जीजाजी मेरा बलात्कार कर रहे थे और में पड़ी पड़ी रो रही थी
जीजाजी मेरे साथ जबरदस्ती सेक्स कर रहे थे और में पड़ी पड़ी रो रही थी- जीजा जी मत करो ना- Jija Saali Sex Story
जीजाजी मेरे साथ जबरदस्ती सेक्स कर रहे थे और में पड़ी पड़ी रो रही थी
आने वाले खतरे से अनजान में सोई हुई थी अचानक आधी रात को असहनीय दर्द से मेरी नींद खुल गई और में चिल्ला पड़ी चिमनी की मंद रौशनी मेने देखा मेरी ननद गायब हे और मेरे पति मेरी छोटी सी चूत में जिसमे मेने कभी एक ऊँगली भी नहीं गुसाई थी अपना मोटा और लम्बा लंड डाल रहे थे और सुपदासुपारा उन्होंने मेरी चूत में फंसा दिया था में गागरा मेरी कमर पर था बाकि कपडे पहने हुए थे और वो गाँव का गंवार जिसने न तो मुझे जगाया न मुझे सेक्स के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया नींद में मेरा घागरा उठाया थुक लगाया और लंड डालने के लिए जबरदस्त धक्का लगा दिया मेरी आँखों से आंसू आ रहे थे और में जिबह होते बकरे की तरह चिल्ला उठी मेरी चीख उस कमरे से बाहर घर में गूंज गई बाहर से मेरी सास की गरजती आवाज आई वो मेरे पति को डांट रही थी की छोटी हे इसे परेशान मत कर मान जा मेरे पति मेरी चीख के साथ ही कूद कर एक तरफ हो गए तब मुझे उनका मोटे केले जितना लंड दिखा मेने कभी बड़े आदमी का लंड नहीं देखा था छोटे बच्चों की नुनिया ही देखि थी इसलिए मुझे वो डरावना लगा
उन्होंने अन्दर से माँ को कहा अब कुछ नहीं करूँगा तू सोजा ! फिर उन्होंने मेरे आंसू पोंछे मेरी टांगे सुन्न हो रही थी में घबरा रही थी थोड़ी देर वो चुप सोये फिर मेरे पास सरक गए उन्होंने कहा मेने गाँव बहुत लड़कियों के साथ सेक्स किया वो तो नहीं चिल्लाती थी उन्हें क्या पता एक चालू लड़की में और अनजान मासूम सील्पैक लड़की में क्या अंतर होता हे !थोड़ी देर में उन्होंने फिर मेरा गागरा उठाना शुरू किया मेने अपने दुबले पतले हाथों से रोकना चाहा उन्होंने अपने मोटे हाथ मेरी दोनों कलाइयाँ पकड़ कर सर के उपर कर दी अपनी भारी टांगो से मेरी टांगे छोडी कर दी फिर से ढेर सारा थूंक अपने लिंग के सुपाडे पर लगाया कुछ मेरी चूत पर में कसमसा रही थी उन्हें धक्का देने की कोशिश कर रही थी पर मेरी दुबली पतली काया उनके भेंसे जेसे शरीर के नीचे दबी थी मेने चिल्ला कर अपनी सास को आवज देनी चाही उसी वक्त उन्होंने मेरे हाथ छोड़ कर मेरा मुंह अपनी हथेली से दबा दिया में गूं गूं ही कर सकी मेरे हाथ काफी देर ऊपर रखने से दुःख रहे थे मेने हाथों से उन्हें धकेलने की नाकाम कोशिश की उनके बोझ से में दब रही थी
मेरा वजन उस वक्त ३८-४० किलो था और वे ६५-७० किलो के ! अब उन्होंने आराम से टटोल के मेरी चूत का छेद खोजा जिसे उन्होंने कुछ छोड़ा कर दिया था अपने गीले लिंग का सुपाडा मेरी छोटी सी चूत के छेद पर टिकाया और हाथ के सहारे से अन्दर ठेलने लगे २-३ बार वो नीचे फिसल गया फिर थोडा सा मेरी चूत में अटक गया मुझे बहुत दर्द हो रहा था जेसे को लोहे की राड डाली जा रही हो जिस छेद को मेने आज तक अपनी अंगुली नहीं चुभाई थी उसमे वो भारी भरकम लंड डाल रहा था मेरे आंसुओं से उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था वो पूरी बेदर्दी दिखा रहा था और मुस्कुरा था की उसे सील बंद माल मिला जिसकी सील वो तोड़ रहा था ! मेरी दोनों टांगो को वो अपने पैर के अंगूठो से दबाये हुए था
मेरे उपर वो अधर था उसका लिंग का सुपाडा मेरी चूत में फंसा हुआ था जीजाजी मेरे साथ जबरदस्ती सेक्स कर रहे थे और में पड़ी पड़ी रो रही थी- जीजा जी मत करो ना- Jija Saali Sex Story
मेरे उपर वो अधर था उसका लिंग का सुपाडा मेरी चूत में फंसा हुआ था अब उसने एक हाथ को तो मेरे मुंह पर रहने दिया दुसरे हाथ से मेरे कंधे पकडे और जोर का धक्का लगाया लंड २ इंच और अन्दर सरक गया मेरी सांसे रुकने लगी मेरी आँखे फ़ैल गई फिर उसने थोडा लंड बाहर खिंचा में भी लंड के साथ उठ गई उसने जोर से कंधे को दबाया और जोर से ठाप मारी में दर्द के समुन्दर में डूबती चली गई आधे से ज्यादा लंड मेरी संकरी चूत में फसा हुआ था मेरी चूत से खून आ रहा था पर उन्हें दया नहीं आई वो और में पसीने पसीने थे मुंह से हाथ उन्होंने उठाया नहीं था और फिर उन्होंने आखिरी शोट मारा और उनका पूरा लंड मेरी चूत में गुस चूका था उनका सुपाडा मेरी बच्चेदानी पर ठोकरे मार रहा था में बेहोश हो गई पर दर्द की वजह से वापिस होस आ गया में रो रही थी सिसक रही थी मेरा चेहरा आंसुओं से तर था पर धनाधन धक्के लगा रहे थे
मेरे चेहरे से हाथ हटा लिया था मेरे कंधे कभी कमर पकड कर बुरी तरह से चोद रहे १५-२० मिनिट तक उन्होंने धक्के लगाये मेरी चूत चरमरा उठी हड्डियाँ कदकदा उठी मुझे बिलकुल आनंद नहीं आया था और वे मेरी चूत में ढेर सारा वीर्य डालते हुए ढेर हो गए और भेंसे की तरह हांफने लगे में रो रही थी सिसकियाँ भर रही थी मेरी चूत से खून और वीर्य मेरी जांघों से नीचे बह रहा था थोड़ी देर में सुबह हो गई मेरे पति बाहर चले गए मेरी ननद आई उसने मेरी टांगे पूंछी मेरे कपडे सही किये मुझे खड़ा की में लड़खड़ा रही थी वो हाथों का सहारा लेकर पेशाब कराने ले गई मुझे तेज जलन हुई मेने रोते रोते कहा मुझे मेरे गाँव जाना हे उसने मेरी सास ने बहुत मनाया पर में रोती रही चाय नास्ता भी नहीं किया आखिर उन्होंने अस.टी.ड़ी. से मेरे घर फ़ोन किया १-१.३० घंटे मुझे मेरे भाई और छोटे वाले जीजाजी लेने आ गए और में अपनी सूजी हुई चूत लेकर मेरे घर रवाना हो गई वापिस कभी न आने की सोच लेकर पर क्या ऐसा संभव हे तो ये अनुभव रहा मेरी सुहागरात का आपको केसा लगा ये १०० फीसदी सच हे फिर में दसवी बोर्ड की तय्यारी करने लगी स्कूल जाने लगी !
