बालों वाली चूत को खुलें खेतों में बजाया – Hindi sex story
बालों वाली चूत को खुलें खेतों में बजाया – Hindi sex story : मेरा नाम राजेश है. बात को ज्यादा घुमा फिराकर बोलने के बजाए सीधे बात पर आता हूँ, बहुत पहले (करीब 8 साल के आसपास) एक लेख में सर्वे किया गया था कि शहरों में शादी से पहले सेक्स का प्रतीशत 5 और गाँवों में 7 हैं. बहुत से परिवार अपने बच्चों की शादी करते हुए ये सोचते है कि शहरों में उन्हें शहरों की अपेक्षा गाँवों की लड़की ज्यादा सही मिलेगी.
ये एकदम बकवास है.
मैंने स्वयं 15 से ज्यादा लड़कियों को चोद रखा है. पर कई बार तो इलाहाबाद से वाराणसी आने वाली लोकल(पैसेंजर) ट्रेन में ही मिला पहली बार मिला, बातचीत की अगले स्टैंड पर दोनों उतरें पीछे के खेतों में गए. चोदा और फिर वह अपने रास्ते वह मैं अपने रास्ते.
मैं आज आप सब से ऐसे ही एक सफर के बारे में चर्चा करूँगा.
उसका नाम मुझे नहीं पता. ठीक से याद नहीं पर शायद मैंने पूछा भी नहीं. चलिए उसका एक कालपनीक नाम रख लेते है; शोभा.
वास्तव में शरीर से ठीक-ठाक स्वस्थ सुंदर सामान्य गोरा रंग और हल्के पीले रंग का सूट पहने कम से कम वह मेरे डब्बे में तो सबसे सुंदर लड़की थी.
चालू ट्रेन में मैंने दाने डाले
इलाहाबाद से ही हम दोनों सुबह 8:30 वाली लोकल पैसेंजर में चढ़े थे. अगल बगल बैठे थे. बातचीत करते करते 2 से 3 घंटे बीत गए. बातों बातों में बात दोस्तों की पहुँची तो मैंने बताया की मेरी कई सारी दोस्त है.
शोभा – कई सारी.
मैं – हाँ कई सारी… क्यों तुम्हारी भी तो कई सारी होंगी.
शोभा – हाँ पर लड़कों की दोस्ती यारी लड़कों में कई सारे होते है. लड़कियाँ एक दो ही मैंने सुनी है.
मैं – और चलो मान लिया.. मतलब तुम्हारे कई सारे नहीं है. बस दो चार ही है.
शोभा— नहीं, नहीं, बिल्कुल नहीं. बस एक है,
मैं- क्या वह मैं हूँ,
(दोनों का हँसना.)
इतने में गाड़ी रूकी और हम दोनो ही उतर गए. (पानी पीने के बहाने)
हम पानी पी कर लौट ही रहे थे. कि मैंने कहा – खेत बड़े अच्छे है, खेतों में घुमने चलोगी.
शोभा – मेरी ट्रेन छूट जाएगी.
मैं -ट्रेन तो बाद में भी मिल जाएगी.
हम दोनों धीरे-धीरे खेतों की और बढ़ गए.
खेतों में पहुँचते ही मैं थोड़ी खाली जगह देखता जा रहा था तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा तो अपनी तरफ खिंचा और उसे अपनी बालों वाली चूत पर फेरने लगी.
मेरा ताव पूरा चढ़ गया, और मैं ऊपर से उसके चूचों को कसकर दबाना शुरू कर दिया, इतने में उसने अपना पजामा उतार दिया.
गाँव की लड़कियाँ में झाँट सबसे कामन चीज है, गाँवों में ऐसा कोई साधन नहीं होता कि लड़कियाँ अपनी बालों वाली चूत के झांट को साफ कर सकें.
उसकी बालों वाली चूत के सामने मैं बैठ गया. और उसने सफेद रंग की चढ्ढी पहन रखी थी. मैंने उसे उतारा तो उसने अपनी जांघ मेरे कंधे पर रख पैरे मेरी पीठ को ले गई. मैं उस बालों वाली चूत का भोग लगाने ही वाला था कि उसने रूकने को कहा और अपने बैग से एक शेंट की शिशी निकाल थोड़ा सा शेंट अपनी बालों वाली चूत पर लगाया.
बालों वाली चूत चाट के चोदी
शोभा – अब चाटो.
वैसे सामान्य तौर पर कभी कभी उसमें से बड़ी बेकार सी गंध आती है, उसकी बालों वाली चूत में वैसे ही कोई गंध नहीं थी और शेंट की खुशबु से मजा ही बढ़ गया.
मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी बालों वाली चूत में घुसा दिया. मस्त हो वो मेरे बालों को खिंचने और अपना शुट उतारने लगी.
मैंने भी चाटते – चाटते ही अपनी शर्ट उतार फेंकी.
शोभा – थोड़ा ढंग से चाट, (अपनी चूत को थोड़ा फैलाकर) बाहर नहीं गुलाबी वाले हिस्से में मुह लगा.
