मौसी ने मौसाजी के गधे जैसे लंड से मेरी गांड को फाड़ दिया
मौसी ने मौसाजी के गधे जैसे लंड से मेरी गांड को फाड़ दिया
मौसी ने मौसाजी के गधे जैसे लंड से मेरी गांड को फाड़ दिया : मौसी ने मौसा से मेरी गांड मरवा दिया जब मेरे मुह से आवाज निकलती तो मौसी अपनी चुत मेरे मुह पर दबा देती मेरी आवाज गु गु करके रह जाती 5 मिनट के बाद मौसा की स्पीड बढ़ गयी अब मुझे भी मज़ा आने लगा था अपनी गांड मरवाने में मौसा का लंड वैसे भी बहुत मोटा ताजा था | जैसे की आप लोगो ने अभी तक पढ़ा कहानी का मज़ा बढ़ता चला जा रहा है आज अपनी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए दोस्तों अभी तक जिसने पिछली कहानी मौसी की गांड का मज़ा लिया और आंटी ने अपने सामने अपने पति की गांड मरवाई नहीं पढ़ी है उसे पढ़ ले तभी कहानी का असली रस मिलेगा | तो चलिए अब आगे की कहानी की सुरुवात करता हूँ ..
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यह शैतान” मेरी ओर देखकर वह कुछ दुष्टता से मुस्कराई और बिस्तर में लेट कर मुझे अपने उपर उलटी तरफ से लिटा लिया और मेरा सिर जांघों के बीच दबाकर अपनी बुर चूसने को बोली मैं समझ गया कि समय आ गया है मौसजी के घोड़े जैसे गोरे थरथराते लंड को फिर एक बार मन भर देखने के बाद मैं मौसी पर लेट कर उसकी बुर चूसने लगा अंकल का लंड अब ऐसा लगता था |
मौसी ने मौसा से मेरी गांड मरवा दिया
कि जैसे लोहे का बना हो नसें फूल आई थीं और सुपाडा पाव भर के टमाटर जैसा लग रहा था डंडा मिलाकर लंड आठ इंच ज़रूर लंबा था और कम से कम अढाई इंच मोटा वे अब हथेली पर मख्खन लेकर उसे लंड पर चुपड रहे थे मेरी ओर देखकर उन्होंने आँख मारी “तेरी गान्ड तो आज गयी बेटा” मन ही मन मैंने खुद से कहा अपना मुँह मैंने मौसी की गीली बुर में छुपा लिया और चूसने लगा वह मादक रस मेरे मुँह में गया और मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा मुझमें कुछ ऐसा खुमार भर गया था कि डर के बावजूद मैं गान्ड फटने की उत्सुकता से राह देख रहा था
मौसी ने भी मेरा लंड मुँह में लेकर कुछ देर चूसा और फिर अपने पति को बुलाया “लो जी, माल तैयार है, चोद लो, चढ जाओ और मज़ा करो, भोगो इसे जैसे चाहो” मेरे नितंब सहला कर मौसी ने बड़े प्यार से अपने पति को पेश किए मैं अब मौसाजी के हाथों को अपने नितंबों को सहलाते और दबाते हुए महसूस कर रहा था उनकी ज़ोर से चलती साँस से मुझे अंदाज़ा हो रहा था कि वे कितने उत्तेजित हैं अचानक उनकी गरमा गरम साँसें मेरे नितंबों पर लगीं और उनके मुँह का गीला स्पर्ष अपनी गुदा पर मैंने महसूस किया वे अब मेरे गुदा के छेद को और चाट रहे थे जल्द ही गुदा पर मुँह लगाकर वे चॉकलेट की तरह चूसने लगे मेरा भी लंड इस सुखद स्पर्ष से और मौसी के चूसने से खड़ा हो गया मौसी ने पति से फरमाइश की “डार्लिंग, अपनी पूरी जीभ इसकी कोमल गान्ड में डाल दो, फिर देखो कैसे उचकता है |