मेने १०वी की परीक्षा दी और गर्मियों की छुट्टियों में फिर ससुराल जाना पड़ा इस बार मेरे पति स्वाभाव कुछ बदला हुआ था वो इतने बेदर्दी से पेश नहीं आये शायद उन्हें ये पता चल गया की ये मेरी ही पत्नी रहेगी में इस बार ४-५ दिन ससुराल में रुकी थी पर वे जब भी चोदते मेरी हालत ख़राब हो जाती पहली चुदाई में ही चूत में सुजन आ गई बहुत ही ज्यादा दर्द होता मुझे बिलकुल आनंद नहीं आता वो रात ७-८ बार मुझे चोदते पर उनकी चुदाई का टाइम ५-७ मिनट रहता रात भर सोने नहीं देते वो मुझे कहते मेने बहु सारी लड़कियों से सेक्स किया हे उन्हें मज़ा आता हे तुम्हे क्यों नहीं आता में मन ही मन में दर गई की कही मुझे कोई बीमारी तो नहीं हे कही में पूर्ण रूप से ओरत हु या नहीं हु अब में किस से पूछती में सारी सहेलिया तो कुंवारी थी फिर वापिस पीहर आ गई पढने लगी मेरा काम यही था
गर्मी की छुटियों में ससुराल जा कर चुदना और फिर वापिस आ कर पढना मेरे पति भी चेन्नई फेक्टरी में काम पर चले जाते छुट्टियों में आ जाते अब में कॉलेज में प्राइवेट पढने लग गई तब मुझे पता चला की मुझे आनंद क्यूँ नहीं आता हे मेरे पति मुझे सेक्स के लिए तैयार करते नहीं थे सीधे ही चोदने लग जाते थे और मुझे कुछ आनंद आने लगता जब तक वो ढेर हो जाते रात में सेक्स ५-७ बार करते पर वो ही बात रहती फिर मेने उनको समझाया कुछ मेरा भी ख्याल करो मेरे स्तन दबाओ कुछ हाथ फिराओ अब तक मेने कभी उनके लंड को कभी हाथ भी नहीं लगाया था अब मेने भी उनके लंड को हाथ में पकड़ा तो वो फुफकार उठा उन्होंने मेरे स्तन दबाये पेट और झांघों पर चुम्बन दिए चूत के तो नजदीक भी नहीं गए मेने भी मेरी जिंदगी में कबी लंड के मुंह नहीं लगाया हे मुझे सोच के ही उबकाई आती हे अबकी बार उन्होंने चोदने का आसन बदला अब तो वो सीधे सीधे हे चोदते थे इस बार उन्होंने मेरी टांगे अपने कंधे पर रखी और लंड गुसा दिया और हचक हचक कर चोदने लगे मेरी टांगे मेरे सर के उपर थी में बिलकुल दोहरी हो गई थी पर चमत्कार हो गया आज मुझे आनंद आ रहा था उनका सुपाडा सीधे मेरी बच्चेदानी पर ठोकर लगा रहा था मुझे लग रही थी पर आनंद बहुत आया इस बार जब उन्होंने अपने माल को मेरी चूत में भरा तो में संतुस्ठ थी फिर मेने अपनी टांगे ऊपर करके ही चुदाया मुझे मेरे आनंद का पता चल चूका था
फिर मेरे गर्भ ठहर गया सितम्बर २००० में मेरे बेटा हो गया पर मेरी असली कहानी तो बाकि हे जिस ने कभी किसी पर पुरुष को देखा नहीं उसने २०१० जब में ३० ३१ साल की थी तभ मेरे जीजा जी जो की ४६ साल के थे उनसे केसे चुदवा बेठी सब वक़्त की बात हे अब में आपको ज्यादा बोर नहीं करते वो बात बताउंगी अगली बार कोशिश करुँगी एक बार में ही कहानी पूरी कर दू !बेटा होने के बाद कुछ विशेष नहीं हुआ ! में प्राइवेट पढ़ती रही , मेरे पति साल में एक बार आते जब में ससुराल चली जाती और मेरे पति महीने डेढ़ महीने तक रहते में उनके साथ रहती और जब वे वापिस चेन्नई जाते तो में अपने पीहर आ जाती इसका कारण था कई लोंगो की मेरे उपर पड़ती गन्दी नज़र ! मेरे गाँव में खेती थी उसे में दूसरों को बोने के लिए दे देती थी जब फसल आती तो वे मुझे मेरा हिस्सा देने के लिए बुलाते थे ज्यादातर में शाम को मेरे पीहर आ जाती थी एक बार मुझे रत को रुकना पड़ा में मेरे घर पर अकेली थी
मेरे जेठों के घर आस पास ही थी मेरी जिठानी ने कहा तू अकेली केसे सोएगी डर जाएगी तू मेरे बेटे को अपने घर लेजा ! मेरा वोह जेठुता करीब १८-१९ साल का था में तो २७-२८ की थी मेने सोचा बच्छा हे इसको साथ ले जाती हु ! खाना खाकर हम लेट गए बिस्टर नीचे की पास पास किये हुए थे थोड़ी देर बातें करने के बाद मुझे नींद आ गई ! आधी रत को अचानक मेरी नींद खुल गई मेरा जेठुता मेरे पास सरक आया था और एक हाथ से मेरा एक वक्ष भींच रहा था और दुसरे वक्ष को अपने मुह में ले रहा था हालाँकि ब्लाउज मेरे पहना हुआ था मेरे गुस्से का पार नहीं रहा में एक झटके में खड़ी हो गई लाइट जलाई और उसे झंजोड़ के उठा दिया !मेरे गुस्से की वजह से मुंह से झाग निकल रहे थे वो आँखे मलता हुआ पूछने लगा :- “क्या हुआ काकी ?” मुझे और गुस्सा आया मेने कहा :-“अभी तू क्या कर रहा था ?” पठ्ठा बिलकुल मुकर गया और कहा में तो कुछ नहीं कर रहा था
