चुदाई से मिली पढाई की डिग्री
चुदाई से मिली पढाई की डिग्री
चुदाई से मिली पढाई की डिग्री : हाय दोस्तों मेरा नाम नीलम है और मेरी उम्र 25 साल की है और मैं जबलपुर के पास ही के एक गाँव की रहने वाली हूँ दोस्तों मेरा फिगर 34-28-36 का है और इसकी वजह मैं खुद ही हूँ क्योंकि मैं 18 साल की उम्र से ही सेक्स की तरफ ज़्यादा ध्यान देने लग गई थी और इस कारण से मेरा पढाई में भी मन नहीं लगता था और ऊपर से मेरे गाँव में जो 12 वीं तक का स्कूल था वह भी सरकारी था जहाँ के अध्यापक बच्चों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे इसलिये अच्छी पढाई के लिये जबलपुर ही जाना पड़ता है मैंने और मेरे भाई ने जैसे-तैसे अपनी 12 वीं तक की पढाई तो गाँव में ही पूरी कर ली थी और अब मैं और मेरा भाई अपनी आगे की पढाई के लिए जबलपुर में आकर रहने लगे थे।
हाँ तो दोस्तों आज की कहानी में मैं अब आप सभी को बताऊँगी कि कैसे मैंने मेरे कॉलेज के सर से अपनी चुदाई करवाई थी।
दोस्तों जबलपुर आकर मैंने यहाँ अपने कॉलेज के एक सर को तो पटा लिया था उनका नाम रमेश था और उनसे मिलने के लिये मैं अपने भाई से अपनी सहेली के साथ उसके घर पर पढ़ने का झूंठा बहाना करके आ जाती थी उनकी शादी नहीं हुई थी और वह अकेले ही रहते थे ऐसे ही मैं एक दिन जब उनसे चुदने के लिये उनके घर गई तो हम दोनों चुदाई करने के बाद बेड पर लेटे हुए थे तो मैंने अपनी पढाई ठीक से ना होने की बात भी सर को बताई जिसके कारण मैं बार-बार फेल हो जाती थी और यहाँ कॉलेज में भी मेरा वही हाल था तो मुझे मेरे कॉलेज के रमेश सर ने मुझे एक तरीका बताया कि तुम अपने कॉलेज के सभी सर को खुश कर दो और बदले में उनसे परीक्षा में अच्छे नम्बर देने के लिए कहो तो मैं मान गई तो फिर रमेश सर ने उसी समय मेरे बाकी के सभी सर को मेरी चुदाई के लिए अपने घर पर फ़ोन करके बुलाया और वह सभी लोग रात के 10 बजे आने वाले थे।
और फिर रात के 10 भी बज गये थे और दरवाजे की घन्टी बजी तो सर ने अपनी लूँगी लपेटी और दरवाजा खोला वहाँ पर मेरे कॉलेज के और मेरी कक्षा के 3 सर थे तो रमेश सर ने उनको अन्दर बुलाया और उन सभी को हॉल में बैठाया वह चारों हॉल में बैठकर मेरी ही बातें करने लगे और मैं सर के बेडरूम मैं ही थी रमेश सर ने उन चारों को मेरी जरूरत बताई तो वह सभी राज़ी भी हो गये थे।
अब मैं आपको मेरे सभी सर का परिचय देती हूँ मेरे रमेश सर को तो आप जान ही गए हो मेरे दूसरे सर का नाम विनोद था और मेरे तीसरे सर का नाम गोपाल था और मेरे चोथे सर का नाम अमर था उन सभी की उम्र 35 से 40 साल के बीच की थी अब रमेश सर बेडरूम में आए और उन्होंने मुझ से कहा-
रमेश सर :- नीलम मैं ने उन सभी को समझा दिया है और वह सब मान भी गये है बस अब तुमको उन्हे अपने हुस्न के जादू से खुश करना है अब तुम बाहर चलो और मैं कुछ खाने-पीने के लिये लेकर आता हूँ।
और फिर मैं बेड पर से उठी और टावल को अपने पहले से ही नंगे बदन पर लपेटकर बाहर आ गई और मैंने देखा कि मेरे कॉलेज के वह तीनों सर एक सोफे पर बैठ थे और फिर मैं भी एक दूसरे सोफे पर जाकर बैठ गई वह सभी अब मुझको देखकर मुस्कुराने लगे थे और मैंने भी उनका जवाब मुस्कुराकर ही दिया और उनसे कहा-
मैं :- सर आप सभी से एक गुजारिश है कि आप यह बात किसी और को नहीं बताएगें कि मैंने आप सभी से अपनी चुदाई करवाई है।
विनोद सर :- अरे नीलम तू घबरा मत हम किसी से कुछ भी नहीं कहेंगे बस आज की रात तू हम सभी को खुश कर दे और हम तेरी सारी परेशानियों को दूर कर देंगे।
अमर सर :- नीलम देख तेरी इज़्ज़त के साथ साथ हमारी भी कोई इज़्ज़त है अगर हम यह बात किसी और को भी बताएगें तो हमारी भी तो बेइज़्ज़ती होने का खतरा है।
और फिर मैंने भी हाँ मैं जवाब दिया और कहा कि हाँ आपकी बात भी सही है
तभी गोपाल सर खड़े होकर बोले-
गोपाल सर :- चल नीलम अब अपने जिस्म से यह परदा हटा दे और हमको अपनी जवानी के दर्शन तो करा दे।
मैं :- पहले आप लोग भी तो अपने कपड़े उतारो ना।
विनोद सर :- क्यों नहीं अभी उतारते है।
और फिर वह सभी अपने कपड़े उतारकर पूरे ही नंगे हो गये थे।
और फिर मैंने उनसे पूछा कि आप सभी में से पहले मेरी चूत कौन मारेगा?
