तेरे पति का लौड़ा मेरी चूत मेरे पति का लौड़ा तेरी चूत Hindi Group Sex Story : हेल्लो दोस्तों मेरी इस हिन्दी सेक्स कहानी में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत हैं. दोस्तों मेरी यह हिन्दी सेक्स कहानी एक ग्रुप सेक्स कहानी हैं जिसमे दो सहेलियाँ अपने अपने पति के लंड को एक दुसरे के साथ शेयर करती हैं और अपने अपने पति की आडला बदली करके अपनी अपनी सहेलियों के के पति के साथ चुदाई का आनंद लेती हैं और वो चारों जने मिलकर ग्रुप सेक्स का आनंद लेते हैं. मैं और मधुबाला बचपन की फ्रेंड है. हम दोनों सहेलियाँ स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ साथ पढ़े और अब मेरी और मधुबाला की शादी भी लगभग एक ही साथ हुयी थी.
मेरा ससुराल और मेरी बेस्टफ्रेंड मधुबाला का ससुराल बिलकुल पास में था. मधुबाला का पति बहुत ही स्मार्ट और देशिंग था जिस कारण मेरा दिल उस पर शुरू से ही था. मैं उस से कभी कभी डबल मीनिंग वाले मजाक भी कर लेती थी. वो भी इशारों में कुछ बोलता था जो मुझे समझ में नहीं आता था. मुझे मधुबाला का पति पसंद था और उसे मेरा पति इस कारण वो भी मेरे पति पर लाइन मारती थी ये मैं जानती थी की वो मेरे पति के लंड से चुदवा कर अपनी चूत की खुजली मिटवाना चाहती है.
तेरे पति का लौड़ा मेरी चूत मेरे पति का लौड़ा तेरी चूत Hindi Group Sex Story

जब हमारे पति नहीं होते तो हम दोनों साथ ही रहते थे. उन दोनों के ऑफिस चले जाने के बाद मैं मधुबाला के घर चली जाती थी. मधुबाला आज कुछ सेक्सी मूड में थी. मैंने मधुबाला से कहा- ‘आज चाय नहीं..कोल्ड ड्रिंक लेंगे यार.’ ‘हाँ हाँ क्यों नहीं…’ हम सोफे पर बैठ गए. मधुबाला मुझसे बोली- ‘सुन एक बात कहूं… बुरा तो नहीं मानेगी…’ ‘कहो तो सही..’ ‘देख बुरा लगे तो मुझे माफ़ कर देना… ठीक है ना…’ ‘अरे कहो तो सही तुम इतना घबरा क्यों रही हो…’ ‘कहना नहीं… करना है…’ ‘तो करो… बताओ क्या करना हैं…?’ मैं हंस पड़ी.
उसने कहा- ‘कनक.. आज तुझे प्यार करने की इच्छा हो रही है…’ ‘तो इसमे क्या है… आ किस करले..’ ‘तो पास आ जा..’ ‘अरे कर ले ना…’ मुझे लगा कि वो कुछ और ही चाह रही है मधुबाला ने पास आकर मेरे गुलाबी गुलाबी होटों पर अपने लाल लाल होंट रख दिए. और उन्हे चूसने लगी और अपनी जीभ मेरे मुह में घुसाने लगी और मेरे थूक को अपने मुह में लेने लगी. मैंने भी उसका उत्तर चूम कर ही दिया.
इतने में मधुबाला का हाथ मेरे संतरों अर्थात बोबों पर आ गया और वो मेरे बोबों को सहलाने लगी. मैं रोमांचित हो उठी.. ‘ये क्या कर रही है मधुबाला…’ ‘कनक मुझसे आज रहा नहीं जा रहा है… तुझे कबसे प्यार करने कि इच्छा हो रही थी…’ ‘अरे तो तुम्हारे पति… नहीं करते क्या..’ ‘कभी कभी करते है… अभी तो 7-8 दिन हो गए हैं… पर कनक मैं तुमसे प्यार करती हूँ… मूझे ग़लत मत समझना..’