मेने उसको कहा अपने घर जा वो बोला इतनी रात को मेने कहा हा उसका घर सामने ही था वो तमक कर चला गया और में दरवाजा बंद कर के सो गई सुबह मेने अपनी जिठानी उसकी माँ को कहा तो वो हंस कर बात को तलने लगी कहा इसकी आदत हे मेरे साथ सोता हे तो भी नींद में मेरे स्तन पीता हे मेने कहा अपने पिलाओ आइन्दा मेरे घर सोने की जरुरत नहीं हे मुझे उसके कुटी इरादों की कुछ जानकारी मिल गई थी उसकी माँ चालू थी गाव वालो ने उसे मुझे पटाने के लिए लालच दिया था इसलिए वो अपने बेटे के लिए मेरी टोह ले रही थी उसे पता था उसके देवर को गए १० महीने हो गए थे शायद ये पिघल जाये पर में बहुत मजबूत थी अपनी इज्जत के मामले में इससे पहले कईयों ने मुझ पर डोरे डाले थे मेरे घर के पास मंदिर था उसमे आने का बहाना लेकर मुझे ताकते रहते थे
उनमे एक गाँव के धन्ना सेठ का लड़का भी था जिसने कही से मेरे मोबिल नंबर प्राप्त कर लिए और मुझे बार बार फोन करता पहले मिस कॉल करता फिर फोन लगा कर बोलता नहीं में इधर से गलियां निकलती रहती फिर एक दिन हिम्मत कर उसने अपना परिचय दे दिया और कहा में तुमको बहुत चाहता हु इसलिए बार बार मंदिर आता हु मेने कहा तुम्हारे बीबी बच्चे हे शर्म नहीं आती फिर भी नहीं मन तो मेने उसको कहा शाम को मंदिर में आरती के समय लौड़ स्पीकर पर ये बात कह दो तो सोचूंगी तू उस समय तो हा कर दी फिर शाम को उसकी फट गई फिर उसने कहा की मुझे आपकी आवाज बहुत पसंद आप सिर्फ फोने पर बात कर लिया करे में कुछ गलत नहीं बोलूँगा मेने कहा ठीक हे जिस दिन गलत बोला बात चीत कट और मेरा मूड होगा या समय होगा तो बात करुँगी ये सुनते ही वो मुझे धन्यवाद् देने लगा और रोने लगा और कहने लगा चलो मेरे लिए इतना ही बहुत हे कम से कम आपकी आवाज तो सुनने को मिलेगी में बोर होने लगी और फोन काट दिया उसके बाद वो दो चार दिनों के बाद फोन करता मेरा मूड होता तो बात करती वर्ना नहीं वो भी कोई गलत बात नहीं करता मेरी तारीफ करता इस से मुझे कोई परेशानी नहीं थी मेरे बी.ऐ. हो चूका था मेने गाँव में स्कूल ज्वाइन कर लिया पेरा टीचर बन गई वहा भी और टीचर मुझ पर ट्राई करते पर मेने किसी को घास नहीं डाली फिर मेरे पति वापिस चेन्नई चले गए तो मेने भी स्कूल छोड़ दी और पीहर आ गई !
इस बीच में कई बार में अपनी दीदी के गाँव गई वहा जीजा जी मुझसे मजाक करते रहते दीदी बड़ा ध्यान रखती मुझे कोई गलत लगता नहीं फिर एक बार जीजा जी मेरे पीहर में आये दीदी नहीं आई थी वे रत को कमरे में लेटे हे थे टीवी देख रहे थे मेरे पापा मम्मी दुसरे कमरे में सोने चले गए मेरी मम्मी ने आवाज आजा सोजा मेरा मनपसंद प्रोग्राम आ रहा था मेने कहा आप सोवो में आती हु में जहा जीजा जी चरोई पर सो रहे थे उसी चारपाई पर बेठ कर टीवी देखने लगी तोड़ी देर में जीजाजी बोले बेठे बेठे थक जाओगी सो कर देख लो मेने कहा नहीं फिर उन्होंने कहा मेने कहा मुझे देखने दोगे या नहीं नहीं तो में चली जाउंगी थोड़ी देर तो वो सोये रहे फी उन्होंने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे अपने साथ सुलाने की कोशिश करने लगे मेने उनके हाथ झटके और खड़ी हो गई वो डर गए मेने टीवी बंद की और माँ के पास जाकर सो गई सुबह चाय देने गई तो वो नज़रे चुरा रहे थे मेने भी मजाक समझा और इस बात को भूल गई फिर जिंदगी पहले जेसी हो गई फिर में वापिस गाँव गई मेरे पति आये हुए थे अब स्कूल में तो जगह खली नहीं थी पर में ऍम ऐ कर रही थी और गाँव में मेरे जितनी पढ़ी लिखी कोई और नहीं थी सरपच जी ने मुझे आँगन बाड़ी में लगा दिया साथ ही अस्पताल में आशा सहयोगिनी का काम भी दे दिया फिर एक बार तहसील मुख्यालय पर हमारे प्रक्शिष्ण में एक अधिकारी आये उन्होंने मुझे शाम को मंदिर में देखा था और मुझ पर फ़िदा हो गए मेने उनको नहीं देखा फिर उनका एक दिन फोन आया मेने पूछा कोन हो तुम उन्होंने कहा में उपखंड अधिकारी हु आपके प्रक्षिशन में आया था मेने कहा मेरा नंबर कहा से मिला उन्होंने कहा रजिस्टर में नाम और नंबर दोनों मिल गए मेने पूछा काम बोलो उन्होंने कहा ऐसे ही याद आ गई मेने सोचा केसा बेव्फूक हे खेर फिर कभी कभी उनका फोन आता रहता फिर मेरा बी.एड. में नंबर आ गया और मेने वो नोकरी भी छोड़ दी फिर उनका तबादला भी हो गया कभी कभी फोन आता लेकिन कभी गलत बात उन्होंने नहीं की एक बार बी.एड. करते में कोलेज की तरफ से घुमने घना अभ्यारण गए तब उनका फोन आया मेने कहा भरतपुर घुमने आये हे तो वो बड़े खुश हुए उन्होंने कहा में अभी बरतपुर में ही एस डी एम् लगा हुआ हु में अभी तुमसे मिलने आ सकता हु क्या मेने मन कर दिया मेरे साथ काफी लडकिया और टीचर थी में किसी को बातें बनाने का अवसर नहीं देना चाहती थी और वो मन मसोस कर रह गए !