दीदी की सास की गांड

antarvasna, desi kahani

मेरा नाम हितेश है मैं कानपुर का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 23 वर्ष है। मैं कॉलेज में पढ़ता हूं और कुछ दिनों पहले ही मैं अपनी दीदी से मिलने के लिए उसके ससुराल चला गया, मैंने सोचा कि क्यों ना उससे मिलने के लिए उसके ससुराल में जाया जाए। मेरी दीदी का नाम सुहानी है और उसकी शादी को दो वर्ष हो चुके हैं। जब मैं उसके ससुराल गया तो उसकी सास मुझे देख कर कुछ खुश नहीं थी क्योंकि वह मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती। मैं सिर्फ अपनी बहन से मिलने के लिए गया हुआ था क्योंकि मेरे पिता जी ने कहा था कि तुम कुछ दिन उसके पास होकर आ जाओ, वह हम लोगों को काफी समय से कह रही है कि तुम लोग मुझसे मिलने के लिए नहीं आए हो इसीलिए तुम उसे जाकर मिल लो तो उसे भी बहुत अच्छा लगेगा, इसी वजह से मैं सुहानी से मिलने के लिए उसके ससुराल गया था।

उसकी सास का व्यवहार बिल्कुल भी अच्छा नहीं है और वह मेरे सामने ही सुहानी को डांटती रहती है लेकिन मैं उसे कुछ भी नहीं कह पा रहा था,  मेरे जीजाजी विदेश में काम करते हैं, सिर्फ मेरी बहन और उसकी सास ही घर पर रहते हैं क्योंकि मेरे जीजा जी के पिताजी का देहांत काफी समय पहले ही हो चुका है, इसी वजह से वह लोग अब अकेले ही घर पर रहते हैं। सुहानी को भी मेरे साथ में बहुत अच्छा लग रहा था और वह कहने लगी कि तुम काफी समय बाद मुझसे मिलने आए हो, मुझे बहुत ही खुशी है, मैंने तो अब उम्मीद करना भी छोड़ दिया था कि तुम मुझसे मिलने आओगे लेकिन तुम मुझसे मिलने आए तो मुझे बहुत अच्छा लगा। जब हम लोग साथ में बैठे हुए थे तो सुहानी की सास मुझे बडी देर से देखे जा रही थी और मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं भी उसकी सास से ज्यादा बात नहीं करता,  मैं सिर्फ अपनी बहन से मिलने के लिए आया हुआ था। सुहानी की सास कहीं बाहर गई हुई थी और हम दोनो बैठकर बात कर रहे थे, बातों बातों में सुहानी की शादी का जिक्र आ गया, सुहानी कहने लगी कि मेरी सास ने शादी के समय में कितना ज्यादा शोर शराबा कर दिया था और पिताजी कितने ज्यादा परेशान हो गए थे क्योंकि मेरी सास ने जो हमसे डिमांड की थी वह मेरे पिताजी पूरा नहीं कर पाए इसी वजह से मेरी सास मुझे अब तक पसंद नहीं करती।

मैंने भी कहा कि तुम अपना ध्यान दिया करो और बाकी तुम अपनी सास से ज्यादा मतलब मत रखा करो, मेरी बहन कहने लगी कि मैं अपनी सास से ज्यादा मतलब नहीं रखती लेकिन उसके बावजूद भी वह हमेशा ही मुझे मेरी शादी को लेकर ताने मारती रहती है, जिसकी वजह से मैं भी बहुत ज्यादा परेशान हो जाती हूं और उनकी वजह से मैं कहीं भी बाहर घूमने के लिए नहीं जा पाती, मैं कई बार सोचती हूं कि मैं अपनी सहेलियों को घर पर बुला लूँ लेकिन उनके रहते हुए मैं अपनी सहेलियों को भी घर पर नहीं बुला पाती। उस दिन हम दोनों भाई बहन आपस मे बात कर रहे थे और जब सुहानी की सास आई तो हम दोनों ही चुपचाप बैठ गए, मैं उठकर दूसरे कमरे में चला गया और मोबाइल पर गेम खेलने लगा। कुछ देर बाद मैंने सुहानी से कहा हम लोग कहीं बाहर चलते हैं और वहीं पर हम लोग आराम से बात करते हैं, सुहानी कहने लगी ठीक है हम लोग कहीं बाहर घूमने चलते हैं मैं तैयार हो जाती हूं। जब सुहानी तैयार हो रही थी तो सुहानी की सास मेरे पास आकर बैठ गई और मुझसे पूछने लगी तुम्हारे घर पर सब लोग अच्छे हैं, मैंने उन्हें कहा कि हां मेरे घर पर सब लोग अच्छे हैं। मैं उनसे बात नहीं करना चाह रहा था लेकिन उसके बावजूद भी सुहानी की सास मुझसे बात करने पर लगी हुई थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वह मुझसे कुछ चीज उगलवाना चाहती हो, उन्होंने जब मुझे कहा कि तुम अभी क्या कर रहे हो, मैंने उन्हें कहा कि मैं तो अभी कॉलेज ही कर रहा हूं। बातों बातों में उन्होंने सुहानी के बारे में बात छोड़ दी और कहने लगी कि सुहानी घर के कामों में बड़ा आलस करती है और वह अच्छे से काम नहीं करती, मैंने उनसे कुछ भी नहीं कहा और कहा कि आप सुहानी को बोल दिया कीजिए वह घर का काम तो बहुत अच्छे से करती है, जब तक वह हमारे घर पर थी, उसने कभी भी किसी प्रकार का आलस नहीं किया और ना ही उसने कभी भी काम चोरी की है।

