गाँव के मुखिया का बेटा और शहरी छोरी – Antarvasna Hindi Sex Stories
गाँव के मुखिया का बेटा और शहरी छोरी – Antarvasna Hindi Sex Stories
मेरी यह हिंदी एडल्ट स्टोरी विलेज़ सेक्स की कहानी है.
वो मार्च का महीना था, मैं अपनी रूम पार्टनर मिताली के साथ उसके गांव जाने की तैयारी कर रही थी। मैं और मिताली दोनों ही लास्ट ईयर मैं पढ़ रहे थे। और हमारी कॉलेज के लास्ट ईयर में हमें एक प्रोजेक्ट करनी थी जिसमे हमें गांव में जाकर पशुपालन, गांव के लोगों का रहन सहन के ऊपर स्टडी करनी थी। उस प्रोजेक्ट में मैं, सीमा और मिताली थे।
पर जाने से दो दिन पहले सीमा बीमार पड़ गयी इसलिए अब सिर्फ मैं मिताली के साथ उसके विलेज जा रही थी।
मैं नीतू, मेरी उम्र 19 साल है, मेरे पापा का पुणे में बहुत बड़ा बिज़नेस है। कॉलेज के लिए मैं मुम्बई में पढ़ती हूँ और होस्टल में रहती हूं। मेरी हाइट 5’4″ है, रंग गोरा है। भूरी आँखें, लंबे बाल, मेरा फिगर 34C 26 35 है। मैं कमर मैं छोटी सी चांदी की चें पहनती हूँ, पैरो में पायल और नाक में छोटी सी नथ पहनती हूँ।
जाने का दिन आया तब मिताली के साथ बस से उसके गांव चले गए। उस दिन मैंने सफेद रंग की कुर्ती और डार्क ब्लू जीन्स पहनी थी। कुर्ती के ऊपर के खुले बटन में से मेरे गले में पहनी चेन दिख रही थी और उसमें पहना हुआ पैंडेंट मेरे फेस के साथ और भी जच रहा था। मिताली भी मेरे ही हाइट की है पर मुझसे थोड़ी सांवली है। उसकी फिगर 32B 26 34 है।
हम मिताली के घर पहुंचे, उसके छोटे से घर में हम ठीक से एडजस्ट हो गए। ट्रिप के पांचों दिन मैं मिताली के घर में ही रहने वाली थी।
दोपहर के खाने के बाद, लगभग दो बजे मिताली बोली- चलो नीतू, हम विलेज में घूम कर आते हैं!
“ये तो मेरे मन की बात बोली तुमने, आज से ही प्रोजेक्ट स्टार्ट करते हैं!” मैं बहुत एक्साईटेड थी।
हम दोनों गांव में घूम रही थी। मैंने अभी भी वही ड्रेस पहनी थी।
खेतों में घूमते हुए मिताली ने मुझे बहुत सारी चीजें बताई, बहुत सारे लोगों से भी मिलाया जो हमें हमारा प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद करेंगे। मैं अपनी डायरी में सब नोट कर रही थी।
दो दिन घंटे बाद मिताली बोली- चलो नीतू, हम गांव के मुखिया जी को मिल कर आते हैं!
मुखिया मतलब गांव की बहुत बड़ी हस्ती थी, मैं भी उनसे मिलने के लिए एक्साईटेड थी। पर मुझे ये देखकर आश्यर्य हो रहा था कि मिताली मेरे साथ मुम्बई में होस्टल में रहती है फिर भी गांव में सब उसको पहचानते हैं।
हम दोनों घर की तरफ जा ही रहे थे कि अचानक बिन मौसम बारिश होने लगी, हम दोनों के पास छतरी नहीं थी, हम भागती हुई मुखिया जी के घर पहुँची। तब तक हम सर से पाँव तक पूरा भीग चुकी थी.
उनका बहुत बड़ा घर था। घर के आंगन में उस का लड़का राघव 2-3 लोगों से बाते कर रहा था।
राघव गांव के मुखिया का बेटा तो था ही, वो खुद भी गांव की एक बड़ी हस्ती था। दो साल बाद विधायक के चुनाव लड़ने को इच्छुक राघव आकर्षक पर्सनेलिटी का लड़का था। उसकी उम्र 30 साल थी, उसका बदन कसरती था। मैं बिना पलक झपके उसको देखती ही रही। लाइफ में पहली बार में किसी लड़के की तरफ आकर्षित हुई थी।
वो बरामदे में कुर्सी पर बैठा था। उसने सिर्फ लुंगी पहनी हुई थी। उसके सीने पे पेट पे घने बालों का जंगल था। उसके गोरे चेहरे पर मूंछें जच रही थी।
मैं बस उसके कसे हुए शरीर को मोहित होकर देख रही थी।
तभी अचानक उसकी मर्दानी आवाज मेरे कानों में पड़ी, सामने खड़े लोगों को वो कुछ समझा रहा था।
अचानक उसकी आवाज सुनते ही मैं घबरा गई, उसी घबराहट में मैं दो कदम पीछे हो गयी।
उसी वक्त मेरे पैर बर्तन से टकरा गए।
बर्तन की आवाज से राघव की नजर हम दोनों पर पड़ी; उसकी भेदक नजर मुझ पे पड़ते ही मुझे यह एहसास हुआ कि बारिश की वजह से भीगी हुई कुर्ती में से मेरे 34″ के मम्मे और मेरी काली ब्रा दिखाई दे रहे हैं।
यह एहसास होते ही मैं मेरे हाथ फोल्ड करके खड़ी हो गई। फिर भी उनकी पारखी नजर ने मुझे ऊपर से नीचे तक स्कैन किया; हल्के से मुस्कुराते हुए उन्होंने अपनी नजर मिताली की तरफ घुमाई।
मिताली मुस्कुराती हुई बोली- नमस्ते राघव भैया!
“अरे… मिताली… नमस्ते नमस्ते। कब आयी तुम मुम्बई से?” वो मिताली को पूछने लगे।
“आज ही आई हूँ, दरअसल काम के लिए आई हूं, ये मेरी सहेली नीतू, हम होस्टल में साथ में रहते हैं। हमारा कॉलेज का प्रोजेक्ट करने हम गांव में आये है। गांव में घूम रहे थे तो मैंने बोला मुखिया जी से मिल कर आते हैं.”
राघव ने सामने खड़े लोगों को जाने के लिए बोला और हमसे बात करने लगा- अरे आप दोनों बाहर क्यों खड़ी हो, अंदर आओ ना, मुखिया जी काम से बाहर गए हैं। पर आप चिंता मत करो, मैं आपको सब कुछ दिखा दूंगा।
“और नीतू, कैसा लगा तुमको हमारा गांव?” पहली ही मुलाकात में राघव मुझसे बहुत ही प्यार से बातें करने लगा था, मुझे भी यह सब अच्छा लगने लगा था।
“बहुत ही अच्छा साहब… आज ही आयी हूँ ना… अभी पूरा गांव नहीं देखा!” मैंने जवाब दिया।
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