मैं रूम से निकल के पारुल के पास गयी। वो बेसुध लेटी हुई थी जैसे शराब के नशे में हो। उसकी आखे बंद थी। उसका बदन नानाजी के पानी से लथपथ था। चाँद की रोशनी में चमक रहा था। मैंने उसे आवाज दी। उसने आखे खोली और मेरी तरफ देख के मुस्कुराने लगी।
मैं:~ पारुल क्या बात है मेरी जान आज तो मुझे लगा की नानाजी चोद ही देंगे तुझे।
पारुल:= तू सब देख रही थी? पारुल ने उठते हुए रजाई से अपने आप को ढकते हुए पूछा।
मैं:= वो सब छोड़ चल अंदर साफ़ कर खुदको बाकी बाते बादमे करते है।
हम लोग रूम में आये पारुल ने खुदको साफ़ किया और आके बेड पे लेट गयी।
मैं:=पारुल की बच्ची बड़े मजे किये तूने आज। मेरा मन भी कर रहा था यार की मैं भी आ जाऊ पर वो नानाजी का लंड देखके हिम्मत ही नहीं हुई। पारुल:= अरे पागल कुछ नहीं होता लंड जितना बड़ा उतना ही मजा आता है।
मैं:= बात तो ऐसे कर रही है जैसे बहोत लंड लिए बैठी है।
पारुल:= लंड नहीं लिया तो क्या हुआ पर पता तो है ना। और रुक थोड़ी देर दादाजी को आने दे अभी तो सबसे पहले लंड ही डालने को बोलती हु चूत में।
मैं:= तू कर इंतजार अपने यार का मैं तो सो रही हु… बहौत नींद आ रही है। पर मुझे उठा देना।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो देखा 8 बज चुके थे। पारुल मेरे पास नहीं थी। मैं निचे गयी तो वो किचन में थी। मैंने उसके पास जाके पूछा तो उसने बताया की नानाजी अब तक नहीं लौटे है। मैंने नास्ता किया और नहाके वापस आयीं तो देखा की नानाजी अब तक नहीं लौटे थे। उनका फ़ोन भी नहीं लग रहा था। मामाजी उनको देखने के लिए खेतो में गए हुए थे। थोड़ी देर बाद हमने देखा की किशन चाचा नानाजी को सहारा देते हुए ला रहे थे। उनके कमर पर पट्टा लगा हुआ था। नानाजी को हमने सहारा देते हुए उनके कमरे में ले जाके सुला दिया। किशन चाचा ने बताया की नानाजी का पैर गड्ढे में जाने की वजह से उनकी कमर में मौच आ गयी है डॉक्टर ने कहा है की आराम करने से दो दिन ठीक हो जायेगा। मुझे बहोत बुरा लग रहा था। मैं नानाजी के पास जाके बैठ गयी। नानाजी ने मेरा चेहरा देखा वो बोले…
नानाजी:= अरे कुछ नहीं है ये दो दिन में ठीक हो जायेगा और अब दर्द भी नहीं है बस थोडा हिलने में दिक्कत होती है।
मैं:= फिर भी नानाजी मुझे आपको ऐसा देखने की आदत नहीं है।
नानाजी:= फिर कैसा देखने की आदत है? बोलो कैसे देखना चाहती हो मुझे? नानाजी बेड पे लेटे हुए थे पर अब भी सेक्स का भूत उनके सर से नहीं उतरा था। मैंने भी अब तय कर लिया था की बेशरम बन के ही मजे लुंगी।
मैं:= जैसा आप सोच रहे हो वैसा ही देखना चाहती हु।
नानाजी:= मैं तो तुमसे पूछ रहा हु। तुम बताओ। तुम जैसा मुझे देखना चाहोगी वैसे दिखा दूंगा। मैं तो बहोत कुछ सोचता हु।
मैं:= अच्छा? क्या सोचते हो आप?
क्या मस्त चुदाई चली थी हमारी!नानाजी:= अब मैं क्या क्या बताऊ की मैं क्या सोचता हु।
मैं:= सब बता दीजिये।
नानाजी:= सब बताऊंगा तो तुम भाग जाओगी।
मैं:=नहीं भागूंगी अब….
नानाजी:= ह्म्म्म बहोत बहादुर हो गयी हो….
