी फुद्दी पर रख दिया. वह कभी मेरी प्यासी चुत के अंदर उंगली करने लगे और कभी मेरी गरम मुलायम चुत रानी की गुलाबी बलबी फांकों को रगड़ने लगे.
अब मैं बहुत ही ज्यादा चुदास से भर चुकी थी और अब मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गई थी, अब तो मुझे मेरे ससुर जी के नौ इंच लंबे और ढाई इंच मोटे मूसल जैसे लण्ड राजा के जोरदार झटकों का इंतज़ार था. मेरी तेज तेज चुसाई से ससुर जी के लण्ड राजा का अत्यंत स्वादिष्ट प्रथम रस (प्री-कम) मेरे मुहँ में आना शुरू हो गया था, यह महसूस कर के ससुर जी बोले- कैसा लग रहा इसका स्वाद? मैं बोली- बहुत स्वादिष्ट है, कुछ मीठा और कुछ नमकीन.
वह बोले- क्या मेरा सारा रस तुम मुफ़्त में पी जाओगी और एवज मुझे कुछ नहीं दोगी? उठो और पलंग के ऊपर आकर लेटो बहू रानी ताकि मैं भी तुम्हरी चुत रानी का रस पी सकूँ. ‘अच्छा ससुर जी!’ मैंने कहा और झट से पलंग पर आ कर अपनी दोनों तांगे पसार कर लेट गई. फिर तो ससुर जी 69 की अवस्था में लेट कर मेरी दोनों नंगी टाँगे चौड़ी कर के मेरी गरम मुलायम चुत रानी को चूसने लगे और मैं उनके लण्ड राजा को अपने मुह में लेकर किसी कुतिया रांड की तरह चूसने लगी.
मेरे रंडवे ससुर जी कभी मेरी फुद्दी में अपनी जीभ डालते तो कभी उसके अन्दरूनी होंठ चूसते लेकिन जब वह मेरी चुत के अंदर तक अपनी जीभ चलाते तो मेरी फुद्दी के अंदर अजीब सी गुदगदी होती और मुझे लगता कि मैं स्वर्ग में पहुँच गई हूँ. हम दोनों की इस चुसाई से उत्तेजित होकर हमारे दोनों के मुहँ से ऊँहह्ह… ऊँहह्ह्ह्… और आह.. आह्ह्ह… की आवाजें निकलने लगी थीं. मेरा तो यह हाल था कि मेरी फुद्दी का पानी भी निकलने लगा था, जिसे ससुर जी बड़े मजे से पी रहे थे और डकार भी नहीं ले रहे थे.
अचानक मेरे रंडवे ससुर जी ने मेरी चुत के अंदर बहुत कसकर जीभ फेरी और मेरी फुद्दी एकदम से सिकुड़ी और कामरस रूपी वीर्य का फव्वारा ससुर जी के मुँह पर छोड़ दिया. उनका हाल देखने लायक था, उनका पूरा चेहरा मेरी गरम मुलायम चुत रानी की इस शरारत से भीग गया था. वह एकदम उठ खड़े हुए और कहने लगे- लगता है इस शरारती चुत रानी को कुछ तो सबक सिखाना ही पड़ेगा यह बहुत ही ज्यादा शैतान हो गयी है इसे कोई सजा देनी पड़ेगी.
मैं इससे पहले उनका लण्ड राजा मुँह से निकालती, उन्होंके लण्ड राजा ने वीर्य की पिचकारी मेरे मुहँ में छोड़ दी. मैं इसके लिए तैयार नहीं थी इसलिए कुछ वीर्य तो मेरे गले से नीचे उतर गया लेकिन बाकी का सारा रस मेरे पूरे चेहरे तथा मेरी गर्दन पर फ़ैल गया. फिर वह अलग हट गये. मैंने उठ कर अपने आप को और ससुर जी को पौंछा और ससुर जी की ओर आँखें फाड़ कर देखने लगी. ससुर जी हँसते हुए बोले- मिल गई न तुझे शरारत की सजा. चिंता मत कर, अभी तो इससे भी बड़ी सजा इस रानी को देनी है.
