विदेश से लौटे बॉयफ्रेंड से अपनी चूत मरवाई
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मेरा नाम पारुल है मैं जालंधर की रहने वाली हूं, मेरी शादी को दो वर्ष हो चुके हैं लेकिन मैं अपनी शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं हूं क्योंकि यह शादी मैंने दिल से नहीं कि, मैं जिस लड़के से प्यार करती थी उससे मेरे पिताजी ने मेरी शादी नहीं होने दी। उस लड़के का नाम जय है और हम दोनों की मुलाकात मेरी एक दोस्त ने करवाई थी। जब हमारे बीच में मुलाकाल हुई तो वह मुलाकात हमारे रिलेशन में बदल गई। वह बहुत ही अच्छा और मेहनती लड़का था परंतु मेरे पिताजी बिल्कुल भी उससे मेरी शादी नहीं करवाना चाहते थे। मैंने उनसे इस बारे में बात की तो वह मुझ पर गुस्सा हो गए थे और कहने लगे कि मैं तुम्हारी शादी उससे हरगिज़ नहीं होने दूंगा क्योकि जय की स्थिति कुछ ठीक नहीं थी और उसके पिताजी भी एक छोटी मोटी नौकरी कर के अपना घर का गुजारा करते थे इसी वजह से मेरे पिताजी इस रिश्ते के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे और उन्होंने मुझे साफ मना कर दिया कि तुम बिल्कुल भी जय से नहीं मिलोगी और ना ही तुम मुझसे कुछ संबंध रखोगी।
मुझे कई बार लगता था कि मैं भी अपने पिताजी के वजह से शायद जय के साथ गलत कर रही हूं क्योंकि जय मुझे बहुत ज्यादा चाहता था। जब मेरे पिता ने मेरे रिश्ते की बात की तो मैं बिल्कुल भी खुश नहीं थी। मेरे पति का नाम अमित है। मेरे पिताजी ने अमित से सिर्फ मेरी इसलिए शादी करवाई क्योकि वह उनके दोस्त का बेटा है और एक अच्छे खानदान से ताल्लुक रखता है इसी वजह से उन्होंने मेरी शादी अमित से करवादी। मैं जब अमित से मिली थी तो मुझे उसके विचार बिल्कुल भी पसंद नहीं आए लेकिन मुझे मजबूरी में उससे शादी करनी पड़ी। शादी से कुछ दिन पहले मैं जय से मिली थी और मैंने उसे समझाने की कोशिश की, कि मुझे अपने पिताजी की वजह से ही यह शादी करनी पड़ रही है इसलिए मैं इस शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं हूं। एक बार मैंने अमित को किसी दूसरी लड़की के साथ देख लिया था वह उस लड़की को बहुत पसंद करता था लेकिन उसके पिता जी ने भी उसकी शादी मुझसे जबरदस्ती करवाई। अमित भी इस शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं है।
इसी वजह से हम दोनों के बीच बिल्कुल भी नहीं बनती और मैं भी उनसे बिल्कुल बात नहीं करती। हम दोनों बस नाम के लिए साथ में रहते हैं। हमारे बीच में किसी भी प्रकार का प्रेम नही है और ना ही मैं उनसे प्यार करती हूं यह सिर्फ एक नाम की शादी है और उससे ज्यादा कुछ भी नहीं। मैं जब जय के बारे में सोचती हूं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है कि उसके साथ मेरा कितना अच्छा समय बीत रहा था और हम दोनों घूमने भी जाते थे जब वह मुझे अपने साथ घूमने ले जाता तो मुझे बहुत अच्छा लगता था। जय के पास पैसे नहीं होते थे इसलिए मैं ही बिल देती थी। जय और मेरे संबंध बहुत अच्छे हैं थे। उसके और मेरे बीच में कभी भी झगड़ा नहीं होता था और हम दोनों साथ में ही रहते थे। उसे बहुत अच्छा लगता था जब वह मेरे साथ समय बिताता था और मुझे भी उसके साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता था लेकिन जब से मेरी शादी हुई है उसके बाद