मैं:= हा वो कल रात को पारुल कोऔर आप को……..मेरे मुह से अचानक निकल गया।
नानाजी:= क्या क्या?…. ओह तो तुम सब देख रही थी।
मैं:= (शरमाते हुए) हा वो अअ..आ.. हा सब देख लिया।
नानाजी ने मेरे हाथो पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगे।
नानाजी:= फिर मजा आया देख के?
मैं:= मुझे नहीं पता….(मैं शरमाके दूसरी और देखने लगी)
नानाजी:= श्रुति सच कहूँ तो … पारुल के बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था। जब से तुम आयीं हो बस तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चुचिया मेरी नजरो से हटती ही नहीं। ना जाने कितनी बार इनके बारे में सोच के मैंने अपना पानी निकाला है।
नानाजी बहोत ही खुलके बात कर रहे थे। मैं भी अब सब शर्मो हया छोड़ के उनसे नजरे मिला के बात करने लगी।
मैं:= इतनी पसंद है आपको मेरी चुचिया?
नानाजी:= हा श्रुति…. बेहद पसंद है।
मैं:= तो सब दिखा दूंगी आपको आप एक बार ठीक हो जाइए।
नानाजी:= देखने या छूने के लिए कमर की जरुरत नहीं है ना….।
मैंने उनका हाथ उठा के अपनी चुचियो पे रख दिया और आखे बंद कर ली। नानाजी मेरे टॉप के ऊपर से ही मेरी चुचिया सहलाने लगे।धीरे धीरे एक एक करके दबाने लगे। मैं उनके हाथो के सख्त स्पर्श से सिहर उठी मेरे रोम रोम में मस्ती सी छाने लगी।
नानाजी:= आओह्ह् श्रुति आहा कितनी अछि है ये…. इतनी बड़ी है और कितनी सख्त है दबाने में जो मजा आ रहा है उससे पुरे बदन में एक ताकत सी महसूस हो रही है। और देखो जरा मेरा घोडा कैसे उड़ने लगा है।
मैंने उनके लंड को पकड़ा उफ्फ्फ्फ्फ़ किसी बड़े से रॉड जैसा प्रतीत हो रहा था। वो इतना गरम था की उसकी गर्माहट मुझे कपड़ो में से महसूस हो रही थी। मैं उसे मुट्ठी में पकड़ने की कोशिश कर रही थी पर वो मेरी मुट्ठी में भी नहीं समां रहा था।
मैं:= उम्म्म नानाजी कितना बड़ा है आपका…. ऐसा तो कभी मैंने किसी मूवी में भी नहीं देखा।
नानाजी:= कोनसी मूवी?
मैं उन्हें कुछ बता पाती उतने में किसी के कदमो की आहट हुई। हम लोग संभल के बैठ गए। पारुल नानाजी के लिए खाना लायी थी। हमने नानाजी को सहारा देके बिठाया और उनहोंने खाना खाया। फिर हम थोड़ी देर बैठ के बाते करते रहे फिर नानाजी सो गए। हम भी अपने कमरे में जाके आराम करने लगे। नानाजी के पास मामाजी और मामी थे।
रात के खाने तक मामाजी और मामी नानाजी के पास मंडराते रहे। लेकिन रात को सोने के वक़्त पारुल ने उनसे कह दिया की मैं और श्रुति दादा जी के पास रुकेंगे। मामा ने मना किया तो नानाजी ने उनको कह दिया की उन्हें 2 दिन खेतो का काम संभलना है और वो आराम करे। मामा जी उनकी बात को नहीं टाल सके।
हमने अपना बिस्तर निचे जरूर लगाया था। पर हम नानाजी के दोनों तरफ से जाके पैर लंबे करके पलंग से पीठ टीकाके बैठे हुए ऐसे ही हँसी मजाक की बाते कर रहे थे। नानाजी अचानक से दोपहर वाली बात का जिक्र करते हुए बोले…..
नानाजी:= अरे श्रुति तुम दोपहर में किस मूवी की बात कर रही थी?
पारुल:= क्या मूवी दादाजी ? क्या बात कर रही थी?
नानाजी := अरे ये बता रही थी मेरे जैसा लंड उसने किसी मूवी में भी नहीं देखा।
पारुल:= क्या? ऐसी बाते कराती है तू अपने नानाजी से? तुझे शर्म नहीं आती?
पारुल मुझे झुटमुट का डाँटते हुए बोली।
मैं:= तू चुप कर… मैं तो सिर्फ बाते कराती हु तू तो ना जाने क्या क्या कर बैठी है। नानाजी:= अरे झगड़ा क्यू कर रही हो … श्रुति तू बता क्या बोल रही थी?