उसने मेरे संतरों को बहुत जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया. मूझे मजा आने लगा. मेरी चुद्क्कड़ सहेली ने आज ख़ुद ही मेरे आगे समर्पण कर दिया था. मैं भी तो कब से यही चाह रही थी की हम दोनों सहेलियाँ मिलकर लेस्बियन सेक्स पर मुझे उससे इजहार करने में शरम आ रही थी. मुझे भी उसे प्यार करने का मौका मिल गया. अब मैंने अपनी शरम हया को छोड़ते हुए उसकी चुन्चियों को मसलना शुरू कर दिया. वो मन में अन्दर से खुश हो गयी. वो उठी और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया. मैं भी उसके पीछे उठी और उसके नर्म नर्म चूतड पकड़ लिए. मधुबाला सिसक उठी. बोली -‘मसल दे मेरे चूतडों को आज… कनक… मसल दे…’ मैंने मधुबाला का पजामा और टॉप उतार दिया.
अब वो मेरे सामने अपने सभी कपडे खोलकर बिलकुल नंगी खड़ी थी. मैं भी अपने कपड़े उतारने लगी. पर वो बोली- नहीं कनक… तू मुझे बस ऐसे ही देखती रह… मेरे बूब्स मसल दे… मेरी प्यासी फुद्दी को घिस डाल… उसे चूस ले… सब कर..ले ‘ मैं उसे देखती रह गयी. मैंने धीरे से उसके चमकते गोरे शरीर को सहलाना शुरू कर दिया. पर मुझसे रहा नहीं गया. मैं भी नंगी होना चाहती थी. मैंने भी अपना पजामा कुरता उतार दिया, और नंगी हो कर उस से लिपट गयी. हम दोनों एक दूसरे को मसलते दबाते रहे और सिसकियाँ भरते रहे.
अब हम बिस्तर पर आ गए थे, हम दोनों 69 की पोसिशन में आ गए और लेस्बियन सेक्स करते करते बहुत गरम हो गए थे. उसने मेरी चूत चीर कर फैला दी और अपनी जीभ से अन्दर तक चाटने लगी. अचानक उसने मेरा दाना अपनी जीभ से चाट लिया. मैं सिहर गयी. मैंने भी उसकी गीली चूत के दाने को मेरी थूक से भरी जीभ से रगड़ दिया. उसने अपनी चूत मेरे मुंह पर धीरे धीरे मारना शुरू कर दिया और मेरी चूत को जोर से चूसने लगी. मैंने उसकी चूत मैं अपनी उंगली घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगी. वो आनंद से भर कर आहें भरने लगी और बहुत ही सेक्सी सेक्सी आंहे लेने लगी. मेरी चूत में उसकी जीभ अन्दर तक घूम चुकी थी. मुझे मीठा मीठा सा आनंद से भरपूर अह्स्सास होने लगा था.

लेस्बियन सेक्स करते करते अब हम दोनों सहेलियों की हालत बुरी हो रही थी. लगता था कि थोडी देर में झड़ जाएँगी. उसी समय मोबाइल फ़ोन की घंटी बज उठी. कामवासना में खोई हुई मधुबाला होश में आ गयी. हांफती हुयी उठी और मोबाइल फोन उठा लिया. वो उछल पड़ी. मोबाइल बंद करके बोली- ‘अरे वो बाहर खड़े हैं… जल्दी उठ कनक… कपड़े पहन…’ ‘ ये आज घर जल्दी कैसे आ गए… ???????’ हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और बालकनी पर आ गए.
नीचे नीरज जी खड़े थे. वो दरवाजा खोल कर अन्दर आ चुके थे. अन्दर उसने मुझे देखा और मुस्कराया मैं भी मुस्करा दी. ‘सुनो तुम्हे अभी मायके जाना है… मम्मी बहुत बीमार हैं…’ उसकी मम्मी शहर में 10 किलोमीटर दूर रहती थी. मैं मधुबाला से विदा ले कर घर आ गयी. उसे करीब 1 घंटे बाद कार में जाते हुए देखा. शाम को मैं घर के बाहर ही फल, सब्जी खरीद रही थी.
मैंने देखा कि नीरज कार में घर की तरफ़ जा रहा था. मैंने घड़ी देखी तो 4 बजे थे. मेरे पति 7 बजे तक आते थे. मेरे मन में सेक्स जाग उठा. मैंने तुंरत ही कुछ सोचा और सामान सहित मधुबाला के घर की तरफ़ चल दी. नीरज घर पर ही था. मैंने घंटी बजाई. तो नीरज बाहर आया. ‘मम्मी कैसी हैं ?…’ ‘ठीक हैं, 4 -5 दिन का समय तो ठीक होने में लगेगा ही.. आओ अन्दर आ जाओ..’ ‘तो खाना कौन बनाएगा… आप हमारे यहाँ खाना खा लीजियेगा…’ वो मतलब से मुस्कुराते हुए बोला- ‘अच्छा क्या क्या खिलाओगी..’ मैंने भी शरारत से कहा- ‘जो आप कहें… नारंगी खाओगे… जीजा जी…’ उसकी नजर तुरन्त मेरे संतरों अर्थात बोबों पर गयी.