उसकी बालों वाली चूत कोई एकदम नई नहीं थी. मतलब सील टूट चूकी थी. थोड़ी ही देर में मेरा लंड पैंट की जीप को धक्का देने लगा. और बाहर आने को बेताब हो गया.
मैंने खड़ा होते अपनी पैंट उतारने लगा. उसने सीधा मेरे मुंह अपनी जीभ डाल दी.
पैंट उतारते ही उसने लंड पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी. मैंने उसे कमर से दोनों हाथों से कसकर पकड़ा और उसने मेरा लंड अपने बालों वाली चूत के अंदर घुसा लिया.
मैंने उसे धकाधक पेलना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके चूचे दबाने लगा. जैसे-जैसे मैं उसके चूचे दबाने लगा. वो और कड़े और फूलकर बढ़ने लगे.
थोड़ी देर बाद उसने मेरे सिर को नीचे की ओर दबाया. मतलब साफ था की वो चाहती थी कि मैं उसके चूचे पीऊं.
उसके निप्पल गहरे काले रंग के थे. पर बड़े-बड़े और हल्की गोरी चमड़ी पर चूचे देखने में बहुत धमाकेदार लग रहे थे. मैंने एक को कसकर दबाया और मुंह में भरने लगा. पर एक चौथाई से ज्यादा वह मेरे मुंह में घुसने वाला ही नहीं था. उसके नाखुन छोटे – छोटे थे पर मस्ती में उनहें मेरे पीठ पर खरोच रही थी.
अब उसकी बालों वाली चूत काफी नम हो चूकी थी. और लंड बड़े मजे में अंदर बाहर जा-आ रहा था.
मस्ती में उसनी अपनी एक टाँग हवा में थोड़ी उठा ली. और मुझे गले पकड़ कर मेरी बाहों में झुल गई. और बोली – बस यही फूल स्पीड है तूम्हारी.
मैं- फूल स्पीड देखेंगी.
बगल वालें दो चार पौधों को उसे पकड़ाया. और उठा टाँग को पकड़ा पार्नस्टार के जैसे चोदना चालू कर दिया अब उसका अँगड़ाई लेता दाएं बाएं करता गोरा बदन, उस पर जोरों से हिलते चूचें, दिन की धूप और ये गन्ने के खेत.
मैं तो अब उसे नंगी हालत में देखकर और भी मस्त होने लगा. लंड तो मस्ती में चूर हुआ जा रहा था. थोड़ी देर में बोली – थोड़ा आराम से.
मैं- आराम गया गाड़ मराने, आज तो मैं तेरी फाड़कर ही रहूँगा.
उसके मुंह से अब आह. आह आह के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था.
वो चूदते – चूदते लोट-पोट हो जमीन पर लेटने लगी. मैं भी थक गया था. पर इतना मजा और जोश था कि छोड़ना का मन कर ही नहीं रहा था.
लेकिन जब हाथ में तेज दर्द होने लगा तो मैंने उसे जमीन पर लिटा दिया.
और उसके ऊपर शुद्ध देशी स्टाइल में चढ़ गया और उसे रगड़ने लगा.
सीने-सीने से चपके, मुंह में मुंह डाले होठ गीले करते, बालों वाली चूत का मजा मरा लंड भरपूर उठा रहा था.
मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में कुछ इस कदर घुसा रखी थी कि अब उसके मुंह से चूँ सी भी आवाज नहीं आ पा रही थी.
उसने भी मदमस्त हो अपनी दोनों टाँगों में फँसा लिया. मैं अपने हाथों के पंजों के बल हो गया.
अब मैं चोदने की गति धीमी कर जोर से उसकी बालों वाली चूद को अपने लंड का मजा देने लगा. मस्ती में मेरा लंड हल्का सा ढीला पड़ गया, मैंने इसका लाभ उठाकर उसी झांट से भरी बालों वाली चूद को धाड़-धाड़ चोदना शुरू कर दिया. वह भी मस्ती में कभी मेरे कंधे सहलाती कभी मेरे सीने के निप्पल को चबाती.
पर अब उसका. आह.. आह और “अरे माई रे” चिल्लाना बंद ही नहीं हो रहा था. मैं अब उस पर ध्यान ही नहीं दे रहा था. या यूँ कहूँ कि मस्ती में मुझे उसका चिल्लाना अच्छा भी लग रहा था.
पर अब यह बहुत देर तक चलने वाला नहीं था. उसका झड़ते ही उसने अपना पैर जो मेरे पैर में फँसा रखा था हटा लिया. उसकी चूत मुझे अब चिकनी कम चिपचिपी ज्यादा लगने लगी थी. पर उसने मेरा झड़ने तक चूदती रही.
कुछ ही सेकेण्ड बाद मैं भी झड़ गया.
ज्ल्दबाजी में मैं कंडोम लगाना ही भूल गया था. पर मैं उसकी शेंट की खुश्बु और बालों वाली चूत को कभी नहीं भूला.