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खुद ही मरवाने को बोलने लगेगा” मौसाजी के शक्तिशाली हाथों ने मेरे नितंबों को पकडकर फैलाया और गुदा का छेद चौड़ा किया दूसरे ही क्षण उनकी लंबी गीली जीभ मेरी गान्ड के अंदर थी इतना सुखद और मीठा स्पर्ष था कि मैं सिसककर और ज़ोर से मौसी की बुर चूसने लगा मौसी ने भी अपनी जीभ मेरे लंड पर रगडना शुरू कर दी दो मिनिट गुदा चूस कर मौसाजी उठ बैठे मख्खन का एक बड़ा लौम्दा उंगली पर लेकर मेरी गुदा पर रखा और फिर उंगली से उसे अच्छे से अंदर तक चुपड दिया इसके बाद वे एक के बाद एक मख्खन के गोले मेरी गान्ड में भरते गये ठंडे मख्खन के स्पर्ष से मेरी गुदा को बहुत आराम मिला पिघल कर अब मख्खन मेरी गान्ड में अंदर तक जाता हुआ मैं महसूस कर रहा था साथ ही साथ मौसाजी के कहे अनुसार मौसी भी दोनों हथेलियों पर ढेर सा मख्खन ले कर उनके लौडे पर चुपड रही थी |
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मौसाजी उसे बोले “खूब मख्खन लगा दो डार्लिंग, लौडा डालूँगा तो इस लौम्डे को दर्द तो बहुत होगा पर कम से कम इसकी गान्ड फटेगी नहीं” अब तैयारी पूरी हो चुकी थी मौसाजी अपनी उंगलियाँ चाटते हुए पीछे से मुझपर चढ गये मेरे मुँह से डर और वासना भरी एक हल्की चीख निकल गयी मौसी ने मेरे हाथ लेकर अपने नीचे दबा लिए और मेरा सिर कस कर अपनी जांघों में पकड़ लिया अपने हाथों से उसने मेरी टाँगें पकड़ रही थीं मैं अब बिलकुल विवश था, हिल डुल भी नहीं सकता था मौसी मेरा डर कम करने को बोली “घबरा नहीं बेटे, दर्द तो होगा पर गान्ड मराने में तुझे इतना मज़ा आएगा कि कल से तू मुझे छोड़ कर अपने अंकल के पीछे लग जाएगा, उनसे बार बार गान्ड मराने की ज़िद करेगा” मेरे नितंब कस कर खींच कर अलग किए गये और मुझे ऐसा लगा कि जैसे एक टेनिस बाल मेरी गुदा पर रखी हो यह असल में अंकल का सुपाडा था
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बिना रुके वे उसे अंदर पेलने लगे अपने आप मेरी गुदा रीफलेक्स से बंद होने की कोशिश करने लगी कि इस आक्रमणकारी को बाहर ही रोक दिया जाए पर उनकी शक्ति के आगे मेरी क्या चलती! सुपाडा अंदर घुसने लगा और मुझे इतना दर्द हुआ कि मैं कसमसा कर कराह उठा मेरी चीख को रोकने के लिए मौसी ने अपनी बुर से मेरा मुँह बंद कर दिया और कस कर सिर को जांघों में और जकड लिया फिर मुझे समझाती हुई बोली “बेटे, गान्ड ढीली छोडो, बाहर को पुश करो जैसे टट्टी के समय करते हो, कम दर्द होगा” मैं अब यातना से तडप रहा था