मेरी रस से भरी मोटी मोटी नारंगियों के उभारों को उसकी गन्दी नजरें नापने लगी. ‘हाँ अगर तुम खिलाओगी तो… तुम क्या पसंद करोगी..’ नीरज ने तीर मारा ‘हाँ… मुझे लम्बा मोटा केला अच्छा लगता है…’ मैंने उसकी पेंट की जिप को देखते हुए तीर को झेल लिया. ‘पर..आज तो लम्बा मोटा केला नहीं है…’ ‘है तो… तुम खिलाना नहीं चाहो तो अलग बात है…’ मैंने नीचे उसके खड़े होते हुए लौड़े को देखते हुए कहा.. उसने मुझे नीचे देखते हुए पकड़ लिया था. ‘अच्छा..अगर है तो फिर आकर ले लो..’ नीरज मुस्कराया ‘अच्छा मैं चलती हूँ… जीजा जी… लम्बा मोटा केला तो अन्दर छुपा रखा है..मैं कहाँ से ले लूँ?.’ मैंने सीधे ही लंड की ओर इशारा कर दिया. मैं उठ कर खड़ी हो गयी. वो तुंरत मेरे पीछे आया और मुझे रोक लिया- ‘लम्बा मोटा केला नहीं लोगी क्या… मोटा लम्बा केला है…’

मैंने प्यार से उसे धक्का दिया- ‘तुमने नारंगी तो ली ही नहीं.. तो मैं लम्बा मोटा केला कैसे ले लूँ..’ मैंने तिरछी नजरों का वार किया. उसने पीछे से आ कर- धीरे से मेरी चुंचियाँ पकड़ ली. मैं सिसक उठी. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली. ‘ये नारंगियाँ बड़ी रसीली लग रही हैं ‘ ‘नीरज… क्या कर रहे हो…’ ‘बस कनक… तुम्हारी नारंगी… इतनी कड़ी नारंगी… कच्ची है क्या…’ उसका लौड़ा मेरे चूतडों पर रगड़ खाने लगा. मैंने उसका लौड़ा हाथ पीछे करके पकड़ लिया. ‘इतना बड़ा लम्बा मोटा केला… हाय रे… जीजा जी ‘ ‘ कनक… नीचे तुम्हारे गोल गोल तरबूज… हैं… मार दिया मुझे. उसके लंड ने और जोर मारा. लगा कि मेरा पजामा फाड़ कर मेरी गांड में घुस जायेगा.
मैंने पलट कर नीरज की ओर देखा. उसकी आंखों में मेरे सेक्सी और हॉट जिस्म के लिये वासना और हवस नजर आ रही थी. मैं भी वासना के समुन्दर में गोते लगाना चाहती थी. मैंने अपने आप को ढीले छोड़ते हुए उसके हवाले कर दिया. उसने मेरी आंखों में आँखें डालते हुए प्यार से देखा… मैं उसकी आंखों में डूबती गयी. मेरी आँखें बंद होने लगी. उसके होंट मेरे होटों से टकरा गए. अब हम एक दूसरे के होटों का रस पी रहे थे. नीरज ने मेरे एलास्टिक वाले पजामे को धीरे से नीचे खींच दिया. मैंने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी. उसका हाथ सीधे मेरी चूत से टकरा गया. उसने जोश में आकर मेरी चूत को भींच दिया. मै मीठी मीठी अनुभूति से कराह उठी.

उसके दूसरे हाथ ने मेरे रस भरे मोटे मोटे संतरों अर्थात बोबों पर कब्जा कर लिया था. मेरे उरोज कड़े होने लग गए थे. मेरा पाज़ामा धीरे धीरे नीचे तक सरक गया। सहिल ने ना जाने कब अपनी पैन्ट नीचे सरका ली थी। उसका नंगा लौड़ा मेरी गाण्ड से सट गया। लण्ड की पूरी मोटाई मुझे अपने चूतड़ों पर महसूस हो रही थी। मुझे लगा कि मैं लण्ड को अन्दर डाल लूं और मज़ा लूं। मेरे चिकने चूतड़ों की दरार में उसका मोटा तगड़ा काला भुसंड लौड़ा घुसता ही जा रहा था। मैंने अपनी एक टांग थोड़ी सी ऊपर कर ली उसका मोटा और लम्बा लौड़ा अब सीधे गांड के छेद से टकरा गया. गांड के छेद पर लंड स्पर्श अनोखा ही आनंद दे रहा था.