पारुल:= हम तो ऐसेही मजाक कर रहे थे दादाजी।
मैं:= वो नानाजी वैसी वाली मूवी होती है ना उसकी बात कर रही थी।
हम तीनो अब ऐसे पेश आ रहे थे एक दूसरे के साथ जैसे बहोत अच्छे दोस्त हो। जिनमे कोई पर्दा नहीं कोई लिमिटेशन नहीं। जैसे मैं और पारुल थे।
पारुल := कैसी मूवी श्रुति? जरा खुलके बता ना।( पारुल मेरी टांग खीचने के हिसाब से बोली)
नानाजी:= हा श्रुति अछेसे बता।
मैं:= वो चुदाई वाली मूवी…. मैं झट से बोल दिया।
वो दोनों हस पड़े। मैं भी फिर हँसने लगी।
नानाजी:= क्या होता है उसमे मैंने तो कभी नहीं देखि चुदाई वाली मूवी।
मैं:= हा बनिए मत हमें पता है की आप कितने बड़े चोदु है।
ऐसी बाते करना बड़ा अजीब लग रहा था अपने नाना के साथ पर एक अजीब सी लहार दौड़ जाती शरीर में जो सीधा चूत तक जाके खत्म होती।
नानाजी:= चोदु? क्यू मैंने ऐसा क्या किया?
मैं:= हमने देखा था आपको वो मालती चाची को चोदते हुए। कितनी गन्दी थी वो और उनकी चूत….छी..।
नानाजी:= अगर मुझे पता होता की तुम दोनों अपनी चूत फैलाये मेरे लिए बैठी हो तो मैं क्यू चोदता उसको।
पारुल:= हमें भी कहा पता था की आप हमें चोदने के लिए रेडी हो… इसका तो पता नहीं पर मैं तो बहोत पहले ही आपका लंड ले लेती।
पारुल ने ऐसा बोल के नानाजी का लंड पकड़ लिया और उसे दबाने लगी।
नानाजी:= सच कहते है लोग की पोती नातिन अपने दादी और नानी का दूसरा रूप होती है।
मैं:= नानाजी बताई ये ना हमें नानी के बारे में…. वैसे तो हम जानते ही है पर वो चुदाई में कैसी थी?
नानाजी:= क्या बताऊ बेटा वो कैसी थी। वो बहोत ही कामुक औरत थी। उसे जबतक दिन में एक बार और रात को दो बार ना चोदु उसे अच्छा ही नहीं लगता था। उसकी वजह से ही तो मैं भी इतना चोदु बन गया हु। उसे खुश रखने के लिए मुझे कसरत करके खुद अभी तक तंदरुस्त रखना पड़ा। वो भी मुझे अच्छा सेहतमंद खाना और उसे ना जड़ी बूटियों की बहोत जानकारी थी। वो मुझे उन जड़ी बूटियों का रस पिला पिला के मेरी काम शक्ति को बहोत बड़ा दिया था। वो बहोत ही सुन्दर थी ये तो तुम भी जानते हो पर वो उतनी ही मन से अछि थी। जब तक वो अछि थी मुझसे खूब चुदवाती थी। लेकिन जब उसे उस लाइलाज बिमारी ने जकड़ा तो उसमे ताकत नहीं रही लेकिन उस वक़्त भी उसने मेरे लिए मालती का इंतजाम किया। मालती का पति उसे सुख नहीं दे पाता था। उसने मेरे हर सुख दुःख में मेरा साथ दिया पर वो मुझे अकेला छोड़ के चली गयी ये बाते बताते हुए उनकी और हमारी भी आखे भर आयीं। वो चुप हो गए नानी की यादो में खो गए।
पारुल ने माहोल को थोडा हल्का करने के लिए हँसते हुए कहा…
पारुल:= वाओ दादाजी दादी ने आपके लिए मालती चाची को सेट किया था।
मैं:=ह्म्म्म मतलब मालती चाची को आप तबसे चोदते आ रहे हो… और उनका बेटा मेरा मामा है?