गोपाल सर :- हम सभी तो एक साथ ही तेरी चुदाई करेंगे नीलम
विनोद सर :- भाई मैं तो इस लड़की की गांड ही मारूँगा तुम को तो पता है ही कि मुझको गांड मारने का बहुत शौक है।
अमर सर :- ठीक है भाई तू इसकी गांड मार लेना।
और फिर वह सभी मेरे पास आए और अमर सर मेरे एक तरफ और गोपाल सर मेरे दूसरी तरफ खड़े हो गए थे और विनोद सर मेरे पीछे खड़े हुए थे अब अमर सर मेरे एक बब्स को और गोपाल सर मेरे दूसरे बब्स को अपने हाथ में लेकर दबाने लगे और विनोद सर मेरी गांड पर हाथ फेर रहे थे और अब अमर सर ने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिये और मुझे किस करने लगे और गोपाल सर मेरे एक बब्स को चूसने लग गए थे इतने में रमेश सर आ गए थे।
रमेश सर :- क्यो भाई लोगों तुम सब ने तो मेरे बिना ही चुदाई का खेल शुरू कर दिया पहले थोड़ा मूड तो बना लो।
और फिर हम सभी ने अपने-अपने पेग उठाए और पीने लगे तभी रमेश सर ने बोला-
रमेश सर :- देखो दोस्तों जैसे-जैसे मैं तुमको बोलता जाऊँ तुम वैसे-वैसे ही नीलम की चुदाई करना और मैं नहीं चाहता हमारी वजह से नीलम को कोई परेशानी हो।
सभी ने सहमती में अपना सिर हिला दिया।
तभी रमेश सर उठकर मेरे पास आए और मेरी गांड में अपनी ऊँगली डालते हुए मुझसे बोले
रमेश सर:- नीलम तुझको आज चार-चार लौड़ों से एक साथ अपनी चुदाई करवाने का सुख मिलेगा अब हम लोग बेडरूम में चलते है और तू 5-7 मिनट के बाद बेडरूम में आ जाना।
मैं :- ठीक हैं सर आप लोग बेडरूम में चलो और मैं आती हूँ।
और फिर वह चारों ही बेडरूम में चले गये।
और फिर 10 मिनट के बाद मैं भी बेडरूम मैं आई तो बेडरूम का तो नज़ारा ही बदल गया था उन सभी ने बेड को तो एक कोने में खड़ा कर दिया था और बिस्तर को ज़मीन पर लगा रखा था और वह चारों ही लोग नंगे खड़े हुए थे और अपने-अपने लौड़ों को अपने-अपने हाथ में लेकर सहला रहे थे तभी अमर सर ने रमेश सर से कहा-
अमर सर :- यार आज इस साली को अपने लौड़े का पूरा-पूरा मज़ा देना है।
रमेश सर :- गोपाल तुम इसके एक बब्स को दबाओ और अमर तुम इसके दूसरे बब्स को दबाओ।
और फिर वह दोनों ही मेरे बब्स को किसी दूध वाले के भोंपू की तरह से दबाने लगे और फिर रमेश सर मेरी चूत के पास आए और अपने हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगे और फिर अमर सर ने अपने होंठ मेरे बब्स पर लगा दिए थे और मेरे निप्पल को हल्के-हल्के से चूसने लगे और इधर रमेश सर मेरी चूत को अपने हाथ से रगड़ रहे थे तभी विनोद सर अपना लंड अपने हाथ में लेकर रमेश सर के पास आए उन्होंने रमेश सर से कहा-
विनोद सर :- यार रमेश तुम सब तो अपने-अपने काम में लगे हुए हो मैं क्या करूँ
रमेश सर :- यार विनोद तू बाहर तो बहुत बोल रहा था कि मैं इसकी गांड मारूँगा-गांड मारूँगा अब इसकी गांड खाली है तो पूछ रहा है कि मैं क्या करूं जा घुस जा इसकी गांड में जाकर।
और फिर रमेश सर की बात सुनकर विनोद सर मेरी गांड की तरफ आए और मेरी गांड में अपना मुहँ डालकर मेरी गांड को चाटने लगे उन चारों के लंड अब पूरी तरह से तने हुए थे और फिर रमेश सर ने कहा-
रमेश सर :- चलो अब सभी पहले अपना-अपना माल एक बार इसके मुहँ में गिरा देते है फिर इसको चोदने में और भी मज़ा आएगा।