से मेरी जय से कोई भी बात नहीं हुई है। मेरी शादी के बाद से मुझे जय कभी नहीं मिला और मैंने जब उसके बारे में पता करवाया तो उसके दोस्त ने मुझे बताया कि वह किसी और शहर में रह रहा है। मेरी शादी के बाद से उसने कभी भी मुझसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की और ना ही वह मुझे कभी मिला। मैं घर में खाली ही बैठी रहती थी इसलिए मैं सोचने लगी कि क्यों ना मैं कहीं नौकरी कर लूं या शाम को बच्चों को ट्यूशन पढ़ा दिया करू इसलिए मैंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। हमारे मोहल्ले में जितने भी लोग थे वह सब अपने बच्चों को मेरे पास ट्यूशन भेज दिया करते थे और मैं भी उन्हें बहुत अच्छे से ट्यूशन पढ़ाती थी। मैंने एक जगह पर पार्ट टाइम नौकरी भी करनी शुरू कर दी और मैं जिस जगह पार्ट टाइम नौकरी करती थी वहां के बॉस बहुत ही अच्छे थे, वह बहुत ही हंस कर बात करते थे और हमेशा ही खुश रहते थे। मुझे उन्हें देखकर हमेशा लगता था कि मेरी जिंदगी में तो बिल्कुल भी खुशियां नहीं है और मेरी जिंदगी तो बिल्कुल वीरान सी हो गई है।
हमारी शादी को इतना समय हो चुका था लेकिन हम दोनों के अब तक बच्चे नहीं हुये थे क्योंकि हम दोनों के बीच में बिल्कुल भी प्यार नहीं था। मेरे दिमाग में सिर्फ जय की तस्वीर ही थी। मैं ऑफिस से सीधा घर जाती थी और उसके बाद बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी, यही मेरी दिनचर्या बनी हुई थी। मुझे काम करते हुए काफी समय हो गया था और एक दिन मुझे जय मिल गया, जब मुझे जय दिखाई दिया तो मैं बहुत खुश हुई, मैंने जय से बात करने की कोशिश की लेकिन उसने मुझसे बिल्कुल भी बात नहीं की। मैंने उसे रोकते हुए कहा कि क्या तुम मुझे ही गलत ठहरा रहे हो मेरी तो इसमें कोई भी गलती नहीं है, यदि मेरे पिताजी मेरी शादी नहीं करवाते तो मैं अमित से कभी भी शादी नहीं करने वाली थी। जय मुझसे कहने लगा कि यदि तुम उस वक्त मना कर देती तो शायद तुम अमित से शादी नहीं करती लेकिन अब मुझे तुमसे कोई भी बात नहीं करनी। मैंने जय को समझाने की कोशिश करी और मैंने जब उससे पूछा कि तुम इतने समय से कहां थे तो वह कहने लगा कि मैं इतने समय से विदेश में था और वहीं पर मैं नौकरी कर रहा था। जब से तुम्हारी शादी हुई है उसके बाद से मैं अब लौटा हूं। मुझे जय के साथ बात करना बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उससे कहा कि मैं आज भी तुमसे उतना ही प्यार करता हूं जितना मैं तुमसे पहले करती थी इसीलिए मैं शादी कर के बिल्कुल भी खुश नहीं हूं।
जब मैंने जय को अपनी स्थिति बताई तो उसे भी लगा कि वाकई में मैं अपनी शादी से खुश नहीं हूं। मैंने जब जय को कहा अमित इसका किसी और लड़की के साथ रिलेशन है और वह उस लड़की से प्यार करता है तो वह कहने लगा कि यह बात तुम्हें अमित ने पहले क्यों नहीं बताई। मैंने उससे कहा यदि मुझे यह बात पहले पता होती तो शायद मैं कभी भी उससे शादी नहीं करती लेकिन अब मेरी शादी हो चुकी है इसलिए मैं अमित के साथ मजबूरी में अपना जीवन बिता रही हूं। जय की स्थिति भी बदल चुकी थी, वह विदेश में एक अच्छी कंपनी में नौकरी करता है और अब उसने अपना घर भी बहुत अच्छे से बना लिया था। जब मैं उसके साथ उसके घर गई तो मैंने उसे कहा कि तुमने तो अपना घर बहुत ही अच्छा