कॉलेज में टीचर के ऑफिस में चुदी – मुफ्त देसी चुदाई की कहानिया हिंदी सेक्स
कॉलेज में टीचर के ऑफिस में चुदी
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मैं एमबीए की फाइनल ईयर की स्टूडेंट हूं मेरा नाम परी है हमारे कॉलेज में नए प्रोफेसर आए थे। यह बात मुझे पता नहीं थी मैं जब क्लास में लेट से पहुंची तो मैंने देखा कि आज दूसरे सर हमारी क्लास ले रहे हैं। मुझे आने में थोड़ी देरी हो गई थी तो मैं जैसे ही क्लास में गई है उन्होंने मुझे उठने के लिए कहा फिर उन्होंने मुझे देरी से आने की वजह से क्लास से बाहर कर दिया। मैंने उनसे कहां की आप मुझे क्लास से बाहर क्यों कर रहे हो तो उन्होंने कहा कि क्लास में देर से आने वाले बच्चे मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है। उनका यह व्यवहार देखकर हम सभी को पता लग गया था कि यहां किस किस्म के हैं। वह एकदम खडूस टाइप के थे ना किसी से सही से बात करते थे और ना ही कभी हंसते थे। उन्हें सिर्फ अपने पढ़ाने से मतलब रहता था जब हमारी क्लास के सारे बच्चे उनसे परेशान हो गए तो उन्होंने एक दिन सर के नाश्ते में मिर्ची डाल दी।
सर हमेशा कैंटीन में नाश्ता करने जाते थे और उस दिन सब ने मिलकर उनको परेशान करने की सोची। यह बात मुझे पता नहीं थी मैं फटाफट से सर के पास गई और उन्हें वह खाने से मना किया। जब मैंने उन्हें मना किया तो वह उल्टा मुझ पर ही भड़कने लगे। उन्हें लगा कि मैं उन्हें परेशान कर रही हूं और क्लास में जब उन्होंने मुझे बाहर निकाला मैं उसका बदला ले रही हूं लेकिन मैं तो उन्हें वो खाने से बचा रही थी। वह मुझे ही उल्टा डांट कर चले गए। उसके बाद सारे बच्चों ने भी मुझे ही कहा यह सब होने के बाद हमारे सर को बहुत गुस्सा आया और वह सीधे प्रिंसिपल रूम में चले गए और हम सब की शिकायत की उसके बाद प्रिंसिपल सर ने हम सब को अपने रूम में बुलाया। सारे बच्चों को वार्न किया कि आज के बाद ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो मैं उसे सस्पेंड कर दूंगा। हम सब बहुत डर गए थे लेकिन फिर भी मुझे सर का कहा हुआ बिलकुल भी बुरा नहीं लगा।
एक दिन सर ने हमारा एग्जाम लिया उस दिन उन्होंने अचानक ही सब बच्चों से कहा कि आज वह उनका टेस्ट लेंगे और जो इस एग्जाम में पास होगा वही फाइनल एग्जाम दे पाएगा। इस बात से सारे बच्चे बहुत गुस्सा हुए क्योंकि सर ने पहले इस एग्जाम के बारे में हम सबको कुछ नहीं बताया था। अगर हम उनसे बात भी करते तो वह हमें डांट कर बैठा देते इसलिए कोई भी उनके साथ कुछ नहीं बोलता था। मैं ही उनके साथ ज्यादा बहस करती थी इसलिए वह मुझे ज्यादा पसंद नहीं करते थे लेकिन मैं उन्हें जानबूझकर चिढ़ाने के लिए उनके साथ जवाब देती थी। यही आदत मेरी उनको अच्छी नहीं लगती थी और उस दिन उन्होंने हमारा एग्जाम लिया। जब हम क्लास रूम में एग्जाम दे रहे थे तो उनका सबसे ज्यादा ध्यान मुझ पर ही था और बच्चों पर उनका ध्यान कम था क्योंकि उन्हें यह लग रहा था कि मैं चीटिंग करके अच्छे नंबर ले आऊंगी। हम में से कई बच्चों ने तो चीटिंग कर के पास हुए लेकिन उन्होंने मुझे इधर-उधर भी नहीं देखने दिया लेकिन फिर भी मैं अपनी मेहनत से अच्छे नंबर ला सकी। उस एग्जाम के बाद वह मुझसे थोड़ा सही तरीके से बात करने लगे थे क्योंकि मेरे नंबर बहुत अच्छे थे। अगर नंबर अच्छे नहीं आते तो पता नहीं वह क्या करते लेकिन जो भी था एग्जाम में नंबर अच्छे आ गए थे फिर उन्होंने मुझे नोट्स देना शुरू कर दिए। उसके बाद धीरे-धीरे वह मेरे पढ़ाई में बहुत मदद करते थे। उन्हें यह लगता था कि मैं इस कॉलेज की सबसे अच्छी स्टूडेंट हूं लेकिन फिर भी मैं उनके साथ बहुत बहस करती थी। उनको इस बात का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता था। वह मुझे अच्छी तरह पढ़ाते थे।
एक दिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो मैंने उन्हीं सर से बोला कि सर मुझे आप समझा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ठीक है तुम एक काम करना मेरे ऑफिस में आकर मुझे मिलना मैंने कहा ठीक है सर मैं आपको आपके ऑफिस में ही मिलती हूं। अभी थोड़ा मैं कुछ नोट्स बना रही हूं उसके बाद आपको आपके ऑफिस में आकर मिलती हू। मैं अपने नोट्स बनाने लगी और उसके थोडे देर बाद जब मेरा नोट्स का काम पूरा हो गया तो मैंने सोचा सर से मिल लेती हूं।