उसने अपने लण्ड को मेरी गांड पर थोड़ा घिसा और मुझे जोर से जकड़ लिया. उसके लौड़ा का पूरा जोर गांड के छेद पर लग रहा था. लण्ड का मोटा सुपाड़ा मेरी गांड के छेद को चौड़ा करके अन्दर घुस पड़ा था. मैं सामने की मेज़ पर हाथ रख कर झुक गयी और चूतडों को पीछे की और उभार दिया. टांगे थोड़ी और फैला दी. ‘आह… कनक… बड़ी चिकनी है… क्या चीज़ हो तुम. ..’ ‘नीरज… कितना मोटा लौड़ा है… अब जल्दी करो…’ ‘हाय… इतने दिन तक तुमने तड़पाया… पहले क्यों नहीं आयी…’ ‘मेरे राजा… अब गांड चोद दो… मत कहो कुछ ..’ ‘ये लो मेरी कनक… क्या चिकने चूतड हैं…’ ‘हाँ मेरे राजा… मैं तो रोज तुम पर लाइन मारती थी… तुम समझते ही नहीं थे… हाय मर गयी…’ उसने अपना पूरा लौड़ा मेरी गांड की गहरायी में पहुँचा दिया.
‘राजा मेरे… अब तो मेहरबानी कर ना…’ ‘बस अब… कुछ ना बोलो… अब मजा आ रहा है… हाय… कनक… मस्त हो तुम तो…’ मेरी बेस्ट फ्रेंड के पति नीरज के धक्के बढ़ते जा रहे थे… मुझे मेरी बेस्ट फ्रेंड के पति के साथ सेक्स करने में बहुत आनंद आने लगा था. वो बहुत देर तक मेरा टट्टी करने वाला छेद अर्थात मेरी गांड का छेद चोदता रहा… मैं अपनी गांड चुदाती रही. उसके धक्के मरने की स्पीड अब अब बढती ही जा रही थी. उसका लौड़ा मेरी गांड की दीवारों से रगड़ खा रहा था. छेद उसके लण्ड के हिसाब से थोड़ा छोटा ही था… इसलिए ज्यादा रगड़ खा रहा था. मेरी गांड चुदती रही. मैं आनंद के मारे जोर जोर से सिस्कारियाँ भर रही थी.

अब मेरी बेस्ट फ्रेंड के पति नीरज ने धीरे से अपने लौड़े को मेरी गांड के छेद से बाहर खींच लिया और मुझे चिपका लिया मेरे हाथ ऊपर कर दिये. पीछे से उसने मेरी छातियाँ कस कर पकड़ ली और मेरे मम्मे बहुत जोर जोर से मसलने लगा. ‘कनक… अब मैं कहीं झड़ ना जाऊं… एक बार लण्ड को चूत का सामना करवा दो…’ मैं हंस पड़ी- ‘आज मैं इसी लिए तो आई थी… मुझे पता था कि मधुबाला नहीं है… तुम अकेले ही हो… और अगर आज तुमने लाइन मारी तो तुम गए काम से…’ दोनों ही हंस पड़े… हम दोनों बिस्तर पर आ गए… मैंने कहा…’नीरज… मैं तुम्हें पहले चोदूंगी… प्लीज़… तुम लेट जाओ… मुझे चोदने दो…’ ‘ चाहे मैं चोदूं या तुम… चुदेगी तो कनक की चूत ही ना… आ जाओ…’ कह कर मेरी बेस्ट फ्रेंड का पति नीरज हंसने लगा. वो बिस्तर पर सीधे लेट गया.
उसके तगड़े लौड़े कि मोटाई और लम्बाई अब पूरी नजर आ रही थी. मैं देख कर ही सिहर उठी. मेरे मन में ये सोच कर गुदगुदी होने लगी कि इतने मोटे लण्ड का स्वाद मुझे मिलेगा. मैं धीरे से उसकी जांघों पर बैठ गयी. उसके लण्ड को पकड़ कर सहलाया और मोटी सी सुपारी को चमड़ी ऊपर करके सुपारी बाहर निकाल दी. मैंने अपनी लम्बी चूत के होठों को खोला और उसकी लाल लाल सुपारी को मेरी लाल लाल चूत से चिपका दिया. पर नीरज को कहाँ रुकना था. सुपारी रखते ही उसके चूतड़ों ने नीचे से धक्का मार दिया.