फिर कई साल बाद उनका फोन आया और उन्होंने कहा आप जयपुर आ जाओ में यहाँ उपनिदेसक लगा हुआ हु यहाँ एन जी ओ की तरफ से सविंदा पर लगा देता हु १०००० महिना हे मेने मन कर दिया वे बार बार कहते एक बार आकर देख लो तुम्हे कुछ नहीं करना हे कभी कभी ऑफिस में आना हे मेने कहा सोचूंगी फिर बार बार कहने पर मेने अपने फोटो स्टेट डिग्रिया डाक से भेज दी फिर उनका फोन आया आज कलेक्टर के पास इंटरव्यू हे नहीं गई उन्होंने कहा मेने तुम्हारी जगह एक टीचर को भेज दिया हे तुम्हारा नाम फ़ाइनल हो गया हे किसी को लेकर आ जाओ में मेरे पति को लेकर जयपुर गई उनके ऑफिस में वो बहुत खुस हुए हमारे रहने का इंतजाम एक होटल में किया शाम का खाना हमारे साथ खाया मेरे पति ने कहा तुम ये नोकरी करलो दो दिन बाद हम वापिस आ गए साहब ने कहा अपने बिस्तर वगेरह ले आना तब तक में तुम्हारे लिए किराये का कमरे का इंतजाम कर लूँगा उस वक्त मेरे ३० साल का होने में २ महीने घट रहे थे पर साहब ने चला लिया उस नोकरी में ३० साल का होना जरुरी था ! फी १०- १५ दिनों के बाद मेरे पति चेन्नई चले गए और में अपने पापा के साथ जयपुर आ गई साहब से मिलकर में पापा ने भी नोकरी करने की सहमती दे दी में मेरे किराये के कमरे में रही जो की एक रिटायर आदमी का था कमरा घर के अन्दर था जिसमे वो उसके दो बेटे बहुए पोते पोतियों के साथ रहता था माकन में ५ कमरे थे जिसमे १ मुझे दे दिया गया बुड्डा बिलकुल मेरे पापा की तरह मेरा ध्यान रखता था और में वहा नोकरी करने लगी कभी कभी ऑफिस जाना और कमरे पर आराम करना गाव जाना तो भले १५ दिन ही वापिस नहीं आना साहब ने कह दिया तनखाह बन्ने में समय लगेगा पेसे चाहो तो उस एन जी ओ से ले लेना मेरे दिए हुए हे मेने २-३ बार उस से ३-३ हजार रूपये लिए साहब सिर्फ फोन से ही बात करते मीटिंग में कभी सामने आते तो मेरी तरफ देखते ही नहीं फिर मेरा डर दूर हो गया की साहब कुछ गड़बड़ करेंगे वो बहुत डरपोक आदमी थे वो शायद सोचते में पहल करुँगी और में तो आप जानते ही हे ! फिर मेने कई बार जीजा जी से बात की उन्हें उलाहना दिया की में यहाँ नोकरी कर रही हु और आप ने आकर संभाला ही नहीं तो आज कल आज कल आने का कहते रहे मेने कहा घुमने ही आ जाओ दीदी को लेकर तो दीदी ने कहा बच्चे स्कूल जाते हे में तो नहीं आ सकती इनको भेज रही हु फी एक दिन उन्होंने कहा में आ रहा हु मेने उस होटल वाले को कमरा खली रखने का कह दिया जहा में और मेरे पति साहब के कहने पर रुके थे वो साहब का खाश था उन्होंने हमसे किराया भी नहीं लिया था और कहा आपके जीजा जी से भी कोई किराया नहीं लूँगा मेने कहा ठीक हे क्यूंकि मेरा कमरा छोटा था मेने सोचा मेरे जीजाजी यहाँ आराम से रहेंगे में बस स्टैंड चली गई मेरे जीजा जी आये और हम मेरे कमरे की तरफ गए जो की नजदीक ही था रस्ते में मेने उनको होटल भी दिखाया और कहा रात को आप यहाँ आराम रह जाना अभी मेरा कमरा देख लो उन्होंने कुछ नहीं कहा थोड़ी देर में हम कमरे पर पहुँच गए नीचे ही दरी बिछा कर बिस्तर किये हुए थे दोपहर का समय था चाय पिलाई खाने का पूछा उन्होंने कहा अभी भूख नहीं हे शाम को खाऊंगा फिर मेने कहा थोड़ी देर रेस्ट कर लेटे हे हम बिस्तर पर आड़े लेट गए पैर हमारे दरी पर और सर बिस्तर पर उनके लिए एक मकान मालिक से तकिया से मंगवा लिया दरवाजा खुला हुआ था और मुझे नींद आ गई शाम को ५ बजे में जगी जीजाजी को चाय पिलाई वे स्नान करने चले गए फिर तैयार हो गए में भी कपडे चेंज करने बाथ रूम में जाती उनके सामने केसे बदलती फिर हम घुमने निकल गए अब में थक गई हु
हम घुमने के लिए निकले मेने कहा साहब के पहचान वाले के होटल चलते हे घुमने के लिए बाइक ले लेते हे उसको साहब का कहा हुआ था उसके लिए तो में ही साहब थी वो मेरे रिश्तेदार आये तो भी उसको सेवा करनी ही थी होटल में ठहराने से लेकर खाना खिलाने की भी!उसने मुझे पहले ही कहा था आपके जीजा जी आये तो में उनके लिए ऐ.सी. रूम खली रख दूंगा उसकर होटल २-३ ऐ सी रूम थे हम होटल गए तो वो कही बाहर गया हुआ था !मेने सोचा अब क्या करे मेने उसको फोन कर कहा मुझे आपकी बाइक चाहिए उसने कहा वो शहर से दूर हे १ घंटे में आ जायेगा आप बही रुके नोकर से कह कर चाय नास्ता करे मुझे इतना रुकना नहीं था में जीजा जी को लेकर रवां हो गई तभी उस होटल वाले का जीजा अपनी बाइक लेकर आया वो भी मुझे जानता था उसने पूछा क्या हुआ मैडम जी वहा सब मुझे ऐसे ही बुलाते हे मेने उसे बाइक का कहा उसने कहा आप मेरी लेजाओ!मेने जीजा जी से पूछा आपको चलानी आती हे या नहीं कही मुझे गिरा मत देना तो जीजा जी ने कहा और किसी को तो नहीं गिराया पर तुम्हे जरुर गिराऊंगा !में डरते डरते पीछे बेठी जीजाजी ने गाड़ी चलाई की आगे बकरियां आ गई जीजाजी ने ब्रेक लगा दिए बकरियों के जाने के बाद फिर गाड़ी चलाई में संतुस्ट हो गई की जीजाजी अच्छे ड्राइवर हे!