ये सुनके हम सब हस पड़े।
पारुल:= नानाजी और बताईये ना दादी के बारे में.. आपकी सुहागरात और (आँख मारते हुए) मालती चाची के साथ पहली बार चुदाई वाली कहानी।
नानाजी:= क्या बताऊ बेटा…. जवानी में वो किसी अप्सरा से कम ना थी। उसकी चुचिया बिलकुल श्रुति जैसी थी गोल और बड़ी मैं घंटो उनसे खेलता रहता।
और गांड बिलकुल तुम्हारी(पारुल) की तरह थी। मन तो करता की दिन रात उसकी गांड को सहलाते रहू। उसकी दरारों में लंड डाल के सोता था मैं। हमारी सुहागरात के वक़्त वो बड़ी सहमी सहमी सी थी। लेकिन जब मैंने उसके बदन को नंगा करके एक बार चोदा तो वो एकदम खुल गयी। उस रात मैंने उसे चार बार चोदा। उफ्फ्फ्फ़ क्या क़यामत की रात थी वो। उसके होठों में जैसे जादू था मेरा लंड चुसके दो मिनट में खड़ा कर देती थी। उसे पारुल की तरह मेरे लंड का पानी बहोत पसंद था।
और मालती को जब मैंने पहली बार चोदा था वो दो दिन तक ठीक से चल नहीं पायी थी। उसकी जवानी भी लाजवाब थी। अब तो उसकी चूत का भोसड़ा बन गया है।
भोसड़ा शब्द सुनके मेरी हँसी निकल गयी।
पारुल:= चुप कर ना… और किस किस को इस लंड से पेला है आपने?
नानाजी :=वैसे तो बहोत औरतो को चोदा है पर तुम्हारी दादी के अलावा मुझे सबसे जादा मजा आया था वो थी अपने गाव की टीचर…. उसने मुझे और मालती को खेतो में देख लिया था। वो भी मेरा लंड देख के उससे चुदने को बेकरार हो गयी थी। उम्म्म्म्म क्या चूड़ी थी वो अह्ह्ह्ह्ह ऐसे मटक मटक के कूद कूद रंडियो की तरह उसने मुझसे चुदवाया था। 6 महीने थी वो यहाँ लेकिन हर रात को मुझसे चुदवाति थी। कभी अगर मैं उसके घर ना जा सका तो वो रात को खेतो में चली आती थी। बहोत ही चुद्दकड़ थी वो।
पारुल:=क्यू दादाजी आप को कल रात मेरे साथ मजा नहीं आया क्या?
नानाजी:=अरे बहोत मजा आया …तुम दोनों के साथ मुझे बहोत मजा आया। इसलिए तो कह रहा हूँकि तुम दोनों मुझे मेरी बीवी की याद दिला देती हो।
मै:=लेकिन मेरे साथ तो आपने कुछ किया ही नहीं।
नानाजी:= उस रात तुम भाग नहीं गयी होती तो तुम्हारे साथ भी कर लेता। कोई बात नहीं आज करलो जो करना है।
मैं:=मुझे तो आपका लंड चूसना है सब से पहले…मैं बेशर्मो की तरह उनका लंड दबाते हुए बोली।
नानाजी:=तो चुसलो मैंने मना किया है क्या?
नानाजी की बाते सुनके वैसे ही मै बहोत उत्तेजित थी। मैंने उनका पैजामा धीरे से निकाल दिया और उनका नंगा लंड पहली बार अपने हाथो में पकड़ा उफ़्फ़्फ़ग़ाफ़ चटका सा लगा उम्म्म्म। मैंने उसकी स्किन को पीछे किया और देखा उसका सुपाड़ा प्रीकम से भीगा हुआ था। मैंने उसे स्मेल किया आह्ह्ह उम् क्या मस्त खुशबू थी। मैंने उनका प्रीकम अपने अंगूठे से सुपाड़े पे फैलाया और गप से सुपाड़ा मुह में भर लिया। नानाजी आह्ह्ह्ह्ह् स्स्स्स्स् की आवाजे करने लगे। मैं इत्मिनान से धीरे धीरे लंड को चूसने लगी।पारुल भी नानाजी को किस्स्स कर रही और नानाजी उसकी चुचिया मसल रहे थे। पारुल ने अपने कपडे उतार दिए और नानाजी के मुह में अपना निप्पल घुसेड़ दिया। नानाजी सीधे लेटे हुए थे उनकी मूवमेंट नहीं कर पा रहे थे। फिर भी पारुल की चुचिया मुह में भर के चूस रहे थे। और मैं इधर उनका लंड ऐसे चूस रही थी जैसे फिर कभी मुझे नहीं मिलेगा। मुझे नानाजी के लंड का सेंसिटिव पॉइंट मिल गया जिसे जुबान से चाटते ही नानाजी अह्ह्ह्ह्ह्ह कर उठे।
नानाजी:= ओह्ह्ह्ह्ह्ह श्रुति उम्म्म्म कहा छु लिया तुमने उफ्फ्फ्फ़ मजा आ गया।
मैंने देखा पारुल नंगी नानाजी के पास लेटी है। उसने मुझसे “”कहा मुझे भी तो बता जरा कहा छु लिया तूने। वो उठके मेरे पास आयीं मैंने उसे दिखया तो वो भी उसे जुबान से चाटने लगी …. नानाजी”””अह्ह्ह्ह स्ससीसीसी मत करो अह्ह्ह्ह”””‘ करने लगे।
पारुल:= उम्म्म अह्ह्ह अब पता चला दादाजी आपको जब आप मेरे क्लिट को काट रहे थे तब कैसा लगा होगा मुझे.