क्योंकि ऐसा लगता था कि गान्ड फट जाएगी पर मैंने चुनमूनिया चूस कर भागने की कोशिश नहीं की मैं भी अपने उन खूबसूरत जवान अंकल से गान्ड मराने को बेकरार था गुदा अब पूरा तन कर चौड़ा हो गया था और सुपाडा आधा अंदर था | इस कहानी का शीर्षक ” मौसी ने मौसा से मेरी गांड मरवा दिया ” है | किसी तरह मैंने गुदा की माँस पेशियाँ ढीली छोड़ीं और पक्क की आवाज़ से पूरा सुपाडा मेरी गान्ड के छल्ले को खोलकर अंदर समा गया
मैंने चीखने की कोशिश की पर मौसी की बुर में गोंगिया कर रहा गया मौसाजी मुझे आराम देने को अब रुक गये सुपाडा अंदर जाने से गुदा के छल्ले को कुछ राहत मिली क्योंकि लंड का डंडा सुपाडे की तुलना में कम मोटा था फिर भी मुझे भयानक दर्द हो रहा था क्योंकि मेरी ज़रा सी किशोर गान्ड के लिए उनका लंड बहुत बड़ा था किसी तरह मैंने अपने आप को संभाला सहसा मैंने यह भी महसूस किया कि मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया है
मौसी उसे बड़े प्यार से चूस रही थी अंकल जब समझ गये कि मैं सम्भल गया हूँ तो वे फिर लंड पेलने लगे अब उनकी वासना इस सीमा तक बढ़ गयी थी कि जब मैं फिर दर्द से बिलबिला उठा तो उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया और पेलते रहे इंच इंच करके वह मोटा सोंटा मेरे चुतडो के बीच गढ़ता गया आख़िर तीन-एक इंच डंडा बाहर बचा जब मैं बुरी तरह से छटपटाने लगा लंड फँस सा गया था और अंदर नहीं जा रहा था मौसाजी तैश में थे, मौसी से बोले “रानी इसे पकड़ना, अब मैं इसकी गान्ड में जड तक अपना लंड डाले बिना नहीं रुकने वाला, भले कुछ भी हो जाए” फिर उन्होंने ऐसा जोरदार झटका मारा कि जड तक उनका सोंटा मेरी गान्ड में उतर गया उनकी घूंघराली झांतें मेरी गुदा से सिमट गयीं मेरे आँसू निकल आए और मैंने चीखने की कोशिश की पर मौसी की बुर ने मेरा मुँह सील किया हुआ था
इसलिए सिवाय गोंगियाने के कोई आवाज़ नहीं निकली मैं अब पानी से बाहर निकाली मछली जैसा तडप रहा था ऐसा लगता था कि घूँसा बाँधकर किसीने अपना हाथ गान्ड में डाल दिया हो मुझे समझाते हुए मौसी बोली “घबरा मत राहुल, हो गया काम, बस पाँच मिनिट रुक, देख फिर कैसा आनंद आता है” फिर मौसी ने मेरा गुदा टटोल कर देखा उंगली पूरे गुदा पर मौसाजी के डंडे के चारों ओर घुमाई और बोली “बिलकुल ठीक है तेरी गान्ड ज़रा भी फटी नहीं है यह तो कमाल हो गया, इतना बड़ा लौडा तूने आराम से अंदर ले लिया इनके एक साथी को इनसे पहली बार मराने के बाद टाँके लगवाने पड़े थे” मौसाजी भी अब बिलकुल स्थिर थे कि मुझे और दर्द ना हो और मुझे चूमते हुए बोले “पक्का गान्डू है यह प्यारा लड़का, इसकी गान्ड बनी ही चोदने के लिए है इसीलिए तो नहीं फटी और अब इसकी गान्ड का मालिक मैं हूँ”
मौसाजी अब मेरे शरीर पर लेट गये और पीछे से मेरे बालों और गर्दन को चूम ने लगे अपने हाथ उन्होंने मेरी छाती के इर्द गिर्द लपेट कर मेरे निपलो को हौले हौले मसलना और खींचना शुरू कर दिया अब धीरे धीरे एक मादक सुखद अनुभूति से मेरा शरीर सिहर उठा और दर्द कम होने लगा पाँच मिनिट में मैं ऐसा मस्त हो गया कि गुदा सिकोड कर अपनी गान्ड में फँसे उस मोटे सोंटे को पकड़ने लगा मौसाजी ने यह अनुभव करते ही हँस कर मौसी को कहा कि मुझे छोड़ दे “देखा, बच्चा अब कैसे मस्त हो गया! सच, यह मुन्ना इतना प्यारा और एक नंबर का चुदक्कड होगा, मैं पहले जानता तो कब का चोद चुका होता”