मैंने अनजान बनते हुए मेरे रंडवे सरुर जी से पूछा- ससुर जी और कैसी बड़ी सजा देंगे आप अपनी इस मासूम बहू की चुत रानी को ? तो उन्होंने अपनी बलिष्ठ बाजुओं से उठा कर मुझे मेरे कमरे में ले जाकर पलंग पर पटक दिया और मेरे गांड के नीचे एक तकिया रख दिया. तब मैंने देखा कि रस छूटने के बाद भी ससुर जी का लण्ड राजा अभी भी लोहे की छड़ की तरह अकड़ा हुआ है और वह अगली चढ़ाई के लिए तैयार है.
उन्होंने मेरी टांगे चौड़ी करके चुत रानी को देखने लगे और बोले- बहू रानी यह तो बहुत नाज़ुक सी लग रही है. क्या यह इस लण्ड राजा को झेल पायेगी? मैं तुरंत बोल पड़ी- ससुर जी आप कोशिश तो करिये कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती… आगे जो होगा वो देखा जाएगा. तब वह मेरी टांगों के बीच में आकर बैठ गए और अपने लण्ड राजा को मेरी गरम मुलायम चुत रानी के गुलाबी गुलाबी होठों पर रगड़ने लगे.
इससे मेरी हालत बहुत खराब होने लगी, मैंने कहा- ससुर जी, अब और मत चिढ़ाओ और इसे जो सजा देनी है वह जल्दी से दे दीजिए. तब ससुर जी बोले- चिंता मत कर ज़रा सजा के लिए इसे तैयार तो कर लूँ! इसके बाद उन्होंने अपना लण्ड राजा, जो इस समय अपने पूरे आकार का हो चुका था, मेरी मुलायम फुद्दी के मुँह के पास रख दिया और हलके से धक्के मार कर उसे फुद्दी के अंदर घुसेड़ने लगे.
मेरी फुद्दी तो उस समय लण्ड राजा की इतनी भूखी थी कि उसका मुँह अपने आप लण्ड राजा को खाने के लिए खुलने लगा और देखते ही देखते उसने ससुर जी के लण्ड राजा के सुपारे को निगलना शुरू कर दिया. ससुर जी चुत रानी की यह हिमाकत देख कर बहुत हैरान हुए और जोश में आ कर एक जोर का धक्का दे मारा. फिर क्या था चुत रानी की तो माँ चुद गई और मेरे मुहँ से एक जोर की चीख आईईईई माँ… निकल गई. ससुर जी एकदम मेरे ऊपर झुक गए और मेरे समान्य होने तक वैसे ही रुके रहे.
वह मेरी चूचियों को दबाते रहे तथा मुझे जोर से चूमते रहे. जब मैं कुछ ठीक हुई तब मैंने उनसे पूछा- कितना गया? तो वे बोले- बहू रानी अभी तो आधी सजा मिली है. बाकी आधी सजा के लिए तैयार हो तो बताओ. जब मैंने हामी भर दी तब उन्होंने कस कर एक और धक्का मारा और अपना पूरा लण्ड राजा मेरी गरम मुलायम चुत रानी के बाग में पहुँचा दिया. मैं एक बार दर्द के मारे फिर ‘आईईईईए… आईईईईए… कर के चिल्ला उठी. मुझे लगा कि मेरी फुद्दी फट गई है और इसीलिए इतना दर्द हो रहा है.
मेरी फुद्दी की सील टूटने पर और बेटे के होने पर भी इतनी दर्द नहीं हुई थी जितनी कि अब हो रही थी. ससुर जी मेरी तकलीफ को समझते हुए रुक गए थे और अपना दाहिना हाथ मेरी फुद्दी के ऊपर उगे हुए बालों के उपर रखा और थोड़ा दबाया और मेरे ऊपर लेट गए. बाएं हाथ से मेरी चूची को मसलते हुए पूछा- अब कैसा लग रहा है? अगर तुम कहती हो तो मैं निकाल लेता हूँ नहीं तो जब कहोगी तभी आगे सजा दूंगा और इसके बाद अपने होंटों को मेरे होंटों पर रख कर उन्हें चूसने लगे.