नानाजी:=हम्म्मह्ह् हा मेरी जान सीसीसीसी
मैं और पारुल अब दोनों बारी बारी उनका लंड चूस रहे थे। मैं अपनी चूत को सहलाने लगी तो नानाजी बोले”””क्या हुआ श्रुति चूत में खुजली सुरु हो गयी क्या आओ यहाँ मेरे पास लेकिन उसके पहले ये अपनी मस्त चुचिया तो दिखाव मुझे।
मैंने शरमाते धीरे धीरे सारे कपडे उतार दिए। उफ्फ्फ्फ़ पहली बार किसी मर्द के सामने नंगि खड़ी थी मैं। अह्ह्ह्ह्ह ।
नानाजी := उफ्फ्फ श्रुति क्या जिस्म पाया है तुमने अह्ह्ह आओ यहाँ आओ मेंरे पास।
मैं उनके पास जा के लेट गयी। वो मेरी चुचियो को पकड़ कर मसलने लगे मैं मस्त हो के आखे बंद करके उस अहसास को अपने जेहन में कैद करने लगी। उम्म्म्म अह्ह्ह्ह धीरे ना नानाजी उफ़्फ़्फ़्फ़ग आउच अहह ऐसी आवाजे मेरे मुह से अपने आप निकलने लगी फिर नानाजी ने मेरी चुचियो को अपने तपते हुए होठो में पकड़ लिया अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म और वो उनको बारी बारी इस अदा से चूसे जा रहे थे की मेरी चूत तक उसकी लहर दौड़ रही थी। मैं उनके मुह में अपनी चुचिया दबाये जा रही थी और उनका हाथ पकड़ के अपनी चूत पे दबा रही थी। लेकिन पोजीशन ठीक नहीं होने के कारण उनका हाथ मेरी चूत तक नहीं पहोच रहा था। मेरी छटपटा हट देख पारुल लंड चूसना छोड़ बोली…”हाय रे देखो तो जरा मेरी बहन किस तरह तड़प रही है हाय… दादाजी कुछ कीजिये नहीं तो बेचारी ऐसेही तड़पती रहेगी।
मैं अपनी चूत नानजी के हाथ पे रगड़ती हुई बोली…”” अह्ह्ह्ह्ह चुप कर सीसीसीसी उम्म्म खुद को देख जरा अपनी हाथो से अपनी चूत रगड़ रही है।
पारुल:= उम्म्म मेरी जान मन तो ये लंड लेने का कर रहा है पर … आज दादाजी की हालात ठीक नहीं है वरना आज तो चूत फड़वा ही लेती।
नानाजी:= श्रुति तू एक काम कर यहाँ बेड को पकड़ के मेरे मुह पे बैठ जा तुम्हारी चूत चाट चाट के पानी निकाल दूंगा और कबसे तरस रहा हु मैं तुम्हारी चूत का रस पिने के लिए अह्ह्ह
मै खड़ी हो के नानाजी के सर के दोनों तरफ पैर रखके और चूत जितना खोल सकती थी उतना खोल के उनके मुह पे बैठने लगी। नानाजी ने मुझे बिच में ही रोका और दोनों हाथो से मेरी चूत के लिप्स को अलग करते हुए अंदर उंगली घुमाने लगे उनके ऐसा करने से मैं पागल सी हो उठी…..””उम्म्म्म अह्ह्ह्ह नानाजीईईईईई उम्म्म्म बहोत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह”””
नानाजी:= उम्म्म्म आहा क्या गुलाबी चूत है तुम्हारी श्रुति उम्म्म इसके होठ बिलकुल गुलाब की पंखुड़ियों की तरह ही है उम्म्म्म एकदम पतले और कोमल अह्ह्ह्ह…… ऐसा बोलके उन्होंने मुझे निचे खीच लिया और मेरी चूत अपने मुह में भर लिया और अपने हाथ ऊपर लेके मेरी चुचिया मसलने लगे। उनकी जुबान का खुरदुरा पण मेरी चूत की आग को भड़का रहा था। मैं उनके हाथो को पकड़ के अपनी चुचियो पे जोर से दबाने लगी “”अह्ह्ह्हम्मम्म उईईमाआ मर गयी अह्ह्ह्ह्ह हा नानाजी ऐसेही उम्म्म और एअह्ह्ह्ह्हआःह्ह्ह्ह्हैह्ह्ह्ह् उम्म्म और चाटिये ना अह्ह्ह”””
मैं पागल हो चुकी थी। मैं अपनी चूत उनके मुह पे गांड आगे पीछे करके रगड़ रही थी अह्ह्ह्ह उनका सर पकड़ कर अपनी चूत दबा रही थी मुझे बहोत मजा आ रहा था….