उसके मोटे लम्बे लौड़े का सुपाड़ा मेरी चूत की फांको को चीरते हुए अन्दर घुस गया. मैं आनंद से सिसक उठी. ‘हाय रे… घुसा दिया अन्दर… मेरी सहेली के चोदू , मेरे राजा…’ कहते हुए मैं उस पर लेट गई. वो गया नीचे दबा हुआ था इसलिए पूरी चोट नहीं दे पा रहा था. पर मेरे आनंद के लिए उतना ही बहुत था. मैंने उसे जकड़ लिया. अब मेरे से भी उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी. मैंने अपनी चूत लण्ड पर पटकनी शुरू कर दी. फच फच की आवाजों से कमरा गूंजने लगा. हम दोनों आनंद में सिस्कारियाँभर रहे थे. ‘हाय मेरे राजा… मजा आ रहा है… हाय चूत और लंड भी क्या चीज़ है… हाय रे…’ ‘कनक… लगा… जोर से लगा… और चोद… निकाल दे अपने जीजा जी के लण्ड का रस…’
मैंने अपनी गति बढ़ा दी में किसी प्यासी रंडी की तरह अपने चूतड़ों को हिला हिला कर उसका लौड़ा झेल रही थी. उसका लौड़ा मेरी चूत के चिकने पानी से भर गया था. ‘हाँ ..मेरे राजा… ये लो… और लो…’ पर नीरज को ये मंजूर नहीं था… उसने मुझे कस के पकड़ा और एक झटके में अपने नीचे दबोच लिया. वो अब मेरे नंगे जिस्म के ऊपर था. उसका लौड़ा बाहर लटक रहा था. उसने अपना कड़क मोटा लंड मेरी चूत के छेद पर रखा और उसे एक ही झटके में चूत की जड़ तक घुसा डाला. उसका लंड मेरी चूत में एक झटके के साथ घुसने के कारण मुझे बहुत तेज का दर्द हुआ और मेरे मुह से एक जोर की चीख निकल पड़ी ऊई माँ……………. मुझे लगा कि उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे गर्भाशय के मुख से टकरा गया है. मैं आह्ह्ह भर कर रह गयी.
अपनी कोहनियों के सहारे वो मेरे शरीर से ऊपर उठ गया. मेरे जिस्म पर अब उसका बोझ नहीं था. मैं एक दम फ्री हो गयी थी. मैंने अपने आप को नीचे सेट किया और टांगे और ऊपर कर ली. नीरज ने अब फ्री हो कर जोरदार शोट मरने शुरू कर दिए. मुझे असीम आनंद आने लगा. मैंने भी अब नीचे से चूतड़ों को उछाल उछाल कर उसका बराबरी से साथ देना शुरू कर दिया. मैं अब कसमसाती रही… चुदती रही… उसकी रफ्तार बढती रही… मुझे लगने लगा कि अब सहा नहीं जाएगा… और मैं झड़ जाऊंगी… मैंने धक्के मारने बंद कर दिए .. और ऑंखें बंद करके आनंद लेने लगी…
मैं चुदवाते चुदवाते चरम सीमा पर पहुच चुकी थी.. जैसे जैसे वो धक्के मारता रहा मेरा… रज निकलने लगा… मैं छूटने लगी… मैं झड़ने लगी… रोकने की कोशिश की पर… नहीं… अब कुछ नहीं हो सकता था… मैं सिस्कारियाँ भरते हुए पूरी झड़ गयी… मैं ढीली पड़ गयी… अब उसके धक्के मुझे चोट पहुचने लगे थे… लेकिन उसकी तेजी रुकी नहीं… कुछ ही पलों में… सुहानी बरसात शुरू हो गयी. उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था… और उसका पानी मेरी छातियों को नहला रहा था. मैं हाथ फैलाये चित्त पड़ी रही. वो अपने वीर्य पर ही मेरी छाती से लग कर चिपक गया.
उसके लंड से निकला गरम गरम वीर्य बीच में चिकना सा आनंद दे रहा था… नीरज मुझे चूमता हुआ उठ खड़ा हुआ… मैंने भी आँख खोल कर उसकी तरफ़ देखा. और प्यार से मुस्कुरा दी. मुझे अपनी चुदाई की सफलता पर नाज़ था. कनक के पति राहुल अभी तक घर नहीं आए थे। कनक ने अपना सामान रसोई में रखा और खाना बनाने की तैयारी करने लगी। उसे रह रह कर नीरज से चुदाई की याद आ रही थी। लगभग ७ बजे राहुल आया। काम भी पूरा हो चुका था.
