माँ को टेबल पर पटक कर चोदा – टेबल पे चोदी मां की चूत
माँ को टेबल पर पटक कर चोदा – टेबल पे चोदी मां की चूत
मां, बहन और मै…अच्छा मेल हो गया था. बहना स्कुल जाने से पहले अपना स्कर्ट उठ के चड्डी उतार के गांड मरवा लेती थी. उसके बाद मां और मै मजे उडाते थे. और दोनों को सख्त्य हिदायते थी. दोनो अपने झांट बारी बारी निकालेंगी. फिर मुझे मिलती थी एक बिना झांटो वाली चूत तो दुसरी झांटो वाली चूत.
चुदाई का मजा बहोत आता था फिर. दोनों की गांड मै तो ऐसे जोरों से मारता था कि दोनो थक जाती थी गंडचुदाईसे. चुदक्कड म्कुत्तियों को गांड मारते हुये मैं कतई नही बक्षता था. कुल्हों पे ऐसे जम के झापड लगाता कि लाल हो जाते थे कुल्हे. कराहती वो तो दनादन धक्के मारने में मुझे बडा मजा आता था.
आज बहना कि गांड मारके उसे विदा किया. बाद मे मैने मां से साडी पहनने को कहा. वो चौंक गई. उसे क्या पता क्या सवार है मुझपर! वो बोली,
“बहन कि गांड मारी. अब क्या खयाल है?”
मैने कहा, “रंडी चूत, साडी पहन पहले. तेरी मांकि चोदू साली…जा…”
ऐसे मेरा घर मे हुक्म बढ गया था. क्या मजाल थी उन कुतियों कि कि कोई आवाज करे!
मां के झाटवाले दिन थे. बहना की शेविंग मैने चार दिन पहले ही कि थी. चूत कि शेविंग एक आर्ट है. मैं आप को बाद में समझाऊंगा. मां की चूत शेव करना तो और मजे कि बात. चुदाई और शेविंग…आरी-बारी करा करता था मैं.
मां अंदर चली गई. मैं उसे कपडे बदलते देखना पसंद करता था. मगर आज नहीं. उसकी गोरी चिट्टी फिगर, मांसल स्तन और जांघे और उसके बीच की पुरी कि तरह फुली चूत बडी प्यारी थी. मै हाल में ही बैठा रहा.
थोडी देर के बाद मेरी प्यारी मम्मी रंडी बाहर आई. हरी साडी मे क्या दिख रही थी वोह! उसके कुल्हे, जांघे और बुब्ज एकदम उठ के दिख रहे थे. साडी पहनना तो कोई मां से सिखे. कुत्ती.
मैने उसे बाहों मे बडे प्यार से भर लिया. चुमा. कानों में बोला, “ऐ रंडी मां,,,,बडी सेक्सी लग रही है…”
“तू तो मुझे हमेशा नंगे३ए देखना च्व्हाहता है,…आज ये साडी का क्या भूत सवार हुआ है तुझपर?”
उसने मेरे लंड को छुते हुए पुछा.
मेंरा लंड तो हमेशा कि तरह खडा था.
मैने कहा, “स्साली, तुझे तो मै सदक के बीचोबीच नंगी करके चोदुंगा. और दस तेरे उपर चढाउंगा…”
“चढाओ ना जानुं फिर..देर काहे कि…” वो मस्ती में बोली.
“चूप बे कुतिया…पहले मै जी भर के तुझे चोदुंगा….फिर तुज एसरे बाजार नंगी कर चोदुंगा…”
उसने मेरे प्यंट कि झीप खोली और लंड को आजाद किया. बोली…
“तेरा लंड है ही प्यारा…जहां चाहे वहां चोद…कुत्ती जो ठहरी तेरी…” और नीचे झुक मेरा लंड चुसने लगी.
मैने उसके मुंह में धक्के मारे. गालीया बकी. उसकी गांड पर सटासट चार पाच झापड जड दिये.
फिर कहा…
“साडी में तु ज्यादा फिट दिखती है. चल अंदर…”
“साडी निकालनी ही है तो पहनने को क्यो कहां?”
“स्साली, अंदर तो चल…”
फिर मैने उसे बेडरुम मे खिंचा. वो बेड कि तरफ जाने लगी. मैने उसे रोका.
“स्साली चुदखोर, बेड पर नहीं…”
मैने उसे टेबल पर बिठाया. उसके बुब्ज जोरों से दबाये. फिर उसकी टांगे चौडी कर मैने उसकी साडी उपर उठाई. उसकी गोरी सुडौल जांघे गजब कि दिख रही थी. उसकी निकर ने उसकी चूत छिपा रखी थी. मैने साडी और उपर कि. उसकी चड्डी खिंच कर निकाल दी. मां मेरी तरफ ताज्जुब से देख रही थी. चड्डी निकालते ही उसकी छोटे छोटे झांटोवाली चूत निखरकर सामने आई. मैने उस कुतिया को टांगे और फैलाने को कहा. वो टांगे फैला के जैसे ही हाथों के बल पीछे झुकी तो उसकी चूत और जांघे मुझे जैसे चुदाई का निमंत्रण देने लगी.
