18+ Only आज भी हवस का शिकार होने को मजबूरी देवदासी लडकियाँ
आज भी हवस का शिकार होने को मजबूरी देवदासी लडकियाँ 18+
आज भी हवस का शिकार होने को मजबूरी देवदासी लडकियाँ 18+ : देवदासी प्रथा कहते ही आपके मन में आती हैं वो महिलाएं जो धर्म के नाम पर दान कर दी गईं और फिर उनका जीवन धर्म और शारीरिक शोषण के बीच जूझता रहा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये घिनौनी प्रथा आज भी जारी है. आंध्र प्रदेश की लक्ष्मम्मा अधेड़ उम्र की हैं और उनके मां-बाप ने भी उन्हें मंदिर को देवदासी बनाने के लिए दान कर दिया.
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इसकी वजह एक मजबूरी देवदासी कुछ यू बयां करती हैं,”मेरे माता-पिता की तीनों संतानें लड़कियां थीं. दो लड़कियों की तो उन्होंने शादी कर दी लेकिन मुझे देवदासी बना दिया ताकि मैं उनके बुढ़ापे का सहारा बन सकूं.”
आज भी आंध्र प्रदेश में, विशेषकर तेलंगाना क्षेत्र में दलित महिलाओं को देवदासी बनाने या देवी देवताओं के नाम पर मंदिरों में छोड़े जाने की रस्म चल रही है. लक्ष्मम्मा देवदासी होने की पीड़ा जानती हैं, वो प्रथा जिसमें उन्हें खुद उनके माता-पिता ने ढकेला था.
शारीरिक शोषण – 18+ Only आज भी हवस का शिकार होने को मजबूरी देवदासी लडकियाँ
जिस शारीरिक शोषण के शिकार होने के सिर्फ जिक्र भर से रुह कांप जाती हैं, उस दिल दहला देने वाले शोषण को सामना ये देवदासियां हर दिन करती हैं.
ये दर्द आंध्र प्रदेश में लगभग 30 हज़ार देवदासियां हैं उनका है जो धर्म के नाम पर शारीरिक शोषण का शिकार होती हैं जिनके साथ रोज धर्म के नाम परअपवित्रीकरण करा जाता है उनके शरीर को रोज जंगली कुत्तो की तरह नोचा खसोटा जाता है. लेकिन xyz बाकी देवदासियों की तरह बदकिस्मत नहीं थीं ना ही उनमें किसी हिम्मत की कमी थी.
जब xyz को मौका मिला तो न केवल वो उस व्यवस्था से निकल गईं बल्कि उसके खिलाफ संघर्ष में उठ खडी हुईं और आज वो इस व्यवस्था का शिकार बनने वाली महिलाओं के लिए आशा की एक किरण बन गई हैं.
देवदासियों का हाल – 18+ Only आज भी हवस का शिकार होने को मजबूरी देवदासी लडकियाँ
देवदासी बनी महिलाओं को इस बात का भी अधिकार नहीं रह जाता की वो किसी की हवस का शिकार होने से इंकार कर सकें एक देवदासी कहती हैं “मेरी जो हालत है भगवान ना करे कि वो हालत किसी और की हो. मुझे केवल इसलिए देवदासी बनाया गया कि मेरा भाई बीमार रहता था. अब मैं इस से निकलना भी चाहूं तो नहीं निकल सकती क्योंकि अब मुझसे विवाह कौन करेगा और फिर मेरा स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहेगा”. लगभग 500 देवदासियां हाल ही में हैदराबाद में हुई एक जनसुनवाई के लिए इकट्ठा हुईं, जहां देवदासियों के हाल पर चर्चा की गई. जनसुनवाई में देवदासी महिलाओं की समस्याओं पर भी चर्चा हुई जिसमें उन बच्चों का भी जिक्र आया जो इन नाजायज़ रिश्तों की पैदाइश हैं.
नाजायज़ बच्चों का हक – 18+ Only आज भी हवस का शिकार होने को मजबूरी देवदासी लडकियाँ
एक और देवदासी कमला (बदला हुआ नाम) कहती हैं, “केवल महबूब नगर जिले में ऐसे रिश्तों से पैदा हुए पांच से दस हज़ार बच्चे हैं. पहले उनका सर्वे होना चाहिए. इन बच्चों के लिए विशेष स्कूल और हॉस्टल होने चाहिए और उन्हें नौकरी मिलनी चाहिए ताकि वो भी सम्मान के साथ जीवन बिता सकें.”
इससे भी एक कदम आगे बढ़कर लक्ष्मम्मा ने मांग उठाई, “ऐसे सारे बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाया जाए ताकि उनके पिता का पता लग सके और उनकी संपत्ति में इन बच्चों को भी हिस्सा मिल सके.” एक मजबूरी देवदासी कहती हैं कि ऐसा करने से किसी पुरुष की देवदासी के नाम पर इन महिलाओं का शोषण करने की हिम्मत नहीं होगी.