अब वो शहर में इधर उधर गाड़ी घुमा रहे थे कई बार उन्होंने ब्रेक लगाये और में उनसे टकरा गई उन्होंने हंस के कहा ब्रेल लगाने में मुझे चलाने से ज्यादा आनंद आ रहा हे मुझे हंसी आ गई थोड़ी दे घुमने के बाद हम वापिस होटल गए उसे बाइक दी और पैदल ही गुमने निकल गए मेने जीजाजी को कहा अब खाना खाने होटल चले उन्होंने का नहीं कमरे पर चलते हे आज तो तुम बना कर खाना खिलाओ मेने कहा ठीक हे हम वापिस कमरे पर आ गए मेरा पैदल चलने से थोडा पेट दुःख रहा था !मेने वापिस आ कर खाना बनाया थोड़ी गर्मी हमने खाना खा रहे थे की मेरी माँ का फोन आगया उसे पता था जीजाजी वहा आये हुए हे उन्होंने जीजाजी को पूछा आप क्या कर रहे हो तो उन्होंने कहा कहा की कमरे पर खाना खा रहा हु अब होटल जाऊंगा फिर माँ ने कहा ठीक हे पर जीजा जी ने कहा में होटल नहीं जाऊंगा मेने कहा कोई बात नहीं यही सोजना में कई बार उनके साथ सोई थी हालाँकि हमारे साथ जीजी या और कोई था आज अकेले थे पर मुझे कोई डर नहीं था हम खाना खाने के बाद छत पर चले गए कमरे में मच्छर हो गए थे इसलिए पंखा चला दिया और लाईट बंद कर दी और हम छत पर आ गए मेने उन्हें कहा यहाँ छत पर सो जाते हे उन्होंने कहा नहीं यहाँ ज्यादा मच्छर काटेंगे मेने कहा ठीक हे कमरे में ही सोयेंगे फिर मेरे पेट में दर्द हुआ जीजा जी ने पूछा क्या हुआ मेने कहा पता नहीं क्यों आज पेट दुःख रहा हे जीजाजी ने पूछा कही पीरियड तो नहीं आने वाले हे में शर्मा गई मेने कहा नहीं उन्होंने कहा में दर्द की गोली लेलु वो मुझे १ दर्द की गोली देने लगे मेने ना कर दिया वो झल्ला कर बोले नींद की गोली नहीं हे दर्द की हे फिर मेने लेली! फिर हम लेट गए दोपहर की तरह आड़े और दूर दूर हमारे पैर दरी पर और सर बिस्तर पर था और हम बाते करने लगे जीजा जी ने लुंगी लगा राखी थी कमरे का गेट खुला था मेने मक्सी पहन राखी थीमें लेटी लेटी बातें कर रही थी और जीजा जी हा हु में जबाब दे रहे थे मेरी बात करते हाथ हिलाने की आदत हे मेरे हाथ कई बार उनके हाथ के लगे उन्होंने अपने हाथ पीछे कर लिए और कहा अब सो जाओ नींद आ रही हे १०.३०–११ बज गए थे जीजाजी को नींद आ गई थी में भी सो गई और मुझे भी नींद आ गई ! कोई रात के २–२.३० बजे थे की अचानक मेरी नींद खुली मुझे लगा की मेरे जीजा जी मेरी छुट पर अंगुली फेर रहे हे मेरी मेक्सी और पेटी कोट झांघो पर था थोडा तिरछा इसलिए जीजा जी की अंगुली मेरी चूत के सने को रगड़ रही थी मेरी कच्छी पहनी हुई थी मेरा दिमाग भन्ना गया में सोच नहीं परही थी में क्या करू !मेरे मन में भय,गुस्सा,शर्म आदि सारे विचार आ रहे थे मेने अपनी चूत पर से उनका हाथ झटक दिया और थोड़ी दूर हो गए पर आगे दीवार आ गई वो भी मेरे पीछे सरक गए और मुझे बांहों में पकड़ लिया वो धीमे धीमे कह रहे थे मुझे नींद नहीं आ रही हे प्लीज और मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बोछार कर दी में धीमी धीमी आवज में रो रही थी उन्हें छोड़ने का कह रही थी पर वो नहीं मान रहे थे मेने पलटी मार कर उधर मुंह कर लिया उनकी बांहे मेरे शरीर पर ढीली थी पर उन्हीने छोड़ा नहीं था उन्होंने अपनी एक टांग मेरे टांगो पर रख दी मेरे कांख के नीचे से हाथ निकाल कर मेरे स्तन दबा रहे थे कभी नीचे वाला और कभी ऊपर वाला !मेरी गर्दन पर भी चुम्बन कर रहे थे और फुसफुसा रहे थे मुझे कुछ नहीं करना हे सिर्फ तुम्हे आनंद देना हे में मना कर रही थी की मुझे छोड़ दो पर वो कुछ भी नहीं सुन रहे थे जोर से बोल नहीं सकती कही माकन मालिक नहीं सुन ले मेरी बदनामी हो जाती की पहले तो कमरे में सुलाया जयपुर बुलाया अब क्या हुआ ?में कसमसा रही थी आज मुझे पता चला की जीजाजी में कितनी ताकत हे मुझे छुड़ाने ही नहीं दिया ऐसे १० मिनिट बीत गए मेरा विरोध कमजोर पड़ने लगा में थक सी गई थी उन्होंने जेसे अजगर मुर्गे को दबोचता वेसे मुझे अपनी कुंडली में कस रहे थे धीरे धीरे उन्हें कोई जल्दी नहीं थी !वो बराबर मुझे समझा रहे थे की चुपचाप रहो मजा लो तुम्हारे पति को गए साल भर हो गया क्यों तड़फ रही हो में सिर्फ तुम्हे आनंद दूंगा मुझे कोई जरुरी नहीं हे और आज अब में तुम्हे छोड़ने वाला नहीं हु में कुछ नहीं सुन रही थी में तो रो रही थी कसमसा रही थी और छोड़ने के लिए कह रही थी वो थोडा मोका दे देते तो में कमरे के बाहर भाग जाती पर उन्होंने मुझे झाकड़ रखा था फिर उन्होंने स्तन दबाना बंद कर हाथ नीचे लाये और मेरी कच्छी नीचे करने लगे में तड़फ कर उनके सामने हो गई मेरी आधी कच्छी नीचे हो गई पर मेने उनका हाथ पकड़ लिया और उपर कर दिया वो मेरे पेट को सहलाने लगे फिर दुसरे हाथ से मेरे हाथ को पकड़ लिया और पहले वाले हाथ से फिर कच्छी नीचे करने लगे साथ साथ मुझे सहयोग करने का भी कह रहे थे मेने नहीं मन और मेने उनके सामने सोते सोते अपनी टांगे दूर दूर करने के लिए एक टांग पीछे की पर एक टांग मुझे उनकी टांगो के उपर रखनी पड़ी !