मैने मेरी प्यंट उतार दी.
लंड तो खडा ही था.
उसे मैने टेबल के किनारे तक सरकाया.
उसकी चूत का प्यारा चुम्मा लिया.
उसकी झांटे उंगली में पकड कर खिंचे. वो कराही.
उसका दाना दो उंगलियों में पकडकर ऐसे रगडा कि उसकी चूत से पानी और मुंह से सेक्सी कराह निकल आयी.
“ऐसे चोदोगे मुंझे? बढिया….आजा मेरे लाल…चोद जी भर के तेरी मम्मा को…”
“अरे तुझे नहीं चोदुंगा तो क्या पडोसन को? ले आ उसे एक दिन…तेरे सामने चोदुंगा स्साले को…क्या कुल्हे मटकाती है/…गांड मार दुंगा तेरे सामने…”
“नही…मुंझे और तेरी बहना को ही चोदेगा तो कुत्ते….अच्च्छा कुत्ता बन और तेरे लंड का हुनर दिखा…”
साडी उपर करने से और उपर का हिस्सा पल्लु में छिपने से वो बहोत ही गजब कि चुउदखोर दिख रही थी. मैने उसकी चूत को चुमा. चूत में चारो उंगलीयां घुसाके अंदर का मुलायम मुआयना किया. अब तक मुंझे मालूम हो गया था कि मेरी रंडी मां को क्या अच्छा लगता है.
उसने टांगे और फैला दी.
मैने मेरा लंड उसकी चूत में घुसेड दिया. उसने बडी प्यारी आह भरी. चूत उसकी रस से सराबोर थी. मां तो हमेशा कि तरह मस्ती में थी. उसने उसके चुत के स्नायु ऐसे जकड लिये कि मेरा लंड जैसे कुंवारी चूत मे था.
फिर मैने धीरे धीरे उसकी चूत में धक्के देना शुरू किया.
“कैसा लग रहा है?”
“बडा प्यारा. क्या स्टाईल है!. काश तेरी बहना यहां होती और ऐसे मां को चुदते देखती…”
“देखती तो साली चूत से पानी का सागर बहा देती…उस कुतिया को तो श्याम को चोदुंगा…पहले तुझे…”
“हां मेरे लाल.,..मेरे राजा…जरा जोर से धक्के दे…बहोत गर्म हो गई हुं मैं!”
“जानता हुं…” मैने और धक्के मारे.
फचाक फच्च फच्चाक्क्क्क्क्क….
उसकी टांगे मैने मेरे कंधों पर रखी. उसे और जोरों से धक्के देने लगा. वो भी गांड उचका उचकाकर मेरा साथ देने लगी.
“रंडी मां….ये तेरा भोसडा आज तो मै खा ही जाउंगा…”
“खा ले …चबा चबा के खा ले मेरे लाल,….” वो मस्तीभरी गहरी आवाज में बोली.
“रंडी…ए ले…” मैने जोरो का धक्का दिया. वो कराह उठी.
“कैसे चोदू बेटे को जनम दिया मैंने…”
“कुत्ती, तुही चुदास है….तुने ही मुंझे पटाया…गांड भी मरवा ली थी….मेरी बहना को मेरे नीचे तुनेही सुलाया…स्साली….इक दिन कुत्ते से चुदाउंगा तुझे…”
“चलेगा…” मां उसी मस्तीभरी आवाज में बोली. “देखुंगी कुत्ता अच्छा है के तु!”
“साली फादरचोद, तू तो गधे से भी चुदेगी…”
और मैं तेजी से उसकी चूत मे धक्के देता गया. उसकी चूत चुदते हुए मुंझे साफ दिख रही थी. उसका होल धक्कों के साथ छोट बडा हो रहा था. चूत कि दोनो दिवारों से उसका रस बाहर आ रहा था. मेरा लंड पुरा गीला हो गया था. फच-फच-फचाक कि आवाज बेडरुम में गुंज रही थी…
अब मेरा निकलनेवाला था. मैने सट से मेरा लंड उसकी चूत से बाहर किया और कहा, “आ नीचे…मेरा पानी पी रंडी…”
वो झट से टेबल से उतरी. नीचे बैठ मेरा लंड मुंह में ले लिया.
मैने मेरा वीर्य उसकी मुंह में छोड दिया. वो सब पी गई.
फिर मुंह पोछते हुए वो उठी. मुंझे चुमा, कहा,
“बेटा, क्या वाकई मै तुझे खूष करती हुंं?”
मैने उसे बाहों में भर लिया. कहा…
“मां, तुम और बहना मुंझे इतना कुश रखती हो कि स्वर्ग यहीं हैं. आय लव यु मदर! तेरी चूत और गांड बहुत ही प्यारी है!”
उसने उसकी चड्डी पहन ली. मैने भी प्यंट चढा ली. उसे वापस बाहों में लिया. बेतहाशा चुमा.
फिर हम बेड पर कुछ देर सो गये.
रात का प्लान मेरे दिमाग में तय्यार हो रहा था!