उन्होंने मुझे थोड़ा उठाकर मौसी को मेरे नीचे से निकल जाने दिया और फिर मुझे पलंग पर ओँधा लिटाकर मेरे उपर ठीक से सो गये उनका पूरा वजन अब मुझ पर था वे मुझ पर पूरी तरह से चढे थे जैसे चोदने को नर मादा पर चढता है मेरे पैर उन्होंने अपनी जांघों में कस लिए थे और उनके हाथ मेरी छाती को जकडकर मेरे निपलो को मसल रहे थे मौसी ने मुझसे प्यार से पूछा “राहुल बेटे, ठीक तो है ना तू?” मैंने अपनी आँसू भरी आँखों से उसकी ओर देखा और मुस्करा कर सिर हिलाकर हाँ कहा अब दर्द के साथ एक मीठी मादकता मेरी नस नस में भरी थी मौसी मेरे जवाब से आश्वस्त होकर आराम से एक तृप्ति की साँस ले कर पीछे टिक कर बैठ गयी क्योंकि वह मेरी गान्ड में लंड घुसते समय मेरे मुँह मे दो बार झड चुकी थी और खुश थी कि उसका काम हो गया है आराम से बैठ कर अब वह अपने पातिदेव द्वारा अपनी सग़ी बहन के कमसिन बेटे की कुँवारी किशोर गान्ड का कौमार्य भंग होने की रति क्रीडा देखने लगी |
मौसा का गधे जैसा मुसल लंड मेरी गांड में हिचकोले खाने लगा था
मौसाजी को उसने जताया “देखो जी, इतनी मेहनत से घुसाया है तो अब कम से कम एक घंटे तक राहुल की गान्ड मारो मैं भी तो देखूं कि कितना दमा है तुममें और मेरे इस प्यारे भांजे में” मौसाजी अब धीरे धीरे मुझे चोदने लगे उनका लौडा मेरे फैले चुतडो में एक इंच अंदर बाहर हो रहा था फिर मेरे गुदा में यातना होने लगी पर मज़ा इतना आ रहा था कि मैंने दर्द पर ध्यान नहीं दिया जल्द ही मौसाजी ने ज़ोर के धक्के लगाना शुरू किया और तीन चार इंच लंड मेरी गान्ड में अंदर बाहर करने लगे मख्खन से मेरा गुदा इतना चिकना हो गया था कि लंड आसानी से पच-पुच-पच की आवाज़ से अंदर बाहर हो रहा था उसका वह मीठा घर्षण मुझे बहुत सुख दे रहा था जल्द ही मौसाजी एक लय से मुझे चोदने लगे “राहुल बेटे, मेरे लंड को अपनी गान्ड से पकड़ , ऐसे सिकोड और छोड़ जैसे दूध निकाल रहा हो | इस कहानी का शीर्षक ” मौसी ने मौसा से मेरी गांड मरवा दिया ” है |
” मौसाजी का आदेश मैंने माना और गान्ड सिकोडते ही मीठी चुभन से भरा ऐसा दर्द हुआ कि मैं सिहर उठा लंड पर मेरी गान्ड का दबाव बढ़ते ही मौसाजी ऐसे उत्तेजित हुए कि मेरा सिर अपनी ओर खींच कर मुझे चूमने लगे “आहा हाइईईईई, मज़ा आ गया, बस ऐसे ही बेटे, बहुत सुख दे रहा है तू मुझे, अब मुझे चुम्मा दे, तेरे मुँह का मीठा रस तो चूसूं ज़रा” हमारे होंठ अब एक दूसरे के होंठों पर जमे थे और जीभ लडाना, जीभ चूसना, गले में जीभ गहरे तक उतारना इत्यादि मीठी