कॉल गर्ल ने फ्री में अपने हुस्न से मुझे नहला दिया
Call woman ne free me apne husn se mujhe nahla diya:
desi intercourse kahani, antarvasna
मेरा नाम सुरजीत है मैं पटना का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 22 वर्ष है। मेरे पिताजी बस ड्राइवर हैं, वह बहुत मेहनत करते हैं, उन्होंने अपने जीवन में बहुत मेहनत की है इसीलिए उन्होंने हम दोनों भाइयों को बहुत अच्छी शिक्षा दी। हम दोनों भाइयों ने हमेशा अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया, हमने कभी भी अपने पिताजी को बिल्कुल भी किसी चीज के लिए परेशान नही किया। एक बार मेरे पास बुक खरीदने के पैसे नहीं थे तो मैं अपने दोस्त से बुक मांग कर लाता था और उसे पढ़ कर लौटा देता था लेकिन मैंने अपने पिताजी को कभी नहीं कहा कि मुझे पैसे चाहिए। मेरे भैया मुझसे उम्र में 5 बरस बड़े हैं और वह बहुत समझदार हैं, मेरी मां मेरे भैया की बहुत तारीफ करती है वह हमेशा लोगों से कहती है कि मेरे कमल ने जिस प्रकार से मेहनत की है वह तो हमारे लिए गर्व की बात है। मेरे भैया भी बड़े अच्छे हैं, उन्होंने कभी भी मेरे मां बाप को किसी भी चीज के लिए तकलीफ नहीं होने दी।
जब से वह नौकरी लगे हैं तब से वह मेरे पिताजी को कई बार समझाते हैं कि आप नौकरी छोड़ दीजिए लेकिन मेरे पिताजी मानते ही नहीं हैं। एक दिन मेरे भैया का मुझे फोन आया और कहने लगे तुम कुछ दिनों के लिए मेरे पास जयपुर आ जाओ, मैंने भैया से कहा भैया अभी आना तो संभव नहीं हो पाएगा क्योंकि मेरे कॉलेज के कुछ प्रोजेक्ट बचे हुए हैं वह जैसे ही खत्म हो जाते हैं तो मैं आपके पास जयपुर आ जाऊंगा, मुझे भी आपसे मिले हुए काफी वक्त हो चुका है इसलिए मैं भी आपसे मिलना चाहता हूं। जब मैंने भैया से यह बात कही तो भैया कहने लगे हां हम दोनों को मिले हुए तो काफी वक्त हो चुका है, मैं तुम्हें और पापा मम्मी को बहुत ज्यादा मिस करता हूं। मेरे भैया पढ़ने में बहुत अच्छे थे इसीलिए जब उनका केंपस प्लेसमेंट हुआ तो उन्हें एक अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई जिससे कि काफी हद तक हमारे घर की आर्थिक तंगी दूरी हो गई, वह बिना कहे ही मुझे पैसे भिजवा देते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उन्होंने भी किस प्रकार से अपने दिन काटे हैं और इतना कष्ट झेलने के बाद आज वह जिस मुकाम पर हैं उससे मैं भी बहुत खुश होता हूं और अपने सारे दोस्तों को अपने भैया की हमेशा मिसाल देता हूं।
एक शाम में और मेरे माता-पिता मेरे साथ बैठे हुए थे, मैंने अपने माता पिता से कहा कि कुछ दिनों पहले मुझे भैया का फोन आया था वह मुझे जयपुर आने के लिए कह रहे थे लेकिन मेरे कॉलेज का प्रोजेक्ट अभी पूरा नहीं हुआ है इसलिए मैं अभी तो नहीं जा सकता लेकिन कुछ दिनों बाद मैं भैया से मिलने के लिए जाना चाहता हूं, मेरी मम्मी कहने लगी तुम्हारे कॉलेज का प्रोजेक्ट कब तक पूरा हो जाएगा, मैंने अपनी मम्मी से कहा कि मेरे कॉलेज का प्रोजेक्ट बस कुछ दिनों बाद ही पूरा हो जाएगा। मेरी मां कहने लगी मैं भी तुम्हारे साथ कमल से मिलने के लिए चलूंगी, मेरा भी उससे मिलने का बड़ा मन है और काफी समय हो चुका है जब से मैंने उसे देखा नहीं है। मैंने भी अपनी मम्मी से कहा ठीक है आप भी मेरे साथ चलिए, हम लोग वहां जाकर भैया के साथ अच्छा समय बिताएंगे तो उन्हें भी खुशी होगी। मेरे पिताजी कहने लगे हां तुम कमल से मिल आओ, वह भी काफी समय से घर नहीं आया है, तुम उसके पास जाओगे तो उसे भी अच्छा लगेगा। मेरे भी जब प्रोजेक्ट खत्म हुए तो मैंने ट्रेन की टिकट करवा लिया और मैं अपनी मम्मी को लेकर जयपुर चला गया। मैं पहली बार ही जयपुर गया था इसलिए मैंने अपने भैया से उनका एड्रेस पूछ लिया फिर मैंने स्टेशन से ऑटो लिया और अपने भैया के पास चला गया। उन्होंने घर की चाबी पड़ोस के ही एक व्यक्ति के पास दी हुई थी, मैंने उनसे वह चाबी ली और मैं और मम्मी कुछ देर घर में आराम करने लगे। शाम के वक्त भैया भी ऑफिस से आ चुके थे इसलिए वह हम दोनों को देखकर बड़े खुश हुए और कहने लगे मैं तो आप लोगों को देखकर बहुत खुश हूं और आप लोगों की भी काफी समय से मुझे याद आ रही थी। मम्मी ने भी भैया के लिए घर से लड्डू बनाए हुए थे उन्होंने जैसे ही भैया को वह लड्डू दिए तो भैया बड़े खुश हो गए और कहने लगे मैं तो आपके हाथ के बने लड्डू को बहुत ही ज्यादा मिस कर रहा था लेकिन अब आप ही आ गई हैं तो आप लोग थोड़ा समय मेरे साथ रहिएगा तो मुझे भी अच्छा लगेगा। मैंने भैया से कहा हां हम लोग भी यही सोच कर आए हैं।