मैं इतना सुनते ही बिस्तर पर बैठ गई और वह चारों ही मेरे चारों तरफ अपना-अपना लंड पकड़कर खड़े हो गये और मैं कभी रमेश सर का तो कभी अमर सर का लंड चूस रही थी और कभी विनोद सर का तो कभी गोपाल सर का लंड चूस रही थी मैंने बारी-बारी से उन चारों के लंड चूसे दो लंड मुहँ में लेने के अलावा मैंने अपने दोनों हाथों में दो लंड पकड़ रखे थे और तभी विनोद सर और अमर सर ने मेरे मुहँ मैं एक साथ ही अपने लंड घुसा दिये उनके लंड लंबे नहीं थे पर मोटे ज़रूर थे मेरे मुहँ में बिल्कुल भी जगह ही नहीं बची थी तभी रमेश सर ने भी अपना लंड मेरे मुहँ मैं घुसा दिया अब मेरे मुहँ में 3 लौड़े थे तभी विनोद सर ने अपना हाथ मेरे सिर के पीछे रखा और मेरे सिर को आगे की तरफ दबाया मेरे मुहँ में तीनों के लंड बुरी तरह से फँस गए थे और मैं अपने मुहँ से सांस भी नहीं ले पा रही थी और फिर रमेश सर ने अपना लंड मेरे मुहँ से बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ में दे दिया मेरे मुहँ में अब भी अमर और विनोद सर के लौड़े थे और रमेश सर और गोपाल सर के लंड को मैं अपने हाथ में पकड़कर उनकी मूठ मार रही थी और रमेश सर और गोपाल सर मेरे बब्स को दबा रहे थे तभी अमर सर ने और विनोद सर ने मेरे मुहँ में अपने लंड से पिचकारी छोड़ दी और उनका ढेर सारा माल मेरे मुहँ में चला गया था जिसे मैंने ना चाहते हुए भी पी लिया क्योंकि मेरे ना चाहते हुए भी उन्होंने अपने लौड़ों को मेरे मुहँ से बाहर नहीं निकाला था उनके लौड़े ठंडे पड़ने के बाद ही वह दोनों मेरे सामने से हटे थे तभी रमेश सर और गोपाल सर ने मेरे मुहँ में उनके लौड़े डाल दिये और मेरे मुहँ में धक्के देने लगे मैं भी मज़े लेकर दोनों के ही लौड़ों को एक साथ चूस रही थी इस तरह से करने से मेरी गर्दन में थोड़ा दर्द होने लगा था पर मज़ा भी बहुत आ रहा था और मैं अपने दोनों हाथों से अपने ही बब्स को दबाने लगी तभी विनोद सर और अमर सर मेरे पास आकर बैठ गये और विनोद सर मुझसे बोले-
विनोद सर :- अरे हमारे होते हुए तुमको तकलीफ़ करने की कोई जरूरत नहीं है।
और विनोद सर मेरे बब्स की निप्पल को अपने मुहँ में लेकर चूसने लगे और अमर सर अपनी ऊँगली से मेरी चूत को रगड़ने लगे और इधर रमेश और गोपाल सर मेरे मुहँ में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहे थे और फिर अमर सर ने अपना मुहँ मेरी चूत में डाल दिया और मेरी चूत का रसपान करने लगे इतने में रमेश सर और गोपाल सर दोनों ही झड़ गये थे गोपाल सर तो मेरे मुहँ में ही झडे तो मैं उनका तो सारा माल गटक गई लेकिन रमेश ने तो झड़ने से पहले ही अपना लंड मेरे मुहँ से बाहर निकाल लिया था जिसके कारण उनके लंड से निकली पिचकारी सीधे मेरे मुहँ पर छूटी और मेरा मुहँ पूरी तरह से उनके माल से गीला हो गया था अब रमेश सर और गोपाल सर के लौड़े पूरे ही मुरझा गये थे लेकिन विनोद सर और अमर सर के लंड फिर से तनकर खड़े हो गये थे अब अमर सर नीचे लेट गये थे और मुझसे बोले-
अमर सर :- नीलम अब तुम अपनी चूत को मेरे लंड पर रखकर उस पर बैठ जाओ।
और फिर मैंने अपने हाथ से अपनी चूत को फैला दिया और अमर सर ने अपने लंड का टोपा पकड़कर मेरी चूत में फँसाकर अपना ज़रा सा ही लंड अन्दर डाला था कि मेरे मुहँ से आह्ह्ह… की आवाज निकल गई थी।
