चचेरी बहन की बन्द चूत फ़ाड़ी – मेरा लंड उसकी चूत के हिसाब से काफ़ी बड़ा था मैंने उसकी ब्रा उतारकर उसके बदन से अलग कर दी उसके उरोज ज्यादा बड़े नहीं थे पर एकदम गोल और गोरे गुलाबी रंग के थे

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मेरा नाम हरीश है, मेरी उम्र 23 साल है, मैं एक अच्छी कद काठी का लड़का हूँ, हरियाणा का निवासी हूँ। मैं अपनी सच्ची कहानी आप सब के सामने रख रहा हूँ। यह अभी दो महीने पहले की ही बात है।
मुझे अपने एक चाचा की लड़की बहुत पसन्द है जिसका नाम मनप्रीत (बदला हुआ नाम) है, वह बहुत सुन्दर है।
वैसे तो मैं उसे बचपन से ही चाहता हूँ पर कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाया!
पर दो महीने पहले एक दिन मैंने उसे उसके फ्रेंड के साथ सेल फोन पर बातें करते हुए करते हुए देख लिया उसने मुझे कहा- तुम किसी को कुछ नहीं कहोगे।
मैंने कुछ नहीं कहा और मैं चुपचाप अपने घर आ गया, यह सब देख कर मैं बहुत परेशान हुआ और अपने बिस्तर पर लेट गया।
ना जाने कब मुझे नींद आ गई।


जब मैं जागा तो मनप्रीत मेरे पास बैठ कर रो रही थी, उसने कहा कि अगर मैंने किसी को कुछ बताया तो वो कहीं की नहीं रहेगी।
मैंने कहा- एक शर्त पर मैं मान सकता हूँ।
वो एकदम से चुप हुई और बोली- बताओ?
मैंने उसको कहा- तू आगे से अपने फ्रेंड से फोन पर बाते नहीं करेगी।