क्रियाएँ जोरों से चल रही थीं हमने घंटे भर तक जम के चुदाई की दस दस मिनिट बाद जब अंकल झडने को आते तो रुक जाते रुके रुके वे मुझे खूब चूमते और मेरे लंड को सहला कर मुझे मस्त करते मेरा लंड अब लोहे के डंडे जैसा खड़ा था अंकल जैसे मस्ताने मर्द से मराने में और एक रंडी की तरह खुद को चुदवाने में वह मज़ा आ रहा था कि कहा नहीं सकता मौसी भी अब मतवाली होकर हमारी कामक्रीडा को देखती हुई एक डिल्डो से खुद को चोद रही थी आख़िर एक घंटे बाद मौसाजी की सहनशक्ति खत्म हो गयी और वे उछल उछल कर ज़ोर से मेरी गान्ड चोदने लगे मैं भी पक्के गान्डू जैसा अपनी गुदा सिकोड सिकोड कर अपने नितंब उछाल उछाल कर गान्ड मरा रहा था वासना के आवेश में मैं चिल्लाने लगा
“अंकल, मेरी गान्ड और ज़ोर से मारिए, पूरा घुसाइए ना, फट जाने दीजिए, मेरे निपल भी खींचिए प्लीज़, पटक पटक कर मेरी गान्ड मारिए” अंकल मेरे निपलो को खींच खींच कर मसलते हुए अब हचक हचक कर चूतड़ उछाल उछाल कर मुझे पूरी शक्ति से चोद रहे थे उनका लंड करीब करीब पूरा सात आठ इंच मेरी गुदा में से निकल और घुस रहा था मेरा गुदा का छल्ला अब ढीला होकर पूरा खुल गया था स्पीड बढने से अब गान्ड में से पचाक-पचाक-पचाक की आवाज़ आ रही थी मौसी भी डिल्डो चलाती हुई गरम कर बोली “डार्लिंग, अब बिलकुल दया नहीं करना इस गान्डू पर, भले साले की नरम गान्ड फॅट जाए, तुम्हे मेरी कसम कस के हचक हचक के मारो इस हरामी की, इतनी मारो कि कल यह मादरचोद चल ना पाए” मौसाजी अचानक इतनी ज़ोर से झडे कि एक घोड़े की तरह हिनहिनाए तपते उबलते वीर्य का फुहारा मेरी गान्ड की गहराई में निकल पड़ा मुझे ऐसी तृप्ति महसूस हुई जैसी किसी औरत को चुद कर होती है प्यार से मैंने अंकल के होंठ अपने दाँतों में दबा लिए और उन्हें चूसने लगा हाम्फते हुए अंकल के मुँह से रस छूट रहा था जो मैं पूरे जोश से निगल रहा था मेरे दाँतों मे दबे होने से अंकल की सीतकारियाँ भी दब कर बस उनके मुँह से हल्की हिचकियाँ भर निकल रही थीं मैं बड़ा गर्व महसूस कर रहा था
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कि उस मस्ताने मर्द को मैंने इतना सुख दिया था मौसाजी को पूरा झडने में पाँच मिनट लग गये और आख़िर उनका लंड सिकुड कर ज़रा सा हो गया अजित अंकल ने झडा लंड मेरी गान्ड से निकाला और तृप्ति की साँसें भरते हुए लेट गये मौसी ने बुर से डिल्डो निकाला और उनके मुँह में घुसेड दिया “मज़ा आया मेरे भांजे की सील तोड कर? चलो, अब ज़रा अपनी बीवी की चूत का रस भी चाटो, जो बेचारी इतनी देर से मुठ्ठ मार रही है” तभी मौका देखकर मैंने अपना मुँह रवीना मौसी की रिसती बुर पर लगा दिया और रस पीने लगा
