कुंवारी चुत चोदी – कुंवारी चुत को चोदना इतना आसान नहीं होता

कुंवारी चुत चोदी – कुंवारी चुत को चोदना इतना आसान नहीं होता

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कुंवारी चुत चोदी – कुंवारी चुत को चोदना इतना आसान नहीं होता : कुंवारी चुत को चोदना इतना आसान नहीं होता ये मुझे पता नही था. वैसे मैं अधेड से लेकर ब्याही हुई न जाने कितनी औरअतों की चुत का उद्धार कर चुका हुं. गांड मारना तो मेंरी खासियत है. औरतो कि उनचुदी गांड मे मेरा मुसल जैसा लंड डालकर उन्हे रोते-चिखते हुए देखकर घुसेद घुसेडकर चोदना औरे मजे भी देना मुझे बडा प्यारा लगता है.

मगर वो अभी जवानी की दहलीज पर थी. गदराई हुई जरुर थी मगर अनचुदी  थी. उसने मुंझे उसकी मां कल्पना को चोदते हुऎ शायद देख लिया था. क्योंकि एक दिन के बाद मुझे उसके चहरेपर अलग ही भाव दिखने लगे थे. कल्पना मेंरे जातेही उसे कुछ न कुछ बहाना कर उसे बाहर निकाल देती थी. शायद उसे अंदेश हुआ होगा, और चुपके से वापस घर में आकर ह्जमारी जोरकश चुदाचुदी  देख ली होगी.

कल्पना सेक्स में बडे अच्छी थी. उसकी चुत कमाल की थी. चोदते वक्त जोर जोर से गांड हिलाकर मेरा साथ दिया करती थी. लंड चुसना तो कोई उससे सीखे. मेंरा लिक्विड वो बडी खुशी से पी जाती थी. उसको घोडी बनाकर उसकी गांड को ठोकना तो एक कमाल का मजा होता था. उसकी चीखे मादक हुआ करते थी. तो कुल मिलाकर वो बडी अच्छी रंडी कुतिया थी. हप्ते मे एक बार तो मुझे बुला लिया करती थी और जैसे सालों से भुखी हो इतनी चुदाई करा लेती थी.

उसके बेटी, नीलु नाम था उसका. बडी गदराई थी. मगर उसकी मां ने मुझे पटा के रखा था. इसलिये मैने उसकी और कामुकता से देखा नही था. मगर आज लगा, मां के बाद बेटी को चोदना भी एक मजा रहेगा. मैने प्लान बना लिया. कल्पना से ऐसी बात करना मुझे अच्छा नही लगा. अपनी चुत को छोड अपनी बेटी की चुत मुझे वो कैसे देती?

दुसरे हप्ते कल्पना का फोन आया. “पती चले गये है, मैदान साफ है…आ जाऒ…”

मै झट से तैय्यार होकर निकला. उसके घर तक पहुंचा ही था तो नीलु दिख पडी. मैने उसे पुछा- कहां जा रही हो?”

मुझे देखकर उसके चहरेपर मादक शर्म सी छा गयी.

“मां ने मुझे एक काम से बाहर भेजा है.”

“क्यो न हम बाहर कभी मिलें? जरा बात करेंगे…”

उसने झट से हा कह दिया और गांड मटकाती हुई चली गई.

उस दिन मैने कल्पना को बहोत चोदा क्योंकि मन ही मन में मै नीलु को चोद रहा था. बहोत ज्यादाही उत्तेजित था.

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दुसरे ही दिन् मैने नीलु को फोन कर मेरे कमरे पे बुला लिया. मै अकेलाही रहता था. वो बराबर वक्तपर आई. चहरा शर्म से लाल था. नजरे मिलाने कि हिम्मत भी नहीं जुटा पा रही थी. मैने उसे आराम से बैठने के लिये कहा. वो बैठ गई. मै उसको सट के बैठ गया आउर प्यार से कहा…”तुमने सब देख लिया ना? तुझे भी वैसाहे कराने को मन कर रहा है ना?”

वो बोली कुछ नहीं मगर उसके मौन में उसकी हामी थी. मैने उसको बाहो मे भर चुम्ना शुरु किया. उसको चुमना भी ठीक से नही आ रहा था. ये सच मे अनचुदी है इसका यकीन हो गया. मै धीरे से उ बुब्ज सहलाने लगा. आहाहाहा…ऐसे सक्त फिर भी मुलायम बुब्ज मै पहली बार दबा रहा था. “धेरे…दुखता है…” वो कसमसाते हुई बोली और मेरे सेने पर हात रख दिया…

उसे और जोर से दबाते हुऎ मैने पुछा- “तेरे मां को चोद रहा था वो देक्खके कैसा लगा?”