राहुल ने आते ही पूछा – “मधुबाला चली गयी क्या… ” “मधुबाला की बड़ी चिंता है… कुछ गड़बड़ है क्या ?” “नहीं है तो नही… पर तुम गड़बड़ करा दो न… ” “तुम्ही डरते हो… वो तो बेचारी तुम पर मरती है… ” “फिर उसे आने दो… इस बार तो पटा ही लूँगा उसे..” “मधुबाला तुमसे मिलकर गयी थी क्या ?” “नही… ये बात नहीं है… उसका फ़ोन आया था… ” “हाँ वो दिन को चली गयी थी… ” “अब तो नीरज अलम्बा मोटा केला ही होगा..” “हाँ अलम्बा मोटा केला ही है… ” “फिर तो आज हम दोनों की जमेगी… ” राहुल ने अपनी व्हिस्की की बोतल उठा ली और कार में रख ली. दोनों नीरज के घर आ गए.
राहुल और कनक घर में घुसते ही चौंक गए. मधुबाला वहां पहले से खड़ी थी. “अरे तुम तो घर गयी थी ना… ?” राहुल ने पूछा। “हाँ पर भइया आ गए थे… वो ही मुझे अभी छोड़ कर गए हैं… ” “तुम रात का खाना हमारे यहाँ खाना… बना लिया है… ” नीरज भी बाथरूम से आ गया था. करीब रात के ८.३० बज रहे थे. मधुबाला बड़े प्यार से राहुल को निहार रही थी.
कनक ने उसे हमेशा की तरह फिर पकड़ लिया. कनक ने उसे कहा – “बड़ा प्यार आ रहा है… जीजा जी पर..” “चुप रह… वो तो हैं प्यारे से… ” मधुबाला हंस कर बोली “क्यों मेरे जीजा जी प्यारे नहीं हैं क्या… ” “तो तू भी लाइन मार ले ना… ” “नहीं रे… अब लाइन नहीं… कुछ और ही… ” “चुप… चुप… कुछ भी बोलने लगती है..” राहुल और नीरज दोनों ही मजे ले रहे थे.
राहुल ने मजाक किया – “नीरज… मधुबाला चाहे तो मुझ पर लाइन मार सकती है… ” “और मैं… कनक पर… ” नीरज ने कनक को आँख मारते हुए कहा. “अच्छा चलो… तुम कनक पर लाइन मरो और मैं मधुबाला पर… आप क्या कहती हैं… मधुबाला जी… ” राहुल ने अंधेरे में तीर छोड़ा. “तुम लोग बहुत प्यारे मजाक करते हो… तो चलो लाइन मरो… ” मधुबाला हंस पड़ी. “आज एक्सचेंज करते हैं… मंजूर है ?..नीरज. अब अपनी दोस्त भी तो पक्की हो जाए.” राहुल ने कहा “हाय रे… यानि कनक नीरज के पास और मैं राहुल के पास… ” मधुबाला ने आह भरते हुए कहा. व”तो मंजूर है… क्यो कनक… तुम कहो… ” नीरज बोला.
राहुल को पता था कि अभी थोडी देर पहले ही नीरज के लौड़े से कनक की चूत चुदाई हुयी थी. नीरज ने राहुल को फ़ोन पर ही बता दिया था कि कनक तो ख़ुद आगे से चलकर अपनी चूत चुदवाने आ गयी थी. कनक ने जानबूझ कर शरमाने का नाटक किया. “हाँ राहुल… मजा आ जाएगा.. क्यों मधुबाला… ” “तुम्हे नीरज चोदेगा और मैं मधुबाला को… तो नीरज हो जायें शुरू… ” राहुल ने बिना शरमाये समझा दिया. राहुल ने मधुबाला की तरफ़ देखा. मधुबाला अपना चेहरा शरम हया से छुपा लिया. राहुल बाहें फैला कर खड़ा हो गया. मधुबाला धीरे धीरे राहुल के निकट आयी और उसकी बाँहों में सिमट गयी.