हम करीब पांच मिनट ऐसे ही पड़े रहे. कुछ देर के बाद जब मुझे लगा कि मैं आगे के झटके सह लूंगी तब मैंने ससुर जी से कहा- मैं आपकी देने वाली बाकी कि सजा अब काटने को तैयार हूँ. चलिए शुरू हो जाइये. मेरा इतना कहना था कि ससुर जी ने अपनी गाड़ी शुरू करी और किसी कुत्ते की तरह जल्दी जल्दी धक्के लगाने लगे. पहले चोदने का फर्स्ट गियर लगाया, फिर सेकंड गियर और इसके बाद थर्ड गियर में चलने लगे और मुझसे पूछने लगे- क्यों कोई तकलीफ तो नहीं हो रही बहू रानी चुदवाने में? मैंने कहा- नहीं, मुझे तो अभी चुदाई के असली मज़े आने शुरू ही हुए है.
आप अभी इसी स्पीड से मेरी चुदाई करते रहें. जब स्पीड बढ़ानी होगी मैं बता दूँगी. अगले दस मिनट हम दोनों इसी तरह चुदाई करते रहे और जब मैंने महसूस किया कि अब चुदवाने की स्पीड बढ़ाने का समय आ गया है, तब मैंने भी अपने जिस्म को ससुर जी की स्पीड के हिसाब से हिलाना शुरू कर दिया और बोली- ससुर जी, अब अपनी गाड़ी को चौथे गियर में डालिए और पूरी रफ्तार के साथ चलाइए. फिर क्या था ससुर जी ने थोड़ी स्पीड और बढ़ा दी और मेरी प्यासी चुत की चुदाई करवाने के आनन्द को चार गुना कर दिया.
मैं अब उछल उछल कर चुद रही थी और मेरे रंडवे ससुर जी जोरदार झटके पर झटके मार कर मेरी चुत चुदाई करे जा रहे थे. हम दोनों के मुँह से ऊँहह्ह्ह… ऊँहह्ह्ह… और आहह्ह्ह… आह्हह्ह्ह… की तेज तेज आवाजें निकलने लगी थीं. इस डर से कि आवाजें बाहर न सुनाई दे हम दोनों ने अपने होंट अपने दांतों के नीचे दबा रखे थे. अब मेरी फुद्दी में खलबली मचने लगी थी और वह भिंच कर ससुर जी के तगड़े लण्ड राजा को जकड़ने लगी थी. मेरी फुद्दी के अंदर बहुत ज्यादा खिंचाव होना शुरू हो गया और उसमें से पानी भी रिसना शुरू हो गया.
मैं चुदवाते चुदवाते दो बार तो झड़ भी गई थी और अब तीसरा खिंचाव आने वाला था. अब मुझसे और नहीं सहा जा रहा था इसलिए मैंने ससुर जी से कहा- अब जल्दी से चोदने का टॉप गियर लगा दीजिए. मेरे कहने पर उन्होंने चुदाई की फुल स्पीड कर दी और मेरी फुद्दी में वह इस जिंदगी के सबसे तेज झटके लगाने लगे. उनका लण्ड राजा मेरे फुद्दी की गहराइयों को पार कर मेरी बच्चेदानी के अंदर घुस गया था.