मेरा एक दोस्त मुझे मिल गया और वह कहने लगा थोड़ी मेरी मदद कर दे। मुझे कुछ चीजें समझ नहीं आ रही है तो मैंने उसके साथ बैठकर उसकी हेल्प की अब वह काफी कुछ समझ चुका था। मैंने उसे कहा ठीक है मुझे थोड़ा काम है मैं सर के पास जाती हूं। मैं यह कहते हुए वहां से चली गई और सर के ऑफिस में पहुंच गई जैसे ही सर के ऑफिस पहुंची तो मैंने देखा वह वहां पर आराम से बैठे हुए थे। मैंने उनके दरवाजे को नॉक किया उन्होंने मुझे अंदर आने को कहा अब मैं अंदर ऑफिस में चली गई। मैं जैसे ही उनके ऑफिस में गई तो उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा मैं वहीं चेयर पर बैठ गई। वह मुझसे पूछे लगे तुम लोग इतनी शैतानियां करते हो तो तुम्हें कुछ अजीब सा नहीं लगता है। मैंने उन्हें कहा सर अभी हमारी उम्र है तो हम लोग शैतानियां करते हैं। सर मुझे कहने लगे कि मैं भी तुम्हारे साथ आज शैतानियां कर लेता हूं। पहले मैं उनका मतलब समझ नहीं पाई उसके बाद उन्होंने मुझे अपने पास बुला लिया उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया तो मुझे कसकर पकड़ लिया। उन्होंने मुझे अपनी गोद में बैठा लिया मेरी गांड उनके पर लंड से रगड़ रही थी और उनका लंड खड़ा हो गया था। मुझे यह थोड़ा सा अजीब लगा लेकिन मुझे अच्छा लगने लगा था।
उन्होंने मेरी गर्दन को किस करना शुरू किया लेकिन मैंने उन्हें कुछ भी नहीं बोला। उन्होंने मेरे स्तनों पर अपना हाथ रख दिया मुझे थोड़ा गुदगुदी हो रही थी लेकिन मैंने तब भी उन्हें कुछ नहीं बोला। उसके बाद उन्होंने मेरे होंठों को चूमना शुरू किया। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा 5 मिनट तक उन्होंने मेरे होठों को बहुत ही अच्छे से चुसा। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी सागर में तैर रही हूं। मेरे अंदर अब सेक्स की भूख लगने लगी थी और मैं उत्तेजित होने लगी थी। मै अपने सर से चिपकने लगी थी और उन्हें बोलने लगी आप मेरे कपड़े खोल दीजिए या मैं खुद ही अपने कपड़े उतार लूं। उन्होंने कहा नहीं मैं तुम्हारे कपड़े उतारता हूं। उन्होंने मुझे पूरा नंगा कर दिया वह अपने मुंह से मेरी स्तनों पर चूसने लगे और अपने हाथों से उसे दबाने लगे मुझे काफी मजा आ रहा था जब वह इस तरीके से मेरे स्तनों को दबा रहे थे। उन्होंने मुझे वहीं जमीन में लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए। जैसे ही वह मेरे ऊपर चढ़े तो मुझको एक लगी एहसास हुआ। मैंने उन्हें बहुत ही प्यार से बोला सर मुझे बहुत अच्छा लगेगा जब आप मेरी योनि को चाटने लगंगे। उन्होंने मेरी योनि को बहुत देर तक चाटा और मुझे कहने लगे तुम्हारी चूत मे एक अलग ही तरीके का स्वाद है जो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है।
मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं कोई स्वादिष्ट चीज खा रहा हूं और तुम्हारा पानी भी निकल रहा है मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। अब उनसे भी नहीं रहा गया और मैंने उन्हें कहा कि आप अपना लंड मेरे मुंह में डाल दीजिए। उन्होंने अपने लंड को मेरे मुंह में डाल दिया जैसे ही उन्होंने लंड मेरे मुंह में डाला तो वह थोड़ा अजीब सा लग रहा था लेकिन बाद में अच्छा लगने लगा। मैंने उससे आइसक्रीम की तरह चूसना शुरु किया और पूरा लाल कर दिया। उन्होंने अब मेरी चूत मे अपने लंड को प्रवेश करवा दिया जैसे ही उनका लंड मेरी चूत मे घुसा तो मुझे ऐसा लगा मानो कुछ गरम सी चीज मेरी चूत मे चली गई हो और मैं एक अलग ही दुनिया में खो गई। उन्होंने मेरी दोनों जांघों को पकड़ते हुए बड़ी तेजी से मेरी चूत पर प्रहार करना शुरू किया। जैसे जैसे वह प्रहार करते जाते तो मेरा बदन पूरा हिल रहा था और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। जैसे ही वह मुझे धक्का मारते तो मुझे ऐसा प्रतीत होता कि मानो जैसे रेल में झटका लग रहा हो। उन्होंने काफी देर तक मुझे ऐसे ही झटके देते रहे और सर ने अपनी स्पीड बहुत ही तेज कर ली थी। कुछ समय बाद उनका वीर्य गिरने वाला था उन्होंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए अपने वीर्य को मेरे पेट में गिरा दिया और कहने लगे तुम्हें कैसा लगा। मैंने उन्हें कहा सर मुझे अब आप बहुत ज्यादा अच्छे लगने लगे हो।
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