उसने हाँ कर दी।
मेरे चाचा का घर हमारे घर के बिल्कुल पास में था। अब मैं रोज उनके घर पर जाता, मैं उससे खूब मजाक करता और मजाक-मजाक में उसे ऐसी जगह छू लेता था जहाँ पर हाथ नहीं लगाना चाहिए।
लेकिन उसने इस बात का विरोध नहीं किया इसलिए मैंने एक दिन उससे हिम्मत करके कहा- मैं तुम्हें चाहता हूँ।
और मैंने उसको ‘आई लव यू’ कह दिया।
वो चौंक गई और वहाँ से चली गई।
बाद में मुझे बहुत पछतावा हुआ कि मैंने यह क्या कह दिया।
उसने मुझसे बात करनी बंद कर दी। उसने हमारे घर आना भी कम कर दिया था।
पर कुछ दिन बाद सब सामान्य हो गया, उसने मुझसे बात करना शुरू कर दिया।
लेकिन उसने कभी उस दिन के बारे में बात नहीं की और मैंने भी सोच लिया कि अब ऐसी गलती नहीं करूँगा।
लेकिन मैं जब भी उसको देखता था तो पागल हो जाता था और हमेशा उसको चोदने के बारे में सोचता रहता था।
एक दिन किस्मत मुझ पर मेहरबान हुई। मैं ऑफिस में काम कर रहा था तो करीब दो बजे दोपहर में मेरे पास घर से काल आई कि माँ और पापा मामा के घर जा रहे हैं और घर की चाबी चाचा के घर से ले लूँ।
मेरे घर की चाबी चाचा के घर पर थी इसलिए मैं ओफिस से शाम को सीधा चाभी लेने वहाँ गया।
मैंने देखा मनप्रीत घर पर अकेली थी और घर के बाकी सदस्य कहीं गये हुए थे।
मैंने कहा- मनप्रीत, घर की चाबी दे दो।
मनप्रीत ने मुझे चाबी लाकर दी और बोली- तुम्हारी मम्मी कहकर गई है कि तुम्हें रात का खाना यहीं खाना है, तुम अंदर आ जाओ।
मैं बोला- नहीं मैं पहले नहाऊँगा, फिर खाना खाऊँगा।
वो बोली- ठीक है, मैं तेरे घर खाना लेकर आती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं नहा कर निकला तो मैंने देखा के मनप्रीत पहले से मेरे बेडरूम में थी और मेरे सेल फोन से किसी से बात कर रही थी।
मुझे शक हुआ और चुपचाप छुप कर उसकी बात सुनने लगा और मेरा शक सही निकला वो अपने बॉयफ्रेंड से बात कर रही थी।
उनकी रोमाँटिक बातें सुन कर मेरे लंड ने तौलिये का तंबू बना दिया और मैं बिना सोचे समझे सीधा उसके सामने जा पहुँचा।
मैंने सिर्फ़ तौलिया बाँध रखा था और नीचे कुछ नहीं पहन रखा था।
इससे पहले कि वो कुछ कहती, मैंने उससे सेल फोन लिया और ऑफ कर दिया और अपने तौलिये को उतार दिया।
अब मैं पूरा बिना कपड़ों के उसके सामने था।
वो कुछ बोल नहीं पा रही थी।
मैं बोला- जानेमन, मैं आज रुकने वाला नहीं हूँ, मुझे करने दो, जो मैं चाहता हूँ।
वो बोली- हरीश भाई, तुम गलत कर रहे हो।
मैंने फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो चीखना चाहती थी पर मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया। मैं उसके उरोजों को सहलाने लगा। वो मना करती रही पर मैं अपना काम करता रहा।
मुझे आज बहुत ख़ुशी हो रही थी कि जिस लड़की को मैं इतना पसंद करता हूँ आज वो मेरी बाँहों में है।
वो दबी जुबान से कहने लगी- प्लीज मुझे छोड़ दो।
मैंने कहा- देख, चुदना तो तुझे है ही, इससे तो अच्छा है कि तू मेरा साथ दे और खुद भी मजे ले और मुझे भी दे।
अब वो कुछ बोल नहीं रही थी शायद उसे मेरी किस्सिंग में मज़ा आने लगा था।
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर थोड़ा ढीला कर दिया।
मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा और अब मैं अपनी उंगली से उसकी चूत को हल्की मसाज कर रहा था। इसमें उसको मज़ा आने लगा और अब वो ऊपर से मेरी किस्सिंग में साथ देने लगी थी।
उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्बे सहलाने लगा, अब उसका विरोध कुछ धीमा पढ़ रहा था, वो सिसकारियाँ ले रही थी।
वो अब मेरा मुँह अपने बूब्बों पर दबा रही थी।
कुछ देर बाद वो ज्यादा गर्म हो गई, मैंने उसकी ब्रा उतारकर उसके बदन से अलग कर दी उसके उरोज ज्यादा बड़े नहीं थे पर एकदम गोल और गोरे गुलाबी रंग के थे जिनको देख कर मैं अपने पर काबू नहीं कर पा रहा था।
ऐसे बोबे मैंने सिर्फ़ पॉर्न मूवी में ही देखे थे, मैं उसके नंगे संतरों को मसलने लगा।
वो आनन्द भरी सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने अपने होंठों से उसके एक मम्मे के चुचूक चुभलाना शुरू किये और दूसरे हाथ से मैं उसके दूसरे मम्मे को दबा रहा था।
मुझे बोबे चूसने में बहुत मजा आया। वो भी गर्म होकर मेरा मुँह अपनी चूचियों में दबाने लगी।
उसको गर्म होते देख मैंने उसकी पेंटी हटानी चाही लेकिन उसने मना कर दिया और बोली- शादी के बाद मेरा पति क्या सोचेगा? प्लीज मुझे चोदना मत।
मैंने उसकी बात मानते हुए कहा- मैंने आज तक पॉर्न मूवीज़ में ही चूत चाटते हुए देखा है, आज मैं खुद उस एहसास को महसूस करना चाहता हूँ, मैं तुझे चोदूँगा नहीं बस तेरी चूत चाटूँगा।
वो मान गई और फिर मैंने उसकी सलवार और पेंटी उसके बदन से अलग कर दी।
उसकी चूत देखकर मैं होश में नहीं रहा।
दोस्तो, जैसा मैंने कहा था कि उसके बोबे गोरे गुलाबी रंग के थे, बिल्कुल वैसे ही उसकी चूत भी एकदम गुलाबी रंग की थी।
अपना आपा खोकर मैं टूट उसकी चूत पर पड़ा और उसकी बुर को चाटने लगा।
उसकी बुर पर एक भी बाल नहीं था और एकदम गुलाबी थी, अगर कोई बुड्ढा भी देख ले तो उसका भी खड़ा हो जाये।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर तक डालकर उसे चोदा और उसके दाने को चूसा।
दोस्तो, मैं पहले सोचता था कि चूत को क्यों चाटा जाता है, पर उस दिन मेरी सब समझ में आ गया, मुझे उसकी चूत का स्वाद एकदम नींबू के जैसा खट्टा और कसैला लग रहा था।
मुझे उससे बड़ा सुख मिल रहा था, वो और गर्म हो गई और मेरे मुँह को अपनी चूत में दबाने लगी।
मुझे भी उसका ऐसा करने से बहुत मजा आया।
आखिरकार मनप्रीत से भी रहा नहीं गया और उसने मुझे कहा- मुझे अजीब सा कुछ हो रहा है।
और वो मुझे अपने से अलग करने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैं समझ गया था कि वो अब सेक्स करने के लिए बिल्कुल तैयार है।
यह सुन कर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा और मैं फिर देर न करते हुए अपना लंड उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा पर मेरा लंड उसकी चूत के हिसाब से काफ़ी बड़ा था।
पर काफ़ी देर तक चूमाचाटी करने से उसकी चूत से पानी निकल गया था जिससे उसकी चूत चिकनी हो गई थी, लंड मोटा होते हुए भी चिकनी चूत में घुसता गया।
वो दबी आवाज़ में रो रही थी, गर्मी की वजह से उसका सारा शरीर पसीने में भीग चुका था और उसी वजह से उसके आँसू और पसीने में फ़र्क नहीं कर पाया।
उसकी चूत अभी तक कुँवारी थी।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और लंड पूरा अन्दर सरक गया।
मैं थोड़ी देर रुका और जब मैंने देखा अब उसका दर्द कम हो गया है, तो मैंने धक्के मारने शुरू किये। कुछ ही धक्कों के बाद उसको भी अब मजा आने लगा, वो भी नीचे से अपने चूतड़ों को उठा कर मेरा साथ देने लगी।
मैंने धक्के लगाना जारी रखा और थोड़ी देर बाद में झड़ गया।
उसने मुझे कहा- यह क्या कर दिया तूने? अब मैं किसी को क्या मुँह दिखाऊँगी।
मैंने कहा- देख मनप्रीत, तू मुझे बहुत अच्छी लगती है। इसलिए मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और तुझे भी तो मजा आया न?
वो बोली- मजा तो आया लेकिन दुनिया वाले क्या कहेंगे?
मैंने उसको समझाया- जब दुनिया को पता ही नहीं चलेगा तो कोई क्या बोलेगा?
उसने पास आकर मुझे चूम लिया और मुस्कुराने लगी।
उसके बाद मैंने अब तक उसको 3 बार चोदा है और चूमाचटी तो बस नवरात्रों को छोड़ कर हमारा रोज का काम है।