बना दिया है, वह कहने लगा कि मैंने एक अच्छी कंपनी ज्वाइन कर ली थी और वहां मुझे अच्छे पैसे मिल रहे थे इसलिए मैं अपना घर बना पाया हूं। जय के मेरी जिंदगी में वापस आने से मेरी जिंदगी अब पहले जैसी हो गई थी और मैं अपने आप को बहुत खुश महसूस कर रही थी इसलिए मैं जब अपने काम से लौटती तो मैं जय से मिल जाया करती थी। कुछ देर जय से मिलने के बाद मैं घर चली जाती और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगती। जय भी अपना ही कोई काम जालंधर में ही शुरू करने वाला था इसलिए वह विदेश नहीं जाना चाहता था। मैं बहुत खुश थी जब मैं जय के साथ समय बिताती थी। मैं जब भी उसे देखती तो मुझे अपनी पुरानी बातें याद आ जाती कि किस प्रकार से हम दोनों साथ में रहते थे और किस प्रकार से हम दोनों ने साथ में अपना अच्छा समय बिताया। मैं उससे इस बारे में बात करती तो वह भी बहुत खुश होता और कहता कि पहले की बात ही कुछ और थी परंतु अब तुम एक शादीशुदा हो। जय ने मुझे एक दिन फोन किया और कहने लगा कि तुम मेरे घर पर आ जाओ। उसने मुझे अपने घर पर बुला लिया और जब मैं उसके घर पर गई तो वह कहने लगा कि क्या तुम अपने पति से बिल्कुल भी खुश नहीं हो मैंने उसे कहा कि हां मैं अपने पति से बिल्कुल भी खुश नहीं हू हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध नही बनते हैं और ना ही हम दोनों एक दूसरे के साथ बिल्कुल भी खुश हैं।
जब यह बात मैंने जय से कही तो जय ने मुझे अपने गले लगा लिया और कहने लगा मैं भी तुम्हें गलत समझ रहा था। जय ने मुझे गले लगाया तो मुझे अंदर से कुछ अलग ही प्रकार की फीलिंग आने लगी और मैंने उसके लंड को पकड़ लिया। उसने मेरे होठों को किस करना शुरू कर दिया और बहुत देर तक मेरे होठों को चूसता रहा उसने मेरे होठों का रसपान किया मुझे भी बहुत अच्छा महसूस होने लगा और मैं भी उसका पूरा साथ देने लगी। वह बहुत ही खुश था जब मैं उसके होठों को चूस रही थी और उसके होठों का रसपान कर रही थी। उसने मुझे नंगा कर दिया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए उसने मुझे नंगा किया था। मैंने भी उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसका पानी निकाल दिया। उसने मुझे अपने बिस्तर पर लेटाते हुए मेरे दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और काफी देर तक वह मेरी योनि का रसपान करता रहा। अब मैं पूरे मूड में थी उसने अपने लंड को मेरी योनि में डाल दिया जैसे ही उसका लंड मेरी योनि में गया तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। मैं बहुत तेजी से चिल्लाने लगी वह मुझे बड़ी तेजी से झटके देते जाता मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब वह इस प्रकार से मुझे चोद रहा था। कुछ देर तक उसने ऐसे ही झटके मारे उसके बाद उसने मुझे अपने ऊपर लेटा दिया। जब मैं उसके ऊपर लेटी तो वह मुझे झटके मार रहा था कुछ देर में मैं भी पूरे मूड में आ गई और मैं भी अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे करने लगी। मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था काफी देर तक ऐसा करने के बाद जब मेरी योनि में उसका माल गिरा तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ और वह भी बहुत खुश हो गया। उसके बाद से वह मेरी इच्छा पूरी है।