अगर नौकरी करनी है तो तुम्हें हमारी चूत को चोद कर फाड़ना पड़ेगा-चूत से नमकीन पानी गिरने लगा जो मनोज गटगटा कर पी गया। इधर कृतिका तारा की चूची को चूसती जा रही थी

(चोदो मुझे ! फाड़ दो मेरी गांड और चूत ! मैं तुम दोनों को मालामाल कर दूंगी ! चोदो मादरचोदो ! चोदो मुझे ! आ .. .. … …. ….. हा …………. और ………… तेज चोदो।)

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एक शहर में एक सेठ रहता था। चूंकि वो काफी रईस था तो उसने शादियाँ भी चार की थी। उस सेठ की उम्र करीब 64-65 रही होगी। अब आप सोच सकते हैं कि इस उम्र के आदमियों का लण्ड क्या खड़ा होता होगा। उसके घर में हर काम के लिये अलग-अलग नौकर लगे हुए थे। उसकी तीन पत्नियां का तो ठीक-ठाक था क्योंकि उन्होंने सेठ से भरपूर मजा लिया था पर चौथी पत्नी की हालत खराब थी क्योंकि उसकी उम्र २५-२७ रही होगी और इस उम्र में उसे किसी भी प्रकार का मजा नहीं मिल पा रहा था।
आखिर उसने तंग आकर ऐसा फैसला किया कि आप सबके होश उड़ जाएंगे।
उसका नाम तारा था, उसकी एक नौकरानी थी जिसका नाम कृतिका था।
अपनी जवानी से तंग आकर एक दिन तारा ने कृतिका से कहा- अब नहीं रहा जाता ! मैं तो अब नौकरों से अपनी चूत चुदवाकर अपनी जवानी की प्यास को ठण्डी करूँगी !
कृतिका चौंक गई यह सुनकर !
वो बोली- आप किससे चुदवाएंगी ?
तारा ने कहा- तू मेरा साथ दे तो हम दोनों को भरपूर मजा मिल सकता है !
कृतिका भी एक नंबर की चुदक्कड़ थी और सेठ से तो कई बार चुदवा चुकी थी। वो तुरंत तैयार हो गई। फिर तारा ने अशोक और मनोज नाम के नौकरों को चुना और कृतिका से उन दोनों को बुलवाया। कृतिका उन दोनों नौकरों को बुलाकर तारा के पास ले आई। वे दोनों नौकर काफी गरीब थे और सेठ के यहां दो वक्त की रोटी के लिये जी-तोड़ मेहनत करते थे। वे दोनों तारा के सामने किसी मुजरिम की तरह खड़े हो गये।
तारा ने उन दोनों को ऊपर से नीचे तक गौर से देखा और कृतिका से कहा- वाह क्या हट्‌टे कट्‌टे हैं ये दोनों !
फिर उसने नौकरों से कहा- तुम दोनों को मेरा एक काम करना होगा !
नौकरों ने डरते-डरते पूछा- क्या काम है मालकिन ?
तारा ने कहा- तुम्हें हमारी चूत को चोद कर फाड़ना पड़ेगा।
उन दोनों नौकरों के तो होश ही उड़ गए। दोनों की जबान से आवाज नहीं निकल रही थी। फिर उन दोनों ने हिम्मत करके पूछा- आप हमारी परीक्षा क्यों ले रहीं हैं मालकिन ?
तो तारा ने गुस्सा होकर कहा- मादरचोदो ! अगर नौकरी करनी है तो हमारा यह काम करना पड़ेगा, नहीं तो जाओ तुम्हारी आज से छुट्‌टी।
अब उन दोनों के आगे कोई दूसरा चारा नहीं था। तो उन दोनों ने तारा से पूछा- हमें करना क्या है?
तब तारा ने कृतिका से कहा- दरवाजा बंद कर दे !
कृतिका ने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया।
फ़िर तारा ने कहा- अब तुम दोनों अपने अपने कपड़े उतार कर मेरे पास आओ।
उन्होंने ऐसा ही किया और एकदम नंगे होकर तारा के सामने खड़े हो गए। तारा ने उन दोनों का लंड देखा तो उसकी बांछें खिल गई। उसने जल्दी से अशोक का लंड अपने हाथ में लिया और मुठ मारने लगी। मनोज के लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
कुछ देर लंड चूसने के बाद वो बिस्तर पर चित्त लेट गई और उन दोनों को भी बिस्तर पर आने का न्यौता दिया। दोनों बिस्तर पर लेट गए। कृतिका भी नंगी होकर अपनी चूत में उंगली डालकर मजे ले रही थी।
फिर तारा ने दोनों से कहा- मेरी एक-एक चूची दोनों बांट लो और उसे मसल डालो, चाट डालो, चूस डालो।
दोनों ने ऐसा ही किया। करीब १० मिनट चूची की चुसाई के बाद तारा ने कहा- अशोक ! मेरी सलवार उतारो !
