अपने पड़ोसी से चूत मरवाई – मुफ्त देसी चुदाई की कहानिया हिंदी सेक्स
अपने पड़ोसी से चूत मरवाई
Apne padosi se chut marwayi:
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मेरा नाम सीमा है। मेरी उम्र 21 वर्ष है और मैं इंदौर की रहने वाली हूं। अभी मैं कॉलेज कर रही हूं घर में मेरे पिताजी और मां ही है। मैं उनकी इकलौती लड़की हूं मैं बहुत ही सुंदर और हॉट हूं। जब मैं बाहर मोहल्ले में चलती हूं तो सारे लड़के मेरी तरफ से घूर-घूर कर देखते हैं लेकिन मैं किसी को भी भाव नहीं देती। हमारे पड़ोस में एक परिवार रहता है। उनसे हमारी बहुत अनबन होती रहती है। मेरे परिवार वालों को शोर शराबा बिल्कुल भी पसंद नहीं है। उनका एक लड़का है जिसका नाम महेश है। वह दिखने में बहुत ही हैंडसम और अच्छा है लेकिन मेरे घरवाले को वजह से मैं उससे बात नहीं करती थी वह मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। महेश के घरवाले हर टाइम बातें करते रहते हैं इस वजह से मेरे परिवार वालों को बहुत डिस्टर्ब होती है जिसकी वजह से वह उन से बहुत परेशान रहते है। मैं बहुत कोशिश करती रहती थी कि मेरी और महेश की बात हो जाए लेकिन हम लोग बात भी नहीं कर सकते थे।
मुझे यह डर था कहीं मेरे पिताजी को पता चल जाएगा तो वह बहुत ही अनाप-शनाप मुझे कहेंगे इस वजह से मैं कभी भी उससे बात नहीं करती थी और चुपचाप अपने घर आ जाती थी। लेकिन कहीं ना कहीं महेश भी मुझसे बात करने के लिए आतुर रहता था लेकिन वह भी शायद इसी वजह से चुप हो जाता था। अगर उन्होंने हमें कभी साथ में देख लिया या बात करते हुए देख लिया तो वह बात का बतंगड़ बना देते। इस वजह से वह कभी भी मुझ से बात नहीं करता था और चुपचाप वह भी अपने घर पर ही रहता था या फिर अपने ऑफिस चला जाता था। कभी कभार वह मुझे छत पर दिखाई दे जाता था क्योंकि हमारी छत बिल्कुल सटी हुई थी लेकिन मुझे कभी ऐसा मौका ही नहीं मिल पाया कि मैं उससे बात कर लू या वह मुझसे बात कर पाए इसलिए हम दोनों ऐसे ही अंजान बने रहते थे बोलने को तो हम पड़ोसी थे। ऐसा हमारे बीच में कुछ भी नहीं था मेरे घरवाले उनके घर वालों से बहुत ही चिढ़ते थे और वह तो उनकी शक्ल देखना भी पसंद नहीं करते थे लेकिन मुझे किसी ना किसी तरीके से महेश से बात करनी ही थी और मैं सोचने लगी कि मैं उससे कैसे बात करूं क्योंकि अधिकतर मेरे घर वाले मेरे साथ रहते थे। मैं यदि छत में भी जाती थी तो वह मेरे साथ ही जाते थे। मैं सिर्फ कॉलेज के लिए ही अकेले जाती थी तो मैंने सोचा कि जब मैं कॉलेज के लिए जाऊं तो मैं तब उससे बात करती हूं। वह मुझे ऑफिस से आते वक्त दिख जाता था जब मैं कॉलेज से आ रही होती थी तो मुझे लगा शायद हमारी बात हो सकती है। ऐसे ही मैंने उसका टाइम देखना शुरु किया कि वह कितने बजे अपने ऑफिस से लौटता है और मेरा कॉलेज कितने बजे छूटता है। तब मुझे पता चला कि वह शाम को ऑफिस से कितने बजे लौटता है तो मैं उसी टाइम कॉलेज से लौटा करती थी। तभी उसकी नजर भी मुझ पर पड़ जाती थी और मैं भी उसे देख लेती थी।
ऐसा कई दिनों तक चलता रहा लेकिन तब भी मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं उससे बात करूं लेकिन शायद महेश मेरे इरादों को समझ चुका था। मैं उससे बात करना चाहती हूं तो एक दिन उसने मुझसे बात कर ही ली और पूछ लिया की तुम कॉलेज कर रही हो तो मैंने उसे कहा मैं कॉलेज कर रही हूं। अब उसने मुझसे और भी जानकारी लेनी शुरू की हमारी बातें थोड़ा बढ़ने लगी थी उस दिन तो सिर्फ हमारी इतनी ही बात हो पाए। वह अपने घर चला गया उसने मुझे कहा कि मेरे पास कुछ नोट्स है जो तुम्हारे कॉलेज में कमा सकते हैं। मैंने अपने कॉलेज के टाइम पर वह बनाए थे तो उसने मुझे एक दिन वह बुक दी तो उसे मै अपने साथ कॉलेज ले गई। मैंने उस बुक में देखा तो महेश का फोन नंबर भी उस में था मैं बहुत खुश हो गई उसका नंबर देखकर। मैंने दो-तीन दिन तक तो फोन नहीं किया लेकिन जब मैंने फोन किया तो महेश ने फोन उठाया और कहा कौन बोल रहा है। मैंने उसे कहा मैं सीमा बोल रही हूं मुझे तुम्हारी हेल्प की जरूरत है। उसने सबसे पहले यह पूछा कि तुम्हें मेरा नंबर कहां से