“उं…म्म्म…नही बोलुंगी…”

मैने उसका टी शर्ट निकाल दिया. ब्रेसियर की जकड से उसके स्तन मुक्त कर दिये. क्या दिख रही थी वो. मैने फिर से उसके बुब्ज दबाना शुरु कर दिया. निपल्स होठों मे ले लिये…जरा चबाया भी. उसको मैने उठाया और बिस्तर पे ले गया. उसने मुझे चुमा. मै उसको बोला…”नंगी हो जा…”

“नही…”

“फिर मै तेरी चुत देखुंगा कैसे? देख मै नंगा हो रहा हुं. मेरा लंड तेरी मम्मी को चुसने मे और अपनी चुत मे डलवाने में बडा मजा आता है. मै तुझे और मजा दुंगा. बोल…पहले कभी तेरी चुत में किसी ने लंड डाला है?”

उसने इन्कार मे सर हिलाया और आंखे बंद कर ली. मैने ही युसके जीन निकाल ली. उसकी चुत निकर में फुली हुई नजर आ रही थी. मैने उसकी चुत को उपर से ही चुमा और निकर निकल डाली. फिर मै भी नंगा हो गया. उससे कहा, “देखो मेंरा लंड जानु.”

“देखा है…मां को पिछे से कर रहे थे तब…”

“कर नहीं था…चोद रहा था. खुलकर तुम भी बोलो. अब थोडी ही देर में मै तुम्हे औरत बनाने जा रह हुं…बोलो…तेरी मम्मी को क्या करे रहा था मै?”

“चो…चोद रहे थे…” वो जैसे तैसे फुसफुसाहट मे बोली. मेरा लंड तन गया.

“देख मेंरा लंड…आंखे खोल…उसे हात मे ले …तेरे कमसीन मुंह मे ले…चुसचुसकर मजा दे मुझे…”

मगर वो उसके लिये तैयार नही हुई. शर्म महसूस कर रही थी. पहली बारी थी ना. मैने भी सोचा…अज इसकी कुंवारे चुत का तो सील तोड दु…सीख जायेगी बाद मे सब,., गांड भी मारने देगी…जल्दी क्या है!\

मै उसकी बाजु मे लेट गया. चुमने लगा. उसकी कोरे कंवली सी चुतपर हाथ फेरने लगा. उसकी चुत की पंखुडिया अलग कर उसका गीलापन महसूस किया और धीरे से एक उंगली अंदर घुसाने कि चेष्टा की. बहोत ही टाईट थी. वह कसमसा रही थी, चुम रही थी. मैने मेंरा लंड उसके हाथों मे थमा दिया. उसको टच करते ही उसे जैसा इलेक्ट्रिक का करंट लगा हो. उसने झट से हठ दुर कर लिया. मै बोला, “चुइत में जायेगा ये, हाथ मे लेने से क्यों डरती हो…”

फिर उसने लंड को हाथ मे लिया. सहलाने लगी. “बहोत बडा है…” वो फुसफुसाई. मै बोला, “तेरी चुत में बराबर बैठ जायेगा. फिर घुसेदघुसेड कर ऐसे चोदुंगा कि तू रंडी बन जायेगी…तेरी मां की तरह. उसे मेंरा लंड कितना प्यारा लगता है, मालूम?”

वो० शायद जल गई. “मुझे भी प्यारा लगा है तेरा…”

“मेरा क्या?”

“लंड” वो मेरे कान में बोली. मै और उत्तेजित हो गया. उसकी मां खुलकर बेशर्म बाते जोर से कर लेती थी.

नीलु की चुत पर कंवले बाल थे. मै उठा और उसकी टांगो को फेलाकर उसकी चुत का जी भरकर नजारा देखा. उसकी पंखुडियों को हटाकर अंदर का टाइट रास्ता भी देख लिया. उसका दाना फुग गया था...कडा हो गया था. मैने उसे मसला. वो उत्तेजना में कराह उठी. मैने मेरा मुः उसकी चुततक ले गया. क्या गंध था उसके रस का. मै पहला मर्द था जो उसे अपनी नाक में भर रहा था. मुझे अभिमान हुआ. कल्पना कि चुतसे इतनी सेक्सी लडकी पैदा हुई थी.

मैने जुबान से उसकी चुतको चाटना शुरु किया. उसका बदन अकड गया….शायद सिहरने दौड रही थी. उसकी चुत से अब उसका रस बेशुमार टपक रहा था. मैने चाट चाटकर उसे और भी गिली कर दिया था.