जब मैंने यह बात सुहानी की सास से कहीं तो वह कहने लगी कि मुझे तो ऐसा लगता है जैसे वह काम में बहुत आलस करती है, मैं यह बात काफी देर तक सुन रहा था और मुझे उसकी सास पर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन मैं अपने गुस्से को काबू कर रहा था। मैंने उनसे इस बारे में ज्यादा बात नहीं की, कुछ देर बाद उन्होंने बात करते हुए मुझे कहने लगी कि अभी कुछ दिनों पहले हमारे किसी रिश्तेदार के घर पर शादी हुई थी और जब उनके घर पर शादी हुई तो लड़की के घरवालों ने बहुत दहेज दिया था। मैं यह बात सिर्फ सुन रहा था और मैंने कुछ भी जवाब नहीं दिया, उसके बाद मैंने उन्हें कहा कि जिसकी जितनी हैसियत होगी वह उतना ही तो देगा, वह मेरी बात से बिल्कुल संतुष्ट नहीं थी और उन्होंने मेरे पिताजी के बारे में कहना शुरू कर दिया। मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आने लगा और मैंने उन्हें कहा कि आप चुप हो जाइए लेकिन वह चुप नहीं हो रही थी। जब वह चुप नहीं हो रही थी तो मैंने उन्हें कस कर पकड़ लिया और अपने नीचे दबा दिया। मैंने उन्हें कहा कि यदि आप चुप नहीं होंगी तो मैं आपको छोड़ने वाला बिल्कुल भी नहीं हूं। मैंने उन्हें बहुत ज्यादा कस कर पकड़ा हुआ था इसलिए उनके पसीने छूटने लगे थे और उनके स्तन मुझसे टकराने लगे मैं सोचने लगा कि आज तो मै छोडूंगा नहीं इनकी गांड मार कर छोडूंगा।

जब मैंने उनकी साड़ी को ऊपर किया तो उनकी गांड को मैं दबाने लगा बुढ़ापे में भी उनकी गांड बहुत ज्यादा टाइट और मुलायम थी। मैंने जैसे ही उनकी सफेद कलर की पैंटी को उतारा तो मैंने उनकी योनि के अंदर अपनी उंगली को डाल दिया जैसे ही मेरी उंगली उनकी योनि में गई तो वह चिल्लाने लगी और वह मेरे पूरे काबू में थी। बुढ़ापे में भी उनकी चूत पूरा रस छोड़ रही थी जब मैंने अपने लंड को उनकी चूत के अंदर डाला तो वह चिल्लाने लगी और मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा। वह जिस प्रकार से अपने मुंह से मादक आवाज निकालती मुझे और भी ज्यादा मजा आता मैंने बड़ी तेज तेज धक्के मारने शुरू कर दिए। वह मुझे कहने लगी अब मुझसे तुम्हारे लंड की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही है। जब मेरा  तरल पदार्थ उनकी योनि में गिरा तो वह खुश हो गई। उन्होंने अपनी चूतडो को मेरी तरफ कर दिया जब मैंने उनकी चूतडो को देखा तो मुझसे बिल्कुल नहीं रहा गया और मैंने भी अपने लंड पर सरसों का तेल लगा लिया। सुहानी अब भी अपने कमरे में तैयार हो रही थी। मैंने जैसे ही उसकी सास की गांड में अपने लंड को डाला तो वह चिल्लाने लगी और कहने लगी तुम्हारा लंड तो बहुत ही मोटा है। इस बुढ़ापे में भी तुमने मेरी गांड के घोड़े खोल कर रख दिए मैंने बड़ी तेजी से झटके देने शुरू कर दिए वह बड़ी तेजी से चिल्ला रही थी मुझे बड़ा आनंद आ रहा था जिस प्रकार से मैं सुहानी के सासु को झटके दे रहा था। वह भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और अपनी चूतडो को मुझसे मिला रही थी उनके यौवन में अब भी पहले जैसा निखार था इसलिए मुझे उन्हें धक्के मारने में बड़ा मजा आ रहा था। वह भी बहुत खुश थी लेकिन जब उनकी गांड से कुछ ज्यादा ही गर्मी बाहर निकलने लगी तो मेरा माल गिर गया। उन्होंने जल्दी से अपनी साड़ी को नीचे किया। सुहानी भी उसके बाद तैयार हो चुकी थी हम लोग घूमने के लिए चले गए। उन्होंने उसके बाद से सुहानी को कभी कुछ नहीं कहा और ना ही वह मुझे अब कुछ कहती हैं इसीलिए मैं बहुत ज्यादा खुश हूं क्योंकि मेरी बहन भी कहती है कि तुम्हारे आने के बाद से ना जाने मेरी सास को क्या हुआ है वह कुछ भी नहीं कहती है। मैं उनकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था और मैंने अपनी दीदी से कहा कि शायद वह बदल चुकी है इसीलिए अब आपको कुछ भी नहीं कहती।