अंकल का मन अभी मुझ से नहीं भरा था डिल्डो चाटने के बाद मुझे खींच कर उन्होंने अपनी छाती पर छोटे बच्चे जैसा बिठा लिया और मेरा तन्ना कर खड़ा शिश्न चूसने लगे “राहुल डार्लिंग, मैंने बुरी तरह तेरी गान्ड मार ली, अब तू बदले में मेरा मुँह चोद ले” और उन्होंने मेरा पूरा लंड निगल लिया उनके गीले गरम मुँह ने मुझे ऐसा उत्तेजित किया कि मैं उनके उपर लेट गया और उनके सिर को पकड़ कर अपने पेट में दबाते हुए उनके मुँह को ऐसे चोदने लगा जैसे बुर चोदी जाती है मेरा लंड उनके गले में उतर गया और उस सकरे गले को चोदते हुए मुझे वही सुख मिला जो बुर चोदकर मिलता मौसाजी भी मज़े से मेरे लंड को अपनी जीभ से पुचकारते हुए दाँतों से हलके हलके काटते हुए चूस रहे थे |
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काफ़ी देर से मैं मस्ती में था, ज़्यादा नहीं चोद पाया और कसमसा कर उनके मुँह में झड गया उन्होंने भी मेरी बूँद बूँद निचोड़ ली और तभी छोड़ा अब मैं बुरी तरह से थक गया था और सिमट कर सोने की कोशिश करने लगा लंड की मस्ती उतरने के बाद गुदा में होते भयानक दर्द से अब फिर मेरी आँखें भर आईं गान्ड ऐसी लग रही थी जैसे उसमें आग लगी है मौसी और अंकल ने मेरी गुदा को ध्यान से पास से देखा और बोले “डर मत, फटी नहीं है, पर गान्ड के छोटे छेद के बजाय तेरा छेद अब चुदी लाल बुर जैसा खुल गया है और बड़ा प्यारा लग रहा है” मौसी ने मेरी गान्ड में कोल्ड क्रीम लगा दी थका होने से मेरी आँख लग गयी सोते सोते मुझे याद है कि अब मौसाजी मौसी पर चढ कर उसे चोद रहे थे सुबह जब मैं उठा तो सूरज काफ़ी उपर आ गया था मौसी उठ कर जा चुकी थी,
बिस्तर में मैं और मौसाजी भर थे उनकी नींद पहले ही खुल गयी थी और वे मुझे बाँहों में लेकर चुम्मा ले रहे थे और मेरा शिश्न रगड कर उसे खड़ा कर रहे थे | इस कहानी का शीर्षक ” मौसी ने मौसा से मेरी गांड मरवा दिया ” है | उनका लंड कस कर खड़ा था बड़ा अच्छा लग रहा था और उनके चुम्मे के जवाब में मैं भी उनका चुम्मा लेने लगा पलट कर वे उलटी बाजू से सो गये और सिक्सटी नाइन का पॉज़ बना लिया चूसते हुए उनकी जीभ मेरे लंड को पागल कर रही थी मैंने भी मुँह खोल कर जितना हो सकता था, उतना उनका लौडा मुँह में ले लिया और चूसने लगा लंड पहले ही मस्त होकर खड़ा था और मेरे चूसने के बाद करीब करीब कल रात जितना ही बड़ा हो गया था आधे से ज़्यादा लंड मुँह में लेकर चूसने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था |
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अंकल ने ज़रा गर्दन लंबी की और मेरी जांघों के बीच सिर डाल कर मेरी गुदा चूसने लगे उनकी तपती गीली जीभ मेरी गान्ड में घुसी और मैं आनंद से हुनक उठा अंकल पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था कि देखो मेरे शरीर को कितना प्यार करते हैं मुझे यही लगा कि शायद अब हम एक दूसरे का वीर्यापान करके ही उठेंगे पर प्यार के अलावा उनके दिमाग़ में वासना का शैतान भी सवार था..