अब मुझसे और नहीं रहा गया, मैं बहुत जोर से चिल्ला उठी- ससुर जी, और तेज, और तेज, आह.. आह.. मैं गईईईए.. गईईईए.. गईईईए.. गईईई.. उई माँ आह… आह… दोस्तों चुदते चुदते मेरा जिस्म अकड़ गया और फुद्दी लण्ड राजा से चिपक गई. इसी समय ससुर जी की भी हुंकार सुनाई पड़ी और उनका लण्ड राजा मेरी फुद्दी में फड़फड़ाया. एक ज़बरदस्त पिचकारी छूटी और मैं तो उस समय के आनन्द में ससुर जी के रस की नदी में बह गई. इसके बाद ससुर जी मेरे ही ऊपर लेट गए और हम दोनों को मालूम ही नहीं रहा के हम इस तरह कितनी देर ऐसे ही पड़े रहे.
फिर हम उठे और अपने आप को एक दूसरे से अलग किया और हम दोनों के रसों का फुद्दी-शेक निकल के मेरी जांघों से नीचे की ओर बहने लगा. मैं बाथरूम की ओर भागी और ससुर जी मेरे पीछे वहीं आ गए. मेरी जांघों पर बहते हुए फुद्दी-शेक को देख कर मुस्करा रहे थे. तभी मेरी नज़र ससुर जी के लण्ड राजा पर पड़ी और मैंने देखा की उनका लण्ड राजा बाथरूम की रोशनी में ऐसे चमक रहा था जैसे उस पर चांदी का वर्क चढ़ा दिया था.
असल में फुद्दी से निकालने पर उसके ऊपर मेरी फुद्दी के पानी का लेप हो गया था और वह बहुत तेज चमक रहा था. मेरे से रहा नहीं गया और मैंने मेरे ससुर जी के नौ इंच लंबे और ढाई इंच मोटे मूसल जैसे लण्ड राजा को अपने मुँह में लिया और किसी रांड की तरह बहुत ही ज्यादा मस्ती और जोश के साथ उसे चूसने लगी. मैंने जब मेरे ससुर जी के नौ इंच लंबे और ढाई इंच मोटे मूसल जैसे लण्ड राजा को चाट कर साफ कर दिया तो ससुर जी ने पूछा- स्वाद कैसा है बहू रानी मेरे मूसल जैसे लण्ड राजा का?
मैंने शरमाते हुए जवाब दिया- ससुर जी आपके इस मूसल जैसे लण्ड राजा का स्वाद तो बिलकुल राबड़ी वाली कुल्फी के जैसा है. तब ससुर जी ने अपनी दो ऊँगलियों मेरी फुद्दी में डाल कर बाहर निकालीं और उसमें लगे फुद्दीशेक को चाटने लगे, फिर बोले- हाँ, तुम ठीक कह रही हो, यह तो मलाई ही है, मेरी और तुम्हारी. आज तो यह बह गई पर अगली बार इसे इकठा करके खाएँगे. फिर हम दोनों एक दूसरे को धोने और साफ़ करने लगे.
जब हम नंगे ससुर और बहुत एक दूसरे का लण्ड राजा और चुत रानी पौंछ रहे थे, तभी मेरे बेटे के रोने की आवाज़ आई. मैं भाग कर उसके पास लेट गई और उसके मुहँ में मेरी दूध से भरी चूची दे दी, वह चुपचाप मेरे स्तन से दूध पीने लगा. ससुर जी भी मेरे पास आकर लेट गए और मैंने बेटे को दूध पिलाने के साथ साथ एक हाथ से ससुर जी के मुसल जैसे लम्बे और मोटे लण्ड राजा को भी पकड़ लिया.
जब मेरे बेटे ने दूध पीना बंद कर दिया तो मैंने उसे पलंग पर लिटा कर ससुर जी के पास उनके साथ चिपक कर उन्ही के पलंग पर लेट गई. मेरी चुदाई की इच्छा पूरी हुई थी इसलिए मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं आगे क्या करूँ. तभी ससुर जी ने कहा- बहू रानी मैं थक गया हूँ और मुझे भूख भी लग आई है इसलिए थोड़ा गर्म दूध ला दो. तुम भी थोड़ा पी लो, बच्चे को भी तो पिलाती हो. मैंने झट से कहा- नहीं ससुर जी, मुझे तो बिल्कुल भूख नहीं है, मेरा पेट तो आप के लण्ड राजा की मलाई से भर गया है.