उन्होंने अपना हाथ मेरी गंद की तरफ लाये जहा कच्छी आधी खुली थी और खिंच रही थी उनकी अंगुलियों को गंद के पीछे से चड्डी में गुसने की जगह मिल गई उन्होंने पीछे से चड्डी में हाथ दल कर मेरी चूत सहलाने लगे जिसे अब वो डाइरेक्ट टच कर रहे थे वे मेरी चूत उभरे हुए चने को रगड़ रहे थे में फिर कसमसा रही थी पर उन्होंने मुझ पर पूरी तरह काबू प् लिया था एकदम झकड़ा हुआ था अब तो में हिल भी नहीं प् रही थी उन्होंने ५ मिनट तक मेरी चूर के दाने को पीछे से रगडा मेरी छोटी सी चूत में पीछे से अंगुली डालने की असफल कोसिस भी कर रहे थे !
में कुछ भी करने की इस्थिति में नहीं थी मेरी सारी मिन्नतें बेकार जा रही थी इतनी मेहनत से हम दोनों को पसीने आ रहे थे पर पता नहीं आज जीजाजी का क्या मूड था में उन्हें यहाँ आने का कह के और होटल में नहीं जाने का कह के पछता रही थी अगर मेरे बस में काल के चक्र को पीछे करने की शक्ति होती तो में पीछे कर उन्हें यहाँ नहीं सुलाती !
खैर अब क्या होना था मेने जो इज्जत ३० साल में संभाल के रखी थी आज जा रही थी और में कुछ भी नहीं कर पा रही थी मेने अपने सारे देवताओ को याद कर लिया की जीजाजी का दिमाग चेंज हो जाये और वो अब ही मुझे छोड़ दे पर लगता हे देवता भी उनके साथ थे फिर अचानक वो थोड़े ऊँचे हुए एक हाथ से मुझे दबा कर रखा और दुसरे हाथ से मेरी चड्डी पिंडलियों तक उतार दी और एक झटके में मेरी एक टांग से बाहर निकाल दी अब चड्डी मेरे एक पांव में थी और मेरी चूत पर कोई पर्दा नहीं था वो मेरी दोनों टांगो को सीधा कर अपने भारी पांव से दब लिया फिर वे एक झटके से उठे और नीचे हुए उनका लम्बा हाथ मुझे सीधा सुला रह था जबरदस्ती मेरी टांगे चोडी की एक इस तरफ और दूसरी उस तरफ में छटपटा रा ही थी की अचानक उन्होंने अपना मुंह मेरी चूत पर लगा दिया बस मुंह लगाने की देर थी की में फ्रीज हो गई हिलना डुलना बंद आज तक किसी ने मेरी चूत नहीं चाटी थी
पिछले एक साल से में चुदी नहीं थी पिछले आधे घंटे से में मसली जा रही थी पर मेरी चूत के मुह लगते ही में क्लीन बोल्ड हो गई सब सही गलत भूल गई मेरे शरीर में आनद का श्रोत उमड़ पड़ा मुझे बहुत आनद आने लगा जीजा जी जोर जोर से मेरी चूत चूस रहे थे चाट रहे थे हलके हलके कट रहे थे म्रेरे चने को दांतों और जीभ से चिभाल रहे थे मेरी पूरी चूत की फंको को मुंह में भर रहे थे अपनी जीभ लम्बी और नोकीली बना कर जहा तक जाये वहा तक मेरी चूत में डाल रहे थे मेरे चुचक कड़े हो गए थे मुह से सेक्सी आहे निकाल रही थी में उनके सर पर हाथ फेर रही थी उनके आधे उड़े हुए बालो को भिखेर रही थी !उन्हें मेरी आन्हे और उनके बालो में हाथ फेरने से पता चल गया की अब मुझे भी मजा आ रहा हे उन्होंने मेरे कमर के पास अपने दोनों हाथ लम्बे कर के मेरे दोनों स्तन पकड़ लिए और मसलने लगे मुझे और ज्यादा मजा आने लगा मेने उनके मुह को इतनी जोर से आपनी झांगो में भींचा की उनकी साँस रुकने लगी और उन्होंने ने मेरे स्तन जोर से भींचे और मेरी चूत में काटा की मेने झंगे ढीली कर दी वो जेसे मेरी चूत चाटने ही आये ऐसे वो बुरी तरह से चूस रहे थे उनकी लार बह कर नीचे बिस्तर तक पहुँच रही थी मेने जितनी टांगे उपर उठा सकती थी उठाली और जोर जोर से सिसक रही थी
उन्हें जोर से चाटने का कह रही थी कोई १५ मिनट हो गए उन्हें कहते की मेरा पानी उबल पड़ा उन्होंने मुह नहीं उठाया और ज्यादा चाटा मेरे में पूरा पानी निकाल गया में ठंडी पद गई मुझे जिन्दगी का पहला आनद आ गया वो अब भी चाट रहे थे मुझे उन पर दया आ गई मेने उन्हें मेरे उपर खींचना चाहा पर वो बोले मुझे सिर्फ तुम्हे आनद लिराना था मेरे कोई जरुरत नहीं हे पर मेने कहा नहीं आप आओ मेरे उपर आपने मुझे इतना आनंद दिया अब में भी आपको आनंद देना चाहती हु अब में मुस्कुरा रही थी हंस रही थी जो जीजा थोड़ी देर पहले मेरी नफरत का केंद्र था अब मुझे सारी दुनिया से प्यारा लग रहा था !तब जीजाजी ने कहा पहले बाथरूम कर आओ मेने कहा मुझे जाने की जरुरत नहीं हे आप मुझे करलो अभी मेरे मुह से चोद लो नहीं निकाल रहा था उन्होंने कहा में का के आता हु फिर तुम जाना में इतनी देर में कंडोम निकाल लूँगा मेने कहा ठीक हे वो गए फिर में गई वापिस आई जब क्या हुआ फिर बतौंगी अब थक गई हु.पहले जीजा जी बाथरूम जा के आये !