उस दिन हम लोगों ने काफी समय तक एक दूसरे के साथ बात की। भैया भी हम लोगों से अपने जयपुर के तजुर्बा को रख रहे थे और कह रहे थे यहां पर मैं अपनी नौकरी से बहुत खुश हूं। उस दिन तो समय का पता ही नहीं चला और हम लोग सो गए। अगले दिन जब भैया ऑफिस चले गए थे तो मैं अपनी मम्मी को भैया के घर के थोड़ा दूर तक पैदल लेकर गया और जब मैं वापस घर लौटा तो मैंने मम्मी से कहा कि आप आराम करिए मैं थोड़ा बाहर घूम आता हूं, मम्मी कहने लगी मैं तुम्हारे लिए खाना बना लेती हूं तब तक तुम घूम आओ, मै बाहर घूमने के लिए निकला तो मुझे एक कमसिन मस्त सी लड़की दिखाई दी, वह मुझे बड़े घूर कर देख रही थी। मैं वही नीचे खड़ा हो गया और उसे देखने लगा लेकिन मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि वह मुझे अपने घर पर बुला लेगी। पहले तो मैं उसके घर जाने में डर रहा था परंतु मैंने हिम्मत करते हुए उसके घर जाने की ठान ली, जब मै सीढ़ियों से ऊपर चढ़ा तो वह दरवाजे के पास ही खड़ी थी। वह मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेडरूम में ले गई उसके घर पर कोई भी नहीं था।
मैंने उसका नाम पूछा, उसका नाम कोमल है, मैं कोमल के गुलाबी होठों को देखकर उसकी तरफ बहुत ज्यादा मोहित हो रहा था। मैंने उसके गुलाबी होठों को जब चूमना शुरू किया तो वह भी अपने आप को नहीं रोक पाई, जैसे ही उसने मेरे लंड को पकड़ा तो मैंने उसे कहा तुम यदि मेरे लंड का रसपान कर लो तो तुम्हें बड़ा आनंद आ जाएगा। उसने मेरे लंड को बाहर निकालते हुए अपने मुंह के अंदर समा लिया और बड़े अच्छे से मेरे लंड को वह सकिंग करने लगी मेरे लिए तो यह किसी भी खुशी से कम नहीं था क्योंकि मुझे तो उम्मीद नहीं थी कि मेरे साथ ऐसा हो जाएगा। कोमल मेरे लंड को अपने गले तक लेती तो उसे भी बड़ा आनंद आता, जब उसने मेरे खडे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला तो मैंने भी उसके कपड़े उतारने शुरू किए। जब मैंने उसके 36 नंबर के स्तनों को देखा तो मैं उन्हें देखकर रह नहीं पाया मैंने उसके निप्पल को चुसना शुरू किया। उसके स्तनों को मै चूस रहा था जैसे कि कोई रुई का गद्दा हो और मैंने काफी देर तक उसके स्तनों का रसपान किया जब उसकी योनि ने पानी छोड़ दिया तो मैंने उसकी चूत मे अपनी उंगली डाल दी। उसकी योनि से पानी बड़ी तेजी से निकल रहा था, मैंने जब उसकी योनि के अंदर अपने बड़े से लंड को डाला तो वह चिल्लाने लगी और कहने लगी तुम्हारा लंड अपनी चूत मे लेकर मैं बहुत खुश हूं। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखते हुए उसे इतनी तेज गति से धक्के देने शुरू किए कि उसके अंदर की गर्मी बाहर आने लगी और मैंने भी उसे बड़ी तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए। मेरे झटके इतने तेज होते कि उसकी चूतडे जब मेरे लंड से टकराती तो वह धराशाई हो जाती। मैं उसे बड़ी तेजी से चोद रहा था मैंने उसे इतनी तेज गति से चोदा कि जब मेरा वीर्य पतन हुआ तो मुझे बिल्कुल भी एहसास नहीं हुआ कि मेरा वीर्य पतन इतनी जल्दी हो जाएगा। कोमल ने मुझे जो सेक्स का सुख दिया उसकी कल्पना शायद मैंने कभी नहीं की थी और उसके गोरे बदन का जादू मेरे सर पर ऐसा चढ़ा कि मैं जितने वक्त तक जयपुर में रहा मैंने हमेशा ही उसके नंगे बदन को अपने होठों से चूसा और अपने लंड की गर्मी को उसकी योनि के तरल पदार्थ से बुझाया। जिस प्रकार से उसने मेरी इच्छा पूरी कि मैं अपने आप को बहुत ही खुशनसीब समझता हूं कि कोमल के साथ में सेक्स कर पाया, लेकिन जब मुझे उसकी असलियत पता चली तो वह एक कॉल गर्ल थी परंतु उसने मुझे फ्री में ही अपने बदन का जाम पिलाया।
Feedback are closed.