गोवा की मंजू
हिंदी सेक्स स्टोरी गोवा की मंजू
मैं 35 साल का हट्टा कट्टा नौजवान हूँ, महाराष्ट्र में रहता हूँ। जब मैं गोवा शहर में रहता था, तबकी कहानी है। मेरी ट्रान्सफर गोवा शहर में हुई थी और मैं अकेला ही गोवा में रहता था। कम्पनी की तरफ से मुझे एक फ्लैट मिल गया था।
काफी बड़ा फ्लैट था और मेरे पास वहाँ सब घरेलू सामान था, मैं खुद ही खाना बनाता था लेकिन कुछ दिनों के बाद मुझे खाना बनाना बोर लगने लगा और मैं बाहर खाना खाने लगा।
कुछ दिनों के बाद बाहर खाना भी मुझे बोर लगने लगा। फिर मैंने सोचा कि क्यों ना कोई खाना बनाने वाली को रख लूँ, वह घर भी साफ़ रखेगी और बर्तन भी साफ़ कर देगी। इसलिए मैंने हमारे घर की मालकिन को कहा- कोई खाना बनानी वाली हो तो मुझे बताना ! उसने कहा- इस गोवा शहर में खाना बनाने वाली कहाँ मिलेगी? एक काम करो, तुम रोज हमारे साथ ही खाना खा लिया करो !
पहले तो मैंने ना कर दी फ़िर उसने कहा- पैसे के बार में सोच रहे हो?
मैंने कहा- हाँ !
तो उसने कहा- शरमाओ मत, उसके बदले तुम हमारा बाहर का काम कर दिया करो, जैसे बाज़ार से कुछ लाना है, बिल भरना है जो कुछ !
तो मैंने हाँ कर दी।
पहले से ही मालकिन की लड़की देखकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थे, मैंने उसको जब पहले दिन देखा था, तब मेरे होश उड़ गए थे ! क्या माल है, गोरा बदन, नीली आँखें, शरीर भरा हुआ ! मैं उसको देख कर होश खो बैठा और रात में उसके नाम की मूठ मारने लगा। अब मेरा खाने का इंतजाम हो चुका था, सुबह चाय और नाश्ता, दोपहर का टिफ़िन और रात का खाना उन्हीं के साथ !
पहले ही दिन सुबह चाय के लिए गया तो मालकिन चाय बना रही थी, उसकी 20-21 साल की लड़की मंजू पेपर पढ़ रही थी।
मैंने सोचा कि चलो जान पहचान कर लेते हैं और मैंने हिम्मत करके उसको पूछा- तुम क्या काम करती हो?
तो उसने कहा- मैं एअरपोर्ट ऑफिस में काम करती हूँ।
मैंने पूछा- घर में बाकी लोग कहाँ हैं?
तो उसने कहा- पिताजी और भैया दुबई में काम करते हैं और वो साल दो साल में एक बार ही आते हैं।
मैंने सोचा- चलो रास्ता साफ़ है।
आंटी ने चाय और नाश्ता दिया और मैं टिफ़िन लेकर ऑफिस के लिए निकल गया। जैसे ही मैंने गाड़ी चालू की, आंटी ने कहा- बेटा, ऑफिस जा रहे हो तो मंजू को भी साथ लेकर जाना, रास्ते में ही एअरपोर्ट ऑफिस पड़ता है, उसे छोड़ दो !
तो मैंने तुरंत हाँ कर दी। मंजू पीछे गाड़ी पर बैठ गई। रास्ते में मैंने उससे कहा- तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है क्या?
तो उसने कहा- नहीं, आज तक मेरे कोई बॉय फ्रेंड नहीं रहा !
तो मैंने उसे पूछा- क्यूँ?
“मेरे कॉलेज में मेरे साथ मेरे भैया भी पढ़े हैं और ऑफिस में मेरे सगे चाचा काम करते हैं, वह मुझे कहीं घूमने जाने नहीं देते थे और वही मेरा और मेरे घर का ध्यान रखते हैं।
उतने में ही उसका ऑफिस आ गया और मैं अपने ऑफिस आ गया। बार बार मुझे मंजू की ही याद आ रही थी और काम में भी मन नहीं लग रहा था।
मैं ऑफिस से घर आ गया, फ्रेश होकर मैं रात का इंतजार होने लगा। शाम होते ही मैं खाना खाने के लिए नीचे गया और मेरा ही इंतजार हो रहा था।
आंटी ने कहा- जरा जल्दी आया करो, हमें भूख लगी थी ! वैसे मंजू आपको बुलाने आ ही रही थी।
मैंने चुपचाप खाना खाया और मंजू को थोड़ा देख रहा था। आंटी ने कहा- इसे अपनी ही घर समझो, शर्माओ नहीं !
खाना खाकर मैं चलने लगा तो आंटी ने कहा- सुबह थोड़ा जल्दी आना, मुझे बाहर जाना है।
सुबह जल्दी तैयार होकर चाय नाश्ते के लिए नीचे आया तो देखा कि आंटी जा रही हैं।
मैंने कहा- आंटी आप बाहर जा रही हैं तो मैं बाहर चाय पी लूँगा और बाहर ही खाना खा लूँगा !
आंटी ने कहा- नहीं, मैंने चाय और नाश्ता बनाकर रखा है, तुम चाय नाश्ता करके, टिफ़िन लेकर जाना और मंजू को ऑफिस छोड़ देना।
और आंटी चली गई।
मंजू मुझे देखकर नाश्ता लाने गई और मैं उसको पीछे से देखने लगा। उतने में ही वह चाय लेकर आई और मुझे कहा- क्या देख रहे थे? मैं डर गया, मैंने कहा- कुछ नहीं।
तो मंजू ने हंसकर कहा- चलो ऑफिस छोड़ दो मुझे।
मैंने कहा- ठीक है, तुम तैयार हो जाओ ! मैं भी तैयार होकर आता हूँ।
उसको देख कर मेरा मन ख़राब होने लगा, मैं ऊपर आकर अपने पूरे कपड़े निकाल कर मुठ मारने लगा और जैसे मेरे पिचकारी बाहर आई, मैं अपने कपड़े पहनकर नीचे आया।
मंजू बाहर मेरा इंतजार कर रही थी, मैं बोला- आपको देर हो गई क्या?
वह ना का इशारा करती गाड़ी पर बैठ गई। थोड़ी दूर जाते ही उसने मुझसे चिपकते हुए कहा- तुम ऊपर किसलिए गए थे।
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