मैं:=उम्म्म्म अह्ह्ह स्स्स्स सीसीसी अहह क्या आंनद है इस बात में उफ्फ्फ्फ़ चुदाई में इतना अह्ह्ह मजा आता हैसीसीसीसी पता ही नहीं थॉ उम्म्म्म नानाजी अह्ह्ह अंदर तक डालिये ना अपनी जुबान अह्ह्ह्ह्ह्ह
नानाजी मेरी चूत में अपनी जुबान डाल के आगे पीछे करने लगे और दूसरे हाथ से चूत का दाना रगड़ने लगे उफ्फ्फ्फ्फ्फ ये दो तरफा हमला मैं सह नहीं पायी और गांड तेज तेज हिलाते हुए नानाजी के मुह में झड़ गयी। और निढाल हो के बाजू में सो गयी।
इस दौरान पारुल भी नानाजी का लंड चूसे जा रही थी लेकिन मेरी चीखे और आहो ने उसे बेचैन कर दिया वो खड़ी हो के नानाजी का लंड अपनी चूत पे रगड़ रही थी। उससे चूत की तड़प सहन नहीं हुई तो वो लंड का सुपाड़ा चूत में लेने लगी उसने पूरा सुपाड़ा चूत में ले लिया था उसे थोडा दर्द हो रहा था लेकिन शायद वो आज लंड को चूत में लेना ही चाहती थी। उसने थोडा दबाव बनाया तो नानाजी को शायद कमर में दर्द होने लगा था। तो नानाजी ने उसे मना कर दिया। तो फिर से चूत पे रगड़ने लगी और वो भी झड़ गयी। जब हम दोनों नार्मल हुए तो नानाजी बोले “” मेरा लंड तो अभी भी खड़ा है जरा उसे भी आजादी दिलवाओ””
अब हम दोनों ने उनका लंड अपनी चुचियो में पकड़ा और उसे ऊपर निचे करने लगे. फिर पारुल ने उनका लंड निचे से ऊपर तक चाटते हुए उसे ऊपर निचे करने लगी और मई बिच बिच में उनके लंड का सेंसिटिव पार्ट चाट जाती जिससे वो जल्दी ही झड़ने की हालात में आ गए। पारुल उनकी मुठ मारने लगी और हम दोनों उसका पानी अपने चहरे पे लेने के लिए बेताब हो उठे। उम्म्म्म्म फच फच सप सप करके उनकी पिचकारी मेरे और पारुल के मुह पे उड़ाने लगे। उम्म्म अह्ह्ह्ह पारुल उसे पुरे चहरे पे उंगलियो से फैलाने लगी और उंगली चाटने लगी।
जब पारुल ने देखा की मैं सिर्फ आखे बंद करके उसकी गर्माहट का मजा ले रही हु तो वो मेरे चहरे से उनका वीर्य चाटने लगी “”” अह्ह्ह्ह्ह श्रुति एक बार टेस्ट करके देख मजा आ जाएगा””
मैंने आखे खोली और पारुल केचेहरे को पकड़ के चाटने लगी।
नानाजी हमारी ये हरकते देख मुस्कुराने लगे …………..
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