अब तक मेरे कमरे का दरवाजा खुला ही था फिर में बाथरूम गई मेने देखा मेरे मकान मालिक के और उनके बेटो के कमरों में कूलर चल रहे थे और उनके कमरे में नाईट बल्ब की रौशनी में देखा सब घोड़े बेच कर सो रहे थे!में वापिस निश्चिंत हो कर अपने कमरे में वापिस आई ! कमरे में आने के बाद अब मेने दरवाजा उढ़का दिया ! जीजाजी एक तरफ सो रहे थे में सीधा उनके सीने पर जा कर लेट गई फिर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में पकड़ लिया और मेरे चुम्बन देने लगे साथ ही साथ उनका हाथ मेरे पीठ पर भी फिर रहा था !
उन्होंने धीरे से मुझे नीचे लिटा दिया मेने उनको अपने उपर जोर से पकड लिया ! वो नीचे होना चाहते थे और मुझे शर्म आ रही थी इसलिए में उन्हें मेरे मुह के पास पकड़ी हुई थी!वो मेरे गालो पर चुम्बन देते थोडा थोडा मेरे होटो को भी चूस रहे थे !मुझे हॉट चुस्वाना कभी अच्छा नहीं लगता था क्योंकि मेरी साँस नहीं आती थी लेकिन जीजा जी थोडा सा चूसकर बार बार छोड़ देते थे इससे मुझे साँस लेने का अवसर भी मिल जाता था !इस बीच वो नीचे सरक गए और मेरी मेक्सी पेटीकोट समेत उपर करने लगे में भी उनकी सहायता मेरी गांड उठा कर कर रही थी!वो फिर मेरी धोई हुई चूत को सूंघ रहे थे और में फिर से उत्तेजित हो रही थी उनके चूत चाटने के ख्याल से!पहले उन्होंने धीरे से अपनी जीभ मेरी पूरी चूत पर फेरना शुरू किया मेने शर्म से अपनी मेक्सी को अपने मुह पर ओढ़ लिया !
अब मेक्सी और पेटीकोट कमर से लेकर मेरे मुह पर ढका हुआ था और मेरी जमा पूंजी खुली पड़ी थी जिसे आज लूटना था और मेरा लुटाने का इरादा था !अब वो अपनी जीभ मेरे चने पर फिर रहे थे कभी हल्का दांतों से काट रहे थे कभी जीभ को जितना अन्दर ले जा सकते ले जा रहे थे मेने अपनी ३० साल की जिन्दगी में जो आनंद नहीं पाया वो आज पा रही थी करीब १० मिनट तक वो चाटते रहे में उनके कट्रोल पर हेरान थी की करीब उन्हें फॉर प्ले करते एक घंटा हो गया पर वो छोड़ने की कोशिश नहीं कर रहे थे मेने आनंद में अपनी टंगे पूरी ऊँची कर अपनी चूत को उभार दिया था वो हाथो से कपड़ो के उपर से ही मेरे स्तन दबा रहे थे !
जीजा जी की लुंगी तो पहले ही हट चुकी थी अब कपड़ो की सरसराहट सुन कर में समझ गई कि वो अपना अंडरवियर उतार रहे हे !आने वले वक़्त कि कल्पना से ही मेरे कलेजा धड़क रहा था मेरी जिन्दगी का एक महत्वपूर्ण मोड़ आ रहा था आज पहली बार मेरे पति के अलावा कोई दूसरा मेरी सवारी करने कि तैय्यारी में था! में दम साधे आने वाले पलो का इन्तजार कर रही थी !मेरी दोनों टांगे पूरी तरह से उपर थी जो मेरे सर से भी पीछे जा रही थी दुबला पतला होने का यही तो फायदा हे अब वे घुटनों के बल बेठ गए थे और अपने मुह से ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगा रहे थे थोडा मेरी पहले से गीली चूत पर भी लगाया और अपने लंड को मेरी छोटी सी चूत के छेद पर अदा दिया ! मुझे अपनी चूत पर उनके सुपारे का कडापन महशुस हो रहा था में सिहर गई उन्होंने हलके से अपनर लंड को मेरी चूत में ठेला मेरी चूत ने उनके सुपारे पर कस कर उनका स्वागत किया! अब उन्हें पता चल गया कि ये किला इतनी आसानी से फ़तेह होने वाला नहीं हे !मेरी चूत में संकुचन हो रहा था आनंद कि अधिकता से में अपनी चूत को और ऊँचा कर रही थी अब तक सिर्फ उनका सुपारा ही अन्दर गया था !साँस भर कर फिर उन्होंने धक्का दिया थोडा और अन्दर गुसा मेरी आनंद के मारे हलकी सी किलकारी मुह से निकली तो उन्हें जोश आया और थोडा पीछे खींच कर फिर दांत भींच कर जोर से धक्का मारा अब उनका आधे से ज्यादा लंड मेरी चूत में गुस चूका था वो अपने माथे का पसीना पोंछ रहे थे और मेरे कान में बोले “तेरी चूत इतनी टाईट केसे हे लगता ही नहीं कि तुम १० साल के बेटे कि माँ हो?”