कनक तो पहले ही तैयार थी, उसने मौका देखा. वो जाकर नीरज से चिपक गयी. मधुबाला ने अपना चेहरा निकट लाते हुए कहा “राहुल ये अचानक कैसे हो गया… मुझे जल्दी से प्यार कर लो… कहीं नीरज या कनक ने इनकार कर दिया तो..” “नहीं मधुबाला… सब कुछ पहले से हमने सोच रखा था… कनक तो आज चुद चुकी है नीरज से.. बस आज के दिन ऐसा होगा ये नहीं पता था… ” “क्या… हाय… मुझे पता होता तो मैं… पहले ही… ” राहुल ने देखा नीरज कनक की चुंचियां दबा रहा था. कनक ने नीरज का लौड़ा पकड़ रखा था. मधुबाला भी देख कर शरमा गयी. “राहुल हाय ये देखो तो… ” “उन्हें अब चुदाई करने दो..” मधुबाला ने अपने होंट राहुल की तरफ़ बढ़ा दिए. राहुल ने उसके होंट अपने होटों से मिला दिए… और एक दूसरे को चूमने लगे. दोनों के शरीर में उत्तेजना भरने लगी.
मधुबाला को राहुल का मोटा लंड अपनी चूत के आस पास रगड़ता हुआ महसूस होने लगा. दोनों के बदन गरम होने लगे. राहुल का लौड़ा अब खड़ा होने लगा था. उनके हाथ एक दूसरे के शरीर को टटोलने लगे. राहुल ने मधुबाला की चूचियां अपने हाथों में भर ली. और धीरे धीरे सहलाने लगा. मधुबाला ने उसके चूतडों को अपनी और खींच लिया. अब राहुल का लौड़ा उसकी छूट में गड़ने लगा. राहुल की नजर कनक पर गयी. उनकी चुदाई में तेजी थी. वो पहले से खुले हुए थे. कनक की छूट में नीरज का लौड़ा घुस चुका था. कनक उस से लिपटी जा रही थी. मधुबाला उन्हें देख कर आह भरने लगी. राहुल ने मधुबाला का तंग पजामा नीचे सरका दिया. मधुबाला ने इशारा पा लिया. उसने तुंरत ही अपना पजामा और टॉप उतार फेंका और नंगी हो गई.
राहुल ने भी अपने कपड़े उतार दिए. मधुबाला ने नीरज और कनक को देखा तो राहुल से लिपट गयी. उन दोनों की चुदाई देख कर मधुबाला तड़प उठी. अब दोनों ही नंगे खड़े थे. मधुबाला ने राहुल को अपनी और खींचा और राहुल का लम्बा मोटा लौड़ा पकड़ लिया. राहुल ने मधुबाला का सेक्सी नंगा बदन दबाना शुरू कर दिया. दोनों मदहोशी में डूबने लगे. वो अब बिस्तर पर आ गए और और एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे. अब कनक और नीरज की सिस्कारियां बढती जा रही थी, जो राहुल और मधुबाला के शरीर में आग भरने का काम कर रही थी.

मधुबाला ने अपनी दोनों नंगी टाँगें ऊपर उठा ली. राहुल दोनों टांगो के बिच आगया और उसने अपने लौड़े को मधुबाला की चूत पर टिका दिया. चूत पानी छोड़ रही थी… चिकनी हो गयी थी… लंड फिसल कर अन्दर घुसता चला गया… मधुबाला के मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. मधुबाला की आँखें आनंद के मारे बंद होने लगी. उसका लौड़ा गहराईयों में उतरने लगा. अचानक राहुल को लगा की उसकी गांड में लौड़ा का स्पर्श हो रहा है. उसे पता चल गया कि कनक और नीरज चुदाई पूरी कर चुके हैं. अब नीरज ने अपना लंड फिर से तैयार कर लिया है.
अब वो राहुल के पीछे खड़ा हो गया था. राहुल ने उस पर ध्यान नहीं दिया. उसे पता था कि नीरज अब उसकी गांड मारेगा.. नीरज राहुल के चूतड पकड़ कर उसे चौडा कर अपना लंड उसके टट्टी करने वाले छेद में घुसाने की कोशिश करने लगा. राहुल को अब पीछे भी मजा मिल रहा था. नीरज ने राहुल की गांड में थूक लगाया और जोर लगा कर लंड गांड में घुसा दिया. इस से राहुल के लंड में और अधिक उत्तेजना भरने लगी. उसने मधुबाला की चूत में धक्के तेज कर दिए. इस से नीरज को गांड मारने में थोडी मुश्किल आने लगी थी.