अब उससे रहा नही जा रहा था…उसका झडने का समय निकट आ रहा था. आया भी. मैने उसका रस चाट लिया. और उसकी बाहों मे आ गया. उसके चहरेपर त्रुप्तता के भाव थे.

“कितना गंदा,…..वहा चाट रहे थे तुम…”

“अच्छा नही लगा?”

“बहोत अच्छा लगा….”

“तुम्हे भी मेंरा लंड चुसने मे उतना ही मजा आयेगा. च्चुसोगी?”

उसने मेरे कान मे धीरे से हां कहा. वो उठी और घुटनों के बल मेरे लंड तक आई. वो नर्म था. उसने उसे हाथ मे थामा और सहलाने लगी. फिर होठों से चुमा और सुपाडा मुंह मे लिया. आह…क्या बात! मेंरा लंड फन्न्न करके खडा हो गया. मैने उसके बाल पकडे और उसको लंड पर जोर से खिंच. पुरा लंड उसके मुंह मे चला गया. वो चुसती चली गई. मैने उसे फिर मेरे अंड चाटने को कह. उसने जरा भी देर नही लगाई. मेरे दोनो अंड बारीबारी चुसने लगी. मैने उसका मुह और नीचे खिंचा और उसे वहा चाटने को कहा. वो मेरीं गांड का छेद था. उसने अनमानी नही की. म्केरी उत्तेजना विस्फोट के कगार पर थी. मैने झट से उसे उल्ट किया और कहा…

“तैय्यार होगी तुम जल्दही. अब मै तेरी चुत का उद्घाटन करता हुं..”

कहकर मैने उसकी फुली हुई चुत के छेदपर मेरा सुपाडा रखा और जोरदार धक्का दिया. वो चीख उठी…”मर गई…फट गई मेरी…निकालो बाहर …प्लीज..”

मैने लंड अंदर ही रखा. भट्टी की तरह गर्म थी उसकी मुलायम टाईट चुत. वो पसीने से तरबतर थी. मैने उसे चुमा. बुब्ज दबाये. कहा, “धीरे से चोदुंगा तुम्हे…टागे और फैलाओ तो आसान होगा…”

उसने टांगे फैलाकर उपर उठा ली. फिर मै धीरे धीरे से धक्के मारकर उसकी चुत का मजा लेने लगा. साला कल्पना ये देखेगी तो वो भी गर्म हो जायेगी. उसकी बेटी भी मेरी रंडी बन गई ये उसे अच्छा लगेगा. क्या पता…शायद मां बेटी को एक ही बिस्तरपर बारी बारी चोदने का मौका मिले!

२०-१५ मिनट तक मै चोदता रहा. उसका रस इतना आया था कि फचाक फचाक आवाजे शुरु हुई थी. अब उसे दर्द नहीं हो रहा था. वो मजे ले रही थी.

वो कितनी बार झडी उसको ही पता. मैने भी एक जोरदार धक्का देकर मेरा वीर्य उसकी चुतमे खाली कर दिया.

बाहर लंड निकाला तो उसकी चुत खुन से भरी नजर आई. मेरा लंड भी खुन से सना था. उसका सील टुट चुका था. वो मदहोशी में तृप्ती मे आंखे बंद कर जरा लेटी रही. मैने उसे बाहों मे भरकर खुब चुमा. फिर पुछा…

“कैसे लगा?”

“बहोत अच्छा. लग रहा है जैसे मै स्वर्ग मे हुं…”

“ये मजा अब तुम्हे बार बार मिलेगा. तेरी मां की चोदता हुं वैसे तेरी गांड भी चोदुंगा.”

“मां से मै अच्छी हुं”

“अरे वो तो हजार बार चुदी रंडी है. तु तो असली माल है…जबान और सेक्सी…”

“फिर मेंरी मां को अब के बार नही चोदोगे…सिर्फ मुझे…”:

आ गई ना आफत. मै सोच क्या रघा था और ये क्या कह रही थी. फिलहाल तो कल्पना को चुदे बगैर छोडने का कोई इरादा नही था. आखिर वह भी मस्त औरत थी. तजुर्बेकार. उसकी गाआंड मारना जैसे फीस्ट होती थी. इअसकी भी गांड तो मारुंगा जरुर. फिलहाल इसको “हा” कहना जरुरी था सो मैने कह दिया.

वो उठी. अपने चुत से आता खुन देखकर जरा डर भी गई. फिर भागती बाथरुम मे गई और साफ करके आई.

मैने उसकी चुत को चुम लिया, कहा…”और एक बार…”

“अब नही. दर्द हो रहा है.”

मैने भी जादा जोर नही दिया. उसके मुंह मे ही चोद लिया और उसे विदा किया.