यह मुझे तब पता चला जब सहसा मुझे ओँधा लिटा कर वे मुझ पर चढ बैठे मेरी समझ में आने के पहले ही उन्होंने अपना सुपाडा मेरी गुदा पर रखा और कस कर पेल दिया लंड और मेरी गुदा हमारे थूक से चिकनी थी ही, इसलिए बड़ा मोटा होकर भी सुपाडा सट करके मेरी गान्ड में घुस गया मेरी गान्ड कलकी ठुकाई से अभी भी बहुत दुख रही थी और रही सही कसर उनके मोटे लंड ने मेरी गान्ड में घुस कर पूरी कर दी दर्द से बिलबिला कर मैंने चीखने के लिए मुँह खोला ही था
कि उनके शक्तिशाली हाथ ने मेरा मुँह दबा कर मेरी चीख रोक दी बचे हुए लंड को अब बेरहमी से मेरी गान्ड में खोँसते हुए वे वासना से हाम्फते हुए बोले “चिल्ला मत राहुल बेटे, कोई फ़ायदा नहीं होगा, तेरी नरम नरम कमसिन गान्ड तो मैं मार के रहूँगा, ऐसी हाथ में आई चीज़ छोड़ने के लिए क्या मैं पागल हूँ? आज तो दिन भर मारूँगा तेरी, ले लूँगा आज” जड तक लंड मेरी गान्ड में घुसेड कर वे मेरे उपर चढ कर सटासट मुझे चोदने लगे मेरा मुँह उन्होंने अपने हाथ से दबोचे रखा और मस्त घचाघाच गान्ड मारते रहे दर्द से ऐम्ठता हुआ मेरा शरीर शायद उन्हें और उत्तेजित कर रहा था आख़िर जब मैंने हार मान ली और रोता हुआ निढाल होकर पड गया
तब धीरे से उन्होंने मेरा मुँह छोड़ा उस हाथ से वे अब मेरे निपल मसलने लगे और दूसरे हाथ से मेरा लंड रगड कर मुझे मस्त करने लगे जल्द ही लंड में मस्ती चढ़ने से मेरा रोना कुछ कम हुआ, पर दर्द अब भी बहुत हो रहा था मौसी ने हल्ला सुना तो देखने को आई कि क्या गडबड चल रही है मैंने रोते हुए उससे मौसाजी की शिकायत की “मौसी, मौसाजी को डान्टो ना, देखो फिर मेरी गान्ड मार रहे हैं, बहुत दर्द हो रहा है मौसी, मैं मर जाउन्गा आज तो मख्खन भी नहीं लगाया” उसने अपने पति का ही साथ दिया वासना से भरी उनकी आँखों को चूम कर वह मेरे पास बैठ गयी वह पूरी नग्न थी और बड़ी मादक लग रही थी “मारने दो बेटे, इतनी चिकनी गान्ड जब मिली है तो पूरा मज़ा लेंगे ही खाने की चीज़ है तो खाएँगे नहीं? ले मेरी चूची चूस ले और ज़रा दर्द सहन करना सीख” फिर अंकल की ओर मुड कर बोली “मारो जी, और ज़ोर से मारो इस बच्चे की गान्ड पूरा मज़ा वसूल कर लो इतना मस्त छोकरा है, मेरा लंड होता तो मैं भी ऐसे ही चोदती इसे”
रोते बच्चों को चुप कराने के लिए जैसे औरतें करती हैं वैसे मेरे मुँह में उसने एक निपल दे दिया कि मैं शांत हो जाऊ अब तक मेरा दर्द कम हो गया था और मुझे गान्ड मराने में मज़ा आने लगा था रोना बंद करके अब मैं अपने चुतड उछाल कर और ज़ोर से मरवाने की कोशिश कर रहा था मौसाजी मेरे इस उतावलेपन पर लाढ़ से हँसने लगे “देख रानी, अभी तक रो रहा था बदमाश, अब कैसा मस्ती से मरा रहा है, अपने चूतड उछाल उछाल के डार्लिंग, आज तो मैं कसम ले लेता हूँ, दिन भर इसकी गान्ड मारूँगा” इस वायदे के साथ वे पूरी शक्ति से मुझे चोदने लगे पंद्रहा मिनिट मज़ा लेकर आख़िर वे झडे जब अंकल ने लौडा निकाला तो फिर मेरा दर्द बढ़ गया पर अब मैं रोया नहीं सच तो यह है कि अब मैं गान्ड मराने का आदी हो चला था |
कहानी जारी रहेगी अगले भाग में मेरी अगली कहानी का शीर्षक होगा ” मौसी की बुर का स्वादिस्ट पानी ” दोस्तों कहानी पढ़ के मज़ा आये तो शेयर करना ना भूले | धन्यवाद – आपका प्यारा राहुल
मौसी ने मौसाजी के गधे जैसे लंड से मेरी गांड को फाड़ दिया