Kamukta Kahani एक रात मज़ा

कई सालों के बाद मैं अपने मामा के पास गया था। मेरे मामा एक दबंग ठेकेदार थे और पूरे इलाके में उनकी बहुत धाक थी, ५० साल पार करने के बाद, भी उनके पहलवान शरीर पर बुढ़ापे के कोई लक्ष्ण नहीं थे। मामा की हवेली की शान देखते ही बनती थी। इकलौता भांजा होने की वजह से मामा मुझे प्यार भी बहुत करते थे।

शहर से पहली बार मैं गाँव की गया था। मेरे लिए एक अलग कमरा और नौकर था, मगर यह नहीं मालूम था कि एक नौकरानी भी रख रखी थी मेरे लिए। शाम होते ही नौकरानी मेरे लिए चाय और नाश्ता लेकर कमरे में पहुँच गई। मैं उसी समय नहा कर निकला था और तौलिये में लिपटा मेरा गठीला बदन देखने लायक था। होता क्यों नहीं, जिम जा कर और कसरत करके मैंने अपनी बदन को गठीला और मजबूत बना रखा था। तौलिया लपेट कर मैं आईने में बाल संवारता जा रहा थी कि मेरी नजर अचानक अपने पीछे किसी पर पड़ी। चोली और लहंगे में लिपटी एक छरहरी काया वाली कंटीली कन्या मेरे पीछे चाय की तश्तरी लिए मेरे गठीले बदन को निहार रही थी।

पीछे मुड़ कर देखा तो वो शरमा गई। उसकी कसी हुई चोली और नाभि के नीचे तक कसा हुआ लहंगा वाकई में गजब ढा रहा था।

छोटे मालिक ! नाश्ता ! उसने कहा।

रख दो ! और सुनो, आगे से पूछ कर कमरे में आना !

जी, गलती हो गई ! उसने कहा और मुड़ कर जाने लगी।

कुछ सोच कर मैंने उसे रोका और कहा- अच्छा, तुम्हारा नाम क्या है?

रानी ! उसने जवाब दिया।

हम्म ! नाम तो अच्छा है, कब से काम करती हो?

साहब, मैं तो हूँ ही आप लोगों की सेवा के लिए …. और बड़े मालिक ने कहा है कि आपका खास ख्याल रखूं.. अगर किसी चीज़ की जरुरत हो तो संकोच मत कीजियेगा …

सच में, रानी कर भरा-पूरा शरीर देख कर कोई भी संकोच नहीं करना चाहेगा …

साहब मैं रात में फिर से आऊँगी ! कह कर रानी अपने मांसल नितम्बों को सेक्सी अदा से मटकाती हुई कमरे से चल दी।

रानी क्या गई मेरे तन बदन में आग लगा गई… मेरा ८ इंच का लंड एकदम से फनफ़ना उठा … दिल कर रहा था कि उसी समय उसे अपनी बाँहों में दबोच लूँ और उसकी मादक जवानी का रस पी लूँ …

खैर रात होने का इन्तज़ार करने लगा। इतने में मामा जी आ गए और कहने लगे- क्यों भांजे, कैसा लगा हमारा इन्तजाम … कोई कसर तो नहीं रह गई?

नहीं मामा जी, सब बहुत बढ़िया है !

और कैसी लगी, तीखी मिर्ची? मामा जी ने कहा

जरा संभल कर ! शहर की मालों से अलग है, खास तुम्हारे लिए ही है …जी भर के मजे करना……और कोई कसर मत रखना …

मैं समझ गया कि उस कंटाप को मामा जी ने मेरे लिए ही रखा है …

अब तो मैं भी पूरे जोश में था कि कैसे अपनी प्यास बुझाई जाये और रात का इन्तज़ार करने लगा।

रात का भोजन तो हो गया और मैं अपने कमरे में लौट गया और रानी का इन्तज़ार करने लगा।

नौ बजे के बाद कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला और सजी-धजी रानी मेरे कमरे में आई…

साहब आ सकती हूँ? उसने आवाज लगाई…

आ जाओ, मैंने कहा।

वो आई और बिस्तर पर मेरे बगल में बैठ गई … उसने कसी हुई चोली और कमर के बहुत नीचे से लहंगा पहन रखा था, उसके बालों में मोगरे और चमेली की माला सजी हुई थी, माथे पर बिंदी, आँखों में काजल और होंठों में गजब की लाली थी।

मैंने उसके कमर पर हाथ रखा और तुंरत अपनी बाहों में भींच लिया…

“ज्यादा उतावले मत होईये साहब, रात तो अभी बाकी है और मैं तो आपकी ही हूँ !” रानी ने कहा।

“मुझे साहब मत कहो, मनोज कहो !” मैंने कहा।

वो मेरी बाँहों में लिपट गई और उसके सीने के दो उन्नत उभर मेरे सीने में धँसने लगे।

मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में लिया और धीरे-धीरे चूसने लगा। गजब का स्वाद था ! मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ पर फिसल रहे थे और मेरा ८ इंच का लंड धीरे-धीरे अपने शबाब पर आ रहा था। मगर मैं यह पारी बहुत देर तक खेलना चाहता था और उस नशीली रात का पूरा मजा लेना चाहता था, आखिर मुझे उस गाँव की कली को मसल कर जो रख देना था। रानी की कमर पर हाथ डाल कर मैंने उसे पूरा भींच लिया था। रानी भी अपने रसीले होंठों को मेरे होंठों पर घुमा रही थी जैसे कहना चाहती हो कि चूसो और चूसो मेरे रसीले होंठों को !

मेरे हाथ फिसलते हुए उसके मांसल नितम्बों पर जा पहुंचे और मैंने उसके मांसल नितम्बों को कस-कस के दबाना शुरू कर दिया। रानी जैसे पागल हुई जा रही थी। मैंने उसका लहँगा खींच कर सीधे उसकी कमर तक उठा दिया और उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चिकनी जाँघों को सहलाना शुरू कर दिया। अब रानी भी पागल हो गई और मेरी कमीज को उतारना शुरू कर दिया। मैंने अपनी कमीज उतार दी और पैंट भी ! अब मैं सिर्फ अपनी चड्डी में था और चड्डी में ८ इंच का लंड हिलौरें मार रहा था।