कनक मधुबाला की चुंचियां मसलने लगी. राहुल और मधुबाला दोनों ही मदहोश हुए जा रहे थे. दोनों को डबल मजा मिल रहा था. “हाय राजा… जोर से… चोद डाल… हा… ” अब मधुबाला भी दिल की भड़ास मुंह से निकलने लगी. उसके चूतड नीचे से इंजन की तरह चल रहे थे.. राहुल भी अब बाहुत गरम हो चूका था वो बहन का लौड़ा अब बेकाबू होता जा रहा था… “मधुबाला… हाय… उई माँ…. आह… आह… उई… आह… आह…. बहुत मजा आ गया… ये ले… येस… ये… और… ले..” “मेरी कनक… मसल डाल मेरी चुंचियां… जोर से… अ आ अह ह्ह्ह ह्ह्ह हह… ” उधर नीरज राहुल की गांड चोद रहा था. राहुल को भी गांड मराने में मजा आता था. मधुबाला को लग रहा था कि अब वो झड़ने वाली है… उसकी कमर तेज़ी से चलने लगी.
कनक ने भी महसूस किया कि अब मधुबाला ज्यादा देर तक नहीं टिकने वाली है. कनक ने उसके चूचुक खींचने और घुमाने शुरू कर दिए। मधुबाला का मुंह खुलने लगा… आहें बढ़ने लगी। अचानक ही उसने कनक का हाथ हटा दिया और राहुल को खींच कर अपनी बाहों में भींच लिया,” मैं गई मेरे राज़ा… गई आआह… उई माँ आई मम्मी…. आह.. आह…. ” उसने अपने होंठ भींच लिए. उधर नीरज ने अपना लौड़ा राहुल की गांड के छेद से निकाल लिया और कनक के हाथ में दे दिया. कनक ने उसके लौड़े को पकड़ कर मुठ मारना शुरू कर दिया. नीरज ने कनक के पास लाकर अपना लौड़ा उसके मुंह में डाल दिया… और झड़ने लगा और रस कनक के मुंह में भरने लगा.

कनक किसी भूखी रंडी की तरह काम रस को स्वाद ले कर पीने लगी. उधर राहुल का लौड़ा खड़ा ही था… पर कनक को पता था उसे कैसे ठंडा करना है… उसने तुंरत ही राहुल के लेट्रिंग करने वाले छेद में अपनी उंगली डाल दी… और उसके लंड को मधुबाला की चूत में से बाहर निकाल कर मुठ मारने लगी.
अब राहुल की गांड में अंगुली तेजी से घुमाने लगी… तभी उसके लंड से गरमा गरम वीर्य उछल पड़ा. राहुल अब घुटनों के सहारे बैठ गया था और गहरी साँसें भर रहा था. उधर नीरज भी जाकर लेट गया. वो दोनों अब बहुत ज्यदा थक गए थे. मधुबाला ने कनक को देखा और दोनों रंडी सहेलियाँ हंस पड़ी.

दोनों रंडी सहेलियाँ गले से लिपट गयी और एक दूसरे को प्यार करने लगी. “हाय तेरा पति तेरे जीजा जी से ज्यादा बढ़िया चुदाई करते है ” मधुबाला बोली. “नहीं रे… तेरे पति देव ज्यादा अच्छी चूत चुदाई करते है..” कनक ने भी तारीफ की. “ ग्रुप सेक्स करने में आनंद आ गया.. आज तो हम दोनों की दोस्ती एक दुसरे के पति से चुदवाने के बाद और पक्की हो गयी… ” मधुबाला ने कहा. “पहले हम दो दोस्त थी..अब चार हो गए हैं… अब जी भर कर के ग्रुप सेक्स कर सकते हैं ना… ” मधुबाला ने राहुल को प्यार किया… और कनक ने नीरज को चूम लिया.
अब सभी तैयार हो कर डिनर के लिए रवाना हो गए और डिनर करके घर आने के बाद फिर से ग्रुप सेक्स करने में व्यस्त हो गए और पूरी रात चुदाई का आनंद लेते रहे. दोस्तों आपको हमारी हिन्दी सेक्स कहानी “तेरे पति का लौड़ा मेरी चूत मेरे पति का लौड़ा तेरी चूत Hindi Group Sex Story” पसंद आई हो और यदि आप चाहते हो हम इस इंडियन सेक्स कहानी का अगला भाग भी प्रकाशित करें तो निचे लाइक बटन पर जरुर क्लिक करना.