जन्नत का सफ़र
हिंदी सेक्स स्टोरी जन्नत का सफ़र
मेरे परिवार में सिर्फ मैं और मेरी मम्मी दोनों भारत में रहते थे और एक बड़ा भाई जो कई सालों से केन्या में सेटल है।
कॉलेज छुट जाने के बाद मैं घर में अकेली बोर हो जाती थी तो भाई की अनुमति लेकर हुंडई कार के शो-रूम में जॉब ले लिया। मेरा काम था नए ग्राहक को कार बेचना। वैसे हमारा घर का खर्च भाई के भेजे पैसों से ही चलता था, लेकिन भाभी का स्वभाव थोड़ा ठीक नहीं है इसलिए बहुत कम पैसे आते थे तो मैं अपनी लाइफ स्टाइल को पूरी तरह से एंजॉय नहीं कर पाती थी। मुझे होटल में खाना–पीना घूमना, थियेटर में मूवी देखना बहुत पसंद है।
एक दिन शाम के वक़्त मैं स्किन टाइट जीन्स और सफ़ेद शर्ट पहन कर अपने केबिन में बैठी थी। तभी शोरूम में एक बिजनेसमैन आया। उनकी उम्र कुछ 40-forty two की होगी, सूट पहना हुआ था, काफी अमीर दिखते थे। मैंने उनका स्वागत किया और कार के बारे में बताना शुरू किया।
जब मैं उनको कार के बारे में बता रही थी तब मैंने नोटिस किया कि उनका ज़्यादातर ध्यान कार से ज्यादा मेरे पर था। उनको टैस्ट-ड्राइव लेना था तो मैं उनको शोरूम से बाहर लेकर आई और उस लड़के को खोजने लगी जो कार के साथ ताइस्ट ड्राइव के लिए जाता था। लेकिन उस दिन वो जल्दी घर चला गया था तो मुझे मजबूरन उनके साथ जाना पड़ा।
मैं बगल वाली सीट पर बैठ गई और उन्होंने कार स्टार्ट कर दी। मैंने उनको सीट बेल्ट के लिए बोला, मैं भी अपनी सीट बेल्ट बांधने लगी लेकिन बंध नहीं रहा था तो उन्होंने अपनी सीट पर बैठे बैठे थोड़ा झुककर मेरी हेल्प की तो अनजाने में उनके हाथ मेरी बड़ी बड़ी चूचियों से छू रहे थे, मेरे पूरे शरीर में एक अलग सा रोमांच होने लगा था।
मैंने कुछ भी नहीं कहा फिर भी उनको इस बात का अहसास हो गया, उन्होंने मुझे सॉरी बोला।
मैंने कहा- नो प्रोब्लम सर !
फिर उनकी हिम्मत और बढ़ गई तो मेरे बारे में पूछने लगे- कब से जॉब कर रही हो, कहाँ तक पढ़ी हो, कितना सेलरी मिलता है?
फिर उन्होंने कहा- अगर तुम्हें ज्यादा सेलरी चाहिए तो मेरा ऑफिस जॉइन कर सकती हो !
मैंने थेंक्स बोला, अब वो मुझे पटाने के चक्कर में थे, मैं भी यही चाहती थी तो उनको सपोर्ट करने लगी थी। उन्होंने कार लेने के लिए फाइनल किया तो मैंने उन्हें दस हजार का और फायदा करवा दिया। उन्होंने लाल रंग पसंद किया था तो मैंने कहा- आपकी कार की डिलिवरी में चार–पाँच हफ्ते लगेंगे।
उन्होंने ओके कहा और मेरा सेल नंबर मांगा। मैं अपना पर्सनल नंबर किसी को नहीं देती लेकिन न जाने क्यों उनको दे दिया।
दो चार दिन के बाद वो फिर से आ गए, मैं ऑफिस से छूटकर बाहर निकल रही थी, उन्होंने मुझे देख लिया। मैं बस स्टॉप पर जा रही थी तो मेरे पास आकर पूछने लगे- आपका मोबाइल क्यूँ नहीं लग रहा है?
मैंने कहा- पानी में गिरने की वजह से बंद हो गया है, एक दो दिन में नया ले लूँगी।
उन्होंने मुझे पूछा- अगर आप बुरा न मानो तो मैं आपको ड्रॉप करना चाहूँगा।
मैंने कहा- मैं बुरा नहीं माँनूगी लेकिन मैं बस में चली जाऊँगी।
उन्होंने कहा- आप बुरा मान गई !
मैं हंसने लगी और उनकी कार में बैठ गई। उन्होंने कार स्टार्ट कर दी और मुझे पूछने लगे- आपने मुझे दस हजार का फायदा करवाया है, क्या मैं आप के लिए गिफ्ट ले सकता हूँ?
मैंने कहा- नहीं, मैं आपका गिफ्ट नहीं ले सकती !
थोड़ी देर बात करते करते मेरा एरिया आ गया तो मैंने कहा- आप मुझे यहाँ छोड़ दीजिये, मैं यहाँ से पैदल चली जाऊँगी।
उन्होंने कहा- आप बुरा मान गई !
मैंने स्माइल किया और बोला- बिल्कुल नहीं ! मैं इसलिए यहाँ से पैदल जा रही हूँ क्योंकि अगर मुझे आपकी कार में कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा।
उन्होंने कहा- तो एक आइसक्रीम तो साथ में खा सकते हैं?
मैंने कहा- ठीक है !
हम दोनों ने आइसक्रीम खाई और चल दिए।
दूसरे दिन वो बस स्टॉप पर कार लेकर मेरा इंतजार कर रहे थे, जब मैं वहाँ पहुँची तो मेरे पास आए और बोलने लगे- मेरा ऑफिस से छूटने का टाइम और आपका एक ही है तो सोचा आपको भी साथ में ले चलूँ। मुझे एक खूबसूरत लड़की की कम्पनी मिल जायेगी !
मैंने मन में सोचा कि बस की भीड़ में जाने से अच्छा है एसी वाली कार में चला जाए और वैसे भी मेरे से दोगुनी उम्र के हैं, कोई देख लेगा तो भी क्या बात करेगा। यह सोचकर मैं मना करते करते बैठ गई। थोड़ी देर के बाद उन्होंने एक गिफ्ट पैकिंग किया हुआ एक बॉक्स मेरे हाथ में दे दिया और कहा- मेडम आपका गिफ्ट !
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