फिर मैंने कहा- ससुर जी, मेरी चुचियों में बहुत दूध है आप उसे पीकर अपनी भूख मिटा लीजिए. वह बोले- यह कैसे हो सकता है, बच्चे के लिए कम हो जाएगा. मैंने कहा- अभी तो यह अपना पेट भर के सो गया है और अब सुबह सात बजे ही उठेगा. तब तो इसे गाय का दूध देना है, मेरी चूचियों के दूध की बारी तो करीब सुबह दस बजे के बाद आयगी. तब तक तो मेरी चूचियाँ पूरी भर जाएँगी और दूध की कोई कमी नहीं रहेगी.
यह सुन कर ससुर जी मान गए, वह मेरे बड़े बड़े स्तन के भूरे भूरे निप्पल बारी बारी से अपने मुह में लेकर बड़ी मस्ती से चूसने लगे और मेरा दूध पीने लगे. जब दोनों तरफ के स्तन खाली कर कर दिए तब जाकर वह अलग हुए और अपने खड़े लण्ड राजा को पकड़ कर मुझे दिखाने लगे. मैंने कहा- हाँ मेरे प्यारे ससुर जी मैं जानती हूँ कि आपके मुसल जैसे लण्ड राजा को आराम के लिए गद्देदार और गर्म जगह चाहिए, इसका इंतजाम मैं अभी कर देती हूँ. अब इसके साथ साथ हमें भी आराम करना चाहिए, नहीं तो आपकी कमर का दर्द आपको परेशान कर देगा. अब यह मज़े तो हम अब हर रोज करते रहेंगें.
इसके बाद मैं मेरे ससुर जी के खड़े लण्ड राजा की सवारी करने के लिए उठ कर उनके ऊपर आ गई और उनके खड़े लण्ड राजा पर जाकर बैठ गई और उनका नौ इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा मूसल जैसा लण्ड राजा मेरी गरम मुलायम चुत की गहराइयों में मस्ती से चुदाई करने के लिए पहुँच गया था. करीब दस मिनट तक हम नंगे बहू रानी और ससुर जी ने इस सेक्स अवस्था में सेक्स करा और फिर मेरे ससुर जी के खड़े लण्ड राजा ने मेरी गरम मुलायम चुत रानी को अपने मक्खन रूपी वीर्य से भर दिया.
अब सेक्स करके हम दोनों ससुर और बहू बहुत ज्यादा थक गए थे तो हम दोनों नंगे ही एक दुसरे से चिपक कर सो गए. हम दोनों को ना जाने कब गहरी नींद आ गई हमें पता ही नहीं चला. मेरे ससुर जी को अपने खड़े लण्ड राजा पर कंडोम लगाना बिलकुल भी पसंद नहीं था और वो बिना कंडोम पहने ही मेरी गरम मुलायम चुत रानी को बहुत खतरनाक तरीके से चोदा करते थे और मेरी घोड़ी बनाकर मेरी गांड भी बहुत ही ज्यादा खतरनाक तरीके से मारा करते थे.
मैं मेरे पति की गैर मौजूदगी में उनके पिता के साथ अवैध शारीरिक सम्बन्ध बनाती थी और खूब जमकर रात दिन बिना कंडोम के ही सेक्स करती थी इस लिए मुझे मेरा यह पाप छुपाने के लिए बच्चा नहीं होने की दावा खानी पड़ती थी. मैं मेरे ससुर जी के बच्चे की माँ नहीं बन जाऊ इस वजह से बच्चा नहीं होने वाली दावा के लिए पैसे मेरे ससुर जी अपनी पेंशन में से ही दिया करते थे. दोस्तों आब तो मुझे मेरे पति के साथ सेक्स करने से ज्यादा मजे मेरे ससुर जी के साथ सेक्स करने में आते हैं.