मैं :- आहहह… सर बहुत मज़ा आ रहा है।
अब अमर सर ने मेरा एक बब्स अपने मुहँ में लिया और उसको चूसने लगे और नीचे से एक और धक्का मारा जिससे इसबार उनका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया था और मैं मस्ती मैं अमर सर से बोली-
मैं :- सर हाययय कसम से बहुत मज़ा आ रहा है आप अब अपना पूरा ही लंड घुसा दो।
तभी मेरी बात सुनकर सर ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में एक जोरदार धक्के के साथ घुसा दिया और
मैं :- आह्ह्ह… इस्सस… उईईई…करती रही।
अमर सर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते जा रहे थे इतने में विनोद सर ने अपना लंड मेरी चिकनी गांड के मुहँ पर लगाया और एक ज़ोर के झटके के साथ मेरी गांड में घुसा दिया अब मेरी गांड और चूत तो भर चुकी थी लेकिन मेरा मुहँ अभी खाली था तो रमेश सर और गोपाल सर फिर से मेरे मुहँ के पास आकर खड़े हो गये और मैं एक-एक करके बारी-बारी से उन दोनों के ही लंड चूसने लगी।
और इधर कभी अमर सर नीचे से धक्का मारते तो कभी विनोद सर ऊपर से धक्का मारते उन दोनों के धक्कों से मेरी चूत और गांड तो फटी जा रही थी और फिर करीब 15-20 मिनट तक मेरी चूत और गांड मारने के बाद वह दोनों एक साथ ही झड़ गये थे अमर सर ने मेरी चूत में और विनोद सर ने मेरी गांड में अपना रस निकाल दिया था मेरी चूत और गांड उनके कामरस से भर गई थी अब बारी थी रमेश और गोपाल सर की तो रमेश सर अपने दोनों घुटने मोड़कर बैठ गये और उन्होंने मुझे अपने लंड पर बैठा लिया और फिर जैसे ही रमेश सर का लंड मेरी चूत में गया तो रमेश सर मेरी दोनों टाँगों के बीच में हाथ डालकर खड़े हो गए मैं रमेश सर की गोद में थी और मेरा पूरा वजन रमेश सर के लंड पर ही था रमेश सर नीचे से मुझे ऊपर उठाते और फिर वापस छोड़ देते इस तरह से रमेश सर मेरी चुदाई करने लगे तभी गोपाल सर मेरी गांड की तरफ आए और उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड में घुसा दिया अब वह दोनों मुझे खड़े-खड़े ही चोदने लगे थे और मैं भी मज़े ले-लेकर अपनी चुदाई करवाने लगी थी और फिर 10-15 मिनट की चुदाई के बाद गोपाल सर झड़ गये और मैं भी झड़ गई लेकिन रमेश सर अभी तक नहीं झडे थे और फिर रमेश सर ने मुझे नीचे लेटाया और मेरे दोनों पैर हवा में फैलाकर मेरी चूत में अपना लंड डालकर ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगे और 15-20 मिनट तक वैसे ही मेरी चुदाई करने के बाद रमेश सर ने अपने लंड से एक जोरदार गरमा-गरम पिचकारी मेरी चूत में छोड़ दी और मैंने अपनी टाँगें रमेश सर के चारों तरफ लपेट दी और रमेश सर मेरे ऊपर ही लेट गये थे उसके बाद हम सभी ने पूरी रातभर खूब चुदाई करी थी उन चारों ने बारी-बारी से 3-3 बार मेरी चूत और गांड मारी थी और सुबह के 5 बजे जाकर हम सब नंगे ही सो गये थे और फिर सुबह के 8 बजे अमर, गोपाल और विनोद सर तो वापस चले गये थे और अब मैं और रमेश सर 10 बजे सोकर उठे और फिर मैंने अपने कपडे पहने और अपने घर चली गई थी और रमेश सर तैयार होकर कॉलेज चले गए थे।
हाँ तो मेरे दोस्तों इस तरह से मैंने अच्छे नम्बरों से पास होने के लिये अपने हुस्न का सहारा लिया था।
धन्यवाद कामलीला के प्यारे पाठकों !!