मेने जबाब उनका कान काट कर दिया !मेरे कान काटने से उन्हें फिर जोश आया और धचाक से अपना पूरा लंड मेरी चूत में गुसा दिया अब उनकी गोलिया मेरी गांड के टकरा रही थी!
अब उन्होंने अपने हाथ मेरी गांड के नीचे डाल कर मेरे बट्स टाईट पकड़ लिए और धक्के लगाने लगे !मेरी चूत कि फांके बुरी तरह से उनके लंड से कसी हुई थी इसलिए वो जब ऊपर होते तो मेरी चूत भी उठ जाती इसलिए वो ज्यादा ऊँचा होकर धक्के नहीं लगा पा रहे थे! फिर थोड़ी देर में मेरी चूत गीली होने लगी और इतनी देर में उनका लंड भी चूत में सेट हो गया था !आज मेरी चूत में करीब १० महीने के बाद लंड गुस रहा था दोस्तों में सच कहती हु मेने कभी अपनी चूत में अंगुली भी नहीं कि थी !
अब उनका लंड आसानी से मेरी चूत में आ जा रहा था पर जब में मजे में अपनी चूत भींच देती तो उनकी रफ़्तार धीरे हो जाती फिर धक्के देने में जोर आता पर वो हचक हचक कर छोड़ रहे थे!उनके मुह से लगातार मेरी तारीफ निकल रही थी कि उन्होंने इतनी शानदार चूत नहीं देखि ,आज जितना मजा कभी नहीं आया हे,आज मेरे जिन्दगी का मकसद पूरा हो गया ,यूं मेरी सेक्स कि देवी हो ,यूं जो चाहे मुझसे लेलो आदि आदि! और में उन बातो से मस्त होकर चुदवा रही थी !करीब १० मिनिट ऐसे छोड़ने के बाद उन्होंने मेरी टांगे सीढ़ी कर दी और मुझे रगड़ने लगे ३-४ मिनिट के बाद उन्होंने फिर से टांगे ऊँची कर दी इस बार मेने अपनी टांगे उनकी कमर में कास दी पर ४-५ धक्को से ही वो थकने लगे तो मेने फिर से ऊँची कर ली अब उनका लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था!और मुझे दर्द के साथ आनंद भी आ रहा था और में झड़ने लगी मेरे मुह से गु गु कि आवाजे आ रही थी और करीब एक मिनिट तक मेरा शरीर ऐंठता रहा उन्हें पता चल गया था इसलिए वो जोर जोर से चोद रहें थे !
फिर में अचानक ढीली पद गई और उन्होंने लंड बाहर निकल लिया मेने कहा आपके आ गया क्या उन्होंने कहा नहीं अभी कहा आएगा मुझे बड़ा अचरज हुआ उन्होंने कहा पहले तुम्हे वापिस गरम करता हु उन्होंने थोड़े चुम्बन दिए स्तन दबाये उन्होंने मेरी चोली खोलने की कोशिश क़ी मेने मना कर दिया और कहा ऊपर से दबा दो यहाँ पराये घर में हे फिर उन्होंने कुछ नहीं कहा और ऊपर से ही दबाने लगे एक हाथ से मेरे चूत के चने को हलके हलके छेड़ रहें थे उसे गोल गोल घुमा रहें थे मुझे आज पता चला की कोई आदमी इतनी काम कला में निपुण भी हो सकता हे क्या!आज तक मेरे पति ने ऐसा मुझे तैयार नहीं किया था मुझे मेरे जीजा जी बहुत प्यारे लग रहें थे की उन्हें मेरे आनंद की कितनी चिंता हे और उनमे रुकने का कितना स्टेमिना हे !उनके थोड़ी देर के प्रयास से में फिर से गरम हो गई थी में अब तक ३ बार झड चुकी थी जो मेरी जिन्दगी पहला चांस था एक रात में! मेरे पति के साथ तो कभी कभी ही चरम सुख मिलता था !
अब में जीजाजी को अपने ऊपर खींचने की कोशिश करने लगी वे समझ गए उन्होंने मेरी सुखी चूत को थूक से गिला किया और अपना लंड मेरी चूत में सरका दिया एक ही झटके में में थोडा उछली फिर शांत हो गई मेरी टांगे मेरे शिर के ऊपर थी मेरे जीजाजी मेरी टांगो नीचे से हाथ डाल कर मुझे दोहरी कर अपने हाथ मेरे स्तन तक ले आये और धक्के के साथ स्तन भी दबा रहें थे मेरे आनंद की कोई सीमा नहीं थी करीब १० मिनिट की चुदाई के बाद में फिर झड़ने के करीब थी अब लगातार चुदाई से मेरी चूत में जलन भी होने लगी थी चूत कुछ सूज भी गई थी मेने जीजा जी को कहा आपके कोई बीमारी हे क्या आधे घंटे से चोद रहें हो और आपके एक बार भी पानी नहीं निकला ? ये सुनकर हँसे और कहा की उनका दिमाग पर कंट्रोल हे वो चाहे तो ५-७ मिनिट में पानी निकल सकते हे और चाहे तो ३०-४० मिनिट भी चोद सकते हे !मुझे बड़ा अचम्भा हुआ फिर मेने कहा में थक गई हु ऐसा लगता हे की मुझे ३-४ जानो ने मिलकर चोदा हे
अब आप अपना पानी निकल लो उन्होंने कहा ठीक हे तुम २ मिनिट तक कड़ी रहो फिर उन्होंने तूफानी रफ़्तार से धक्के मारने शुरू किये में दांत भींच कर सहन कर रही थी राम राम करते !फिर उनका पानी छूटा उन्होंने मुझे इतनी झोर से भींचा की मेरी हड्डीया बोल उठी आज मुझे पता चला की मेरे जीजाजी में रीछ जेसी ताकत थी मन ही मन में उनके प्रति प्रंशसा का भाव जगा वो बाथरूम करने चले गए में उठी तो मुझे लगा मेरी चूत सुन्न हो गई हे टटोल के देखा तो पता चल की हे तो सही! फिर उनके आने के बाद में बाथरूम करने गई और वहा बेठ के मुता तो मेरी चूत जल उठी मुझे पता चल गया की आज मेरी चूत का बजा बज गया हे पर अभी तो ३.३० ही बजे थे अभी रात बाकि थी और मेरी चूत का तो बाजा और बजना था अभी में थक गई हु बाकि रात की कहानी बाद में बताती हु