मिला। मैंने उसे मजाक में कहा कि ऐसे ही मुझे रात को सपना हुआ था तो मुझे तुम्हारा नंबर मिल गया लेकिन वह बहुत सीरियस होकर मुझसे पूछने लगा कि तुम्हें मेरा नंबर वाकई में कहां से मिला तो मैंने उसे बताया कि तुम्हारी बुक में तुम्हारा नंबर लिखा हुआ था। शायद तुम्हें वह ध्यान भी ना हो लेकिन मैंने वह नंबर देख लिया था तब मैंने तुम्हें फोन किया। अब हमारी बातें काफी फोन पर होने लगी थी। हम दोनों मैसेजेस में काफी सारी बातें करने लगे थे। हमारी बात ना जाने कब बढ़ती चली गई मुझे पता भी नहीं चला और महेश भी मुझसे अब अच्छे से बात करने लगा था।
एक दिन ऐसे ही मैंने महेश को पोर्न मूवी भेज दी जैसे उसने वह मूवी देखी तो मुझे उसने कहा कि तुम ने क्या भेज दिया है। मैंने उसे कहा कि वह गलती से आ गई मेरी फ्रेंड ने मुझे भेजी थी। वह कहने लगा कि तुम्हारे पास ऐसी मूवी भी रहती हैं तो मैंने उसे कहा क्यों उसमें कोई गलत थोड़ी है क्या मैं इंसान नहीं हूं। अब वह मेरे इरादे पूरी तरीके से समझ चुका था और कहने लगा कि तुम्हें शायद लंड की जरूरत है। मैंने उसे कहा तो तुम अपना लंड मेरी चूत मे डाल दो। महेश और मेरी काफी अश्लील बातें होने लगी उस दिन तो मैं अपनी उंगली डालकर सो गई।
अगले दिन वह मुझे फिर दोबारा से मिला और कहने लगा आज कहीं बाहर चलते हैं। मैंने उसे कहा कि आज मेरे घर पर कोई भी नहीं है तुम मेरे घर पर आ जाओ। उसने कहा ठीक है मैं तुम्हारे घर पर आता हूं। वह हमारे घर पर आ गया। उसने आते ही मुझसे पूछा कल तुमने मुझे वह मूवी भेजी थी तो कुछ ऐसा ही करने का इरादा है। मैंने उसे कहा तो तुम करो जैसे ही उसने अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने उसे जल्दी से अपने हाथ में पकड़ लिया। जैसे ही मैंने उसे अपने हाथों में लिया तो वह बहुत गर्म हो रखा था। मैंने उसे हिलाना शुरू किया तो वह एकदम से लंबा हो गया। मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लेते हुए चुसना शुरू किया। जैसे ही मैं उसे चूस रही थी तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। कुछ देर तक तो मैंने ऐसे ही उसे मुंह में लेकर अंदर बाहर करते रही। महेश ने इतने मे मेरे पूरे कपड़े उतार दिए और मैं उसके सामने एकदम नंगी थी। जैसे ही महेश ने मुझे नंगा किया तो मुझे अपनी जवानी का एहसास होने लगा कि मेरा बदन कितना सुंदर है। उसने मेरे होठों को बड़े ही प्यार से चूसना शुरु किया और मेरे स्तनों को भी बहुत प्यार से अपने मुंह में ले रहा था। कुछ देर उसने अपने लंड को स्तनों पर लगाना शुरु किया और बहुत ही अच्छे से उसे मेरे दोनों स्तनों के बीच में आगे पीछे करता। जिससे कि उसकी पिचकारी से वीर्य बड़ी तेजी से निकला और मेरी गर्दन और मुंह पर आकर गिर गया।
मैंने उसे कहा तुमने मेरे पूरे मुंह में अपने माल को गिरा दिया है। उसने मुझे कपड़ा दिया मैंने कपड़े से पोंछकर साफ किया लेकिन उसकी स्मैल अभी मेरे मुंह में से आ रही थी। उसने अब मेरे योनि को चाटना शुरू किया और जैसे ही वह मेरी योनि को चाट रहा था तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था मानो मेरे अंदर से गर्मी निकल रही हो। अब उसने अपने लंड से मेरी चूत को जैसे ही छुआ तो मेरे अंदर से करंट निकलने लगा और उसने अपने लंड को मेरी चूत मे अंदर तक घुसेड़ दिया। जैसे ही उसने अंदर डाला मुझे बहुत तेज गर्मी महसूस हो रही थी। महेश अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था। जैसे ही वह अंदर बाहर करता जाता तो मुझे बहुत मजा आ जाता। मैं भी अपनी मादक आवाज से उसे आकर्षित करती वह बड़ी तेजी से झटके मारता जाता। मैं उसके लंड की गर्मी को ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर सकी और मेरा जल्दी ही झड गया। वह मुझे ऐसी धक्के मारे जा रहा था। 15 मिनट तक उसने मुझे ऐसे ही चोदा और उसने अपना वीर्य मेरी चूत में ही गिरा दिया और वह बड़ी है शांति से मेरे बगल में बैठ गया।
जब भी मेरे घर पर कोई नहीं होता या उसके घर पर कोई नहीं होता तो हम दोनों एक दूसरे को बुला लेते और आपस में सेक्स करते।
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