अशोक ने सलवार का नाड़ा खोलकर उसे नीचे खिसकाया। आधा खिसकते ही तारा ने उसे रोक दिया और कहा- अभी इतना ही ! बाकी कुछ देर के बाद !
फिर से अशोक ने तारा की चूची चूसना शुरू कर दिया।
तारा ने कृतिका से कहा- क्या अपनी चूत को उंगली से चोद रही है ! इधर आ और मेरी चूत को चाट !
कृतिका दौड़कर आई और तारा की चूत को चाटने लगी। कुछ देर के बाद तारा ने उसे रोक दिया और कहा- पूरा माल तू ही चाट लेगी तो ये दोनो बेचारे क्या मुठ मार कर रहेंगे? तू हट और इन दोनों को चाटने दे।
फिर अशोक को इशारे से तारा ने चूत चाटने को कहा। अशोक जल्दी से चूत चाटने के लिये नीचे खिसक गया। उसकी तो आज जिंदगी बन गई। तारा जैसी औरत की चूत जो रसगुल्ले की तरह थी उसे वो चाटने लगा। तारा मदहोश होने लगी। फिर उसने मनोज को भी मौका दिया। वो भी जल्दी से नीचे गया और चूत चाटने लगा। तारा की चूत से नमकीन पानी गिरने लगा जो मनोज गटगटा कर पी गया। इधर कृतिका तारा की चूची को चूसती जा रही थी। कुछ देर के बाद तारा ने कहा- बस, अब मेरी सलवार पूरी उतारो।
दोनों ने ऐसा ही किया- उसे पूरी तरह से नंगी धड़ंग कर दिया।
फिर तारा ने कहा- मनोज अब तुम मेरी चूत को चोद कर उसका भरता बना दो !
मनोज ने आव देखा न ताव, अपना लंड तारा की चूत के दीवाल पर लगाकर ऐसा धक्का मारा कि पूरा का पूरा लंड एक ही बार में तारा की चूत को ककड़ी की तरह चीरता हुआ समा गया। तारा का बदन ऐंठने लगा। फिर तुरंत अशोक तारा की एक चूची और कृतिका भी एक चूची चूसने लगी, जिससे उसे कुछ राहत मिली।
तारा थोड़ी देर के बाद जोश में आ गई और नीचे से चूतड़ उछालने लगी। मनोज ने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और तारा की चूत में ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा। कुछ देर के बाद तारा ने मनोज को नीचे आने के लिये कहा और मनोज नीचे चित्त लेट गया।
फिर तारा मनोज के ऊपर चढ़ गई और उसके लंड को अपनी चूत में डाल लिया और खुद धक्के मारने लगी।
फिर थोड़ी देर में उसने अशोक को कहा- तुम पीछे से मेरी गांड में अपना लंड डालो।
अशोक के लंड में कृतिका ने खूब तेल लगा दिया और फिर अशोक ने तारा की गांड की छेद में लंड को रखकर एक करारा धक्का मारा। तारा के मुंह से चीख निकल गई लेकिन थोड़ी ही देर में सब शांत हो गया और उन दोनों ने धक्कों की रफ़्तार बढा दी।
करीब २० मिनट के बाद तारा ऐंठने लगी और चिल्लाने लगी- चोदो मुझे ! फाड़ दो मेरी गांड और चूत ! मैं तुम दोनों को मालामाल कर दूंगी ! चोदो मादरचोदो ! चोदो मुझे ! आ .. .. … …. ….. हा …………. और ………… तेज चोदो।
फिर कुछ ही देर में वो झड़ गई लेकिन अशोक और मनोज उसे चोदते रहे और वो चुदवाती रही। कुछ देर के बाद उन दोनों ने भी अपना अपना माल उसकी चूत और गांड में उड़ेल दिया। फिर उस रात बारी बारी से कई बार उन दोनों ने तारा और कृतिका को चोदा।